________________ शक्ति खर्च होती है, वह पूरी होती रहे। ____ मैंने समय-समय पर इनका उपयोग किया और बहुत लाभ उठाया। पुद्गल जैसे कर्म के विपाक में निमित्त बनते हैं, वैसे ही कर्म के क्षयोपशम में भी निमित्त बनते हैं। कर्म का विपाक भी निमित्तों के बिना नहीं हो सकता। हम निमितों की बात को न भूलें। .. आवेगों के उपशमन में जैसे हमारी परिणतियों को बदलने की जरूरत है, वैसे ही निमित्तों को जानने और उनको बदलने के प्रयोग की भी जरूरत है। 106 कर्मवाद