Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 695
________________ उत्तरज्झयणाणि खवित्तु कम्मं गइमुत्तम गमा खवेइ तवसा भिक्खू खवेइ नाणावरणं खणेणं खवेत्ता पुव्वकम्माई खहयरा या बोद्धव्वा खाइत्ता पाणियं पाउं खाइमसाइमं परेसि लधुं खाए समिद्धे सुरलोगरम्मे खाणी अणत्थाण उ कामभोगा खामेमि ते महाभाग ! खाविओ मि समसाई खिप्पं न सक्केइ विवेगमेउं खिप्पं निक्खमसू दिया खिष्पं मयविवड्ढणं खिष्पं संपणामए खिप्पं से सव्वसंसारा खिप्पं हवइ सुचोइए खिप्पमागम्म सो तहिं खीरदहिसप्पिमाई खीरपूरसमप्पभा खीररसो खंडसक्कररसो वा खीरे घयं तेल्ल महातिलेसु बुड्डेहिं सह संसग्गिं खुद्दो साहसिओ नरो खुरधाराहिं विवाइओ खुरेहिं तिक्खधारेहिं खेडे कोणत खेत्तं हिं धणधन्नं च सव्वं खेत्तं वत्युं हिरण्णं च खेत्ताणि अम्हं विइयाणि लोए खेमं च सिवं अणुत्तरं खेमं सिवं अणाबाहं खेमं सिवमणाबाह खेमेण आगए चंप खेलं सिंघाणजल्लियं खेल्लंति जहा व दासेहिं खेवियं पासबद्धेणं ग गइप्पहाणं च तिलोयविस्सुयं गइलक्खणो उ धम्मो गई तत्थ न विज्जई गई सरणमुत्तमं गठिए य तक्करे गठियसत्ताईय गंडवच्छासु ऽणेगचित्तासु गंडीमयसणप्पया गंतव्वमवसस्स ते Jain Education International ११-३१ गंतव्वमवसस्स मे ३०- १ ३२- १०८ २८-३६ ३६ - १७१ १६ ८१ १५-१२ 98-9 १४-१३ २०-५६ १६-६६ ४-१० २५-३८ १६-७ २३- १७ ३१-२१ १–४४ गंधमल्लविलेवणं गंधवासाण पिस्समाणाणं गंधस्स घाणं गहणं वयंति गंधाणुगासाणुगए य जीवे गंधाणुरत्तस्स नरस्स एवं गंधाणुवाएण परिग्गहेण गंधारेसु य नग्गई गंधे अतित्तस्स परिग्गेह य १८- ६ गंधे अतित्ते य परिग्गहे य ३०-२६ गंधे अतित्तो दुहिओ अणिस्सो ३४-६ गंधे विरत्तो मणुओ विसोगो ३४-१५ गंधेसु जो गिद्धिमुवेइ तिव्वं १४ - १८ गंभीरे सुसमाहिए १-६ गच्छई उ परं भवं ३४-२१,२४ गच्छई मिगचारिय गच्छंति अवसा तमं १६-५६ १६-६२ गच्छंतो सो दुही होई ३०-१६ गच्छंतो सो सुही होई १३-२४ ३-१७;१६-१६ १२-१३ १०-३५ २३- ८३ २३- ८० २१-५ २४-१५ ८- १८ १६- ५२ ६५४ १६-१६ ३६- २८ ३६-२७ गंधओ जे भवे दुब्भी गंधओ जे भवे सुब्भी गंधओ परिणया जे उ ३६-१७ गंधओ फासओ चेव ३६-२६ से ३३ गंधओ रसओ चैव ३६-३४ से ४६ गंधओ रसफासओ ३६-८३,६१,१०५, ११६ १२५, १३५, १४४,१५४, १६६, १७८, १८७, १६४, २०३,२४७ २०-२६ ३४- १७ ३२- ४६ ३२- ५३ ६-२८ ३३-१७ ८- १८ गच्छ क्खलाहि किमिहं ठिओसि गच्छ पुत ! जहासुहं गच्छसि मग्गं