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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - Hal अथहादशकोशानांसंग्रह तत्रादौमेदिनी.... ततएकाक्षरी 2.. हौहिरूपो 4. . . ... ततस्त्रिकाण्डशेषः अनेकार्थध्वनिमंजरी६ हारावली * * * * धनन्जयः . . . वररुचिकोश:... नाममालाकोश:१० - मातृकाकोशः११ अव्ययकोशः - 12 वाराणसीप्रसादस्यनियोगेनतुयत्नतः॥का शीसंस्कृतमुद्रायामड़ितोयंविचक्षणैः॥१॥ श्रीकाशीजीमे ज्ञानवापीके पूर्वफाटकपरश्रीविश्वनाथजी ma केपासश्री३युतमहाराजशिवलालदुबेजीके / मकानमेछपी आजिसकोलेनाहोयउन्होनेड्सछापेखानेके कार्य सम्पादकबाबूवाराणसीप्रसाद याकचौरीगली मेभाईप्रतापसिंहजीकेदुकानपरमिलेगी संवत् 129 O For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - ॥अथमेदिनीकोशःप्रारम्भः॥ - - - - (श्रीगणेशायनमः॥ - - - - - - - - - - - do - ॥श्रीगणेशायनमः षांकायनमस्तस्मेयस्यमौलिविलंबिनी। जटावेटनजांशोभांविभावयतिजान्हवी 1 पूर्वाचार्यकृती-|| ॥क्ष्यशब्दशास्त्रंनिरूप्यच नानार्थशब्दकोशोयलिंगभेदेनकर थ्यते 2 प्रायशोरूपभेदेनविशेषणवशात्कचित् स्त्रीपुन्न सकंज्ञेयविशेषोक्तेश्चकुत्रचित् 3 त्रिलियांत्रिष्षितिपदमिथु|| नेतद्योरिति निषिद्धलिंगशेषार्थत्वंताथादिनपूर्वमा०४ रूपा॥ शक्तंलिङ्ग-मुक्तलिपिभ्रांतिछिदेवचित् विशेष्यनिने नुक्तेऽ पिविज्ञेयावाच्यलिंगता 5 गुणेशुक्लादिकवाद्याःसिस्युस्त तित्रिषु तीक्ष्णाद्याश्चगुणेक्लीबंगुणिलिंगास्तुतइति ६क्लीब|| सोरपिस्त्रीत्वंकाप्यल्पत्वविवक्षया जातिवाचकशब्दानामपि तत्स्त्रीविवक्षयाः 7 उद्भिदःप्रसवेक्लीबेहरीतक्यादयात्रियों पुष्यजातीप्रभृतयःस्वलिंडावीहयःफेले 8 प्राङ्गानाथोन्नन मल्लिंगहयोईनचैकता शब्दातिनलिंगैक्येसप्तमीनविशेष | ॥णे 9 कीबेनसकेपुसिस्त्रियोयोषितिचयोः त्रिषुचेत्यादि। यद्रपंताल्लंगस्यैववाचकम् 10 नानार्थःप्रथमांतोत्रसत्रार दीप्रदर्शितःसप्तम्यताभिधेयेषुवर्तमानोविनिश्वितः 11 एक विधिवतः पंचषदर्णानुक्रमाततः स्वरकाव्यादिकाद्यांतवगै - - - women For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - मेदिनीकोश: 2 नानार्थसंग्रहः 12 नानार्थकोशपुस्तकभारार्जनदुःखहानये॥ कृतिन मेदिनिकररुतकोशोविशुद्ध लिंगो भिलिख्यतामकः / 13 कैकमकोब्रह्मणिसमीरात्म यमदक्षेषुभास्करेकामयंथो चक्रिणिचपतत्रिपार्थिवेतथा 14 मयूरेऽ गौनपुंसिस्यात्सख/ शीर्षजलेषुकम्॥ कतिः अकोपर्णस्फटिकेरवीताने | दिवसातौ 15 अंकोरुपकोटा गचिन्हरेखाजिभूषणे रूपका ||शांतिकोत्संगस्थाने कंपापदुःखयोः 16 एकसंख्यांतरेश्रेष्ठ केवलेतरयोस्त्रिषु कर्कःकर्केनिलेवन्हौशुक्लाश्वेदपणेघटे // // 17 कंक श्लाहिजेरख्यातोलोहपृष्ठरतातयोः कल्काः स्त्रीएतलैलादिशेषेद विभीतके 18 विवियोश्वपापेचत्रिप पापाशयेपुनः काकः स्याद्वायसेवृक्षप्रभेदेपावसर्पिणि 199 / शिरोऽवक्षालनेमानप्रभेदहीपभेदयोः काका स्यात्काकनासायां|| काकोलीकाकजंघयोः 20 रक्तिकायोमलप्वांचकाकमाच्याच | योषिति काके सुरतबंधेस्यात्काकानामपिसंहतो 21 कि कईयोर्वितस्ताचप्रकोष्ठे पिकरे पिच कोकचक्रेरकेज्य | म्यांखरीदुमदर्दुरे 22 छेको गृहाश्रितमृगपक्षिणी गरेत्रि | टंको नीलकपित्येचरखनिटकने स्त्रियो 23 जंघायांस्त्री पुमान्कोपेकोशा सिग्रावदारणे तर्कःकांक्षावितकौहहेतुशास्त्र घुकथ्यते 24 त्रिका कूपस्यने मौस्या त्रिक पृष्ठाधरेत्रये तोकं पुत्रेसुतायांचहिक स्यात्काककोकयोः न्यकर्मनीम |गेपुंसि नाकस्सुत्रिदिवंबरे 25 नाकमुन्यतरेपृथ्वीधरवर। ल्मीकयोः पुमान् निष्क मस्त्रीसाष्टहेमशतेदानारकर्षयोः / 26 वक्षोलंकरणेहेमपात्रेहेमपलेऽपिच 27 पेको स्त्रीक || दमे पापेपाकः परिणतोशिशौ केशस्यजरसाशी क्लोस्थाल्यादी॥ पचनेपिच 26 बकस्तुबकपुष्पस्या कोदेचरक्षासि || भूके छिद्रेचकालेच भैको मंडूकमेघयोः 29 मुष्को॥ - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - मेदिनीकोशा३ कत्रिः मोसकरक्षेस्यात्संहतेषणे पिच मूकस्त्वनाचिनादैत्यरेका रुपणमंदयोः 30 राका तातरेकच्छानवजातस्न स्त्रियामा | संपूर्णदुतियोरेकः शंकानीच विरेचने 31 रोकस्तुक्रयः॥ भिद्दीत्यो रोके नाविचलेबिले लंकारसापुरीशाखाशाकि नीकुलटासुच 32 लोकोजनेपिभुवने वल्कं वल्कलशः॥ ल्कयोः बंकः पर्याणभागेनानदीपात्रेचभंगरे 33 शल्क। तुशकलेवल्केशकोजात्यंतरेनूपेशंकु:संख्या:रुनयादार भित्कीलांशकलुषेषुना 34 शंकात्रासेवित:चशाकोही। |पांतरेऽपिच शक्तौद्रमविशेषेचपुमानहरितके स्त्रियां 35 शु कोव्यासमतेकीररावणस्यचमंत्रिणि शिरीषपादपेसिग्रंथि|| पर्णनपुंसकम् 36 शुल्कंघट्टादिदेयेस्यारादर्थग्रहेस्त्रियां | शूका स्त्रीमुंगदलयोःश्लोकः पद्येयशस्यपि 37 शोकंशु॥ किगणेस्त्रीणांकरणेसूकइयपि बाणवातोत्पलेस्तोक स्त्रि वल्पेचातकेपुमान् 38 कत्रिः अशोक स्त्रिषनिःशोके सिकंकेल्लिपादपे स्त्रियातुकटुराहिण्यापारदेस्यान्नपुंसकम्। 39 अलका कुबेरपुर्यामस्त्रियांचूर्णकतले अभीकः कामुकेक्रूरेनिर्भयेत्रिषुनाको 40 अनीको स्त्रीरणेसैन्ये प्यणुकोनिपुणाऽल्पयोः अलीकमप्रियेऽपिस्यादिव्यसत्येन पुंसक 41 अनूकंतुकलेशीले सिस्याइतजन्मनिअश्के श्लक्ष्णवस्त्रेस्यादेस्त्रमात्रोत्तरीययोः 42 अंतिकं निकटेर) वाच्यलिंगंस्त्रीशातलौषधौ चुल्यांज्येष्ठभगिन्यांचनाट्योत्तयार/ कथ्यतेतिका 43 अलर्को धवलार्केस्यायोगान्मादितक कटे अंबिकापार्वतीमात्रा तराष्ट्रस्यमातरि 44 अधिकाil द्यूतभेदेचरजन्यामपियोषिति अम्लिकातित्तिडीचाम्लोद्वारा चोगेरिकासुच 45 अर्भकाकथितोबालेमूर्खेपिचरुशेपिच आनकापटहेभेोमृदंगेध्वनदंबुदे 46 आठकीततुवयो। pm L For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेरिनीकोश: 4 कत्रि - - - - स्त्रीपरिमाणांतरेत्रिषु आलोकस्तुपुमान्योतेदर्शनेबंदिभाष णे 47 आन्हिकं दिननिर्वत्यैत्रिलिंगमयनयो: नित्यक्रिया भोजनयोःदेप्रकरणस्यच 48 आतंको रोगसंतापशेकाम मुरजध्वनी इस्वाकःकटुतुन्या स्त्रीसूर्यवंशनृपेपुमान् 49 | // उलूकः सिकाकाराविंद्रेभारतयोधिनि उटर्कएष्यत्काली। नफलेमदनकंटके 50 उष्मक स्तुनिदाघेस्यादातक्षिप्रकाशिण उष्टिका मृत्तिकाभांडभेटेपिकरभस्त्रियाम् 51 उर्मिकाचांगलीये स्याहस्त्रभेगतरंगयो-कनकहेमिपुसिस्याकिंशुकेनागकेसरे 52|| धतूरेकांचनारेचकालीयेचंपकेगपिचकरकस्तुपुमा पसिविः॥ शेषेदाडिमेपिच 53 दयोमघोपलेनस्त्रीकरेकेचकमंडली क ॥मुक स्तुपुमान्भद्रमुस्तकेब्रह्मादारुणि 54 फलेकासिकाया| श्वपट्टिकालोध्रपूगयोःकटकोस्त्रीनितंबादेतिनांदतमंडने 55 सामुदलवणेराजधानीक्लययोरपि कदकाकटुरोहिण्या स्त्रियांज्योषेनपुंसके 56 केटकोनस्त्रियांइंद्रशत्रौमत्स्यादि कीकसे नैयोगिकादिदोषोक्तौस्याद्रोमोचदमागयोः 57 कर। कोमस्तकेशस्यनालिकेरफलास्थान कलकों के पवादेच कालायसमले पिच 58 कर्णिकाकरिहस्ताग्रेकरमध्यांगुलावपि| ऋमुकादिछटांशेजवराटेकर्णभूषणे ५९कणिकाकथ्यतेऽत्यं तसूस्भवस्त्वग्निमथयोः कचाकस्तुदुराधर्षदुःशीलेचबिले शये 6. कंचको वारबाणेस्यानिकिकरभपिच वर्धा पकगृहीतांगस्थितवस्त्रेचसोलके 6. कंचुक्यौषधिभेदेश्य कारिका नरयोपिति कतौविवरणश्लोक शिल्पयातनयो रपि 62 नपुंसकंतुकर्मादीकारकंकर्तरित्रिषु कामुकःकम ने शोकपादपेचाऽतिमुक्तके 63 कामकंधनुषिस्थानावे णोकर्मक्षमेऽन्यवत् काचकःरुकवाकौस्यात्पीनमस्तक कोकयोः 64 क्षारकःपासमत्स्यादिपिटकेजालकेपिच // - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - मेदिनीकोशः 5 कत्रिः कालिकाचंडिकाभेदेकायरश्चिकपत्रयोः 65 क्रमदे| यवस्तुमूल्येधूसरीनवमेघयोः पटोलशारवारोमालीमासीका काशिवासच घर मेघावलोचकिपाकोमहाकालफलान|| योः कीचकोदैत्यभिहातहतसस्वनवेशयोः६७ कीटकः कृमिजातीनानिष्टुरेनरन्यवत् कुलकेतुपटोलेस्यात्सवड्॥ श्लोकसंहतो 68 पुंसिवल्मीककाकंदुकुलश्रेष्ठेषुकथ्यते / शल्लक स्त्रिषुनीचऽल्पेकुशिकोमुनिसर्जयोः 69 कषा ककपिवन्ार्केनापरोत्तापिनित्रिषु कुलिकोनागभेदेस्यादु। भदेकुलसत्तमे 70 क्षुरक कोकिलासेस्याहो रेतिलक द्रुमे कूपको गुणरक्षेस्यात्तैलपात्रककंदुरे 71 उदपाने ऽच्युतायातुकूपिको भोगतोपले कूलकनस्त्रियस्तूिप सिस्यात्काभेपर्वते 72 कृचिकाचिकायांचतूलिकायोll चकुडाले कपादोकुडकेक्षारविरुतावपियोषिति 73 कृष| कापुंसिफालेस्यात्कर्षकेत्वभिधेयवत् कोरकोऽस्त्रीकुमा लिस्यात्तकोलकमणालयोः 74 कौतुकंवभिलाषेस्यादुर त्सवेनमहर्षयोः तथापरंपरायातमंगलेचकुतूहले 75 वि वाहतूत्रगीतादिभोगयोरपिनयोः कौशिकोनकलेव्याल ग्राहेगगुलशुक्रयोः 76 कोषज्ञोलूकयोश्वस्यादिश्वामित्र मुनावपि कोषिकीचंडिकायोचनदीभेदेचयोषिति ७ख नकोनोंदरोसंघिचौरेत्रिचवदारके खड़िकोमहिषीक्षीरफे नशोनिक्योरपि 78 स्यातवालकस्तुपाकेशिरस्त्रवल्मीक पूगकोशेषु गणिकायूथीवैश्यभीतकरिघुनातुदैवते 79 थिकपिपलीमूलेगुगलग्रथिपर्णयोः करीरसिदैवतेसह ॥देवाज्यपांडवे 80 गंडक मिस्वतेस्यात्संरल्याविद्याप्रभेद योः अवछेदेंतरायेचगंडकीसरिदंतरे 51 ग्राहकोघा| तिविहगेधान्यानोचगृहीतरि गोधिकोलेखक पिस्यात्सुग - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः - %33 % ema / - धिव्यवहारिणि 2 गंडकोमलनेधूलोकलोक्तिस्नेहपात्र योः गृह्यकोनिनकेछेके गैरिकंधातुरुक्मयोः 83 गोल|| कोविधवापुत्रेजारातस्या मालिकेगड़े गोरंकुस्यात्पुमा न्यक्षिभेदलग्नकबंदिनोः 24 चषको स्त्रीसरापात्रेमधु मद्यप्रभेदयोःचलकाप्रसृतौभांडभेदेचुलुकवत्पुमान् / 85 चतुष्कीमसकहर्योपुष्करिण्य तरेपिच चारकःपा लके वादेः स्यात्संचालकबंधयोः 86 चित्रकतिलके नातुव्याघ्रभिचंचुपादिषु चुंबकश्वबनपरेधूर्तायस्कोतयो। रपि 57 बहुग्रंथैकदेशजेधेटस्योहावलंबने चुल्लकी शिशुमारे पिकुंडीभेदेकुलोतरे 88 चलिकानाटकस्या गेकर्णमूलचन्हस्तिनां चूतक कूपकेप्याजनक:पितभू भुजाः 19 जैबूक फेरवनीचेपश्चिमाशापतावपि जतु का जिनपत्रायांजेतुकंहिंगुलासयोः०० जाहको घों घमारिरवद्वांकासंडिकासंचजालके कोरकेदभेकुला यानाययोरपि 91 नपुसिमोचकफलेस्बियोतुवसनातरे गि रिसारजलोकायामपिस्याविधवास्त्रियां 92 भटानामश्म ॥रचितांगरक्षिण्याचजालिका जालिकोवाच्यवद्रामजा लिजालोपजीविनोः 93 जीवकःप्राणकेपीतशालरुप ॥णयोरपि वर्चशी पिसिस्यादाजीवेजीविकामता९४ विषुसेविनिरध्याशिजीविनोरादितुंडिके झल्लिकाहर्तनपट स्त्रियांद्योतेचझिल्लिका 95 आतपस्यरुचौझिट्याटुंदक शोणकाल्पयोः डिबिकाजलबिंबेस्यान्मोणकेकामुकरिना या 96 तंडकःखेजनेफेनेसमासप्रायवाचिच गृहदा रुतरुस्कंधमायाबहलकेष्वपि 97 तक्षकस्तुपुमान्नाग राजभेदेचवईको तारकोदैत्यभिकर्णधारयोर्नरयो१शि 98 कनीनिकायामृक्षेचनपुमास्त्रातरित्रिषु तिलकोद्र - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir mean - मेदिनीकोशः कति मरोगाश्वभेदेचतिलकालके 99 क्लीबसौवर्चलकोमोनस्त्रि योतुविशेषके त्रिशेक राजभेदेशलभेरषदेशके 100 / तुरुष्कःसिल्हकेम्लेंछेजातौदेशांतरे पिच तूलिकाकू॥ चिकायांचशय्योपकरणेऽपिच 101 दर्शक स्यात्वतीहार॥ दर्शयित्प्रवीणयोः दारकोबालकेपिस्या दके त्वभिधेय बत् 102 द्रावकोयाबभेदेस्याद्विदग्धेमोषके पिच दीप कवागलंकारेवाच्यवद्दीप्तिकारके 3 दीप्यकश्वाऽजमा|| दायांयवानीवर्हिचूड़योः दुच्छकोगंधकुट्यास्याहिता राघवकाशके 4 दूषिकातूलिकायांचमलेस्याल्लोचन स्यच धनिकासाधुनार्यानाधान्याकेत्रिसाधुधनिनोश्च 5 // स्याइनुकाकरिण्योधेनावपिनातुदानवविशेष धेनुकंक रणेस्त्रीणांधेनूनामपिसेहतौ६ नतकःकेवलेपोटगलचा रणयोनटे नर्तकीलासिकायांचकरेण्वामपियोषिति 7 न निकापिकुमास्यिात्पुमान्क्षपणबंदिनोः नरकःऍसिनि रयदेवारातिप्रभेदयोः 2 नंदकोहरिखदेचहर्षकेकुलपा|| लके नालीकःशरशल्योगेष्वब्जखेडेनपुंसकं ९नाया कोनेतरिश्रेष्ठेहारमध्यमणावपि निमोकामोचनेव्याम्निस न्मादेसर्पकंचुके 10 नीलिकानीलिनीसुदारोगशेफालि कासुच पराकस्तुव्रतेख प्रसेकासेचनेश्व्युतौ 11 प्र तीको वयव पिस्याप्रतिकूलविलोमयोः॥पद्मकस्या त्पद्मकाबिंदुजालकयोरपि 12 पक्षकस्तुपुमानुपाश्चंदा रेचपार्श्वमात्रके पल्यंकोमंचपर्यवेषापर्यस्तिकासच |13 पताकावैजयंत्यांचसौभाग्यनाटकांगयोः पातुकः पतयालीस्यात्वपातजलहस्तिनोः 14 प्राणकःसत्वजा तीयेजीवकद्रुमचोलयाः याटक स्यान्महाकिकोकटको तरवाद्ययोः 15 अक्षादिचोलनेमूलद्रव्यापचयरोधसोः। - - - -ramme - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः८ -- winema - - पालंकःशल्लकीशाकभेदयोःप्राजिपक्षिणि 16 पावको। इग्नोसदाचारेवन्दिमथेचचित्रके भल्लातकेविडंगस्थषिय कापीतशालके 17 नीपेचित्रमृगेचालोप्रियंगौकुंकमे पि च. पिण्याकोस्त्रीतिलकल्केहिंगवाल्हीकसिल्हके 18 पिनाको स्त्रीरुद्रचापेपांशुवर्षत्रिशूलयोः पिटकरित्रषु विस्फोटमंजूषायांपुनःपुमान् 19 पिष्टकोतपूपादानेत्री रोगांतरेऽपिच पुलकाकृमित्रभेदेप्रस्तरभेदेचमणिदोषे 20 रामांचेहरितालेगजान्न पिडेचगंधर्वे पुलाकस्तुधान्येर स्यात्संक्षेपेभक्तसितके 21 पुष्पकंरीतिपुष्पचविमानेध नदस्यच नेत्ररोगेतयारत्नकंकणेचरसोजने 22 लोहका स्यमृदंगारशकल्यांचनपुंसकं स्यात्युत्रिकापुत्तलिका दुहित्रोर्याक्तूलके 23 नापुत्रेसरभेधूर्तेशैलरसप्रभेदयोः पूर्णकःस्वर्णचूडेस्यान्नासाछिन्योतुपूर्णिका 24 पदाकु वृश्चिकव्याप्रेसर्पचित्रकयोःपुमान् पृथकापुसिचिपिटेशि / / शोस्यादभिधेयवत् 25 पेचकोगजलांगूलमूलोपातेच।। कोशिके पेठकपुस्तकादीनामंजूषायांकदंबके 26 वल्मी! कोरोगभेदेचनाकोचपुन्नपुंसकम् बंधूकंबंधुजीवस्या / धकःपीतशालके 27 बंधक स्याद्विनिमयेश्वल्यां। स्याचबंधकी बाहल:कर्कटेचाऽर्केदात्यूहेजलवातके 28 वराकःशंकरपुसिशोचनीय भियवत् बालकस्तु शिशाव बालधौढयहस्तिनोः 29 अंगुलीयकद्रीबेरवलये पुसिवालिका वालायांचालकापत्रकाहलाकर्णभूषणे 30|| वारकोश्चगतीपुसिवाच्यवत्स्यानिषेधके वालुकासि / / कतासस्याहगलकवेलवालुके 31 भर्मकंरोगभेदेस्या विडेककलधौतयोः भ्रामकाजंबकेधूर्तसूयावाश्मों दयोः 32 भालोकःकरपत्रस्याच्छाकभेदेचरोहिते महा - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - मेदिनीकोशः 9 कत्रि लसणसंपन्नपुरुषेकच्छपेहरे 33 भूमिकारचनायास्याद्दे शांतरपरिग्रहे भूतीकमपिभूनिवेरीष्यकर्पूरकेटणे 34 5|| मसुदामधुमायोरिया मधुकली तोपगे वल्पतरानामा शको रोगकीदप्रभेद्यो 31 मेडुक-शोगमन्यंतरेसा वर्चसि मंडकपामंडकीमल्लिकोहंसभिद्यपि 36 मल्लिा कातणशून्येपिमीनमृत्पात्रभेदयोः मामकंस्यान्मदीयाथै त्रिषुसितुमातुले 37 मारकाधारकामानोर्देवीभिवर्णमा लयोःमालिकाससलापुत्रीग्रीवालंकरणेषच 38 पुष्षमा ल्येनदीभेदेपक्षिभेदेतुमालिका मेचकस्तुमयूरस्यचंद्रके। श्यामलेपुमान् 39 तवक्तवाच्यवत्कीर्वस्त्रोतोजनांधकार योःमोचक केदलेशियनिधिकविरागिषु 40 मोदकः खाद्यभेदेस्त्रीहर्षके पुनरन्यवत् यमकंयमजेशब्दालेका रेसिसंयमे 41 याजकस्तुगजेरातोयात्रिकेप्यथयाति कःयाजकेचकशेचाथ यतकंसंशययुगे 42 नारीवरूनच लयुक्तचलनायेऽपियोतके यूथिकाम्लानकैपष्यविशेषे पिचयोषिति 43 रसिकास्त्रीरसालेसुरसयोःसरसेत्रिषु रक्तको म्लानबंधूकरक्तवस्त्रानुरागिषु 44 राजिका पिचकेदारेराजसपरेखयोः रात्रकंपंचरात्रेनावश्यावेश्मा ब्दवासिनि ४५रुचकोबीजपूरेचनिष्कदंतकपोतयोः न दयोःसर्जिकाक्षारेप्यश्चाभरणमाल्ययोः 46 सौवर्चलेपि| मोगल्यद्रव्येचाप्यत्कटेपिच रुंडिकाहारपिंडयांचदनिका "गारणक्षितौ 47 रुपकंनाटकेमूर्तेकाव्यालंकरणेपिच / / रेणुकापिहरेणीचजामदग्न्यस्यमातरि ४८रोहकप्रेती दिनारोदरित्रिषुविश्रुतः लंपाकोलंपटेदेशलासकालास्या कारिणि 49 मयूरेलसकेचायलूनकोभेदितपशी लो। चकोमोसपिंडेक्षितारकायांचकज्जले 50 ललाटाभरे। - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % मेदिनीकोशः 10 कत्रित स्त्रीणांकदलीनीलवरूपयोः निबुडोकर्णपूरेचमूल्याभू श्लथचर्मणि 51 वसकरोमके पुंसिशिवमल्पर्कपर्णयोः वर्णकश्वारणेस्त्रीतुचंदनेचविलेपने 52 यो ल्यादिषु॥ स्त्रीस्यादुत्कर्षकथनस्पच वर्तकस्तुरखुरेश्च स्यविहगे। वर्तकीद्वयोः ५३वंचकस्तुरवलेधूर्तेगृहबीचजंबुके व्यलीकमप्रिया कार्यवैलस्येष्वपिपीडने 54 नानागरे ऽथवाल्हीकंवाल्हीकधीरहिंगुनोः दावतोसिदेशस्य प्रभेदेतुरगांतरे 55 वाईकरसंघातेर इस्यभावकर्मणोः। वार्षिकलायमाणायांक्लीववर्षाभवेत्रिषु 56 बालको स्त्रीपारिहार्यत्रिषुस्यादैगरीयके वितर्कस्तुपुमानूहेसेश येचनिगद्यते 57 विपाकःपचनेस्वादकर्मणोविसरफ | ले विवेक स्याज्जलट्रोण्याश्यग्भावविचारयोः 58 र श्चिश्वगुणेराशौथूककीटौषधीभिदोः रषांक-शेकरेसा धौभल्लातकमहत्वयोः 59 वैजिकंशितैलेस्याइतौसला धोकरेतुना शलाकाशल्यमदनारिकाशल्लकीषुच 60 त्रादिकाष्ठीशरयो शल्लकीपशुरक्षयोः शेबूकोगजर कुभातेघोंगेचशूद्रतापसे 61 जलजंतुविशेषेचब्रूिकानन पसक शंबूका बलयेकेबावस्त्रीपेसिशिरोरुजि 62 शाके कःस्थाइग्धफेनशर्करापिंडयोःपुमान् शिशुकशिशुमा रिस्याहालकोलूपिनोरपि 63 शीतकःशीतकालेचसस्थि तिदीर्घमूत्रिणि शूलकाप्राक्टेपिस्याद्रसेपिपरिकीर्तितः // 64 सस्यको मणिभेदे सौसंपर्कोमेलकेरतौ सेपाक स्तकेरष्टेत्रिषुनाचतुरंगले 65 स्यमीकानीसिकायों स्त्रीस्यमीकोनाकुरक्षयोः स्वस्तिकोमंगलद्रव्येचतु करहभेदयोः 6 सरको स्त्रीसीधुपानेशीधुपाक्षु सीधनोः अछिन्नाऽध्वगर्पकौचसायक-शरखड्योः६७ - %3 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - मेदिनीकोशः 11 -कचतः स्थासकःपुसिचार्चिक्येजलादेर पिबुदे सूचकासी। वनद्रव्येबोधकेपिशुनेशुनि 6 ओतौकाके सूतको स्त्री पारदेनयोर्जनौ सदाकोनिलेवन्नेवलनेप्रतिसूर्यके 69 सेवकस्तुप्रसेवेनावाच्यलिंगो नुजीविनी सेवकः स्यामान्मेवाच्यलिंगस्तुसेक्तरि 70 सैनिक सैन्यरक्षे॥ चस्यात्सेनासमवेतके हारका कितवचोरेगद्यविज्ञानभेद योः 71 हडकोवाद्यभेदेचमत्तदात्यूहपक्षिणि हैरुको॥ बुरुभेदेस्यान्महाकालगणेपिच 72 कचत भवदलिम कोभेकेपिके लौपद्यकैसरे मधूके यथालिपकोभेगको किलकुकरे 73 अंगारकःकुजेऽपिस्यादुन्मूकांशेकरूं टके भवेदंगारिकाचेक्षुकांडेकिंशुककोरके 74 स्याद श्मंतकमुहानेमल्लिकाछदनेपिच आकल्पकस्तमोमो हग्रंथावुत्कलिकामुदोः 75 आक्षेपकोऽनिलव्याधौव्या | धनिंदाकरे पिच भवेदाखनिकचौरेशूकरमूषके पिच 06 कथितोत्कलिकोत्कंगहलासलिलवीचिषु एडमूको न्यलिंगःस्याच्छतेबाक्श्रुतिवर्जिते 77 कनिल्लकस्तुप शेवर्षाभूकारविल्लयोः कपर्दकोवराटेस्याज्जटाजूटे चधूर्जटेकर्कोटक स्यान्मालूरकाइवेयत्रभेटर यो: कलविंकषमान्यामचटकेपिकलिंगके 79 कनी निकातारकोरण स्यात्कनिष्ठांगलावपि कापटिकोऽन्यमम|| छात्रपुसिशठेत्रिषु 20 काकरुकोनग्नभस्त्रीजितोलू कभीरुषु निबेकसबकाशोणाम्लानझिटीप्रभेट्योः 81 // करटकः पीसपुष्पाम्लानझिंटीकयोःपुमान रुकवाकुर्म | यूरेपिसरटेचरणा युधे 12 कोशातककठेसिपटोल्याघोष स्त्रियां अथकौकटिको दूरभेरिताक्षेचदानिके 83 को। लेयक-सारमेयेकुलीनाथरवरालिका ग्रामणीभडिनारा % D For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कचतुः 3E - मेदिनीकोश: 12 चेप्युपधानेचस्यय 4 भवेगणनिकान्स्यशून्यांकेपार निश्चितौ गोकेटको गोक्षुरकेस्यपुतेचगवाखरे 65 गोमेद कंपीतमणौकाकोलेपत्रके पिच स्याडोकलिकोवलिरेपेक स्थगव्युपसके अथरिकाक्षुद्रंधावादिनदंडयोः | चर्चरीकोमहाकालेकेशविन्यासशाकयोः 87 चंडालिका किंनरायामुमायामोषधीभिदि अथचातरकश्चक्रगेडोपेस्य भिषेयवत् 58 गोचरेलोचनस्यापिचाटुकारेनियेतरि जर्ज रीकंबहन्द्रेिजरातुरेपिवाच्यवत् 89 जीवतिकागुडू॥ च्यांचजीवाख्यशाकवट्योः जैवातकः पुमान्सोमेदीघायुः। तशयोस्त्रिषु 90 ततरीकंबहिस्यान्नयोःपारगेत्रिषु // तिक्तशाकस्तुरवादिरेवरुणेपत्रसुंदरे 91 त्रिवर्णकंगो॥ सुरकैत्रिफलायोकदुत्रिके दलादकःस्वयंयाततिलेटश्या चगैरिक 12 फेनवातकयोनोगकेसरेचमहत्तरे देशूक स्तुपुल्लिंगोराक्षसेचसरीसपे 93 दासेरकस्सुकरभेदासी बेचधीवरे नियामकःकर्णधारेपोतवाहेनियतरि 14 नि|| श्वारकापुरीषस्यायेसैरेसमीरणे निथक स्यात्स पनिष्फलेप्यपरिछदे 95 प्रचलाकःशराघातेशिखंडेच भजेगमे प्रकीर्णकंचामरेस्यारिस्तारेनातुरंगमे 96 पं॥ चालिकास्त्रियोवस्त्रपुत्रिकागीतिभेदयोः स्यापिप्पल|| किंवसाजतेसीवनसूत्रके 97 पिडीतकास्यात्तगरेमद| नारव्यमहीरुहे अथपुष्कलकोगेधमृगक्षपणकीलयोः। 98 पुंडरीकंमिताभोजसितछत्रेचभेषजे सिव्यागि दिङ्नागकोशकारांतरेपिच 99 भवेत्पूर्णानकंवपिन चपटहेपिच फर्फरीकनपेटेस्यात्फफराकेतमार्दवे व 200 बलाहकोगिरीमेघेदैत्यनागविशेषयोः वराटकः। पद्मबीजकोशेरज्जौकपर्दके 1 बकेरुकाबलाकामिदाना - - - - mome mas - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 13 - - Ru Pausa -heaure - तावर्जितशाखयोः वरंडकरतुमातेगवेद्यायौवनकंटके 2 // वर्तलेन्थोवाणिजकोबाडवाग्नीवणिज्यपि खंदारकासुरे|| पुसिमनोज्ञश्रेष्ठयोस्त्रिषु३ अथभ्रमरको गेगिरिकेचाल कांतरे भद्वारकोनृपेनाव्यवाचादेवेतपोधने 4 भयानक स्मतोव्याघेरसेराहौभयंकरे भार्याटिकापुमान्भार्यानिर्जि|| तेहरिणांतरे 5 भवेन्मरुबकापुष्यविशेषेमदनदमे में। डोदकं चित्तरागेकीबमातर्पणेपिच 6 भवेन्मंडलंकंबिंब कृष्ठभेदेचदर्पणे अथमर्कटकःसस्यभेदेवानरलतयोः / मयूरकोप्यपामार्गल्लीबेतुत्यांजनेपुनःमाणवकोहारम|| देबालेकपुरुषेपिर मृष्टरुकोवदान्यपिमिशशिन्यतिथि हिषि रतईिकस्यादिवससुखस्थानेष्टमंगले ९राधरेकः। पुमान्झीरेसीरकेचपनोपले लालाटिकाप्रभोभविदर्शिन्या। श्लेषणांतरे 10 कार्याक्षमेलेनिकाकथितोलेरवहारके। लेखेषुपरहस्तेन -स्वहस्तस्यचलेखके 11 बरु कोनदीभेदेकाकनीडेजलावटे विनायकस्तुहेरेबताक्ष्यति जिनेगुरौ 12 वितुन्नकस्तुधान्याकेझाटामल मयूरके विशेषको स्त्रीतिलकेविशेषयितरिविषु 13 विदूषक श्वादबटौपरनिंदाकरेऽपिच वैनाशिक: स्यात्क्षणिकेपर तंत्रोर्णनाभयोः 14 वैदेहकोवाणिजकेशूद्राद्वैश्यासतेपि च वैतालिकापुमानवेट्टितालेबोधकरेत्रिषु 15 शतानीक स्तुरंदेस्यान्मणिराजप्रभेदयोः शालाकागालेस्यात्सारमे|| येवलीमुख 16 शिलाटक-मानक्लेिपेपरिकीर्तितः शृगा, लिकाशिवायांस्पात्रासादपिपलायने 17 गाटकभने। रिकेटकेचचतुष्पफैसंतानिकापिक्षीरादिसारमर्कटजालके 18 संदेशिकापिसुचटीलोहयंत्र विशेषयोः संचारिकातु युगलेकुटेनीघ्राणयोरपि 19 संघाटिकास्त्रियायुग्मकु. - - D - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 14 - - - - - - - -- %3 - हिन्यांजलकंटके सुप्रतीकःशोभनांगभवेदीशानदिग्गजे 20 // अथसैकतिकमात्रयात्रामंगलसूत्रके नासन्यस्तक्षपणके त्रिषुसंदेहजीविनि 21 सोमवल्कस्तुभवलरवदिएकट्फले पिच सोगंधिकंतुकल्हारेपद्मरागेपिकवणे २२पुल्लिंगोगंध। पाषाणेरुगंधव्यवहारिणि ॥कपंच॥ अनेडमूकमुद्दिष्टः शवेवाश्रुतिवर्जिते 21 स्यादारित कंहासनखराघातभे दयोः उपकारिकोपकत्र्यापिष्टभेदेनृपालये 24 कक्ष्यावे क्षिकइत्येषशुद्धोतोद्यानपालयोः राजीवेकणेखेंगेहाःस्था॥ थकटवादकः 25 खादकेकाचकलशेबलिपुष्टेचजेयुके कृमिकेंटकंतुचित्रांगविडंगोदुंबरेषुच 26 गोजागरिकमा गलेपुंसिस्यात्कंटकारके चिलमीलिकातुकेठीभेदेखद्योत विद्युतोः 27 अथोजलकरंकास्यान्नालिकेरफलें बुजे // शंखेंजललतायांचवारिवाहेचकीर्नितः 28 जलतापिकइल्ली||| सकाकेचीवषयोश्व पंसिस्यात् नवफलीकास्त्रीनव्येनव जातरजोंगनायोच 29 नागवारिक हिटोराजकुंजरहस्ति पिगणस्थराजगरुडेचित्रमेखलकेपिच 30 स्याहीहिराजिका कंराधान्यचीनकधान्ययोः व्यवहारिकास्याल्लाकयात्रासं| मार्जनीयदे 1 शतपधिकातुर्दूर्वायांवचायामपियोषिति || शीतचेपक इत्येवस्यादातर्पणदीपयोः ३२रुवसंतक द्दिष्टोवासंत्योमदनोत्सवे स्याइमपुष्पिकायूथ्यांचंपकेहेम|| पुष्यकः३३॥षद॥ग्राममहरिका ग्रामयदेभंगीझपा स्त्रियां मदनशलाकाकामोद्दीपकभैषज्य सारिकयोः 34 / / मातलपुत्रंक इत्यपिमामकतनयेफलेचधूर्तस्य वर्णविधा लोडकएषश्लोकस्तेनेचसंधिचौरेच 35 सिंदर तिलका उक्तोमतंगजेरबीतुकामिन्यां॥ इतिकोतवर्ग: खैकेंखमिंद्रिया। क्षेत्रेशून्यबिंदौधिहायसि संवेदनेदेवलो केकर्मण्यपिनस - - - - - -- -- -- -- -- - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % 3D - - - मेदिनीकोशः 15 किं 1 खहि नरवीरलीक्लीबोःभुक्तौनखरेगसके / न्युखासम्पनोझेचसाम्नः पद्मणयेवुच 2 लापर्यट नेप्यगतौसंवेशनांतरे मुखनिःसरणेवप्रारंभोपाययो॥ रपि 3 संध्यंतरेनाटकादे-शब्देपिचनपुंसके लेखोलेख्येसु रिलेखालिपिराजिकयोर्मता 4 रिंखाश्वगतिभेदेपिभूकशि ब्यांचनतने शंख केबौनयोषिन्नाभालास्थिनिधिभिन्नखे 5 // शाखापक्षांतरेखाहौवेदभागमांगयोः शिखाशाखाबहिन डालीगलिक्यग्रमात्रके 6 चूडामात्रेशिरवायांचज्वालायोष पदेपिच सखामित्रेसहायेनावयस्यायांसरवीमता 7 सुरवं शर्मणिनाकेचसखापुर्तिचेतसः॥ खत्रि गोमखें कुटिलागारेवाघमोडेचलेपने 8 पुसिमातलिपुत्रेचमहादेव गणांतरे त्रिशिखोराक्षसे कीबंत्रिशूलेमंडलांतरे दे। खःकपिभिन्नागभिदो मुखेरेत्रिषु प्रमुखःप्रथमेश्रेष्ठेम। यूरवःकिरणेपिच 10 ज्वालायामपिशोभायांविशिवस्तो मरैशरे विशिखातुखनित्र्यांचरथ्यानलिकयोरपि 11 वि॥ शारखस्तकेस्कंदैनियामक्षेकठिल्लके वैशाखोमासभे दपिमंथानेवपकीर्तितः 12 समुखस्तार्क्ष्यतनयेशारखना। गप्रमेदयोः ॥खचतः। भवेदगिमुखोदेवेविप्रेभल्लाall करित्रयां 13 अथाम्नशिखमुद्दिष्टकसुबेकुंकुमेपिच गll लोगलिक्याख्योषधोचविशिल्यायोचयोषिति 14 इंदुले वामृतासोमलताशशिकलासच अथबदशिखास्त्री स्यादुच्चदायोशिशोत्रिषु 15 महाशवामानुषास्थिसंख्या भदालिकेषुच भववाघनखंकंदंगेधद्रव्यविशेषयोः 16 नखक्षतांतरेकीबंशिलीमखोलिकोडयोः शशिलेखा। कलाभागेगुडूचीरत्तभेदयोः 17 भवेत्स्वस्तिमुखालेखे ब्राह्मणेवंदिनिविषु॥ खपंच ॥मलिनमरवारग्नोगोर। - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - - मेदिनीकोशः 16 लोगूलेपमित्रिषुकूरे 18 शीतमयूखश्चंद्रेघनसारेचापि पुल्लिंग: सर्वतोमुखउक्षेत्रज्ञब्रह्मणोः पुमान 19 न |सकेतुपानीयेसुरवमन्यपिस्मृतम्॥ इतिवांतवर्गः॥॥ // गैकं गौःस्वगैचबलीवरश्मौचकुलिशेपुमान् // // स्त्रीसौरमेयीहरवाणदिग्वाग्भूवमभूम्निच 1 // गरिः। अगःस्यान्भगवत्पृथ्वीघरपाट्पयोः पुमान् अंगंगाप्रती कोपाययोः पुभूचिनी कृत्ति 2 क्लीबैकवेत्वप्रधानविष्वंग वतिचोतिके इंगःस्यादन्तेजानेजेगमेगितयोरपि ३ख ग:सूर्यग्रहेदेवेमार्गणेचविहंगमे खडोगंडकगासिबु भेदेषुगंडके 4 गोगस्तुगंगासंभूतेत्रिषुभीष्मेरदेषमा || न चगस्तुशोभनेददोटेगोस्त्रीस्यात्खनित्रके वड़ भेदेचजंघायात्यागेदानेचवर्जने तुंगीनिशावर्चवयोःपुन्ना गनगयोपुमानू 6 उन्नतेत्रिषदगोमानील्योस्त्रीदुर्गमेत्रि|| खु नागनपुंसकरंगेसीसकेकरणातरे नाग पन्नग मातंगक्रूराचारितोयदे नागकेसरपुन्नागनागदंतकमु॥ स्तके 8 देहानिलप्रभेदेचश्रेष्ठस्यादुत्तरस्थितः पिंगा |गोरोचनाहिएनालिकाचंडिकासुच पिंगीशम्यापिशंगे नाबालकेतुनपुंसकं पूगरतकमुकेरेदेफलसारे भिधेयत् त् 10 नदीभेदमलप्वांस्त्रीभंगोजयविपर्यये भेदोगतरंगे| भंगासस्यौतरेस्त्रिया 11 भंगश्रीयोनिवीर्येच्छाज्ञानवैराग्या! कीर्तिषु माहात्म्यैश्चर्ययत्नेषधर्मेमोक्षेचनारवो 12 भागो। रुपाईके भाग्य कदेशयो गुःपुमान् मुनौहरेतटेशुक्रे,गो॥ धूम्याटपिंगयोः 13 मधुव्रतेभंगराजेपुसिभंगीगडत्वचि भोगसुखधनेचाहे शरीरफणयोरपि 14 पालनेव्यवहारे। चयोषिदादिभृतानपि मार्गोमगमदेमासप्रभेदेऽन्वेषणाव // नोः 15 मृगः पशोकरेंगेचकरिनक्षत्रभेदयोः अन्वेषणे॥ - - me - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 17 pram - - - E - % 3D चपाञ्चायांमृगीतुवनितांतरे ईगोरथहलायंगेनहोस्तु तादिषु पुग्मेहस्तचतुष्केपिद्धिनामोषधे पिच 17 योगो॥ वार्थसंप्राप्तीसंगतिध्यानयुत्तिषु वपुःस्थैर्यप्रयोगेचविष्कंभादिषु भेषजे 18 विश्रब्धघातकेद्रव्योपायसन्नहनेवपिकार्मणेपिचर गोनारागेन्त्येरणक्षितौ 19 अस्त्रीत्रपुणिरागस्तुमात्सर्येलोहि तादिषु लेशादावतुरागेचगांधारादौनृपेपिच २०रोगकुष्ठोषये| व्याधौलंगस्तुसंगषिङ्गयोः लिंगचिन्हे नमानेचसारख्योक्ताक तावपि 21 शिवमूर्तिविशेषेपिमेहनेपिनपुंसक व्यंगोभेके चहीनांगेवेगंसीसकरंगयोः 22 वार्ताकेपिचकापासेभूग्नि नीरदंतरे क्लास्याच्छगलेसिसुंदरेचाभिधेयवत् २३वेगो जवेप्रवाहेचमहाकालफलेपिच शाडू कार्मुकमापिविष्णोर पिशरासने २४शुंगो वटाम्रातकयोःपर्कट्यामपिचास्त्रियाम्। श्रृंगंप्रभुत्वेशिखरेचिन्देकीडांबुयंत्रके 25 विषाणोत्कर्षयो श्वाथशृंगास्यात्कूर्चशीर्षके स्त्रीविषायांस्वर्णमीनभेदयो षभौषधी रईसर्गस्तुनिश्चयाध्यायमोहोत्साहात्मसृष्टिषु॥ull ||गत्रिः॥अयोगोविधुरेकूटेविश्लेषकठिनीयमे 27 अनेगरी मदनेनंगमाकाशमनसोरपि अपांगस्वंगहीनेस्यालेत्रोतेतिला केपिच 28 आभोगोवरुणछत्रपूर्णतायत्नयोरपि आयोगो।। | व्याप्तौगंधमाल्योपहारबोधयोः 29 आशुगोमारुतेबाणे || प्युहगंकमुकीफले उद्वेगोप्युदाहलकोहेजनोहमनेषुच 30 // उत्सर्गःसिसामान्येन्यायेचत्यागदानयोः कलिंग पूतिकरने धूम्याटेभून्निनीति 1 नयो कोटजफलेमहिलायोतुयोषि ति कालिंगो भूमिकरौिदंतावलभुजंगयोः 32 कालिंगी राजकर्कट्यांचकांगोमानसोकसि चक्रोगी कदुरोदिण्याजि ह्मगोहोचमंदगे 33 तडागो स्त्रीजलाधारविशेषेयेत्रकू टके तातगःसुद्धतातेनाजनकस्यहितेत्रिषु 34 त्रिवर्गाध||| - D - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:१८ - - मकामार्थस्त्रिफलायांकटुत्रिके द्विस्थानायेसत्वरजस्त / मसिचेष्यते 35 तुरगी चाश्वगंधायांतुरग वित्तवाजिनो:// धारांगोगसोचतीर्थचनरांगस्तुवरंडके 36 मेहनेनद्वयोश्चा थनारंगपिमलीरसे यमजप्राणिनिविटेनागरंगद्रुमेऽपिच|| 37 निषेगसंगतेतूणेनिसर्गारुपसर्गयोः नीलगुस्यात्त || मौसिभस्मराल्यातुपोषिति 38 पत्रोगनयोर्भूर्जेपाकैरना चंदने पनगवौषधीभेदेतथैवपवनाशने 39 पूर्वगो वानरेभ केसारथौचोष्णदीधितेः पराग सुमनोरेणोधूलिस्नानीययोरपि 4|| गिरिप्रभेदेविख्यातादुपरागेचचंदने प्रयागस्तीर्थभेदेस्यायतेश। तमखाश्वयोः 41 प्रयोगकर्मणे:पिस्यात्प्रयुक्तौचनिदर्शने पता गःशलभेशालिप्रभेदेपक्षिसूर्ययोः 42 कीबंसुतेप्रियेगुस्त्रीरा|| जिकाकणयोरपि फलिन्यांकेगुसस्येचपुन्नागस्तुसितोपले 43|| जातीफलेनरश्रेष्ठेपांडुनागेगुमांतरे वरोग योनिमातंगमस्तके | गुडलचि 44 भुजेगोहोचपिगेचमातंगःश्वपचेगजे मृदेगः पटहेपोषेरतोगस्तुमहीसुते 45 कंपिल्लेस्त्रीजीवंत्यांकीब। विद्रुमधीरयोः स्थाईनहयोश्चक्रेनाच क्रांगविहंगमे 46 वातिगःपुसिभटाक्यौधातुवादिनिचान्यवत् विडंग स्त्रिष भितेस्पाकृमिघ्नेपुन्नपुंसक 47 विसर्गस्तुपुमान्दानेत्या गेचमलनिर्गमे विसर्जनीयेप्ययनभेदे पिच विभाक्सोः 48 विहंगस्तुन्निलिंगस्यादाशुगेचविहंगमे सर्वगंसलिलेली बंसर्वगःशंकरविभौ 49 संभोगस्तुपुमान्भोगेसुरते जिनशासने सारंग:पुंसिहरिणेचातकेचमतंगजे 50 शबलेनिषुहेमांगोगरुडेपरमेष्ठिनि॥ ॥गचतुः॥ // Wm स्यादपवर्गस्त्यागेमोक्षेकावसानसाफल्ये 1 // अभिषेगोनपुंलिंगःपराभवाकोशशपयेषु ईहामृग // स्तुपंसिस्पात्कोकरूपकभेदयोः 52 // // // - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - मेदिनीकोश: 19 गचतुः // 52 उपरागस्तुसिस्यादाहुयस्तारकेचंद्रयोः दुर्नये ग्रहक ल्लोलेव्यसनेपिनिगयते 53 उपसर्ग:समान्त्रोगभेदोप वयोरपि कटभेगस्तुशस्यानांदस्तछेदेनपात्यते 54 // त्रभंगोपिवैधव्येस्वातंत्र्यनृपनाशयोः दीर्घाध्वगःपुमान, ऐलेख्यहारेतुभेद्यवत् 55 मल्लनागोभ्रमातंगेवात्स्या यनमुनावपि समायोगस्तुसंयोगेसमवायेप्रयोजने 56 संप्रयोगोरतेपिस्यादन्वितौकार्मणेपिच॥ ॥गपंच॥ ॥क/ थाप्रसंगोवातूलेविषवैद्येचवाच्यवत् 57 नाडीतरंगः॥ काकोलेझिंडकरतहिंडके इतिगांतवर्गः ॥पैक॥ पोचं|| टायांपर्धरनास्त्रियांतुकांचिधातयोः॥ ॥पहिः ॥अघेता व्यसनेदुःखेदुरितेचनपुंसकं 1 अर्घःपूजाविधीमूल्येप्य॥ हास्यादिजानिले अगौहस्तपुटेशस्तेप्योपोवेगेजलस्यची रवंदेपरंपरायांचतंन्टत्योपदेशयोः मघामधीचनसत्रे धान्पभेदेयथाक्रम मघोहीपोतरेमेघोमुस्ताजलदयोः मान् मोपात्रीपारलायोस्याद्धीननिष्फलयोस्त्रिषु 4 ल पुरगुरौचमनोजेनिःसारेवाच्यवली वं शीप्रेचसमागुरुणि पक्कानामौषधोतुस्त्री 5 श्लाघास्त्रियांप्रशंसायांपरिचर्या भिलाषयोः॥पत्रिः अनघोनिर्मलापापमनोजेष्षभिधेयबता 6 अमोघसफलेवाच्यवतस्त्रीपथ्याविडंगयोः उल्लायो पिश्चौरुलेदानीरोगयोस्त्रिषु 7 काचियकोचनेपिस्या-॥ च्छेमेडेमूषकेपिच निदापो ग्रीष्मकालेस्यादमस्वेदांबुनो|| रपि 8 पलिपः काचकलशेपटेणाकारगोपुरे परियोयोग भेदेस्त्रविशेषेर्गलघातयोः 9 प्रतिघःप्रतिघातेस्याक्रोधे पिपरिकीर्तितः महार्ध स्तुमहामूल्येत्रिषुस्याल्लावकेपुमा न 10 सर्वाघो गुरुभेदेचसर्वसन्नहनेपुमान् // तिची तवर्गः॥डैके॥ङपुमान्विषयेख्यातःस्पृहायांविषयः॥ marwanamum - . . - - - - - - - -- - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:२० M % - स्यच तिलोतवर्ग:चैक।चश्चंडेशेपुमानुत्तःकच्छ| पचंद्रचौरयोः चािअर्चापूजाप्रतिमयो कचाकेशेगुरोः॥ सुते बंधेशुष्कवणेपुसिकरिण्यांतुकवा स्त्रियों काचः शिवोमणौनेत्ररोगभेदेमृदंतरे 2 कोचीस्यान्मेखलादाग्नि प्रभेदेनगरस्पच कूर्चमस्त्रीभुवोर्मध्येकठिनश्मश्रुकैतवे| 3 काँचोहीपविशेषस्यात्यक्षिपर्वतभेदयोः चर्चाचिंतास्था सकयोश्चर्चिकायांतुयोषिति 4 चंचातुनलनिर्माणेतृणनि र्मितपूरुषे चंचू स्त्रोट्यांस्त्रियासिगोनाडीकेव्यबकेश त्वकस्त्रीचमेणिवल्केचगुडत्वचिविशेषतः न्यबीचनिम्नः योनीवापामरेखामनेपिच ईप्राच्छन्दोदिशिदेशेचकालेच वाच्यलिंगकः पिचुन कुष्टभेदेचकर्षेनूलेसुरांतरे 7 मोच शोभोजने'सिमोचाशाल्मलिरंभयोः रुचिःस्त्रीदीप्तीशोभाया। मभिवंगाभिलाषयोः 8 रुकनीशोभायुतीलासुवचःकीरेव चौषधी शारीकायांचवाग्बाचभारस्यांवचनेत्रियो ९वीचिः स्वल्पतरंगेस्यादवकाशमुखेड्योः शचीद्राण्यांशतावर्यात | थास्नीकरणांतरे 10 शुचियाग्निशृंगारेश्वाषाढशुमत्रि णि ज्येष्ठेचसिधवलेहेनुपहतेत्रिषु 11 सूचीतुसीवनद्र व्येप्योगिकाभिनयांतरे॥ ॥चत्रि॥ ॥उदग्टिग्देशकाले|| पुवाच्यवत्रितयेऽव्ययं 12 कणीचीपुष्पितलतागुंजयोःशका टेक्खियां कवचोगर्दभाडेचसन्माहेपटहेपिच 13 ऋकचः॥ करपस्त्रीग्रंथिलारख्यतरौपुमान् नमुचिस्तुपुमान्दैत्यभेदे कुसुमकार्मुके 14 नाराच्येषणिकायोनालोहबाणीबहस्ति नोः प्रपंचसंचयेपिस्याहिस्तारेचप्रतारणे 15 प्रत्यग्दिन्दे| शिकालेषुवाच्यवत्रितयेऽव्ययं मरीचिर्मुनिभेदेनागभस्तावन पुंसकम् 16 मारीचोरससोभेदेककोलेयाजकडिजे मारीची देवताभेदेविपेची लिवीगयोः 17 विककक्षपणेतौनाके E - - r a - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - -- - - - - - - - मेदिनीकोश:२१ शिस्फुटितन्यवत् विरिचि विस्चिश्ववैकुंठेपरमेष्ठिनि 18il संकोचोमीनभेटेस्यात्वकीबंतुकंकमे सम्यकस्याहाच्य|| लिंगंतुमनोज्ञेसंगतोपिच 19 ॥चचतुः॥जलसूचिःकका बोटिमत्स्यशृंगाटयोरपि शिशुमारेचपुल्लिंगोजलोकायांतु पोरा घिति 20 मलिम्लचोमासभेदेचौरज्वलनयोःपुमान्॥ चपी च॥ रतनारीचोनारीणांसीत्कारेचशुनिस्मरे 21 इतिचीत वर्ग:॥ ॥छैकं॥छाछादनेस्त्रियांरख्यातानिर्मलेन्यवदिव्यते। In ॥छडिः ॥अछास्फटिकभल्लूकमिर्मलेवलमव्ययम् 1 आभिमुख्य थकल:स्यादनूपेतुन्नेकद्रुमे नौकोगेसिवारा ह्यांची रिकायांचयोषिति 2 स्याइरस्तवकेस्तंबहारभेदक। लापयोः पिछापूगलटाकोशमोचाशाल्मलि वेष्टके 3 भक्तः॥ संभूतमंडेचपंक्तावश्चपदामये स्त्रियांसितुलांगूलेनयोर्बह चूडयोः 4 पुछ: पश्चात्प्रदेशेस्यालांगूलेपुछमिष्यते म्लेछ पामरभेदेचपापरले पभाषणे 5 // ॥लचतः।महाकछ| स्तुपुंसिस्यात्समुद्रेचप्रचेतसि ॥इतिछांतवर्ग: जैके जोना मृत्युंजयेजन्यांतातमात्रैजनार्दने जूरवरागमनेोक्तासामाjil न्यगमनेस्त्रियाम् 1 जूराकाशसरस्वत्यांपिशाच्यांजवनेर खियाम्॥ ॥जहिः अजश्छागेहरिब्रह्मविधुरमरटपेहरे। अब्बोस्त्रीशंखेनानिचुलेधन्वन्नरोचाहिमकिरणे कीबपोः॥ थानिःस्त्रीसमभूमौचसंग्रामे 3 ऊजैस्तुकार्तिकोत्साहबले प्राणनेपिच केज:केशेविरिंचत्रकर्जपीयूषपायोः 4 // बजाकात्यायनीदेल्याङ्कजोनरकभौमयोः कल्नोरक्षपभे|| दिनान्युनेस्याहाच्यलिंगकः 5 कुंजोखियोनिकुंजेपिहनौ|| देतेपिहस्तिनां खेजाछंदःप्रभेदेनीकुटिलांघौतुवाच्यवत् 6 विजामथेप्रहस्तेऽथवजे कीटांतरेस्मृताखरीपादपेकंड्रोम जोमानेमतंगने 7 वास्तुनःस्थानभेदेपिगंजाखनौसुराग - -- - - %3 - - - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:२२ OGS %3D - - - - -- - - - गजःस्यात्युंसिरीढायांभोडागारेतुनस्त्रियां 8 रोजानुका कचिचायोपदहेचकलध्वनौ रिजास्याद्राह्मणक्षत्रवैश्यदेती डिजेषुना 9 हिजाभार्योहरेणीचध्वनःस्याच्लोडिकेपुमान नस्त्रियांतुपताकायारवट्ठोगेमेचिन्हयोः 10 निजस्वीयेचनि स्पेचन्युजोदर्भमयसुचिं कर्मरंगफलेकीवंकुब्जाधोमुखः॥ योस्त्रिषु 11 प्रजालोकेचसेतानेपिंजातूलहरिद्रयोः बलेकी बंबधेपुंसिव्याकुलेत्रिष्वथोमुजा 12 इयोबाहीकरेमजस्त्री शुद्धोधावके पिच रजोरणोपरागेस्यादातवेचगुणांतरे 13 // रानण्यांगुणेयोषिद्राजिस्त्रीपंक्तिलेखयोः रुजारोगेच गेथलाजस्यादाश्तंडले 14 नपुंसकमुशीरथस्त्रियां भूम्नि चाक्षते ब्रजो गोष्ठावदेषुवाजोनिःस्वनपक्षयोः 15 वेगे पुमानथकीबेघतयज्ञान्नवारिषु व्याजशाठ्यपदेशेऽथबी|| जमकरकारणे 16 हेतुतत्वाधानशुक्रेसर्जुर्वणिजि बिद्युति| स्त्रियास्वंजाविधौरुदेवजःप्रस्वेदपुत्रयोः 17 क्लीबंरक्तेः। थसंजःस्यात्सन्न संभृतेत्रिषाजत्रि॥अंडजागनार भौस्यात्सरटे हौखगेझषे 18 अंगजेरुधिरेनंगकेशपुत्र गदेषना अंबजोनिचुलेपंसिकमलेतुनपुंसकम् 19 अ सक्स्पाद्योगभेदेनारत्तेपिस्यान्नसकंम् कंबोजोहस्तिभे देषिशेरबदेशविशेषयोः 20 करजस्याद्याघनखेकरंजनख यो:पुमान् कारुजःशिल्पिनाचित्रेवामलूरेगजाके 21 को बोजोश्यांतरेसोमवल्केपुन्नागपादपे कांबोजीमाषपण्यों चवलक्षाखटिरेस्त्रिया 22 कुटजोरक्षभेदेस्यादगस्त्यद्रोण || योरपि गिरिजवनके पिस्याच्छिलाजतुनिशेलने 23 लोहे पिगिरिजागौरीमातुलंग्योश्चयोषिति जलजकमलेशंखे नीरजकुष्ठपभयोः 24 परंजस्तैलयत्रस्याच्लुरिकाफलफे नयोः बलजंगोपुरक्षेत्रेशस्यसंगरयोरपि 25 बरुजावर - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:२३ Ms % E D - योषायांयूथ्यामश्वणिकस्त्रियांवणिज्यायांपुमान्बाणिज्यको चकरणोतरे 26 बाहजासत्रियेकीरेस्वयजाततिलेपिच भू मिनोनरकेंगारेसीतादल्यातुभूमिजा 21 वनजामुदप गयानामुस्तकेलीवमंबुजे सहजस्तुनिसर्गेनासहोस्थेपुनर न्यवत् 28 समजःपशुरंदेनाविपिनेतुनपुंसके सामन||| स्तुगजेसिसामोत्येपुनरन्यबत् 29 दिमजातुशचीगार्योः सिमैनाकपर्वते॥जचतुः॥अहिभुगबर्हिणेतास्पैसि|| काश्मीरजपुनः 3. कुष्टकुंकुमयोःक्कीतिविषायांतयोषिति क्षीराब्धिजंतुसामुद्रलवणेमोत्ति केपिच 31 पुमोस्तुषारकि रणेकमलायांतुयोषिति ग्रहराजोरवीचंद्रेजघन्यजःकनीय सि 32 रषलेरिजराजस्तुचंद्रनंतेगरुत्मति धर्मराजोयमे बुद्धयुधिष्ठिरतपेपुमान् 3 भरद्वाजोगुरोःपुत्रेव्याघ्राटारख्य विहेगमे भारद्वाजावनकार्यास्यानाद्रोणऋषिभेदयोः 34 | थभंगराजउक्त पक्षिविशेषचमानमरे यक्षराटपुंसि धनदेमल्लानारंगचत्वरे 35 राजराजाकुबेरेपिसार्वभौमे सुधाकरे॥ ॥जपंच॥ ॥ऋषभध्वजएषोपिशंकरेचाहे दतरे 36 मुनिभेषजमागत्यहरीतक्यांचलंघने ॥इतिजा तवर्गः॥झेके॥झोझ टीशेसुरगुरौदैत्यराजेध्वनावपि॥ झहि॥झैझाबातेतारवायोमटेपिकर्त्यतेबुधैः झंझाध्वनि विशेषेचस्यादेबुकणवर्षणे॥इतिझातवर्गः॥ जैक। जापुमान्स्याइलीवर्देसुकेवाममतावपि ज्ञोब्रह्मबुधविडू त्सुस्यादज्ञोजडमूर्खयोः 1 प्रज्ञस्तुपंडितेवाच्यलिंगोबुधौच|| योषिति राज्ञोराजप्रियायांचभार्यायांभास्करस्पच २॥संज्ञा| नामनिगायत्र्यांचेतनारवियोषितोः अर्थस्यसूचनायोचहस्ता ोरपियोपिति ३॥अत्रि // कृतज्ञःकुकुरसिमर्यादि। न्यभिधेयरत क्षेत्रज्ञआत्मनिछेकेदेवज्ञोगणकेपुमानू 4 - PM For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - मेदिनीकोश:२४ दैवज्ञमणिकायास्त्रीसर्वज्ञाशिवबुद्धयोः॥ इतिञातवर्ग: // ॥टैके। टापुमान्वामनेपादेनिःस्वनेपिकचिन्मतः॥ // टर्॥ि ॥अभक्केचशुष्केनाक्षीमेत्यर्थराहांतरे१ इष्टमा शंसितेपिस्यात्यूजितेप्रेयसित्रिषु सप्तततीपुमानकीवेसंस्का रिकतुकर्मणि 2 इष्टिर्मताऽभिलाषेपिसंग्रहश्लोकयागयो: कट:ोणोस्योःसुसिकिलिंजेऽतिशयेशिरे 3 समयेगजगडे चपिप्पल्यातुकटीमता कटुस्त्रीकटुरोहिण्यांलताराजिक॥ योरपि 4 नपुंसकमकार्यस्यात्युल्लिगेरसमात्रके त्रिषुतज्ञा त्सुगंध्योश्वमत्सरेपिरवरेपिच 5 कतुगहनेक कष्टरोदी नरावयोः कटःकोटेपुमानस्त्रीघटेस्त्रीयंसयोहे 6 कु.॥ टीस्याकुंभदास्याचमुरायोचित्रगुच्छके टोऽस्त्रीनिश्चले राशौलोहमुदरदंभयोः 7 मायाद्रिशेगयोस्तुछेसीरावयव|| गायत्रयोः अन्नतेचाथष्टिस्यादाकर्षेस्त्रीबुधेपुमान 8 कोसिस स्त्रीधनुषोयीसंख्याभेदप्रकर्षयो: खटोधकूपकफयोप्रा हारांतरटंकयोः 9 खाटिस्वसहेपिस्याकिणेशवरथेस्त्रियों खेटःकफेग्रामभेदेचर्मण्यस्यर्वतित्रिषु 10 अथगृष्टिःसरु सूतगवीवदरयोस्त्रियाम् घटसमाधिभेदेभशिर-कूटकुटेषुच 11 घटाएटनगोरीभघटनासुचयोषिति पृष्टिःलीघर्षणस्य विष्णुकांतासुनाकिरी 12 घोटा तुवदीपूगक्षयोरपियों पिति चश्चापिचिंडेचतिनामासनेपुमान् 13 जटाल|| ग्नकचेमूलेमांस्योप्लोपुनर्जटी जुतलीबमुच्छिष्टेसेवि तिबाच्यलिंगकं 14 झाटोनिकुंजेकोतारेणादीनांचमार्ज॥ ने तदंनपुसकोत्रेप्रतीरेतुतदीत्रिषु 15 त्वष्टापुमान्देवः॥ शिल्पितक्ष्णोरादित्यभिद्यपि अदि स्त्रीसंशयेस्वल्पेसूस्मे लाकालमानयोः 16 नोटिःस्लीकट्फलेचंचांखगेमीना। तिरेऽपिच दिष्टंदैवेपुमान्कालेदिएिपरिमाणयोः 17 - - - - Sure - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश: 25 - - स्त्रियोदृष्टिस्त्रियोबुधौलोचनेदर्शने पिच धटोदिव्यतुलायास्या टी चीरेचवासस 18 नदीनल्योषधेस्त्रीस्यात्शैलूषाशोर कयोःपुमान् पटश्चित्रपटेवस्त्रास्त्रीप्रियालमेपुमान् 195 दर्द क्षेचनीरोगेचतुरेप्यभिधेयवत् पटोलेतुपुमानकीबेछबाल वणोरपि 20 पद:पेषणपाषाणेवणादीनांचबंधने चतुष्यये| चरानादिशासनातरपीठयोः 21 पटि-स्त्रीपटभेदेस्याहागुलो कुंभिकाद्रुमे पुष्टिःस्त्रीपोषणेरौफटातुफणदतयोः 22 व|| टीत्रिषुगुणेसिस्यान्यग्रोधकपर्दयोः भटःस्यात्युंसिवीरेचवि) शेषेपामरस्यच 23 भृष्टिःस्यार्जनेशून्यवाटिकायांचयोषि |ति स्लिष्टंत्रिष्वव्यत्तवाचिम्लानेमग्रियोःफले 24 बद्ध पाणोत्सरोयधिःपुंसिस्याङ्गजदंडके योहारलताभाग्र्योर्मधा काशस्त्रभेदयोः 25 रिष्ट क्षेमाशुभाभावेसिखड्रेचफेनि|| ले रिष्टिः परुनाशुभेस्त्रीलाटोदेशांतरें शुके 26 वाटोमा|| गैतिस्थानेस्यात्कुटीवास्तुनोः स्त्रियां विटो द्रौलवणेषिनेमू षिकेरवदिरेपिच 27 विधिःस्त्रिषुकर्मकरेत्याजूवेतनकर्मसु // व्युष्टिः फलेसमदोस्त्रीव्युष्टंकल्पेत्रिपूपिते 2 सदा जसाके सरयोगुटोव्यक्तप्रफुल्लयोः व्याप्तेत्रिषुसाटिोषित्पादकोटा मयेपिच 29 निर्मिनकर्कटीशस्यापिस्यालाष्टं तुनिर्मिते यु तनिश्चितयोःप्राज्येत्रिषुस्सृष्टिस्तुनिर्मिती 30 स्वभावेचापिक थिता हष्टोरोमांचितेपिच जातहर्षप्रहसितेविस्मितेप्यभिधेयव शरत्रि अवटा स्थाखिलेगर्नेकूपेकुहकजीविनि अरिष्टा लभुनेनिंबेफेनिलेकाकतकयोः 32 अरिष्टमशुभेतकेसूतिका गारासवे सुभेमरणचिन्हेचादिष्टमादेशितेत्रिषु 33 आज्ञप्तो दिइयो क्लीवमुकदस्तीब्रमत्तयोः उनटाकच्छपेशूर्पकर्कटो विहगोतरे 34 राशिभेदेकलीरेचवालूक्यांशाल्मलीफले क। इट:करहाटेस्यातपंककारयोरपि 35 करटो गजगंडेस्या - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:२६ - % कुसुभेनिंद्यनीवने एकादशाहादिश्रादुर्दुरूपिवायसे 36 करटोवाद्यभेदेथकार्यटोजंतुकाधिणोः कीकदारूपणेनिः स्वेत्रिषभूम्निनित्ति 37 कुरुंटोदारुपत्र्यांनाझिंटीम्लानप्रभे दयोः ककट्यन्तचर्यायोसिस्याचरणायुधे 3 निषादभू| द्रयोः पुत्रतणोल्कायोचकुक्कुभे कुनटीमन शिलायोनेपाल्पा मपियोधिति 39 रुपीटमुरेतोयेकेशटोहर्यजोत्कटे चर्पट-IN स्फारविपुलेचपेटेपर्पटेपिच ४०चकाटोविषवैद्यपिधूर्तदीनारयो || रपि चिपिट खाद्यभेदेनात्रिषुपिट्टितविस्तुते 41 चिरिंटीतुसु वासिन्यास्याहितीयवयःस्त्रियां जकुटवार्ताकुपुष्येजकदोमल|| येशुनि 42 व्यंकटं शिक्यभेदेपिधीतांजन्यांचनद्वयोः त्रिकट सिंधुलवणेत्रिकूटःपर्वतांतरे 43 त्रिपुटामल्लिकार्याचसूदमै || लात्रिरतो:स्त्रियां सतीनकेचतीरेचत्रिपुटःसमुदाहृतः 44 द्रो हाटःकथितोगाथाप्रभेदेमृगलुब्धके वैडालअनिकेचा थधाराटा श्वातकाश्वयोः 45 निर्ददस्तुदयाशून्येकथितोनिष्प्रयोजने प रापत्रादरक्तेचवाच्यलिंगोयमिष्यते 46 निष्कृतस्तुगृहोद्याने स्याकेदारकपाट्योः॥पर्कदीनूतनफलेपूगादेःपक्षपादपे 47 // परीहिःपरिचर्यायोप्राकाम्येन्वेषणेस्त्रियां पर्पटंपिष्टभेदेस्या सटोभेषजांतरे 48 पात्रट कर्परेसिदेशेस्यादभिधेयव त् पिश्चटोनेत्ररोगेस्याकीबसीसकरंगयोः 49 वरटाइयो|| वरट्यास्त्रीहंस्यांचतत्यतीपुमान् बर्बदीपण्ययोषायांब्रीहि भेदेच योधिति 50 वेकटःस्याकटिकेमत्स्यभेदेचयूनिच भावाटोभावकेसाधुनिवेशेकामुकेनटे 51 भाकूदशैल झषयोर्भेदस्यादथमर्कटी करंजभिच्छूकशिन्यो:सिवान रेलू तयोः 52 मोचाटारुष्णजीरेचरंभास्निमलयोद्भवे मो रौतभवेदिमूलांकोठप्रसूनयोः 53 सप्तरात्रात्परक्षीरेमूर विकायांतुमोरटा वर्गाटोगायनेचित्रकरेस्त्रीस्तजीवने ! DEE - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:२७ - विकटावन्त्रवाराह्यांत्रिपूरुविकरालयोः शाकटंशकटस्येदमि। सर्थतस्यबोढरि 55 शेलाटोदेवलोसिंहेशुक्लकारकिरातयोः संस्थंत्रिषुसेसर्गसंशु बसनादिना 56 टचतः॥ धि गदसणगडमत्स्येकोपनपूरुषे करहाट शिफादेपास्यम दनद्रुमे 57 स्यात्कार्यपटःरुपणोन्मत्तानर्थकरेषुच काम कूटस्तुवेश्याया:प्रियविनमयोःपुमान् 58 कटलतुकैव ती मुस्तके पुसिशोणके कंडकीरस्तुचाकवचनाभित्र रुपे 59 पतितब्राह्मणीपुत्रदासीकामुकयोरपि रखडारीटस्तु फलकासिधाराव्रतधारिणोः ई० गाढमष्टिःरुपाणनारुपणे त्वभिधेयवत् चक्रवाट:क्रियारोहेपर्येतेचशिरवातरौ 61 चतुःषष्ठिःकलासंख्याभेदयोर्वइचिस्त्रियां नारकीटोम कीटेस्यात्स्वदत्ताशाविहंतरि 62 परपुष्टःपरभृतेवारनार्यातु योषिति प्रतिष्ठंमतंगोंदिराहत्यारकर्षिते 63 प्रतिष्ठः प्रेषितस्यादप्रत्यारव्यातेचवाच्यवत् वर्कराटोकटाक्षेस्यात्तरुणादि, त्परोचिषि 64 नारीपयोधरोत्संगकांतदंतनखाते शिपिवि ष्टस्तुखलतौशिवदुश्चर्मणिस्मृतः 65 अथश्रतिकटःप्रांचल्लो हेहीपापशोधने पटपंच॥ दशनोच्छिष्टासिस्यान्नि श्वासाधरचुंबयोः 66 ॥इतिटांतवर्गःगठकठोमंडले चंद्रबिंबेशून्येचलोकगोचरे / उहि // कठोमुनौतदारण्यात दाध्येतज्ञयोःस्वरे 1 कठोगलेसनिधानेध्वनौमदनपादपे का ठादारुहरिद्रायांकालमानप्रकर्षयोः 2 स्थानमात्रेदिशिचस्त्री| दारुणिस्यान्नपुंसक कुष्ठरोगेपुष्करेस्त्रीकंठोकर्मण्यमूर्खयो। 3 कोष्ठ कुसूलेचातीयेमध्येकुक्षौगृहस्यच गोष्टं गोस्थानके| गोष्ठीसभासंलापयो स्त्रियां 4 ज्येष्ठःश्रेष्ठेऽतिदेचत्रिषुमासो तरेपुमान् ज्येष्ठातुराहगोधायजतुनक्षत्रभेट्योः 5 निहा। निष्पत्तिनाशांतयाञ्चानिबर्हणेषच प्रष्ठस्त्रिषग्रगेश्रेष्ठेसि / D - 33 - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - - - - FDMRAPADMASOORSHINDE मेदिनीकोशः२८ चांडालिकौषधौ ई पाठश्नपटनेल्याने विद्धपोतु गोषिति / पृष्ठंचरममात्रेपिदेहस्यावयवांतरे 7 वंठःस्यादलतोगदेख|| कुतायुधेपिच शठोमध्यस्थपुरुषेधूर्तधूस्तूरपोरपि र श्रेष्ठो बरेकुबेरेचशोठो मूर्खेलसेपिच षष्ठीकात्यायनीतिश्योस्त्रिी षणाचपूरणे 9 हठ स्यात्प्रसभेपृश्यांहेठोबाधाविहेठयोः / in ॥ठत्रि॥ ॥अपष्टपुंसिकालेचवामेस्यादन्यलिंगकः 10|| अंबष्ठोदेशभेटेपि विप्राद्वैश्यासुतेपिच अंबष्ठाचाम्ललोण्यास्या पाठायूथिकयो रपि 11 कमठ कलपेसिभाटभेदेनपुंसकम् // कनिष्टोतियुत्रात्यल्पानुजेस्त्रीदुर्बलांगुली 12 जरठ वर्कशेष डोकठिणेष्यभिधेयवत् नर्मठ चिबुकेषि३ प्रतिष्ठागौरलेक्षित 13 स्थानेचयागनिष्पत्तिचतुरक्षारपद्ययोः प्रकोष्ठोमणिबंधस्यक परस्योतरेपिच 14 भूपकक्ष्यांतरेपिस्याइरिष्ठं मरिचेपिच ताप्रेकीबंतित्तिरोनावरोरुत्तमयोस्त्रिषु 15 मष्टोत्रीहिभेदे नामथरेपुनरन्यजत् लधिष्टोत्यल्पकैभेलेबैकअरुणशक योः 16 श्रीकठोदेशभिद्युग्रेसाधिष्ठोतिहार्ययोः ॥ठचतुः॥ ila कलकंठ कलध्वानेहसेपारावतेपिके 17 कालकंठश्न दात्यूहेकलर्षिकेचरखंजने मयूरेपीतशालेचस्याखंड परशोपुमान कालपृष्ठकणचापेसिकंकविहंगमे स्याहृतशठोजबीरेकपि स्थकर्मरंगके 19 नागरंगेपिचपुमानस्याचीगर्योतुयोविति | तिकाटेचसरल देवदारुमहीरुहोः 20 सूत्रकंठापुयान्वि खंजरीटकपोतयोः हारिकतापिके पुंसिहारान्वितगलेत्रिपुरा // ॥इतिठांतवर्गः॥ ॥डैकं॥ दुःपुमान्यात्याग्नौस्या। डाकिन्यांनी निगद्यते ॥इहि अंदमुकेचपेश्यास्यादिडातु / बुधयोषिति 1 सौरभेय्यांचवचनवसमस्यामपिस्त्रियाम् कांड स्तबेतरुस्कंधेबाणेश्वसरनीरयोः 2 कुत्सितेरक्षभिन्नाडीदे। रहसिनस्त्रियाम् क्रीडाकेलिप्रकारेस्तवलावज्ञानयोरपि 3 NASALE - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:२९ - A u t oCREATETTETTPS- - - - कंडमग्न्यालयेमानभेदेदेवजलाशये कडीकमंडलोजारावण तिवत्नीसुतेपुमान् 4 पिठरेतुननादवेडीध्वनौकर्णामयेविषे|| क्ष्वेडावेशशलाकायांसिंहनादेचयोषिति 5 लोहितार्कपर्णफ॥ लेघोषपुष्पेनपुंसकम् दुरासदेचकुटिलेवाच्यलिंगप्रकीर्तितः कोड:शनीसूकरेनानपुमानंकरक्षसोः खेडोस्त्रीशकलेनेझुवि कारमणिदोषयोः 7 खेडापानांतरेभेदेगडास्यात्सुमिरवद्भिनी|| यहयोगप्रभेदेचवीथ्यंगपिटकेपिच चिन्हवीरकपोलेषुहयभूषा णबुदे गट एण्डेकुब्जेगडोमीनांतराययो: ९गुडःस्या होलकहस्तिसन्नादेशुविकारयोः गुडास्नुांचकथितागुडिका यांचयोषिति 10 गोंडःपामरजातीचरजनाभौचतरति चंडो। नातित्तिडीरक्षेयमकिंकरदैत्ययोः 11 चंडाधनहरीशंखपुष्यो त्रिष्वतिकोपने चंडीकात्यायनीदेव्याहिंस्त्रकोपनयोपितोः 12| तीब्रेपिचूडाबडभौशिरवायांबाहुभूषणे चोङपावरपोभूम्निदेश भेदेजडास्त्रियों 13 शूकशिव्याहिमगस्तमूकापजेषतुत्रिषु ता| डस्तुताडने घोषमुहिमेयतणादिषु 14 ताडोपत्रद्रुमेचाथदं॥ डोस्त्रीलगुडेपुमान् व्यूहभेदेप्रकाडेश्कोणमंथानयोरपि सैन्येकालेमानभेदेचंडांशो पारिपार्थिक दमेयमे भिमानेच ना|| डीनालेव्रणांतरे 16 शिरायांगडदूर्वायांचर्यायांकुहनस्थच त थाषाणकालेपिनीडंस्थानकुलाययोः 17 पंडापडेधियि स्त्रीस्पासांडर्नानपतौसिते पिंडोबोलेबलेसांद्रेदेहागारैकदे। शयोः 18 देहमात्रेनिवापेचगोलसिल्हकयोरपि ओडपुष्येच! पंसिस्यात्लीबमाजीवनापसोः 19 पिंडीतुपिंडीतगरेलाब) खजूरभेट्योः पीडारूपाशिरोमालापमश्रलद्रुषु 20 भाडा पात्रेवणियमूलधनभूपाश्वभूषयोः मंडःपंचांगुलेशाकभेदे| कीवंतुमस्तुनि 21 आमलपस्त्रियां मंडाल्या स्त्रियांसा|| पिच्छयोः मंडोदैत्यांतरेराहुग्रहेनामंडितेत्रिषु 2 मुंडा an - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:३० - -me - - rama an - % 3E - - H मुंडीरिकायास्यास्त्रियामस्त्रीतमूनि रंडा मूषिकपर्याच विधवायांचयोषिति 23 रोःक्षोदेभवेत्युंसित्तेतुवाच्यलिं। ||गकः रंडातुपांसुलायास्त्रीत्रिषुहस्तादिवर्जिते 24 व्याडो॥ हिंस्त्रपशौसखंडापानगृहेमता अप्यंबुहस्तिनीवेश्याहस्ति। हस्तसुरासुच 25 शौंडोमत्तेचविख्यातःपिप्पल्यांचभवेत्रि॥ या पद्मादिसंघातेनस्त्रीस्पानोपतोपुमान् 26 // सुन्त्रि In करेंडोमधुकांशासिकारंडेषुदलाढके कूष्माध्यमायांत्री|l सिकारौचगणांतरे 27 भ्रूणांतरेश्यकोदेडेचापेनानीद तरे भुन्ययोगरुडंस्बेडमंत्रेमरकतेपिच 26 तरंडोबडि सीसूत्रबकाष्ठादिकेपवे नौकायामपिस्त्रीस्या तित्तिडीडि बचिंचयोः 29 द्राविडोदेशभिजातेसंख्याभिवेदमुरव्ययोः निर्गुडी नीलशेफाल्यांसिंधुवारद्रुमेपिच 30 प्रचंडो दुर्वहे||| घेतकरवीरेप्रतापिनि प्रकोडोनरूत्रीविटपेमूलशारखांतरेतरोत // 31 शस्तपिचंड उरेपशोरवयवेपुमान् पूत्यंडोगंधकीटेपि|| तथाजेत्वंतरेपुमान् 32 वरेडोप्यंतरेवेदीसमूहमुखरोगयोः।। वारुंडोहारपिड्यास्त्रीफणीनांराजकंपुमान् 33 नास्त्रियोसे। कपानेचमलेक्ष्ण श्रवणस्यच भेरुंडादेवताभेदयक्षिण्यंतरयो। स्त्रियां 34 भयानकेबाच्यवत्स्यान्मार्तडाकोडसूर्ययोः मा|| रुडी डेभुजंगीनामार्गेगोमयमंडले 35 वरंडा सारिकावति शालदेचयोषिति वितंडावादभेदेस्यात्क चीशाकेशिलाल्हये। 36 करवीर्यामपिस्त्रीस्याच्छिण्डोवर्हचूडयोःशरडस्तुपुमान्यू|| तेशरठेभूषणतरे 37 ॥उचतुः॥ अपोगंडस्तुबलिभेबि|| कलांगेशिशावपि अतिगडोयोगभेदेवहतुवाच्यवत् 38 चक्रवाडोद्रिभेदेस्याच्चक्रवातुमेडले जलाँडोजलाव तैपयोरेणीभुजंगमे 39 देवताड सैंदिकेयेजीमूतेचहुताशने|| अथवातहडावात्याराजगणितयोरपि 40 पछिलस्फोटि|| E : % - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 31 - तितीयाप्रताडास्ता स्त्रीपुर्णिमादानकोडमामूली कायांचवामायामपियोषिति॥ ॥इतिडांतवर्ग:गका ढोढकायोपुमानक्तःशुनितस्यचलांगुले॥ ॥ढहि॥ गूढरह सिगुह्येचनयोःसंरतेत्रिषु 1 शुढेस्थूलेनितोत्तेचप्रगाढेवलवा|| त्यपि माढिःस्त्रीपत्रपंक्तौचदैन्यस्यापिप्रकाशने 2 मूढस्तु तंत्रितेबालेराढास्त्रीश्रमशोभयोःरुढंजातेप्रसिद्धेचबादहूँ। ढप्रतिजयोः 3 व्यूढःसंहतविन्यस्तपृथुलेष्वभिधेयवत् वो| दानाभारिकेसूते शेढस्यात्सेसिंगोपतो 4 आकृष्टोडेवर्षवरे|| ततीयाप्रसतानपि घोढातितिक्षासंयुक्तेशक्तचाप्यभिधेयवत् / / ॥aत्रि॥अध्यूढारुतसापत्न्यनार्यामध्यूढईश्वरे आषाढो वतिनांदेडेमासेमलयपर्वते ई स्त्रीपूर्णिमायामालीढंपादन्या सेशितेत्रिषु उदृढं अढेस्थूलेस्यादपोढोनिकटोढयोः 7 // प्रगाढाहढयो प्रमीढोमूत्रितेघने प्ररुढोजठरेबड्मूले वारुढइत्यये 8 वस्त्रोचलेकपाटेग्नोपंजरेशंबलेपिच विll रुकुरितेजातेविगूढोगर्हितेपिच 9 गुप्तेपित्रिषुसंसूढो ढचांकुरितेत्रिषु समूढाजितेभुग्नेसद्योजातेनुएपुते 10 // ll दिचतुः॥अध्यारुढंसमारूढेभ्यधिकेचानिधेयवत् खट्दा रुढ श्रितेखरामविनीतेचवाच्यवत् 11 प्रत्यालीढंतुचर णन्यासभेदेशितेत्रिषु // इतिढोतवर्गः॥णेकम्॥णः || मान्विदेवस्याभूषणेगुणवर्जिते पानीयनिलये पीति केचिदू चुर्विपश्चितः 1 ॥णद्वि॥ अणुहिविशेषेस्यात्युंसिसूक्ष्म भिधेयवत् अणिराणिवदक्षायकीलाश्रिसीमसुद्धयोः 2 उ ष्णायीभेपुमान्दक्षाशीतयोरन्यलिंगकः कर्णामेषादिलोम्नि। 'स्यादंतरावर्तकेधूनोः 3 कर्णःपृथाज्येष्ठसुतेसुवर्णालौश्रुता वपि क्षण:पत्सिवव्यापारेषुमानेऽप्यनेहसः 4 कणाजीरक||| कुंभीरमक्षिकापिप्पलीषुच कणोऽतिसूक्ष्मेधान्योशेकाणका कैकचरुषोः ५कीर्णदत्तेचविक्षिप्तेहिंसितेप्यभिधेयवत् // || - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 322 - - - कणिस्तुनकरक्षेनाकुकरेत्वभिधेयवत् ६ष्मसत्यवतीपु वायसेकेशवर्जुने रुष्णास्याद्रौपदीनीलीकणाद्राक्षासुयोषि ति 7 मेचकेवाच्यलिंगस्यातलीबमरिचलोहयोः कोणोवाद्य प्रभेदेस्याद्वीणादीनांचवादने 8 एकदेशेगृहादीनामश्रौचल गुडेपिच गणःप्रथमसंख्योघेचंडासैन्यप्रभेदयोः 9 गुणो मोामप्रधानेस्पादोसूददंद्रिये त्यागशोर्यादिसत्यादिसंध्याद्यारत्ति रज्जुषु 10 शुक्कादाबपिरट्यांचगेष्णु गायनेनटे घ्राणे मालीबंनासिकायांप्रातेस्याङ्कराच्यलिंगकं 11 घणाजुगुशारूप|| योरथचूर्णीकपर्दके चूर्णोधूलोसारभेदेचूर्णानिवासयुक्तिषु / जर्णचंद्रचक्षेचजिष्ण वासवेर्जुने जित्वरेवाच्यवज्जीणे परिपक्वपुराणयोः 13 रुणिमुकभेदेपिदुष्टदैवश्रुतौलियां त्राणं तुत्रायमाणा यांरक्षणेरक्षितेत्रिषु 14 तीक्ष्णसामुद्रल वणेविषलोहाजिमुष्कके कीबंजवाग्रजेपुंमितिग्मात्मत्यागिन त्रिषु 15 तूणीनील्यांनिगेनातृष्णा स्यात्तर्षलिशयोः दी। णेविदारितेभीतेद्रणं चापे लिनिद्रणः१ई दुण्यं बुद्रोणीक |च्छप्पोष्ण तरिदुर्गमे द्रोणोऽस्त्रियामाढकस्थादाढवाप चतुष्टये 17 पुमान्छपीपतौदग्धकाकेस्त्रीनीरदेतरे तथाका ष्ठांबुवाहिन्यांगवादीनामपीष्यते 18 पणोवराटमानेस्या न्मूल्येकार्षापणेग्रहे कैय्यशाकाहिकाछूतव्यवहारेभृतौधने || 19 पणेपत्रेकिंयुकेनापार्भिस्यादन्मदस्त्रियां स्त्रियांदूयोःसै|| न्यपृष्ठेपादग्रंथ्यधरेपिच 20 प्राणोहमारुतेबालेकाव्यजीने निलेबले पुल्लिंगःपूरितवाच्यलिंगापुभूम्निचासुषु 21 पूर्ण। शक्तेसमग्रेनापूरितेत्यभिधेयवत् फाणिप्डेकरवेचस्त्रियांवा योतुयोषिति 22 व्यूतावपिसरस्वत्यांभ्रणालीगर्भडिंभयोः॥ | मणिःस्त्रीपुंसयोरभजातौमुक्तादिकेपिचे 23 कंठदेशेस्त नेजायालिंगाग्रेलिंजरेपिच मोणःशुष्कालेनमक्षिका हि - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:३३ - - - करंडयोः 24 रणाकोणेकणेसिसमरेपुनपुंसक रेणुःस्त्री सयोधूलोपुल्लिंगसर्पटेपुन: 25 वर्णोद्विजादिशुक्लादियशोगुण|| कथासूच स्तुतौनानस्त्रियांभेदरूपाक्षरविलेपने 26 बाण स्या दोस्तनेदैत्यभेदेकेवलकांडयोः बाणातुबाणमूलेस्त्रीनीलाि ट्यांपुनईयोः 27 वीणाविद्युतिवलक्याष्णिोडवचंद्रयो। त्रिषुनायादवेमेषेवेणी केशस्यबंधने 2 नद्यादेरंतरेदेवता लेवेणुर्नपांतरे खक्सारेपिचसिस्याच्छायोमासचतुष्टये || 29 लौहादीनांचनिषकेशाणो प्रावरणांतरे श्रापक्केयवान रुलीशीर्ण तनुविशीर्णयोः 30 श्रेणिःस्त्रीपुंसयोःपंक्तौसमान|| शिल्पिसंहतो शोणकशानौश्योनाकेलोहिताश्वेनदेपुमान् 31 // त्रिषुकोकनंदलायेस्लाणुकीलेहरेपुमान् अस्त्रीधुवःथस्थूणा स्यात्सम्योस्तंभेएहस्यच ३२॥णत्रि॥अरुणोव्यक्तरोगे कैसेध्यारागेार्कसारथौ निःशब्देकपिलेकुष्ठभेदेनागुणिनि || त्रिषु 3 अरुणाऽतिविषाश्यामामंजिष्टात्रिरतासुच अर|| ॥णिन्हिमेथेनाइयोनिर्मथ्यदारुणि 34 अभीक्ष्णतुभृशेनि स्पतयुक्तक्रिययोनिषु इंद्राणीकरणंत्रीणांपौलोमासिंधुवारयो // 35 ईरिणंतूषरेशून्येपीक्षणंदर्शनेशि ऊषणमरिचेलीब कणायामूषणास्त्रियाम् 36 एषणीत्रणमार्गानुसारिण्यांच|| तुलाभिदि करुणस्तुरसेरक्षेलवायांकरुणामता 30 क तणतणभित्तभन्योःकरणंहेतुकर्मणोः वणिजादोहस्तलेपे नित्यगीतप्रभेदयोः 38 क्रियाभेदेद्रियक्षेत्रकायसंवेशनेषुच का यस्थेसाधनेक्लीवपंसिशूद्राविशो:सुते 39 कल्याणमक्षयस्व || निर्मगलेपिनसके कंकणंकरभूषायांसूत्रमंडनयोरपि 40 करेणुर्गजोषायोस्त्रियांपेसिमतंगजे कार्मणमंत्रतंत्रादि योजनेकर्मठपिच ४१काविणीपणतुर्याशेमानदंडेंचदश्यते सष्णलेकवराट्योः स्यादुन्मानस्यांशकेपिच 42 कारणंकर - Roman marwas For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:३४ - D % 3D णेहेतुबंधयोश्चनपुंसकं स्त्रीयातनायांकुर्वाणोभृत्यकार कयोस्त्रिषु 43 रुपाण:खहेच्छुरिकाकर्तयोरपियोषिति क पण स्तुक्रमौसिमंदकुक्षितयोस्त्रिषु 44 क्षेपणं प्रेरणेनौका दंडजालभिदोस्त्रियों ग्रहणंस्वीकारादरकरोपरागोपलब्धि वैदिषु 45 स्याहामणीप्रधान धिपतौत्रिषुनापितेपुंसि / ग्रामीणानीलिकायास्त्रीग्रामोद्भूतेऽभिधेयवत् ४६गोको ||श्वतरेसर्पसारंगेचगणांतरे अंगुष्ठानामिकोन्मानेगोकम् // विकौषधौ 47 चरणोऽस्त्रीबहादौमूलेगोत्रेपदेपिच भ्र मणे भक्षणेचापिनपुंसकउदाहतः 48 जरणंजीरके जा ॥जीटिंगसोवलेपिच तरुणंकुलपुष्पेनारुबुकेयूनितुत्रिषु 49 तरणिधुमणोपेसिकुमारीनौकयो स्त्रिया दक्षिणोदसि णोद्भूतसरलछेदवतिषु 50 आरामेत्रिषुयज्ञादिविधिदानेदिशि स्त्रियाम् द्रविणंनद्योर्वित्तेकांचनेचपराक्रमे 51 दारुणो| रसभेदेनात्रिषुतुस्याभयावहे दुघणोमगरेपिस्यातदुहिणेचप रम्पधे 52 दर्वर्ण विष्वसद्वर्णक्लीनमैलेयरुप्ययोः दीर्वाण मष्टपणेस्यायिांवरसेपिच 53 धर्मणस्तुपुमान्तसभेट्स प्रभेट्योः धरणंमानभेटेपिधारणेधरणीभुवि 54 ध र्षणस्यात्सरिभवेरते सत्यातुधर्षिणी धरुणःसम्मतेनीरेस्त्र लॊकेपरमेष्ठिनि 55 धारणीनाडिकायांस्यारोक्तमंत्रभि द्यपिधारणांगेचयोगस्यनपुंसिस्याद्विधारणे 56 धिषण स्त्रिदशाचार्येधिषणाधियियोषिति निःश्रेणिरधिरोहिण्यांख जूरीपादपेस्त्रियाम् 57 निर्याणवारणापांगदेशेमोक्षध्वनिर्गमे|| निर्माणनिर्मितीसारेसमंजसेनपुंसकं 58 निर्वाणमस्तंगम|| नैनित्तौगजमज्नने संगमेप्यपवर्गेचप्रवणोनाचतुष्पथे 56 क्रमनिम्नमहीभागोदरप्रन्देषचत्रिषु प्रघणस्तानकुंभेस्याद| लिंदेलोहमुहरे ६.प्रमाणे नियमर्यादाशास्त्रेषसत्यवादिनि - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश 35 D लीप सब नेवसरणीशा - - इयत्तायांचहेतोचलीबैकत्वेप्रमातरि 61 पत्रोर्णधीतकोशे॥ येक्लीबंस्थाच्छोणके पुमान् पक्षिणोपूर्णिमायांस्यादिंग्यांशी किनीभिदि 62 आगामीवर्तमानाहर्युक्तरात्रावपिस्त्रियों प्र बेणिःस्त्रीकथावण्योःपुराणपंचलक्षणं 63 पणेपुंसित्रिषु प्रलेपूरण:पूरकेत्रिषु क्लीबंपिंडप्रभेदेचपूरणीशाल्मलिट्रमे 64 पटारंभकसूत्रेषुप्रोक्षणंसेचनेवधे वरुणस्तरुभेदेश। पश्चिमाशापतावपि 65 वरुणस्तुपुमान्तिक्ताकपाकारयो रपि क्लीबंकन्यादिवरणेवेष्टनेस्त्रीनदीभिदि 66 वारणेप्र॥ तिषेधेस्याहारणस्तुमतंगजे ब्राह्मणब्रह्मसंघातेवेदभागेन पुस 6. भूमिदेवेतुपुल्लिंग:पुंजिकापक्कयो स्त्रियाम् वा रुणीगंडदूर्वायांप्रतीचीसुरयोरपि 68 भरणीघोषकेत्रो भरणंवेतनेभृतो भ्रमणीकारुंडिकायांक्रीडाद्यायामधीशित ई. भीषणोरसेसल्लल्यांनागाढेदारुणेस्त्रिषु मसणोऽक कैशेस्निग्धेत्रिघुमायांतयोषिति 70 मत्कुणोनिर्विषाणेभेनिः॥ श्मश्रपुरुषेपिच उद्देशनालिकेरेचमार्गणोयाचकेशरे 71 याच्चान्वेषणयोःलीबंयंत्रणंरक्षणेस्मृतं बंधनेस्यान्नियमने रवण:शब्दनेखरे 72 रमणंपटोलमूलेनास्त्रिीनाथवेस्म रे रोषण:पारदेहेमपर्वणोपलयोःपुमान् 73 क्रोधनेवाच्यलिं, गःस्याद्रोहिणीकंठरुभिदि तडित्कटुंभरासोमवल्केषुलो हितागवोः 74 लवणसैंधवादीनासिंधुरक्षोभिदोरसे तय तेवाच्यलिंगःस्यान्नदीभेदहिषोःस्त्रियाम् 75 लक्षणंनान्नि चिन्हेचसारस्यांलक्षणाकचित् लक्ष्मणात्वौषधीभेदेसारस्या मपियोषिति 76 रामभ्रातरिघुसिस्यात्सश्रीकेचाभिधेयवत् / विषाणीक्षीरकाकोल्यांअजशृंग्यांचयोषिति 77 कष्टनामो षधेकीवपशुश्रृंगेभदंतयोः विपणिःपण्यवीथ्योचभवेदाय णपण्पयोः 78 शरणंगृहरक्षित्रोर्वधरक्षणयोरपि श्र|| कशस्निग्धेत्रिपूजनानिकरचनामृतं बंधनेस्यामाधवरम umaaaaaaa - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 36 - D - - वर्णचश्रुतीकर्णेनक्षत्रेननपुंसक 79 श्रमणोयतिभेदेनानिया जीविनितुत्रिषु स्त्रियांसुदर्शनामास्योर्मुडीरीशबरीभिदोः 80 श्रावणोमासिपाडेदध्याल्यांश्रावणास्त्रियां शिंघाणका|| चपात्रेचलोहनासिकयोर्मले 81 श्रीपर्णीकाभरीकुंभ्योः क्लीबंपद्माग्निमंथयोः संकीर्ण निचितेपिस्थादशुद्धेचापिभे॥ द्यवत् 82 सरणि पंक्तीमार्गेचसारणोराक्षसोतरे रुग्भे देनाप्रसारण्यांस्वल्पनद्यांचसारणी 23 सुषेणःकरमदे। स्माहिष्णुसुग्रीववैद्ययोः सुवर्णोनास्वर्णकर्षसुवर्णानुम खांतरे 84 श्रीकृष्णागुरुणिलीबेकांचनेहरिचंदने सुपर्ण स्वर्णचूडेचगरुडेरुतमालके 85 सुपर्णाकमलिन्याचवैन| तयस्यमातरि हरेणु सतीलेलीरेणुकाकुलयोषितो. हरणंयोतकादीनांद्रव्येभुजेहृतावपि हरिणःपुंसिसारंगे| विषदेवभिधेयवत् 97 हरिणीहरितायोचनारीभिहत्त भेट्योःसुवर्णप्रतिमायोचहर्षणोऽक्षिरुगंतरे 88 हर्षके योगभेदेवश्राइदेवेपिचकचित् हिरणरेतसिस्वर्णेवराटेचन सकम् 89 ॥णचतुः॥अंगारिणीहसत्यांचभास्करस्य तदिश्यपि अर्वणि यज्ञब्राह्मणेचपुरोधसि 90 अतर्पणंत्रीणस्यान्मंगलालेपनेपिच आरोहणस्यात्सो पानेसमारोहेप्ररोहणे 91 उत्क्षेपणेतुन्यजनेपान्यमर्दन स्तुनि स्यादपुरणमुद्यारवांतान्तोन्मूषलेष्वपि 92 कार्या| पणोऽस्त्रीकॉर्षिकैपणषोडशकैपिच अथकामगणारागे विषयाभोगयोरपि 93 चीर्णपर्णतुनिबेपिरखजूरीभूरुहे || मान् चूडामणिःशिरोरत्नेकाकचिच्चाफलेपुमान् 94 | जवाणोऽपिचाध्वर्यावपिस्याज्जातवेदसि तंडवीण-कीट मात्रबर्बरेतंडलोदके 95 वायमाणावार्षिकेस्त्रीरक्ष्यमाणे भिधेयवत् तैलपमिलयजेश्रीवासेसिल्हकेपिच 96 - - - - - - - --- For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:३५ - - - - - - - - ॥दाक्षायणीवपर्णायामश्चिन्यायपुस्त्रियां अथदेवमणि|| भश्चावर्तकौस्तुभैपिच 97 नारायणोच्युतेभीरुगौयोना रायणीमता अथोनिगरणंडीभोजनेस्यागलेपुमान् (ता. अथनिस्सरणंमत्युपायमोक्षेषुनिर्गमे स्यान्निस्तरणमुपाये। निस्तारेतरणेपिच 99 निरपणंस्थादालोके विचारे चनिदर्शने पर्परीणश्चपर्णस्यशिरायांद्यूतकंबले 100 पर्णचूर्णरसेपिस्या त्पर्परीणेतुपर्वणि प्रवारणनिषेधेस्याकाम्यदानेचनद्वयोः 1 परीरण:स्यात्कमठेदंडेचपट्टशाटके परायणमभीटेस्या तत्पराश्रययोरपि 2 परवाणि:पुमान्धर्माध्यक्षवत्सरयोरपि परायण समासंगकाऱ्यापारगतावपि 3 पीलुपौबिंबिका। यामूळयामोषधीभिदि अथपुष्करिणीचेभ्यासराजिन्यांजला शये ४मधुपर्णीतुगंभार्या नीसिसजोषधावपि मीनीम्रीण स्तुपल्लिंगोदुर्दुराप्रेचरखेजने 105 रक्तरेणु नुसिंदूरपलाशको आरकेपुमान् रागचूर्ण:पुमान्दतधावनेमकरध्वने रेरिहाण स्तुसिस्यान्महादेवंबरेपिच लंबकर्णःस्मृताकोठपादपेछगले पिच 7 विधारणविबेचभेदकावरणेहयोः अयवैतरणी नद्यांप्रेतानायोतुमातरि ८शरवाणिशरमुखेपापिष्टशरजीवि) नि पुमानथोशिमवरिणीरसालारत्तभेट्योः 9 नारीरत्नेमलि। कायारोमावल्यामपिस्त्रियां अथसंसरणं कीजमसंबाधच मूगतो 10 घंटापथेचसंसारेरणारंभेचकुत्रचित् समीरणः|| स्यात्पबनेपथिकेचफणिज्जके 11 हरितकर्णयोरुबूकेपलाश गणभेदयोः ॥णपंच ।।अवग्रहणमिन्येतत्यतिरोधेप्यना दरे 12 अवतारणभूतादियदेवस्त्रांचलेर्चने प्रविदारण मारख्यातंसंपराये वदारणे 13 परिभाषायांसनिंदोपालगनेनि यमेपिच उत्तोमत्तवारणस्तुप्रक्किन्नकटकुंजरे 14 क्लीवे प्रासादवीथीनांकडरक्षरतावपि मंडकपर्णीमनिष्ठाब्राह्म|| - - / - - - - men - on For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - - मेदिनीकोश:३८ ण्यो तशोणके 15 रोमहर्षणरोमांचनासूतेचविभीतके वा| तरायणउन्मत्तेनिष्प्रयोजनपूरुषे 16 कोडेचपरपत्रेचकूटेच परसंक्रमे ॥णषट् // दोहदलक्षणमुक्तंवयःसंधौचगर्ने, च 17 यौवनलक्षणमव्यारल्यातलावण्यकुचयोश्च // ull इतिणांतवर्गः॥तैकातश्वीरामृतपुछेषुक्रोडेम्लेलेचकु त्रचित् अपुमास्तरणेपुण्येकथितःशब्दवेदिभिः १॥तहि॥ अस्तंक्षिप्यवसितेत्रिषुनापविमाचले अंतस्वरूपेनाशेना नस्त्रीशेषेतिकेत्रिषु 2 आर्तिपीडाधनुष्कोट्योःल्यालये स्वसत्तयोः आप्तिस्त्रीयोगसंप्रात्योरितं स्मृतेगतेत्रिषु ३ईति डिबेप्रवासेतिरष्ट्यादिषसुचस्त्रियाम् उक्त मेकाक्षरछेदस्या क्तंस्याद्भाषितेत्रिषु 4 कति नीरक्षणेस्यूतावृत्तिःकल्याणव मनोः जुगुशास्पईयास्त्रीस्यादतमछशिलेजले 5 सत्येदीप्ते जितेस्याइतुर्वर्षादिषसुच आर्तनेभासिचपुमानेत कर्तुरआ गते ईक्षत्ताशूद्राक्षत्रियजेप्रतीहारेचसारथौ भुनिस्थातन पेपिस्यान्नियुक्तवेधसोःपुमान् 7 कर्तातुकारकेवाच्यलिंगोनाप रमेष्ठिनि ऋतुर्यनेमुनौसिकाति-शोभेछयो:स्त्रियाम् 8 का तानार्याप्रियेगौस्त्रीशोभनेत्रिषुमाधवे लोहेचचंद्रसूर्यायःपया यांतःशिलासुच 9 क्षिति निवासेमेदिन्यांकालभेदेक्षयेस्त्रिया म् कीर्तितसादयशसोोषित केतो गवेधिकायोस्यात् 10 प्रासायुधेचती गुग्गुलुपृथयोश्वशालुक्या कृतंयुगेऽलम थेस्याहिहितेहिसितेत्रिषु 11 रुत्तेतुवेष्टितेछिन्नेरुति कारण हिंसयोः शत्तिवर्मत्वचोभूर्जसत्तिकायांतूयं स्त्रियाम् केतनसि पताका विग्रहोत्सातेषुलक्ष्मणि गर्तस्त्रिगर्तभेदेस्यादवटे चकुकुंदरे 13 ग्रस्तंग्रासीकतेपिस्याल्लप्तवर्णपदेषिच गति:// स्त्रीमार्गदशयोनियात्राभ्युपाययोः 14 नाडीव्रणसरण्यां | वगतं विज्ञानयातयोः गातुन कोकिलेभृगेगंधर्वत्रिषुरोषणे|| - - - - D - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:३९ - - 1 - - - - % - - - 15 गीतिश्चंदसिगानेस्त्रीगीत शब्दितानयोः गुप्ति रूल्यवा करस्थानेकारागारेचरक्षणे 16 गुप्तं स्याद्रक्षितेगूढेघातः कांडप्रहारयोः पृतमाज्येजलेलीबंप्रदीप्त्वभिधेयबत् 10 चित्तंछन्नेत्रिषुचिताचित्यायसिंहतौस्त्रियाम् चितिश्चित्या दयोःस्त्रीजातंव्यक्तीधजन्मसु 18 कीबंजिलिंगमुत्पन्नेजा ति-स्त्रीगोत्रजन्मनोः अभंतिकामलक्यावसामान्यछंदसोरपि // 19 जातीफलेचमालत्यांज्ञातिस्तातसगोत्रयोः पुमानथतत व्याप्तेविस्ततेचत्रिलिंगकं 20 क्लीबंबीणादिवाद्येस्यात्युल्लिंग! स्तुसमीरणे तातोनकंप्येजनकेतिक्तोरससुगंधयोः 1 तिका तुकडुरोहिण्यापर्पटेतुनपुंसकम् तूस्तं रेणोचविख्यातंजटायां|| |चनपुंसकं 25 त्रेतायुगेऽग्नित्रितयेदत्तं विप्राणितेऽर्चिते दं॥ तोऽद्रिकटकेकुंजेदशने यौषधौस्त्रियाम् 23 दांत स्तुदमि तेपिस्यात्तपक्लेशासहेत्रिषु दितिदैत्यजनन्यांचखंडनेपिचयो षिति 24 दीप्तं निर्भासितेदग्धेज्वलितेथद्भुतं त्रिषु शीघ्र विलीनेविदाणेद्युतिःस्त्रीरभिशोभयोः 25 इति वर्मपुटे|| मत्स्येनाधातुनेंद्रियेषुच शब्दयोनिमहाभूततगुणेषुरसादि षु २ई मनःशिलादौश्लेष्मादौविशेषाङ्गैरिकेस्टिच धाताहिर ण्यगर्भनापालकेत्रिष्वथोधुतं 27 त्यक्तेविधूतेधूतंतुकंपितेभा मितेत्रिषु धूर्ततुखेडलवणेधुरतूरेनाविटेत्रिषु 28 तिर्नेष्टोस्त्रि यातशेयोगभिहर्यधारणे नतंतगरपाट्यस्यात्कीबंकुटिल नम्र योः 29 त्रिषुनीतिर्नयेपिस्याप्रापणेपिचयोषिति पंक्तिः॥॥ स्त्रीगौरखेपाकेपत्ति पदगेलियां 30 गतावेकरथैकेभव्य ! श्वपंचपदातिके पंक्तिर्दशाक्षरंछंदोदशसंरल्यालिस्त्रियाम् 31 पतिर्धनाविष्वीशेप्राप्तंलब्धेसमंजसे पाता निपातने || त्रातेत्रिषुप्राप्तिमहोदये 32 लाभैपिचस्त्रियांप्राप्तिःपूर्तिमा देशयोः स्त्रियाम् पीतिनाश्वस्त्रि योपानेप्रीतहषितनर्मणोः३३ - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश: 4. - - - - - -- %3 पीतंपानेहरिद्रायोस्नियोगोरेऽभिधेयवत् प्रीति योगांतरेप्रे मिणस्मरपत्नीमुदी स्त्रियाम् 34 पस्तंकीवेपुस्तकेचलेल्या, दिशिल्पकर्मणि पूतं तुरंगमगतीकीबंपुसित्रिमात्रके 35 // पूतंत्रिषुपवित्रेचर्शटितेबहलोलते पूर्त्त त्रिषुपूरितेस्यात्की बखातादिकर्मणि 36 पोतनपुंसकंवस्त्रेखचितेवाच्यलि। गर्क मेतोभूतांतरेसिमतेस्याहाच्यलिंगकः 37 पोत शिशौबहिचगृहस्थानेचवाससि रत्तिस्तुवरणेपिस्याहे || टने पिचयोषिति 38 भर्त्तास्वामिनिपुंसिस्यात्रिषुधातरिपोष्ट र भक्ति विभागेसेवायोस्त्रियांनोतिस्तुयोषिति 39 मिथ्या, मितीचभ्रमणेभितिकुड्यप्रदेशयोः भीतियोस्त्रियां भीत। भये यभीयुत्तेत्रिषु 40 भूतिर्भस्मनिसंपत्तोहस्तिशृंगारयोः स्त्रियाम् भूतं क्ष्भादौपिशाचादौतौकीबंत्रिपूचिने 41 प्रा निवित्तेसमेसत्यदेव योन्यंतरेतुना कुमारेपिभृतिःस्त्रीस्थानमूल्ये पिभरणेपिच 42 मतंतुसन्मतेजातेमन्तिः स्त्रीलादियोस्म तो मंतःस्थपराधेषिमनुष्येषिप्रजापती 43 मातागौर्या दिजननीगोब्रह्माण्यादिभूमिषु माति मनिप्यवछेदेमुक्तिर्मो क्षेचमोक्षणे 44 मात्रादयःस्त्रियांमुत्तःप्राममोक्षेचमोचिते विषुस्त्रीमौक्तिकेमूर्तिःकायकाठिन्ययोः स्त्रियाम् 45 मूर्त स्यात्रिषुमू लेकठिनेमूर्तिमन्यपि मृतंतुयाचितमत्योक्तीवम सुमतित्रिषु ४ई यतिःस्त्रीपादविच्छेदेनिकारयतिनोःपुमान् / यतामेठेचमूतेनायुक्तिःस्त्रीन्याययोगयोः 47 यतोपतो पथग्भूतेकीबहरतेचतुश्ये रक्तो नुस्तेनील्पादिरंजितेलोहिते त्रिषु 48 कीबंतुकमेताप्राचीनामलकसनि रतिः स्त्री स्मरदारेषुरागेसुरतगुहायोः 49 रत्नं वर्त्मनिनद्यास्त्रीरतं सुरतगुहायो:रिक्तं शून्ये वनेरीतिःस्त्रियांस्पंदप्रचारयोः 55 पित्तलेलोहकिदेचलत्ताप्रियंगुशाकयोः एक्काज्यातिष्यतीवली / - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 41 - - लत्ताकस्तूरिकासुच 51 माधवीदूर्वयोर्लिप्तं विलिप्तविष|| दिग्धयो भुक्ते लूतातूर्णनाभपिपीलिकागदातरे 52 बप्ता तजनके सिवापकैप्यभिधेयवत् वक्तातपंडितेपिस्यागन्भिन्य प्यन्पलिंगकः 53 व्यस्ततव्याकुलेव्याप्तव्यत्तःस्फुटमनीषि णोः वस्तिईयोनिरहेनाभ्यधोभूम्निदशासुच 54 वर्ति भै| पजनिर्माणेनयनांजनलेखयोः गात्रानुलेपनीदीपदशादीपे। योषिति 55 वार्तातुवर्त्तनेवातिंगणेकृष्याधुरंतयोः नि:|| सारारोग्ययोःलीबंवृत्तिर्मल्लीरुजोःस्त्रियां५६ व्याप्तख्यात |समाकोतेव्याप्तिपिनरेभयोः स्त्रिया वित्तिर्विचारेचला|| भसंभावयोः स्त्रियां 57 वित्तंकीवंधनेवाच्यलिंगरल्या| विचारिते वीतमसारगजेस्यादंकुशकर्मण्यसारतुरगेपि : बीतिर्गतौचदीप्तीप्रजनाशनधा वनेषुस्त्री 58 वृत्तिविर रणाजीवकैशिक्यादिप्रवर्तने 59 स्त्रीवृतं प्रसवबंधेघ टीधाराकुचाग्रयोः रत्तोऽधीतेप्यतीतैतिवर्तुलेपिरतेमृते दृढेन्यलिंगवाकीबंछंदश्वास्विरत्तिषु शक्तिरस्त्रांतरेगौर्या | मुत्साहादोवले स्त्रियां दा शस्तंसेमेप्रशस्तेच शोतिःस्त्री मंगलेशमे शास्तासमंतभद्रेनाशासनेपुनरन्यवत् 62 शो तोऽभियुक्तरसयोःपुसित्रिषुशमान्विते अव्ययंवारणेशोतं / शोतंशितंचदबले 63 निशितेचशि तिर्भूर्जेनासितासित योनिषु शीतं हिमगुणेक्कीबंशीतलालसयोस्त्रिषु 64 व नीरेबदुवारेनाशुक्तं पूतामुनिष्ठरे श्रुतिःश्रोत्रेचतत्कर्म ण्याम्नायबातयोःस्त्रियाम्॥६५ शुत्तिःकपालशकलेशंखेश खनखेपिच नख्यश्वावर्तदुर्नाममुक्तासोदेषुचरित्रयां है। श्रव माकर्णितेशास्त्रेश्वेतोहीपाद्रिभेदयोः श्वेतावराटि काकाष्ठपाटलाशंखिनीषच 67 कीबरूप्येन्यवच्छङ्केस साधौधीरशस्तयोः मान्येसत्येविद्यमानेत्रिषुसाध्व्यमयोस्त्रियांस - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश: 42 - - - ma - - सातिर्दाने वसानेस्त्रीस्वोतं चेतसिगव्हरे स्थितंप्रतिज्ञात वतिचोर्ध्वनिश्चलयोरित्रषु 69 स्थिति स्त्रियामरस्थानमर्यादा यांचसीमनि सित मवसितेचबरेधवलेत्रिषुधवलायांनी 70 सीतालोगलपतिवैदेहीस्वर्गगंगासु सुतस्तुपार्थिवेपुत्र रूल्यपत्येतुसुतास्मृता सुप्तिःस्पर्शाततानिद्राविभेशय नेत्रियाम् सूतस्तुसारथोतक्षिणक्षत्रियाद्वाह्मणीसुते 72 वैदि पारदयो पुसिप्रसूतेप्रेरितत्रिषु स्यूतिःसीवनसंतत्पोस्त्रियांस्यू ताप्रसेबके 73 नात्रिषूतेस्मतिर्धर्मशास्त्रस्मरणयोःस्त्रियां। सति स्त्रीगमनेमार्गसेतुन लोकुमारके 74 हस्तःकरेकरि करेसप्रकोष्ठकरेपिच रोकेशात्परोनाते हितपथ्येगतेधृते 75 हेतिःस्यादायुधज्वालासूर्यतेजासुयोषिति // तत्रि // अमृतंयतशेषेस्यात्पीयूषेसलिलेघृते 76 अयाचितेचमोटे चनाधन्वंतरिदेवयोः अमृतामागधीपथ्यागुडूच्या मलकीषुच | 77 अनृतं रूपावसत्येष्यजितोनाहरीत्रिषु अनिर्जितेचाच्यता स्तुहरौमित्रिषुस्थिरे 78 अर्टियाचितेपिस्याहातव्याधीच हिसिते अन्नतनयो पंडेलाजेषुत्रिष्वहिं सिते 79 यपि कचिदव्यतोहरोस्मरहरेषमान् परमात्ममहदाद्यो की स्यादफुटेत्रिषु 50 अनंतःकेशवेशेषेपुमाननवधौत्रिषु अनंताच विशल्पायांशारि वादूर्वयोरपि 81 कणादुराल भापथ्यापार्वत्यामलकीषच विश्वभरागुड्च्यो स्यादनतंसु रखत्मनि 82 अशांतमशुभेचुल्यांमरणानवधायपि से॥ यथास्यतिःसिव्हिमदीधितिकालयोः 83 अहेस्ता पणेबजेसिमान्येऽन्यलिंगकः अर्हतश्वापिसुगतक्षपणेपिचा दश्यते 24 अगस्तिःकुंभयोनीचवंकसेनतरौपुमान् अर्व तीभदास्पांचवडवायांचयोपिति 85 अंगतिःपुंस्यग्निहो। तृब्रह्मबन्हिवधादितिः भूदेवमात्रोरहतित्यागेरोगेप्युभे D - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:४३ - D % D / - - स्त्रियो पई आपात सिपतनेतदात्वेचप्रकीर्तितः आधा तंशिंधितेकोतेप्यारख्यातंभाषितेतिडि. 87 आध्यातःश ब्दितेदग्धेवातरुग्भेदसंयुते आलुतःस्नातकेस्नातेप्यादव सादरेचिते 85 आचितःशकटोन्मेयेपलानामयुतहये पुल्लि ग:संगृहीतेपिछन्नेपिस्यानिलिंगकः 89 आहतंगुणितेचा पिताडितेचमृषार्थक स्यात्पुरातनवस्त्रेपिनववस्त्रेचनानके, Me. आनदेशभेदेपिरस्यस्थानेजलेरणे आवत तिनेवा रिभ्रमेचावर्तनपुमान् 91 आस्फोतंतुपुमानकैपणेस्याको विदारके आस्फोतागिरिकोचवनमल्योचयोषिति 92 // आयस्तस्तेजितेक्षिप्तेकेशितेकुपितेहते आयतिस्तुस्त्रियांदा र्य प्रभावागामिकालयोः 93 आयत्ति स्तुस्त्रियोस्नेहेवशिले| वासवेबले आहतिस्तुस्त्रियांरूपेसामान्यवपुषोरपि 94 आसत्तिःसंगमेलाभेस्त्रियामापत्तिरापदि प्रापणेपिचयोषि // त्स्यादुदंतःसाधुवार्तयोः 95 उषितंन्युषितेदग्धेप्युदात्त स्तुस्वरों तरे दयात्यागादिसंपन्नेकाव्यालंकारकत्ययोः 96|| त्तिप्तं शुष्कमांसेथत्रिषुत्तप्तेपरिपुते उचितं तुभवेन्यस्तैमितेजा तेसमंजसे 97 उदृतं स्यात्रिसितेपरिभुक्तोझितेपिच उ स्थितस्यात्रिपूत्यन्नेप्रोद्यतेस्मिन्यपि 98 उडात स्तुपुमा|| न्पादलक्लनेसमुपक्रमे पवनाभ्यासयोगस्यकालभेदेचकीर्ति | स: 99 उत्तुंगेमुद्गरेपिस्यादुदितंतूक्तभागते उछितंत्रिषुस जातेसमुन्नप्रयोः 100 उन्मत्तउन्मादवतिधरतूरमुचु। दयोः उहातानिर्मदगजेपुमानुमितेत्रिषु 1 एधतुः पुरुषः|| नौनाकलितं विदिताप्तयोः कपोतःस्याञ्चित्रकेठपारावतवि हंगयोः 2 अथकंदित माल्हानेकरितेपिनपुंसकं सारित स्त्रावितक्षारे अभिशस्तेपिचत्रिषु 3 कापोता रुचकेकीबेकll पोतोघेजनातरे किरातोमेछभेदेस्याइनिबेल्पतनावपि या ma - s RELAadi For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:४४ - - D - % 3D3D स्त्रियांचामरधारियांकुहिनीदुर्गयोरपि शतांतोयमसिगतदे। वाकुशलकर्मसु 5 गर्जितं वारिवाहादिध्वनौनामतकुंजरे यथितं गुंफितेक्रांतेहिंसितेचत्रिलिंगकम् 6 गभस्ति किरणे सूर्यनास्वाहायांतुयोषिति गर्यत स्त्रीस्वर्णलतयोर्गोपतिशि वर्षढयोः 7 नृपभास्करयो-सिचेष्टितं गतिचेष्टयोः जगत स्यापिष्टपक्कीबवायोनाअंगमेत्रिषु जगतीभुवनेक्ष्मायो॥ छेदोभेदेजनेपिच जयतोरक्षभिगौरिंद्रपुत्रीपताकयोः 9 // |पुमानेंद्रोहरेभीमेज्वलितंदग्धउज्वले जामातादुहितुःपत्यौ। सूर्यावर्तेधवेपुमान् 10 जीमुतो द्रौधृतिकरेदेवताडेपयोधरे ॥जीवातुरस्त्रियांमजीवितेजीवनौषधे ११जीवतीजीवनी शम्योडूनीरंदयोरपि गंभित करणेस्त्रीणामीहास्फोटितयो रपि 12 त्वरितं प्रजवेशीप्रेत्रिगोगणितांतरे देशेपिनाघु ॥रिकाकामुकांगनयोःस्त्रियां 13 तृणताधनुषितणत्वे दें। शितमपिजातदंसितेपिस्यात् कवचाचितेजिातिविप्रांडज योचपुल्लिंगः 14 दुर्जातं व्यसनेकीबेसम्यग्जातेग्न्यलिंगक दुर्गतिनकरेनैव्येस्त्रीदृष्टांतउदाहतो 15 शास्त्रेचमरणे धीमान पंडितेचरहस्पती निति स्यादलक्ष्म्यास्त्रीदिशंपा लोतरेपुमान् 16 निरुतं विप्रलंभेस्यान्नीचेविप्रकतेपिच निर्मुक्तस्त्यक्तसंगैस्यान्मुक्तकंचुकभोगिनी 17 निरस्तत्रिषु / निष्ठ्यूतेप्रेषितेवौद्रितोदिते सत्यक्तेचप्रतिहतेनिमितहेतुलक्ष्मणाः१८नि वातोढसन्नाहेवातशून्येपिचाश्रये निशातंत्रिषुशोतेस्याती। तुभवनोपसोः 19 निरुतिर्भर्त्सनेक्षेपेशठेशव्येपिचस्त्रियां निशा त्तिःसुस्थितावस्तंगमनेचसुखेस्त्रियां 20 नियतिनियमेदैवेस्त्री पतनपातुगेरखगे प्रहतंक्तितेसुण्णेपर्यस्तःपतितहतेष भूतमुगतेप्राज्येपंडितःसिल्हकेकवौ पलितंशैलजेतापे // केशपाकेचवर्दमरुप्रस्तःसुप्रसारस्यादिनीतेवेगितेत्रिषु अर्गेजल mammit - - - - - - . For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश: 45 - - 3 - - तुपुल्लिंगोजघायांप्रसतामता 23 प्रसूतं कुसुमेकीबंत्रि संजातसूतयोः प्रणीत संस्कृताग्नौनायज्ञपात्रांतरेस्त्रियः 24 विक्षिप्तोपसंपन्नविहितेषुप्रवेशिते प्रतीत सादरेजाते हरप्रख्यातयोस्त्रिष 25 प्रमीतं वाच्यलिंगस्यात्प्रोसितेपि मृतैपिच परेतोवाच्यलिंगःस्यान्मतेभूतोतरेपुमान् रईपा वतः पादपेसिशाकमत्स्यप्रभेदयौः देवमुन्यंतरेशैले प्रपा तोनिर्झरे तदे७ पर्यानंतुयथेटेस्यात्तृप्तीशक्तनिवारणे पेचता पिचभावस्यान्मरणेपिचयोषिति 28 पक्षतिश्वभवेत्पक्षमूले चप्रतिपतिथौ प्रसूतिद्भवेपिस्यात्तनयेदुहितर्यपि 29 मत तिर्विस्वतोवल्यांपति-पंक्तिवर्मनोः प्रत्ति स्तुप्रवाहेस्या दुदंतेचप्रवर्तन 31 आवत्यादौचपर्याप्ति प्रकामप्राप्तिरसणे प्रकृतिषुणसाम्येस्मादमात्यादिस्वभावयोः 31 योनौलिंगे पौरवर्ग:मीपक्षत्सादयःस्त्रियां पार्वती सल्लकीदुर्गागोपाल त्रिकासुच 32 प्रार्थितयाचिनेशत्रुसंरुदेभिहतैत्रिषु पि सन्विहंगमेसिपतनेछैपनास्त्रिषु. 33 पिशितं मासेमास्या स्त्रीपिडितं गुणितेपने पीडितंकरणेस्त्रीणायंत्रितेबाधित पिच 34 सुदितंस्यादहिपुटेपादितस्यूतयोरशिपृषन्मृगेना मान्चिंदौनयोःपृषतोपिना 35 अनयोश्वत्रिषुश्वेतबिंदुर| तेयुनाविमौ प्रोक्षितनिहतेसिक्तेबहतीवसनांतरे 36 छ दोभिक्षुद्रवार्ताकीवारिधानीवाचिच कंटकारीमहत्योश्व भवानसतोत्रिषु 37 स्त्रीबाणभेदेभरतोनाट्यशास्त्र मुनौतटे रामानुजेचदीष्यंतौभास्वान्भास्वरसूर्ययोः 38 / भारतंग्रंथभेदेस्याङ्कर्षभेदेयभारती वचनेचसरस्वत्यांप क्षित्तिप्रभेदयोः 39 भासंतःसंदराकारेविषुनाभासपक्षि णि भावितंवासितेप्राप्तभूभृन्नाद्रीमहीपती 40 महती वल्लकीभेदेरान्येस्यातुनपुंसकं तत्वभेदेपुमान्टद्धेवाच्य A HDRAPRAween man . / - - mamara - emama - - -wed For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः४६ - e - - mananews - - - - - - - - -- -- - - ||न्मथितंपुनः क्लीबंनिर्जलघोलेस्यात्रिष्वालोडितपृष्टयो मरुहेवेसमीरेनाग्रंथिपणेनपुंसकम् 42 मुषितहतवंडि तयोमूर्छितमपिसोच्छ्रयेचमूढेच रजतंत्रिशुक्केस्यात्की बहारेचदुषणे 43 रमतिनायकेनाकेपुंसिस्याद्रसितंपुनः रुतस्तनितयो कीबस्वर्णादिवचितेविषु 44 रेवतीहलिप ल्यांस्यात्ताराभिन्मातभेदयो: रैवतस्तुसुवर्णालोशेलभेदेच शंकरे 45 रोहितं कुंकुमेरक्तऋजुशकशरासने पुंसिस्य| न्मीनमृगयो दरोहितकद्रुमे 46 रोहिन्मृग्योलताभेदेवी नार्केललितंत्रिषु ललितेचशितेयिस्याद्धारभेदेतुनर्योः // गालोतिरक्तगोशीर्षककुमेस्तचंदने पुमान्नदातरेभीमेवणेच त्रिषुतेति 48 वर्द्धितंप्रसितेछिन्नपूरितेवदतिवि सचिवे॥ सिवहतःपथिकेरषभेपुमान् 49 वनिताजातरागस्त्रीस्त्रि योस्त्रिषुचयाचिते सेवितेवापितं बीजारुतमुंडितयोखिषु 50 वसति स्यास्त्रियांवासेयामिन्यांचनिकेतने व्यायतंच्याते दीर्घटे चातिशयोन्यवत् 51 व्याघातोयोगभेदेस्यादंतरायम हारयोः वासिताकरणीनार्योर्वासितंभावितेरुते 52 वासंती माधवीयूथ्योरुष्ट्रनावहितेंत्रिषु विविक्तंत्रिष्वसंपृक्तेरहःपू॥ तविवेकिषु 53 बसुनंदेनाविहस्तःपंडितेज्याकलेत्रिषु विनीता सुवहाश्वेस्याणिज्यपिपुमारित्रषु 54 जितेंद्रियेपनीतेचनि // भृतेविनयान्विते विश्वस्तोजातविश्वासेविश्वस्ताविधवस्त्रिया| म् 55 विद्यतडितिसंध्यायांत्रियांत्रिषुतुनिश्रमे विस्ता। क्षुद्ररुग्भेदेविस्ततेवभिधेयवत् 56 पिनेता देशराज्ञेना||| विधातातुवेधसि स्मरेना विनताताय॑जनन्यांपटकाभिष्टि 57 विनत प्रणतेभुग्नेशिक्षितेचाभिधेयवत् विकृतं त्रिषु वीभत्सरागितेसंस्कृतेपिच 58 विछित्तिरंगरागेविछेदेहार|| भेदेस्त्री विदितं बुद्धितार्थितयोधिपत्तिरपियातनापदोोषित् || ---- - - wwmamimarosamine For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:४७ emonommaramananemmen-mummm mmmmmmmmmRARIAnti 59 रत्तांतःप्रक्रियापास्यात्काल्लेवाप्रिभेट्योः प्रस्तावेवेष्टि तंरुखेलासकेकरणांतरे 60 बेल्लितंगमनेकीबंकुटिलेविध तेत्रिषु विवर्त्तः समुदायेस्यादपवर्तननृत्ययोः 61 शकत कीठभेदेस्यानासपक्षिविहंगयोः श्रीमास्तिलकवानामनोज्ञ तानकत्रिषु 62 श्रीपतिःपुंसिपृथिवीनाथेचमधुसूदने all गंतोतःपुरेक्ष्माभृत्रहस्कांतरेपिच 63 स्त्रवतीतुतरंगि| ण्यांगुल्मस्थानौषधीभिदोः संवतःप्रलयेमुन्यंतरेकर्षफलेपिच 64 सवलितंचलितेश्रेषेसंहतं संगतेदृढे संस्कृत कृत्रिम शस्तभूषितेप्यन्यलिंगकः 65 कीबंतुलक्षणोपेतेस्थपति कं सकिन्यपि जीवेष्टियाजकेशिल्पिभेटेनासत्तमेत्रिषु 16 संघा तः पुंसिघातेचसंहतौनरकांतरे संवित्ति प्रतिपत्तौस्यादविवादेजा नस्यच 7 संततिःस्यात्पत्तौगोत्रेपारंपर्यपुत्रपौत्राणम् संग ॥तिः संगमेजानेसन्नतिःप्रणतीध्वनौ 6 समितिःसंपराये स्यात्सभायांसंगमेपिच समात्तिखसानेस्यात्समर्थनेयसंमतिः 69 अभिलाषेप्यनुज्ञायांसवित्याचास्तुयोषिति स्थापितंनि वितेन्यस्तस्तिमितोचंचलायोः 70 सिकतास्त्रीसिकतिले|| वालुकायांतभूमनि सुरतस्यालिधुवनेदेववेसुरतास्मृता 71|| सुकतं तुशुभेपुण्येतीबंसुविहितेत्रिषु सुव्रतासुखसंदोधाशो|| भनवतयोरपि 72 सुनीतिःशोभननयेध्रुवमातरियोषिति सूत्र तमंगलेपिस्याप्रियसत्येवचस्यपि 73 हरिदि शिस्त्रियांपुसि हयवर्णविशेषयोः अस्त्रियांस्यातणेचाथहर्मितंक्षिप्तदग्धयोः |74 हरितास्त्रीचदूर्वायोहरिद्वर्णयुतान्यवत् हसेत्यंगारधा न्यांचमल्लिकाशाकिनीभिदोः 75 हीतः पक्षिभेदेस्यान्मुनि देखकेतवे हृषितं विस्मितेप्रीतेप्रहतेहटलोमनि ७६॥तचतु अवसितमृद्धशातेव्यवसानगतेचवाच्यलिंगस्यात् अर्थपतिः पुलिंगोधनादिनाथेचनरनाथे 77 अवदात:सित्तेगोरेविशुद्धे - - - % - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:४८ - - - mparmanand - - प्यन्यलिंगकःअवगीतंतुनिर्बादेत्वष्टगस्तियोरपि 78 अंत तिविस्मृतेस्थान्मध्यप्राप्तेचवाच्यवत् अंगारितंतुदग्धेस्यात्म लाशकालकोगमे 79 हसंत्यांचलतामात्रेनदीभेदेचयोषिति। अपारतस्तुपिहितेस्वतंत्रेपिचवाच्यवत् 20 अत्यादित महाभीतौजीवानपेक्षकर्मणि अभिनीतंत्रिषुन्याय्येसंस्कता मर्षिणोरपि 1 अभिजातकुलीनेस्यात्न्याय्यपंडितयोस्त्रि अभियुक्त परैरुदेतत्परेप्यभिधेयवत्प२ अतिमुक्तस्तुनि!!! संगेवासत्यातिनिशेपिच अवध्वस्तपरित्यक्तेनिंदितेप्यवचूर्णिते! ८३अधिसिप्तप्रणिहितकुत्सितेभसिंतेत्रिषु अंशुमान भा! स्करेशालपण्यामंशुमतीस्मृता 84 भवेदपचितिःपूजा व्ययनिष्ठतिहानिषु अथानमति स्नैपूर्णिमानज्ञयोरपि / १८५अभिशस्तिप्रार्थनापवादयोश्वत्रयस्त्रियां आयुभान्यो। गभेदेनावाच्यवच्चिरजीविनि 86 उपाहितोऽनलोत्पातेपु॥ मानारोपितेत्रिषु उपारुतो धरहतपशोनोपद्रुतैत्रिषु 27 जा दास्थितप्रतीहारेप्रव्रज्यावसितेचरे स्याटुल्लिखितमुरकीर्णन| नूस्नेचवाच्यवत् 28 उद्घाहितमुदीर्णस्याग्राहितयो॥ स्त्रिषु भवदुपचितं दग्धेसमृद्धवाच्यलिंगकं 89 उज्जृमि तंत्रिपूरफुल्लेचेष्टायांतुनपुंसकं उपरक्तोव्यसनार्तेराहग्रस्लें। दसूर्ययोः 90 उपसत्तिसंगमात्रेसेवायामपियोषिति ऋष्यमोll तांशतावतिबलाशूकशिबिषु 91 ऐरावतोश्रमातंगेना रंगेलकुचद्रुमे नागभेदेचपुंसिस्याविधुत्तनेदयोः स्त्रियां | नपुंसकंमहेंद्रस्यऋजुदीर्घशरासने कलधीतं सुवर्णस्याद्री जतेचनपुंसकं 93 भवेत्लहरितं कीबंपिकालापेरतध्व|| नौ कुमुहानकुमुदप्रायदेशस्यानाच्यलिंगकः 94 कुमुह तीकुमुदिन्यांकशपल्यांचयोषिति कृष्णदंतापाटलायोमाषा पर्योचोषिति 95 अथगंधरती पृथ्वीपुरीभियासमा - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः४९ m eanpo w ermedian - - - - - - निष सुरायांचंगरुत्मांबपक्षिमात्रेखगाधिपे 96 भवेगही पतिःपुंसिगृहस्थेपिचमंत्रिणि चंद्रकांतस्तुसिस्यान्मणि भेदेचकैतवे 97 चर्मण्वतीनदीभेदेकदलीपादपेस्त्रियाम् चित्रराप्तस्तुपुंसिस्याद्यमेतस्यचलेखके 98 दिवाभीतर भिलेस्यादुलूकेकुमुदाकरे दिवाकीर्तिस्तुसिस्थान्नापितांताव || सायिनोः 99 हीपवानसिंधुनदयोहीपवत्यापगाभुषोः दृष|| तीनदीभेदेकात्यायन्यामपिस्त्रियां 200 स्याउमकेत्तु॥ रुत्पातभेदेवैश्वानरेपुमान् नंद्यावर्त पुमान्वेश्मप्रभेदभगवद्रुमे 1 नदीकातसमुद्रस्यादिजले सिंदवारके नदीकातास्त्रियो जबांकाकजंघौषधावपि 2 नागदतोहिपरदेगृहानिर्गतदा रुणि नागदेतीतुकुंभायांग्रीहस्तिन्यामपिस्त्रियाम् 3 निष्काl शितो निर्गमितेःप्याहितेऽधिकृतेपिच अथनिस्तुषितं त्यक्ते // त्वग्निहीनेलपूरुते ४निराहतिरनाकारे स्वाध्यायेवारणेत्रि षु परिगतंत्रिषुप्रासेविस्मृतज्ञानचेष्टिते 205 अयप्राणिहित न्यस्तेपातेपिचसमाहिते अथपल्लवितलाक्षारक्तेसपल्लवेतते। 6 भवेत्ाणिहितंद्रिष्टेप्रतिस्वलितबडूयोः प्रतिक्षिप्तंगरित स्यात्प्रेषितेपंचत्रिषु 7 परिवर्ती विनियमेकूर्मराजेप्रवर्तन परित्तास्त्रीवारुण्यांस्यन्नेस्यादभिधेयवत् प्रधूपि ताब्लेशितायोसूर्यगंतव्यदिश्यपि पंचगुप्त स्तुचार्वाकदर्शन||| कमठेपुमान् 9 प्रजापतिश्चदक्षादौमहीपालेविधातरि प्रति पत्तिःप्ररत्तोचप्रागल्येगौरवेपिच 1. संप्राप्तचप्रबोधेचपदा प्रामोचोषिति अथप्रजितामांसामुंडीरीतापसीच 11|| प्रतिकृतिरथा यांप्रतिनिधिप्रतीकारयोश्वस्त्री पाशुपतो|| बकपुष्पेस्पातरसपत्यधिदैवतेचतक्ते 12 पारिजातःसुर|| तरोपरिभद्रतरावपि पारावतीगोपगीतेनदीभिल्लवलीफले। 13 पारावताफलतथामर्कटतिंदुके पुष्पदंतस्तुदिङ्गागभे - - - - - Rement. - asna For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः५० - - -- देविद्याधरांतरे 14 पुरस्कृतोऽभिशस्तारिग्रस्ताग्रेसतपूजिते भा। गवन्नाजिनेगौस्त्रियांपूज्यतुपाच्यवत् 15 अथभोगवती नागपुरीनयोरहीपुमान् रगमातातुकुट्टिन्यांपृक्षरोगांतरेस्त्रि या 16 लक्ष्मीपतिःशुमान्वासुदेवेनरपतावपि व्यतीपातोमा होत्पातेयोगभेदापयोनयोः 10 वनस्पतिर्नाद्रमा।विनाका फलामे विनिपातोनिपातस्यादेवादिन्यसनेपुमान 18 वि जूभितंतुचेष्टायांकीबंत्रिषुविकस्वरे विवस्वान्विबुधेसूर्यंत नगोविवस्वती 19 वैजयंतीगृहे शक्रध्वजप्रासादयोः॥ मान् वैजयंतीपताकायोजयंतीपादपपुमान् 30 भवेच्छत पृतिपुसिशकेचपरमेष्ठिनि अभ्रदतीसुदंत्यांस्यात्युष्पदंतेभ योषिति 21 समुहतंसमुत्कीर्णेप्यपनीतेचवाच्यवत् सदा गति कलातनिर्वाणेषुसदीश्वरे 22 सरस्वांप्रवनदेचाया। नान्यवद्रसिकेत्रियां वाणीस्त्रीरत्नवाग्देवीगोनदीषुनदीभिरि 23 मनुपत्ल्यामपिसत्यवतीव्यासस्यमानरि नारद करो पत्त्यस्त्रियांसिनृपांतरे 24 समुद्रांतातुकासीपृक्कादुर लभासुच समाहितःसमाधिस्येप्युक्तसिद्धांतआदिते 25 निर्विवादीकतेपिस्यात्प्रतिज्ञातेचवाच्यवत् समापातोवधेयुः। संख्यामान्यडितेपुमान् 26 संरल्यायुक्तान्यलिंगोयसुधाभा ति:पुमान्मरखे चंद्रसुभाषितोबुद्धपुमान्सूक्तेनपुंसकं २७सू भक्तस्तुबंधूकेसित्रिवर्कपूजके सेनापतिःकार्तिकेयेप्य। नीकाधिपतीपुमान 28 हिमारातिसमानीतिहो।किरणमालि नि हैमवत्यभयास्वर्णक्षीर्योःश्वेतश्चीमयो: २२९॥तपंच अवलोकितोनालोकनाथेत्रिषुनिरीक्षिते अपराजिनईशश जेष्ठ्यंतरेनोजितेत्रिषु 2 मिरिकीजयादुर्गाशनपर्णीषुयो। षिति उपधूपितभासनमरणेपरिधूपिते शस्थाहणाधिपतिः पसिशेकरेपिगजानने भवेत्तिपतिषन् पित्तोत्रिपुसिविहंग . .. A . warene - www-.--- - Ramaromman - - -- -- --- - - -- - - -- For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 1 - - - - - - - - - - - - मे 32 पृथिवीपतिस्तुभूपालेऋषभाख्योषधोपुमान् मूर्धाभि वितोभूपालमंत्रिणिक्षत्रियेपिच 33 यादसांपतिरंभोधीप। ॥श्चिमाशापतावपि वसंतदूतस्यापिकपंचमरागयो। // 34 वसंतदूतीपाटल्यामभियुक्तेश्योषिति॥ तषट् ॥अर्धा रावतश्वित्र तित्तिरिपक्षिणि 35 // तसप्तासमुद्रनष नीतस्यारतीबंपीयूषचंद्रयोः॥ इतितांतवर्गः॥थैकं // || रिक्षणेमंगलेचसाध्वसेचनपुंसकं शिलोचयेपुमानेवकचित्तुभ| यरसके 1 ॥थति // अर्थोविषयार्थनयोर्धनकारणवस्तुषु अभिधेयेचशब्दानांनिस्ताचप्रयोजने 2 आस्था त्वालंबना स्थानयत्नापेक्षासुयोषिति कंथा मृन्मयभित्तोचतथानाकरणो तरे 3 कथःस्यादतिदुःखेपिनिष्पाकेपिट्रवस्यच कुथारनी |सयोर्वर्णकंबलेसिबर्हिषि 4 कोथोनानेत्ररोगस्यभेदेची शठितेत्रिषु ग्रंथों ग्रथमाधनयोःस्याच्छास्त्राक्षरसंख्ययोः / // 5 ग्रंथिस्तुग्रंथिपणेनाबंधेरूग्भेदपर्वणोः गाथाश्लोकेसे // स्थतान्यभाषायांगेयरत्तयोः तीर्थ शास्त्रावरक्षेत्रोपाय|| नारीरजःसुच अवतारसिंजुष्टांबुपात्रोपाध्यायमंत्रिषु 7 तु| त्थमंजनभेदेस्यान्नीलसूक्ष्मैलयोस्थियाम् दास्थ: स्यादुर्ग तैमूईदुःखेनतिष्ठतिविष प्रस्थोलियांमानभेदेसानाबुनिभी तवस्तुनि पार्टी ग्नौजलेकीपशु स्यान्मरुतित्रिपुरा तपयशिप्मजीरे स्त्रीपुमानग्नौनुपांतरे प्रोयोस्त्रीहया| घोणायांनाफट्यामध्यगेत्रिष. मंथःस्पायेंसिर्मथानेसा॥ सवेचदिवाकरे यूयंनिर्यक्समूहेस्त्रीषुषभेदेचयोषिति 11 // रथः पुमानषयवस्येदनेवेतसेपिच दीथी पंक्तीगृहोंगेचरूपको तरवत्मनो 12 संस्थतपस्थितेस्त्रीस्थितौसादृश्पनाशयो सार्थो वणिसमूहेस्यादपिसंघातमात्रके 13 सिक्योभक्त पलाकेतामधूच्छिष्टेनसकं ॥थत्रिः॥ अतिथिः शेष ---- m - - - - - - - -- For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 52 3 स्यात्युमानागंतुकं त्रिषु / 14 अश्वस्थापिप्पलद्रौस्याश्वत्याl पूर्णिमातिथो अव्ययोनिर्व्यथेसचारटीपथ्ययोःस्त्रियां 15) उन्माथाकूटपत्रेस्यान्मारणेघातकेपुमान् उपस्थःशेफशिको डेतथामदनमंदिरे 16 उद्रयो रथकीलेस्यात्ताम्रचूडाख्या पक्षिणि क्षवथुनामुतेकासेकायस्थापरमात्मनि 17. नर। जातिविशेषेनाहरीतक्यातुपोषिति कापथःकुत्सितपथेशी रेड्डीवमिष्यते 18 गोग्रंथिनकिरीषेस्याहोष्ठगोजिव्हिकोष|| धौ दमथ स्तुपुमान्दंडेरामेचपरिकीर्तितः 19 निशीथस्तु मानर्धरात्रेस्याद्रात्रिमात्रके निग्रंथोनग्नकेपिस्यानिःस्वबा लिशयोरपि. 