Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Uttarajjhayanani Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 686
________________ उत्तरज्झयणाणि अन्नं पाणं च पहाणं च अन्नं वावि तहाविह अन्नदत्तहरे तेणे अन्नप्पमत्ते धणमेसमाणे अन्नमन्नमणूरत्ता अन्नमन्नवसाणुगा अन्नमन्नहिएसिणो अन्नमन्नेण जा विणा अन्नयरवयत्थो वा अन्नयरेणं व वत्थेणं अन्नलिंगे दसेव य अन्नस अट्ठा इहमागओ मि अन्माएसी अलोए अन्नाणं च महामुणी ! अन्नाणं जस्स अवगयं होइ अन्नाणमोहस्स विवज्जणाए अन्नायएसी परिव्वए जे स भिक्खू अन्निओ रायसहस्से हिं अन्नेण विसेसेणं १८-४३ ३०-२३ ३२-१०३ १४-४२ २३-२८, ३४, ३६, ४४,४६,५४,५६,६४,६६,७४,७६ ३६-८ ३६-१२,६५,७६,८७ १०१,११२, १२१,१३१,१४०, १५०, १५६, १७४, १३, १६०, १६६,२१८ २६-२२ ७-११ अन्ने य एयप्पभवे विसेसे अन्ने सत्ता पमोयंति अन्नो वि संसओ मज्झं अपज्जवसिया चेव अपज्जवसिया वि य अपडिक्कमित्ता कालस्स अपत्थं अंबगं भोच्चा अपरिकम्मा य आहिया अपाहेओ पवज्जई अप्पं चाहिक्खिवई अप्पं वा जइ वा बहुहुं अप्पकम्मे अवेयणे अप्पच्चक्खाय पावगं अप्पडिपूयए थद्धे अप्पडिबद्धयाए णं भंते ! अप्पडिरूवे अहाउयं अप्पsिहयबले जोहे अप्पणट्ठा परट्ठा वा अप्पणा अणाहो संतो अप्पणा वि अणाहो सि अप्पणा सच्चमेसेज्जा अप्पणी य परस्स य अप्पणो य परेसिं च अप्पणो वसहिं वए अप्पपाणेप्पबीयंमि अप्पमज्जियमारुहइ Jain Education International २०-२६ २४-१५ ७-५ १४-१४ १३-५ १३-५ अप्पा कत्ता विकत्ता य १३-५ अप्पा कामदुहाणू १३-७ अप्पा चेव दमेयव्वो ३०-२२ अप्पाणं तारइस्सामि ३०-२२ अप्पाणं पि न कोवए ३६-५२ १२-६ अप्पाणं संलिहे मुणी अप्पाणं संवरे तहिं अप्पाणमेव अप्पाणं २-३६ १८- २३ अप्पाणमेव जुज्झाहि २८-२० ३२-२ 94-9 ३०-१३ १६-१८ 99-99 २५-२४ १६-२१ ६-८ १७-५ २६ सृ० ३१ ३-१६ ११-२१ १- २५ २०-१२ अप्पमत्तो पत्तेहिं अप्पमत्तो परिव्वए २०-१२ ६-२ २०-३५ १८- २६ १४-४८ १-३५ १७-७ ६४५ अपपव्वइएण व संथुया हविज्जा अप्पसत्थाओ वज्जित्ता अप्पसत्थेहिं दारेहिं अप्पाणरक्खी चरमप्पमत्तो अप्पा दंतो सही होइ अप्पा नई वेयरणी अप्पा मित्तममित्तं च अप्पा मे अवसीयई अप्पा मे कूडसामली अप्पा मे नंदणं वणं अप्पायंके महापन्ने अप्पा हु खलु दुद्दमो अप्पाहेओ पवज्जई अप्पियं पि न विज्जए अप्पियस्सावि मित्तस्स अप्पिया