Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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कल्पसूत्र की सुघोषा घंटा अश्ववोध तीर्थ की स्थापना
दुबतिथि-बप्प-महिका पुत्र सूरपाल घर प्रज्ञापन्नासूत्र का परिचारणपद शुकन की का पूर्वभव
से निकल मीरा गयो सिद्धसूरी की भेट दाहाजा में विनोबहलों की गाडियों सुदर्शना राजपुत्री होकर
माता पिताकी आज्ञा से दीक्षा बप्पभष्ट राजकुमार अमरयश की मूली का चमत्कार | इस तीर्थ का उद्धार करवाया मुनि की प्रबल प्रज्ञाएक दिन में १००० एक वृक्ष के पुष्प से मनुष्य गधा बनजाय सम्राट सम्प्रति विक्रम के उद्धार श्लोक कण्ठस्थ करना चूर्ण का चमत्कार सरिजी गिरनार पर अंबा देवी
राजपुत्र भामकी भेट दःख में सहाय सजीव भग्नि का माहार कर सके । संतुष्ट हो सूरिजी गुटका प्रदान की १९. भाम को ग्वालियर का राज वृक्ष के फलों का चमत्कार जिससे मनचाहा काम कर सके
मुनि बप्पट्टि को बुलाना हस्ती पर बैठा योनि प्रभत प्रन्थ की अपूर्व विद्या भरोंच नगर अग्नि से भस्म होगया ।
कर नगर प्रवेश महोत्सव किया सुवर्ण एवं सरसप विद्या ११४५
सूरिजी ने गुटक से तीर्थोद्धार करवाया सूरिपद सिंहासन पर बैठना गजसिंह का काष्ट-मयूर
आचार्य वीरसूरि ११९८ | आमराजाने सुवर्ण मूर्ति और मन्दिर मदन चरित्र उडन खटोला . श्रीमालनगर शिवनाग पूर्णलता
ब्राह्मणों की ईर्षा सूरिजी का मान में मृगपशुग्रन्थतियंच की भाषा वीरनामका एक पुत्र सात स्त्रियां
सूरिजी अन्यत्र विहार कर दिया उपदेशप्रसाद का उदाहरण सत्यपुरी महावीर को हमेशा यात्रा
लक्षमणावती का राज धर्म ने सूरि का सोपर में विक्रमराजा सोमल
स्वागत कर अपने वही रखा राजा आम माताकामृत्यु एकर पत्नी को कोटिर द्रव्य सोमल की अद्भुत कला देकर आप निवृति विमलगणि अंग विद्या
का पाताप प्रधानों को ही क्योंराजा भार कोकास की हस्तकला जैन धर्मी देव बस में जीव दया राजा के द्वारा
स्वयं सूरिजी की बिनती को गया उज्जैन में विचार धवक राजा अष्टापद की यात्रा देवसहाय
एकगाथाका १०८ अर्थ सूरिजी ने किया चार रस्नों के चार काम देवतों के चावल ले आये संघ
राजाके साथसूरिजीग्वालयेरमें भाये पाटकी पुत्र का राजा उज्जैन पर
मगर प्रवेश का महोत्सव राजा को जैनधर्म की दीक्षा
१२.९ राजा का नाम काकजंध होजाना
आ. सिद्धसेन. वीमार बप्पमटि मोदेरामें एक राजपुत्र की जैन श्रमण दीक्षा कोकास भी उज्जैन में वीरसूरिका समय
पुनः राजा मामके पास भाये काष्ट के कबूतरों द्वारा धान
आचार्य वीरसुरि दूसरे १२०१
समस्याओं में सूरि का चमत्कार राजा से भेंट कोकास को मान
सरिजी और बौद्धाचार्य के शास्त्रार्थ भावहडा गच्छ के आचार्य वीरसरि काष्ट का गरूड विमान
विजय में राजा आम की वि. पाटण का सिद्धगजा की राजसभा में राजा राणी कोकास आकाश में
एकपाद की चार समस्याए की पूर्ति राजा का अहम् भाव सूरिजी के विहार का नगरों या तीर्थों की पहचान ११८८
बोद्धाचार्य जैन धर्म स्वीकार विचार दरवाजेपर पेहरा आकाशगमन राजा जैनधर्म छटाब्रत की मर्यादा
वानराज विद्वान भी जैनधर्म स्वी. से पाली जाना राजा का पश्चाताप कांचनपुर में राजाराणी कोकास केद
भ. नन्नसरि का राजसी ठाड आम ने देखा सूरिजी बोद्धपुर में बोद्धों की परास्त कोकास की कला से मुक्त
राजा आम नटनी से मोहित हो गया ग्वालियर का राजा चामर छत्र दिये पूर्व भाव-दोनों की दीक्षा ११९३
राजा आम का पूर्व भव नागपुर में सूरिजी पाटण के प्रधान कैवल्यज्ञान होकर मोक्ष में
सरिजी के शील की परीक्षा वैश्या द्वार चामर छत्र राजा को भेज दिये
राजगृह का किल्ला. भोज की नजर भाचार्य विजयसिंहसूरि ११९४ पुनः पाटण में पदार्पण
राजा आम जैनधर्म स्वीकार स्वर्ग में भरोंच नगर का प्राचीन इतिहास वादिसिंह नामका संख्यदर्शनी
सूरिजी का अनशन, स्वर्गवास ब्राह्मणों का यज्ञ ५९७ का बलीदान अभिमानी वीरसूरि द्वारा परास्त
दुदुक वैश्या गामी राजा की मृत्यु भश्व के लिए मुनि सु० पधारे कमलकीर्ति दिगम्बर की पराजय
कनौज का राज भोज करने लगा भपना तथा भश्व का पूर्व भव आचार्य बप्पभट्टिपरि १२०४ आम राज से भी भोज की विशेषता
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