2 प्रमथास्याहरीतक्योहारपारिषदेपुमान् वरुयोरथगुप्तौस्यात्वरूथं चर्मवेश्मनो: 21 मन्मथः कामचिंतायांकपिथेकुसुमायुधे वयस्थातु स्त्रियांब्राह्मीय इच्यामलकीषुच 22 सूक्ष्मैलायांचकाकोल्यापथ्यालीतरू|| त्रिषु समय-संसिवमनेगजस्यकरशीकरे 23 विदथो योगिलतिनोःशमथःशीतिमंत्रिणोः षड्ग्रंथातुवचाया | स्त्रीस्यात्करंजांतरेपुमान् 24 समर्थ स्तुहितेशत्तेसंबद्धे / प्यन्यलिंगकः सिद्धार्थ स्तुपुमानशक्यसिंहेचसितसर्षपे 25 // थचतुः॥ अनीस्थोरणगतेहस्तिशिक्षाविचक्षणे रा जरसिणिचिन्हेचवीरमर्दन के पिच 26 भवेदितिकथा पार्थ वाच्यश्रद्धेग्रनयोः चतुष्पथंचतुर्गिसंगमेब्राह्मणेपिना 27 अथचित्ररथःसूर्यगंधर्वातरयोःपुमान् दशमीस्थो। निष्टवीर्येस्थविरेप्यन्यलिंगकः 20 प्राणनाथोयमेनास्पानिए ॥प्राणाधिषमत: वानप्रस्थोमधूकेपिस्यातनीयाश्रयेपुमान् 29|| भवेददरथिः संसिसमुद्रेचवियन्मणौ // इतियांतवर्ग: me14 ॥दैक। समानचलेदत्तेस्त्रियांशोधनानयोः थे दोपतापरक्षासुपुमांस्तुदातरिस्मृतः 1 दद्धिः अब्दःसंवत्स % 3D - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 53 रिवारिवाहमुस्तकयोः पुमान् कंदोरस्त्रीसूरणेशस्यमूलेजलधरेषमा|| न 2 अंदूःस्त्रियांस्यान्निगडेपभेदेभूषणस्यच कंदोमायेस्त्री मुकुंदभ्रमिनियतरेखना ३सोदास्यासंसिरजसिपेषणेचप्रकीर तितः गदोभातरिविष्णोःस्यादरामयेनायुधेगदा॥४॥छदःप // लाशेगरुतिग्रंथिपर्णतमालयोः छंदोवशेष्यभिप्रायेधीदात्रीमनी | षयोः 5 नंदि फ़्तांगानेदेशलीनंदिकेश्वरेपुमान् नदीसरि // |तिशेणादौनानंदा स्पादलिंजरे 6 गीतिथिविशेषेख्लीनि||| धिराजभिदोपुमान निंदास्यादपवारेपिड़त्सायामपियोषिति 7|| पदंशब्देचवाचव्यवसायप्रदेशयोः पादतचिन्हयो स्थान णयोरंकवस्तुनोः श्लोकपादेपिचक्कीबंपुलिंग:किरणेपुनः पा|| दोनु तुरीयांशेशैलपत्यंतपर्वते 9 चरणेचमयूखेचचंदालता तरेस्मृता भिसुक्यामपिबंद्यांचविंद दैतशतांतरे 10 भ्रुवोर्मध्ये रूपकार्यप्रसतौपृषतेपुमान् वेदितयन्यलिंगःस्यातभद्रंक ल्या ॥णशर्मणोः / भेदो धेविशेषस्यात् उपजापेविदारणे मदोरेत|| सिकस्तूयोगहभदानयोः 12 मंदो तीक्ष्णेचमूर्खेचौरेचा // भाग्यरोगिणोः अल्पेचत्रिपुसिस्याजुस्तिजात्यंतरेशनौ 13 || दास्यात्कोमले तीक्ष्णेरदो देवविलेखने विदाजानेचनिर्दिष्टाममी) पायांचयोषिति 14 वेदःश्रुतौचरतेचवेदिःस्यात्पंडितेपुमान् // स्त्रियामंगुलिमुद्रायांस्यात्परिष्कृतभूतले 15 शाद.स्यात्कर्दमे || षष्येस्वाद मिष्ठमनोज्ञयोःसूद स्तुकथितःसूपकारेचव्यंजनांत 216 खेदस्तुवेदनेपर्मे हर कीवंबुकचित्तयोः॥ त्रिः॥il गदः कपिभेदेना केयूरेतुनपुंसकं 7 अंगदायाम्यसिग्देतिहस्तिर॥ न्यामपियोषिति अदुरईट्रैस्पाइलहस्तमरखांकयोः 18 दःस्यादतिमौटलीयोन्यंगलियोजने अर्बदोमांसकोलेस्या सुरुषदशकोटिषु 19 महीधरविशेषनाथास्पदपदसत्ययोः / आसंदोबासुदेवस्थालादाभेदेचयोषिति आदानंदनेन्हा || - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेटिनीकोशः 54 mere - - - निमित्रदारुणयुयोः भातपिचसिस्थादामोदोगंधहर्षयोः / |21 ककस्त्रीककदोप्यस्पीरपोकेराइजनेबरे क्षणदोगणकर त्रीक्षणदालणदेनले 22 कप खंडपरशौजमजूटेरसटके की गोरुक्षिप्तिकायांकर्णपाल्यामपिस्लिम २३ऋष्याक्षसिसि९॥ स्यान्मांसाशिन्यन्यलिंगरः कामदाकामधेनौलीकामदातरिवाच्यव|| त् 24 कुमुत्रिपुस्थालपणेकौरवेतुनपुंसकं कुमुदंकैरबेरक्तप|| दोस्त्रीकुंभिकौषधौ 25 गेभाििसदिङ्गागनागशाखामगांतरे कुसीदंजीवनेतृड्यालीबंत्रिषुकुसीद के 2 कौमुदास्यात्कार्तिक किलोट्रकार्यातकौमुदी गोष्यदंगोपदश्वभेगवांचगतिगोचरे 27 मो विदोवासुदेवेस्थाइवाध्यक्षेसहस्पती गोनर्दमपिकैवर्तीमुस्तके सिसारसे 28 जलदोसुस्तकेमेघजीवदो वैद्यविहिषोः तर दस्त्रियांप्लवेपिस्यात्कारंडेचविहंगमे 29 तोयदोमुलकेमधेपुमा नोज्येनपुंसकं दर स्त्रियांप्रपातोपस्यात्कारंडेचविहंगमे // दारदो विषभेदेस्यात्यारदेहिंगुलेपुमान् दायादस्तुभवेत्युसिमापा डेतनयेपिच 31 दृषद् निप्पेषणशिलापइनस्तरयो:पुमान् ध नदसुकुबेरेस्यात्युल्लिंगोदातरित्रिषु 32 नलदंस्पात्यष्यरसोशी रिमांसीधुनयोः मर्मदा केलिसचिवेनर्मदासरिदेतरे 33 निर्वा ॥दस्यालोकवादेपारनिष्ठितवादयोः निषादास्वरभेदेस्याडालेधीव रांतरे 34 श्मदःसंमदेमत्तेस्त्रियामुत्तमयोषिति प्रसादोनिय काव्यगुणस्वास्थ्यप्रसतिषु 35 प्रणादस्तुपुमांस्तारशब्देचव) णामयेप्रसादोदेवनपयोरहेन्यवरदा स्त्रियां 26 कन्यायोगाच्या लिंगस्तुप्रसन्चसमईके भसदस्त्रीभास्वरेगोनोमर्यादासीमा निस्थितौ 37 माकदःसहकारेश्स्त्रीधानीमगरभेदगो मुकंदो निधिभिहि रत्नभेदेचकुंदरौ 37 मेनादपुमान्केकिमाजरि॥ छगलेच विशदापोडवेरतेशरस्त्रीगमरेपासो ३९शारदो। देखियोतोयपिप्पलीसप्तपर्णयोः सस्पेशरजातनूतनाभर || manma - em maenera / - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः५५ rasama omammamm enaemamam ॥तिभेविष 40 पडिदस्यात्कीटभेदपंडरीकाक्षयोःशुमान् संपत भूतौराणोत्कर्षहार देपिचस्त्रियां ४१संविषिमाप्रतिज्ञायामा चारज्ञानसंगरे संभाषणेक्रियाकारसकेतोनानितोषणे 42 संने दसटनेसंगेमुनेदारोचनोमयोः॥ दचतुः॥अभिष्पंदोतिर || दौस्यादास्त्रावेक्षिगदेपिच 53 अशपदीस्त्रीकनकेशरिणा फलकेपिच अष्टापदीचंद्रमळ्यांशरभेमर्कटेपुमान् 44 अव वादस्तुनिंदायामाज्ञानिमयोरपि अभिमदतपुसिस्यादरम दिसंपण्येच 45 एफपदंतकालेनपुंसकंवमनिस्त्रीस्यात् क दुकंदापुमानशिग्रीश्रृंगवेरससोनयोः 46 करूविंदरत्नभेदे मुस्ताकुल्माषयोःपुमान् अथकोकनदंरतकुमुदेरक्तपंकजे 47| चतुष्पदीतुपयेनापशौचकरणांतरे भवेज्जनपदोजानपदोपि जनदेशयोः 48 तमोनदग्नीदनाप्रतिपदस्वीतियोमती परिवादोपवादेस्याहीणावादनवस्तुनि 49 प्रियंवद रखेचरेना प्रियवाचितुवाच्यवत् पीठमोतिधृष्टस्यान्नापकस्यप्रियेपिचर 50 फुटभेदोनदीवक्रेपत्तनात्तोययोरपि महानादःकुंजरेस्याहू एकान्देमहास्वने 51 मुचकंदोरसभेदेनाधारतनयेपिच मे घनारस्तुवरुणेतनयेरावणस्यच 52 विशारदापण्डितेचष्टे विष्णुपदं तुखे क्षीरोदेचस्त्रियांगंगारविसंक्रांतिभेदयोः 13 शनिटसमान्बासुदेवराजांतरेपिच शतानंदोमुने ददेवकीनं दिनैपिच 54 शतदादाखियांक्वेसौदामिन्यांचकीर्तिता सम यादःसमीपेनामर्यादासहितेत्रिषु 55 // पंचभवेटुप निषा धर्मवेदांतक्जिस्त्रियां सहस्त्रपादःकारुडेमार्तडेयत्वपूरुषे ५साइतिदातवर्गः॥धैकधिोनाधर्मकुबेरेचक्कीवंतवसुनि, स्मृतं धोधाचब्रह्मणिरल्यातोधातुःस्याहारकेपिच धीओनेज्ञा नभेदेपिधू-स्मृताधूनने स्त्रियां हिः अर्वसमासेरखेडेगा| ब्धि सरसिवारिधी अंधस्यातिमिरेकीबंचमहीने - - - - D For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 56 DD - / भिधेयवत् आधिःपुमानित्तपीडाप्रत्याशाबंधकेषुच ३व्यसने चाप्यधिष्ठानेविडमानपदीप्तयोः वरदंसंपन्नधान्येचसुसमानी याच्यवत् 4 ऋद्धिस्तुरून्यौषधीभेदेसमृगवपियोषिति गंधः प्रतिवेश्यामोदलेशसंबंधगंधके ५माधास्नानेचलिमायांगोधात लनिहाकयोः धिक्षीरोत्तरावस्थाभावेस्त्रीवाससर्जयोः 6 दग्धं| पृष्टेन्यलिंगस्यास्थितार्कदिशिच स्त्रियों दिग्धोविषाक्तबाणेस्था ससिलिन्यलिंगकः दुग्धंप्रपूरितेसीरे दुग्धीक्षीराविकोषधौ|| दोग्योपजीविकलोवत्सगोपालयोःपुमान् घसरोवद्धतथाइत्ते बंधआधौचबंधने बंधुस्यात् सिबंधूकेमिनातरिबांधवे ९वा| धादुखेनिषेधेचषध सौम्येचडिते बुद्धोजिनलब्धपणे सिस्या इथितेन्यवत् 10 बोधिसिसमाधेश्वभेदेपिप्पलपापे मधु|| प्यरसेलौरेमद्येनातुमधुगुमे 11 वसंतदैत्यभिचैत्रेस्यान्जीवंत्यांतु योषिति सिरचित्ताभिसंक्षेपेकीबमालस्यवित्तयोः 12 मुग्धस्सी दरेमूटनेधाबुडौहतेपमान राधो मासोतरेराधा चित्रभेदेचधन्वि नां 13 गोपीविशारवामलकीविष्णुकांतासुविद्युति लुब्धआकांक्षिा |णिव्याधेवधूःस्त्रीशारिवौषधी 14 स्नुषाशठीनवोढासुभार्यापकांग नासुच व्याधिष्ठेचोगेनाव्याधोमगदुष्टयोः 15 // तारामयेखेच विधुनकिर्पूरेदहारिषु विडू स्पारेधित्तेक्षिप्सरशेवाधितेत्रिषु 16 // विधिनानियतीकालेविधानेपरमेष्ठिनि विधागजासनेरुदीप्रकारे।। वैतविधी 17 रोजीणेप्रदेविषुकीवंतशैलजे राखिस्तुवा खनेयोगेप्यष्टवौषधांतरे 18 कालांतरेचाभ्युदयेसमृडायपियोष निश्रद्धा रेचकोक्षायाश्रामु प्रवान्वितेत्रिषु 19 हव्यकव्यति धौडीबंशुद्धं स्थात्रिपकेवले निषिचपवित्रेचसंधा स्थितिप्रति नयोः 20 सिंघर्षणेपिस्यात्साम्येमसमुन्नती संधिःपमा नसुरुंगायांभगेसंघटनेपिच 21 रुपकानांमुरवायंगेसावकाशेपि कीर्तितः स्कंधास्पान्नुपतासेसंपरागसमूहयोः 22. कायेतरूप - IA ana ... For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 57 मूलिहाअगाध मा 27 आदिक - in - // कोडेचभट्रादौछंदसोभिदि साधार्युषिकेचारौसज्जनेचाभिधेयक व 23 सिद्धोगाव्यासादौभेदेयोगस्यदेवयोनेश्न विषुनिष्पन्चेस्निग्ध ||स्नेहयुतविकणेपिस्यात् 24 सिंधुर्वमथुदेशाब्धिनदेनासरितिरित्र यां सिद्धिस्त्रीयोगनिष्पत्तिपादुकोतईिवृद्धिषु 25 सुधा स्त्रीलेपने | मूस्निहीगंगेटकामृते॥धतिः॥अवधिस्त्वधानेस्यात्सोम्निका लेबिलेपुमान् 26 अगाधमतलस्पर्शेत्रिषुश्वभ्रेनपुंसकं अना मरजादौचक्कीवस्यात्संदितैत्रिषु 27 आविडोवाच्यलिंगास्यात् / दिलेचपराहतं आबोहढबंधेस्यालोमालंकारयोहयोः २८उत्से | धस्तूच्छयेनसनीकीबसन्नहनेपिच उपाधिर्धर्मचिंतायांकुटुंबव्या प्रतेछले 29 विशेषणेयुस्युपधि पुसिव्याजरथांगयोः कबंधोत्री नियायुतव्यपमूर्धकलेवरे 30 कीबजलेपुंस्युदरेबाहरझोविशेष // योः दुर्विधोबाच्यलिंगःस्यादुर्गतेपिरवलेपिच 1 न्यग्रोध स्तुपुमः। न्ध्यामवरयोश्चशमीतरौ न्यग्रोधीतूपचित्रायांनिधोनाशरोधयोः|| 32 निषध:कटिने देशेतद्राजेपर्वतांतरे परिधियिनियनुशारखा। यामुपसूर्यके 33 प्रसिद्धोभूषिव्यातेप्रणिधिर्नानुचरेचरे मा गधी स्त्रीकणायूथ्योर्वाच्ययम्मगधोद्भवे 34 सिवैश्यात्सत्रिया|| जेशुकजीरकवंदिनोः बिनधोसिधश्चापिपर्याहारेध्वभावयोः३५ विल्यौनुरेपिस्यानादवियलयोस्त्रिषु विबुधोनेसुरेवीरुल ताविटपयो स्त्रियां 36 सम्बद्धोवर्मितेन्यूढेसंबाधःसंकटेभगे सन्निधिसन्निधानेपिपुमानिद्रियगोचरे 37 सेसिद्धिप्रस्तौसिहग मदोद्यायामपिस्त्रियां संबोधोबोधनोक्षेपेसमाधि समर्थनेस ध्याननीवाकनियमेकाव्यस्यचगुणांतरे ॥धचतुः॥ अवरोधास्त रोधानेराजदारेषतहे 39 अवष्टधोविदूरेस्यादाक्रांतेचारलंवि ते अनुबंधस्तुबंधेस्याहोषोत्पादेविनश्चरे 40 मुरव्यानुयायिबालेमा प्रकृतस्यानिवर्तने अनुबंधी तुहिकायांतस्यायामपियोषिति ||41 अनिरुद्धं उपानायसिनाबंधनान्यवत आशावंध:समा। IMAC / AIRAM D - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश: 58 - - श्वासेपुसिमर्कटजालके 42 इश्गंध सुगंधौस्यात्रिषुकीवंतवाल|| के इशगंधाकोकिलाकोश्यांकाशेचगोसरे 43 उपलब्धिर्मिती प्राप्तावपिज्ञानेचयोषिति उग्रगंधानमोदापावचायोचिदिकोषपोष्ट का) लस्कंधस्तमालेस्यात्तिंदुकेजीवकदमे तीक्ष्णगंधावचारानिकयोः॥ शोभांजने पुमान् 45 तणगोधाचित्रकोलेरुकलासेपिगोषिति पा रिल्याधस्तुसिस्याटेनसेचहुमोत्सले 46 ब्रह्मबंधुरधिक्षिसेनि|| दिशेब्राह्मणस्यना महौषधंतु ग्यास्यादिषायालशुनेपिच 47 // समुन्नद्धःसमुतेपंडितमन्यगर्विते॥धपंचायोजनगंधाकस्तू। सितायांच्यासमातरि 48 ॥इतिधांतवर्गः॥नैकम् ॥नापु| मान्सुगतेबंधेहिरंडेप्रस्तुतेपिचा नदिः अग्निर्वैश्वानरेपिस्याच्चि त्रकारल्यौषधोपुमान् 1 अन्नभक्तेचभुत स्थादिनःपत्यानृपार्कयोः ||उन्नक्किन्नेचसुरतेकत्सबकुक्षिषुरपनस्यात्कांस्यताला |दिवाद्यमध्यमनृत्ययाः नामुस्तान्धौघदा विस्तारेलोहमुद्गरेगा || त्रिषुसांद्रेरढेचाथचिन्हं लक्ष्मपताकयोःचीनोदेशोशुकबीहि || भेदेनेतीमृगोतरे 4 छन्नंतरहसिक्कीबंछादितेवाच्यलिंगवत् / / छिन्नंकृत्तेबिलिंगस्याहच्यामपियोषिति 5 जनोलोकेमहर्लो कात्परलोकेचपामरे जनीसीमंतिनीबध्वोरुत्पत्तावौषधीभिदि। जन्दास्यासंसिराजर्षिभेदेचमधुसूदने ज्यानिजीणेचहानीच तिदिन्यामपियोषिति 7 जिनो इतिचबुद्धेचपुंसिस्याज्जित्रेत्रिषु ज्योत्स्नाचंद्रातपेपिस्याज्योस्नायुक्तनिशिस्मता 8 ज्योत्नीपटो ॥लिकायांस्याज्योत्स्नायुक्तनिशिस्त्रियां तनुःकायेत्वचिस्त्रीस्यात्रि वल्पविरलेशे 9 दानं गजमदेस्यागेपालनछेदशुद्धिपदानुर्दा | तरिविक्रांतदीनानीमूषिके स्त्रियां 10 वाच्यवदुर्गतेभीतेद्युम्नं वित्तेबलेपिच धनःपुमान्यियालदौराशिभेदेशरासने धनंत गोधनेवित्ते धानाभश्यवेपिच धान्याकेभिनवोद्भिन्ने धेनी नद्या नदेपुमान 12 नग्नोवेदिक्षपणयो-सित्रिषुविवाससि न्यूनंग mmmmmmmon For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीपोश: 59 animananews % 3D 3 - D P - apa यौनयोःपानंपीतिभाजनरसणे 13 भानु किरणेसूभिन्नः स्यात्रिपदारिते संगन्यत्रफुल्लेचमान चित्तोन्नतीग्रहे 14 कीबंप्रमाणेप्रस्थादौमीनोराश्यंतरेझ मुनि सिवसिष्ठादीवंक सेनतरौनिने १५मृत्नामत्तातुवस्त्रिीयानस्याहाहनेगती। योनि:स्त्रीपुंसयोश्वस्यादाकरेस्मरमंदिरे 16 रत्नं स्वजातिश्रेष्ठे|| पिसणावपिनपुंसक रास्ताचस्याङ्गजंगाक्ष्याएलापामपिरित्र याम् 17 लग्नं राभ्युदयेकीवंसतलन्नितयोस्त्रिषु वस्त्रस्त विक्रयेपुसिवेतनेस्यान्नपुंसकं 18 वनंनपुंसकंनीरेनिवासाल यकानने वन्हि वैश्वानरे विस्थाचित्रकारल्यौषधौपुमान् वा नंशुष्कफलेशुष्कस्यूतिकर्मकटेगती विन्नविचारितेलब्धबधो नामूलरुद्रयो। 22 श्योपुमान्कुकुरेरख्यातःस्थानभेदेचवास्तुनः।। शीनोमूर्खेचागजरेश्येनापक्षिणिपांडुरे 1 स्वप्नःस्वापेप्रसुप्ता स्थविज्ञानेदर्शनेपुमान् सानुरस्त्रीव नेप्रस्थेवात्यामार्गानकोवि|| दे 22 स्थानंसादृश्येवकाशेस्थितौरडिक्षयेतरेस्या स्निग्धेत तिध्यानेधनत्वालस्ययोरपि 23 स्नानं स्नानीये भिषवेसून सवपुष्पयोः सूनापुत्र्यांवधस्थानेगलधुंडिकयोः स्त्रियां 24 सूनुःपुत्रेलुजेनासूनुः किरणसूर्ययोः हनुर्हविलासिन्यां सूनावनेगदेस्त्रियां 25 यो:कपालावयवेहीनंग.नयोस्त्रिा पुनत्रिः॥अंजनंकज्जलेचाक्तीसोबीरेचरसोजने 26 पुंसि ज्येष्ठा दिग्गजयोरंजनावानरीभिदि अंजनीलेप्यनार्याचावनंत्री तोचरक्षणे 27 अयनंपथिभानोरप्युदग्दक्षिणतोगतो अपान॥ तुगुदेलीबंपुंसिस्यात्तस्यमारुते 25 असनं क्षेपणेक्कीपुसिस्या ज्जीवकद्रुमे अंगनंप्रांगतेयानेकामिन्यामंगनामता 29 अर्जुन.|| ककुभेपार्थकार्तवीर्यमयूरयोः मातुरेकसुतेपिस्यात्सुल्लिंगोधव लान्यवत् 1 नपुंसकतणेनेत्रगटेचाप्यर्जुनीगवी उपायांबा हदानद्यांकुट्टिन्यामपिचकचित् १अमानो महासहायांनान्य - LAGES - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः - s3 ma / लिंगस्तुनिर्मले अशोघ्नी तालमूल्यांस्यादर्शान-सूरणेपिच 32, असिनीस्थादरद्धांतःपुरप्रेष्यानदीभिदोः अशानि:स्त्रीएंसयोः स्याचंचलायांपवावपि 33 अरनिसिप्रकोष्ठततांगुलिकरेपिच // कफोणावप्यथालीस्याइश्चिकेमरेपुमान् 34 अर्योपुमान्याचा केस्यात्सेवकेचविवादिनि अध्यानापथिसंस्थानेस्यादयस्कंदकाल योः 35 अर्वातुरंगमपुंसिकुत्सितेयाच्यलिंगकः आसनादर स्वपीठेयावानिवर्तने 36 आसनीविपणौस्थित्यामासनोनातु! जीरके आदानंग्रहणेपिस्यादलेकारेचवाजिनाम् 37 आपलः॥ सविपत्तीचमालेवाच्यवदीरितः आत्मासिस्वभावेपिप्रयत्नमनसे रपि 38 पृताव दिमनीषायांशरीरब्रह्मणोरपि आलानं करिणावा! धस्तंभेरजौचनस्त्रियों 39 ईशाने ज्योतिषिक पुलिंगास्यात्रि लोचने उत्तानमगभीरस्यादस्यिशयितेत्रिषु 40 उत्थानमुद्य ||मेतंत्रपौरुषेपुस्तकरणे प्रांगणागमहर्षेषुमलरोगेपिनद्वयोः 41 // उद्यानं स्थान्निःसरणेवनभेदेश्योजने उदानोप्युदरावर्तवायुभेदे / भुजंगमे 42 उद्धालमुगलेवाच्यलिंगरल्यानपुंसकम्॥ोदनंना स्त्रियांभक्तबलायामोदनी स्त्रिया 43 कमनकामुकेकामे भि / रुपेशोकपादपे कंपनै नयोलवंप्रेस्यादभिधेयवत् 4k aaily ठिनर्मापेनिष्ठरेस्यात्स्तब्यपित्रिषुनपुंसकंस्थाल्या कठिनीति कायामपिकठिना गुडशवरायांच 45 नंदनं रोदनेपिस्यादा | हानेप्यथकल्पना करिणःसज्जनायोस्त्रीलीबंलुप्तोचकल्पने 46 कर्तनंनद्वयोज्छेदेनारीणांसूत्रनिर्मिती कर्मातीच्याप्यक्रिययोः / कदनंमईपापयोः 47 कारन कोचनारेस्याचपके नागडे सरेउ दुबरेचधतूरेहरिद्रायाचकांचनी 48 कोबेलसरेमिका नीभीरुवंदयोः कामीतुकामुकेचक्रवाकेपारावतेषिच कानी / ॥न:कन्यकाजाततनयेव्यासकर्णयोः काकिनीएणमादेविमानसा दवराटके 50 काननं विपिनेगेहेएरमेष्ठिमुखेपिच कुहनंमृत्तिका Marw % 3D - -- - / - - - RWER For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश: 61 J AAAAA- MERESARLALITABEANSaurusian. Humanity - RAJARAMECEM - B - - CADABAD भांडविशेषेकाचभाजने 51 कहनादंभचर्यायामालौकुहनंत्रि रुतीस्यासंडितयोग्येकेतनंतुनिमंत्रणे 52 गृहेकेतोचकत्ये| थकेशीकेशवतित्रिषु दैत्येनाचौरपुष्ष्यांस्त्रीकौलीनरायजन्य योः 53 कुकर्मणिकुलीनत्वेयुद्धपश्चदिपक्षिणां कोपीनस्याद कार्येचचीरगुह्यप्रदेशयोः 54 खलिनीखलरंदेश्यातालपा || मपिस्त्रियां खंजनंखंजरीटेस्त्रीसर्षप्याखंजनंगती 55 रखड़ी नागंडकेमंजुघोषेरबड़धरेविषु गर्जनं निनदेकोपेगहनं कलिले। त्रिषु 56 नपुंसकंगहरेस्याहुःखकाननयोरपि गंधनमुत्साहे / ||स्यात्प्रकाशनेसूचनेपिहिसायों 57 ग्रामीन:शुनिःकाकेसित्रिषु संभृतेग्रामः ग्रावातुप्रस्तरेपृथ्वीधरेपुंस्यथगूजनम् 58 विषद ग्धपशोसिठ्ठीपुंसिरसोनके गोस्तनोहारभेदेनाद्राक्षायांगो स्तनीस्त्रियाम् 59 गोमीशृगालेपुंसिस्यात्रिपुांमत्युपासका घटनाचलनात्योश्चंदनीतुनदीभिदि 60 चंदनी स्त्रीमल | यजेभद्रकाल्यांनपुंसकं चलनंभ्रमणेकस्येप्रेतुना लिंगक म् 61 चलनीवस्त्रयोधिन्यावारिभेदेपिचकचित् चकीजालि कमित्कोककुलालाजाहिसूचके ६२ची फलकपागोस्वामी भंगरिटावपि चर्मसतोचफलके चेतनासंविदिस्त्रियाम् 63 को च्यवत्प्राणमुक्तेथछद्म व्याजापदंशयोः छर्दनं वमन की निबालंबुषयोःपुमान् 4 बरनंदनेपक्षेपिधाने छेदन निमा |दि कर्तनेजगनुःपुंसिर्जतौवैश्यानरेपिच 65 जवनंतुस्यदेव // गिहयेनावेगिनित्रिषु जननीतुदयामात्रोजननंजेशजन्मनोय 66 जयनस्यात्तुरंगादिसन्नाहेरिजये पिच जंघनंचस्त्रियाः | श्रोणिपुरोभागेकटावपि 6 तानीस्यात्युंसिदैवज्ञज्ञानयुक्ते // न्यलिंगकः जीवनंवर्तनेनीराणधारणयोरपि र जीवनी जीवनाचापिजीवंतीभेट्योक्रमात तपनोरुकरेपिस्थाना स्वरेनिरयंतरे 69 तल्नःपवनेयूनियुस्त्यातलनीस्मृता / ERFALLERNATKHADREDEA n / - - n imummm % 3EEEEEEEED meenawa ONLIAMENDE For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः६२ - - - %E / तलिने विरलेस्तोकेस्वडेपिवाच्यलिंगकं 70 तमोघ्रः सूर्यवन्हीं। दुखदर्शकरविष्णुपु त्यागीदातरिशूरेग्थतेवनं केलिकानने क्रीडायोतमनं त्वाःकरणेव्यंजनेपिचगतेजनासिवंशेस्या | खिजनीतृणपूलके 72 तोदनं व्यथनेतोत्रेदेशनं दशवर्मो Inदर्शनं नयनस्वप्नबुधिर्मोपलब्धिषु ७३शास्वदर्पणयोश्वा) अदमनःपुष्यधारयोः दशन: शिरखरेदतेकवचेतुनपुंसकं 74 दहनश्चित्रकेभल्लातके ग्नौदष्टचेष्टिते दशानंज्योतिषिकीबं पुल्लिंग:स्याहिरोचने 75 देवनं व्यवहारेस्याज्जिगीषाकीड योरपि देवनो क्षेषुपुंसिस्याध्वजीतु पृथिवीधरे७६ रथब्रा ह्मणयोश्वापिभुजंगमतुरंगयोः धन्वीधनुर्धरेपिस्यादहणे ककुभर्मे 7 धन्वातुमरुदेशेनाकीबंचापेस्थलेपिच धम नोलानलेभस्त्राध्यापकाकूरयोस्त्रिषु 78 धमनीतुशिरा हविलासिन्योश्वयोषिति धावनंगमनेशुद्धोपृश्निपातु धावनी 79 धामदेहेराहेर मौस्थानेजन्मप्रभाषयोः नंदनं वासबोद्यानेनंदनोहर्षवसुते 80 नंदी हरप्रतीहारेगर्दभी डेवनद्रमे नंदिन्य मायांगंगायांननादृधेनुभेदयोः 1 नलि नीपद्मिनीव्योमनिम्नगाकमलाकरे नपुंसकनीनिकायांन |सिसरसोरुहे 82 निदानं कारणेवत्सदामादिकारणक्षये निधन स्यात्कुलेनाशेधनंदारणेरणे 83 पवनं कुंभका रस्यपाकस्थानेनपुंसकं निष्यावमारुतोपुंसिप्रज्ञानबुद्धि चिन्हयोः 84 प्रधानस्यान्महामात्रेप्रकृतीपरमात्मनि प्र] ज्ञायामपिचकीवमेकत्वेतूत्तमेसदा 85 पविनीपप्रसंघा तेस्त्रीविशेषेसरोरुहे प्रसन्नास्त्रीसुरायांस्यारस्वछसंतुष्ट योस्त्रिषु ईप्रसूनोवाच्यवाजातेकीबंतुफलपुष्पयोःप SHARMEREINYMI त्रीश्येने पत्ररथेकांडरथिकादिषु 87 पर्वक्कीचमहेमेथी। प्रस्तावेलक्षणांतरे दर्शप्रतिपदोःसंधौविषुक्तभृतिष्वपि - % 3D - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः -- DEO - - - - -- meworma - % 3D - सूक्ष्मसूत्रादिसूक्ष्मांशेकिंजल्केनेत्रलोमनि पाठिनोगीनभेदे // स्थासाठकेगुरगुलदुमै 89 पावनं तुजलेकलेनाल्यासेपावके | पिच पाचनं दशमूल्यादौमायश्चित्तेवनानले 10 वाज्यवत्सार! चयितरिहरीतक्यांतुपोषितिपाशी व्याधेचवरुणेपिशुनं नुकुमे||| पिच 91 कपिक्क्रेचकालेनासूचककूरयोस्त्रिषु पकायांपिशुना स्त्रीस्यापीतनं पीतदारुणि९२ कुंकुमेहरितालेचपमानानातक मतः पूतनातुहरीतक्यांदानवीरोगभेट्योः 93 पृतनातुस्त्रियो। | सेनामात्रसेनाविशेषयोःप्रेत्वानावासवेवातेप्रेमा स्त्रीरबहरर्षयो 94 फलिन्यग्निशिखायास्त्रीफलिन्याफलिनेत्रिषु फाल्गुनस्तय राकेशेनदीजार्जुनभूरुहे 95 तपस्यसेनेमासेतत्पूर्णिमायांतु फाल्गुनी ब्रह्मतत्तपोवेदेनायो:सिवेधसि 96 ऋत्विग्भ्यो। गभिदोर्विबंधनं वधबंधयोः बेदनी नतिजीगतुकदीमाचल || कर्मसु 97 वाहिनीस्यात्तरंगिण्यांसेनासैन्यप्रभेट्योः दाणिनी|| नर्तकीमत्ताविदग्ध वनितासच 18 बुधानस्तुगुरोविज्ञयोध नंगेधदीपने बोधिनीबोधिपिप्पल्योर्मस्याकांचनेभृतौ 99|| भंडनंकवचेयुरेखलीकारेपिनरयोः भडिनीरिजभार्यायानाट्या क्यांराजयोषिति 100 भवनं स्याइहेभावभाजनम्योग्यपात्रयोः |भाषनातुननाध्यानेपर्यालोचेधिवासने १भुवनं पिष्टपेपिस्या सलिलेगगनेजले भोगीभुजंगमेपिस्यादरामपाचनपेएमान 2 वि हायमहिषीमन्यराजयोषितिभोगिनी मदनःस्मरवसंतदभिरता रसिपके ३मलन परवासेनामर्दनंतुनपुंसकं मलिने दूषितेहा ऋतुमत्यांतुयोषिति 4 मंडनंभूषणेकीबस्यात्रिषलेकरिच्ण नि मार्जननयोर्मासिस्यालोध्रशाखिनि ५मालिनीमाता कावृत्तभिदोर्मालिकयोषिति गौरीचंपानगश्चिमंदाकिन्योनदीभि / दिईमानिनी तुस्त्रियांफल्यांमानी मानवतिविषु मिथुनं तुड योराशिभेदेस्त्रीपुसियुग्मके७ मुंडनं वपनेत्राणेमेहनं मूत्रशि नर्तकामताबोधिनीबोधावायो भट्टि - - - D / - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 64 ENTRANSLATION S3 - - - - %3 नयोः मैथुनंसुरतेपिस्यात्संगतेपिनपुंसकं 8 यमनबंधनेचोप रतौलीचयमेपुमान् सबनोदेशभेदेनोवेगिवेगाधिकाश्वयोः९ या वान्योषधिभेदेस्त्रीवाच्या गनिस्मृता यापनंचनेकालोपेर निरसनेपिच 10 युवास्यात्तरुणेश्रेष्ठेनिसर्गबलशालिनि युजानः सरयोविप्रेयोजनं परमात्मनि ११चतु:-क्रोश्याचयोगे थरसनं स्वदनध्वनी जिल्हायांतुनपुंसिस्याद्रास्नायां रसना स्त्रियाम् 12 रंजनोरागजनने रंजनं रक्तचंदने झंडारोचनिकानीलीमनिष्टासु चरंजनी१३ रजनीनीलिनीरात्रिहरिद्राजतुकासुच राधनसाथ नप्राप्तीराधनाभाषणेस्त्रियाम् 14 राजाप्रभौचनपतोसनियर जनीपती यशकेचपुंसिस्या द्रागीरक्तपिकामुके 15 रेचनीत्रि रतादेत्योरोचनीकर्कशेत्रियाम् रोचनारक्तकल्हारेगोपित्तकरयो पितोः 16 रोचन कूटशाल्मल्यापुंसिस्याट्रोचकेत्रिषु रोदनं केंद| नेस्त्रेयिदुरालभौषधौस्त्रियाम् 17 रोहीरोहितके पत्थवटपादप योः पुमान् लंघनंतूपवासे स्याक्रमणेपुवन पिच 18 ललना। कामिनीनारीभेदजिव्हासुयोषिति लक्ष्मचिन्हेप्रधानेचल्लांछन। || मानचिन्हयोः 19 खेलनेछर्दनेभूर्जेलिपिन्यासस्थवर्जनम् हिlll सात्यागयोर्वपनं बीजाधानेच मुंडने 20 वसनं लादनेवसोवा मन लदने ने वर्द्धनरकिर्तिमुछेदेपट्यातुर्दिनी 21 व्य जनतेमनेचिन्हेश्मशुण्यश्यहनि व्यसनं त्वशुभेसक्तोपानरूत्र मृगयादिषु 22 वैवानिष्टलेशापेरिपत्तोनिया लोयमे वर्ननोवाम | नेकोबंरत्तौस्त्रीप्रेषणायनोः 23 ललितूलनालायांनपीठेरजी वन वर्तिष्णोत्रिणवत्री सुखदेवाधिोपुमान् 24 वचन स्तुप मान्विप्रेवावकै भिधेयरत् वस्यालेसकेचित्रकरैपिब्रहाचा ॥रिणि 25 वर्भदेहममाणातिसंहरारूतिपुस्मृतम् बनिनवादे |मार्गेबाजीबाणावपक्षिष 26 वामनोप्यनिरर्वत्रिपुरसितुहि / गजे हरावंकोटरोऽथवासनंधूपनपिच 27 वारिधान्योचलो - user - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 65 - - - - - - - - - चप्रत्याशाज्ञानयोस्त्रियाम् वाग्मीपटोसुराचार्यविज्ञानज्ञानक मणो 28 वितुन्नसुनिषण्णेचशैवालेचनपुंसकं विमानोव्यो मयानेचसार्वभौमगृहेपिच 29 घोटकेयानपात्रेचपुनपुंसकयोर्म तः वितानोयज्ञउल्लोचविस्तारेपुंन्नपुंसकं 30 कीबरतविशेषस्या त्रिलिंगोमत्ततुच्छयोः विकिबोजरसाजीर्णशीर्णेचाईचवाच्यवत् 31 विपन्नं विपदाकांतेत्रिषुपंसिभुजंगमे विच्छिन्नंचसमालव्यो। विभक्तेप्यभिधेयवत् 32 विलगं नास्त्रियांमध्येत्रिषुस्यालग्न मात्रके विषघ्नस्तुशिरीधेनागुड्चीस्त्रिरतो स्त्रिया ३३त्युस्या निस्वातंत्रस्येविरोधाचरणेपिच जिनं कल्मषेकीबकेशेनाकु दिलेत्रिषु 34 रक्षाकर्णेमहेंद्रनावेदना ज्ञानदुःखयोः वेष्टनं कर्णशकुल्यामुष्मीषेमुकुटेरतो ३५व्योमवारिणिचाकाशेभा // स्करस्यार्चनाश्रये शकुनः पुंसिविहगेसोबलेकरणांतरे ३६श यनंसुरतैनिद्राशय्ययोश्चनपुंसके शमनंशतिवधयोःशमनः श्राइदैवते 37 श्वसनंस्वसितेसिमारुतेमदनद्रुमे।शकुन || स्तुपुमानपक्षिमात्रपक्षिविशेषयोः 38 शुभशंसिनिमित्तेचशकु॥ नस्यान्नपुंसकं शंकिनीश्वेतचक्रायांचौरपुष्यांवधूभिदि 39 // शिरखीहरौसमुद्रेनाशंखवत्यभिधेयक्त शतघ्नीशस्त्रभेदेस्या तरश्विकाल्योकरंजके 40 शासनंराजदेतोालेखाज्ञाशा||| स्त्रशांतिषु शारखीस्यात्पादपेवेदेतुरुष्कारल्यजनेपुमान् 41 शिरखीवन्होबलीवर्देशरेकेतुग्रहेगुमे मयूरेकुक्कटेपुंसिशिरवा वत्यन्यलिंगकः 42 शिल्पीतुवाच्यवतका स्त्रियांकोलदलो षधी शृंगीशृंगयुतेनागेषपर्वतयोरपि 43 श्लेभनीमल्लिा कायोचज्योतिष्पत्यांचयोषिति शोभनोयोगभेदेनासुंदरेवाच्यलिं। |गका 44 सक्नं वध्वरेखानेसोमनिटलनेपिच स्तननं ध्वनि मावस्यान्मेषशब्देचकुंथिते 45 समानं सत्समैकेत्रिषुना माभिमारुते संतान:संततौगोत्रेस्यादपत्येसुरदुमे 46 स्प - - - - - A - % 3D For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 66 - - D 3 - 3 र्शनोमारुतेपुंसिदानेस्पर्शनपुंसकम् संस्थानमाकृतौमृत्योसन्नि वेशेचतुष्पथे 47 स्पंदनंतनुतौनीरेतिनिशेनारयस्त्रियाम् || सन्न तुभवेत्कीबमुपरक्षणपट्टयोः 48 वाच्यलिंगंकुलीनेस्या कल्पनायांतुयोषिति संधानंस्यादभिषवेतथासंघट्टनेपिच 49 संपन्नंसाधितेपिस्यात्संपत्तिसहितेन्यवत् संधिनीषभाक्रांता कालदुग्धोत्रयोःस्त्रियाम् 5. समस्यान्मंदिरेनीरेसे व्यानंडा दिनेशुके सदन मंदिरेतोयेस्वामीप्रभुविशारखयोः ५१सादीतु| रंगमातंगरथारोहेषुदृश्यते स्थापनरोपणेपुंसिवनेपाठौषधौस्त्रि यां 52 साक्नायज्ञकर्मोतेयजमानप्रचेतसोसाधनंमृतसंस्कार सैन्येसिौषधौगतौ 53 निर्वर्तनोपायमेरेदापनेनुगमेधनेसा मक्लीबमुपायस्यभेदेवेदोतरेपिच 54 सीमाघाटस्थितिक्षेत्र वंडकोषेऽपिचस्त्रियां सूचना व्यधनेदुष्टेगंधने भिमयेपिच 55 सेवनंरक्षणेसेकेनौकायासेकभाजने सेनानी:स्यासुमान्काति|| केयसेनापतावपि पई सेवन सीवनोपास्योहलीरामेचकर्षक हस्तिनीगजयोषायांजातिभेदेचयोषितः 57 हसनंनत्याही सेंगारधान्यांतुयोषिति हायनोनस्त्रियांवर्षे पुंस्यचि हिभेदयो 58 हादिनीवत्रतडितोहिडनंभ्रमणेरते ॥नचतुः॥अक्ल ग्नोस्त्रीयोमध्येत्रिषुस्यालग्नमात्रके 59 अनूचानोविनीते स्यात्सांगवेदविचक्षणे अवाचीनमवागंधेविपर्यस्तेषवाच्य वत् अभिपन्नोपराधेभिग्रस्तचापगतेत्रिषु अवदानं रखंडनेस्यादतिरतेचकर्मणि अभिमानो दिदर्पज्ञाने| प्रणयहिंसयोः अनीकिनीस्त्रियांसेनामात्रसेनाविशेषयोः अधिष्ठानंपरेप्रभावेऽध्यासनेपिच अन्वासनस्नेहवस्ता॥ दुपास्तावनुशोचने 63 अर्यमा तुपुमान्सूर्येपितृदेवांतरेपिर॥ च अथर्वाब्राह्मणेपुंसिवेदेवस्यान्नपुंसकम् 64 भवेनि॥ जनाख्यातौजन्मभूम्यांकुलध्वजे इलैपिचपुमानायोधनपु॥ - - - - Tam - - ARRARIAN - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः - - - देवधेपिच 65 स्यादाकलनमाकांक्षापरिसंख्यानबंधने आतंचनंप्रतीवापपवनाप्यायनेषुच ईईआराधनेचपचनेप्राill प्तिौसंतोषणेपिच आलादनसपिधानेक्स्ले पत्तिमा 67 आस्कंदनंतिरस्कारेरणेसंशोधणेपिच आवेशनं शिल्पिशाले| भूतावेशप्रवेशयोः आत्मयोनिपुमान्कामदेवेचपरमेष्ठिनि|| उपधानविषेगेंडीप्रणयेपिनपुंसकं उत्सादनंसमल्लेखोहा॥ हनोहर्तनेषुच स्यादत्यतन मुत्यत्तौतयोर्ध्वगमनेपिच७०॥ उद्वर्त्तनमुत्पतनेविलेपनेघर्षणेकीबं उदयनमुदयेकीबं| वत्सेशागस्त्ययोःसि 71 उहाहनप्रणीतेस्याद्रज्वाहा हनीमता उपासनंशराभ्यासेप्युपास्तापासनेपिच 72 कपी|| तनोगर्दभांडशिरीषानातकेषुच अश्वत्थेचकलापीतुप्लस बर्हिणयोःपुमान् 73 कलध्वनि पुमान्पारावतेपिकमयूरयो / कंचुक्यंतःपुराध्यक्षेषिड़े होजोंगकदमे 74 कात्यायनोवा ररुचौविशेषेचमुनेःपुमान् काषायवस्नेविधवाईजरत्पुमयोः स्त्रियाम् 75 कुंभयानिरगस्येस्याइसिष्ठद्रोणयोःपुमान्॥ll कुचंदनं चपत्रांगेद्रभेदेरक्तचंदने 76 कुंडलीवरुणेकेकिभो |गिनोश्वसकंडले केसरीतुरसिंहपुन्नागेनागकेसरे 77auNl चादनं तुचुल्यांचिंचोटकमृणालयोः खङ्गधेनु स्त्रियांखड़ा पत्रिकागंडकरित्रयोः 78 गवादंनी वारुण्यांगवांपासादना||| श्रये गदयित्नःपुमान्कामेजल्पाकेकामुकेपिच 79 घनाधनो। वर्षकाब्दमत्तधातुककुंजरे चक्रेचशेषयित्नुस्तुविप्रकोकिरण लियोःपुमा ८०चित्रभानपुमान्वैश्वानरेचाहस्करेपिच॥ // चोलकीतुकरोरेस्यान्नारंगेविष्कपर्वणि ८१जलारनोलोह। पृष्ठेजलौकायोजलाटनी तपस्वीतापसेचानुकंप्येत्रिष्वथयो। विनि 82 मासिकाकट्रोहिण्योस्तरस्वी शुरवेगिनोः तपोध नस्तापसेस्यान्मुडियोतुतपोधना 83 द्विजन्मा दशनेविप्रे m - - - - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - A मेदिनीकोशः 68 दुर्नामलीबमर्शसि स्याद्दीर्घकोषिकायांस्त्रीदेवसेनातुवन्त्रि 84 सतायामपिसेनायांदेवतानाच योषिति नागोजनेभ संदर्योनागयौचयोषिति 85 भवन्निधवन कंपसरतेचन सकं निर्वासनं हिंसनेस्यान्नगरादेबहिष्कृतौ पईनिर्भत्स नरवलीकारेलक्तकेपिनपुंसकं निर्यातन वैरशुद्धोदानन्यासाl ॥