Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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उपकेशपुर के कुम्मठ भोजाने
are गौत्र कांकरिया शाखा नेनीवाद के द्रव्य की व्यवस्था खम्मत नगर में चतुर्मास
प्राग्ववंश शाह कुम्भा के सूरिजी के शासन में
दीक्षाएं
प्रतिष्ठाएं
यात्रा संघ
दुकाल
मैं
वीर वीरांगण
तलाव कुएँ
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जैनधर्म पर विधर्मियों के आक्रमण स्वामि शंकराचार्य
कुम्भरेजमट्ट
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१०१९
१०२०
पांड्य देश का सुन्दर राजा पल्लवदेश महेन्द्रवर्मा राजा मदुरा मीनक्षी मन्दिर के चित्र
सीजार नगर के पुस्तका लय के चित्र राजा गणपतदेव का
पाप-प
सूरिजी का दक्षिण में बिहार प्रदुरा में श्रमण सभा मांडवगढ़ में चतुर्मास
१०२५
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रामानुजधर्म वालों के
३७ - आचार्य देवगुप्तसूरि १०२७
१०२६ सूरिजी के शासन में
( वि० सं० ६०१ - ६३१ ) पद्मावती के प्राग्वट यशोवीर-रामा मंडन - खेतो- खीवशी युवक की मृत्यु-मंडन का वैराग्य
मंडन और गुरुजी का संवाद मंडनादि की दीक्षा व मेरूप्रभनाम खम्मात में उपा० च० सूरिपद मरोच में बौद्धों का प्रचार भच का संघ खम्मात में मच में सूरिजी शास्त्रार्थ में विजय मच में सूरिजी का चतुर्मास
१०३०
मथुरा में चतुर्मास
आठ मुमुक्षुओं की दीक्षा
श्रेष्ठ गौत्री हरदेव का मो० बप्पानाग चांग के मन्दिर की प्र० काशी होकर पन्जाब में सिन्ध कच्छ सौराष्ठ शत्रुंजय पद्मावती में चतुर्मास प्राग्वट माला की अजब दीक्षा कोरंटपुर में सर्वदेवसूरि-की भेट श्रीमाल खुमाण ने सवालक्ष विहार माडव्यपुर में
श्रेष्ठि रावशोभणादि ७को दीक्षा १०४० चोरड़िया स रावल का महोत्सव उपा० ज्ञानकलस को सूरिपद चित्रकोट का किल्ला बनाना
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२५
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भावुक की दीक्षाएं
मूर्तियों की प्रतिष्ठाएं
तीर्थों का संघ
तलाव वापी कुए
वीर वीरांगणाएं
सीन दुकालों में
१०३६
१०३७
१०४१
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३८ - आचार्य सिद्धसूरि १०४६
( वि० सं० ६३१ - ६६० ) मालपुर सिन्ध, रावकानद बपनाग देदा-आसल महावीर का मन्दिर सम्मेतशिखर का संघ आसक से लक्षमी का पृथक होना देवगुप्तसूरि का शुभागमन
व्याख्यान का प्रभाव
निर्धन को रस कुंपिका लोभी पुरुष के मंडियों लगाते गये आसक को निधान की प्राप्ती १०३३ मन्दिर - संघ-सूत्र वाचन
आसकादि ४२ के साथ दीक्षा ज्ञानकळस मुनि के अभिप्रह
१०४८
१०५१
१०५३
१०५४
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सूरिपद सिद्धसूरिनाम चैत्यवास में शिथलता
विहार- पृथ्वी प्रदक्षिणा नारदपुरी पल्ली-मेकरण मैकरण का संघ शत्रुंजय
संघ को सोना की 5 या आचार्य श्री के शासन में
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मुमुक्षुओं की दीक्षाएं
मन्दिरों की प्रतिष्ठाएं
तीर्थों का संघ
तलाव कुएं
वीर वीरांगणाएं
दुष्काल की भयंकरता
पद्मावती तप्तभट् सहखण सेठानी सरजू पुत्राभाव चिंता
पत्नीव्रत का संवाद
पुत्र का जन्म- खेमा नाम
खेमा सुनने मात्र से प्रतिक्रमण संहारका
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३६ - आचार्य ककसूरि (८) १०६३
( वि० सं० ६६० - ६८० )
खेमा की उदारता
खेमा की खादी के लिये
सूरिजी का आगमन - व्याख्यान नरक के दुखों का वर्णन संयम और देवों के सुख संयम के इस भव के सुख खेमा-माता पिता २७ दोक्षाएं सूरिपद - ककसूरिनाम शाकम्भरी में पदार्पण श्रेष्ठ गोपालने लक्षद्रव्य रावगेंदा मंत्री जेसल
१०५६
आत्मवाद
कर्मवाद
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१०५९
सूरिजी का व्याख्यान राज सभामें जैनधर्म के वि० गलतफहमी
सृष्टिवाद, स. अ. क. अ.
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