Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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वि० पू० १२ वर्ष ]
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
___इत्यादि कारणों से ही उन्होंने जैनधर्म का ठोस कार्य करने में सफलता प्राप्त की थी। आचार्य सिद्धसूरिने अपने दीर्घशासन में प्रत्येक प्रान्त में अनेक वार विहार कर जैन जनता को अपने उपदेशामृत का लाभ दिया था तथा लाखों मांस मदिरा सेवियों को जैनधर्म में दीक्षित कर उनका उद्धार कर जैन संख्या में आशातीत वृद्धि की थी। अन्त में सूरिजी महाराज ने उपकेशपुर पधार कर अपने योग्य शिष्य उपाध्याय गुणचन्द्र को उपकेशपुर के श्रीसंघ के महामहोत्सव पूर्वक सूरिपद से विभूषित कर दिया और अन्य योग्य मुनियों को भी पदवियाँ प्रदान कर उनके उत्साह में वृद्धि की।
प्राचार्य सिद्धसूरीश्वरजी ने उपकेशपुर की लुणाद्री पहाड़ी पर अनशनव्रत धारण कर अपना शेष आयुष्य पूर्ण समाधि में विताया और वि० सं०५२ में नवकार महामंत्र का ध्यान करते हुये स्वर्ग सिधाये।
पट्टावलियों वंशावलीयों और कई चरित्र ग्रंथों में बहुत से उल्लेख मिलते हैं । आपकी जानकारी के लिये कतिपय उदाहरण नमूने के तौर पर यहां बतला दिये जाते हैं।
१-आचार्य सिद्धसूरि के उपदेश से भद्रगोत्रिय शाह पेथा ने उपकेशपुर से श्रीशत्रुजयादि तीर्थों का संघ निकाला जिसमें सवालक्ष द्रव्य व्यय किया । स्वाधर्मी भाइयों का सत्कार पहरामणी दी ।
२-सूरिजी के उपदेश से माडव्यपुर के डिडूगोत्रिय शाह मलुक नेणसी ने श्री सम्मेतशिखरजी का विराट् संघ निकाला।
३. मेदनीपुरा के बलाह गोत्रिय शाह साहरण ने शत्रुजयादि तीर्थों का संघ निकाला जिसमें कई ३००० साधु साध्वीयां थीं।
४-पाली के नगर से तातेड़ गोत्रिय शाह जगमल ने शत्रुजयादि तीर्थों का संघ निकाला। ५-नागपुर के आदित्य नाग गोत्रिय शाह चतरा खेमा ने श्रीशत्रुजय का संघ निकाला।
६-कोरंटपुर के प्राग्वटवंशी रूपणसी ने श्री सम्मेतशिखरजी का विराट संघ निकाला जिसमें उसने नौ लक्ष द्रव्य व्यय किया ।
७-मालपुर के प्राग्वट मंत्री रणवीर ने श्री शत्रुजय का संघ निकाला जिसमें सोना मोहरों की लेन और पहरामणी दी।
८-चन्द्रावती के प्राग्वट शाह देपाल करमण ने श्री शत्रुजय गिरनार का संघ निकाला।
९-शिवपुरी के प्राग्वट नाथा भगा ने उपकेशपुर महावीर यात्रार्थ संघ निकाला जिसमें एक लक्ष द्रव्य व्यय किया।
१०--भीनमाल के श्रीमालवंशी शाह भासड़ ने शत्रुजय का संघ निकाला जिसमें तीन लक्ष द्रव्य व्यय किया।
११-सिंध शिवनगर से मंत्री कल्हण ने श्री शत्रुजय का संघ निकाला।
५२-सिंध अमरेल नगर से श्रेष्ठि गोत्रिय मंत्री यसोदेव ने श्री शत्रुजय का संघ निकाला। स्वा. धर्मियों को सोना मोहर की पहरावनी दी।
१३-कच्छ राजपुर से श्रीमाल वंशीय धन्नाशाह ने शत्रुजय का विराट संघ निकाला। १४- पंचाल के लोटाकोट से मंत्री हरदेव ने शत्रुजय का संघ निकाला। १५–मेदपाट आहेड़ नगर से मंत्री राजपाल ने शत्रुजय का संघ निकाला।
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