Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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उत्तरज्झयणाणि
६७८
परिशिष्ट १: पदानुक्रम
६-२
सत्तविहं नवविहं वा ३३-११ १०१,११२,१२१,१३१,१४०,१५०,१५६, समिई गुत्ती तहेव य
२४-१ सत्तहा परिकित्तिया ३६-१५७ १७४,१८३,१६०,२१८ समिईसु किरियासू य
३१-७ सत्तावीसइविहेक्कसीओ वा ३४-२० सपरिसो पंजली होउं
२५-१३ समिईहि मज्झं सुसमाहियस्स १२-१७ सत्तू मित्तेसु वा जगे १६-२५ सपाहेओ पवज्जई १६-२० समिए गुत्ते य गुत्तिहिं
३४-३१ सत्तू य इइ के वुत्ते?
२३-३७ स पुज्जसत्थे सुविणीयसंसए १-४७ समिक्ख पंडिए तम्हा सत्तेव उ सागरोवमा
३६-१६३ स पुव्यमेवं न लभेज्ज पच्छा ४-६ समिच्च लोयं समया महेसी ४-१० सत्तेव सहस्साई ३६-८८ सप्पे बिलाओ विव निक्खंमते ३२-५० समिद्धा कामरूविणो
५-२७ सत्तेव सागरा ऊ ३६-१६२ सफला जंति राइओ १४-२५ समुदाय तयं तं तु
२५-३४ सत्तोवसत्तो न उवेइ तुर्हि ३२-२६,४२, सब्भावपच्चक्खाणेणं भंते! जीवे...२६स०४२ समुद्घमि पसवई
२१-४ ५५,६८,८१,६४ सब्भावे उवएसणं
२८-१५ समुद्दगंभीरसमा दुरासया
११-३१ सत्थं जहा परमतिक्खं २-२० सद्भितरबाहिरओ १६-८८ समुद्दपालित्ति नामए
२१-४ सत्थग्गहणं विसभक्खणं च ३६-२६७ समएणेगेण उ सिज्झई उ ३६-५४ समुद्दपाले अपुणागमं गए
२१-२४ सत्थे संवट्टकोट्टे य ३०-१७ समएणेगेण सिज्झई ३६-५१,५२ समुद्दपालो इणमब्बवी
२१-८ सदावरीय गुम्मी य ३६-१३८ समए वि संतई पप्प
३६-६ समुद्दम्मि जलम्मि य
३६-५० स देवगंधव्वमणुस्सपूइए १-४८ समए समयखेत्तिए ३६-७ समुद्दविजए नामं
२२-३ सदेसमह पत्थिओ २१-३ समं च संथवं थीहिं १६-३ समुद्दविजयंगओ
२२-३६ सधयार उज्जोओ २८-१२ समं हिच्चा महापहं
५-१४ समुद्देण समं मिणे
७-२३ सद्दस्स सोयं गहणं वयंति २२-३६ समचउरंसो झसोयरो
२२-६ समुयाणं उछमेसिज्जा
३५-१६ सद्दहइ जिणाभिहियं २८-२७ समणं संजय दंतं २-२७ समुवट्ठियं तहिं संतं
२५-६ सद्दहणा पुणरावि दुल्लहा १०-१६ समणा भविस्सामु गुणोहधारी १४-१७ समे अज्झसिरे यावि
२४-१७ सद्दाइया तावइयप्पगारा ३२-१०६ समणा मु एगे वयमाणा
-७ समो निंदापसंसासु
१६-६० सद्दाणुगासाणुगए य जीवे ३२-४० समणो अहं संजओ बंभयारी १२-६ समो य जो तेसु स वीयरागो ३२-२२,३५, सद्दाणुरत्तस्स नरस्स एवं ३२-४५ समयं गोयम ! मा पमायए १०-१ से ३६
४८,६१,७४,८७ सद्दाणुवाएण परिग्गहेण ३२-४१ समयं संजए भंजे