पणेपिच 87 निशामनंदर्शनेस्यादालोचनेचनद्वयोः निशम| नमुक्तंदृष्टौश्रुतौनिरसनं वधेप्रतिक्षेपे 88 निष्ठीवनेप्रजन|| नियोनौजन्मन्यपिकीबं प्रसहनमपिभगेस्यात्क्षेपेपेचाननः शिवेसिंदे 89 प्रहसन मपिमहासेरूपकभेदेचपरिहासे प्राण "धानं प्रयत्नेस्यात्समाधौचप्रवेशने 90 प्रयोजनकार्यहेत्वोः पलाशीवृक्षरससोः अथप्रवचनं वेदेशष्ठवचने पिच 91 प्र तिपन्नोन्यलिंगास्याद्विज्ञातेंगीरुतेपिच प्रस्फोटनंतशूर्पस्या ताइनेचविकाशने 92 प्रतिमानप्रतिछायागजकुंभांतरालयोः प्रतियत्न स्तुसंस्कारलिझोपग्रहणेषुच 93 प्रत्यर्थीवाच्यलिं। गःस्याच्छत्रीचप्रतिवादिनि परिज्यातुपुमानिंदोपानिपरिचा रके 94 प्रसाधनीतुकंकत्यासिहोवेशेप्रसाधनं पयस्विनीन दीधेन्वोर्विभावर्याचयोषिति 95 अथएण्यजनोयराक्षसेस ज्जनेपिच पृथग्जनस्तुपुल्लिंग:कथितोनीनमूर्वयोः 96 फ। लकीमत्स्यभेदेनावाच्यवत्फलकाविते वारकीशत्रुचित्राश्चया गीजीवपयोधिषु 97 भूतात्मासिनिर्दिष्टोदेवेचपरमेष्ठिनि म हाधनं महामूल्येसुवर्णसिल्हके पिच 8 महासेनःकार्तिके येमहासैन्यपतावपि मदायित्नर्मदयुतेपुमान्मयेनपुंसक 99 // महामुनिरगस्त्येनाकुस्तुंबुरुणिनगो मातुलानीकलालेस्यानं गायामातुलस्त्रियाम् 300 मालुधानोमातुलाहीमालुधानीलता तरे मेधावीनाथुकेब्राह्मास्त्रियांमेधान्वितेत्रिषु ३१रसायन|| विषेपिस्याजराज्याधिजिदौषधे पुल्लिंग:पक्षिराजेचविडंगारल्योषधे|| M - - - -- - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 69 - - - - - - - - पिच 302 राजादनंसारिकायांपियालेकिंशुकेपिच ललामस्या|| त्यभावेचलांछनध्वजयजिषु३०३ श्रृंगेप्रधानेभूषायामपिवालधि। पंड्योः लोगलीनालिकेरेट्रोरेवतीमरणेपुमान् 4 वनमागंधमा जरिवंचकल्याघ्रयोःपुमान् वर्धमान प्रश्नभेदेशरावैरंडविष्णुषु 5 वित्मापन स्यातुहकेगंधर्वनगरेस्मरे विसर्जन परित्यागेदा। नेसंप्रेषणेपिच 6 विरोचनःप्रल्हादस्यतनयाग्निचंद्रयोः विहेठनंतुहिसायोमर्दनेचविडंबने 7 भवेहिहननं विप्रहिंसयो || ॥स्तूलपिंजने विषयी विषयासक्नेवाच्यवतकीबमिद्रिये 8 सिस्यill मानपतौकामदेवैवैषयिकेपिच विष्वक्से नापलिंग्यांस्याद्विपक्से नोजनार्दने 9 विलेपनी सुवेषस्त्रीयवाग्वोरपियोषिति विलासी|| भोगिनिव्यालेविष्वक्सेनाग्निचंद्रयोः 10 वृक्षादनबलदलेमधुछ| बकुठारयोः रक्षादनीतुबंदायांविदारीकंदकेपिच 11 वैरोचनि स्तुसुगतेबलिदैत्यापुत्रयोः शिखरीस्यादपामार्गशैलपादपयोः पुमान 12 शिखंडिनीयुथिकायागुंजायामपियोषिति शिरवंडी नाकलापेस्याहोगेयारिमयूरयोः 13 शृंगारी पूगगजयोसणं गारसुवेशयोः अथश्लेष्मघनामल्यांकेतक्यामपियोषिति 14 सं मूर्छन मभित्र्याप्ताबुच्छ्रायमोहयोरपि समुत्थानसमुद्योगव्याधी नांनिर्णयेपिच 15 सदादानोभ्रमातंगेहेरेबेगंधहस्तिनि स्यात्म वदनमालोचेवशीकारेनपुंसकम् 16 समादाने समीचीनग्रह सौगतान्हि के सेवाहनं वाहनेस्यानारादेरंगमर्दने 17 समापन परिछेदेसमाप्तिवधयोरपि सनातनःशाश्वतेजेपितृतिथ्यतरेहरे|| ||18 स्तनयित्नःपुमान्दारिधरेपिस्तनितैपिच सरोजनीतुकमला करेपोचोषिति 19 समापन्समाप्तस्यालाप्तेकिऐवधेपिच संबाधनंहाःसदनेशूलाग्रहारपालयोः 20 संयमनीयमपुसिं // एमनबंधनेव्रतेऽपिस्यात् सारसनमप्युरस्नेतनुत्रीणांमेखलायां च २१समिधेनीतुधाय्यायांसमिध्यपिचोधिति समयोनि स्तु - - Panche - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश: 70 सामोत्येब्रह्मकुंजरयोरपि २२सुदर्शनो हरेबकेमेरुजंबुद्रुमेप |मान् नयोःशक्रनगरेआझौषधिभिदा त्रिपाम् 23 सुयामुनो। वत्सराजेप्रासादेझांतरेच्युते सुकर्मातुपुमान्योगभेदेस्याद्देवशि|| ल्लिनि 24 सुधन्वाप्रौढधानुष्केत्रिषुनाविश्वकर्मणि सुपर्वा ना शरेवंशेपर्वधूमसुरेपिच 25 सुदामा तुपुमान्वारिधरपर्वतभेद || योः सौदामन्यसरोभेदेतडित्तड्रेट्योःस्त्रियाम् २ईर्षयित्न पुमायुःकांचनेतुनपुंसक // नपंच॥ अथातिसर्जनंदानेवेधे पिचनपुंसके 27 अपवर्जनेतुदानेनिर्वाणत्यागयोरपि अपसर्जन मानातेपरिवर्जनदानयोः 28 अग्रजन्माल्जेिज्येष्ठभ्रातरिब्राह्म||| जिस्मृतः अथानुवासनस्नेहवस्लिधूपनयोरपि 29 अभिनिष्ठा नोप्यक्षरमात्रेपिस्यादिसर्जनीयेच अंतेवासी शिष्येस्पाचाडा लेप्रांतगेपिच 30 स्यादुपस्पर्शनंस्पर्शस्नानाचमनयोरपि उप॥ संपन्नमुद्दिष्टनिहतेचसुसंस्कते 31 कारंधमीकोस्यकारेधातु वादरतेपिच कामचारी कामुकेस्यात्स्वछंदकलनिकयोः 32 कि.l कार्वापुमानिक्षीणेपोटगलेपिच कृष्णवत्मापुमानम्नौदुराचा रिविधुतुदे 33 स्याएंधमादनोभृगेगन्धकेवानरांतरे स्त्रीसुरायों नगेनस्त्रीचिरजीवीदिकानयोः३४ तिक्तपर्वाहिलमोचीगुडूची यष्टिषुत्रियां दंतधावन खदिरेदेतशुद्धीनसकं 35 स्याङ्कम केतनःसिकेतु ग्रहहताशयो: स्यान्नरिवर्धनोगर्भपक्षांतेतने || येपिच 36 प्रतिपादनंत दानेप्रतिपत्तीचबोधने स्यात्स्ष्टहा॥ यनोधान्यविशेषेचमतंगजे 37 प्रचलाकीमयूरेस्याङ्कजंगेचार पिदृश्यते स्यात्पद्मालांछनोलोकेश्वरेब्रह्मणिभास्करे 30 धन देचस्त्रियांतारालक्ष्मीवाग्देवतासुच पीतचंदन मुद्दिष्टंकालीय कहरिद्रयोः 39 पृष्ठभूड़ी पुमानदेशभीरोषंढेशकोदरेवरचंदन मारख्यातंकालीयेदेवदारुणि 40 वरवर्णिनी तलाक्षाहरिदारो। चनासुच फलिन्यामुत्तमानारीसाधीयस्यामपिस्त्रियाम् 41 - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:७१ - - - - - मकसूदनस्तुसिधमरेवनमालिनी महारजनमुद्दिष्टेश तकुम्भकुसुम्भयोः 42 स्यान्मृत्युवेचनःशंभीश्रीफलद्रोण काकमोः रनमालीतुगोविंदेवाराह्यावनमालिनी 43 विषया यो पुमानराज्ञिवैषयिकजनेपिच इंद्रियेकामदेवेचविषयासक्त पूरुषे 44 विश्वकर्मा सहस्त्राशीमुनिभितदेवशिल्पिनोः विघ्र कारीस्मतोपोरदर्शनेपिविघातिनि 45 दृषपर्वापुमान्दैत्य भेटेप्यन्धकसूदने व्योमचारीतुनिर्दिष्टोदेवतायांनिहङ्गमे 46 || शकुलादनी स्त्रियांशष्णभेदीकटुकशाकयोःशालकायन दिष्टोमुनिभेदेच नंदिनि 47 शिवकीर्तन स्तुपुंसि गरीटेसुरहि||| घि श्वेतवाहन इत्येषसुधाधानिधनंजये 48 श्वेतधामापुमा|| निंदीधनसाराब्धिफेनयोः स्यात्षष्ठीहायनोधान्यविशेषेकुंजरेपु || |मान् 49 संप्रयोगीकलाकेलौकामुकेसप्रयोजने हरिचंदन मस्त्रीस्यात्रिदशानामहीमहे 55 नपुंसकत्तुगोशीर्षज्योत्ना कुंकुमयोरपि हरिवाहनस्तुसिशचीपतिविवस्वतोः ५१॥न षद॥ अंतावसायीपचेमुनिभेदेचनापिते कलानुनादीरो लंबेकलविकेकपिजले 2 जायानुजीवीपुसिस्यान्नटेचब कपक्षिणि सहस्त्रवेधिक्कीवस्याद्रामठेनाम्लवेतसे 53 ॥इति नांतवर्गः॥ पैकम्॥ पोनावातोडपूतेषुणपातरिचकीर्तितः॥ स्त्रियांतरक्षणेपानेतेपूरितकेचसः 1 पतिः॥कला-शास्त्र विधौन्यायसंवर्तब्रह्मणोदिने कपि सिल्केशाखामृगेच मधुसूदने 2 कूप-कूपकमन्मानेगाधगुणरक्षके पोद्रो॥ णशशलकेस्याद्रोणपत्न्यासपीस्मृता 3 कृपा दयायाक्षेपस्तु निंदा विक्षेपलेपने गर्वप्रेरणयोश्वाथरवष्याक्रोधेबलात्कृतौ ||| गोपो गोपालकेगोष्टाध्यक्षेपृथिवीपतावपि ग्रामस्याधिकृतेपुर|| सिशारिवारल्यौषधौलियां ५छपः क्षुपास्पर्शनयोस्त्रपुसीस/ करंगयोः तल्स मरेकलत्रेचशयनीयेचनगोः ई पालना पक्षिणि सहा पोनावाताडपादिः॥काशा me - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 72 - - कुलटयोस्तापःसंतापरुयोः तापी नयंतरेदपकस्तूर्यामप्य || हंकृतौ नीपःकरंबबंधूकनीलाशोकटुमेषुच दीप:प्रदीपो| तरीयेस्याल्लतायोचमस्तके पुष्पं विकाशिकसमस्त्रीरजः नपुंसकं सूपस्वभावसौंदर्यनालोकपशुरंदयोः ९ग्रंथारत्तोना टकादावाकारलोकयोरपि रेप: स्यानिंदितेरेरोपोरोपणवा | णयोः 10 लेपःपलेपनेजग्धोवपाविवरमेदसोः बाप्पाउणणिलो|| हेथशष्यंबालतणेस्मृतं 1 सिस्यात्प्रतिभाहानौशापआal शदिल्ययोः।शिसंस्तुक्रियायोग्येस्वाप:शयननिद्रयोः 12 स्पर्शा || जतायामज्ञानेसूपोव्यंजनस्दयोः॥पत्रि॥अनूपामहिषेना / बुप्रायदेशेतुवाच्यवत् 13 अस्त्रपा तुजलोकायाडाकिन्याराम || सेतुना आपापोभांडवपनपरिक्षेपालवालयोः १४आक्षेपोभ सना कृष्टिकाज्यालंकृतिषस्मृतः आकल्प-कल्पनेवेशेप्युद्ध तुल्पवेस्त्रियाम् 15 चंद्रपुंस्युलपोनस्त्रीगुल्मिन्यानातणांतरे कलपी वल्लुकीभेदेदुलौक्षुद्रगदांतरे 16 पुंसिनिध्यंतरेकूर्मम ल्लबंधांतरेपिच कलापःसंहतौबर्हकांच्यांभूषणतूणयोः 17 चं देविदग्धेव्याकरणभेदेपिकथ्यतेबुधैः कशिपु भक्तालादनयो रकोक्तयापृथक्तयोःपुंसिरकाश्यपउक्तोमुनिमृगयो देवकाश्यपी |क्ष्मायां कुतपोस्त्रियोदौहित्रेवायेछागलकंबले कुशे दिनस्यार|| मिशेनासूर्यकुणपीपुन: विदसारिकार्याणप:पूतिगेधौशवेपि च जिब्बायःशुनिमार्जारेप्रतापस्तापनेनसोः२० पादप-पादपीठा दौपादुकायांतुपादपा रतपास्याज्जलौकायोडाकिन्यांनातुरा 21 वित्पोनस्त्रियास्तंबशाखा विस्तारपल्लवे विटाधिपेना विकल्पःपुंसिप्रांतीचकल्पने 22 // पचतुः॥अभिरूपोबुधे।। रम्येपलापःप्रेमण्यपन्हवे अवलेपस्तुगवस्याल्लेपनेभूषणेपिच|| 23 उपतापस्त्वरायांस्यादुनापगढ्योरपि जलकूपोकूपगतेपुष्क रिण्यांचयोषिति 24 नागपुष्पस्तुपुन्नागनागकेसरपंचके परि - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:७३ - %DC - वापस्तुपर्युप्तौजलस्थाने परिलदे 25 परिताप स्तुसिस्याहुःखेच नरकातरे परिकल्पो भयेकंपेप्राप्तरूपोजरम्ययोः 26 पिंडपुष्प मशोकेषजवायांचकुशेशये बहरूपः शिवेविष्णोधूनकेसरठेस्म 227 मेघपुष्पंतुपिंडानांबुनादेयेहरेहये विप्रलापो विरोधोक्ताव पार्थवचनेपिचर बीनपुष्य मरुबकेतथामदनकेपिचारका पस्तुसरलवकृत्रिमधूपयोः 29 रखाकपिः पुमान्छष्णेशंकरेजा तवेदसि हेमपुष्पमशोकेचजवापुष्पेनपुंसकं ३०॥पपंच ॥भवे चामरपुष्पंतपूगेकाशाम्रकेतके ३॥तिपतिवर्गः॥१३०२॥ गफैकम्॥ फोयक्षसाधनेस्फातेझंझावातेपिपुंस्यवं फंरुक्षोक्ती फूल्हतोचतथानि फलभाषणे १॥फहितागुंफस्तुएफनेबाहो || रलकारेचकीर्त्यते रेफोवणेपुंसिस्यात्कुत्सितेपुनरन्यवत् 22 फमूलेतरुण्यांस्या द्वादीनांरखरेपिच शिफाजटायांसारितिमासि कार्याचमातरि 3 // इतिफोतवर्गः॥ १३०२॥बैकं ॥बापुमा वरुणेसिंधौभगेतोयेगतेतुवा गंध तंतुसंतानेपुंस्येववपनेस्म. तः१॥बद्धिताकेबःशंखेस्त्रियांसिशंबूकेवलयेगजे कबीरं शेचवंशस्यखजाकार्यास्त्रियामपि 2 कीबस्यात्पंडकेनस्त्रीका च्यलिंगस्वविक्रमे गवर्ब संख्यांतरेकी बनीचेवामनकेत्रिषु३ गो ऽभिमानेवलेपेजेबःस्यात्पादपांतरे तथासुमेरुसरितिही पमेदेपिचस्त्रियां 4 डिम्बोभयध्वनाबडेफुप्फुसप्लीहवेलवे द बीस्त्रियांरखजाकायांफणायामुरगस्यच ५पूर्व तुपूर्वजेपिस्या | पूर्व:प्रागाद्ययोस्त्रिघु लेबापद्मालयागौॉस्तित तुंब्यामपिस्त्रि याम् ई बिम्बंतुमतिबिपिमंडले नपुंसके बिंबिकाया फलेकी बस्कलासेपुनःपुमान् ७शंबस्यान्मुसलग्रंथलोहमंडलकैप वौ शुभान्वितेत्रिषुस्तंबोप्रकांडट्रमगुरुयोः ८॥बत्रिः॥करें। बंनिकुबेस्यालीपसिथार्थयोःपुमान् कलेबी शाकभेदेस्या कडेवशरयो:पुमान् 9 कादंषःस्यात्पुमान्पक्षिविशेषेसायके - - A - - - -. - HANSI - - - - - - - - - 33 -- For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:७४ - - - पिच गजाहाकरिपिपल्यांगजाव्हंहस्तिनापुरे 10 गंधर्वःपशुभेदे॥ स्यारोस्कोकिलतुरंगयोः अंतराभवसत्तेचगायनेखेचरेपिच 11 गो। डंकःशीर्णरतेचगवादन्यांतुयोषिति रिजिडस्तुखलेसपैनितंवः। स्वधरोधसोः 12 स्त्रिया:पश्चात्कटितटेकटकेकटिमात्रके प्रलंबो देयभेदेस्यात्रपुषेपिपयोधरे 13 तालांकुरेपिशालायांहारभेदेन // लेबने भूजम्बूनपिगोधूमेविकंकनफलेस्त्रियाम् 14 हेरंबोवि नराजेस्यामहिषेशौर्यगविते॥बचतुः॥राजजम्बूस्तुजंबूभिः॥ सिंडखरयोस्त्रियां 15 ललजिव्होन्यवस्लेिकमेलक नो-पुमान् शतपर्वाचदू यांवचाभार्गवयोषितोः १६॥बपञ्च धूलीकदंबोनीपेस्यात्तिनिशेवरुणमे शृगालजंबूोडि|| तथाघोटाफलेस्त्रियां १७॥इतिबतिवर्गः॥१३२२॥भैक भंनसत्रेगभस्तौस्त्रीपुंसिस्थाइगुनंदने भूस्थानमात्रेकथिताध रण्यामपियोषिति १८॥भद्विःभोराश्यंतरेहस्तिमूशिरा || क्षसांतरे कामुकेवारनार्योचघटेकीबतुगुग्गुलौर स्त्रियामुखा कदलयोः पृश्निकायोचपाटलो गर्भो भ्रूणे केकुक्षौसंधीपन सकेटके. ३जेभो दैत्यविशेषेदतेजबीरभक्षणयोः नुंभावि काशभणयोस्त्रीषु डिंभोपिबालिशेबाले 4 दंम स्तुकै॥ तवैकल्के दृम्भूःस्त्रीसर्पवजयोः नाभिर्मुरव्यनृपेचक्रमध्यम त्रिययोःपुमान् 5 यो प्राणिप्रतीकेस्यास्त्रियांकस्तू रिकामदे|| निभस्तुकथितोव्याजेपुल्लिंग:सदृशेत्रिषु रंभाकदल्पसरसा नविणोवारणांतरे विभः प्रभौसर्वगतेशंकरब्रह्मणेस्तुना 7 शंभुःसिमहादेवेपरमेष्ठिनिचाहति शुभो योगेशुभंक्षेमेवाच्या वतक्षेमशालिनि 8 बसंचारिपुरेस्त्रीत शोभाको तीछयोमा तासभा सामाजिकेगोष्ठ्यांद्यूतमंदिरयोरपि 9 स्वर्भूब ह्मणिहरोसंभःस्थूणाजडत्वयोः॥भत्रिः॥आरंभस्तुत रायास्यायमेवधदर्पयोः 10 आत्मभूनाविधीकामेप्यषभ - - - - Remen 33ma m maone For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:७५ - - - - - mp % D I स्त्विोषधोतरे स्वरभिहषयोःकर्णरंध्रकुंभीरपुलयोः 11 उत्तर स्थःस्मृतश्रेष्ठस्त्रीनराकारयोषिति भूकशिन्यांशिरालायांवि| धवायांकचिन्मता 12 ककुपस्त्रियांप्रवेणीदिक्शोभासुचे पकस्त्रजिककुभोरागभेदेषिवीणांगार्जुनपादपे 13 कटभी रक्षभेटेपिज्योतिभत्यामपिस्त्रियाम् करभो मणिबंधादि कनिष्ट्रांतोष्ट्रतत्सुते 14 कुसुंभेहेमनिमहारजकेनाकमंड लो गर्भदंश्वेतकुमुदेगर्भभोगंधभिंद्यपि १५रासभेगर्दभीक्षा द्रजंतुरोगविशेषयोः दुर्लभ स्त्रिषुष्प्रापेकछरेदंदुभिःशुमा न 16 वरुणेदैत्यभेश्वित्र्यावित्रिकाये निम कुंभ कर्णस्यतनयेदंतिकौषधौ 17 वल्लभो दयितेऽध्यक्षेसल्लस णतुरंगमे वर्षाभूः स्त्रीचशथन्यांभूलतापुवयोःपुमान् 18 विष्कभोयोगभेदेस्याहिस्तारप्रतिबिंवयोः रुपकोगप्रभेदेवबंध|| भेदेचयोगिनां 19 विश्रभाकेलिकलविश्वासेप्रणये पिच वि ष्टभः प्रतिबंधेस्यात्पभेदेनामयस्यच 20 वृषभःश्रेष्ठषयो/ विदर्भीरीतिभिद्यपि वैदर्भ वाक्यवैकलेशरभ स्तुपशोभिदि। 21 करभेवानरभिदिसनाभिज्ञातितुल्ययोः सुरभिःशल्लकी मातृभिन्मुरागोषुयोषिति 22 चंपकेचवसंतेचतथानातीफ लेपुमान् स्वर्णेगंधोत्पलेकीबसुगंधिकांतयोखिषु 23 विरा ख्यातसचिवेधीरेचैत्रपिचयमानयं / भचतुः॥अनुष्टुपस्या सरस्वत्योछेदोभेदेनयोषिति 24 अवष्टंभःसुवर्णेचस्तंभप्रारे।। भयोरपि शातकभंसुवर्णेस्यातशातकुंभो श्वमारके 25 // गतिभांतवर्गः॥मेकम्॥ मोयमेसमयेपिस्या द्विषेचमधुस् दने मास्त्रीपद्मालयायांस्यात्पुल्लिंगश्चंद्रशेखरे 1 महिः आमोस्तद्भिटो सिस्यादपकेन्यलिंगकः उमारुतसीहेम | वनीहरिद्राकीसिकातिषु 2 उर्मि:श्त्रीपुंसयोर्वीच्यांप्रकाशेवे | गर्मगयोः वस्त्रसंकोचरेखायावेदनापीडयोरपि 3 क्रमश्वा) - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:७६ - - तक्रमेशक्तीकपेचाक्रमणेपिच क्षमा भूमौतितिक्षायोस्त्रि यायुक्तेनसके 4 वाच्यवच्छतहितयोःकाम स्मरे ज्छर योःपुमान् रेतस्यपिनिकामेचकाम्येपिस्यान्नसकं 5 कामि कामुकेरत्यास्त्रीकिक्षेपवितर्कयोः निंदायांचपरिप्रश्नवा च्यलिंगमुदाहृतं 6 किमि कृमिरकीटेलाक्षायांरुमिले खरे किर्मी पलाशेशारवायांहेमपुत्र्यांचयोपिति क्षमात सीनीलिकयो क्षेमो स्त्रीलुन्धरसणे चंडायां नाशुभेनस्त्री कात्यायन्यांतुयोषिति पसौममहेनुकूले स्त्रीक्षोमवत्कल जांशुके शशजे: तसिजेरवर्मपौरुषेकोषनाशुके ९गमोना क्षविवर्नेस्यादपर्यालोचने ध्वनि ग्रामः स्वरेसंचसथेग्रीभः॥ उभर्तुभेदयोः 10 गुल्मः सेनापट्टभिदो सैन्यरक्षणसमभिर दोः लेबेस्त्रियामामलक्येलवलीवस्त्रवेशयोः 11 घर्मःस्या दातपेयीभेप्युष्णस्वदाबुनोरपि चमू:सेनाविशेषेचसेनामा चयोषिति 12 जाल्मःस्यात्पामरेङ्क्रैपुंस्यसमीक्ष्यकारिणि जिह्म स्तुकुटिलेमेदेकीबतगरपादप 13 तोक्मकर्णमले। सिहरितेचहयेस्वरे दमस्तु दमथेदंडेकर्दमेदमनेषमान 14 | दस्मस्तुयजमानेस्यादपिचौरेहनाशने द्रुमो महीरुहेपारि जातेकिंपुरुषेस्वरे 15 धर्मोस्त्रीपुण्यआचारस्वभावोपमयोः ऋतौ अहिंसोपनिषन्यायेनाधनुर्यमसोममे 16 ध्यायेदम नकेगंधातणेथश्यामले त्रिषु नेमि तिनिशेकूपत्रिकाचक्रो। तयोः स्त्रियां 1 नेमःकालोवधौखंडेप्राकारेकैतवेपिच पद्मो स्त्रीपद्मकेव्यूहनिधिसरन्यांतरेंबुजे 18 नानागेस्त्रीफैजिका श्रीकारटीपन्नगेषुच ब्रह्मी तुफजिकायास्याच्छाकमत्स्यप भेट्योः 19 ब्राह्मी तुभारतीसोमवल्लरीब्रह्मशक्ति भ्रमोब निर्गमेश्रांतीकंदभ्रमणयोरपि 20 भामक्रोधेरवोदीप्तौभी भोगांगेयभीमयोः भीमो म्लवेत्सेखोरेशंभौमध्यमपाडवेश - - 3 - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:१७ - - भूमिसुंधरायास्यात्स्थानमात्रेपिचस्त्रियां भीम कुजेचनरके पसिभूमि भवेत्रिषु२२ यमोन्यलिंगोयमजेनाकाकेशमनेशनौ शरीरसाधनापेक्ष नित्यकर्मणिसंयमेश्यामस्तुपंसिपहरेसंयमेपिप्रकीर्तितः॥ यामिः || लस्त्रीस्वस्त्रास्त्री युभोधनुषिसंयुगे 24 रश्मिः पुमान् दीधि || तौचपक्षप्रग्रहयोरपि रमा लक्ष्यारमाकांतेरक्ताशोकद्रमेस्वरे॥ |25 रामा योषाहिंगनद्योकीवास्तुककुष्टयोः नारायवैचवरुणे रेणुकेयेहलायुधे 26 हयेचपशुभेदेचत्रिषुचारोसितैःसिते रु.॥ मासुग्रीवदारेषुविशिष्टलवणाकरे 27 रुक्मंचकांचनेलोहेल क्ष्मी संपत्तिशोभयोः अध्यौषधेचपायां वृद्धिनामौषधेपिच स स्त्रीफलिन्यांवमि तिौस्त्रियांसि हुताशने वामं धनेहरेसिकामदेवेपयोधरे 29 क्लाप्रतीप सन्येषुत्रिषुनास्त्रियामथ वामीशृगालीवडवारासभीकरभी। षुच 30 शमीसत्तुपलायांचशिबिकायांचवागुजी श्या मोक्ष यागस्यवारिदेवदारके 31 पिकेचकृष्णहरितोःसिस्यातहति त्रिषु मरिचेसिंधुलवणेकीवंस्त्रीशारिवोषधौ 2 अप्रसूतांगना योचप्रियंगावपिवागुजी यमुनायांत्रिपामायारुष्णनितिकोषधौ // 23 नीलिकायामथश्रामोमासेमंडपकालयोः शुभतेजसिस्तू पैनासमा संवत्सरेस्त्रियां३४ सर्वसाधुसमानेषुसमं स्यादभि धेयवत् सीमाघाटस्थितेक्षेत्रेचंडकोषेः पिचस्त्रियाम् 35 सू॥ मस्याकैतवेध्यात्मपुंस्यणत्रिषुचाल्पके सूक्ष्मंक्षीरेचनभसि || सोम स्तुहिमदी धितो 36 वानरेचकुबेरेचपितदेवेसमीरणे व // सुप्रभेदेकरेनीरेसोमलतौषधौ 37 हिमं तुषारमलयोनक्यो:स्यान्नसकं शीतलेवाच्यलिंगोथ होमि पावकेपुते 3 गमत्रिःअधमःस्थाहहहहीनेप्यागमःशास्त्रआगमे आश्र|| मोब्रह्मचर्यादौनानप्रस्थेवनेमठे 39 अस्त्रियामुत्तमादुन्धिका यांत्रिषचभद्रके उहामोवंधरहितेस्वतंत्रेचप्रचेतसि कल - - - - - ma - - mvareemenawan- - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - मेदिनीकोश:५७ म पुसिलेखन्यांशालोपाटच्चरेपिच कुसुमेस्वीरजोनेत्ररोगयो फलपुष्ययोः 41 कृत्रिमंलवणभेदेनासिल्हकेरचितेत्रिषु गो|| लोमीश्वेतदूर्वायांस्याहूचाभूतकेशयोः 42 गोधूमोनागरंगे स्यादोषधिव्रीहिभेदयोः गौतमोनामुनौबुझेरोचनीदुर्गयो:स्त्रि यां 43 तलिमंकुट्टिमेतल्येचंद्रहासेवितानके दाडिमस्तुत्रि लिंगस्यादेलायांकरकेत्रिषु 44 निमोबुद्धिसंपत्तीनिर्गमेदष्फ लेपिच निगमो वाणिजेपुर्याकटेवेदेवणिपणे 45 नियमोमंत्र णायांचप्रतिज्ञानिश्चयेव्रते नैगम स्यादुपनिषणिजोनगिरेपि च 46 परमंस्यादनुज्ञायामव्यग्रंपरमःपरे प्रमथ स्तुभवेदा दौप्रधानेपिचवाच्यवत् 47 प्रतिमा गजदंतस्यबंधेचानक तावपि पंचमो रागभेदेस्यात्स्वरभेदेचपंचमी 48 पांडवानां || चपन्यास्त्रीपंचानांपूरणेत्रिषु प्रक्रम मेक्सरेमध्यमामध्य जेन्यवत् 49 पुमान्स्वरेमध्यदेशेप्यवलग्नेतुनस्त्रियाम् स्त्रिा यादृष्टरजोनार्याकर्णिकांगुलिभेदयोः 50 व्यारंछेदसितथा| ललामलोछनेध्वजे शृंगेप्रधानेभूषायांरम्येवाल धिड़यो। 1 तरंगेचप्रभावेशव्यायामपौरुषेश्रमे विषमेदुर्गसंचारेविश्राम मोभ्रीतिहावयोः 52 विद्धमोरत्नरसेपिप्रबालेपिपुमानयम वि) लोमस्तुप्रती पेस्याङ्गजंगेवरुणेशुनि 53 आमलक्यांविलोमी चविलोमंचारपट्टने विक्रमस्तुपुमान्कोतिमानेस्याच्छत्तिसं| पदि ५४संक्रमक्रमणेपुंसिनस्त्रीस्याहर्गसंचरे संभ्रम साधला सेपिस्यात्सेवेगादश्योरपि 55 सतमास्यात्यूज्यतमेसाधीयस्य त्तमेत्रिषु सरमा कुकरीदेवशुन्यो स्याद्राक्षसी भिदि 56 सुष मानंतशोभायास्त्रीचारोचसमेत्रिषु सुषीम:शीतलेचारोविना पन्नगोतरे 57 ॥मचतः॥भवेदनुपमासुप्रतीकिन्यास्त्रीत्रि समे अभ्यागमोविरोधाभिघाताभ्युहमनातिके 58 उप क्रम स्तूपधायांज्ञालारंभविक्रमे चिकित्सायामुपगमः॥ - - - / - - -vmam m eenar - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश: 79 . - - स्वीकारेंतिकसपणे 59 जलगुल्मोजलावतकच्छपेजलचत्व र दंडायामस्तुकीनाशेदिवसेकुंभसंभवे 60 पूवंगमस्तुमं ड्केतथाशाखामृगेपिच पराक्रमोविक्रमेस्यात्सामोद्योग योरपि 61 महापयःपुमान्मागनिधिसंरव्यांतरेषुच यातयामो न्यवज्जीर्णेपरिभुक्तोन्झितेषुच 62 सार्वभौमस्तुदिङ-नागे सर्वप्रथ्वीपतावपि // मपञ्च॥अभ्युपगमस्तपुसिस्वीकारेति कसमागमेच 63 नक्षत्रनेमिस्कारेवत्यांनाधुवचंद्रे॥इति|| मांतवर्ग:॥यैक।योनाबायोयमनेयायामाप्तिधूमितत्यागे। गवारणयोगसमज्ञायानेषुपुमांस्तुगंतरिरख्यातः 1 ज्या मातरि|| वसधायांमौायकीवमन्हिगमनेच नान्वालनेद्यौस्त्रिदशा लयत्रिदशवर्मनीषिति २अर्थ्य शिलाजतन्पोबुधेन्या य्येवाच्यवता अंत्यस्तुसिमुस्तायामंतोद्भूतेधमेत्रिषु 3 भ य॑मर्घस्ययोग्येस्पार्थिपिचराच्यवता अन्योसरशेतरयो रर्य: स्यात्लामिवैश्ययोः 4 आस्यंमुखेचतन्मध्येतद्भवेचरित्र पोस्थिती ज्यादाने ध्वरे यांसंगमेस्त्रीगुरोत्रिषु 5 इभ्या करेणशल्लक्योःस्त्रियामायेचवाच्यक्त कश्यत्रिषुकशास्या तीबंमद्याश्चमध्ययोः 6 कन्याकुमारिकानार्योरोषधीराशि "भेदयोः क्षयोरोगांतरेवेश्भकल्पांतापचयेषुच 7 कल्यंप्रभा) तिकीयस्यात्कल्पोवाश्रुतिवर्जिते सय्योनीरोगदक्षेषकल्या णवचनेपिच 8 उपायवचनेपिस्यात्रिषुमधेतुपोषिति कल्या बहतिकायास्यातकांच्यांमध्येभबंधने 9 हादीनांप्रकोष्ठेच कार्यहेतौप्रयोजन काव्यं ग्रंथेपुमान् शुक्रेकाल्यास्पायूतना घियोः 1 कांस्यं वायांतरेपानपात्रेस्यातजसांतरें। कायका दैवतेमूर्तीसंपलक्ष्यस्वभावयोः // मनुष्यतीर्थकायंस्पात क्रियातूपायचेष्टयोः आरंभनिष्कृतीपूजासंधारणकर्मसु || र शिक्षाचिकित्साकरणेहयभित्तौविलेपने कुल्यंस्थानको - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:५० - - कसेप्युष्द्रोणीभूमिषेषुच 13 कल्या पयःप्रणाल्यांचनद्यां // वीजतिकोषधौ कुलोद्भवेकुलहितेत्रिपुमान्येपुनःपुमान 14 // त्याक्रियादेवतयोरित्रषुत्रिविष्टकार्ययोः गयास्थात्पभुराजष्यों भैदेतीर्थपुनर्गया 15 गव्यनसकंज्यायांरागद्रव्येप्पथस्त्रि यो गोसमूदेत्रिलिंगंतुगोदुग्धाौचगोहिते 16 ग्राम्यस्त्रीकर क्लीबालीलप्रारुतयोखिष गहारहस्युपस्येचगुह्यकम॥ ठदभयोः 17 गृह्यसुदेग्रंथिभेटेकीबंशाखापुरेस्त्रियां ग्रहा सक्तमृगादौनात्रिषुचास्वैरिपक्षयोः 18 गेयंतुगीतेगेयस्याः॥ हातव्येगायनेत्रिषु गोप्योदासीसुतेपुंसिरक्षणीयेभिधेयवत् l चव्यं तुचविकेकीबंबचायामपियोषिति चयःसमूहेप्राकारमू| लबंधेसमाहतौ २०चित्यं मृतकचेयेस्याजियामृतचितौलिया चैत्यमायतनेबुद्धवैद्यनोद्देश्यपादये / चोधेस्यादप्रमेचा दनार्हतुवाच्यवत् छायास्यादातपाभावेप्रतिबिंबार्कयोपितो: 22 पालनोत्कोचयो कोतिसच्छोभापक्तिस्त्रियां जया जयंतीति थिभित्पथ्योमातत्सखीषुच 23 अग्रिमथेनाजयतेविजयेचयुधि हिरे जन्यंद्रदेपरीवादेसंग्रामेचनपुंसक २४जन्या मातषय | स्थायांजन्यःस्याज्जनकपुमान त्रिपुत्पाद्यजनित्रोचनवोढाज्ञा // तिभृत्ययोः 25 वरस्निग्धेथिजन्युःस्यात्पुंसिप्राण्यग्निधातषु त्र॥ यीत्रिवेद्यांत्रितयेननातायोश्वसर्पयोः 26 गरुडायजेसुवर्णे चसिक्कीबेरसांजने तिष्योनक्षत्रभेदेस्याकलौधाव्यांचौषिति 27 द्रव्यं स्थापितलेवितेपृथ्व्यादौचविलेपने क्लीबेचभेषजेभव्ये टुविकारेचवाच्यवत् 28 दस्युश्चौरेपेसिरिपोदायस्सोलंठभाषणे विभक्तव्यपितद्रव्येतभाहरणटानयोः 29 दिव्यंलमंगेधात्र्यां लीलगौदिविभवेत्रिषु दृष्यंविषदूषणीयेकीस्वस्वेचतहहे 30 दूत्यंदूतस्वभावेरभावकर्मण्यपिस्मतं दैत्योऽसुरेसुरायोतुदैत्या चंडौषधावपि धन्याधाच्यामलक्यो स्यादन्येपुण्यतित्रिषु - d - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:८१ - - - - % D ॥धान्यव्रीहिषुधन्याधिष्ण्यस्थानग्निसयसु 32 शक्तावते|| प्यथनयो नीतितविशेषयोः नाट्यंतौर्यत्रिकेलास्येनित्य स्यात्संततेऽपिच 33 शाश्वतेत्रिषुपथ्यास्त्रीहरीतक्याहितेत्रि॥ ॥षु पदांश्लोकेपुमान्छू पद्मावमनिकीर्तिता 34 पाक्यं / / विटाख्यलवणेयवक्षारेपुनःपुमान् प्रायोमरणानशनेमृत्यौ बाहुल्यतुल्ययोः 35 प्रियोहयेऽन्यक्त्रंसिद्धिनामौषधौ, धये पीयःकालेरबौद्यूकेनापुण्यंशोभनेत्रिषु 36 क्लीबंध चसुरते पुष्प कलियुगैस्मतः नक्षत्रमासयोभैदेषज्यश्व शुरवंद्ययोः 37 पेयंपातव्यपयसोःपेयाश्राणाछमेडयोः वध्यस्वफलरक्षादौस्त्रियांस्यादप्रजस्त्रियां 38 वर्या पति |वरायांस्त्रीवरेण्येत्रिषुनास्मरे बल्यं प्रधानधातौस्याकीबं बलकरैत्रिषु 39 वीर्यशुक्रेप्रभावेचतेजःसामर्थ्य योरपि भय प्रतिभयेघोरेप्रसूनेकुजकस्यच 40 भव्य शुभेचसत्येचयोग्ये भाविनितुत्रिषु कर्मरंगतरौसिस्त्रियांकारकणोमयोः 41 // कीबमस्थनिभाग्यंतुस्याच्छुभाशुभकर्मणोः भृत्योरासेभृतौ // भृत्यामयु किन्नरेमृगे 42 मय:शिल्पिनिदैत्यानांकरभे। श्वतरेपिच मध्यं विलग्नेनास्त्रीस्यान्न्यायेंतरेधमेपिच 43|| मत्स्योमीने थ'भूनिदेशेमन्यःमानधिदैन्येशोकेचयते चमाल्यंकुसुमतलजोः 54 मायास्याच्छांबरीनुध्योर्मायः पीतांबरेसुरे मूल्यस्याइतनेप्रमत्फ मरणेयमे 45 मेध्य| त्रिषुशुचौरक्तवचारोचनयोःस्त्रियां ययापुमानश्वमेधतुरगे चतुरंगमे 46 याप्यस्तुयापनीयेस्यानिदितप्यभिधेयवर या म्यापाच्यांभरण्याचपुंस्यगस्त्येचचंदने 47 योग्यप्रवीण| योगाोपायशक्तवाच्यवत् क्लीबमध्यौषधोपुषनास्थ्यभ्या सार्कयोषितोः ४८रम्यारात्रौंचपकेनामनाजेत्यभिधेयक्त गनपुंसकंपटोलस्यमूलेसूरिभिरिष्यते ४९रय्यारथौधवि - marpan ww - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir wom maamnaamanam - -- मेदिनीकोश:५२ शिखावर्तनीषचयोधिति रथयोढरिपुडिंगोरुप्यस्यान्सुदरे। त्रिषु ५०आहतस्वर्णरजतेरजतेचनपुसके लोचिनाशसंश्लेषेर साम्यतौर्यत्रिकस्यच 51 लक्ष्यं स्यादपदेशेपिशरण्येपिन सकं लभ्यंयुक्तेचलब्यव्येलास्यंतौर्यत्रिकेमतम् 52 न॥ त्येचन्याप्रस्थानेवर्गपर्यटनेपिच वन्यं त्रिषुवनेशतेस्त्रीय नांबुसमूहयोः 53 वाच्यंत्तुकुत्सितेहीनेवचनाचवाच्यवना विध्यास्त्रियोलवल्यास्यात्सेसिव्याधाद्रिभेट्योः 54 वीक्ष्य तुविस्मयेदृश्येपुसिलासकवाजिनो वश्य वेश्यागृहेकीबंग शिकायोतुोषिति ५५शल्यंतुनस्त्रियांशकौकीबैक्ष्वेडेषु तोमरे मनश्वाविधोनशियःशय्याहिपाणिषु 5 शय्यार/ स्याच्छयनीयचगुंफनेपिचयोषिति शून्यस्यान्निजेनेवाच्या लिंगमल्यातुयोषिति 57 शोर्यमारभदीशक्त्योःसह्यशै॥ लांतरेपुमान् सोढव्येवाच्यलिंगास्यादारोग्येतुनपुंसकं 58|| संख्यसमितिसंख्यास्याटेकवादिविचारयोः संध्यापितप्रसून छत्तरयोर्युगसंधिषु 59 सत्ये रुतेचशपथेतथ्येत्रिषुतुतह ति सव्यंगामेप्रतीपेचस्मयोनाङ्गतगर्वयोः६.साय:कां डेदिनीतेचसाध्योयोगांतरेस्मरे गणदेवविशेषेचसाधनीयेतु वाच्यवत् 61 तूयोर्कपणेतपनेस्त्रीतनाषिधीभिदोःस्थ योविवादपक्षस्यनिर्णतरिपुरोहिते 62 से व्यं कीवमुशीरे // स्यात्सेवाहपुनरन्यवत् सैन्यंकीबंबलेसेनासमवेतेतुषा॥ च्यवत् 63 सौम्यो ज्ञे नात्रिष्वनुग्रेमनोज्ञेसोमदैवते हायो| विभीतकतरौहर्तव्ये पुनरन्ययत् 64 जरणे यत्रिषुहा हज द्वितहानिये वशरूदेदमंत्रनादिनामौषधौस्त्रियां यत्रिः॥अनयस्तुविपद्देवाशुभयोव्यसनेषुच अत्ययोतिक मेदेडेविनाशेदोषयोः 6 अश्वीयमश्यसंघातेकीबमन्च हितेन्यवत् अधृष्यातदिनीभेदेप्रगल्भेषाच्यलिंगकं 67 // / - - - - - % EI momento For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः५३ - - - - - - - - - . अवध्यमवधाहेस्यादनर्थकवचस्यपिअन्ययोास्त्रीशब्दमे देनाविष्णौनिय॑येत्रिषु॥८॥अहल्यावसरोभेदभार्यायांगो तमस्यचा अहार्यःपर्वतेनास्यादहर्तव्यतुवाच्यवता भिल्यात्वभिधानेस्याच्छोभायांचयशस्यपिाअभयास्त्री हरीतक्यामुशीरेचनपुंसक ७०॥निर्भयेवाच्यलिंग स्यादप संपुत्रयोर्मत।अगस्त्य भयोनौस्यागसेनतराबपि॥१॥॥ आशयःस्यादभिप्रायेपनसाधारयोरपिस्यादानिथ्यमतिथ्य थैत्रिलिंगमतिथौपुमान्॥७२॥आत्रेयीपुष्यवस्यास्यान्नदीभेटे। चनामुनौआदित्योभास्करेदेवेष्याम्नायो निगमेपिच॥७३॥|| | उपदेशेपींद्रियं तुहषीकेरेतसिस्मृत॥ उदयस्तुपुमान्यूर्वप| तेचसमुन्नती॥७४॥उपाय:सम भेदादौतथैवोपगतोपुमान ऊर्णायनाक्षणभंगेमेषकंबलमेषयोः॥७॥औचित्यमुचितर॥ वेस्यात्सत्येपिचनपुंसकंकषायो रसभेदेचनिर्यासेचविले पिने॥७॥अंगरागेचनस्त्रीस्यासुरभोलोहितैत्रिपाकालेयो। दित्यभेदेस्यात्कालखंडेनपुंसकम्॥७॥क्षिपण्युस्तुपुमान्दे। देसरभौवाच्यलिंगकाकुलायस्तुपुमानस्थानेमानेस्यात्पर क्षिवासके॥७८॥क्षेत्रियंक्षेत्रणेपरदेहचिकित्सयोः॥पर। दारतासाध्यरोगयोक्षेत्रिया पुमान॥७॥कीकृत्य मनुतापे स्यादयुक्तकरणेपिचागोगेय स्यात्सुमानभीष्मेकीस्वर्णकशेस णो॥५०॥चसुष्य केतकेपंडरीकसंज्ञकपादपेकुलस्थिकास भगयोःस्त्रियामक्षिहितेन्यवत्॥९॥चांपेय श्वेपकस्वर्णक जल्केनागकेसरे॥ जघन्य हेमलेकीबंचरमेगार्हतान्यवत्॥॥ 462 // जटायुः सिसंपाते कनीयसिचगुग्गुलोजरायरपि नित्यक्षिराजेगर्भाशयेपुमान॥५३॥तपस्याबतचर्यायातपस्य फालानेपुमान् द्वितीयातिथिभित्पत्यो पूरणेतूभयेत्रिषु॥ In८४देवपुर्याच्यलिंगरतुधार्मिकेलोकयात्रिकानादयीना - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:८४ - D गरंगेस्याज्जयारामंबुओतसे॥८॥भूमिब्यांजवायांचव्यंगुष्ठे पिचयोषितानिकायस्तुपुमांलक्ष्येसर्मिप्राणिसंहतो॥५६॥स| मुच्चयेसंहतानांनिलयेपरमात्मनिानेपथ्यःस्थादलेकारेरंगज्या योनपुंसकं॥७॥प्रणय:प्रसवेप्रेम्णियाच्चाविश्रुभयोरपिानि पिप्यथपर्याय:प्रकारेवमरेक्रमािप्रलयो मृत्युकल्यांना मू पायेषुपुंस्ययम्॥प्रत्ययाप्रथितत्वेचसनादिज्ञानयोरपिामा ८९॥आचारेशपथेरंध्रेविपासाधीनहेतुषुपर्जन्योमेघशब्देवि ध्वनदेबदशकयोः॥प्रसव्यं वायलिंगेस्मात्प्रतिकूलानु कूलयोः प्रकीर्य पूतिकरजेषिनिकार्येतुवाच्यवत्॥९॥ण य्यासमतेपिस्यादभिलाषविवर्जितापयस्यंतुपयोजातहितयो र्वाच्यलिंगकंग९२॥दुग्धिकाझीरकाकोल्योस्वर्णक्षीर्यामपिरित्र यांपासष्यपरुषलेचदुर्वाक्येपुंसिगीष्पतीशापानीयंतुजले क्लीबंपातव्येबाच्यलिंगकंपोलस्यस्तुकुबेरेस्यादशग्रीवेपि। स्पयंग९४॥बलय कंठरोगेनाकंकणेपुंन्नपुंसकं।ब्रह्मण्योत्र साधीस्याद्ब्रह्मदारुशनैश्चरे॥९॥बालेयोगर्दभेसिमतो बालहितेत्रिपाब्राह्मण्यंब्राह्मणत्वेचसमूहेचहिजन्मनगर|| भवन्मुस्तुपुमामानीज्वलनेशशलांछने।भुजिष्यस्तुस्वतंत्रेस्या जस्तसूत्रकदासयोः॥७॥स्त्रियोदासीगणिकयोर्मलयःपर्वता त॥शैलांगेदेशआरामेत्रिरतायांतुयोषिति॥८॥मंगल्यास्या त्रायमाणाऽश्चल्यबिल्वमसूकरेगस्त्रियोशम्यामधःपुष्पीमिसिमा शुकूवचासुचमारोचनायामथोदनिकीबंशिवकरेत्रिषु।म गर-पुसिगोमायौव्याधेचपरमेष्ठिनि॥१०॥रहस्यास्त्रीनदी भेदेगोपनीयभिधेयवत्,लोहित्यलोहितत्वेस्थानीवसिनदी| तरे॥१॥वदान्यादानशौडेस्याचारुवादिनिवाच्यवत्॥व्यवाया सरतेंतधौपुसिलीबंतुतेजसि॥२॥वक्तव्यंकुत्सिनेहीनैक्चना ॥चवाच्यवत्॥विजयास्यान्नयेपार्थस्त्रियांतिथ्यतरस्मृता॥३॥ - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः८५ - - - - - -- उमासरव्यांविस्मयस्यादावर्यगर्व योपुमान्॥विनयातुकला यास्त्रीशिक्षायांप्रणतौ पुमान्॥