Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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उत्तरज्झयणाणि
अरो य अरयं पत्तो
अलंकिओ वाणलंकिओ वा वि
अलसा माइवाहया
अलाभो तं न तज्जए अलोए पडिहया सिद्धा
अलोए से विहाहिए
आलोय मुहानीवी अलोले न रसे गिद्धे अल्तीमा सुसमाहिया
अवउज्झइ पायकंबलं
अवउज्झिऊण माहणरूवं
अवउज्झिय मित्तबंधवं
अवचियमंससोणियं अवसेसं भंडगं गिज्झा अवसो लोहरहे जुत्तो अवसोहिय कंटगापहं अवहेडिय पिट्टिसउत्तमंगे अवि एवं विणस्सउ अन्नपाण
अविज्जमाया अहीरिया य अविणीए अबहुस्सुए अविगीए सि दुष्पई अविणीए बच्चई सो उ अवि पावपरिक्खेवी अवि मित्ते कुप्पई अवि लाभो सुए सिया अविवच्चासा तहेव य अविसारओ पवयणे अव्वक्खित्तेण चेयसा अव्वग्गमणे असंपहिले असई तु मणुस्सेहि असई दुक्खभयाणि य असंखकालमुक्को
असंखभागं च उक्कोसा असंखभागो पलियस्स
असंखयं जीविय मा पमायए असंखिज्जाणोसप्पिणीण
असंखेज्जइमो भवे असंजए संजयमन्नमाणे असंजए संजयलप्पमाणे असंजमे नियत्तिं च असंते कामे पत्थेसि असंविभागी अचियत्ते असंसत्तं हित्थेसु असंसत्तो गिहत्थेहिं
असणे अणसणे तहा असमाणो परे भिक्खू असमाहिं च वेएइ
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१८-४० असावज्जं मियं काले
३०-२२
३६-१२८
२-३१
३६-५६
३६-२
२५-२७ ३५-१७
२३-६
१७-६
६-५५
६४६
असारं अवउज्झइ असासए सरीरम्मि असासयं दट्टु इमं विहार असासयावासमिणं असिणेह सिणेहकरेहिं
असिधारागमणं चैव
असिपत्तं महावणं
असिपत्तेहिं पडतेहिं
असिप्पजीवी अगिहे अमित्ते
१०-३०
२५-२१ असुई असुइसंभवं २६-३५ असुभत्थेसु सव्वसो
१६- ५६
१०-३२
१२-२६
१२-१६
अस्साया वेइया भए अस्सा हत्थी मणुस्सा मे
३४-२३
११-२
अस्सि लोए परत्थ य
१-३, ११-६ अस्से य इइ के बुत्ते ? अह अहिं ठाणेहिं
११-६
११-८
११-८
२-३१
२६-२८
२८-२६
१८-५०; २०१७ १५-३
६-३०
१६ ४५ ३६-१३. ८१, ८६, १०४, ११४, १२३ ३४,४१,४२,५३ ३६-१६२
3-9 ३४-३३ ३६-१६१
१७-६
२०-४३
३१-२
६-५३ ११-६; १७-११
असीलाणं च जा गई
असीहि अयसिवण्णाहिं
असुरा तहिं तं जणं तालयंति असुरा नागसुवण्णा अस्सकण्णी य वोद्रव्या
अह अन्नया कयाई
अह आसगओ राया
अह ऊसिएण छत्तेण
अहं च भोयरायस्स
अहं तु अग्गि सेवामि अहं पि जाणामि जहेह अह कालंमि संपत्ते अह केसरम्मि उज्जाणे अह चउदसहि ठाणेहिं अह जाणासि तो भण अह जे भिक् अह तत्थ अइच्छंतं
अह तायगो तत्थ मुणीण तेसिं
अह तेणेव लेणं अह ते तत्थ सीसाणं अह दारए तहिं जाए
अह निक्खमई उ चित्ताहिं
अह पंचहि ठाणेहिं
अह पच्छा उइज्जति अह पत्तंमि आएसे अह पन्नरसहि ठाणेहिं २५-२७ अह पालियस्स धरणो २-१६ अह भवे पइन्ना उ १६-६२ अहमासी महापाणे अह मोणेण सो भगवं अहम्मं कुणमाणस्स
२-१६
२७-३
साहू !
२४-१०
अहम्मं पडिवज्जिया
१६-२२
अहम्मे अत्तपन्नहा
१६- १३ अहम्मे तस्स देसे य
अहम्मो ठाणलक्खणो
अह राया तत्थ सभंतो
१४-७
१६-१२
८-२
१६-३७
१६-६०
१६-६०
१५-१६
५-१२
१६-५५
१६-१२
२४-२६
१२-२५
परिशिष्ट १ : पदानुक्रम
अहवा तइयाए पोरिसीए अहवा सपरिकम्मा अह संति सुव्वया साहू
अह सा भमरसन्निभे
अह सारही तओ भणइ
अह सारही विचिंतेइ
अह सा रायवरकन्ना अह से तत्थ अणगारे अह से सुगंधम
अह सो तत्थ निर्ज्जतो
३६-२०६
अह सो वि रायपुत्तो
३६-६६ अहस्सिरे सया दंते
१६-४७
२०-१३
१-१५
२३-५७
११-४
२१-८
१८- ६
२२- ११ २२-४३
अहो ! अज्जस्स सोमया
२-७ १३-२७
अहो उट्टिए अहोरायं
५-३२ अहो ! खंती अहो ! मुत्ती
१८-४ अहो ! ते अज्जवं साहु
११-६
२५-१२ २- २५ १६-५
१४-८ २३-५ २५-४
अहाउयं पालइत्ता अन्तो० अहाह जणओ तीसे अहिंस सच्चं च अतेणगं च अहिज्ज वेए परिविस्स विप्पे अहिवेगंतदिट्टीए
अहीणपंचिंदियत्तं पि से लहे अहीणपंचिंदियया हु दुल्लहा
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अह्रुणोववन्नसंकासा
अहे वयइ कोहेणं
अहो ! ते उत्तमा खेती अहो ! ते निज्जिओ कोहो अहो ! ते निरक्किया माया अहो ! ते माणो पराजियो अहो ! ते मुत्ति उत्तमा अहो ! ते लोभो वसीकओ
२३-१४ अहो ! ते साहु मद्दवं
२१-४
अहोत्था बिउलो दाहो
२२-२३
११-३
२-४१
अहो ! दुक्खो हु संसारो
अहो ! भोगे असंगया
अहो य राओ परितप्यमाणे अहो ! वण्णो अहो ! रूवं ११-१० अहोसुभाण कम्माणं
७-३
२१-४
२३-३३ १८- २८ १८- ६
१४- २४ आइच्चमि समुट्ठिए
५-१५,७-२८
१७-१२
३६-५
२८-६
१८-७
३०-२१
३०-१३
८-६
२२-३०
२२-१७
२७-१५
२२-७,४०
(आ
आइए निक्खिवेज्जा वा
आइक्ख णे संजय ! जक्खपूइया
२५-५
२२-२४
२२-१४
२२-३६
११-४
२६ सू० ७३ २२-८ २१-१२
१४-६
१६-३८
१०-१८
१०-१७
५-२७
६-५४
२०-६
१८-३१
२०-६
६-५७
६-५७
६-५६
६-५६
६-५६
६-५७
६-५६
६-५७
२०-१६
१६- १५
२०-६
१४-१४
२०-६
२१-६
२४-१४
| १२-४५ २६-८
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