________________ वर्तमान की पकड़ हमने 'अतीत से बंधा वर्तमान' और 'अतीत से मुक्त वर्तमान'-इन दोनों की चर्चा की। क्या अतीत की पकड़ से मुक्त हुआ जा सकता है? उससे मुक्त होने का उपाय क्या है? हमें उपाय की खोज करनी है। जो उपाय को नहीं जान सकता, वह अपाय को नहीं मिटा सकता। अपाय का अर्थ है-विघ्न। आदमी अपाय को छोड़ना चाहता है। उपाय के बिना अपाय का निरसन नहीं किया जा सकता। प्रत्येक अपाय को मिटाने के लिए उपाय अपेक्षित होता है। वह आचार्य सफल आचार्य होता है जो उपाय को जानता है। वह गुरु सफल गुरु होता है जो उपाय को जानता है। जो उपाय को नहीं जानता वह यथार्थ में न आचार्य होता है और न गुरु होता है। वह न डॉक्टर होता है और न वैद्य। वह न अनुशास्ता हो सकता है और न नेतृत्व करने वाला नेता। उपाय का ज्ञान अपेक्षित होता है। जो उपायों को जितनी सूक्ष्मता से जानता है, वह उतना ही सफल हो सकता है। डॉक्टर के पास रोग का उपाय न हो तो रोगी निराश हो जाता है। गुरु के पास उपाय न हो तो शिष्य निराश हो जाता है। शिष्य गुरु के पास आकर पूछता है-'क्रोध, अहंकार और कामवासना सताती है। इनसे बचने का उपाय बताएं।' यदि आचार्य कहे कि मैं इनसे छुटकारा पाने का उपाय नहीं जानता तो वास्तव में वह आचार्य नहीं हो सकता। आचार्य का काम है उपाय को जानना। जितने अपाय हैं उन सबका उपाय जानना और समाधान देना। उपायों को जानने वाला ही वास्तव में समाधान दे पाता है और शिष्य की अस्वस्थ मनोवृत्ति को स्वस्थ बना सकता है। व्यक्ति को उपाय-कुशल होना चाहिए। उपाय-कुशल वह होता है वर्तमान की पकड़ 181