४॥विशल्याग्निशिखादंतीगुडू॥ चीबिपटासुचाविषयोगोचरेदेशेतथाजनपदेपिच॥५॥प्रबंधाद्य स्ययोज्ञातस्तत्ररूपादिकंपुमान्॥श्चर्योदेवरेश्यालेशाडिल्यापा वकांतरेगई।मुनिभेदेचमालूरेशालेय स्पान्मिसौपुमान।त्रिषुशा ल्यवेक्षेत्रेस्याच्छीर्षण्यंतशीर्षके॥७॥सुकेशेसिशैलेयंता लपचिसैंधवे॥शैलजेनातुमधुपेशिलातुल्यान्यलिंगकं॥८॥ll संस्त्यायःसन्निवेशेचसंस्थानेविस्तृतावपि।सन्नयःसमवा.) येपिपृष्ठःस्थायिबलपुमान्॥९॥शमयःशपथाचारसिद्धांतेषु तथाधियिाक्रियाकारेचनिर्देशेसंकेतेकालभाषयोः॥१०॥सरि एयस्तुपुमान्दारिवाहेस्यान्मातरिश्वनि।सामर्थ्य योग्यतायी स्याच्छक्तावपिनपुंसकं॥११॥सौरभ्यतुमनोज्ञत्वेसौगंध्ये गुर णगौरवसौभाग्यंसुभगलेस्याद्योगभेदेनपुंसकं॥१॥हिर ण्यरेतसिद्रव्येशातकंभवराटयोः॥अक्षयेमानभेटेस्यादप्ये चनपुंसकं॥१॥हदयंमानसेबुक्कोरसोरपिनपुंसकंगयचतुः॥ गभवेदनशयोहेषेपश्चात्तापानुबंधयोः॥१४॥अथावसायःशे वस्यात्समाप्तीनिश्चयेपिच अवश्यायस्तुनीहारेप्यभिधानेपि पुस्यय॥१५॥अपसव्यंत्रिलिंगंतुदक्षिणप्रतिकूलयोः॥अंतश| य्यामृतौभूमिशय्यायोपितकानने॥१६॥उपकार्याराजसद्मा न्युपकारोचित न्यबत्॥जलाशयोजलाधारेस्याद शीरेन' सकं. 17 तंडलीय:शाकभेदेविडंगतसताप्ययोगातृण शून्यमल्लि कायांत्रिषस्याकेतकीफले॥१८॥दाक्षिणात्सोनारिकेरेत्रिषुदक्षिण दिग्भव॥धनंजयोर्जुनेवन्हिनागदिग्देहमारुते॥१९॥निरामयस्तु पंसिस्यादिडिक्केत्रिषुनीरुजि।परिधायोजनस्थानेपरि नितं बयोः॥२०॥प्रतिश्रय:समायान्नाशयेप्रतिभयंभय।घोरेपिपाच जन्यस्तुरुष्णशंखेहताशने॥२१॥प्रारषेण्यः पुमान्नीपेप्राद - - 3D D Alien For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:पई - - - - कालभवेत्रिषु।पौरुषेयारुतेपुंसोविकारेपुरुषस्यच॥२२॥त्रिषु नासंगबुधयोःपुरुषस्यपदोतरेगफलोदयःपुमाल्लाभेत्रिदिवेशा लपेपिच॥२३॥भागधेयंमतंभाग्येभागप्रत्याययोःपुमान्म हालयोविहारेस्यात्तीर्थचपरमात्मनि॥२४॥महोदयःकान्य कुजेचाधिपत्यापवर्गयोगमहामूल्यापारागेनामहार्धन्यर्सि गकः॥२ामार्जारीयःस्मृतःभूद्रविडालेकायशोधनेगरौहिणे योन्यवहोनाबुधेचहलायुधे॥२६॥विलेशयस्तुपुल्लिंगोमूषि केचभुजंगमावैनतेयस्तुगरुडेस्यात्प्रभाकरसारथो॥२॥सप|| राय:समीकेस्यादापदुत्तरकालयोः॥समाव्हयस्तुपशुभिःख गैद्यतेचसंगरे॥२८॥भवेत्समुदयःसंघसंयुगेचसमुड़मेसमा दाय समूहेस्याधु समुच्छ्यःपुमान्॥२९॥विरोधोत्सेधयोः // स्यूलोच्चयोगंडोपलेपिच।गजानांमध्यमगतेप्यसाकल्पवरंडयो |॥३०॥हिरण्मयःसुरज्येष्ठेनासुवर्णमयेत्रिषु॥यपंच॥काला नसार्यशलेयेकालीयेशिंशपामगदुग्धतालीयमित्येतहम्मा||| म्रक्षीरफेनयो॥अथप्रवचनीयंचस्यात्प्रवक्तप्रवाच्ययो / 32 वृषाकपायोश्रीगौरीवरीजीवंतिकासुचायषट् प्रत्युहम| नीयमुपस्थेयेधौतायुकढ़ये॥३३॥विष्वक्सेनप्रियालदम्यावा|| राह्यामपियोषिति॥इतियांतवर्सः॥१५४४॥ रैक।सस्मृतः पावकेतीस्णेरा सिस्वर्णवित्तयोः॥श्री_शरचनाशोभाभार तीसरल मे॥१॥लक्ष्म्यांत्रिवर्गसंपतिविधीपकरणेषुच विभू|li तोचमतौचस्त्रील स्त्रियांनिर्झरेस्रवे॥॥रतिः अरंशीप्रेच चक्रोगेशीघ्रगेपुनरन्यवत् अग्रं पुरस्तादुपरिपरिमाणेपलस्य च॥३॥आलेबनेसमूहेचमातेचस्यान्नपुंसकम्।अधिकेचप्रधाने |चप्रथमेचाभिधेयषत्॥४॥अस्त्र कोणकेचपुसिकीलमणि शोणिताअरूंप्रहरणेचापेकरवालेनपुंसकं॥५॥अभ्रमेघेच गगनेधातुभेदेचकांचने।अद्रिःशैलनुमानाथोध्रि पादमूला - - - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः८७ - D - - - योगाराचर्मप्रभेदिन्यासिभीमशनैश्चरेआर्द्रा नक्षत्रभे देस्यास्त्रियांक्किन्नेभिधेयवता॥आरसितरोभैदितथाकर्क दष्ट्रिणोः॥इंद्र-शकादित्यभेदयोगभेदांतरात्मसुमाइंद्राणि ज्झकेस्त्रीस्या दिराभूवाक्सुरांबुषु।उग्रःशूद्रासुतेक्षत्रादुद्रेसि त्रिपूत्कटास्त्रीवचाक्षतयोरुष्टीकर्कोकरभेपुमान्ाउलो || हषेचकिरणेप्युस्त्रार्जन्युपचित्रयोः॥१०॥ऐंद्रिः काकेजयंतेना थोडाभूम्बिनीतिगओडाख्यातोजवापुष्पेसरंनीरेशोंबुदे| ||॥११करोवर्षोपलेरश्मौपाणीप्रत्यायशुंडयोः॥कद्रस्त्रिषुस्वर्णर पिंगेनागानांमातरिस्त्रियां॥१२॥कारोवधेनिश्चयेचबलौयत्लेय तावपितुषारशैलेपिपुमान स्त्रियांदूत्यांप्रसेवके॥१३॥सुवर्णकार रिकायांचबंधनागारबंधयोः॥क्षारोरसांतरेधूर्तेलवणेकाचभर स्मनो॥१४॥कारिस्त्रियांक्रियायांस्याहाच्यलिंगस्तुशिल्पिनि कारुर्विश्वकर्मणिनात्रिषुकारकशिल्पिनोः॥१५॥क्षीरंदग्धेजले कीरःशुके भूमिनीवृतिाकूरुपांतरेभक्तेपुमान्युभूमिनीति || |॥१६॥सुद्रास्यादधमेक्रूरपणाल्पेषुवाच्यक्त॥शुद्राव्यंगा नटीकंटकारिकासरघासुच॥१७॥चांगेरीवेश्ययोहित्रामक्षिका मात्रकेषुचासुरःस्याच्छेदनद्रव्येकोकिलाक्षेचगोक्षुरे॥१८॥ रस्तुकठिनघोरेनशंसेप्यभिधेयवताकच्छमारव्यातमाभीलेया पसेतापनादिनोः॥॥क्षेत्रंशरीरेकेदारेसिद्धस्थानकलत्रयोjl क्रोष्ट्रीशृगालिकारुष्णाविदारीलांगलीषुच॥२०॥क्षौद्रंमधुनिफा नीयेश्वरस्स्यात्तीक्ष्णधर्मयोः।गर्दभेस्नीदेवताडेखरूईहरे। हये॥२१॥ देतेपुंसिन्त्रिषुश्वेतेखरं कोलदलेशफे॥गरीरवरायां // करणेलीबन्नोपविषेविषे॥२॥गागजाग्रजंपादौकीबमंगेक लेवगीलीभाषासरस्वत्योगिरि नेत्ररुम्मिदि।२३॥अटै| गिरियकेयोषिगीणेपूज्येपुनस्त्रिषुगंद्र स्तेजनके स्त्रीतुप्रिये गौभद्रमुस्तके॥२४॥रारु स्त्रिलिंग्यांमहतिर्दुर्जरालघुनोरपिाल - - D - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % - - - - - - मेदिनीकोश:८८ पुमानिषेकादिकारेपित्रादौमुरमंत्रिणि॥२५॥गृधःखगोतरेपेसि वाचलिंगोथलुब्धके।गोत्राभूगव्ययोर्गोप्रशैलेगोत्रंकुलारल्ययोः गई।संभावनीयबोधेचकाननक्षेत्रवर्त्मसु गोरःपीतारुणे तेविशुद्धेचाभिधेयवत्॥२॥ नाश्वेतसर्षपेचंद्रनयोःपन्द्रकेसरे| गौरीत्वसैनातरजःकन्याशंकरभार्ययोः॥२८॥रोचनीरजनीपिंगा प्रियंगुवसुधासुचाआपगायाविशेषेपियादसापतियोषिति॥२९॥ घस्त्रस्तुदिवसेहिवेघोरेभीमेहरेपिच॥चरोक्षद्यूतभेदेवभौम चारेचसेचले॥३०॥चंद्रः कर्पूरकोपिल्लसुधांशुस्वर्णवारिषु॥च॥ कःकोकेपुमान्कीबंबनेसैन्यरांगयोः॥२॥राष्ट्रभातरेकुभका रोपकरणास्त्रयोः॥जलावतप्यथचरुःपुमान्हव्यान्नभाण्डयोः ॥३२॥चार-पियालवक्षेस्याङ्गतौबंधापसर्पयोःचारुहस्प तोपुंसिशोभनेप्यभिधेयवत्॥३३॥चित्राखुपर्णीगोडुबासुभ || द्रादेतिकासुचामायायांसर्पनक्षत्रेनदीभेदेषुचस्त्रियांग३४ाति|| लकालेव्ययोःकीकर्बुराइतयोरपितियुक्तयोस्त्वन्यलिंगेर चीरीझिल्यांनसकं॥३५॥गोस्सनेवस्त्रभेदेचरेखा खेलनभे दयोः॥चुक्ररक्षामनांगेयोस्त्रीपुस्यम्लेम्लतसे॥६॥चैत्रम तेदेवकुलेनाभूभृन्मासभेट्योः॥चौरःपारच्चरेपिस्याचौरपुष्यो ॥षधावपि।।३॥छत्रामिसावतिलोकस्तंबुरुशिलींध्रयोःनपुंस कंचातपत्रेछिद्रंदूषणरंध्रयोः॥३॥जारी स्यादोषधीभेदेस्त्रिया| मुपपतीपुमान्॥जीरस्तुजरणेवरेटारोरंगतुरंगयोः॥३ला तर स्तुतरणेपुसिदशालीपेटकेतरी तंत्रंकुरंबकत्येस्यासिद्धांतेगे षधोत्तमे॥४०॥प्रधानेतंतुवायेचशास्त्रभेदे परिच्छदेशतिशा खांतरेहेतावुभयार्थप्रयोजके॥४१॥इतिकर्तव्यतायांचतंत्रीवी णागुणेमता॥अमृतादेहशिवयोस्तंद्रीनिद्राप्रमीलयोः॥४२॥ता रोवानरभिन्मक्ताविशुध्योःशुद्धमौक्तिकेयनानक्षत्रेक्षिमध्येचन| नारूप्येनपुंसकंस्त्रीबुद्धदेवताभेदेवालिगीष्यतिभार्ययोः|| - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:८९ - - - त्रिलिंगोत्युचशब्देचताशुल्बेरुणेपिच॥४४॥तीव्रातुकटुः॥ रोहिण्याराजिकागंडदर्वयोः॥त्रिवष्णेनितांतेचकटौतीरंतरो! धसि॥४॥सित्रपुर्णितोत्रंतुप्रजनेवणुकेपिचा दोस्त्रीसाध्वस गतेकंदरेतुदरीस्मृताधादराव्ययंमनागर्थेदस्तरखरेश्विनी|| सुते॥दारुस्यात्पित्तलेकाष्ठेदेवदारीनपुंसकं॥४ाहारंनिर्गमlll नेपिस्यादभ्युपायेधरोगिरोगकार्यासतूलकेकूर्मराजेवस्वंतरेपिर च॥४८॥धरा विश्वभरायांचस्त्रीगर्भाशयमेदसोः॥धात्रीजनन्या मलकीवसुमत्युपमानूषु॥४॥धारासैन्याग्निमस्कंधेतुरंगगनि पंचकेपटादिछिद्रसंतत्योःप्रपातेस्याद्रवस्यच॥५गारबड़ादेनि शितमुवेधारोग्रावांतरेप्पणे॥धीराधैर्यान्वितेस्वैरेधीरस्या निषपंडिते॥५१॥स्वछंदेधैर्ययुक्तेचकुंकुमेतुनपुंसकंगस्त्रियां || श्रवणतुल्यायाधौगंधूम्रत्वईरित॥५२॥तथावास्तुस्थानभेदेन रोजेमनुजेर्जुनेलीबंतुरामकर्पूरेनस्यादग्रदारूणि॥५३॥ ना| सायांपुंसिकुंभीरेनारस्तर्णकनीरयोः॥नीव नेमौबलीकेडोरेव || तीभेपिकानन॥४॥नेत्रंमंथगुणेवस्त्रभेदेमूलेद्रुमस्यचारथे चलपिनद्यांतुनेत्री नेतरिवाच्यवत्॥५५॥पर श्रेष्ठारिदूरान्योत्त रिकीबंतुकेवले पत्रंतुवाहनेपर्णस्यात्पक्षेशरपक्षिणीः॥५॥ पारंपरतदेप्रांतेनस्त्रीपारानदीभिदि।पारीपूरेधकर्कयोपादर जौचदेतिनः॥५॥पात्रंतुभोजनेयोग्येउवादौराजमंत्रिणिती यांतरेचाथपुरु-प्राज्याभिधेयवत्॥॥सिस्याद्देवलोके || चनृपभेट्परागयोःपुरंनपुंसकंगेहेदेहपाटलिपुत्रयोः॥पूर॥५|| यादीनांदलावृत्तीनागुग्गलोननापुरि॥ड्रोदैत्यविशेषेशुभेदयो रतिमुक्तकेाचित्रकृमीपुंडरीकेपभूम्बिनीस्तरे।पूरोजल || समूहेस्याद्रणसंशुद्धिवाद्ययोः॥६॥पोत्रं वस्त्रेमुखाग्रेथूक | रस्यहलस्यचापोरं त्रिषुपुरोतेकरणेतुनपुंसकंगावरोजा मातरिस्तौदेवतादेरभीसितेषिड्रेसित्रिषुश्रेलेकुंकुमेतुनस - - D Puneemaanand For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:९० Kuman-ame - - - - - हजरपुरेस - - and--- - ॥३॥वरीप्रोक्ताशतावर्यावराचस्याकलत्रिके।मनागिरेवा रंकीवेकेचिदाहस्तव्ययं॥६॥ब वैश्वानरेशूलपाणौचगरु उध्वजाविशालनकुलपसिपिंगलेवभिधेयवता॥वक्रःशनै॥ श्वरेसिपुटभेटेनपुंसकंगत्रिपुरेचकुटिलेवार:सूर्यादिनासरे हरेहरेकुब्जरोदावसरयोःक्षणेवारीस्याङ्गजबंधन्यांकला श्यामपियोषितिराहावारिर्गग्गजबंधन्यो स्नीकीबेबुनिबालने विरोरसविशेषस्यादुत्तरेसुभटेत्रिषु॥८॥स्त्रीमुराक्षीरकाको लीतामलक्येलवालुकापतिपुत्र रतीरंभाविदारीदुन्धिकासुचll मिलपू:सीरविरायोक्लीबंग्यानलेपिचाभरुःस्वर्णेहरेपुसिमा रोनिश्यभारयोः॥७॥भद्रःशिवेखंजरीदेवृषभेतुकदंबकेकरि|| जातिविशेषनाकीबंमंगलमुस्तयाः॥७॥कांचनेचस्त्रियांरास्नाक ष्णाव्योमनरीषुचातिथिभेदेपसारिण्यांकटूफलानंतयोरपि॥ull त्रिषुश्रेष्ठेरसाधौचनपुंसिकरणांतरे।भारतस्याहिबधेकृष्णौपला नाहिसहस्रकेभीसरातत्रिलिंगस्याहरयोषितियोपिति॥ रिन वासुदेवेचहरेचपरमेष्ठिनि।।७४ानपुंसकंसुवर्णेचप्राज्येस्या द्वाच्यलिंगकामंत्रोवेदविशेषेस्यादेवादीनांचसाधने॥७॥गा। वादेपिचपुमानमसन गिरिधन्वनोगमात्राकर्णविभूषायांवित्ते मानेपरि दे। दाअक्षरावयवस्वल्पेल्लीबंकाल्नेविधारणामा रोमृतीस्मरेविप्रेमारीचंड्यांजनक्षमारित्रीमारणेवमि। सहदिनयोगसूर्ये पुंसिपुरागंधद्रव्येदैत्यांतरेपुमान्॥७८॥ | यात्रातुयापनेपिस्यागमनोत्सवयोःस्त्रियोपरंभ्रंतुदूषणछिद्रे) राष्ट्रस्यादुपवर्तने॥७९॥उपद्रवेलीबसोरुस समदैययोः॥वे || त्रिवेमनिपीयुषेपटवासेपिसूत्रके // 80 रोप्रोनागालवेलीबमपरा || धेचकिल्वियारौद्र धर्मरसेचंड्यास्नीतिब्रेभीषणेत्रिषुपाव स्याहालकेधात्र्यांलीबंगोगांतरेपुमान्॥वचास्नह्यांगडूच्या चवन्नीस्तांतरेस्मृतारा२॥भोलौहीरकेप्यस्त्रीवई वर! %- - - - - - / - - - ---- --- -- - - -- For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:९१ - - - - - - arpan - त्रयोः वप्रस्तातेपमानस्त्रीरेणुक्षेत्रेचयेतदेशवसुखे वस्त्रभेदेव्यग्रोव्यासताकुलावरुषोनादिवसेक्लीबमंदिरेच // चतुष्पथे।४ाव्याघ्रस्यात्सुसिशार्दूलेरक्तैरंडकरडयोगश्रेष्ठ नरायतरस्थ कंटकायोतुपोषितिगावोरिपोषनेवांते || शैलभैरेचदानवविरस्कलेबरेलीबवार्ताकौड्कमेपिचार वोद्रीस्त्रीपणपादेनागौनसाहौझपांतरे॥शरस्तेजनकेबाणे दध्यग्रेनाशरंजले।।८॥शस्त्रंलोहाश्रयोःक्कीचंझुरिकायांतll योषिताशक:पुमान देवराजेकटजार्जुनभूरुहोः॥१८॥ दिन भोधरेजिष्णोशरुर्नाकोपवत्रयोः॥शारि क्षोपकरणे स्त्रियांशकुनिकोतरे।।८९॥यार्थगजपर्याणव्यवहारांतरेपि च॥शासस्याच्छाबलेवाच्यलिंग:पुंसिसमीरणे॥९॥अक्षो पकरणेशास्त्रनयोरागमाज्ञयोगशिग्य शाकमात्रेचशो भाजनमहीरुहे॥९॥शिरोनापिप्पलीमूलेस्यामन्यांचयोषि। निशीघ्रं नलदेचकांगेलीबंद्रुतगतौत्रिशुभ्रं स्यादर्भक कीबमुद्दीप्तशुक्लयोस्त्रिषभुक्रास्यानार्गवेज्येष्ठमाधान रिपुमान्॥३॥रेतोसिरुग्मिदोलीबंभूरः स्याद्यादेभदे॥स्वा रु-पुमान्यूपखंडेभिरे प्यध्वरेशरेग९४ासत्रेयनेसदादानाछ दनारण्यकेतवे।सरोदयग्रगत्योनस्विरोनासासमीरणेull उदात्तादावकारादौषडजादौचध्वनौपुमानासारोवलस्थिरांशे|| चमतिपुसिजलेधने॥९॥न्याय्येक्लीबंत्रिषुव रेसांद्रेवनेघटे॥ मृदोगस्कारस्थात्रंसिविकटेकनकादेश्वबुद्धदासिनोनिः॥ दापसाललेसिप्रातुसरिदतरेगस्थिराभूशालपण्यो शनीमो क्षेबले द्रिषु॥८॥सीरोकहलयोःपुंसिसुराचषकमधयोः।पु ल्लिंगस्त्रिदिवेशेस्यात्सूत्रतंतुव्यवस्थयोः॥९॥शास्त्रादिसूच नायंथेस्वरःखछंदमदयोना हरिशंद्रार्कवातापशुकभेकया माहिषु॥१०॥कपोसिंहेहरे जैशौशलोकांतरेपुमानावाच्या - namam For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश: 92 -- - D - विपिंगहरितोहारोमुक्तावलौयुधिरणहार पथिकसंपातायूतादिभंग | यो स्त्रियांगहिस्खालेलावलीमांस्पोस्त्रियांस्याहातुकेन्यवत्र हीराते| लांबुरहयो पुसिशंकरवत्रयोगहीरालनेपिराश्यरेखाशास्त्रभिटोर पि॥३॥रत्रि॥अमरस्चिदशेष्यस्त्रीसंहारेकुलिशटुमास्त्री गडच्यमरावत्यो स्थूणादू जरायुषु॥४॥अपरंगजपश्चाई स्याजरायौतयोषितिगइतरस्मिन्नपितथारर्वाचीन प्यन्यलि||| गकाअधरस्तुपुमानोठेहीने नूर्वंचवाच्यवत्॥अध्वरसाlll वधानेस्यारसुभेदैवतोपुमान्॥ई। अंतरमवकाशावधिपरिधा। नांतरिभेदतादयगछिद्रात्मीयविनाबहिरवसरमध्यात्मस रशेषु॥७॥अवरंगजांत्यपादिदेशपिचरमे त्रिषु।अबरना योर्कोम्निसुगंध्यंतरवस्त्रयोः॥८॥अंगारमुल्मुकेनस्त्रील्लिा गस्तुम हीसुते॥अंकरोरुधिरेलोम्निपानीयेभिनवोद्भिदिnel अजिरंजीगणेवातविषयेदईरेतनौ स्त्रीचंड्यामक्षरंब्रह्मा वर्णयोःपुसिशंकरे॥१॥अशिरोवीनिहोत्रस्याद्राक्षसेभास्क, रेपुमानअंडीरःपुरुषेशताररंदकपादयोः॥११॥अवीरा पतिपुत्रायास्त्रीसत्वरहितेत्रिषु।अगुरुकीबंजोंककशिंशपयो च्यवल्लघुनि॥१२॥असुरारजनीराश्योरसरोदेवारिभास्करण योः॥आकरोनिवहोत्पत्तिस्थान श्रेष्ठेषुकथ्यते॥१३॥आधार| श्राधिकरणेप्यालबालांबुधारणाआसारस्यात्प्रसरणेवेग टोसुहरलेग१४॥आहारस्यादाहरणेभोननेचपुमानयंाआ॥ शरस्तुपुमान्वैश्वानरेचरजनीचरे॥१॥आकारगिसाकल्यो। रितरोन्यत्रपामरेइत्वर्यसत्यापथिकेयूरकर्मणिचत्रिपुरा ईश्वरोमन्मथेशंभौनाट्येस्वामिनिचान्यताईश्वरीचेश्वरोमाया|| मुदरंजठरेयुधि॥१७॥ उदो दातमहतोदक्षिणेप्यभिधेयर त उर्वरासर्वसस्याढ्यभूमौस्याडूमिमात्रके॥८॥ उत्तरादि। विशेषेचस्नुषापामर्जुनस्पचाविरोदस्यसुतेनास्यादूोदी 3D For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:९३ - % 3D - - च्योत्तमेत्रिषु॥१९॥नपुंसकंप्रतिवाक्ये थोडारबोहतारणे॥ ऋसरंवारिधारायामृक्षरवर्विजिस्मृतः॥२०॥एकाग्रमन्याला गंस्यादेकतानेप्यनाकुले औशीरंशयनासनचामरदंडेप्युशी||| रजेप्रोक्तंग२१॥ऋकरस्करीक्षेदीनेक्रकचेचपक्षिभेदेच॥क/ दरसश्वेतखदिरेककचव्याधिभेदयोः॥२२॥कर्बर सलिलेहे निकर्बरस्पापरक्षसोःकर्बराकृष्णतायोशबलेपुनरन्यवत् // 23 // कर्पर-स्याकपालेचशस्त्रभेदकटाहयोगकंधरोवारिवा हेस्याद्रीवायांकंधरामता॥२४ाबरकथितोव्याशिवाय मपिकर्बरी॥कंजारोजठरेसूर्यविरिंचौवारणेमुनौ॥२५॥करी। रोवंशांकुरेस्त्रिीरक्षभिडटयोःपुमान्॥करीरी वीचिकायोच दंतमूलेचदंतिनां॥२॥कटिरसनायांचवोगेकदिवासर सिाकछराभूकशिंग्यांचशटीदास्पर्शयोरपि॥२७॥कछुरः | श्चलेवाच्यलिंग स्यात्यारमेपिचकबरंलवणेम्लेस्त्रीपृथ्वी तुंगीकचांतरे।२८॥कबर्यमायोनारक्षपापयोर्भेषजांतरे॥ कर्मारोजातिभेदेचत्वचिसारेचस्ययं ॥२९॥करेणुःकर्णिका रिचकरिणीवेश्ययोः स्त्रियांकचरंकुत्सितेवांच्यलिंगतके नपुंसकं॥३०॥ कर्करीभांडभेदेनादर्पणकठिनेत्रिषुकडारपि गलेदासेकलत्रंश्रोणिभार्ययोः॥३॥दुर्गस्थानेनुपादीनांक टपसिराक्षस।विद्याधरेमहादेवेतथास्यादक्षदेवने // 32 // कंदरस्त्वंकुशेपेसिराहायाननपुंसकंकर्चुर स्यात्युमोच्छ। न्यांसुवणेतुनपुंसक॥३॥काश्मीरेकुंकुमेऽपिस्या कषुष्कर मूलयोः॥कावेरीस्यात्सरिझेदेपण्यनारीहरिद्रयोः॥३४॥का तारोस्त्रीमहारण्येविलेदुर्गमवत्मेनिपुंसिस्यादिशुभेदथ किशोरोऽश्वस्यशावके॥३५॥तैलपण्यैषिधौचस्यातरुणाव स्थसूर्ययोः॥किमीरोनागरंगेचकर्बुरेराससोतरे॥२६॥किशा रुनासस्यशूके विशिरवेकंकपक्षिणिकहरं गन्हरेछिद्रेकी - - % namara mansar For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:९४ / % 332 बनागांतरेपुमान्॥३७॥कुकुरस्सारमेयेनाग्रथिपणेनपुंसक ॥कूर्पर स्यात्कफोणोचजानुदेशेचस्पयं॥३८॥कुंजरोग्ने // कपेकेशेस्त्रीधातक्याचपाटलौगकुमारस्याच्छुकेस्कंधेयुब. राजेश्ववारके॥३९॥बालकेवरुणद्रीनानयोत्यिकांचने। कुमारीशैलतनयानवमाल्योर्नदीभिदि॥४॥सहापराजिता कन्याजबूहीपेषुचरित्रयांकठारर्नाद्रुमेकेशेकद्वारकेवले, तरे॥४शाकबेर स्यात्येसिनदीवृक्षेपुण्यजनेश्वरेणकूबर स्त्रिषुचारोनाकुब्जकेस्त्रीयुगंधरे॥४२॥केसरंदिरानिक्ली|| बंकिंजल्केनस्त्रियांपुमान्॥सिंहछदायांपुन्नागेबकुलेनाग|| कसरे॥४३॥केदारोद्रौशिवक्षेत्रेभूमिभेदालवालयोः॥ केनारः|| सिनरकेशिस्कपोलसंधिषु॥४४॥कोटिर'सिनकुलेश ऋगोपकशक्रयोः॥कोडारोनागरेकूपेपुष्करिण्यानपाटके। ॥४॥रखपुरस्क्रमुकेभद्रमुस्तकेलिसकेपिचाखर्पर स्तस्क रेधूभिक्षाभोडकपालयोः॥४६॥खर्जूरंरुप्यरवलयोईश्चिll केनाद्रमेयोः।खदिरीशाकभेदेस्त्रीनाचंद्रेदंतधावन।४७ खेडाभ्रमभ्रलेशेस्यात्तथादंतक्षतोतरे॥खि खिरस्तुशिवाभी दखवांगेवारिधानके॥४८॥गणेरुःकर्णिकारद्रौकरिणीवर श्ययोःस्त्रियां।गर्गरोमीनभेदेस्त्रीमंथन्यामथगव्हरः॥४ill गुहागहनदंभेषुनिकुंजेतुपुमानयागांधारस्युसिसिंदूररागदे|| शप्रभेदयोः॥५०॥गायत्री त्रिपदादेवीछंदोभिलवदिरेषुच॥ गोपुरं द्वारिपूरिकैवर्तीमुस्तकेपिच॥५१॥घर्घरोनाचल हरिशरोलूकन दांतरे॥स्त्रीसुद्रघंट्यांवीणायाभेदेस्वरांतरे पिच॥५२॥चमरंचामरेस्त्रीतमजरीमृगभेदयोः॥दिरो ने कोचंद्रचत्वरंस्थेडिलेंगने॥५३॥चंकरःसंदनेवृक्षेचातुरो नेत्रगोचरे।चाटुकारिनियंत्रोविरुदाक्ष्येतुचातुरी॥५४ चक्रगंडीचपुंसिस्याच्चामरंचामरापिच दंडेचवालव्यजन - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:९५ laundraLL -HA - - - चिकरस्तरलागयोः॥५५॥ पक्षिवृक्षभिटो केशेगृहवनौसरीसृपे छिदिरःपावरज्जौकरवालेपरश्वधे॥५॥छिदर छेदनद्रव्ये तेवैरिणिचत्रिषुाजठरोनस्त्रियांकुक्षौरकर्कटयोस्त्रिषु॥७॥ज जरेशैवलेशध्वजेत्रिषुजरातुरेशजंबीरप्रस्थरष्ठेस्यात् सिदत शठमे॥५८॥जलेंद्रपुंसिवरुणेजंभलेचमहोदधौाझझरः॥ स्यात्कलियुगेवाद्यभांडेनदांतरे॥५॥झल्लरीझलरीचदेहलुक्के | वालकुंतले टहरीस्यान्मृषावादेलंपापटहवाद्ययोःलाकारो विस्मयेसिप्रसिदौसिंजिनीध्वनौगटगरष्टंकणक्षारेहेलाविभः॥ मगोचरे॥६॥नान्यवत्केकराक्षेस्याडिंगरोडेगरेपिचाक्षेपेत|| मिस्त्रंतिमिरेकोपेस्त्रीतुतमस्ततो॥६॥रुष्णपक्षनिशायोचत्व || क्पत्रंतुवरोगके।स्त्रीकारव्याचतिमिरंध्यांतेनेत्रामयांतरे॥३॥ तीवरोनांबुधौव्याधेतुंबरीकुक्करस्त्रियांगधन्याकेपितुषारस्त। शीकरेशीतलेहिमेशातुवरस्तुकवायेस्यात्काझ्याढक्योस्तु / / वर्यपिातूवरो श्मश्रुपुरुषेप्रोढाशृंगारकेपिच॥६॥पुरुषव्यंज || नस्यत्तस्यात्कषायरसे पिच॥दहरोमूषिकायांचस्वल्पेश्रांतरित बालके॥६६॥दंतुरस्तूलतरदेतथोन्नतनतेत्रिषार पर्वते पंसित्रिष्वीषडुग्नभाजने। शादर्दरस्तोयदेभेकेवाद्यभांडादि| भेदयोः॥दर्दराचंडिकायांस्याद्रामजालेनपुंसकंगाडा रोवहलेमत्तवारणेशरयंत्रकेगकुंभकारस्यचक्रेचद्वापरःसंश येयुगे॥६॥दासेरोदासिकापत्येत्रिषुपंसिकमेलकेदर्धरः सिनरकांतरेस्यादृषभौषधी॥७॥दैत्यारिःसिसामान्यदे। विचगरुडध्वजे॥सरी किन्नरीभेदेनारवरेत्रिषुपांइरे॥७॥ill नरेंद्रस्तुमहीपालेविषवैद्येचपुंस्ययनिर्मरातुदरीभस्त्रासर लानिष्फलासुच॥२॥नागरं मुस्तकेशुन्यांविदग्धेनगरोद्भवेll निर्झरोनिवदेसारन्यायदेयवनेनिधी॥७॥निकर स्तुसह स्त्रांशुतुरंगेतुषपावकेनिर्जरःस्यासुमान्देवेजरत्यक्तेचवाच्या - -- - - - - - % 3A - - - -orwear - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः९६ - %D |वत्॥७॥निर्जरातराडच्यांचतालपर्यामपि स्त्रियागनिकार| स्यात्परिभवेधान्यस्योत्क्षेपणेपिच॥७॥निर्दर निर्भरेसारे न्यवत्तुकठिनेत्रपास्यान्त्रीवरोवणिजकेवास्तव्येचपुमानयं ॥७॥प्रवरःसंततौगोत्रेकीबंश्रेष्ठेतुवाच्यवत्॥प्रवरोहय सन्माहेककश्यतरे पिच॥७॥सित्रिष्वत्यंतखरेपवित्रंच र्षणेकशातापयसिचक्कीवमेध्येस्यादभिधेयवत॥७८॥प्र.|| दरोरोगभेदेस्याद्विदारेशरभंगयोः॥प्रकरःस्यात्पुमान्स || विकीर्णकुसुमादिषु॥७९॥नपुंसकंजोंगकेस्त्रीनाट्यांगेचत्व रावलौ॥पंकारःशैवलेसेतौसोपानेजलकुलके॥५०॥प्रस्त रोग्रावणिमणोप्रकारस्तल्यभेदयोः॥पदास्पादधलौस्यासा/ दालिंदेपिपुंस्य॥८॥प्रसरः प्रयणेवेगेस्यात्पाटी रस्तुमूल|| केकेदारेवेणुसारेचवारिदेतितउन्यपि॥५२॥ स्याद्रगेवातिके| सिपामरःरवलनीचयोपोइरं स्यान्मसबकेवर्णेनातहति विषु॥५॥पार्परी भक्तसिक्थेस्यात्कीनाशेराजयक्ष्मणि॥ज रटेपिकदंबस्यकेसरेचगदांतरे।८४॥प्रांतरंविपिनेदरशून्य वर्मनिकोटरे॥पिठरःस्थाल्यांनाकीबंमुस्तामथानडयोः प५५॥पिंजरोश्चांतरेकीबवणेपीतेचवाच्यवत्॥पिंडार पणेगापेमहिषीरक्षकेमेच्छिापीवरःकछपेस्थूलेपुष्कर रखेंबपायोः॥तूर्यवओरखडफलेहस्तिहस्तायकांडयोः॥८७ कुष्ठौषधेट्टीपतीर्थभेदयोश्चनपुंसकंगनारोगनागविहगन्नृप भेदेषुवारुणा५८॥ठरः स्थगिकारज्जोलांगूलेकुकरस्यच करीरकोशेतालस्यपल्लवेचपयोधरे॥८॥बंधर मुटेपुसि| स्त्रीचंगतैलकल्कयोः॥बंधूकेवधिरेहंसेत्रिषुस्याट्रम्यनम्रयोः बंधरापण्ययोषायोस्त्रियांभूस्त्रिचसक्तुषुगबंधुशोभनेनने वस्त्रारजुकसयोः॥९॥भ्रमरःकामुकेशृंगेत्रांमरं मधुनिस्म तंसिप्रस्तरभेदेथिभास्करोग्नीप्रभाकरेगाभार्यारुः|| - - - - -- - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः९७ - - - - शैलभेदेस्यान्मृगभेदेचतत्रचाक्रीडयापरभार्यायांपुत्रोयेनोपपादि तः॥३॥भंगारीझिल्लिकार्यास्यात्कनकालोपुनःपुमानामत्सरा|| मक्षिकागांस्यान्मात्सर्यक्रोधयोःपुमान्॥९॥असह्यपरसंपत्ती रुपणेचाभिधेयवत्।मधुराशतपुष्पायांमिश्रेयानगरीभिदोः ९५॥मधुकर्कटिकामेदामधूलियष्टिकासुचालीबंविषपुसिरसे तहत्स्वादुप्रियेन्यवत्॥६॥मंदरस्तुपुमान्मथशैलेमंदारपादपे वाच्यवहलेमंदेमंदार स्यात्सुरद्रुमे॥७॥पारिभद्रेर्कपणेचम|| दारोहस्तिधूर्तयो: मेदिरंनगरेगारेकीबनामकरालये॥९॥ मेथस्कोशफलयोर्बाधमंथानयोःपुमानाकुसुभ्यांनयोर्भदे पृथोक्कभिधेयवत्॥९॥मकरोयादसोभेटेनिधिराशिप्रभेदयोः मयूरोबर्हिचूडायामपामार्गेशिखंडिनि॥२००॥महेन्द्रःपर्वतेश केमधद्रोऽलोचकामुकेगमंदरावाजिशालायांशयनीयार्थवस्तुll | निमस्तूरामसरावानावेश्याव्रीहिप्रभेदयोः।मसूरीपापरो|| गेस्यादपधानेपुनःसुमान॥२॥मर्मरोवस्त्रभेदेचशुष्कपर्णध्वनौ तथासिस्त्रियांपुनःप्रोक्तामर्मरीपीतदारुणि॥३॥मंजरीति || लकद्ररुमुक्तयोर्वल्लरोहयोगमकुरस्स्यान्मुकरवर्पणंबकुलद्रमे In४॥कुंलालदेडेमाठरोग्यासे पारिपार्श्विके।मारिओतीखा डाशेमिहिरसूर्यरड्यो।५॥मुद्रंमल्लिकाभेदेसिलोष्ठादि / भेट्नामुदिरकामुकेमेघेमुहिसकाममूर्खयोः॥६॥मुर्मुर।। स्तुषवन्हौस्यान्ममथेरविवाजिनि।मृगरिःस्यात्युसिकंठीवर शार्दूलयोरपि॥७॥रुधिरोंगारके सिक्कीबंतकंकमासूमोः॥ब दरागृष्टिकास्यिोरेलापोस्त्रियांपुमान॥८॥कार्यासस्यार | शिवदरीकौलौकीबतुतत्फले। वचस्कुक्कुटेसिशठेचवशि स्पुमान्। कणिहीहस्तिपिपल्यो कीबेब्धिलवणेस्मृतः॥ बबरपामरेकेशेचलेनीरदेतरे॥१०॥फजिकायांपुमानशा कभेदपुष्यभिदो स्त्रियांवर परिहासेस्याच्छागेयवपशाब - - - - - - --- -- P a ram-man- mm - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:९८ - ST D "पि॥११॥वल्लुरंशाङ्कलोगहनौषधयोरपिावल्लूरात्रिषुसंशुष्क | मांसभूकरमांसयोः॥वारंकृष्णलाबीजदक्षिणावर्तशेखयो। वीरेचकाकनिंचायाभारत्यांचनपुंसकं ॥१३॥वागरस्तुगताके||| मुमुक्षौवातवेटके।विशारदेपिशाणेपिनियेवारकेपिच॥१४॥ वासरस्तुपुमान्नागप्रभेदन्दिनयोरपि॥वासुरावासितायोस्याहया सतेयविस्त्रियां॥१५॥विष्टरस्कशमुष्टौस्यादासनेपिमहीरुहे| विस्तरोवाक्प्रपचेस्याद्विस्तारेप्रणयेपिच॥१६॥विदरो नागरेपी रकौरवाणांचमंत्रिणिविधरं स्यात्सरिश्लेषेनयोकिलेत्रिषु गरसालागास्त्रीविदारोज्वलोज्लासाजिदारणेविदारीशालll पोचरोगभेदेसुगंधयोः॥१८॥विवरं दुषणेगर्तेविसस्प्रसरे ब्रजेा विस्तावित तीस्तबेविकारोविसतौरुजि॥१९॥विहारो भ्रमणेस्कंधेलीलायांसुगतालयाशबरोमूलभेदेचपानीयेशंका रेपिच॥२०॥शबरसलिले सिमृगदैत्सविशेषयोः॥शंबरी चाखुपास्याच्छर्वरीयामिनीस्त्रियोः॥२१॥शर्कराखंडवि) रुतापलाकर्परांशयोः॥शर्करान्वितदेशेपिरुम्मेदेशकलेपिच |॥२२॥शकरीछंदसोभेदेनदीमेखलयोरपिशणीरंशोणमध्य स्थेपुलिनेदर्दीतटे॥२३॥श्चपुर-पूज्येस्त्रीब्राल्यांशारीरंदे | हजेषे।शार्करःस्थादग्धफेनेशर्करान्वितदेशयोः॥२४॥शा करस्तुबलीवर्देछेदोभेदेनपुंसक शार्वरंवंधतमसेघातुकेमे|| द्यलिंगक॥२५॥शालारस्यास्तिनरखेसोपानेपक्षिपंजरेशा वरीभूकशिंब्यास्यात्पुसिपापापराधयोः॥२६॥रोधेचशांकरिता पंसिकार्तिकेयेगणाधिप।शिरवस्त्रीद्रमायाट्रिशृंगेपुलका कक्षयोः॥२७॥पकदाडिमबीजाभमाणिक्यशकलाग्रयोगशि शिरोनाहिमेनस्वीरितुभेदेजडेत्रिषु॥२७॥शिलिंधकदलीपु पेकबरेनाझपांतरेगद्रभेदस्तीतविहगीभेदगंडूपदी मृदो॥२९॥ शीकरंशरलेवातसुताबुकणगोपुमान् शुषिरं वंशा दिखाये ma - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:९९ % D - D - विवरेपिनसकामूषिकेनास्त्रियांगवन्दौरंध्रान्वितेत्रिषु॥ शृंगारसुरतेनाट्यरसेचगजमंडने॥३॥नपुंसकंलवंगेपिनागसं भवचूर्णयोःगसंवरोदैत्यहरिणमत्स्यशैलजिनांतरे॥३२॥नपुंसक तुसलिलबीव्रतविशेषयो:।संकरोग्निचटकारेसंमार्जन्यव जिते॥३॥नवदुषितकन्यायांसंकरीपुनरुच्यतेगसंस्कारस्पति यत्नेनुभवमानसकर्मणि॥३४॥संस्तरःप्रस्तरेयजेसंगरोयुधिचा पदिशक्रियकारेविषेचांगीकारेकीबंशमीफले॥३५॥संभारसंभृ तौसंघेसाम,देहलक्षणे[समुद्रान्पलिंगोऽथसावित्रशंकरे बसौग३६सावित्रीसत्यवत्पत्त्यांब्रह्मपत्न्युमयोरपिासिंदूरस्तरु। भेदेस्यात्सिंदरेरक्तचूर्णके॥३॥सिंदरीरोचनीरक्तचेलिकापात कीषुच॥सुनीरस्तुशुनीस्तन्येसोडलक्कियोः॥३६॥सुंदरीत नभिन्नारीभिदोःस्त्रीरुचिरेत्यवत।सैरंध्रीपरवेश्भस्थशिल्पह| स्वशास्त्रियां॥३९॥वर्णसंकरसंभूतस्त्रीमहल्लिकयोरपिसो वीरंकांजिकस्रोतोजनेचबदरीफले॥४०॥नातुनीतिहारिद्र हरिद्रारजितेत्रिषुनानीपरोहिंडीरस्फेनवार्ताकुपूरुषो॥४१॥ रचतुः॥अरुष्करोव्रणरुतित्रिषुभल्लातकेपुमान।भवेदभिम रोयुद्धबधेस्वबलसाधने॥४२॥अनुत्तरंत्रिषुश्रेष्ठप्रतिजल्पविव ॥र्जिते॥अलंकारस्तुहारादावुपमादावलंसतौ॥४३॥अवहारः पुमांश्चौरेतयुद्धादिविश्रमेानिमंत्रणोपनेतव्यद्रव्येयाहारव्य यादसि॥४४॥अवतारोऽवतरणेपुष्करिण्यादितीर्थयोः॥अवस्क) रोपिवर्चस्केराह्येथावसरस्पुमान॥४५॥ प्रस्तावेमंत्रभेदेचवर्षः || णेचापिकीर्तितः॥उपलादावकूपारस्कूर्मराजेमहोदयी॥४६॥ असिपत्रःखड़के शेपुमानिसौचनारकेभिवेदश्वतरोनागांतरे वेगसरेपिच॥४७॥अभिहारोऽभियोगेचचौर्यसन्नहनेपिच॥ अग्निहोत्रोग्निहविषोरर्धचंद्रोनरवक्षते॥४ागलहस्तेबाण भेदेकृष्णत्रिवर्तितुस्त्रियांआडंबररतूर्यपक्ष्मसंरंभेगजगार्जित - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः१०० ------- - mo m emasoom |nelआत्मवीरमाणपतिश्यालकेचविदूषक इंदीवरंकुवलये शतावर्यातुयोषिति॥५॥उदंबरस्तुदेहल्यारक्षभेदेव पडके। कष्ठभेदेपिचपुमांस्तानेतुस्यान्नपुंसके॥५१॥ उपव्हरंसमीप स्यादेकातेपिनसकं॥उइंतुरस्त्रिघूत्तुंगेकरालोत्कटदंतयोः ॥५२॥उपकारश्योपरतोविकीर्णकुसुमादिषु॥औदुंबरस्त्रा देवेरोगभेदेनपुंसकं॥५३॥अथकर्मकरोभृत्येवेतनाजीवि नित्रिषु।कीनाशेपुंसिमूर्खयांबिंबिकायामपिस्त्रियाम्॥५४॥|| कलिकारस्तुधूम्याटेकरंजेपीतमस्तकेाकर्णिकारस्पुमानार वधीचमोत्पले॥५५॥कर्णपूर-शिरीषेस्यान्नीलोत्पलवसंत योगकरवीररूपाणेस्यादैत्यभेदापमारयोः॥५६॥करवीर्य दितिश्रेष्ठगवीपुत्रवतीषुचाकटभराप्रसारण्यारोहिण्यांगजयो| विति॥५॥कलेबिकायांगोलायांवर्षाभूमूर्वयोरपिाकादेबर स्तुदध्यमद्यभेदेनपुंसकं॥८॥स्त्रीवारुणीपरभृताभारती शारिकासुचपकालंजरो योगिचक्रमेलकेभैखेगिरौ॥५॥कुं भकारीकलथ्यांचपुल्लिंगोघटकारके॥रुष्णसाराशिंशपायों सिस्तुत्यामृगांतरे॥ई॥गिरिसारस्पुमाल्लोहेरंगेमलयपर्वतो। घनसारस्तुकर्पूरदक्षिणावर्तपारदे॥६॥ चराचरंवाच्यलिंग मिंगेजगतिनद्वयोःगचर्मकार:पादुकतिस्त्रियांचर्मकपोषधो अथचक्रधरोहोनात्रिषुयामजॉलिनिगचित्राटीरोविधौभा लमेकितनतत्रच॥३॥घटाकर्णोपहारायहतछागास्वबिंदु पातालपतुताटकरंडायांतालपत्र्यपिरागतुंगभद्रानदीर भेदेस्त्रियांसिनदोत्कटेतुंडिकेरीतुकार्पास्याबिंचिकायाम | पिस्त्रियो॥६॥तुलाधरस्तुलाराशेसिवाणिजकेत्रिषु॥अथतो। यधरोमुस्तासुनिषण्णोषधीघने॥६६॥दंडयात्रादिग्विजयेसं| पानवरयात्रयो: अथोदेशपुरंदेशेपूरेपिस्यान्नसकंगशादं उधारस्पुमान्पृथ्वीनायेप्रेताधिपेपिचादिगंबरःस्यात्सपणेन| लामालपत्रंताटेकर डिकेरीकामा जकत्रिषुपया - - - - - -- - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश: 11 - - न - ... - - -- |ग्नेतमसिशंकरे।मादुरोदरंद्यूतभेदेयूनतत्पणयोःपुमान्॥ देहयात्रायमपुरीगमनेभोजनेपिच॥रैमातुरोजरासंधवा रणाननयोःपुमान धराधरोहरौशैलेधाराधरोसिमेघयोः अध रांकुरस्तुनाशीरेशीकरेपिधनोपले॥धार्तराष्ट्रो सितास्याम्रिही। सेकौरवसर्पयाः॥७॥धंधमार:शक्रगोपेराहधूमेपदालिके घरंधरोधबद्रीनावाच्यलिंगस्तुधूर्वहे।॥धृतराष्टःसरा॥ निःस्यान्नागक्षत्रियभेदयोः॥धृतराशहंसपल्यानभवरो॥ विहंगमे॥७३॥विद्याधरेघनेवातेनिशाचरस्तुरक्षसिफेिरुपे॥ चकसपैषुपांशुलायांनिशाचरी।।४॥निषडरस्तुबालेनि शायांतुनिषहरानीलांबसप्रलंबनेकोणपेचशनैश्चरे॥७॥ भवेत्परिकर संपेपर्यकपरिवारयोः॥ ॥प्रगाढगात्रिकाबंधे समाचारविबेकयोः॥७॥अथपक्षचरश्चंद्रपृथक्वारिगजे पिचभवेत्पतिसरोमंत्रभेटेमाल्येचकंकणे॥७॥व्रणशुद्धीचा मूपृष्ठेपुंसिनस्त्रीतुमंडनाआरक्षेकरसूत्रेचनियोज्यत्वन्यलिंग कः॥७॥भवत्परिसरोमृत्यौविधावपिचपुस्ययं।परंपरोम गभेदेप्रपोतनयस्यच॥७॥परंपरापरिपाट्यांहिंसासंतान योरपि पयोधर कोषकारेनालिकेरेस्तनेपिच॥५०॥कशेरु मेघयोःपुंसिप्रभाकरोग्निसूर्ययोः॥प्रतीहारोहगरिहास्थे हःस्थितायांतुयोषिति ॥१॥परिवारस्परिजनेसडकोपरि छदेशापारावार समुन्नातदयेनपुंसकं॥२॥पात्रटीरस्तुपु ल्लिंगोमुक्त व्यापारमंत्रिणिालोहकास्यस्जयात्रेसिंघाणेपावके पिच॥५३॥पारिभद्रस्तुमंदारेनिंबद्रौदेवदारुणिापीतांवरस्तु॥ शैलूषेपुंसिकैटभसूदनापीतसारोमलयजेगोमेदकमर) णावपि पूर्णपात्रंवस्तुपूर्णपात्रेवर्धापकेपिच॥