Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 714
________________ उत्तरज्झयणाणि माहणेण परिच्चत्तं माहणो य पुरोहिओ माहिंदम्मि जहन्नेणं मा हु भंते! मुसं वए मा हू तुमं सोयरियाण संभरे मिंउं पि चंडं पकरेंति सीसा मिउ मद्दवसंपन्ने मिए छुभित्ता हयगओ मिओ वा अवसो अहं मिगचारियं चरित्ताणं मिगचारियं चरिस्सामि मिगव्वं उवणिग्गए मिच्छत्तनिसेवए जणे मिच्छदिट्टी अणारिए मिच्छाकारो य निंदाए मिच्छा दंडो पजुंजई मिच्छादंसणरत्ता मिच्छादिट्ठी अणारिया मित्तनाईपरिवृद्धो मित्तवं नायवं होइ मित्ता य तह बंधवा मियं कालेण भक्खए मियचारियं चरिस्सामि मियाइ पुत्तस्स निसम्म भासिय मिया कालिंजरे नगे मिया तस्सग्गमाहिसी मियापुणे जहारिसी मियापुत्ते ति विस्सुए मियापुते महि मिहिलं सपुरजणवयं मिहिलाए चेइए वच्छे मिहिलाए डज्झमाणीए ६७३ १४-३८ मुसुंढी य हलिद्दा य १४- ५३ मुहपोत्तियं पडिलेहित्ता ३६-२२५ मुहरी निक्कसिज्जई २०- १५ मुहुं मुहुं मोहगुणे जयंतं १४-३३ मुहुत्तहियाइं च उक्कोसा १- १३ २७-१७ १८- ३ १६-६३ १६ - ८१,८२ १६ ८४ मूलियं ते अइच्छिया मूलियं ते पवेसंति मेत्तिं भूएसु कप्पए १८-१ मेत्तिज्जमाणो भयई मेत्तिज्जमाणो वमइ १०- १६ ३४-२५ मेयन्ने किं पभासई ? २६-६ मेरओ य महूणि य ६-३० ३६-२५७, २५६ १८- २७ २०-११ ३-१८ स १८- १४ मोक्खाभिकंखिस्सवि माणवस्स १-३२ मोक्खाभिकंखी अभिजायसड्डा १६ -८५ मोणं चरिस्सामि समिच्च धम्मं १६-६७ मोणं विराहेत्तु असाहुरूवे मोसं अदत्तं च असेवमाणा मोसं अदत्तं च परिग्गहं च मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य Jain Education International १३-६ १६- १ १६-६६ १६-२ T मिहोक कुणइ जणवयकहं वा मुक्कपासो लहुलूओ मुक्को मि विसभक्खणं मुग्गरेहिं मुसंढीहिं मुच्चइ कारओ जणो मुच्चई छविपव्वाओ मुच्चेज्ज कयाइ सव्वदुक्खाणं ८-८ मुणी आसि विसारए २७-१ मुणी चरे लाढे निच्चमायगुत्ते १५-३ मुणी विगयसंगामो ६-२२ मुत्तीए णं भंते ! जीवे किं... २६ सू० ४८ २-४५ मुसं ते एवमाहंसु मुसं न वयई जो उ मुस परिहरे भ मुसाभासा निरत्थिया मुसावायविवज्जणं २६-२६ २३- ४०, ४१ २३-४६ १६-६१ ६-३० ५-२४ मुहुत्तद्धं तु जहन्ना मूलं घेत्तूण निग्गया मूलच्छेएण जीवाणं १६ - ८ मोहं कओ एत्ति उ विप्पलावो ६-४ मोहंगयस्स संतस्स ६-६ मोहं च तण्हाययणं वयंति €-98 मोहं च भिक्खू सययं वियक्खणो