Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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वि० सं० १७७-१९९ वर्ष ]
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
२५-सत्यपुर के चिंचट गौ० शाह खेमा ने , , , २६-भीनमाल के श्रीमाल शाह रामपाल ने , " "
२७- रामनगर के प्राग्वट शाह पारस ने , , , ___ इनके अलावा कई पुरुष और बहुत सी बहिनों ने भी सूरिजी की सेवा में दीक्षा लेकर अपना कल्याण किया था तथा आपके आज्ञावृति मुनियों ने भी बहुत से नर नारियों को दीक्षा देकर श्रमण संघ में वृद्धि की थी यह बात तो निर्विवाद सिद्ध है कि जिस गच्छ समुदाय में जितनी श्रमण संख्या अधिक है उतना ही धर्म प्रचार अधिक क्षेत्र में फैल जाता है ।
प्राचार्य श्री सिद्धसूरीश्वरजी महाराज तथा आप श्री के आज्ञा वृति साधुओं के उपदेश से कई महानुभावों ने तीर्थ यात्रा निमित बड़े बड़े संघ निकाल कर तीथों की यात्रा कर अनंत पुन्योपार्जन किया था पट्टावलियों में उल्लेख मिलता है कि :
१-चन्द्रवती से वाचनाचार्य शोभाग्यकीर्ति के उपदेश से प्राग्वट वंशीय धरण ने सिद्धाचलजी का संघ निकाला जिसमें धरण ने तीन लक्ष द्रव्य व्यय किया साधर्मी भाइयों को सोना मोहरों तथा वस्त्रादि की पेहरामणी दी।
२- उपकेशपुर से मुनि हेमतिलक के उपदेश से श्रेष्टि वऱ्या कर्मा ने तीर्थों के संध निकालकर पांचाल लक्ष द्रव्य व्यय किया तीन यज्ञ ( स्वामिवात्सल्य ) करके संघ को पेहरामणी दी।
३-मारोंटकोट से उपाध्याय मंगलकलस के उपदेश से चरडगौत्रीय शाह गुणराज ने श्री शत्रु जयादि तीर्थों का संघ निकाला। जिसमें नौ लक्ष द्रव्य खर्च किया संघ को पहरामणी दी।
४-सावत्थी नगरी से वाचनाचार्य देवप्रभ के उपदेश से संचेती गौत्रीय शाह रूपण ने श्रीसम्मेतशिखरजी का तीर्थ निकाल कर पूर्व देश की सब यात्रा की जिसमें शाह ने नौ लक्ष द्रव्य व्यय किया साधर्मी भाइयों को सोना मोहरों और सवासेर लड्डुओं की प्रभावना दी।
५-हंसावली से उपाध्याय निधानमूर्ति के उपदेश से भाद्रगोत्रीय शाह मधवा ने श्रीशत्रुजय का संघ निकाला जिसमें सवालक्ष द्रव्य व्यय किया:--
६-नागपुर से सूरिजी के उपदेश से आदित्य नागगौत्रीय शाह पीर जाला ने श्रीशत्रुजय गिरनारादि का संघ निकाला जिसमें तीन लक्ष द्रव्य व्यय किया । पांच यज्ञ ( जीमणवार ) कर पेहरामणी दी।
७-भीन्नमाल से वाचनाचार्य ज्ञान कलस के उपदेश से प्राग्व : वंशीयशाह सारंग ने श्री शत्रुजयादि तीर्थों का संघ निकाला साधर्मी भाइयों को सोना मुहर की पेहरावणी दी।
८-स्तम्भन नगर से उपाध्याय मेरूप्रभ के उपदेश से मंत्री गजा ने श्रीशत्रुजय का संघ निकाला साधर्मी भाइयों को पांच पांच सोना मुहरों की पेहरामणी दी । और तीन यज्ञ किये :
९--पद्मावती से सूरिजी के उपदेश से श्रीमाल श्रादू ने तीर्थों का संघ निकाला जिसमें पाँच लक्ष द्रव्य व्यय किया साधर्मी भाइयों को पेहरावणी दी।
१०- उज्जैन से उपाध्याय मेरुनन्दन के उपदेश से राव भारथ ने श्री शत्रुजय का संघ निकाला जिसमें एक लक्ष द्रव्य व्यय किया । सधर्मी भाइयों को पेहरामणी दी।
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