५बलभद्रा त्रायमाणाकमार्योःपुंसिसीरिणि ब्रह्मपुत्र क्षेत्रभेदेन दे।। चपुंस्ययंपावनक्रस्तुपिशुनेतथैवशकपक्षिणिावा - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश: 102 - - - - वटीरोगाम्रास्थ्यंकरेगणिकासुते॥५॥वारकीरस्तुसि // स्थागरग्राहिणिवाडवेयूकायारोलरोधिन्यांनीराजितहयेपि च॥५५॥बिंदुतंत्रः पुमानशारिफलकेचतुरंगके।वीरभद्रो|| अश्वमेघाश्वेवीरश्रेष्ठेचवीर॥९॥स्याहीरतरंबीरणेवीरश्रेष्ठ शवेचना।महावीरस्तुगरुडेथूरेसिंहेमरवानले।।९०॥क्त्रेश्वे॥ ततुरंगेचसेचानविहगेपिचामहामात्रःसमृदेचामात्येहस्तिपा काधिपे॥९॥मणिछिद्रातुमेदायामृषभारल्योषधेपिच महेश्व रोमहादेवेकथितोधीश्वरेपिच॥२॥मृगनेत्रारात्रिभेदेविशेषे | योषितस्तथागरथकारस्तुमाहिष्याकारणीजेचतक्षणि॥२३॥ रागसूत्रंतुलासूत्रेपट्टसूत्रनपुंसकलिंबोदरस्यादुडानेगा| नामधिपेपिहि॥४ालक्ष्मीपुत्रस्तुपुल्लिंग कोमदेवेतुरंगमे॥ व्यवहारोभेदेस्यान्न्यासेपिचगणस्थिती।९५॥ अथव्यतिकरः पुसिव्यसनव्यतिषंगयोः।वातपुत्रोमहाधूर्तेभीमसेनेहनूमतिः॥ ॥९॥विश्वभरोच्युनेशकेसिविश्वभराभुविाविश्वकद्रु स्त्रि एखलध्वानाखेदमुनाःपुमान्॥॥विभावरी निशाराग्यो कु/ हन्याचक्रयोषिति॥विवादवारोठ्यांचविभाकरोग्निसूर्ययोः वीतिदोबोनिले कैचशतपत्रःशिखंडिनिदाघाटेसा रसेचकमलेतुनपुंसकं॥९॥शतावरीतुशट्यास्यादिंदीवर्याम९ पिस्त्रियांशिशुमारोंबुसंभूतजंतीतारात्मकाच्युते॥३०॥भवेर सहचरोझिट्योहयोरनुचरेत्रिषासमुद्रारुःपुमान्याहे सेतुब तिमिगिले॥१॥संप्रहारोगतौयुद्धस्थिरदेष्ट्रोभुजंगमावरा हारुतिविष्णोचसकमारोमृदौत्रिष॥२॥सिडाभिधानझोर सूत्रधारःशचीपतोगनानायंतरसंचारिपारिपात्रप्रभेदयोः॥३॥ गरपन्नातमालपत्रेतापिछेतिलकेपत्रकेपिच॥तालीशप त्रभ्यूम्यामलकीतालीशयोःस्मतं॥४॥स्यात्पांशुचामरस्पेसि चिततटीभुविधवपके प्रशंसायांपुरोटोधूलिगुच्छके॥॥॥ For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः१०३ RAIN - - - - स्यात्पादचतुरश्ठागेसैकतेपिप्पलेपिच॥करकेपरदोषैकश्वत पुरुषेपिचापीतकाबेरमित्येतत्तुंकुमेपित्तलेपिचास्याद्रा जवदरंरक्तमेलकेलवणेपिच॥७॥वस्वोकसारेंद्रपुरेकुबेरन लिनीपुरोविप्रतीसारउद्दिष्ट कौरुत्ये नुशयेरुधिराभिवेत् समभिहारस्तुपौनःपुन्यभशार्थयोः॥सर्वतोभद्रइत्युक्त काव्य चित्रगृहांतरेगानिंबनासर्वतोभद्रागंभारीनरायोपितोः॥ // // इतिरांतवर्ग:गलैकम्॥लाशकेलातुदानेस्यात्ग्रहणेपिनि गद्यताली श्लेषणेचचपलेग्लोर्धरण्यानिशापती॥१॥लहिः / अम्लोरसस्यभेदेम्यादम्लीचांगेरिकोषधौ अलि:सुरापुष्पलि होःपुंस्यालिर्विशदाशये॥२॥विषु स्त्रियांवयस्यायांसेतोपतो चकीर्तितालुर्गलंतिकामांस्त्रीकीबमूलेचभेलके॥३॥॥ लाकलोसौम्यस्यधरित्र्यांगविवाचिच॥ओल्ल स्तुशूरणेपुरा सिस्यादा;वाच्यलिंगकः॥४॥कला स्यान्मूलरैटडोशिल्पा दावंशमात्रके षोडशेचचंद्रस्यकलनाकलमानयोः॥५॥ कलंकेत्रिष्वजीर्णनाट्योक्तमधुरध्वनौषकलीःस्त्रीकलिका || "यान्नाशूराजिकलहेयुगादकालोमृत्यौमहाकालेसमयेयम कृष्णयोः॥कालातुरुष्णत्रिरतामंजिष्ठानीलिकासुच॥७॥का लीगौयक्षिारकीटेकालिकामातभेदयोः॥कीलोलेशयोः शस्त्रन्चालाकफोणिशंकषा॥कुलंजनपदेगोत्रेसजातीय गणेष्वपिराभवनेचतनौकीबकंटकाविधौकुली॥९॥अथः // कूलंतटेस्तूपेसैन्यपृष्ठतागयोकोलंकोलिफलेकीवेपिप्प ! लीचव्ययोस्त्रियां॥१०॥ नाकपालेशनौचित्रेवराहोत्संगभेला खलं भूस्थानकल्केषनीचराधमेत्रिषु॥११॥खल्लोवस्त्र प्रभेदेस्याहर्तचर्मणिचातके खल्ली तुहस्तपादावमनारख्या रुजिस्त्रियां॥१२॥खिलमहतकावसारसंक्षिप्तवेधसः॥ग लःसर्जरसेकंठेगुलः स्यादैक्षवेपुमान्॥१३॥गुली तुगुटिका - %3 - - - / - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः१०४ oppeam - . : RE -- - - - रोगभिदोस्नुह्यांगुलास्मतागोलागोदावरीसरख्यो कुनटीदुर्ग पायो:स्त्रियां॥१४॥पोजनेमंडलेचालिंजरेवालखेलनेचलाल Fileम्यांपुमान्कंपेकंपनेत्वभिधेयवत्॥१५॥चिल्लः पुमान किन्नने क्लिन्नाक्षेप्पभिधेयवत्॥आततायिनितोक्तश्चिल्लीस्यात्सु मावास्तुके॥१६॥चल्लीचितायामुडानेचोल-कूर्यासकेपुमान्न पुसकेतुक्सनेछले सवलितशाठ्ययोः॥१७॥बल्ली वीरुधर्स तानेवल्कलेकुसुमांतरेगजलं गोकलनेनीरेहीबेरेप्यन्यवज्जडे ||१८|जालंगवाक्षआनायेक्षारकेदभरंदयोः॥जालोनीपटुमे जालीपटोलिकोषधोस्त्रियाम्॥१९॥झालास्यादातपस्योद हितर्यपिच स्त्रियांझिली वीर्यातपरुचोवामुहर्तनाशुके। Inातलं स्वरुपेनूस्त्रिीकीबंज्याघातवारण।काननेकार्य बीजेचऍसितालमहीरुहे॥२१॥चपेटेचत्सरौतंत्रीशतेसव्येन पाणिनातल्ली तरुण्यांतल्लु स्तुजलाधारांतरेपुमान्॥२२॥ताल, करतलेंराष्ठमध्यमाभ्यांचसमित।गीतकालक्रियामानेकरास्फा लद्रमांतरे॥२३॥ वायभोडेचकांसस्यत्सरौतालीजटौषधौली बंतुहरितालेस्यात्तुलासादृश्यमानयोः॥२४॥गृहाणांदारुबंधाया पीठिकायामपीष्यते॥राशोपलशतेभाडेतुलस्याद्रपदासणि Lim२५॥आकाशेथपिचौनस्त्रीदल मुत्सेधरवडयो शस्त्रीछदेप्या विद्रव्ये फ्प्रेष्यथ दलि:स्त्रियां॥२६॥कमठ्यांनामुनौदोलानील्यो यानोतरेपिचानल:पोटगलेरातिपितृदेवेकपीश्वरे॥२॥कमल पिकुनट्यांचकमेणकीबयोषितो ॥नालाननापदंडेनाली। शाककडेबके॥२८॥नीलंतुनीलीरतेनानिध्यद्रिवानरांतरे नीलीरुम्भेदनीलिन्योःपलमुन्मानमांसयोः॥२९॥पल्ल्यल्प ग्रामकुट्रिन्योःपल्लःस्थूलकुमूलके॥पालिकर्णलताग्रे श्री॥ पित्तावकप्रभेट्योः॥३०॥छात्रादिदेयेस्त्रीपालीयूकास मश्रुषि लोः॥पिल्लः पुमान किन्ननेक्किन्नाक्षेपुनरन्यवत्॥३१॥पीलु। - - - % enemi p pine -- - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः१०५ meraman % D made - पुमान्प्रसूनेस्यात्परमाणौमतंगजे।अस्थिखंडेचतालस्यकांड पादपभेदयोः॥३२॥पुलः स्यालके सिविपुलेप्यन्यलिंगकः गफलंजातीफलेसस्येहेतूस्थेव्युटिलाभयोः॥३॥त्रिफलायां चककोलेप्रियंगौतुफलीस्मृताफाल:सिमहादेवकालिंदीमे दनैपिच॥३४॥ कीबंसीरोपकरणेत्रिषुकापसिवासामावलिदै त्यप्रभेदेचकरचामरदंडयोः॥३५॥ उपहारेपुमानस्त्रीतुजरयाल थचर्मणिगृहदारुप्रभेदेचजठरावयवेपिच॥राबलंगंधर| सेरुपेस्थामनिस्थाल्यसैन्ययोः॥पुमानहलायुधेदैत्येप्रभेदेवा यसेपिच॥३७॥बलयुक्तेन्यलिंगःस्याहाट्यालकेतुयोपिति॥ वल्लीस्यादजमोदायांबतत्यामपियोषिति॥३॥बालोनाकुंत लेवस्यकरिणश्वापिनालधौ॥नालिकेरेहरिद्रायांमल्लिकाभि द्यपिस्त्रियां॥३९॥वाच्यलिंगोऽर्भमूर्खेहीबेरपुंन्नपुंसक लेकारांतरेमध्येबालीबालात्रुटिस्त्रियोः॥४०॥वेला कालेच सीमायामधे कूलविकारयोः॥अकिष्टमरणरागेईपरस्यचर भोजन॥४१॥भल्ल स्यात् सिमल्लके शास्त्रभेदेतुनदयोःगभल्ला तक्यास्त्रियांभलीभालं तेजोललाटयोः॥४२॥भेलापूवेमुनो। पंसिभीरावजेचवाच्यवतमलो ऽस्त्रीपापविकिपणेवil भिधेयवत्॥४३॥मल्लः पत्रिकपोलेचमत्स्यभेदेबलीयसिामा। लाक्षेत्रियांपृक्कास्त्रजोसिंतरेपुमान्॥४४॥मालुःपत्रल तानार्या स्त्रियांमूलंशिफाययोः।मूलवितेतिकेवानामेला स्यान्मलकेमसौ॥४५॥मौलि:किरीटेधम्भिल्लेचूडायामनपुंस कंगनाशोक,ौस्त्रियांभूमौलीलाकेलिविलासयोः॥४६॥श्रृंगा रभावचेशयालोलःस्यागच्यलिंगकः॥सतृष्णेचंचलेलोलार) जिव्हाकमलयोःस्त्रियां॥४७॥व्यालीदष्टगजेसपैश्वापदेना न्यवत्वले।बिलंछिद्रेगुहायांचपुमानुचैःश्रवोहये॥४॥श लस्तुशलले सि गिक्षेत्रभिदोर्विधौगशालुः कषायद्रव्येस्या - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः१०६ P re - - - - - - - - - चौरकाल्यौषधौपुमान्॥९॥शालि स्तुकलमादौचगंधमार्जा | ||रकेपुमान्॥शालागुस्कंधशारवायांग्रहगेहेकदेशयोः॥५०॥नार झषेशीलंमुछेस्याडेड्पद्यांशिलीमताभशीशिलाशिल्या शिलातुप्रस्तरेमताशातथामन शिलायांचाराधस्थितदा रुणिाशीले स्वभावेसहतेशुक्लोयोगांतरेसिते॥५२॥ नसके तुरजतेशूलोऽस्त्रीरोगआयुधे।मृत्युकेतनयोगेषुशूलास्यात्पर ण्ययोषिति॥५३॥शूलोभूभृतिशैलंतुशैलेयेतार्यशैलकेसा लापादपमात्रस्यात्माकारेसर्जपादपे॥५४॥स्थालेभाजनभेदेऽपि स्थालीस्यात्याटलेखयोास्थूलंकूटस्थानिप्रक्षेपीवरेप्यन्यलिंग का पाहालोहलेपुमान्हालामदिरायांचयोषिति॥हेला स्त्रिया मवज्ञायाविलासेवरयोषितां॥५६॥लत्रिः अनलावसुभेदे | ग्नावनिलोत्सवातयो अर्गलात्रिषुकल्लोलेदतरकपाट योः॥७॥अरालाकुदिलेसर्जर सेसमददेतिनिअंगुलीकर शाखायांकर्णिकायांगजस्यच॥५॥अचलावसुधायास्यादच ल-शैलकीलयोः॥अमलं त्वम्रकेलीबलक्ष्म्यास्त्रीनिर्मलेत्रिषु ॥५९अंजलीस्तुपुमान्हस्तसेपुटेकुडवैपिच अवेलस्वपलाये स्यादवेलापूगचर्चितेगााभीलंनयोःह वाच्यलिंगभां यानकेाइल्पलातारकाभेदेनाभेदेदैत्यमत्स्ययोः॥१॥उत्पली) तुषचर्पट्याक्लीबंकुलप्रसूनयोः।उपलःप्रस्तरेरत्नेशर्करायांतु योषिति॥६॥उज्वलोदीप्तशृंगारविशदेषुविकाशिनिाउकुल्ल करणेस्त्रीणामुत्तालेपिविकखरे॥६॥उत्ताल उत्कटेश्रेष्ठविकः || एलेप्लवंगमे।कमलंसलिलेताप्रेजलजेक्लोनिभेषजाईम गभेदेतुकमल कमलाश्रीवरस्त्रियोः॥कपिलारेणुकायोचर्शि शपागोविशेषयोः॥६५॥पुंडरीककरिण्यांनीवर्णभेदेत्रिलिंगक गनानलेवासुदेवेचमुनिभेदेचकुकरे॥६॥कंबलोनागरानेर स्थात्सारमामावारपोरपिगमावस्युत्तरासंगेसलिलेतुनपुंसक 67| - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः१०७ AM - - - - - - download - - - munichatanepartmen करालोदंतुरेतुंगेभीषणेचाभिधेयवाससर्जरसतैलेनाकीबंक ष्णकुठेरकेाकदलंत्रिषुकपालेप्युपरागेनवाकरेगकलव नौकंदलीतुमृगगुल्मप्रभेदयोः॥६॥कदलाकदलीपृश्यांक दलीकदलीपुनः॥रंभार थकदलीपताकामृगभेदयोः॥७०॥ कदलाडिविकायर्याचशाल्मलीभूरुहैपिच॥कपालोस्नीशिरो॥ स्विस्याहटादेःशकलेबजे॥७९॥कठीलातुहयोद्रोणीप्रभेदेना कमेलकेकल्लोल सिहर्षस्यादुल्लोलवैरिणोरपि॥७२॥काम लारोगभेदेवानानामरुवसंतयोः॥कामुकेवाच्यलिंगोथकालो। लेनरकांतरे॥७॥नाकुलालेद्रोणकाकेविषभेदेतुनस्त्रियामा काहलावाद्यभांडस्यभेदेवाशरसांभिदि।७४॥ काहलीतुत रुग्यास्यात्काहलश्चरणायुधे शब्दमात्रेपिपुल्लिंगस्त्रिशु केभृशेखलेग७५॥किट्टालासिताम्रस्यकलशेलोहगृथके कीलालरुधिरेतोयेकुशल:शिक्षितेत्रिषु॥६॥ोमेचसुरु तेचापिपर्याप्तीचनपुंसकंगवलंचोत्सलेमुक्ताफलेपिबदरी|| फले॥७७॥कुङालोमुकुले'सिनगोनरकांतरेगकुटिला || नगरपाद्यास्त्रीभुग्नेवाच्यलिंगकः॥७॥कुंतलचषकेबा| लेजवेभून्निनीति।कुलाल कुलभकुंभकारेस्त्रीत्वंजनill तरे॥७९॥भिलाशालमीनेचचोरेश्लोकार्थचौरयोः॥कहा। ल:स्यात्युमान्भूमिदारणेयुगपत्रके॥५॥कचेलाविपर्यो स्त्रीवाच्यवत्तुकुवाससि।कुलूलशंकुसंकीर्णश्वभ्रेनातुतुषानों ला॥डलंकर्णभूषायांपाशेपिविलयेपिचकांचनद्रगुड। च्योःस्त्रीकवल कुहनेपुमान्।२॥नपुंसकतुनिर्णीतेवाच्य। वञ्चैवलत्नयोः केवलोज्ञानभेदेथकोमलंमृदुलेजले कोहलोवाद्यभेदेस्यान्नाट्यशास्त्रप्रवक्तारिणग्रंथिलस्तुक रीरदौविकंकततरोपुमान्गासग्रंथोत्रिषुगंधोलीभद्रशा ट्योत्रयोविति।गरलंत्रणपूलेचविषेमानेनपुंसकं॥५॥गो - A HMIRama - / - - - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -- - लाविधुबालोहामविताचवला मेदिनीकोश:१०८ पालोन्पगोपेशेगोकुलेमसलेहलेागोरिलस्तुपमान्लोहचूर्णे|| स्याहौरसर्षपेचपलापारदेमीनेचोरकेप्रस्तरांतरेगचपला || कमलाविधुत्युवलीपिप्पलीषुचाप७॥नपुंसकंतुशीघ्रस्याहर च्यवतरलेचले।चवालोहोमकुंडेस्यात्यसिदभैंपिदृश्यतेच्या चंद्रिल:सिवास्तूकशाकभर्गेचनापितेगचंचलातुतडिल्लसम्यो श्वच्चलकामुकेनिले॥८॥चूडालातूचटायांस्त्रीचूडावति चवाच्यवत् छगलंनीलवस्त्रेनालागेस्त्रीरदारके॥०॥ बाल शैवलेपैकेजगलोमदनद्राभेदकेपिष्टमद्येचसिधू|| तःभिधेयवत्॥९॥जटिलापिप्पलीमास्योर्जटायुत्तेतुवाच्या वत्॥जंगलनिर्जनस्थानेत्रिलिंग्यापिशितेस्त्रियांगजभ ल:पुसिजबीरेबुद्धदेवांतरेपिच॥जंबूलस्तुपुमान्जंबूविट पेक्रकचलदे॥२३॥जांगलीविषविद्यायांजांगलंजालिनीफ लाजोगलीशूकशिव्यास्त्रीजांगलोनाकपिजले॥४॥तर लंचंचलेषिद्रेभास्करेपित्रिलिंगकंगहारमध्यमणोपुंसियवागू सुरयो स्त्रियाम्॥९॥तंडलस्याहिडंगेचधान्यादिनिकरेस मान॥तमालस्तिलकेखदेतापिळेवरुणद्रमारातांबूली नागवल्यास्त्रीमुकेतुनसकंगतातलोरुजिपाकचलोहकू, टेमनोजवे॥तुमुलाकलिनक्षेनालीबंतुरणसंकुलेतैिति| लोगंडकेपुसिक्कीबंतकरणांतरे॥९८॥दकूलंश्लसूणवस्त्रlll स्यात्सोमेचधवलागवितृषश्रेठेपुमान्याच्यलिंगःशुक्लेचसुंद| R॥नबुलीकुक्लटीमांस्योःपशुपांडवयोमानानांकली कुक्कुटाकेदेरास्नायोचविकस्त्रियां॥१०॥नाभीलंवक्षणेना| सिगर्भीडयोरपि।निचूलस्तुनिचोलेस्यादिज्जलारख्यम हीरुहेनिर्मलस्यात्तुनिर्माल्येचानकेचनपुंसकंगमलही|| नान्यलिंगचनिस्तलंवर्तुलेचलेगणनिष्कलंतुकलाभून्येन| ट्वीर्येचवाच्यवनानैपालीतुनवमालीकुनटीसवहासुच॥३॥ होगनितलवालानुनवमा - - - -- - - - - - - - - - - - --- - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - D - - - - - - - मेदिनीकोशः१०९ पललंनिलचूर्णेचपकेमांसेनपुंसकंगनाराक्षसे थपटलंपिट केचपरिलदे॥४॥लदिईयोगतिलकेकीबंबजेपुनर्नवाप्रतलं पातालभेदेततांगुलिकोपमान॥५॥पटोलंवस्त्रभेदेनौषधी ज्योत्न्यांतुयोषिति॥प्रवालो'स्त्रीकिसलयेवीणाडेचविद्रमे। गई।पंचालीपुत्रिकागीत्यो स्त्रियां'भूम्निनीरनिगपाशुल॥ श्वलेशंभोःखद्धांगेल्यसतीभुवोः॥७॥पाकलंकृष्ठभैषज्येपुसि स्यात्कुंजरज्वपाचालं पाचनेनाग्नीवाधनद्रव्यवासयोः पाटलापाटलौस्त्रीस्यादस्यपुषपुनर्नना॥आशुधान्येपमान || तरक्तवर्णेपिवाच्यवत् पातालं नागलोकस्यादिवरेण्ड वानलावातिली वामुरायोस्पान्नारीपात्रप्रभेदयोः॥१०॥पि प्पलीसलिलेवस्वछेदभेदेचनातरौनिरंशुकेपक्षिभेटेकणायो पिप्पलीस्मृता॥११॥पिचलोझबुकेपिस्यादिज्जलेजलवायसे गपिंगलोनागभिद्रचंडाशुपारिपार्धिके॥१२॥निधिभेदेकपा वग्नोसिस्याकपिलेन्यवता स्त्रियांवेश्याविशेषेचकरियो कुमुदस्यच॥१॥पित्तलातोयपिप्पल्याख्यन्यवपित्तसंयुते कीबतुतैजसद्रव्येपिललोविन्निनेऽन्यवत्॥स्त्रीपोतिकाशि शपयोःशाल्मलीसिंधुभेदयोः॥पुदलःसंदराकारेत्रिषुस्या त्मभेदयोः॥१५॥पेशलोरुचिरेटक्षेफेनिला रुष्टपादपानास फेनेत्रिषुकाबंकोलीमदनयोःफले॥१६॥बहलानीलिकायां // स्थदिलायोगविरोषिति कृत्तिकासुस्त्रियाभूत्रिविहायसिन सकं॥१७॥स्यग्नौरुष्णपक्षेचवाच्यवत्प्राज्यरुष्णयोः॥ब रिलाबारलाचापिगंधोलीहंसकांतयोः॥१८॥बार्दलंदर्दिनेमे लानंदायांबार्दलः स्मृतः॥मंगलासितर्वायांउमायापुसि भूमिजे॥॥नपुंसकंतुकल्याणेसर्वार्थरक्षेणेपिचामंडलं परिधीकोठेदेशेगदशराजसुग२०॥डीवेश्यनिवहेबिबेत्रिषु सितकुकरेगमेजुलं विषुमेजोनाजलरकोनसकं॥२४॥ - - - - - - % - -- - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:१० - am Fa maavaanempe - - - जलांचलेनिकुंजेचमहिलाफलिनीस्त्रियोगमातुलोव्रीहिभिन्मा) नुभावोश्वमदनद्रुमे॥२॥धुस्वरेमाचलोवंदिचौरेचमाहरोगयोः मुसलेस्पादयोग्रेतुनपुंसकयो:स्त्रियाम॥२॥तालमूल्यामा सुपर्णीग्रहगोधिकयोरपि।मृणालंनलदेली वस्त्रीनपुंसकयोबि म॥२४॥मेखलाखङ्गवंधेस्यात्कांचीशैलनितंबयोः॥यमलं युग लेकीबेयमलीचोटिकाइये॥२५॥रसालारसनादविदारीमाजि|| तासुचारसालं सिल्हकेबोलेरसालश्वेक्षचूतयो।रदारामि लोरमणेकामेलीगुलंपुलशेफसोः।लोगलीतोयपिप्पल्यांकीबंतु|| कुसुमांतरे॥२७॥गोदारणेतणराजगृहदारुविशेषयोःलोहलः | शृंखलाचार्येव्यक्तवाजिनिचत्रिषुरकाजल:सितिनिशेवेत|| साशोकयोरपिठालोपरभेदेचनौकायांचखनित्रके॥२९॥वा| तूलःसिवात्सायांवाच्यवन्मारतासहवामिलोदांभिकेवामेत्रि पस्याद्विमलालियां॥३॥शातलायांभुवोभेटेनिर्मलेवभिधेय वनाविपुल:पृथलेगाथेमेरुपत्रिमभूधरेगा विदुलस्तुपमा नवुवेतसेवेतसेपिचाविडालोनेत्रपिंडेस्पाइपदंशककेपुमान् ॥३२॥विशालाविंद्रवारुण्यामुज्जयिन्यांतुयोषितिगमगपक्षिभि दोःपुंसिपथुलेवभिधेयवत॥३३॥षलोगजनेशूनेचंद्रगुप्तेचराज) नि शकलं त्वविखेडेस्याट्रागवस्तुनिवल्कले॥३४॥शंबलोस्त्री सबलवकुलपाथेयमत्सरेगशयालु स्यादनगरेनिद्राशीलेचककरे। |॥३५॥श्रद्धालुहादिन्यास्त्रीप्रझयुक्ततुवाच्यवतश्यामल:पि प्पलेकृष्णेशार्दलोराक्षसोतरे॥३६॥ज्याप्रेशुभेदेवसत्तमेतत्त परिस्थित शाल्मलिस्तरुभेदेस्पाही पभेदेपिचयोः॥३७॥श्रीफ ल:सिमारेधात्रीनीलिकयो स्त्रियाम्॥शीवलंस्थाचशेवाले शेलेयेचनपुंसकंग शीतलंपुषकाशीशेशेलजेमलयोद्भवे॥ पुमानासनपर्योस्याच्छिशिरेवाच्यलिंगकंग३९॥शृगालोवंच केदैत्यभेदेनाडमरेस्त्रियांगशृंखलापुंस्कटीवस्त्रबंश्चनिगडेत्रि -- - - maramsaneer - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः anam पु॥४०शैवलंपाकाटेस्या छैवालेपिपुमानयंगशेकला / कमांसस्यपणकेपिशिताशिनि॥४१मपंडालीतैलमानेचसरसी कामुकस्त्रियोः सरल:पाकाष्ठेनाइयोदाराक्क्रयोस्त्रिषु॥४२॥ संकलंत्रिषविस्पष्टवाचिव्याथसप्तला नवमालीचर्मका गुंजासुपाटलोनियां॥४३॥संधिलातुसुरुंगायांनदीमंदिरयोः / स्त्रियांसिधालामत्स्यविकतोवाच्यवतुकिलासिनिस वेलःप्रणतेशांतेत्रिषुनापर्वतांतरे।सुतलोट्टालिकाबंधनागलो कप्रभेट्यो:४॥हिंगुलोवर्णकद्रव्यनाभंटाक्यांतुहिंगुली है। मल स्वर्णकारेस्याहकलासेशिलांतरे॥४६॥ लचतुःअक्ष मालाक्षसूत्रेस्यारुंधत्यामपिस्त्रियाम्॥अंकपालीपरीरंभे धात्रीवेदिकयो स्त्रियां॥४७॥अथातिबलाप्रबलैत्रिषुस्त्रीत्वी षधीभिदिाउदखलंगम्गुलौस्यादुलूरवलेपिनद्वयोः॥४॥ए काष्ठीलावनतिक्तिकोषधोपुंसिवकपुष्क लकलउक्त को लाहलेतथासनिर्यासे॥४९॥अथकर्मफलंकर्मरंगकर्मविपा कयोकिंदालम्पुमानार्दभाडेपक्षतरावपिणाकमंडलु स्यात्करकेन स्त्रीनासपादपाकुतूहलंकौतुकेस्याप्रशस्लेपिचरश्यते भवनमा लस्तुपुल्लिंगोधूमेपिचबलाहके।गंडभैलोललाटेस्याच्यूतस्थूलोपलेगि रिसा गंधफल्यपिगुंद्रायोपकस्यचकोरके चक्रवालोद्रिभेदेस्या चकवालंतुमंडले॥५३॥जलांचलंस्वतोवारिनिर्गमेशैवले पिचादलामलंमरुबकेदमनेपिनपुंसकं॥५४॥ध्वनिनाला॥ तवीणायांवेणुकाहलयोरपिस्यात्परिमलो तिमतिमनो हरगंधयोश्वापि॥५५॥ सरतोपमविकसच्छरीररागादिसौरभे॥ पुसि॥अथपोटगल पसिनलेचकाशमत्स्ययोः॥५६॥भवेडू हफलोनीपेनामलक्यांतुयोषिति भस्मतूलग्रामकूटेपनि वर्षहिमे पिच॥७॥भद्रकालीतुंगधोल्यांकात्यायन्यामपिस्त्रि यामहाकालोमहादेवेकिंपाकेप्रथमांतरे॥५॥भवेन्मदक Rom - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:११२ - and - लोमतेभेमदाव्यक्तबाचिनोकामदाबलंसीसकेतिवलायांस्त्री॥ बलोत्कटे।५लात्रिलिंगंमणिमालातुहारेदंतमतांतरेगमहा। नीलोभंगराजेमणिनागविशेषयोः॥६॥मुक्ताफलंतुकपूर। मौक्तिकेलवलीफले॥स्यान्मृत्युफलाकदल्यांमहाकालफलेपुरी मान्॥१॥भवेद्यवफलोवणीमांतीकुटजयोरपिारजस्वला पुष्यवरयोस्त्रियांस्यात्सोरभेपुमान्॥६॥वातकेलिः कलाला॥ पिषङ्गतातेपुमान् अथवायुफलंशकार्मुकैकरकेपिच // // ६३॥भवेद्विच किलोमल्लीप्रभेदेमदने पुमान्॥बृहन्नलागुडाके || शेमहापोटगलेयुमान॥६॥सदाफल:स्कंधफलेनारिकेलेप्य दुबरेगसिनीवाली तुदृष्टेदुकलामादुर्गयोस्त्रियो॥६५॥अथ सौवर्चलंसर्जसारेचलवणातरेहस्तिमलोभ्रमातंगेशरव नागेविनायके॥हरितालेधातुभेदेस्त्रीदुर्गाकाशरेखयोः पहलाहलाब्रह्मसर्पभेजनायांविषेस्त्रियांमालपंच॥॥ आसुतीबलारख्यात-कन्यापालकयन्यनोः॥ उदंडपाल: शिस्यात्सर्वमत्स्यप्रभेदयोगक्षाएकडलआरव्यातोबल भद्रेधनाधिपेरूपीटपालउद्दिष्ट केलितातसमुद्रयोः६९५६ स्यात्पाडकंबलःश्वेतप्रावारग्राउभेट्योः॥भवेत्सुरतताली तुतिकायांशिस्त्रजि॥७॥ इतिलांतवर्ग:॥२०२३ गवैकं गवःसोचनेचवातेचवरुणेचनिगयते॥वंप्रचेतसिजा नीया |दिवार्थेचतदन्यय॥१॥स्वःस्यात्पुंस्यात्मनिज्ञातोत्रिष्वात्मीये॥ धनेस्त्रियांवतिः अबिर्नाथेरखोमेषेशैलेमूषिककंबले॥॥ ॥२॥अभ्यः पुंजातिभेदेचतुरगेच पुमानयंउमस्यादुछिते॥ तुगेचोपरिष्टादपिस्मृत॥३॥क्षवःक्षतेराजिकार्याकवि र्वा ल्मीकिशुक्रयोः॥सूरौकाव्यकरपुंसिरवलीनेस्यातुयोषितिmil कण्वं पापेमुनौसिकिण्वंबीजेचशीधुनः॥पापेकीबन सके शंडेन्यवदविक्रमे॥५॥स्यातुग्रीवाकंधरायांतच्छिरायांच For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः 113 - - - pm - - %3 योषिताचा-तुशोभनाबुध्य्योयत्नाधनदभार्ययोः॥६॥ छवि:शोभारुचोर्योपिज्जवोवेगवतित्रिषु॥पुल्लिंगस्तुभवेद्वेगेचो इपुष्पेजवास्मृता॥७॥जीवःप्राणितिवृत्तीवरक्षभेदेबहसतो जीवाजीवंतिकामौविचाशिंजितभूमिषु॥॥नस्त्रीतुजी वितेतत्वस्वरूपेपरमात्मनिस्याहिलंबितनृत्येचद्रवःपादव नर्मणो:॥॥रसेपिदवदावीतुवनवन्हीवनप्युभौगईरहस्या कलहेतथामिथुनयुग्मयोः॥१०॥दादासहरिद्रायोतथागो निव्हिकोषधोगद्या स्त्रीवर्गचगगने दिवंकीबत्तयोःस्मृत | 11 // देवामेघेसुरेशलिस्यान्नपुंसकमिंद्रियादेवी कताभिषेका यांतेजनीएक्कयोरपि॥१॥धवापुमान्धवेधूतेपत्यौरक्षांतरे पिच॥ध्रवःशंकौहरविष्यगौवटेचोत्तानपादजे॥१३॥वसुयोग भिदो सिक्कीबंनिश्चिततर्कयोः॥स्त्रीमूाढ्योःशालपर्योगी तिसुम्भेट्यौस्त्रिषु॥१४॥संततेशाश्वतेचाथनवनव्येपुमान स्तुतौनीवी परिपणेस्त्रीणाकटीवसनबंधने॥१५॥पके रिणतेपिस्यादिनाशाभिमुखेत्रिषुमपूवः स्यात्सवनेमेलेभेके।। || वौश्वपचेपपो॥१६॥जलकाकेचकुलकेप्रवणेपर्कटीछमे॥॥ कारंडवाख्यविहगेशब्देप्रतिगतोपुमान्॥१७॥कैवर्तिमुस्तके गंधणेपिस्यानपुंसक पार्श्व कक्षातरेचक्रोपांतेपर्सगणे पिच॥१८॥प्राध्वंतपणतेचातिदरवर्मनिबंधनेपथ्वीभूमो महत्यांचत्वक्पत्र्यांहष्णजीरके ॥१९॥भवःोमेशसंसारेस त्तायांप्राप्तिजन्मनोभावःसत्तास्वभावाभिप्रायचेष्टात्मज न्मसु॥२०॥क्रियालीलापदार्थेषुविभूतिबुधजंतुषारत्पादोरा चाथरेषास्यानील्यारत्योनदीभिदि॥२॥लवोलेशेविनाशेच॥ छेदनेरामनंदनेगला करंजभेदेस्यासलेवायेखगोतरे लध्वी लाघवयुक्तायांअभेटेस्थेदन स्वचाविश्वाततिविषाया स्त्रीजगतिस्यान्नसकं ॥२३॥नमामुख्यासिदेवप्रभेदेव m ammomentume - -- Mermanenimund For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश: 194 masoma - - - |विलेत्रिषु बिल्लंफलेश्रीफलेनाशवःस्यात्कुणयेपुमान्॥२४॥ नपुंसकंतुपानीयेशिवभूर्जेनृपेपुमान्॥शिवोमोक्षेमहादेवकी लकग्रहयोगयोः॥२५॥वालुकेगुग्गुलोवेदेपंडरीकद्रुमेपुमान्। सुखक्षेमजलेलीबंशिवाझाटामलोषधौगर अभयामलकी गौरीफेरुसकृत्फलासुच॥शिवस्तुभूर्जपत्रस्यात्तथोदारमही पतौ॥२७॥शुल्वंतायज्ञकर्मण्याचारेजलसन्निधौ।सत्त्वंग पिशाचादोबलद्रव्यस्वभावयोः॥२७॥आत्मत्वेव्यवसायासुर चित्तेष्वस्त्रीतुजंतुषु॥सवो यज्ञेचसेधानेसांवंदाक्षिण्यसामनोः॥ |॥२९॥स्वाइयोर्हेमपात्रेशल्लकीपूर्वयोःस्त्रियामाहव आता ध्वराव्हानेद्रस्वोन्यक्रवर्वयोस्त्रिषु॥३०॥ वत्रिाअक्षीवंवशिरे शियोनामत्तेपुनरन्यवत।अभावोमरणेसत्वेआहवोयत्य जयोः॥३१॥आर्तवंस्त्रीरजेपुष्पेकीबंस्थाहतुजेत्रिषु आप्रवी गीकृतोक्लेशनान्यवचनस्थिते॥३२॥उजूबोयादवमिदिमहे चक्रतुपावके उत्सवोमहात्सेकेइछाप्रसवकोपयोः॥३३॥का रवीमधुरादीप्यत्वपत्रीरुष्णजीरकेकितवस्तुसमान्मतेवं चकेकनकाव्हये॥३४॥केशवोऽजेचपुन्नागेपुंसिकेशवतिविष कैतवंतुङलेद्यूतेकैरव कितवेरिपो॥३५॥नपुंसकंचकुमुदेचंद्रि कायांतुकैरवीगगांडीवोगाडिवश्वास्त्रीकामुकेार्जुनकामु कि॥३६॥गालव स्तुमुनौलोध्रेतांडवो स्त्रीरणांतरे॥भनेदुद्ध। तत्त्येचत्रिदिवासरिदतरे॥३७॥सिस्वर्गे दीदिवि धिषणेऽन्ने| तदस्त्रियांनिष्पाव शूर्पपवनराजमेषेकडंगके॥३८॥पवनेशिं बिकायांनानिर्विकल्पेन्यलिंगकःनिन्हव सिनिस्तावविर श्वासापलापयो:॥३९॥पल्लवो स्त्रीकिसलयेविटपेविस्तरेवने। शृंगारेलकरागेस्त्री प्रभावःशांतितेजसोः॥४॥पंचत्वपंचा। नांभावेप्राणानामत्ययेपिच॥ प्रभवोजन्ममूलेस्याज्जन्महतो पराक्रमे॥४१॥ज्ञानस्यचादिमस्थानेप्रसवोगर्भमोचनाउत्सा - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:११५ - - - - दिस्यादपत्येपिफलेपिकुसुमेपिच॥४२॥प्रसेवःसिबीणांगेस्यू|| तेचपार्थिवोनृपे॥पार्थिवीतुसितायोस्त्रीपथिव्याविकृतोत्रिषु॥ ॥४३॥पुंगवस्याइलीबर्देप्रभेदेप्यौषधस्यच उत्तरस्थःपुनःश्रे ठेफेरवोजबकेस्नपे॥४४॥बल्लकसूपकारेस्यात्भीमसेनेच गोदुहिबांधवोबंधुसुहृदोभार्गवोगजधन्विनोः॥४५॥शुक्रेप रशुरामेच भार्गवीपार्वतीश्रियोः॥र्यायांभैरकपंसिशंकरे भीषणेत्रिषु॥४६॥माधवो जेमधौराधेयादवेनास्त्रियांमिसोग मधुशर्करावासंतिकुट्टनीमदिरासुच॥४७॥गोमहिषादिसंपत्ती यादवःपुंसिकेशवे॥राजीवनलिनेनातुभेदेहरिणमीनयोः॥४८ राघवोब्धेर्महामीनभेदेचरपवंशजारौरवोनरकेघोरेबडवा विजयोषिति॥४९॥अश्वायांकुभदास्यांचनारीजात्यंतरेपिच॥ बाडवकरणेस्त्रीणांघोटकौघेनपुंसकं॥५०॥पातालेनस्त्रियों पंसिब्राह्मणेवडवानले॥विभवोरैमोक्षेश्वर्येविद्रवोविद्रुती धियि॥५१॥विभावःस्यात्परिचयेरसस्योद्दीपनादिषु॥शात्र संभावसंहसोःशत्रूणांशात्रवोद्विषि॥५२॥षाडवोगानरसयोः सचिवोमंत्रिचेटयोःसहायेसंभवोहेतावुत्पत्तामेलकेपिच॥|| ॥३॥आधारानतिरिक्तत्वेप्याधेयस्यनिगद्यते।सुग्रीवोवासुदे। वस्यहयेशाखामृगेपरे॥५४॥सुपवीकारखेल्लेस्याकष्णजी || रकजीरयोः सैंधवोस्लीमाणिमथेनाश्वेसिंधुभवेत्रिषु॥५५) वचतुः॥अनुभावाप्रमावस्यानिश्चयेभावबोधकेभिवेटर भिषवःस्नानेमद्यसंधानयज्ञयोः॥५६॥अपन्हवस्तुपुल्लिंगः स्मृतःस्नेहापलापयोः॥आदीनवःपुमान्दोषेपरिक्लिष्टदरेतयोः|| ॥शाउपत्सवःसैहिकेयेविप्लवोत्यातयोरपि॥कुशीलवस्तुवा ल्मीकोनरयाचकयोरपि।काजलबिल्वाकर्कटेस्यात्पंचांगे| जलचलरे।जीवंजीवश्वकोरेस्याद्रमभेदेपिस्यय॥५॥था मार्गवस्तुसिस्यादपामार्गेचघोषकै।पारिपूवश्या कुले - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:११६ rust - स्याचंचलेचपराभवः॥॥तिरस्कारेविनाशेचसिपारशवः॥ |पमानापरस्त्रीतनयेशस्त्रदिनाच्छूद्रासुतेपिच॥६१॥ पुरग्री वस्तपल्लिंगोगर्गरीताम्रकुंभयोः बलदेवोबलेवातेत्रायमाणोष मधौलियो।रातिदेवस्तनपतेर्भेदेचंगरुडध्वजारोहिताच|| चित्रभानोहरिश्चंद्रनृपात्मनेग६३॥अथशीतशिवंकीबंशैले यमाणिमंथयोः॥सिसक्तुफलाक्षेतथामधुरिकौषधी॥६॥ सहदेवावलादंडोत्पलयोःशारिवोषधौरासहदेवीतुसरिया पुसिस्योत्पाडवेपुनः॥६५॥वपंच॥आशितंभवमन्नाद्येतता|| वष्याशितभवागइतिवांतवर्गः॥शतिः॥अंशुःप्रभाकिर णयोनशिातृष्णादिशोस्त्रियाम्॥आशु धान्यांतरेशीघ्रपीशा लांगलदंडके॥॥ईशःप्रभौमहादेवकाशीवाराणसीपुरे।न स्त्रियांतणभेदेस्याकीशो दिगंबरेकपोगणकुशी फालेकु शारज्यांत्रिषुपापिष्टमत्तयोः।योक्ररामसुतहीपेनादर्भेस्त्री कुशंजले॥३॥केशःस्यात्युसिवरुणेरीबेरेकुंतलेपिच के शोदुम्वपिकोपेपिव्यवसायेपिदृश्यते॥४॥कोशो स्त्रीकुङल लेपानेदिव्यखपिधानके।जातिकोशेऽर्थसंघातेपेश्यांशब्दमा दिसंय॥५॥दर्श स्तुस्यादमावास्यायागभेदावलोकनेगर्दा शकीटविशेषेचवर्मदेशनयोःपुमान्दादशावस्थादीपव योर्वस्त्रांतेभूम्नियोषितिगलियादर्शनेनेत्रेबुद्धीचत्रिषु॥ वीक्षके॥७॥नाशःपलायनेपिस्यानिधनानुपलंभयोः निशा दारुहरिट्रायांस्यात्रियामाहरिद्रयोः॥६॥पशुप॑गादिदेवाजे नाऽव्ययंपसुदर्शने॥पाश:केशादिपूर्वस्यात्तत्संघेकर्णपूर्वक: |लासुकर्णेचस्वसामर्थ्यान्मृगपश्यादिबंधने॥पांशुधूलीच सस्याचिरसंचितगोमये॥१०॥पेशीसुपक्वकलिकेमास्यांख इपिधानके।मांसपिंड्यामंडभेदेराशेमेषादिपुंजयोः॥११॥ सिवंशः कुलेवेणोपृष्ठावयववर्गयोगवशाचंध्यासुतायोषार - - Pawe - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:११७ - ameramom - A - स्त्रीगवीकरणीषुच॥१२॥विष्वायतेकीवमायत्तत्वेचेछाप्रभुत्व योः॥विट् सिमनुजेवैश्वेशवेश्याग हेराहे॥१३॥नेपथ्येच॥ शशीवालेलोप्रेनपशुभेदयोः॥स्पर्शीरुजायांदानेचस्पर्शनेस्प। शपिचास्पर्श:स्यात्संपरायेचप्रणिधावपिस्पयशित्रिः आदर्शो दर्पणेटीकाप्रतिपुस्तकयोरपि॥१५॥उडीशो ग्रंथभेटे स्यादड़ीश चंद्रिकापतौउपांशु जपभेदेस्यादपांशुविजने व्यय॥१६॥कपिश स्त्रिषुश्यावेस्त्रीमाधव्यांसिल्हकेपुमान् कर्कश-काशमसुकापिल्येषप्यसौपमान॥१७॥त्रिषुसाह सिकेरेढामस्मृणनिर्दये।कीनाश कर्षकसुद्रोपांशुधातिः वाच्यवत्॥१८॥यमेनाकुलिशो नस्त्रीदभोलीनाझपांतरेगगि रीशोऽद्रिपतोवाचस्पतिशंकरयोःपुमान्॥१९॥तुंगीश स्तु || ॥पमानौरीवल्लभेहिमदीधितोपदस्पधिन्वयासेनाकंटका यस्त्रियांत्रिषु।चारखरस्पर्शेयनिशिरवडेनानियेत्रिषु पनिवेश स्तुपुमान्भोगेवेतनेमूर्छनेपिच॥२॥निवेश:पुसि विन्यासेशिविरीबाहयोरपि।निर्देशःशासनेपिस्याकथनो पांतयोरपि ॥२२॥नीकाशो निश्चयेतुल्येपलाशं उदनेमतगश) |टी किंशुकरमापुंसिस्यारितेविषु॥२३॥प्रकाशस्तुस्टेरा ख्यातःप्रहासातपयोरपि॥प्रदेशो देशमानेस्यात्तर्जन्यकुष्ठ संमिते॥४॥भित्तावपिचपिंगाशीनीलिकायांनपुंसकंजा त्यस्वर्णेयुमान्पल्लीपतीमत्स्यांतरेपिच॥२५॥बालिश च शिशोमूर्खभूकेशःशैवलेवटे।भूकेश्य वाजेपिस्यालोमा शोमुनिमेषयोः॥२६॥लोमान्विते स्त्रियांकाकजंघामांसीव चासुचाभूकशिबिमहामेदाकाशीशेशाकिनीभिदि॥२७॥वि वशस्लिघवश्यात्मारिष्टदष्टधियोरपि।विकाश सिविज नेप्रकाशेसहशंसमे॥२८॥ उचितेचाऽथसेवेशः स्वापस्त्री रतबंधयोसुखाशोवरुणेराजतिनिशेसुखभोजने॥२९॥९॥ - - - - Japaneruwaon For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:११८ - 3 % D - . . - -- - -- - - - - - - हताशोनिर्दयेचाशारहितेपिशुनेपिचाशचतुअपदेशःपमा / लक्ष्येनिमित्तव्याजयोरपि॥३०॥अपभ्रंशस्तुपतनेभाषाभेदापशा ब्दयोः॥आश्रयाश:पुमान्वन्हीविषुवाश्रयनाशके॥३१॥उप स्पर्श-स्पर्शमात्रेस्नानाचमनयोरपि। उपदंशोविदेशेचनेंद्रो। गांतरेपिच॥३२॥रहकपिशुनेवाच्यलिंग:पुंसिशनैश्वगाख ॥डपर्शःपर्धरामेशंकरेचूर्णलेपिनि॥३३॥ खंडामलकभैषज्येसिद्धि कातनयेपिना जीवितेशोयमेपुंसित्रिषुस्याज्जीवितेश्वरे।।३el नागपाशःपुमानस्त्रीणांकरणेवरुणायुधे॥पंचदशीत्वमावा स्या पौर्णमास्योश्वयोषिति॥३॥प्रतिष्कश:सहायेस्याहार / हिरपुरोगयोः॥परिवेशोवेष्टनेस्यात्परिधान पिपुंस्यय॥३६॥ पादपाशीरवडकायांशृंखलायामपिस्त्रियांगपुरोडाशोहविभै| देचमस्यांपिष्टकस्यच ॥३७॥हतशेषेचभूमिस्मृसिमानववै॥ श्ययोः॥ इतिशांतवर्गः॥धैकम्॥ष:कसिवितेचश्रेष्ठे स्यादभिधेयवत्॥क्षःसंवतराक्षसेचनरसिंहेचविद्युति॥१॥ क्षेत्रनाशेक्षेत्रपालेक्षि निवासेगतीक्षये।पहिः अक्षोज्ञाता) र्थशकटव्यवहारेषुपाशके ॥२॥रुद्राक्षंद्राक्षयोःसपैविभीनक तरावपि।चक्रेकर्षेपुमानक्कीबतूत्थेसौवर्चलेंट्रिये॥३॥उषा बाणसुतारात्र्योरुषःकामिनिगुग्गुलोगरात्रिशेषउपायांतुके चिदाहस्तदव्ययं॥४॥ऊपःसारमृदिप्रोक्तंप्रभातपिपुमानयम तत्सध्यायांचरंध्रेचचंदनाद्रौश्रयोबिला५ऋषिदेवसिष्टादौ // दीधिनोचपुमानयासः पर्वतभेदेस्यादलके शोणकेपुमान।।६|| कतवेधनेान्यलिंगनमत्रपुन्नपुंसकंकक्षास्याट्तरीयस्थपश्या रंचलपल्लवे॥७॥स्पर्धापदेनादोर्मूलेकच्छवीरुतणेषुचाको नाकर्षणेमानप्रभेदेपुन्नसकं॥८॥कर्दूपुमानकरीषाग्नोस्त्रिी यांकुल्पेष्टिवातयोः कासीतुवरिकायोचसौराष्ट्रमद्यपिस्त्रियां) Inelकोषो स्त्रीकडमलेपादिव्येखपिधानके जातिकोशे For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:११९ - -- - -- - and पEle %3 - - र्थसंघातपेश्याशब्दादिसंगृह॥१०॥घोष आभीरपल्यास्यागी // पालध्वनिधोषकेगकास्येचांबुदनादेनाघोषामधुरिकोषधौ। ११॥चोझोगीतेशुचौदोतथा भीक्ष्णमनोज्ञयोः॥झपानाग बलायास्त्रीतापमत्स्याटवीषुना॥१२॥तों लिमोदन्ययोस्त्विं ट्रकांतौवाचिरुचौस्त्रियां। तुषाधान्यत्वगक्षदोस्तषालिमा तृपोस्त्रिया॥१३॥तृलिसायामुदन्यायास्मरपुत्र्यामपिस्त्रियो गदपस्त्रिषुपटीपुंसिताम्रचूडेप्रजापती॥