विसोहिया गच्छामि राय ! आमंतिओ सि गच्छे जक्खसलोगयं गत्तभूसणमिट्टं च गद्दभालिस्स भगवओ गद्दभाली ममायरिया गब्भवक्कतिया जे उ गब्भवक्कंतिया तहा गमणे आवस्सियं कुज्जा गयण चउब्भागसावसेसंमि गयमाइ सीहमाइणो ३२-५८ ३२- ५४ १८- ४५ ३१-५६ ३२- ५५ ३२-५७ १२-७ १६- ८५ १०-३२ १३-३३ ५- २४ १६- १३ १८- १६ १८- २२ ३६- १६६ ३६ - १७०, १६५ परिशिष्ट १ : पदानुक्रम गवासं मणिकुंडलं गवेसणाए गहणे य For Private & Personal Use Only महा तारागणा तहा गहिओ लग्गो वद्धो य गाढा य विवाग कम्मुणो गाणंगणिए दुब्भूए गामगए नगरे व संजए गामाणुगामं रीयंतं गामाणुगामं रीयंते गामे अणियओ चरे गामे नगरे तह रायहाणि गामे वा नगरे वावि गायं नो परिसिंचेज्जा गारत्था संजमुत्तरा गारत्थेहि य सव्वेहिं ३२ ६० गाहासोलसएहिं ३२-५० २७-१७ १८- १७ १६ -८१ गिद्धो सि आरंभपरिग्गहेसु गिरिं रेवययं जंती ७-१० १६-१८, १६ १६- २०,२१ गिरिं नहेहिं खणह गिलाणो परितप्पई ? गिहंसि न रई लभे गिहकम्मसमारंभे गारवेसु कसाएसु गाहग्गहीए महिसे वरन्ने गाहाणुगीया नरसंघमज्झे गाहा य मगरा तहा गिज्झ वारि जलुत्तमं गिण्हंतो निक्खवंतो य गिद्धोवमे उ नच्चाणं गिहत्थाणं अणेगाओ गिहवासं परिच्चज्ज गिहवासे वि सुव्वए गिहिणो ज पव्वइएण दिटठा गिहिनिसेज्जं च वाहेइ गिहिलिंगे तहेव य गुणवंताण ताइणं गुणाणं तु महाभरो गुणाणं तु सहस्साइं ६-५ २४-११ ३६-२०८ १६-६५ १०-४ १७-१७ १०-३६ २-१४ गुणाणमासओ दव्वं गुणाहियं वा गुणओ समं वा गुणुत्तरधरो मुणी २३-३,७३२५-२ ६-१६ ३०-१६ २-१८ २-६ ५-२० ५-२० १६-६१ २६-५ १६-६७ २८-६ गयासं भग्गगत्तेहिं २३-६६ गरहं नाभिगच्छई २३-६८ गुत्ती नियत्तणे वृत्ता २६-२० ३६- १८० १६- ६१ १-४२ गरहणयाए णं भंते! जीवे किं २६ सू. ८ गुत्तीहि गुत्तस्स जिइंदियस्स गरुया लहुया तहा ३६-१६ गुरुओ लोहभारो व्व गलिगद्दहे चइत्ताणं २७-१७ गुरुं वंदित्तु सज्झायं गलियस्सं व वाहए गलेहिं मगरजालेहिं १८-१२ गवलरिट्ठग सन्निभा ३६-१८० १-३७ गुरुपरिभावए निच्च १६-६४ गुरुभत्तिभावसुस्सूसा ३०-३२ ३४-४ गुरुसाहम्मियसुस्सूसणयाए णं भंते! २६ सू. ५ ३२-७६ १३-१२ ३६-१७२ ३१-१३ २३-५१ २४-१३ १४-४७ १३-३३ २२-३३ १२-२६ ५-११ १४-२१ ३५-८ २३-१६ ३५-२ ५-२४ १५-१० १७-१६ ३६-४६ २३-१० १६-३५ १६-२४ २८-६ ३२-५ १२-१ २४-२६ १२-१७ १६-३५ २६-२१ 919-90 www.jainelibrary.org

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