Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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" दीक्षाएं
११००
क्रियावाद
राव गोसल ने जैनस्व स्वीकार विवाह को केवल छ मास हुए भर्मवाद
वीर भूमि पर गोसलपुर नगर १०९४ | एक शय्या में ब्रह्मचर्य रावगेंदा ने जैनधर्म स्वीकार राव गोसल के चौदह पुत्र
दम्पति का सम्वाद सूरिजी का चतुर्मास शाकम्मरी अक्षय निधान भूमि से
काम भोग का फल शास्त्रों में डिड सालगने पांच लक्षव्यय ७६ | सूरिजी का चतुर्मास गोसलपुरमें दोनों की भावना दीक्षा की इतना द्रव्य कहाँ से प्रश्नका समा० पार्श्वनाथ मन्दिर की प्रतिष्ठा आचार्य श्री का पदार्पण उप० ११२ चलमाणे चलिये कर्म वि. १०७७ राव गोसल का संघ
करण की ३१ के साथ दीक्षा बिहार एवं पृथ्वी प्रदक्षिणा सीर्थ पर शुभ कार्य
चन्द्रशिखर नाम १४ वर्ष गुरुकुल भावुको नरनारियों को दीक्षा सूरिजी का तीर्थं पर ठहरना
सूरिपद एवं सिद्धसूरिनाम भस्मगृह का प्रभाव किस पर १०७९ | वीर संसानियों का मिलाप
शत्रुजय से भरोंच नगर में सूरिजी के शासन में १०८० - आपस में वार्तालाप उपदेश कोटाधिश मुकन्द सेठ पुत्र पीपासु ११
विकट समय को पार करना सूरिजी की सेवा में उपदेश , यात्रार्थ संघ
विहार पटना में चर्मास १०१९ | जैनधर्म के तस्वों का बोध पुष्कल द्रव्य व्यय का भी कारण दक्षिण में ११ दीक्षाएं
और जैनधर्म स्वीकार करना जैन तलाव नहीं खुदाने का समा ? तीन वर्षों के अन्दर २८ दीक्षा ब्राह्मणों की ईर्षाग्नि प्रज्विलत उदार जैनों के बनाये तलावादि ! मंत्री रघुवीर का सं
सूरिजी चन्द्रावती में वीर वीरांगण की देश सेवा भरोच में चतुर्मास
सेठ मुकन्द के पुत्र होने की खुशी ४०-आचार्यदेवगुप्तमरि (5)१०८५ अवंति में होते चितोड़ में चतु. उपकेशपुर का संघ सूरिजी के ६० दुर्गारांका ने नौलक्ष व्यय
उपकेगपुर में चतुर्मास धर्म प्रभाव ११२० (वि० सं०६८०-७२४) सात भावुकों की दीक्षा
मेदपाट चंदेरी मथुरा काशी नारदपुरी सुर्चति वीजो-बरजू मेदपाट से मरूधर में आये ११०२
पंजाब सिन्ध कच्छ सोराष्ट्र होते पुनड़ के प्रबल पुन्य नागपुर में चतुर्मास
हुए मरोंच नगर में पधारे सूरिजी का आगमन उपकेषापुर में पदार्पण
मुकन्द ने प्रवेश महो• नौलक्ष. ष्टिगोत्र देवल ने एकलक्ष कोटाधिया करण की दीक्षा ११०४
सम्मेतशिखर का संघ भाचार्य का व्याख्यान नारदपुरी में चतुर्मास
तीर्थ पर मुकन्द की दीक्षा २३ मनुष्य जन्म की दुर्लभता १.८८ सूरीश्वरजी के शासन में
आचार्यश्री के शासन में उदाहरण के तौर पर राजा
• मुमुक्षुओं की दीक्षाएं , भावुकों को दीक्षाएं पुनड़पर प्रभाव , मन्दिरों की प्रतिष्टाएं
, मन्दिर की प्रतिष्ठाए मूञ्छित माता का विलाप
तीर्थ यात्रार्थ संघनि
.. तीर्थों के संघ यात्रा सोलह नरनारियों के साथ पुनड़की दीक्षा
, वीर वीरांगणाएं का सत | , दुकाल, तलाव, वीरता सूरिपद देवगुप्तसूरिनाम १०९०
तलाब कुवा का
४२-आचार्य कक्कसरि (९) ११२८ सूरिजी चन्द्रावती में
, दुकाल में अन्न घास प्राग्वट रोड़ाकाबानार्थ संघ
(वि० सं०.७४-०३७) , उदारता का परिचय सरिजी सिन्ध में बिहार
यादुवंश अर्य भीम-सेणी जंगल में शेर बकरा का युद्ध
४१-आचार्य सिद्धसरि (८) ११०९ ,
४ाचा सिद्धार(८) ११०९ कजल की सगाई करदी घुड़सवारों का जंगल में आना
(वि० सं०७२४-७७४) गोसलपुर में सूरीश्वरजी मार्य नाम से सम्बोध करना उपकेशपुर-भदित्यनाग
व्याख्यान में ब्रह्मावत का उपदेश पूरिजी का उपदेश मंत्री अर्जुन का पुत्र करण
बिना भाज्ञा दीक्षा देने का प्रश्न
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