Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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ओसवालों का आदर्श २०७
ओसवालों की जातियां
ओसवालों का स्थान वालों का धर्म
ओसवालों के धर्म गुरु
ओसवालो के धर्म कार्ये
ओसवालों की परोपकारिता
ओसवालों की पंचायतियां
ओसवालों के पर्व दिन
ओसवालों का सम्मेलन ओसवालों की आवार शुद्धि ओसवालों की वीरता
ओसवालों का पदाधिकारी ओसवालों की दान मर्यादा ओसवालों की व्यवशाय ओसवालों की बोहरगतो ओसवालों का व्यापारिक क्षेत्र
ओसवालों के विवाह सादी भोसवालों की गृह देवियां ओसवालों की पोशाक
ओसवालों की भाषा
ओसवालों का महत्व भोसवालों का गोधनपालन rearer की मैत्रीक भावना ओसवालों के याचक ओसवाला के गौत्र जातियां
६ आचार्य यक्षदेव सूरि २१३
( वि० यू० ३८६-३४२ ) सूरिजी के कार्य - उपदेश सूरिजी कोरंटपुर में
पूर्व प्रांत की यात्रा सूरिजी पुनः मरूधर में सिन्ध की ओर बिहार कष्ट कठनाइयां घुड़सवारों से भेट
अहिंसा का उपदेश
शिव नगर में सूरिजी विहार का प्रमाण
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सूरिझी का व्याख्यात
मिक्षा की आमन्त्रण
आपस का संवाद मुनियों के तपस्या का प्रभाव दूसरे दिन का व्याख्यान
शिवनगर में सूरिचतुर्मास
जैन मन्दिर की प्रतिष्ठा
२२० | राजकुँवर की दीक्षा २२३
धर्म की तुलना परीक्षा
राव रूद्राट की प्रार्थना सच्चायिका मातुलादेवी
राजा प्रजा ने जैनधर्म स्वी. २२८ उपकेशपुर में स्वर्गवास
राजा व राजकुँवर की दीक्षा
मुनि कक्क की प्रतिज्ञा
पुत्र
सिंध से शत्रु जय का सब मुनि कक्क को सूरि पद सूरिजी का स्वर्गवास शत्रुंजय पर स्तूप निर्माण राव उत्पल देव के पांच कोरंटाचार्य कनकप्रभसूरि आपके पट्टधर सोमप्रसूरि शय्यंभव सूरि का शेष हाल ८ - आचार्य कक्कसूरि २३२ (वि० पू० ३४२ से २८८ ) कक्कसूरि का कुल वंश
दीक्षा और सूरि पद
शिव नगर में पदार्पण
उपदेश का प्रभाव चतुर्मास शिव नगर में आत्मभावन और बिहार का वि० २३२ देवी मातुला की प्रेरणा बिहार और कठनाइयों
२१६ राजकुँवर की रक्षा प० भद्रावती में सूरिजी का प०
२१९ उपदेश का प्रभाव राजा प्रजा को जैन धर्म की०
रास्ता की भ्रांति देवी का मन्दिर २३४ राजकुमार की बाकी - संवाद जंगली लोगों को उपदेश
२३५
छ से जय का संघ देवगुप्त को सूरि पद
ककसूर कोरंटपुर में
सोमप्रभसूर की भेंट
कपुर में संघ सभा
उपदेश का जबर प्रभाव
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सूरिजी का कोरंट में चातुर्मास
२३८
39
२२१
प्रमाण और समय का नि०
१३० |[६] आचार्य संभूति विजय
आचार्य भद्रबाहु स्वामी २४२
भद्रबाहु वराहमिहिर का प्रश्न भद्रबाहु चन्द्रगुप्त का प्रश्न इनके लिये प्रमाण दिगम्बरों की मान्यताहरिषेण का बृहत्कथा कोष चन्द्रगिरी का शिशालेख uise वस्ती का शिला लेख अंग पन्नति का उल्लेख श्वेताम्बर शास्त्रों के प्रमाण भद्रबाहु और चन्द्रगुप्तका स० आचार्य हेमचन्द्र सूरि का०
तीन भद्रबाहु का पृ० समय भद्रबाहु द्वारा १६ स्वपनेके ० पाटलीपुत्र में संघ सभा एकादशांग की संकलना भद्रबाहु को नेपाल से बुलाना स्थलिभद्र को १० पूर्व का ज्ञान २५० भद्रबाहु का पाटलिपुत्र में भामा २३८ स्थलिभद्र को ७ बहिनों
मुनि सिंह का रूप बनाना reature और छेदसूत्र २० साध्वियों के हिये वि० नियम
[५] आचार्य यशोभद्रसूरि २४१
मुनि अग्नि दक्ष के प्रश्न सूरि द्वारा भविष्यवाणी
आगम व जिनप्रतिमा की हीलना
२४३
२४४
२४६
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