Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 725
________________ उत्तरज्झयणाणि ६८४ परिशिष्ट २: उपमा और दृष्टान्त १६६५ १६६६ १६६७ १६८६ १९८७ १९६२ २०.२० २०।२१ २०१४२ २०१४२ ३४१५ * 1४२ ३४।५ upur- 222 सउणो विव वढईहिं दुमो विव कुमारेहिं अयं पिव महानागो व्य कंचुर्य रेणुयं व पडे लग्गं वासीचंदणकप्पो सत्थं जहा परमतिक्खं इंदासणिसमा पोल्ले व मुट्ठी जह से असारे अयंतिए कूडकहावणे वा राढामणी वेरुलियप्पगासे विसं तु पीयं जह कालकूडं सत्थं जह कुग्गहीयं वेयाल इव अग्गी विवा कुररी विवा विहग इव देवो दोगुंदओ जहा सीहो व सद्देण न संतसेज्जा संगामसीसे इव नागराया मेरु ब्व सूरिए वंतलिक्खे समुदं व विज्जुसोयामणिप्पभा सिरे चूडामणी जहा भमरसन्निभे मा कुले गंधणा होमो वायाविद्धो ब्व हढो अंकुसेण जहा नागो चंदसूरसमप्पभा जहा चंदं गहाईया भासच्छन्ना इवग्गिणो अग्गी वा महिओ जहा जहा पोमं जले जायं, नोवलिप्पइ वारिणा खलुका जारिसा जोज्जा रायवेळिं मन्नता जायपक्खा जहा हंसा जारिसा मम सीसाउ, तारिसा गलिगद्दहा उदए व्च तेल्लबिंदू ओहरियभारो व्व भारवे जहा सूई ससुत्ता जहा महातलायस्स सन्निरुद्धे जलागमे जहा य अंडप्पभवा बलागा, अंडं बलागप्पभवं जहा य दुमं जहा साउफलं व पक्खी पराइओ वाहिरिवोसहेहिं जहा महासागरमुत्तरित्ता नई भवे अवि गंगासमाणा जहा वा पयंगे २०४४ २०.४४ २०॥४४ २०१४७ २०५० २०१६० २१७ २१११४ २१११७ २१११६ २११२३ २१।२४ २२७ २२।१० २२।३० २२१४३ २२१४४ २२१४६ २३।१८ २५ ॥१७ २५।१८ २५११६ २५२६ २७८ २७११३ २७।१४ २७११६ २८२ २६१२ २६५६ ३०५ ३०१६ ३२।१० ३२।१२ ३२११८ ३२।२४ जलेण वा पोक्खरिणीपलासं ३२३४,४७,६०,७३,८६,६६ हरिणमिगे व मुद्धे ३२।३७ ओसहिगंधगिद्धे सप्पे बिलाओ विव ३२१५० बडिसविभिन्नकाए मच्छे जहा ३२।६३ सीयजलावसन्ने गाहग्गहीए महिसे वरन्ने ३२७६ करेणुमग्गावहिए व नागे ३२१८६ जीमूयनिद्धसंकासा ३४।४ गवलरिट्ठगसन्निभा ३४।४ खंजणंजणनयणनिभा ३४४ नीलासोगसंकासा चासपिच्छसमप्पभा ३४१५ वेरुलियनिद्धसंकासा अयसीपुष्फसंकासा कोइलच्छदसन्निभा पारेवयगीवनिभा हिंगुलुयधाउसंकासा तरुणाइच्चसन्निभा सुयतुंडपईवनिभा हरियालभेयसंकासा हलिद्दाभेयसन्निभा सणासणकुसुमनिभा संखककुंदसंकासा खीरपरसमप्पभा ३४६ रययहारसंकासा। ३४ दृष्टान्त कुत्ती का दृष्टान्त। सूअर का दृष्टान्त। चोर का दृष्टान्त। ४३ गाडीवान् का दृष्टान्त। ५।१४,१५ उरभ्र का दृष्टान्त। ७१-१० कागिणी और आम्र का दृष्टान्त। ७।११,१२ तीन वणिकों का दृष्टान्त। ७।१४-१६ कुशाग्र बिन्दु का दृष्टान्त। ७२३ द्रुमपत्र का दृष्टान्त। १०१ कुशाग्र बिन्दु का दृष्टान्त। १०२ शंख का दृष्टान्त। १११५ दवाग्नि का दृष्टान्त। १४।४२,४५ पक्षी का दृष्टान्त। १४।४४,४६ पाथेय का दृष्टान्त। १६१८-२१ जलते हुए घर का दृष्टान्त। १६।२२,२३ मृग का दृष्टान्त। १६७७-८३ गोपाल का दृष्टान्त। २२।४५ मिट्टी के गोले का दृष्टान्त। २५१४०,४१ दवाग्नि का दृष्टान्त। ३२१११ बिडाल का दृष्टान्त। ३२।१३ किंपाक फल का दृष्टान्त। ३२२० Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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