________________ और क्षमता! किन्तु नामकर्म इतना शक्तिशाली है कि उसने इस शरीर का निर्माण किया हैं, जिसके विषय में कल्पना करना कठिन है और जानना अत्यन्त कठिन है। आज तक नामकर्म की निर्मिति-इस शरीर के रहस्यों को आदमी नहीं जान सका है। हजारों-हजारों रहस्य जान लेने पर भी, उससे अधिक रहस्य अनजाने पड़े हैं। आज भी खरबों-खरबों कोशिकाओं, क्रोमोसोम, जीन आदि-आदि के विषय में हजारों वैज्ञानिक उलझे हुए हैं। वे शरीर की रचना के विषय में अस्पष्ट हैं। वे अभी तक शरीर के एक अवयव-मस्तिष्क की भी पूरा जानकारी नहीं कर पाए हैं। हजारों वैज्ञानिक मस्तिष्क की प्रक्रिया के अध्ययन और खोज में लगे हुए हैं। दिन-प्रतिदिन नये-नये तथ्य सामने आ रहे हैं। पर उस एक छोटे-से मस्तिष्क के पूरे रहस्य अभी तक पकड़ में नहीं आ रहे हैं। इतना अद्भुत है यह शरीर! यह नामकर्म से बना है। नामकर्म के कुशल कारीगर ने इसे बनाया है। हमारा शरीर और शरीर की रचना कर्म से जुड़ी है। .. जीवन के दो पक्ष और हैं। एक है आभिजात्य पक्ष और दूसरा है अनाभिजात्य पक्ष। एक आदमी आभिजात कहलाता है, ऊंचा और श्रेष्ठ कहलाता है। दूसरा आदमी अनाभिजात कहलाता है, ऊंचा और श्रेष्ठ नहीं कहलाता। वह हीन कहलाता है। लोगों की दृष्टि में उसका आदर-सम्मान नहीं होता। एक आदरणीय और दूसरा अनादरणीय। ये दोनों पक्ष पूरे समाज में मिलेंगे। इसको जाति से नहीं जोड़ना चाहिए। यह जाति नहीं, किन्तु व्यक्तिगत प्रश्न है। लोगों की दृष्टि में सम्माननीय होना या असम्माननीय होना दोनों कर्म से जुड़े हुए हैं। गोत्रकर्म इसका घटक है। इसको कुम्हार से उपमित किया गया है। कुम्हार एक घड़ा ऐसा बनाता है कि वह बहुमूल्य हो जाता है और एक घड़ा ऐसा बनाता है कि कोई उसे खरीदना नहीं चाहता। वह गोत्र नाम का कुम्हार इस सारी स्थिति का निर्माण कर रहा है। ___हमारे जीवन की सबसे बड़ी विशेषता है शक्ति। यह भी कर्म से जुड़ी हुई है। इसे इस प्रकार समझाया गया है कि एक आदमी राजदरबार में गया और राजा की विरुदावली गायी। राजा ने प्रसन्न होकर उसे अतीत से बंधा वर्तमान 157