Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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आचार्य ककसूर का जीवन ]
भरुच्छ और उज्जैन के राजा बलमित्र भानुमिश्र का समय मगद के राजाओं के साथ जोड़ दिया जाता है पर बलमित्र भानुमित्र को कहीं परभी मगद के राजा होना नहीं लिखा है खैर यह भी ज्ञात नहीं होता है कि जिस समय मगद के राजा पुष्पमित्र का मृत्यु हुआ उसी समय भरुच्छ में बलमित्र भानुमित्र का राज प्रारम्भ हुआ है। इसका भी कहीं उल्लेख नहीं मिलता है ।
अब हम बल मित्र भानुमित्र की और देखते हैं कि इसके पूर्व भरुच्छ में किस राजा का राज था एवं बल० ago किस के उतराधिकारी थे। और मगद के साथ इनका क्या सम्बन्ध था ? कि मगद के राजाओं के साथ इनके राजत्व को जड़ दिया गया था इन बातों के लिये अभी तक कोई भी विश्वासनीय प्रमाण उपलब्ध नहीं है अतः जब तक इन उलझनों को सुलझाने वाला प्रमाण नहीं मिले वहां तक हम यहाँ पर मगद के राजाओं का ही समय जो उपरोक्त प्रमाणों से स्थिर होता हैं उसको ही यहां पर लिख देते हैं। राजाओं के नाम
वीर निर्वाण संवत्
६० वर्ष
१०० ११
२४ "
" - शिशु नाग वंशी : कोणिक, और उदाई का राज
२ - नन्द वंशी नोनन्दों का :- १६, २८, ३, २, २, २, २, २, ४३
५
६
७
र्यवंशी चन्द्रगुप्त का राज
" विन्दुसार का राज
22
"
21
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"2
[ओसवाल संव
अशोक का राज
सम्प्रति का राज ( कुन्नाल, दशरथ इसके शामिल है )
शालीशुक से - वृहद्रथ तक ४ राजा
" इति मौर्यवंशी राजाओं का समय निर्णय "
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२५, ४१ "
५४ "
१९,
३२३
योयोगविद्यया मृत्यु ज्ञात्वा सिद्धाचलंनगम् गत्वाऽनशनात्तत्र, जहौदेहं समाधिना ॥ नेदुदुन्दुभयःरखेच ननृतुश्चाप्सरेगणाः प्रोचुर्जयतदादेवा गुनौतस्मिन देवंगतं ॥ तत्पट्टे श्रीदेवगुप्त सूरयगुणभूरयः, जज्ञिरेयद्यशः शौक्ल्य दूषितोऽगान्नभः शशी ॥ देवगुप्तस्ततः सूरिर्देशं पाञ्चालकं गतः संबोध्यसिद्धपुत्रंच स्वीयंशिष्य चकारसः ॥
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" उपकेशगक्छ चरित्र"
११२
३११
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