१-३५ समो य सव्वभूएसु
१६-८६ सद्दा विविहा भवंति लोए १५-१४ समयाए समणो होइ
२५-३० सम्बुक्कावट्टाययगंतुं
३०-१६ सद्दे अतित्तस्स परिग्गहे य ३२-४३ समया सव्वभूएस
१६-२५ सम्मं नो फासयई पमाया २०-३६ सद्दे अतित्ते य परिग्गहे य ३२-४२ समरेव महामुणी
२-१० सम्म जयइ संजमे
३६-१ सद्दे अतित्ते समुवेइ मच्छं ३२-३७ समरेसु अगारेसु
१-२६ सम्म जाणामि अप्पगं
१५-२७ सद्दे अतित्तो दुहिओ अणिस्सो ३२-४४ समलेटुकंचणे भिक्खू
३५-१३ सम्म धम्म वियाणित्ता
१४-५० सद्दे विरत्तो मणुओ विसोगो ३२-४७ समाइपणाई जक्खेहि
५-२६ सम्मं नो पडितप्पड़ सद्दे रूवे य गंधे य १६-१० समागमे कयमई २३-१४ सम्म भावेत्तु अप्पयं
१९-६४ सद्देसु जो गिद्धमुवेइ तिव्वं ३२-३७ समागया तं इसि तालयंति १२-१६ सम्मं संपडिवज्जई
२३-१६ सद्धाखमं णे विणइत्तु रागं १४-२८ समागया दो वि चित्तसंभूया
१३-३ सम्म सुद्धेण चेयसा
१५-३२ सद्धा परमदुल्लहा ३-६ समागया बहू तत्थ २३-१६ सम्मग्गं तु जिणक्खायं
२३-६३ सद्धं नगरं किच्चा
९-२० समागया सव्वजणेण अम्हे १२-३३ सम्मग्गं समुवट्ठिया सनियाणा कण्हलेसमोगाढा ३६-२५६ समागया सव्वजणेण तुब्भे १२-२८ सम्मत्तं चेव मिच्छत्तं
३३-६ सनियाणा हु हिंसगा ३६-२५७ समाययंती अमइं गहाय
४-२ सम्मत्तं तं वियाहियं
२८-१५ सन्नाइपिंडं जेमेइ १७-१६ समारुओ नोवसमं उवेइ ३२-११ सम्मत्तचरित्ताई
२८-२६ सन्नाणनाणोवगए महेसी २१-२३ समावन्नाण संसारे
३-२ सम्मइंसणरत्ता
३६-२५८ सन्निरुद्धंमि आउए ७-२४ समावन्नो नराहिवो १८-१८ सम्मद्दमाणे पाणाणि
१७-६ सन्निरुद्धा य अच्छहि? २२-१६ समासासेंति अप्पयं
६-६ सम्मामिच्छत्तमेव य सन्निरुद्धे जलागमे ३०-५ समासेण वियाहिओ ३०-२६ सम्मुच्छिमतिरिक्खाओ
३६-१७० सन्निरुद्धे सुदुक्खिए २२-१४ समासेण वियाहिया २४-३,१६; सयं गेहं परिचज्ज
१७-१८ सन्निवेसे समायघोसे य
३०-१७
२६-५२,३६-४७,१०६ सयं च अठुत्तर तिरयलोए ३६-५४ सन्निहिं च न कुब्वेज्जा ६-१५ समासेण वियाहियं ३०-१४; ३३-१५ सयणं परियणं चेव
२२-३२ सन्निहीसंचओ चेव
१६-३० समाहिउप्पायगा य गुणगाही ३६-२६२ सयणा तहा कामगुणा पगामा १४-१६ सपज्जवसिए वि य ३६-६ समाहिं पडिसंधए
२७-१ सयणासणठाणे वा
३०-३६ सपज्जवसिया वि य ३६-१२,७६,८७, समाहिकामे समणे तवस्सी ३२-४,२१ सयणासणपाणभोयणं
१५-११
१७-५
२३-८६
३३-६
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