Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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आचार्य यक्षदेवसूरि का जीवन ]
[ ओसवाल संवत् ६१८-६३५
१.--- हदरा के प्राग्वटीय सारंग ने जैन दीक्षा ली ११-स्तम्मनपुर के श्रीमाल वंशीय सहजण ने १२-- कुलिया के श्रीमाल वंशीय रूपा ने , १३ -- वाजोणा के प्राग्वटीय नहार ने १४-हालोर के मलगौत्रीय लाडकने १५-वीरपुर के श्रेष्टिगौत्रीय मथु ने १६-नांदिया के सुचेति गौत्रीय नोषण ने १७-लापाणी के बलाहागौत्रीय कर्मा ने १८-शिवनगर के ब्राह्मण शंकर ने १९-सालीपुर के राव राजपूत क्षेत्रसिंह ने । २०-वनजोरा के श्रीष्टिगौत्रीय यशदेव ने २१-- तक्षिला के आदित्य नागगौ० जावड़ ने २२-माथांणी के तप्तभट्ट गौ० धर्मण ने । २३-मथुरा के ब्राह्मण पुरुषोत्तम ने २४--- अगरोहा के चिंचट गौत्रीथ लाधा ने २५-मुजपुर के कनोजिया गो. आमदेव ने २६ --विराट के लघुष्टि गौ०। वीरम ने २७ --- उज्जैन के कर्णाट गौ० खंगार ने , २८-चित्रकोट के श्रेष्टि गौत्रीय गोलु ने , २९-मेदनीपुर के आदित्यनाग गौ० माल्ला ने
मूरिजी के शासन में तीर्थों के संघ निकालने वाले १-उपफेशपुर से श्रेष्टिगौत्रीय शाह मुदा ने श्री शत्रुजय का संघ निकाला साधर्मी भाइयों को सोने का जनेऊ और वस्त्रों की पेहरामणि दी सात यज्ञ (जीमणवार स्वामिवात्सल्य ) किये।
२-मांडव्यपुर से डिडुगौत्रीय जाला करमण ने श्री शत्रुजयादि तीर्थों का संघ निकाला।
३-कुर्चपुर नगर से वलाह गौत्रीय मुदा ने श्री शत्रुञ्जय गिरनारादि तीयों का संघ निकाला शत्रुश्चय पर ध्वज महत्सव में एक लक्ष द्रव्य खर्च किया साधर्मा भाइयों को पांच सेर लड्ड में पांच पांच मुहरों की पेहरामणी दी तीन यज्ञ किये।
४-चन्द्रावती नगरी से प्राग्वट लाधा ने श्री सम्मेत शिखर तीर्थ का संघ निकाला साधर्मी भाइयों को सोना की थाली कटोरी की लेन दी और सात बड़ा यज्ञ किया जिसमें पुष्कल द्रव्य खर्च किया।।
५-पद्मवाती ( पुष्कर ) से मोरक्षगौत्रीय लाल्ला वाला ने श्री शत्रुजप का संघ निकाला एक सेर का लड्ड और एक एक सोना की मुहर तथा स्त्री पुरुषों के सब वस्त्रों की पेहरामण दी।
६- गरवाणी ग्राम से चरड़ गोत्रीय धरण ने श्रीशत्रुञ्जय तीर्थ का सघ निकाला तीर्थ पर ध्वज सूरीश्वरजी के हाथों से दीक्षा]
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