Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
View full book text
________________
५
६
भूतकाल
पुष्करार्द्ध पूर्व भरत क्षेत्र
२४
१ श्रीमदगन
२ मूर्तिस्वामी
३ निरागजिन
४
प्रलबिंत
पृथ्वीपति
चारित्रनिधी
अपराजित
८
९
बुधेश
१० वैतालिक
११ त्रिमुष्टिक
१२ मुनिबोध
१३
१४
तीर्थस्वामी
१५
चमेश
१६ समाधि
१७
प्रभुनाथ
१८ अनादि
१९
सर्वतीर्थ
२०
निरुपम
२१ कुमारिक २२ विहार प्र
२३ धणेसर
२४ विकास
वर्तमान ०
२५
जगन्नाथ
प्रभास
सरस्वामी
भरतेश
धर्मानन
विध्यात
Jain Education International
अवसानक
प्रबोधक
तपोनाथ
पाठक
त्रिकर
शोगत
श्रीवशा
प्रसाद
विपरीत
भविष्य ०
मृगांक
कफाहिक
गजेन्द्र
ध्यानज्ञ
२६
धर्माधिक श्रीस्वामी
कर्मे
कमोंतिकं
अमलेद
दर्दुरिंक
ध्यजाशिक प्रबोध
अभयाकं
प्रमोद
दफारिक
व्रतस्वामी
निधाम
त्रिर्कमर्क
बसंतध्वंज
त्रिमातुल
अघटित
त्रिखमंम
अचल
प्रनादिक
भूमानद
त्रिनयन
सिद्धांत
पृथग
भद्रेग
गोस्वामी
प्रवासिक
मंडलोक
महावसु
उदियतु
भूतकाल
२७
पद्मचन्द्र
रक्तविक
अयोगिक
सर्वार्थ
ऋषिनाथ
हरिभद्र
गणाधिय
पारत्रिक
ब्रह्मनाथ
मुनि
दीपक
राजर्षि
विशाख
अचिंतित
रविस्वामी
सोमदत
जय स्वामी
मोक्षनाथ
अग्निभानू
धनुष्का गं
रोमान्चित
मुक्तिनाथ
प्रसिद्ध
जिनेश
पुष्करार्द्ध पश्चिम भरत क्षेत्र
वर्तमान०
२.८
For Private & Personal Use Only
पद्मपद
प्रभावक
योगेश्वर
बलनाथ
सुषभाग
बलातीत
मृगांक
कलत्रक
ब्रह्मनाथ
निषेधक
पापहर
सुस्वामी
मुक्तिचन्द्र
अप्रासिक
नदीतक
मलधारी
सुसम
मलय सिंह
અક્ષોમ
देवधर
प्रयच्छ
आगमीक
विनीत
रतानंद
भविष्य ०
२९
प्रभावक
विनयेन्द्र
सुभाव
दिनकर
अगस्तेय
धनद
पोरव
जिनदत्त
पार्श्वनाथ
मुनसिंह
आस्तिक
भवानंद
नृपनाथ
नारायण
प्राथकाकं
भूपति
ट
भवभीरुक
नंदननाथ
भार्गव
--
६ -- पार्श्वनाथ के १० भब १ - मरुभूति २- - हस्ती ३ – सहस्रर ४ - करणवेग विद्याधर ५प्रच्युतदेव ६ - वज्रनाथ ७ - मैवेगदेव ८ - सुवर्णवेग राजा ९ - प्रणितदेव १०
श्री पार्श्वनाथ जिन ।
प्ररानस्यु
किल्विषा
नवनाशिक
भरतेश
७ - श्रीमहावीर के २७भव १ - नयसार २ -- सौधर्मदेव ३ - मरीची ४ - ब्रह्मदेव ५ कौशीकतापस ३ - सौधर्मदेव ७ - पुष्पमित्र तापस ८ - सौधर्मदेव ९- अग्निद्योततापस १० - ईशान देव ११ - श्रग्निभूति
www.jainelibrary.org