________________ हो सकती है? आपका राज्य सर्वत्र व्याप्त है। आप हमें बताएं कि हम जायें कहां! हमें स्थान का निर्देश दे दें।' युधिष्ठिर ने बहुत अनुरोध किया। तब कृष्ण ने कहा-'दक्षिण में चले जाओ। पांडु मथुरा में जाकर बस जाओ।' स्थान का निर्देश किया। वे उत्तर से दक्षिण में आ गये। ___ यह तो संभव था। किन्तु राज्य से चले जाओ, यह कैसे संभव हो सकता था! वासुदेव कृष्ण का राज्य बहुत बड़ा था, सर्वत्र था। फिर आदमी जाये तो कहां जाये? ___ईश्वरीय सत्ता का भी बहुत बड़ा प्रश्न है। उसकी सत्ता में वह सब कुछ चलता रहे जो मानवीय सत्ता में चलता है तो सर्वशक्ति-सम्पन्नता का कथन अयथार्थ हो जाता है। इस प्रश्न का समाधान बहुत जटिल है। मैं यह नहीं कहता कि इस प्रश्न को समाहित करने का प्रयत्न नहीं किया गया। प्रयल किया गया। समाधान दिया गया। किन्तु वह समाधान भी असमाधानकारक बन गया। जो समाधान प्रश्न को समाहित करने चला था, उसने अनेक नये-नये प्रश्न खड़े कर दिये। वह वास्तव में समाधानकारक नहीं बना। प्रश्न बना का बना रह गया। डॉक्टर रोगी को स्वस्थ बनाने वाला है और वही यदि रोगी को और अधिक बीमार बनाता चला जाये, उस डॉक्टर को हम बहुत सम्मान नहीं दे सकते। मनुष्य को रोगी बनाने वाला यदि कोई विराट शक्ति-सम्पन्न अस्तित्व हो तो यह समझ में आने वाली बात नहीं है। जब कर्तृत्व की बात फल देने की बात से टकराती है तो नये चिंतन के लिए एक आयाम खुलता है। एक नया आयाम उद्घाटित होता है। ऐसा भी हो सकता है कि जहां कर्तृत्व भी दूसरे का न हो और फल देने की शक्ति भी दूसरे में न हो। दोनों स्वचालित हों। . हम शरीर की व्यवस्था पर ध्यान दें। हमारे शरीर में दोनों प्रकार की व्यवस्थाएं हैं। शरीर के कुछ हिस्से ऐसे हैं जो नाड़ी-संस्थान के द्वारा संचालित हैं। हमारी बहुत सारी क्रियाएं उन्हीं से संचालित हैं। मैं हाथ हिला रहा हूं। यह स्वाभाविक क्रिया नहीं है। यह स्वतः संचालित क्रिया नहीं है। किन्तु यह नाड़ियों की उत्तेजना से होने वाली क्रिया है। मैं श्वास ले रहा हूं। यह किसी के द्वारा नियंत्रित क्रिया नहीं है। यह स्वतः कर्म की रासायनिक प्रक्रिया : 2 43