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चरण-विधि
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अध्ययन ३१ : श्लोक १७ टि० ३१
आचारांग, समवायांग तथा प्रश्न व्याकरण में उनका वर्णन है। उनके क्रम तथा नामों में भेद हैं। जैसे
आचारचूला (२।१५) के अनुसार समवायांग (समवाय २५) के अनुसार प्रश्नव्याकरण (संवरद्वार) के अनुसार
(1) अहिंसा महाव्रत की भावनाएं (१) ईर्या-समिति ईर्या-समिति
ईर्या-समिति (२) मन-परिज्ञा मनो-गुप्ति
अपाप-मन (मन-समिति) (३) वचन-परिज्ञा वचन-गुप्ति
अपाप-वचन (वचन-समिति) (४) आदान-निक्षेप समिति आलोक-भाजन-भोजन
एषणा-समिति (५) आलोकित-पान भोजन आदान-भांडामत्र-निक्षेपणा-समिति
आदान-निक्षेप-समिति (2) सत्य महाव्रत की भावनाएं (६) अनुवीचि-भाषण
अनुवीचि-भाषणता--विचार पूर्वक बोलना। (७) क्रोध-प्रत्याख्यान
क्रोध-विवेक-क्रोध का प्रत्याख्यान क्रोध-प्रत्याख्यान (८) लोभ-प्रत्याख्यान लोभ-विवेक-लोभ का त्याग
लोभ-प्रत्याख्यान (६) अभय (भय-प्रत्याख्यान) भय-विवेक--भय का त्याग
अभय-(भय-प्रत्याख्यान) (१०) हास्य-प्रत्याख्यान हास्य-विवेक हास्य का त्याग
हास्य-प्रत्याख्यान (3) अचौर्य महाव्रत की भावनाएं (११) अनुवीचि-मितावग्रह-याचन अवग्रहानुज्ञापना
विविक्त-वास-वसति (१२) अनुज्ञापित-पान-भोजन अवग्रहसीमा परिज्ञान
अभीक्ष्ण-अवग्रह-याचन (१३) अवग्रह का अवधारण स्वयं ही अवग्रह की अनुग्रहणता
शय्या-समिति (१४) अभीक्ष्ण-अवग्रह-याचन साधर्मिकों के अवग्रह की याचना
साधारण-पिण्ड-पात्र लाभ तथा परिभोग (१५) साधर्मिक के पास से साधारण भोजन का आचार्य
विनय-प्रयोग अवग्रह-याचन
आदि को बता कर परिभोग करना
ब्रह्मचर्य महाव्रत की भावनाएं (१६) स्त्रियों में कथा का वर्जन स्त्री, पशु और नपुंसक से संसक्त शयन असंसक्त-वास-वसति
और आसन का वर्जन करना (१७) स्त्रियों के अंग-प्रत्यंगों के स्त्री-कथा का विवर्जन करना
स्त्री-जन में कथा वर्जन अवलोकन का वर्जन (१८) पूर्व-भुक्त-भोग की स्मृति स्त्रियों के इन्द्रियों के अवलोकन
स्त्रियों के अंग-प्रत्यंग और चेष्टाओं का वर्जन का वर्जन करना
के अवलोकन का वर्जन (१६) अतिमात्र और प्रणीत पान-भोजन पूर्व-भुक्त तथा पूर्व-क्रीडित काम-भोग पूर्व-भुक्त भोग की का वर्जन का स्मरण नहीं करना
स्मृति का वर्जन (२०) स्त्री आदि से संसक्त शयनासन प्रणीत-आहार का विवर्जन करना प्रणीत-रस-भोजन का वर्जन का वर्जन
(5) अपरिग्रह महाव्रत की भावनाएं (२१) मनोज्ञ और अमनोज्ञ शब्द में समभाव श्रोत्रेन्द्रिय रागोपरति मनोज्ञ और अमनोज्ञ शब्द में समभाव (२२) मनोज्ञ और अमनोज्ञ रूप में समभाव चक्षुइन्द्रिय रागोपरति मनोज्ञ और अमनोज्ञ रूप में समभाव (२३) मनोज्ञ और अमनोज्ञ गंध में समभाव घाणेन्द्रिय रागोपरति मनोज्ञ और अमनोज्ञ गंध में समभाव (२४) मनोज्ञ और अमनोज रस में समभाव रसनेन्द्रिय रागोपरति मनोज्ञ और अमनोज्ञ रस में समभाव (२५) मनोज्ञ और अमनोज्ञ स्पर्श में समभाव स्पर्शनेन्द्रिय रागोपरति मनोज्ञ और अमनोज्ञ स्पर्श में समभाव
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