मोहं वा कसिणं नियच्छई मोहाणे व य मोहणिज्जं पि दुविहं मोहणिज्जस्स उक्कोसा मोहणिज्जस्स दंसणे मोहाणिला पज्जलणाहिएणं मोहो हओ जस्स न होइ तण्हा य १८- २६ १६-२६ मेरु व्व वाएण अकंपमाणो मेहुणाओ सुसंवुडो मोक्खं गओ अणुत्तरं मोक्खमग्गगई तच्च य सम्मत्तसद्दहणा ३६-६६ २६-२३ १-४ 8-99 ३४-५४ ३४-३४ से ३६, ४६ ७-१४ ७-१६ ७-२१ ७-१६ रययहारसंकासा ६-२ रयाइं खेवेज्ज पुरेकडाई रसओ अंबिले जे उ 99-99 ११-७ १८- २३ १६-७० २१-१६ २-४२ १८- ३६ २८-१ २३-३३ ३२-१६ १४-६ १५-१ २०-४६ १२-४१ १२-१४ ३२-३१,४४ ५७,७०,८३,६६ १-२४ २५- २३ रई नोवलभामहं रइयाए जहक्कमं रक्खमाणी तयं वए रक्खसा किन्नराय किंपुरिसा २८-२८ परिशिष्ट १ : पदानुक्रम रक्खेज्ज कोहं विणएज्ज माणं रज्जं तु गुणस रज्जतो संजमम्मि य १६-१३ २२- १२ For Private & Personal Use Only रत्तिं पि चउरो भागे रन्नो तहिं कोसलियस्स धूयो रमए अज्जवयणमि रमए पंडिए सासं रमेज्जा संजमे मुणी रयणाभ सक्कराभा रसओ कडुए जे उ रसओ कसाए जे उ रसओ तित्तए जे उ १३-३३ १६-७ ३२-६ २१-१६ १५-६ ३१-१६ ३३-८ ३३-२१ रसो उ काउए नायव्वो १४-१० ३३-६ रसो उ किण्हाए नायव्वो रसो उ तेउए नायव्वो ३२-८ रसो उ नीलाए नायव्वो रसो उ सुक्काए नायव्वो रहनेमी अहं भद्दे ! रहनेमी भग्गचित्तो रहाणीए तहेव य रसओ परिणया जे उ रसओ फासओ चेव रसओ फासओ तहा रसओ महुरए जे उ रसंतो कंदुकुंभीसु रसं न किंचि अवरज्झई से रसगिद्धेण जंतुणा रसगिद्धे न सिया भिक्खाए रसस्स जिन्भं गहणं वयंति रमाणुगासाणुगए य जीवे रसाणुरत्तस्स नरस्स एवं रसाणुवाएण परिग्गहेण रसा पगामं न निसेवियव्वा रसे अतित्ते य परिग्गहे य रसे अतित्तो दुहिओ अणिस्सो रसे अतित्तस्स परिग्गहे य रसेण वण्णेण य भुज्जमाणा रहियं थीजणेण य रहे कल्लाण भासई २२-४० रहे भासइ पावगं ३६ - २०७ राइणो तम्मि संजए रसे फासे तहेव य रसे विरत्तो मणुओ विसोगो रसेसु जो गिद्धिमुवेइ तिव्वं रसे नागुज्झेि ४-१२ १८-४६ १६- ६ २६-१७ १२-२० २५-२० ३६-१५६ ३४-६ २१-१८ ३६-३२ ३६-३० ३६-३१ ३६-२६ ३६-१८ ३६-२२ से २८ ३६-१५ ३६-३३ १६- ५१ ३२-६४ १८-७ ८-११ ३२-६२ ३२-६६ ३२-७१ ३२-६७ ३२-१० १-३७ ३६- २४६ ३२-६८ ३२-७० ३२-६६ ३२-२० १६-१० ३२-७३ ३२-६३ २-३६ ३४-१२ ३४-१० ३४-१३ ३४-११ ३४-१५ २२-३७ २२-३४ १८-२ १६-१ ११-१२ ११-८ २०-५ www.jainelibrary.org

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