Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 684
________________ पद अइगया बारगापुरिं अइतिक्खकंटगाइण्णे अइमायं पाणभेयणं अइयाओ नराहियो अउलं सुहं संपत्ता अउला मे अच्छिवेयणा अउला हवइ वेयणा अउलो रूयविम्हओ अ अंकुसेण जहा नागो अंके फलिहे य लोहियक्खे य अंगपच्चंगसंठाणं Jain Education International स्थल अंतीमुत्तमर्द्ध अंतो लयणस्स सा ठिया अंतो सिद्धाण आहियं अंतोयियसंभूषा अंधयारे तमे घोरे पद २२-२७ अंधिया पोत्तिया चेव अंसुपुण्णेहिं नयणेहिं अकडं नो कडेत्तिय १९६-५२ १६-१२ अकम्मकम्मभूमा य २०-५६ अकलेवरसेणिमुस्सिया अकसाओ जिइंदिओ ३६-६६ २०-१६ अकसायं अहखायं २-३५ अकाममरणं चैव २०-५ अकाममरणं मरई २२-४६ अकाममरणाणि चैव य बहूणि ३६-७५ अकामा जंति दोग्गई १६-४ अकारिणोत्थ बज्झंति अकालं च विवज्जित्ता अकालिय पावइ से विणासं अंगविज्जं च जे पउंजति अंगवियारं सरस्स विजयं अंगुलं सत्तरत्तेणं अंगेण बाहिरेण व अंडं बलागप्पभवं जहा य अंतमुत्तम्मि गए अंतमसेस वेव अंतरं तेसिमं भवे अंतरद्दीवया तहा अंतराए य कम्मम्मि अंतरायं तहेव य अंतरेयं वियाहियं अंतेउरवरगओ वरे भोए अंतमहुतं जहन्नगं अंतमुत्तं जहन्न ३६-८१,८२,६०,१०३ १०४, ११४, ११५, १२३, १२४, १३३, १३४, १४२, १४३,१५२, १५३, १६८, १७७, १८६, १८६३,२०२,२४६ अंतीमुतं जहन्निया ३३-१६,२१,२२; ३६-८०,८८, ८६, ११३, १२२, १३२, १४१, १५१,१७५,१७६,१८४, १८५, १६१, १६२, २००,२०१ ३४-४५ अग्गिहोत्तमुहा वेया अगुणिस्स नत्थि मोक्खो अग्गिवण्णाई गसो २२- ३३ अग्गी चिट्ठइ गोयमा अग्गी य इइ के वुत्ता अग्गी वा महिओ जहा अग्गी विवव सव्वभक्खी भवित्ता ८-१३ १५-७ २६-१४ २८-२१ ३२-६ अकिरियं परिवज्जए ३४-६० ३४-६० ३६-१८६, १६३,२०२ ३६- १६६ ३३-२० ३३-३ ३६-१४,१३४,१४३,१५३ परिशिष्ट १ पदानुक्रम ६-३ ३६-१०२ ३३-१७ २३-४५ २३-७५ स्थल ३६-१४६ २०-२८ 9-99 ३६-१६६ १०-३५ अचिरेणेव कालेण ३०-३ अचेलगस्स लूहस्स २८-३३ ५-२ ५-१६ ३६-२६१ ६-५३ ६-३० १- ३१ ३२-२४, ३७, ५०,६३,७६, ८६ १४-४१ अकिंचणा उज्जुकडा निरामिसा अकुक्कुओ तत्थहियासएज्जा अकुक्कुओ निसीएज्जा अकोहणे सच्चरए अक्कोसवहं विइत्तु धीरे अक्कोसा दुक्खसेज्जा य अक्कोसा य वहा य में अक्कोसेज्ज परो भिक्खु अक्खाया मारणंतिया ५-२ अक्खाहि णे संजय! जक्खपूइया ! १२-४० अक्खे भग्गंमि सोयई अक्खे भग्गे व सोयई ५-१४ अगणि व पक्खंद पयंगसेणा अगारवो य निस्सल्लो अगारिं च वियाणिया अगारिसामाइयंगाई ५-१५ १२- २७ ३०-३ ७-२२ ५-२३ २८-३० १६-६६ २५-१६ पद अचक्किया केणइ दुष्पहंसया अचयंतो तहिं दिओ अचिंतणं चेव अकित्तणं च अचिरकालकयंमि य १८-३३ अच्छंतं रुक्खमूलम्मि २१-१८ अच्छिले माहए अच्छि रोडए २- २० अच्छेरगमव्भुदए ११५ अजहन्नमणुक्कोसा अजाणगा जण्णवाई अजीवदेसमागासे १५-३ १६- ३१ १- ३८ २-२४ अजीवाण य रूविणं अजीवाण य रूवीण अजीवा दुबिहा भवे अजीवा दुविहा विय अज्जवयाए णं भंते !..... अज्जाई कम्माई करेहि राय ! अज्जुणसुवण्णगमई अज्जेव धम्मं पडिवज्जयामो अज्जेवाहं न लब्भामि For Private & Personal Use Only अचेलगो ये जो धम्मो अच्चणं रयणं चेव अच्चतकालस्स समूलगस्स अच्चतनियाणखमा अच्चंतपरमो आसी अच्चि जाला तहेव य अच्चुयम्मि जहन्नेणं अच्चेइ कालो तूरंति राइओ अच्चेमु ते महाभाग ! अच्छणे उवसंपदा अज्झत्थं सव्वओ सव्यं अज्झत्थहेउं निययस्स बंधो अज्झप्पज्झाणजोगेहिं अज्झवसाणम्मि सोहणे २३-५० अज्झायाणं पडिकूलभासी २३-५२ अज्झावयाणं वयणं सुणेत्ता अज्झावया वा सह खंडिएहिं २०-४७ अट्टरुद्दाणि वज्जिता २५-१६ स्थल ११-३१ २५-१३ ३२-१५ २४-१७ १४-५२ २-३४ २३-१३-२६ ३५-१८ ३२-१ १८- ५२ २०-५ ३६-१०६ ३६-२३३ १३-३१ १२-३४ २६-७ १६-७८ ३६-१४८ ६-५१ ३६-२४४ २५-१८ ३६-२ ३६-१३ ३६-१४ ३६-४ ३६- २४८ २६ सू० ४६ १३-३२ ३६-६० १४-२८ २-३१ ६-६ १४-१६ १६-६३ १६-७ १२-१६ १२-१६ १२-१८ ३०-३५; ३४-३१ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770