________________ पूरक होता है। देखने की शक्ति न्यून न हो तो चश्मा आवश्यक नहीं लेता, माध्यम की आवश्यकता नहीं होती। - आत्मा की अभिव्यक्ति का माध्यम है शरीर। शरीर के माध्यम से ही आत्मा की शक्तियां अभिव्यक्त होती हैं। चैतन्य की अभिव्यक्ति, आनन्द की अभिव्यक्ति, शक्ति की अभिव्यक्ति-ये सारी अभिव्यक्तियां शरीर के माध्यम से होती हैं। __चैतन्य की अभिव्यक्ति के साधन हैं-इन्द्रियां, मन और बुद्धि। आनन्द की अभिव्यक्ति का माध्यम है-अनुभूति। शक्ति की अभिव्यक्ति का माध्यम है-शरीर / हाथ, पैर आदि सारे अवयव शक्ति की अभिव्यक्ति के माध्यम हैं। इन्द्रियां भी शक्ति की अभिव्यक्ति के मार्ग हैं। शक्ति के बिना कुछ भी नहीं होता। चैतन्य की अभिव्यक्ति भी शक्ति के बिना नहीं हो सकती, आनन्द की अभिव्यक्ति भी शक्ति के बिना नहीं हो सकती। शक्ति का माध्यम सबके साथ जुड़ा हुआ है। सभी अभिव्यक्तियों का माध्यम है शरीर। इसीलिए मन से शरीर प्रभावित होता है और शरीर से मन प्रभावित होता है। चैतन्य का विकास हो गया, किन्तु इन्द्रियों का जो आकार बना है, इन्द्रियों के जो गोलक बने हैं, स्वस्थ नहीं हैं, तो चैतन्य की शक्ति काम नहीं आयेगी, उसका उपयोग नहीं हो पायेगा, जैसे-तैसे वह अनुपयोगी ही बनी रहेगी। आनन्द का विकास है, किन्तु अभिव्यक्ति का माध्यम ठीक नहीं है तो वह कार्यकर नहीं होगा। शरीर भी ठीक होना चाहिए, उसके अनुरूप होना चाहिए और इन्द्रियों के गोलक स्वस्थ और सक्षम होने चाहिए, तभी उनमें शक्तियां अभिव्यक्त हो सकती हैं, अन्यथा नहीं। बिजली का प्रवाह निरंतर गतिशील है। यदि बल्ब ठीक है तो वह अभिव्यक्त हो जायेगी, प्रकाश फैल जायेगा। यदि बल्ब ठीक नहीं है तो बिजली रहते हुए भी उसमें अभिव्यक्ति नहीं होगी, प्रकाश नहीं होगा, अंधेरा नहीं मिटेगा। माध्यम ठीक होना चाहिए, तभी अभिव्यक्ति हो सकती है। ___ हम यह विस्मृत न करें कि शरीर मन को प्रभावित करता है और मन शरीर को प्रभावित करता है। शरीर भी प्रभाव का निमित्त बनता समस्या का मूल : मोहकर्म 66