________________ रह गए। खेत आधा खाया जा चुका था। ___उन्होंने घर-स्वामी से पूछा-'खेत की यह अवस्था कैसे हुई? अभी तो फसल कटी ही नहीं और खेत आधा खाली हो गया। क्या हुआ?' ___ 'मैं नहीं जानता।' _ 'कैसे नहीं जानते? तुम रखवाले हो खेत के। तुम. उत्तरदायी हो। उत्तर दो कि फसल कहां गई?' - उसने सारी कहानी कह सुनाई। ___घरवाले बोले-'तुम बड़े स्वार्थी निकले। खेती में सबका हिस्सा है। तुम अकेले-अकेले स्वर्ग में जाते हो और लड्डू खा आते हो। अब ऐसा नहीं हो सकेगा?' दूसरा दिन उगा। स्वर्ग से कमधेनु गाय आयी। आते ही वह फसल खाने लगी। किसान ने कहा-'अब मुसीबत आ गई है। अब तुम फसल नहीं खा सकोगी।' 'क्यों?' 'घर के सभी सदस्य लड्डू खाने के लिए ललचा रहे हैं।' 'सबको ले चलो स्वर्ग में। सबको लड्डू खिलाऊंगी।' घरवाले राजी हो गए। तीसरे दिन गाय आयी। किसान ने गाय की पूंछ पकड़ ली। शेष सदस्य एक-दूसरे की टांग पकड़े, किसान की टांग पकड़कर लटक गए। गाय आकाश में उड़ी और स्वर्ग की ओर चल पड़ी। कुछ समय बीता। एक व्यक्ति के मन में विकल्प उठा कि स्वर्ग के लड्डू कितने बड़े होते हैं? हम उन्हें खा सकेंगे या नहीं? वह विकल्प के फंदे में फंस गया। अपने आपको रोक नहीं सका। वह बोला-'बाबा! हम सबको स्वर्ग में ले जा रहे हो। वहां हमें लड्डू खिलाओगे। पर यह तो बताओ कि लड्डू कितने-कितने बड़े हैं?' बाबा को भी ध्यान नहीं रहा। वह भी विकल्प में उलझ गया। उसने गाय की पूंछ छोड़ दी और हाथ फैलाकर बोला-'इतने-इतने बड़े हैं स्वर्ग में लड्डू। ___ पूंछ को छोड़ते ही, सभी एक साथ धड़ाम से जमीन पर आ गिरे। 144 कर्मवाद