________________ तो शुभ को पैदा करो। छोड़ना दोनों को है-शुभ को भी छोड़ना है और अशुभ को भी छोड़ना है। पाप को भी छोड़ना है और पुण्य को भी छोड़ना है। किन्तु अशुभ को छोड़ने के लिए शुभ का संकल्प करें। बुरे को छोड़ने के लिए अच्छे का संकल्प करें। बुरी आदत छोड़ने के लिए अच्छी आदत डालें। अन्यथा बुरी आदत छूटेगी नहीं। एक बार छूट भी जायेगी तो वह पुनः पकड़ लेगी। हमने देखा, एक आदमी को तम्बाकू सूंघने की आदत थी। दिन में सौ-पचास बार वह तम्बाकू सूंघता था। न उसे उस तम्बाकू में दुर्गंध ही आती और न उसे उस आदत के प्रति घृणा ही थी। एक दिन उसे वह बात समझ में आ गयी और उसने उस आदत को छोड़ने का संकल्प कर लिया। अब वह तम्बाकू को सूंघना छोड़, इत्र को सूंघने लगा। इत्र को सूंघना उसकी आदत बन गयी और वह तम्बाकू की आदत छूट गयी। बुरी आदत को बदलने के लिए अच्छी आदत डाली जाती है। एक प्रकार की चंचलता को मिटाने के लिए हम दूसरे प्रकार की चंचलता का सहारा ले रहे हैं। पुरानी चंचलता को मिटाने के लिए नयी चंचलता को अपना रहे हैं। ऐसा करते-करते एक दिन ऐसा भी आयेगा कि सारी चंचलता मिट जायेगी, समाप्त हो जायेगी। कर्म का बन्ध 65