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प्रवचन-माता
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अध्ययन २४ : श्लोक २६,२७
एताः पंच समितयः चरणस्य च प्रवर्तने। गुप्तयो निवर्तने उक्ताः अशुभार्थेभ्यः सर्वशः ।।
ये पांच समितियां चारित्र की प्रवृत्ति के लिए हैं और तीन गुप्तियां सब अशुभ विषयों से निवृत्ति करने के लिए हैं।३
२६.एयाओ पंच समिईओ
चरणस्स य पवत्तणे। गुत्ती नियत्तणे वुत्ता
असुभत्थेसु सव्वसो।। २७.एया पवयणमाया
जे सम्म आयरे मुणी। से खिप्पं सव्वसंसारा विप्पमुच्चई पंडिए।।
एताः प्रवचनमातः यः सम्यगाचरेन्मुनिः। स क्षिप्रं सर्वसंसारात् विप्रमुच्यते पण्डितः।।
जो पण्डित मुनि इस प्रवचन-माताओं का सम्यक् आचरण करता है, वह शीघ्र ही भव-परंपरा से मुक्त हो जाता है।
–त्ति बेमि।
-इति ब्रवीमि।
—ऐसा मैं कहता हूं।
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