Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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बलिरसह गच्छ और ४ शाखा ३५० जैन मन्दिर-तीर्थ
| कल्की-अवतार की कल्पना उदेह गच्छ के ६ कुल और • शाखा / विप्र. पतित समझाजाय
स्वामि घातक पुष्पमित्र चारण गच्छ के कुल ४ शाखा विधर्मियों का अत्याचार
पुष्पमित्र का अत्याचार उहुवाटिका गाछ के ३ कुल शाखा जैनों की मान्यता
नन्दों के स्तूप चुदाना बेश वाटिका गच्छ के ४ कुल ४ शाखा हेमवन्त थेरावली
निर्ग्रन्थों व भिक्षुओं को हत्या मानव गच्छ के ३ कुल ४ शाखा प. क. वि. म. का अनुवाद
पु० मुनि हत नाम कोटिक गच्छ के ४ कुल ४ शाखा शोभनराय कलिंग पति
कल्की की कल्पना दोनों सूरियों का समय चण्डराज व नन्दराजा
जैन व बौद्धों के ग्रन्थ भार्य महागिरि की पट्टावली भिखुराय खारवेल
वैदान्तियों के ग्रन्थ १२-श्रीयक्षदेवमूरि ३५२ कलिंग में जैन सभा
जैन व पोद्ध साधुओं के शिर काट लाने (वि. पू. १८२ से १३६) दृष्टिवाद की व्यवस्था
वाले को प्रत्येक मस्तक की १०० दीनार मंत्री धर्मसेन निग्रन्थों के ग्रन्थों.
तित्थोगलि पहना कल्की-विस्तार सौलह स्त्रियां और कोरि द्रव्य का
इतिहास में कर्णिका स्थान १६३ खारवेल की मगध पर चढ़ाई त्याग कर तीर्थ पर दीक्षा पुराणों में कलिंग
पुष्प मित्र को सजा स्याग, वैराग्य व तपस्या कलिंग का व्यापार
१३-आचार्य कक्क-सूरि ३८७ तीर्थ पर सूरि पद-प्रदान कलिंग का राजवंश
(वि. पू० १३६-७९) सूरिजी का पूर्व में विहार
कलिंग का शिलालेख १६१ उपकेशपुर का राज पुत्र पशवादी एवं बौद्धों का पराजय ९९ वर्ष की शोध खोज
लाखण की दीक्षा पाश्वं मूर्ति और उपासना ३.५ मूल लेख व हिन्दी अनुवाद ३१६ शास्त्रार्थ में विजय देवी का भागमन और प्रार्थना समाट-खारवेल का जन्म ३१९ | कठोर तप-लब्धियाँ मरुधर पधारने से लाभ
चन्द्रावती का राजा त्रि. राव खेतसी का स्वम
चन्द्रावती में संघ सभा सूरिजी उपकेशपुर में मूषीक दश विजय
मुनि भार्याए की संख्या उपदेश का प्रभाव
भोजक और राष्ट्रीय विजय कोरंटाचार्य सोमप्रभसूरि रावजी की पुत्र के साथ दीक्षा खारवेल का विवाह
प्रत्येक प्रान्त में विहार जैन धर्म का उद्योत
खारवेल के राज्य का विस्तार ३७. उपकेशपुर का राजा जैत्रसिंह सूरिजी का स्वर्गवास सिकन्दर के बाद भारत पर
महावीर मूर्ति की दो गांठे ३०९ व्यापारियों के दुःख मिटाना धृद्धों की सख्त मनाई कुल गण शाखा और शिष्य परिवार घूसी की बाल्यावस्था
टाकी लगाने से रक्त धारा भार्य प्रियग्रन्थ का जीवन मगधपति पुष्पमित्र का अत्याचार
कक्क सूरि का भाना खारवेक चक्रवर्ती राजा हर्षपुर का वर्णन
देवी की भाराधना मगध पर आक्रमण
शान्ति स्नान पूजा पज्ञ का प्रारम्भ व सूरिजी का उपदेश दान धर्म और देश हित
अठारह गोत्र के स्नात्रिए कलिंग का इतिहास ३५७
तोसली कलिंग की राजधानी भासल का घ जैन शास्त्रों में कलिंग
खण्डगिरी पहादी की गुफा ३७६ आबू पर सूरिका स्वर्गवास खण्डगिरि उदयगिरि उदयगिरि की गुफाएं
१४-आचार्य देवगुप्त-सरि कुमार कुमारी तीर्थ मञ्चीपुरी की गुफा व शिलालेख
(वि. पू. ७९-१३) ३९६ शत्रुजय गिरनार-भवतार छोटी बड़ी सेकड़ों गुफाएं
सरिजीका उप० व्याख्यान
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, राज्याभिषेक देश विजय
३९.
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