देवकामाणं अप्पुट्ठाई निरुट्टाई अप्फोवमंडवम्मि अफला जंति राइओ अबंभचारिणो बाला अबले जह भारवाइए अबालं चेव पंडिए अबालं सेवए मुणि अवीया सत्थकुसला अवोर्हेतो असंजए अम्भपडल ऽभवालुय अब्माहयंमि लोगंमि अब्भितरं तवं एत्तो अभुट्ठाणं अंजलिकरणं अब्भुट्ठाणं गुरुपूया अभुट्ठाणं नवमं अब्भुट्टियं रायरिसिं अभओ पत्थिवा ! तुब्भं अभयदाया भवाहि य अभिओगं भावणं कुणई अभिक्खणं उल्लवई अभिक्खणं कोही हवइ ६-१६ अभिगमवित्थाररुई ६-१२ अभिग्गहा य जे अन्ने अभिजाए जसोबले १५-१० ३४-६१ १६-६३ अभितुर पारं गमित्तए २०- ३७ अभिभूय परीसहे २०-३६ १-४० ३६ - २५० २२-३६ ६-३५ १-१५ अभिवंदिऊण सिरसा अभिवंदित्ता सिरसा १६- २३ अभिवायणमब्भुट्ठाणं अभू जिणा अस्थि जिणा अभोगी नोवलिप्पई अभोगी विप्पमुच्चई अमला असंकिलिट्टा २०-३६ २०-३७ ६-३५ अमहग्घए होइ य जाणएसु ४-१० अमाई अकुऊहले १-१५ परिशिष्ट १ : पदानुक्रम ३-१८ १-१५ १६- १८ ६-१५ ११-१२ ३-१५ १-३० 95-4 १४-२४ अभिणिक्खमई नमी राया २७-१५ २०-३६ अमोहाहिं पडतीहिं २०-३६ १२-५ १०-३३ ७-३० ११-२ ११-७ For Private & Personal Use Only अमाणुसासु जोणीसु अमुत्तभावा वि य होइ निच्चो अमोहणे होइ निरंतराए अमोहा रयणी वृत्ता अम्बिला महुरा तहा अम्मताय ! मए भोगा अम्मापिऊण दइए अम्मापिऊहिं अणुन्नाओ अम्मापियरं उवागम्म अयतंबतउयसीसग अय व्व आगयाएसे २०-२२ अयसीपुप्फसंकासा ७-३० २६-४४ ३६ - ७४ १४- २१ ३०-२६ अरई अणुप्पविसे अरई गंडं विसूइया ३०-३२ अरए य तवो कम्मे २६-७ अरण्णे मियपक्खिणं ? २६-४ अरहा नायपुत्ते अरहा लोगपूइओ ६-६ १८-११ अरिट्टणेमिं वंदित्ता १८-११ अरिहा आलोयणं सोउं ३६-२६४ अरूविणो जीवघणा अरूवी दसहा भवे अरूवी दसहा वृत्ता अयंतिए कूड कहावणे वा अयं दंतेहिं खायह अयं साहसिओ भीमो अयंसि लोए अमयं व पूइए अयंसि लोए अमयं व पूइए अयंसि लोए विसमेव गरहिए अयकक्करभोई य अरई पिट्टओ किच्चा अरइरइसहे पहीणसंथवे २८-१६ ३०-२५ ३-१८. ६-२ . १०-३४ २-१८ ३६-२६० २०-४२ ११-१०; ३४-२७ ३-६ १४-१६ ३२-१०६ १४-२३ १४-२१ २०-५६ २३-८६ २-३८ २-४५ २५-३६ २५-३६ ३६-१८ १६-११ १६-२ १६-८४ १६-६ २०-४२ १२-२६ २३-५५ १७-२१ १७-२१ १७-२० ७-७ ३६-७३ 19-E ३४-६ २-१५ २१-२१ २-१४ १०-२७ १७-१५ १६-७६ ६-१७ २३-१ २२-२७ ३६-२६२ ३६-६६ ३६-६ ३६-४ www.jainelibrary.org

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