Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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व्याख्यान में स्त्रियों-सिंह का उदा. महाजनसंघ के प्राचीन कथित १३.४ भोसवालों में दातार सरिजी को निस्पृहिता भैरूपाह लोड़ा
४३-आचार्य देवगुप्तसरि प्रभासपाटण शिवनमस्कार | रामाशाह लोड़ा की की कीर्ति
(वि० ८३७.८९२) कुमारपाक पर राजा का द्वेष कर्मचन्द्र चोपड़ो
पाल्हिक नगरी २८-कार कुमारपाल सूरिजी के शरण में नैंतसी छाजेड
संचेती रांणा-भूरि का पुत्र मल्ल । कमारपाल का भ्रमण अन्नदाता धरमसी
विदेवाका व्यापार में भाने जाने का माल सिद्धराजा का देहान्त संघवी नरहरदास
आ. कक्कसरि का शुभागमन कुमारपाल पाटण का राजा सुराणों की उदारता
महल की भावना. वैराग्य हेमचन्द्र सरि को गुरु जैनधर्म स्वीकार | सोहिलमाह का छंद
मल्ल की दीक्षा ध्यानसुन्दर अर्णोराज पर चढ़ाई असफल छजमल बाफणा
सूरिपद देवगुप्तसूरि नाम इष्ट पर विश्वास और विजय जगदूशाह की उदारता
विहार रात्रि जंगल में चन्द्रकान्त मणि की २१ अं-मूर्ति जबेरी हीरानन्द के वहां बादशाह
देव का कोपबाद प्रसन्नता बाग्भट द्वारा शत्रजयका उद्धार कोरपाल सोनपाल लोढ़ा
सन्यासी की करतूत और घृत वाणिया के सात द्रम्भ उद्धार में समददिया जाति के वीर
सुरिजी का चमत्कार
सन्यासी की दीक्षा हेमाचार्य के बनाये ग्रन्थों को लिखाना | टीकुशाह की उदारता
वीरपुर का राव सोनग सेवा में मंत्री उदायण का पुत्र अंबड़ धारा नगरी के वैद्य मेहता
रावजी ने जैन मन्दिर बनाया मुनिसुव्रत तीर्थ का उद्धार हथुदिया राठौर जैन
मुनि साध्वियों के उपकरणों का राजा पतित साधु को बन्दन शूरवोर संचेती
प्रमाण रखने का करणादि १५२८ साधु ने अपना पतिताचार छोड़ा रणथंभोर के संचेती
दीक्षा के लिये योग्य अयोग्य वीतमय पाटण की मूर्ति सोजत के वेधमेहता
सन्यासी जी की जैन दीक्षा कुमारपाल का यात्रार्थ संघ नि. वीर वैधमेहता पाताची
सूरिजी का विहार की विशालता हेमाचार्य का पुनीत जीवन गद शिवाना के वैद्यमेहता
उपकेशपुर में संघ सभा ७४॥ शाहाओं की ख्याति १२७१
, , वैद्यमेहता राजसी सरिजी का संचोट उपदेश ७॥ क्यों कहलाये जालौर के वैधमेहता तेजसी
कल्याण कुम्भ को सूरिपद चित्तौड़ के युद्ध में ७४॥ मण जनेऊ चारण और जैन कविका संवाद
राखेचा जाति की उत्पत्ति खेमा देवाणी का उदाहरण भायं जाति के वीर
देवी ने निधान बतलाया लुनाशाह का उदाहरण
कुंकुंम नाति की उत्पत्ति १३४४ वैद्यमेहता नारायणजी पांच प्रतियों पृथक २ मोरक्ष-पोकरणा वीर
कुंकुमजाति को धूपियादि शाखाएं पूर्व जमाना की उदारता
विनायकिया जाति की उत्पति संचेतों का कवित्त १-२-३-४ वर्तमान की दालिद्रता
सूरिजी के शासन में दीक्षायें वेद्यमेहता पाताजी जोधपुर महाजन संघ के पूर्व का समय
प्रतिष्टाएं समदड़ियामुता जोधपुर
संघादि ऐतिहासिक तथ्य की कसोटी
दुकाल में करोडों का दान ७॥ शाहाभों की नामावली
ओसवाल ज्ञातिका रासो श्रीमाल वंश की जातियाँ
तलाव कुवा वापियाँ " के पिता के नाम नामांकित श्रीमाली
वीरों की वीरता सतियों का सत , की जातियों , के नगर मोसवल भोपाल कर रासो
४४ आ० सिद्धसरिजी १३५० का समय भोसवालोत्पति के कविन
(वि. सं०-८९२-९५२) के कार्य
श्रेष्टि लुबो रोनी का पत्रपनड़
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