Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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पुष्कारार्द्ध द्वीप पूर्व ऐरवत क्षेत्र
भूतकाल
३०
9
कृतांत
२
भोखरिक
३ देवादित्य
४
अष्टनिधी
५
प्रचंड
६ वेणुक
99
८
९
त्रिभानू
ब्रह्मादि
बगं
विरोहत
१०
११
१२
१३
१४
१५ सुरु १६ सुभाषित
अपायक
लोकोत्तर
श्रीजलधि
विद्योतन
१७ वत्सल
१८
जिनाल
१९
तुषारिक
२० भुवन
२१
शुकालिक २२ | देवाधिदेव
२३ आकाशिक
२४
अबिक
वर्तमान०
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३१
निशामती
अक्षपास
अचितकर
नयादि
पर्णप
स्वर्णनाथ
तपोनाथ
पुष्यकेतु
कर्मिक
चन्द्रकेतु
प्रहारिक
वितराग
उद्योत
तपोधिक
अतित
मरुदेव
दामिक
शिक्षा दिव्य
स्वस्तिक
विश्वनाथ
शतक
सहस्तादि
तमोंकित
ब्रह्माकं
भविष्य ०
३२
यशोधर
सुव्रत
अभयघोष
निर्वाणिक
व्रतवसु
अतिराज
अश्वनाथ
अर्जुन
तपचन्द्र
शारीरिक
महसेन
सुश्राव
दढ़ प्रहार
अबरिक
वृतातित
तुर
सर्वशील
प्रतिराज
जितेंद्रिय
तपादि
रत्नाकर
देवेश
लांछन
प्रवेश
६
भूतकाल
३३
सुसंभव
पच्छाभ
पुर्वास
सौंदर्य
गेरिक
त्रिविक्रम
नारसिंह
मृगवस्तु
सोमेश्वर
सुभानुं
अपापमल्का
विवोध
संजमिक
माधीन
भववतेजा
विद्याधर
सुलोचन
मौननिधी
रिंक
चित्रगण
पुष्करार्द्ध पश्चिम ऐरवत क्षेत्र
हिन्दु
कल
भुरिवी
पुणयागं
वर्तमान०
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३४
श्री गाय
नलचचा
भजिन
ध्वजाधिक
सुभद्र
स्वामीनाथ
हितक
नर्दिघोष
रूपविर्य
बज्रनाम
सतोषं
सुधर्मा
श्रीफलादि
वीरचन्द्र
मोधानिक
स्वेच्छ
कोपक्षय
अकाम
सतषित
शत्रु सेन
क्षेमवात
दयानाथ
कीर्ति
शुभनाम
भविष्य ०
३५
अदोषित
वृषभ
विनयानंद
मुनिनाथ
ईन्द्रक
चन्द्रकेतु
ध्वजादिस्य
बसुबोध
वसुकीर्ति
धर्म बोध
देवाग
मरिचिक
सुजीव
यशोधर
गौतम
मुनिशुद्ध
प्रबोध
शतानिक
चारित्र
शतानदे
वेदार्थनाथ
वापस १२ -- सनत्कुमारदेव १३ - भारद्वाज तापस १ १७ - विश्वभूति १८ - शुकदेव १९ – त्रिपुष्टवासुदेव २० २३ --- प्रिय मित्रचकी २४ - शुक्रदेव २५ - नन्दनराजा ( इस भव से १९८०६४५ मासखामण तप किये
महिन्द्रदेव १५ - स्थावरतापस १६ - ब्रह्मदेष साखवीनरक २१ – सिंह २२ - चतुर्थनर क
२६- प्रणितदेव २७---तीर्थंकर महावीर -
सुधामाथ ज्योति मुख
सूर्याकनाथ
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