________________ हैं, वे यथार्थ हैं, गलत नहीं हैं। जो बताया जाता है वह सही है, पर सही बात को भी कैसे पकड़ा जाए, यह हमारे दृष्टिकोण का प्रश्न है। बहुत बार ऐसा होता है कि सही बात को गलत समझ लिया जाता है और गलत बात को सही समझ लिया जाता है। भ्रांतियां अनेक स्थानों पर हो सकती हैं-सुनने में भ्रांति, समझने में भ्रांति, व्याख्या करने वाले में भ्रांति। इन भ्रांतियों के कारण सही बात भी गलत बन जाती है और गलत बात भी सही बन जाती है। इतनी भ्रांतियों के रहते सचाई को कैसे पकड़ा जाए? इस प्रकार कर्मवाद के विषय में भी अनेक भ्रांतियां उत्तरदायी कौन? 153