________________ की यह घटना घटे, उसे वह रात श्मशान में बितानी होगी। आदेश आदेश था। जिसके घर में आग लग जाती है, उसे श्मशान में रात बितानी पड़ती। एक दिन ऐसा हुआ कि सम्राट के महल में आ लग गई। घोषणा के अनुसार सम्राट ने श्मशान में जाने की तैयारी की। सामन्तों ने निवेदन किया कि आप सर्वेसर्वा हैं। आप श्मशान में न जाएं। सम्राट बोला-'नियम नियम है। वह सबके लिए है। मैं इसका अपवाद रहना. नहीं चाहता।'. एक आश्रम के अधिष्ठाता ने नियम बनाया-कोई भी आश्रमवासी यदि चार बजे के बाद उठेगा, उसे आश्रम के सभी वृक्षों को सींचना होगा। वह निरपवाद नियम बन गया। एक दिन आश्रम के अधिष्ठाता आचार्य स्वयं विलम्ब से उठे। नियम के अनुसार वे वृक्षों में पानी देने लगे। अन्यान्य आश्रमवासियों ने कहा-'गुरुदेव! यह काम हम कर लेंगे। आप पधारें।' आचार्य ने कहा- 'मैं नियम का अपवाद नहीं हूं। मैंने ही तो यह नियम बनाया था और मैं ही इसका अपवाद बन जाऊं, यह नहीं हो सकता। जिस नियम में कोई अपवाद नहीं होता, वह है नियति। जिसमें अपवाद होता है, वह नियति नहीं, सामान्य नियम होता है। नियति है सार्वभौम नियम, यूनिवर्सल लॉ। हमारे जीवन-चक्र के हजारों शाश्वत नियम हैं। जगत् के हजारों शाश्वत नियम हैं। उनमें अपवाद नहीं होता। मृत्यु एक नियति है। क्या कोई इसका अपवाद बना है आज तक? कोई नहीं बना और न बन सकेगा। जो जन्मता है, वह मरता है। जिसने जन्म लिया है, वह आज या कल अवश्य मरेगा। जो जीवनधर्मा है वह मरणधर्मा है। यह नियति है, निश्चित है। जीवन के साथ मृत्यु जुड़ी हुई है। गीता में कहा है-'जातस्य ही ध्रुवो मृत्युधुवं जन्म मृतस्य च।' जो जन्मा है उसकी मृत्यु निश्चित है और जो मरे हैं उनका जन्म भी निश्चित है। जन्म और मरण-दोनों अनिवार्य नियति हैं। वे नियति हैं। प्रत्येक प्राणी की यह नियति है। यदि हम 'मरण' शब्द को छोड़ दें तो अचेतन में भी नियति है। कोई भी अचेतन द्रव्य शाश्वत नहीं है। वह बदलता रहता है। एक परमाणु भी एक रूप में नहीं रहता। उसे बदलना ही पड़ता है। चेतन जगत् में जन्म और मृत्यु होती है और 148 कर्मवाद