१४॥मुनिभेदेहरषेदु / मभेदेस्त्रियांभुविणदोषःस्यादृषणेपापेदोषारात्रीभुजेपिच॥१५॥ ध्यासोमत्स्यात्वगेकाकेतर्काटैभिक्षुकेपिचावासीककोलिका यास्यान्नुसंकायतणेपिच॥१६॥ कीबेथ'सिमहिषेनिसष्टे पुनरन्यवतापूक्षोजटीगर्दभांडहीयेभिकुंजराशने॥१॥ सोमासा केपार्षगहेसाध्यविरोधयोगकेशदे-परतोईदेवले सखिसहाययोः॥१८॥चल्लीरंधेपतत्रेचराजकुंजरपार्श्वयोः॥ प्रेक्षानृत्येक्षणेबुद्धौप्रैषः केशेचमर्दने॥१९॥उन्माने प्रैषणेपोषोतl मासेतत्पूर्णिमातियोगस्त्रियांभक्षाभूतीयाच्चासेवाभिक्षितवस्त षु॥२०॥माषो ब्रीयंतरेमूखैमानत्वग्दोषभेदयोः॥मिषं व्याने स्पईनेनामेषोराश्यातरेस्तभे॥२१॥भैषज्यभिदिमोक्षस्तुमुक्ति || पाटलिमोचने।यक्षोगुहकमात्रेचगुह्यकाधीश्वरेपिच॥२२॥ साजतरक्षणयोरुमरवप्रेम्ण्यचिक्कणालमानपुंसिसंख्या यांक्लीबंव्याजशरल्ययोः॥२॥वर्षो स्त्रीभारतादौचनंबूद्वीपा ब्दष्टिषु।प्राट्कालेस्त्रियांभूनिविद्रनील्यापनविष्ठयोः२० विषतुगरलतोयातिविषायांचयोषितिरोधर्मबलीचर्देशृंग्यापुरा, शिभेदयो ।२५॥श्रेष्ठेस्यादुत्तरस्थश्वव्यासमूषिकामुकलातथावास्तु स्थानभेटेमानेषप्रकीर्तितःसायामूषिकपाचयतीनामासने|| पीमव्योपस्यात्रिकद्रव्येकरि देशमानयाराशुषि-शोषविलेस्त्री स्यालेष-संकर्षणेवधाअनंतेनाप्रसादेनस्वनिर्माल्यार्पणेस्त्रियार - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -- - - - Romamau Anamora - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः१२० meena D - - - / उपयुक्ततरेनस्त्रीशोषोयक्षमणिशोषणे॥षत्रिः॥अध्यक्षो चिलते सिस्यात्प्रत्योऽभिधेयवत्॥२९॥अभीषुःप्रग्ररश्मी नाकोतइंट्रिय।पाशकेशरिफलकेकोदेडाभ्यासवस्तुनि। ॥३०॥आकर्षणेपिसिस्यादामिषं पुनपुंसक।भोग्यवस्तु निसंभोगेप्युत्कोचेपललेपिच॥३१॥उश्मीषतुशिरोवेटकिरीटे लक्षणांतरेगउत्प्रेसानवधानेपिकाव्यालंकारणोतरे॥३२॥का ल्मषंकिल्विषेकीबंपुंसिस्यान्नरकांतरेकल्माषोयातुधानेच कृष्णपाडवकृष्णयोः॥२३॥कलुषत्वाविषेपापेकिल्बिषंपा परोगयोः॥अपराधेपिकुल्माषकॉजिकेयावकेपुमान्॥३॥ इषो मुखपूर्तीभपुष्करप्रस्तोन्मितागवाक्षीशक्रवारुण्या गेवाझोजालकेकपौ॥३५॥गोरक्षोनागरंगेस्याङ्गवांचपरि रसकेजिगीषाजेतुमिछायांव्यवसायप्रकर्षयोः।।३हातवी षी शक्रकन्यायांसिस्वर्गेमहोदधौगतावीपीचंद्रकन्यायां नास्वर्गाबुधिकांचने॥३७॥नहषा नागभेदेस्यात्सोमवंशन) पेपिचानिकष:शाणफलकेनिकषायातुमातरिग३कानिमे घनिमिषोकालप्रभेदे क्षिनिमीलनापरुष कर्बुरेरुक्षेनिट्र || रोक्तीचवाच्यवत॥३९॥प्रदोषःसमयेदोषेप्रत्यूषोहर्मुखेवसोमlll पीयूषंसप्तदिवसावधिक्षीरंतथा मृते॥४॥पुरुषःपूरुषेसी ख्याचपुन्नागपादपेयोरुषं पुरुषस्यस्याझावेकर्मणिनेजसि ||॥४॥अर्ध्वविस्तृतदो पाणिनुमानेवभिधेयवत्पमहिषीरुता॥ भिषेकासरिभ्योरोषधीभिदि॥४॥मारीषःशाक भिवार्येना ट्योक्त्यापुंसियोषितिदक्षांबायांमृगाक्षीतुविशालामृगनेत्र योः॥४३॥रक्ताक्षःकासरेङ्करपारावतचकोरयोगरौहिषंक तणेक्लीबंसिस्यारिणांतरे॥४ाविश्लेषोविधुरेयोगेशुश्रू पास्यादुपासनाकथनेपोतुमिछायाँशैलूपोनरविल्लयोःnil || संघर्ष स्तुपुमान एटोस्पर्धायांचप्रभेजने॥समीक्षात| - - - - -- - - -- P r ation For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेरिनीकोश:१२१ स्त्रियांतत्वेबुगवपिनिभालने॥४६॥ पचतः॥ अनुकर पौरथावस्थदारुण्यप्यवकर्षणे|अंबरीषं रणेभ्राष्ट्रलीबंपु सिनृपांतरे॥४॥नरकस्यप्रभेदेचकिशोरेभास्करेपिचाआम्रा तके नुतापेचानिमिषोमत्स्यदेवयोः॥४८॥अनतर्षःसुरापा नपात्रेतष्णाऽभिलाषयोःअहिहिङरुडेशमयूरेनकुलेषु मान॥४९॥अलंबुषःप्रहस्तेचछनेराक्षसांतरेगअलंबुषातु मुंडीर्यास्वर्गवारांगनांतरे॥५०॥अथपिस्खोलोकभेदकर न्नरयोःपुमान् देववक्षःसप्तपणेमंदारादिषगुग्गुलौ॥५१|| नदिघोषोर्जुनस्थेघोषवंदिजनस्यच॥परिवेषस्तुपुलिंग-परिधौ। रिवेषणे॥५२॥परिघोषोनिनादेस्यादवाच्येजलदक्षनौ॥प| लंकषागोसुरकेरास्नागुग्गुलुकिंयुके॥५३॥मुंडीरीलासयो श्वस्त्रीराक्षसतुपलंकषः॥वीरवक्षस्तुभल्लातककुभद्रुमयो। पुमान्॥५४॥भूतवृक्षस्तुशाखोटद्मेशोनाकपादपेगमहा|| घोषातुकर्कटग्याप्स्यतिघोषणे॥५५॥कीबंदट्टेराजरक्षः सुवर्णालिपियालयोःगवानरूषस्तुवातूलोत्कटयोशकाम के॥५६॥ विशालाक्षोहरेताश्येनासुनेत्रभिधेयवत्सक टासोवराक्षेनाकटाक्षसहितेत्रिषु॥५॥इतिषांतवर्गः // सहिःसोस्नीतेजसद्रव्येकांस्यमानेसुरेतुनाशकासूर्वि) कलवाचिस्यात्तथाशत्त्यायुधेस्त्रियाम्॥एलः स्यात्तब केस्तबेहारभिटुंथिपर्णयोः॥गोसोवोलोषसोश्वास इक्षुपक्षि भिदोःपुमान॥२॥त्रासोभयेमणेपेदासी बाणाभुजिष्ययोः।। पदासोभृत्येचभूद्रेचज्ञातात्मनिधीवरे॥३॥नासा तुनासि कायांचहारोज़दारुणिस्त्रियाम्॥प्रस्तू बाजनन्योश्चकंद लीवीरुधोःस्त्रियांवरून देवभेदाग्निभायोबकरा॥ जसुगीबेरहौषधेश्वेचरत्नमधुरैत्रिषु॥५॥भासः सिप्रभायास्याद्विशेषविहगस्पच॥भा:प्रमामयूरवलीमा / - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः१२२ - -- mar- - - - - - - चंद्रमासयोःपुमान्दामांसं स्यादाभिषेकीबंककोलीजटयोः॥ स्त्रियाम्॥मिसि-स्त्रीमधुरामांस्योःशतपुष्पाजमोदयोः॥७॥ मृत्माकाक्ष्यांश्रेष्ठमृदिरसोगंधरसेजलेगशृंगारादौविषयीये तिक्तादौद्रवरागयोः॥८॥देहधातुप्रभेदेचपारदस्वादयोपुमान स्त्रियांतरसनापाठाशल्लकीकंगभूमिपुरातारासाकोलाहा लेध्यानभाषाशृंखलकैपिचाक्रीडाभेदेचगोपानांवत्तापुत्रार दिवर्षयोः॥१०॥तर्णकेनोरसिक्कीबंव्योसोनाविस्ततेमुनौ॥॥ शंसावचसिवाछायांहंसस्यान्मानसोकसिनिलीभद्रप विम्बर्केपरमात्मनिमत्सरे।योगिभेदेमंत्रभेदेशरीरमरुदंत // २॥१॥तरंगमाभेटेपिहिंसाचौर्यादिधातयोः॥सत्रिः॥अलमा // हंसपद्यानांपादोगद्रभेट्योः॥१३॥क्रियामदेत्रिवथाचिम) यूवशिरवयोननागभदःपरास्मिन्नत्रस्यादभ्यासोऽभ्यसनेति के॥१४॥आगोऽपराधेयापेस्यादाश्वास-पुसिनितौआख्या यिकापरिछेदेचाशीर्दै तेमरुङ्गजा॥१५॥हितस्यार्शसनेस्त्री स्थादिष्वास कार्मुकेपुमान्ात्रिषुस्यारक्षेपकेचेषोरुच्छास:il णनेपिच॥१६॥आख्यायिकापरिछेदेप्याश्वासेपिपुमान्यम् उत्तंसःकर्णपूरेपिशिविरेपिचनस्त्रियाम्॥१॥उषःप्रसू घसिङ्गीबंपितपस्वांचयोषितिगउरो क्षसिचश्रेष्ठप्यनःपा पापराधयोः॥१८॥ओजोदीप्ताववष्टभेप्रकाशबलयोरपि। ओकआअयमात्रेचमंदिरेचनपंसकं॥१९॥कीकस कमिजा तौस्यात्युसिकुल्येनपुंसक।चमसोयनपात्रस्यभेदेस्लीपि के रिलयारवादःपद्येचवेदेवस्वैराचाराभिलाषयोः ज्या योर तिप्रशस्तेन्योतिरग्नोदिवाकरे॥२१॥पुमान्नपुंसक दष्टौस्यानक्षत्रप्रकाशयोतिरोबलेचरोगेचतपोलोकांतरे। पिच॥२२॥चांद्रायणादोधर्मेचपुमान् शिशिरमाघयोःगतमा ध्वांतेराणेशोकेकीबंबालाविधुतुदे॥२३॥तामसी निशिद। - momen e - - - maaptem - m mymara artinme- manawwar R namerierweennermomenwaraurmere - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः१२३ - - - - - - - - D ईयांतामसोभनगेखलातेजोदीप्तोप्रभावेचस्यासराक्रमरेत सोः॥२४॥धनुःपियालेनानस्त्रीराशिभेदेशगसने।धनुर्धरत्रिषु नभालीबव्योन्निपुमान्यनेग२५॥घाणप्रावणवर्षासुबिसतंतोष तहह।पनसःकंटकिफलेकंटकेवानरांतरेगरास्त्रियांरोग प्रमेटेस्यात्पयःस्यात्क्षीरनीरयोगपायस स्तुकीवपुंसोःश्रीया सपरमानयोः॥२७॥षकसीकलिकानील्योःपुक्कसःपपचे धमेवीभत्सो नार्जुनेक्रूरघृणात्मविकतोत्रिपुराभूया स्त्रिषुबहुतरेपुनरर्थेवदोऽव्ययंगमन श्चितेमनीषायामह उत्सवतेजसोः॥२९॥मानसंसरसिस्वांतेरभसोहर्षवेगयोः रह स्तत्वेरतेगोरजःकीबंगुणांतरे॥३०॥आतर्वेचपरागेच रेणुमात्रेचदृश्यतेगराक्षसोयातुधानेस्याचंडायाराक्षसीस्मृता ॥३१॥रेपाः स्यादधमेक्रूरेकृपणेप्यभिधेयवतारेतःशुकेपार| देचरोदश्वरोदसीतिच॥३॥दिविभूमौपृथक्कस्यात्सहोत्तयां प्यतयोस्तथागलालसोत्सुक्यतामातिरेकयानासुचयोः।। ॥३॥वयःपक्षिणिबाल्यादीयौवनेचनपुंसकंगवानपुंसकं|| रूपविष्ठायामपितेजसि॥३४॥'सिचंद्रस्यतनयेबर्हिःपुंसिहता शनिस्त्रीहशवपालीबंतनौशस्तारुतावपिशावतंसर स्तुपुमान्कर्णपूरशेखरपोरपि॥वाहसोजलनिर्याणेशयालोसुनि पिण्णकेवायसोरारुतसेच श्रीपासध्वांसयोपुमानकाला कादंबरिकाांचकाकमाच्यांचवायसी॥३७॥विहानात्मविदि। प्रादेपंडितेचाभिधेयवत्॥विलासोहावभेदेस्याल्लीलायामपि। स्थानितंसोबंधनोपायमृगाणांपक्षिणामपिातेषामः॥ पिचविश्वासदेतोप्रावरणेपिच॥३हावेधापंसिहषीकेशेबुधे चपरमेष्ठिनिमशिरःप्रधानसेनाग्रेशिखरेमस्तकेपिचाश्री पवासोवृकधूपेपिपंकजेमधुसूदन। यो मुक्तीशुभेधर्मेतिष शस्तेचवाच्यवत्॥४ाप्रेयसीकरिपिप्पल्यामभयपाठयोप - - 3 -- For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः१२४ Re ने॥४३ सालदर्भपिच॥३४॥ोती लुबेर % 3D % - . सहो बलेज्योतिषिचसिहेमंतमार्गयोः॥४॥सरसी विश्वका सारेसरोनीरतडागयोगस्यात्समास स्तुपुल्लिंग:संक्षेपेचसम र्थने॥४३॥सारस-पक्षिभेदेंहो:क्लीबंतुसरसीरहेगसाहसंतुन लात्कारकृतकार्यदमेपिच॥४४ासुरस स्तत्रिषुस्वादोपणाशी तुनपुंसकास्त्रीरास्नाना गमात्रोवोतो बुवेगइंद्रिये॥४५॥ह विहीतल्यमात्रेचसर्पिष्यपिनपुंसकंगसचतुः॥अधिवासोनि||| नासेस्यासंस्कारेधूपनादिभिः।।४६॥अवध्वंसःपरित्यागेनिंदने प्यवचूर्णने।अवतसोनस्त्रियांस्यात्कर्णपूरेचशेखरे॥४७॥ गोका पुसिशरभेपक्षिपंचास्ययोरपि॥उचिरुपमेवाच्यलिंग मिहताशने॥४८॥ कलहंसस्तुकादबेराजहंसेनृपोत्तमेगकनी| यानतियूनिस्यादत्यल्पानुजेयोस्त्रिषु॥४ाकुंभीनसाकूरस स्त्रियालवणमातरि॥भवेदनरसःसांद्रेनिर्यासेमोरटेबुनिया ॥५०॥कर्पूरेपीलुपण्याचसम्यसिद्धरसेपिच॥चंद्रहासोदश ग्रीवकरवाले सिमात्रके॥५१॥जटायुःपुंसिसंपाते कनीयसि चगुग्गुली।अथतामरसंप ताम्रकांचनयोरपि॥५२॥त्रिस्त्रो॥ ताजन्हकन्यायास्त्रोतस्वत्यंतरेस्त्रियांगदिवोकाचदिवौकाश्च| पुसिदेवेचचातके॥३॥दीर्घायुःशाल्मलीरशवायसे जीवकटु / / मेगमार्कडेयेचपुंसिस्याच्चिरजीविनिवाच्यवत्॥५४ानगीका पुसिशरभेपक्षिपंचास्ययोरपिणनिःश्रेयसंतुकल्याणमोक्षयोः शंकरपुमानापानीलांजसामरोभेदेसरि देविद्युति।। चता पाशिनिमुनौनाप्रष्टहदित्रिषु॥५६॥ पुनर्वसुर्नामुनिभि द्यजेहिलेतुभांतरे। पौर्णमासःपुमान्यज्ञेभेटेस्लीपूर्णिमातियो / ॥५॥महारसःस्यात्वरेकोशकारकशेरुणो:।मलीमसस्तु मलिनेपुष्षकाशीसलोहयोः॥५॥भवेन्मधुरसादाक्षामूर्षिका दुन्धिकासुच॥यमस्वसातुदर्गायांयमुनायामपिस्त्रियांवर यवीयाननुजेपिस्यादतियूनिचवाच्यवनगरसेरसस्तगोश्यों - 3D - - - - 3 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः१२५ - 3DDED - %3D -- -- - - - - स्याद्रासश्रृंगारयोरपि।दारससिरिसावासषष्ठीमागरकेपि चराजसस्तकादंबेकलहंसेनृपोत्तमेहावरीयान्योग भिच्छेष्टवरिष्ष्वतियूनिचाविहायाःशकुनेसिगगनेपुन्न सके॥६॥विभावसःपुमान्सूर्यहारभेट्चपावकेश्व:श्रेय संचकल्याणेपरमात्मनिशर्मणि।६३॥अथसर्जरसोवाघभी। डभेदेवधूणके।सप्तार्चिःपावके सिक्रूरचसुषिचत्रिषु॥६४|| साधीयानतिवास्यादतिसाधौचवाच्यवतसिसोरसेपुं सिधातुप्रभृतिषुत्रिषु॥६॥सुमनाःपुष्यमालत्यो स्त्रियोनाधी रदेवयोः। सुमेधास्तुस्त्रियोज्योतिष्मत्यात्रिषुसुबुद्धिनि॥६६॥सप|| च॥दिव्यचक्षुःसुगंधस्यभेदेनांधेसुलोचनास्यान्नमश्चमसन|| ट्रचित्रापूपेंद्रजालयोः॥६॥हिंगुनिर्यासत्येषनिबेहिंगुरसेपिच सषद॥हिरण्यरेता पुसिस्याद्दिनाकरहविर्भुजोः॥६६॥इति / सातवाहैकम्॥ह-शिवेसलिलेशून्येधारणेमंगलेपिच॥ गगनेनकुलीशेचरतेनाकेचवर्ण्यते॥१॥हरिः॥अहिरीत्रासुरेस पिपुंसीहोद्यमाच्छयोः।कुहूस्लीकोकिलालापेनटेंटुकलदर्शयो॥२॥ग्रहानुग्रहनिबंधग्रहणेपुरणोधमासूर्यादापतनादोक्सैहिकेयोपरा गयोः॥३॥ग्राहो हेवहारेचगुदःपाण्मातुरेगुहा॥सिंहाच्या |चगर्नेचपर्वतादेश्वगव्हागृहंगृहानभूम्निकलनेपिचस|| मनिनादस्तुबंधनेकूटेपोहोगजाघ्रिपर्वणोः॥वाच्यवन्निया पुणेतब पिच्छदले स्त्रियांबदस्याच्या दिसल्यासुविपु॥ लेप्यभिधेयवत्॥६॥मदीनद्यंतरेभूमामहउत्सवतेजसो | थमोहोन्यलिंगस्मादविद्यायांचमूलन।कालो होऽस्त्रीशस्त्र कलौहोगकेसर्वतैजसेवितस्यादृषभस्कंधेवाहेगंधबहेपिच // नादोभुजेपुमानमानभेदाश्चषवायुपुत्रीहिःसामान्यधा|| न्येस्पादायुधान्येतुपस्ययाला व्यूह स्याहलविन्यासेनिर्मा ॥णदतर्कयो:महोबलेनस्त्रियास्यास्त्रियांतुनखभेषने 10 - dammam Com m en-minimum For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - - - - - - - - - - - - मेदिनीकोशः१२६ दिंडोत्सलामुगपर्णीकुमारीपृथिवीषुचासिंह कंठीरवेराशौसत्त मिचोत्तरस्थितः॥१॥सिंहीतुकेटकार्यास्याहार्ताकौवासकेपि च॥स्नेहास्यात्युसितैलादिरसट्रव्येचसौहृदे॥१२॥ हरिः॥ त्यूहोनीलिकायांत्रीकालकंठखगेपुमान्॥आग्रहानुग्रहा सत्यौराक्रमेग्रहणेपिच॥१३॥ आरोहस्त्ववरोहेचवरारोहा कटाबपिआरोहणेगनारोहेदीर्घत्वेचसमुच्छ्रये॥४गउत्सा हस्तूद्यमेसूत्रेकटाहाकूर्मकर्परेगद्दीपस्यचप्रभेदेस्यात्तैलादेः पाकभाजने॥१५॥जायमानविषाणाग्रमहिषीशावकेपिचाका लहंयुद्धकालेनाखड़कोशेचमंडने॥१६॥दात्यूहेस्तुपुमान कालकेठचातकपक्षिणोः॥निग्रहो भर्त्सनेपिस्यान्मर्यादायों चबंधने॥१७॥नियूहःशिरवरेगनिर्यासेनागदंतिके निरू, होवस्तिभेदेस्यादहशून्येचनिश्चिते॥१८॥पयाहस्तुतुलासू रिषादिप्रग्रहेपिच पटहोनासमारंभेआनकेसन्नसके| ॥६॥प्रवह स्तुबहिर्यात्रामातरिश्वप्रभेदयोः॥ प्रग्रह स्तु|| तुलासूत्रेबंद्यांनियमनेभुजे॥२०॥हयादिरमौरश्मोचसुवर्णा लमहीरुहे।प्रवाहस्तुपरत्तौस्यादपिस्नोतसिवारिणः॥२१॥व गहमकरविष्णोमानभेदे दिमुस्तयोः॥वागहीमातृभेदेस्यादि वक्सेनधियोषधौ॥२२॥राजाईजोंगकेकीबंराजयोग्य भिधे यवताविग्रहःकायविस्तारेविभागतारणस्त्रियां॥२३॥विदे दःकायशून्यस्याननकान्वयभूमिपावदेहीरोचनासीतावणि कस्त्रीपिप्पलीसुच॥२४॥संग्रहोरहदेंगेग्रहसंक्षेपयोरपि। सुबहा शल्लक्यलापर्णीगोधापदीषवीणायाम्॥२॥रास्ता शेफालिकयोस्त्रीसुखबाहोन्यलिंगस्यात्॥हचतुः॥अव ग्रहोवृष्टिरोधेप्रतिबंधेगजालिकेर।अभिग्रहो भिग्रहणे उभियोगेपिचगौरवगअवरोहोवतरणेप्यारोहचलतोदमेग २॥अश्वारोहाऽश्वगंधायोस्त्रियांत्रिचन्यवाहको उपनाहो % 3A For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनी कोशः१२५ - % 3 AM- mamalinm - En e - - 1 nseminamainanimal - da 33 omoppedia / - व्रणालेपपिडेवीणानिबंधने॥२६॥उपग्रहःपुमानवंद्यामुप योगेनुकूलनेस्याहंधवाहानासायांपुल्लिंगोमातरिनिता ||॥२९॥तनूरुहंतुलोम्निस्यात्सतत्रेचनपुंसकतमोपत सह स्त्रांशुमगांकाजिनवन्हिषु॥३॥प्रतिग्रहःस्वीकरणेमैन्य। ठेपतदहे।हिजेभ्योविधिवद्देयेतहदेचग्रहांतरे॥३१॥परिग्रः हः परिजनेपल्यास्वीकारमूलयोः शापेपरिबों राजयोग्य द्रव्यपरिषदे॥३२॥परीवाहोजलोच्छासेमहीभृद्योग्यवस्तु |निपितामहाविरिंचौस्यात्तातस्यजनकेपिच॥३३॥महासहा || माषपर्णामम्लाने पिचयोधितिराहपंच॥प्रपितामहईसेवे॥ वेधौपिपितामहे॥३४॥इतिहांतवर्गः॥अथाऽव्ययानिव क्ष्यंतेव्यक्तंपूर्वोदितैःक्रमैः अकाराद्यतताचास्मिंस्तस्मादप्य तिरिच्यते॥१॥अशब्दःस्यादभावेपिस्वल्पार्थप्रतिषेधयोll नुकंपायांचतथावासुदेवेवनव्ययः॥२॥ आःप्रगद्यस्मृतीया क्येनुकंपायांसमुच्चयाइभेदेचरुषोतीचापाकरणानुकंपयोः आईविषादेनुकंपापांलक्षयोपुनरनव्ययो।उसंबोधनरोधात्यो।। रनुकंपानियोगयोः॥४॥पदपूरणेचपादपूरणेऽपिचदृश्यते। वाक्यारंभरक्षानुकंपास्वपिचदृश्यते॥५॥शब्दोगणेवा क्येदेवोबायांत्वनन्ययंत्रवाक्यारंभरक्षायोवक्षःस्मृत्यो। रनव्यय॥६॥देवांबायांदनौचापिभैरवेटनुजेगतौलकारोदे|| वमातायाभुविधेचकीर्तितः॥७॥लकारोदेवनार्यस्यान्नायो। त्मन्यपिमातरिशस्मृतावप्यसूयानुकंपामंत्रिणहतिषु॥ शब्दोदृश्यतेहतौरभूत्यामंत्रणयोरपि॥ओसंबोधेनआव्हा नम्मरणेचानुकंपनेसाऔशब्दकथितोहूतौतथासंबोधन पिचालीतुविश्वंभरायांस्यात्युमास्तुनिस्वनेस्मृतः॥१०॥कैन। कपापेचेपदर्थेचकुत्तायांचनिवारणे॥ कहिः॥ धिभर्स|| नेचनिदाय॥ कत्रिः॥ मनागप्पल मंदयोः॥११॥हिरुकूश || - - D % - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -- - - - - - - मेदिनीकोश:१२८ ब्दोविनार्थेचमध्यापिचदृश्यते।गहिः॥अङ्कसंबोधनेहर्षेस गमासूययोरपि॥१२॥डहिः॥ आइ.सीमायामभिव्याप्तीक्रिया योगेष्टर्थयोः॥चैक। चान्ताच येसमाहारेप्यन्योन्यार्थसमुच्च ये॥१३॥पक्षांतरेतथापादपूरणेप्यवधारणे॥चतिः॥किचार भेचसाकल्पेषापूर्वस्मिन्नवांतरे॥१४॥अग्रेप्रभाततीतेचदेश दिकालयोरपि।चत्रिः॥तिर्यकतिरोर्थक्केचविहंगादौत्व गव्ययं॥१५॥ ननुचप्रश्नदुष्टोक्त्योःसम्यकप्रशंसयोनि दिनजभावनिषेधेचस्वरूपार्थेव्यतिक्रम॥१६॥ईषदर्थेचसा| दृश्येतहिरुड्तदन्ययोः। ठविः॥सुष्ठप्रशंसनेपिस्यादत्यर्थे चनिगद्यते॥१७॥ठत्रिःअपठनिश्वद्येचशोभनार्थेचदृश्यते ॥णचतुः॥अंतरेणपदेविद्यानामध्यार्थयोरपि॥८॥तैक तुपादपूरणेभेदेसमुसयेवधारणे॥पक्षातरेनियोगेचप्रशंसायां विनिग्रहालातद्विः॥अतिशब्दाप्रशंसायांप्रकर्षलंघनेपि चानितोतासंप्रतिक्षेपवाचकोप्येषदर्शितः॥२०॥ अस्तुस्या दभ्यनुज्ञानेऽप्यसूयापीडयोरपिाप्रतिक्षेपेप्रशंसायांप्रकल क्षणेपिच॥२१॥असंप्रत्यर्थउदिष्टमिनिहेतीप्रकाशने निदर्श नप्रकारेस्यात्तरसत्यनुकर्षयोः ॥२२॥समाप्तौचप्रकरणोप्युता त्यर्थविकल्पयोः।समुच्चयेवितकेचप्रभेचपदपूरणे॥२३॥ उत्स्यात्पनेवितर्कवचेत्कृमितप्रशंसयोः।पक्षातरेप्यसाक|| ल्पेजातुशब्देविगर्हणे॥२४॥कदाचिदर्थेपितथान्येविक // ल्पनिषेधयोः॥प्रतिप्रतिनिधाविस्थभूतारख्यानाभिमुख्य यो ॥२५॥मात्रार्थभागवीसासुलक्षणप्रतिदानयोः।बतामंत्रण संतोषखेदानुकोशविस्मयेरास्वस्तिस्यान्मंगलेपुण्येया॥ शंसायामपिक्वचितस्विनवेचवित:चतथैवपदपूरणे॥२७॥ हतवाक्यारंभखेदविषादहर्षसंभ्रमे। तत्रिः॥ आरोहरेसमी पेचकचिकामघवेदने॥२८॥प्रश्नहर्षे मंगलेचकिमुत्तश्चेवि - -ormal maanamannadaaemawwwmam m eendee common For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:१२९ -- - - - -- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -- - - - - - - %3 तर्कयोः॥विकल्पेतिशयेपिस्यात्तावन्मानेवधारणे॥२९॥संभ्र। मेचपरि देतथाकााधिकारयोः पश्यतस्याप्रशंसायोनि स्मयेचनिगद्यते॥३०॥पश्वात्प्रतीच्या परमेष्यधिकारेपिदृश्य ते।यहतप्रश्नेवित:चयावतकाकार्यवधारणे॥३१॥प्रशंसा योपरिछेदैमानाधिकारसंभ्रमपक्षातरेचाश्चतस्यानात्मप्रच मंगले ३२.पुराकल्पेसदार्थचयनरथैचरश्य तमिलतसहकनारेस्या तसाक्षात्प्रत्यक्षतुल्ययोः // 33 // तचतुः॥अहोबंतानुकंपायो खेदेसंबोधनेपिच॥पुरस्तातप्रथमेशच्यामयतोर्थपुरार्थयोः |॥३४॥थतिः॥अथाथोसंशयस्यातामधिकारेचमंगले।वि कल्यानंतरप्रश्नकालन्यारंभसमुच्चये॥३॥तथाभ्युपगमेष्ट प्रतिवाक्येसमुच्चयासदृशेनिश्चपिस्याद्यथातुल्यार्थभान योः॥३६॥प्रशंसायांथावंध्ये निष्कारणे॥थात्र त्यापुनः वितथेचापरायचसर्वथाहेतुबादयोः॥३०॥ दद्धिः। उत्धकाill शेविभागेचप्राबल्या स्वास्थ्यशक्ति प्राधान्येबंधने भाषेमो क्षेलाभोर्व कर्मणोः॥३॥यत्गहहत्त्ववधुत्वोटिगह वि // कल्पयोः॥धतिः॥अधिस्यादधिकारेचापीशरेचनिगद्यते // 30 // नैकम्॥नस्यानिषेधोपमयोर्निनिवेशभूशर्थयोः॥ नित्यार्थसशयक्षेपकौशलोपरमेसुच॥॥सामीप्याश्रयदा नेषुमोक्षांतर्भावबंधने।राश्ययोभावनिन्यासेनुवितापमा नयोः॥४॥विकल्पानुनयातीतेप्रमहेत्वपदेशमा नदी अनुहीनेसहार्थेचपश्वासादृश्ययोरपि। लक्षणेस्थंभूता। रिल्यानभागवीप्सास्वनुक्रमे।आयामेचसमीपेचकिनुप्रश्न वितर्कयो॥४३॥चनविस्मयेसाकोननशब्दोविनियो l नुपरस्ताधिकारेचसंभ्रमे॥४॥आमंत्रणेप्यनुनयेत्र भानुज्ञावधारणे॥नानाशब्दोविनापितथानेकोभयार्थयोः॥॥ ॥४॥स्थानेतुकरणार्थस्यायुक्तसादृश्ययोरपियहि अपll % 3D - indamamal mmenu m an - me II - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - % 3D - - - मेदिनीकोशः१३० स्यादपरुष्टार्थेवर्जनार्थवियोगयोः॥४६॥विपर्ययेचविकृतीचौ ये निर्देशहर्षयोः॥अपिसभावनाप्रश्नशंकागर्दासमुच्चये तथा युक्तपदार्थेपिकामकारक्रियासुचाउपस्यादधिकार्थच हीनार्थासन्नयोरपि॥४८॥भद्धिः ॥अभीयंभूतकथनेचाभि|| मुख्याभिलावयोः।मैक।मावारणेविकल्पचरमातीतेपादपूर|| णास्यान्मंगलेपररुता ।महिः॥ वमोतिकसहार्थयोः आमज्ञाननिश्चयेस्मृत्योरुमरोगीकृतावपि५॥प्रोपिस्या दमरुषाक्तीपृछायामोमपक्रमे।प्रणवेचाप्युपगमेचापाहतो॥ चमंगले॥५१॥कम्पादपूरणेतोयेमस्तकेचसुखेऽपिचाकिम् // कुत्सायांवितर्केचनिषेधप्रश्नयोरपि।किमुसंभावनायो॥ स्यातविमर्शचापिदृश्यते॥नामकोपेभ्युपगमेविस्मयेस्मरणे पिच॥५३॥संभाव्यकुत्साप्राकाश्यविकल्पेपिचदश्यते।शम्। कल्याणेसुखेसमतुशोभनार्थसमर्थयोः ॥५४॥संगार्थेचत्र हृष्टार्थसामिनिंदार्धयोर्मतंगदम् रुषोक्तावनुनयेहमस्मृता वयपाकृतौ॥५॥अर्थप्रश्नेऽभ्यनुज्ञायांदम् स्यात्रभरि तर्कयो।मत्रिः॥अलम्भूषणपर्याप्तिवारणेषुनिरर्थके।५|| शक्तावेवमप्रकारेस्मादंगीकारेवधारणे॥अर्थप्रश्नपरकताव पमापुच्छयोरपि॥५॥कथमहर्षचगर्हायोप्रकारार्थचसंभ्र मापनेसंभावनायोचकाममचानुमतौस्मृतं॥५॥प्रवाशे॥ चाप्यसूयायांतथानुगमनेपिचाजोषमसुखेप्रशंसायांतूष्णी|| लंघनयोरपि॥रानूनम्तुनिवितेतर्केरभरणेवास्यपूरण। परमनियोगेक्षेपेचप्राध्वमूनर्मानुकूलयोः॥६॥सत्यम् // श्वेऽभ्युपगमे।मचतुः॥विश्यमनिस्यप्रयत्नयोः।अभीर क्ष्णम्मुहरातेशीघ्रप्रकर्षयारमि॥६॥इदानीम्वाक्यमा पायांसप्रत्यचदृश्यतातहिनम्दिनमध्येस्पोतथैवेतिया ॥सरेगासांमतंचाधुनार्येस्मोचितार्थेवरश्यते। यद्धिमान - - - - - - - - -- - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:१३१ - - - - - यिप्रश्नानुनय योस्तथासंबोधनेपिच॥३॥जयेक्रोधविषा|| देचसंभ्रमेस्मरणेपिचादिश्याहर्षेमंगलेचपश्यशन्दस्तुविस्मा याप्रशंसायामपितथा।यत्रिः॥समयोतिकमध्ययोः। रेकम्॥प्रकर्षगताद्यर्थे ।रलिलाप्य रेप्रारूत्यसूययोग६५ उरीचाप्युभौशन्दोविस्तारेंगीतावपि॥दर्निषेधेच्दष्टेचनि निर्णयनिषेधयोग६६परिस्यात्सर्वतोभाववर्जनेव्याधिशेष || योः॥इत्यंभूतारल्यानभागवीसालिंगनलक्षणे॥शादोषारल्या नेनिरसनेपूजान्यात्योश्वभूषणे॥पराविमोक्षप्राधान्यप्रातिलान्ये धर्षण॥आभिमुख्यभृशार्थेचविक्रमेचगतोषधेशपु॥ राणेनिकटेप्रबंधातीतभाविपुगास्वनेत्यज्योम्निनाकेचागर॥ त्रिः॥प्यतःस्वीकारमध्ययोः॥अंतरापिविनार्थस्यान्मध्या| निकदार्थयोः॥७॥उरर्यरर्य्यररीचविस्तारेंगीकृतोत्रयान|| किनिषेधोपमयोःप्रादुरपाकाश्यइष्यते॥७॥संभाव्येचप्ररत्तो। चपुनरत्रथमेमतम्॥अधिकारेचभेदेचतथापक्षातरेपिच॥७२॥|| लहिः॥किलशब्दस्तुवार्तायांसंभाव्यानुशयार्थयोः खलुर स्याहाक्यभूषायांजिज्ञासायांचसांत्वने॥७३॥वीसामाननिषे धेषुपूरणेपदवाक्ययोः वैकमावास्याद्विकल्पोपमयोर्वित पादपूरणे॥७॥समुच्चयेचविश्रभेनानार्थातीतयोरपिशवि निग्रहेनियोगेचतथैवपदपूरणे॥७॥निश्वयेसहनेहेतावव्याप्ति विनियोगयोः।इषदर्थपरिभवेयुद्धावलंबनेपिच॥७६॥ विज्ञाने वहिः॥ थेवचोपम्येनियोगेवाक्यपूरणे॥अवधारणेचचारनि योगेचविनिग्रहे॥७॥षतिः॥ उषारात्रौतदंतेचदोषारात्रीच|| तन्मुखे।मेसशीप्रेभूशार्थेनापत्रिः॥निकषांतिकमध्ययोः। ७८॥सैकमासपूजायांभूशार्थानुमतिकसमृद्धिषु।सद्धिः। आरमारणेपाकरणकोपसंतापयोरपि॥७९॥ईदखभावनेको पेनिनिबंधेचनिश्यासाकल्यातीतयो स्तुसंबोधनविषादयो / - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोश:१३२ - - -- - - - - ॥५०॥सत्रिः॥अंजसाशब्दआरज्यातस्तत्वपूर्णार्थ योरपि॥ तिरोत तिर्यगर्थे नीचैःस्वैराल्पयोर्मतीपुरोग्रेप्रथ मेभूयोऽधिकारेचपुनःयुनःमियोरन्योन्यरहोथैचशनैःस्वैरेश नैश्चरे॥५२॥सचतुः॥अभितःशीघ्रमाकल्पसमुरबोभयतो / तिके अग्रतःप्रथमेनागेपुरतःप्रथमाग्रयोः॥३॥पूर्वेद्यःप्रा त:कालेस्यात्तथेवगतवासरेगहैकमावस्यासंबोधनपादन रिपोचविनिग्रहे 84 नियोगेनक्षिपायोस्यात्कुत्मायामपितृश्यते हाविषादेवशाकेचकुत्सादावार्थ योरपि॥॥हिपादपूरणेदे // तीविशेषेववधारणामहेत्वपदेशेचसंभ्रमासूययोरपि८६||| ही दुःखहेताचारख्याताविषादेविस्मयेपिचा देसंगेधनआव्हाने, प्यसूयाचश्यते॥दिसंबोधनआन्हानहोही शब्दातथे / तयोः॥हडिअहप्रशंसाक्षिपयोर्नियोगेचविनिग्रहे।८८॥अहो धिगर्थशाकचकरणार्थविषादयोः संबोधनेप्रशंसायांविस्मयेप दपूरणे॥८॥असूयायोवितर्कस्यादाहक्षेपनियोगयोः॥आहोत्र || विचारेचसहसाकल्यष्यतेगाविद्यमानेचसादृश्ये योगपद्यसम्रा हिषासंबंधचत थाहीहीशब्दोविस्मयहास्ययोः हेहेसंबोधने तौहोहौशब्दस्तथैतयोदितिअहहेत्सद्धतेवरेपरिक्कशप्रकर्षयाः संबोधनेऽपिचोताहोपरिप्रश्नविचारयोगतिव्ययानेकार्थवर्गः||| उत्पलिनीशब्दार्णवसंसारावर्तनाममालारल्यानाभागुरिवरसचिशाश्व तोपालितरंतिदेवहरकोषान् 1 अमरशुभांकहलायुधगोवर्धनरभस पालतकोषानारुद्रामरदत्ताजयगंगाधरधरणिकोषावर हारावल्या भिधानंत्रिकाडशेपंचरत्नमालांच॥ अपिबहुदोषविश्वप्रकाशकोषेचा सुविचार्यश्राग्भटमाधववाचस्पतिधर्मव्याडितारपालाख्यानाअपि विश्वरूपविक्रमादित्यलामलिंगानिसुविचार्यकात्यायनवामनचं ट्रगोमिरचितानिलिंगशास्त्राणि पाणिनिपदानुशासनपुराणकाल्या दिकेचसुनिरूप्य ५पद्शतगायाकोशप्रणयनविल्यातकोशलेनाय मे। दिनिकरणाकोशःप्राणकरसूनुनारचितः इतिमेदिनीहलानेकार्थकोशःस० - - - - - munoon - - - - m K ain - IRATRam in For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकासरीकोशः१ mamews R ememinsoommammumawp swam - - - amavasana श्रीगणेशायनमः॥अथएकासरकोशप्रारभ्यते॥अकारोवास देवस्यादाकारस्तुपितामहःपूजायामपिमांगल्येाकारसरि कीर्तितः॥१॥इकारउच्यतेकामोलस्मीरीकारउच्यते।उकारश कस्त्रोक्त उकारश्वापिलक्षणेशारक्षणेचापिकारउकारोत्र मणिस्मृतःकारोदेवमातास्यातऋकारोट्नुनप्रसू॥३॥ लकारोदेवजातीनांमातासनिपकीर्तितालकारहस्मयतेपूर्वन ननीशब्दकोविदैः॥४॥एकारउच्यतेविष्णरैकार:स्यान्महेश्व॥ राओकारस्तुभवेद्रह्माओंकारोग्नंत उच्यते॥॥स्याचप॥ रमब्रह्मास्याच्चैवमहेश्वरःप्रजापतिरुद्दिष्टोकोवाबन लेपुचगई।कश्वात्मनिमयूरेलकाप्रकाशउदाहृतःकंशिरोन|| लमाख्योतकसुखंचप्रकीर्तित॥७॥पृथिव्यांकुसमारख्यातः काशब्देपिप्रकीर्तितः।खमिंद्रियेखमाकाशेवावगैपिप्रकीति॥ तः॥८॥सामान्येचतथाशून्पेखशब्दःपरिकीर्तितः॥गोगणेशः समुदिशगंधर्वोग-प्रकीर्तितः॥॥गंगीतंगाचगाथास्थात्गौ | चधेनु सरस्वती॥घाघंटाथसमाख्यातायोधनश्वप्रकीर्तित ॥१०॥घंटीशेहननेधर्मेधुर्घोणाघूछनावपिडकारोभैरवः॥ ख्यातोडकारोविषयस्सहा॥११॥चचंद्रमासमारल्यातोभाव। रतस्करमतः॥निर्मलंछेसमारख्यातंतरलेल:प्रकीर्तितः॥१२॥ केछ:समरख्यातोविहडिशब्दकोविदः॥जकारोगायनेप्रोक्तो जयनेजःप्रकीर्तितः॥१३॥जेताजश्वपकथितम्यूरिभिःशब्द शासारखीझकारकथितोनष्टेझश्वोच्यतेबुधैः॥१४॥झकारना तथावायोनेपथ्यसमुदाहृतः॥त्रकारोगायनेशतोत्रकारोझझll रिध्वनी॥१५॥ टोधरित्र्याचकरकेटोध्वनौचप्रकीर्तिताठकारों जनतागांस्याठोध्वनौचशठेपिच॥१६॥ठोमहेश-समारल्यात म्वशून्येप्रकीर्तितःारहवनौचठल्योक्तस्तथाचंद्रस्यमंडले॥ डकारशंकरेनासेध्वनौभीमेनिरुच्यताहकारकीर्तिता - recembe - Tweet - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकाक्षरकोशः२ MARomawLan- -- -ranaJapanAame - - % 3D - - - - -- minimumbai ढक्कानिर्गुणनिर्धनमतः॥१८॥णकारस्सूकरेज्ञानेनिश्चयेनिर्णयेपिच |तकारकीर्तितश्चौरेकोरपलेप्रकीर्तितः। शिलोचयेथकारस्याथ्य|| कारोनयरक्षणादकागने कलनेचलेदेदानेचदातगिराधंधनेसधने|| धस्याद्विधातरिमनावपिविषणाधी-समाख्याताधूओवभारवितोः|| शानेतानसमारख्यातस्तरणौनाप्रकीर्तितःानकार सौगतेबुद्धोस्ततौ / वोत्रकीर्तितः॥२॥नशब्दहरलागतेबंधौरक्षेसूर्यचकीर्तितः॥पकुवस्सा |मारल्यात पश्चिमेरप्रकीर्तित-२२॥पवनेप:समारल्यातपस्यात्यानेचा!! मातरिशकोलातेफकारस्यात्तथाझानेप्रकीर्तितः॥२४॥फूत्कारेपिनमः / / प्रोक्तस्तथानिष्णलभाषणाबकारोवरुणोक्त कलशेव फलेपित चक्षस्थलेचक्त्रोक्तोगदायांसमुदाहृतःानक्षत्रेभबुधाःप्राहर्भवनेभा प्रकीर्तितः॥२६॥दीप्तिर्भास्याचभूभूमि र्भयंकथितंबुधैः।मशिवश्चा द्रमावधामालक्ष्मीचप्रकीर्तिता॥शामाचमातरिमानेचबंधनेमालकीl ॥र्तितः।यशोय कथितःप्राजोवायुरितिशब्दितः॥२८॥यानेयातरियर स्त्याकथितःशब्दवेदिभिः॥रश्चरामेनिलेवन्होभूमावपिधनेपिच 2॥येधनरोधेचसर्भयेचप्रकीर्तितःगलोदीप्तौद्यालश्वभूमौम || यचाल्नादनेपिच॥३॥लोवातेलवणेचस्याल्लोदानेचप्रकीर्तितः लाग्लेषेवाशयेचैवपलयेसाधनेपिल॥३१॥मानसेवरुणेचैवल कार:सावनेपिच॥विश्वपक्षीनिगरितोगगनंप्रतिकीर्तित॥३२॥शे सुखशंकरस्य शश्वसीनिनिगद्यतेगशयनेश:समारख्यातोदिसा, यांशोनिगात॥३॥षकीर्तितोबुधैश्रेष्ठेषश्वगंभीरलोचनाउपसगे! परोक्षेचषकारस्परिकीर्तितः॥३४ास कोपेपरणेसास्यात्तथाभूलिनिकी तितासानलक्ष्मीबुबैप्रोक्तागोरीसाचसईश्वरः॥३५महस्कोपेवारणेह तथाभूलीप्रकीर्तिताहिपद्यावरणेप्रोक्तोहिस्यादेवधारणेस सेक्ससिप्रोक्तोवुधसाशब्दशासनासिक्षेत्रेसत्ररक्षेचनसिंहेच प्रकीर्तितः॥३७॥आगमेभ्योभिधानेभ्योधातुभ्यःशब्दशासनान॥॥ एवमेकाक्षरनामाभिधानंक्रियतेमया॥३६॥ इत्येकाक्षरकोशसमान manda RAI / O R - IMAR Pelminemama - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्विरुपकोशः३ - - - - - - - श्रीगणेशायनमः॥प्रबोधमाधातुमशाब्दिकानांपामुपेत्यापि ॥सतंकवीनाम्॥रुतोमयारुपमवाप्यशब्दभेदप्रकाशोऽखिल वाङ्मपार्थः॥१॥विद्यादगारमागारमपगामापगामपि।अराति मारातिमयोअमआमाप्रकीर्तितः॥२॥भवेदमसामअिंकुरों। इकरावचाअंतरिक्षमतरीक्षमगस्योगस्तिरेखचा अटरूप श्वाटरूपोऽवशायोऽपश्यायएवच॥पतिश्यायःप्रतिश्यायोभल्लू || कोमल्लकोऽपिच॥४॥उल्यूकमुल्मुकंशाहुःशंबूकपिशंबुकम्|| जतु कास्याजवूकापिमसूरोमसुरोमतः॥॥वास्तुकंचापि|| वास्तूकेदेवकीदैवकीतिच॥ज्योतिषंज्योतिष वनष्ठीव तथाईगसूत्रामाफ्रिसूत्रामादनूमान्दलमानपिull उषणस्यादूषणंचभवेदपरमूघरम्॥७॥धूरवरचस्मादूरी|| कृतमुरीकतम्॥वाहिकचापिनाल्नीकंगंडीगाडिबंतथा॥ || ॥८॥उषाप्यूषाननन्दाचननान्दानप्रकीर्तिता॥डालोऽपिचचा। डालोवादान्यो पिवदान्यवत्लाहालाहलेहालहलेददन्त्य पिहलाहलम्॥प्रचहालंहहालंचनाहलेचापिचक्षते ॥१॥त्र काणाप्रकणश्वापिश्यामाकाश्यामपिचमहापासहचरस्फाटिकंस्फटिकतथा॥११॥गन्धर्वोऽपिचगांधर्वश्वमरम्वाम रस्तथा।चोर औरश्वटुःश्याटूश्चोलोलवमुश्वमू॥१३॥ श्वञ्चूस्तलस्तालःश्यामलाशवलस्तथा॥धान्याकमपिधन्या कंयुतकेयोतकंतथा॥१३॥कबादंचकपाटंचकविलंकपिलंत थाकखाल करपालोबनीपकबनीपको॥१४॥ पारावतःपा रापतोजरास्याज्जरयासहाजटायुषंजटायुंचविद्यादातथाय पा॥१५॥सायंसायोभवेत्कोशःकोशभूण्डंचधुंडवाभावुकं भविकंचापिमूसलंमुषलंतथा॥१६॥वेशोवेषश्वकथितोसो ऽपिस्याहुषस्तथास्यायनुर्धनुषासाईजरसाचनरांविदुः | सूकरस्यूकरोपिस्यात्सुगालचसृगालवत्॥सूरशूरत्रक - - me For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्विरुपकोशः४ - थित-कलसाकलशोऽपिच॥१८॥सुनासीरस्युनासीरोनाराय गनरायणो।यातुधानोमातुधानोलक्ष्मणोलक्ष्मनोऽपिच श्वस रोस्क्सुरोऽपिस्याच्चारित्र्यंचरितंतपारदंपारतंवासावासकर मिणाक्रिमि॥२०॥त्रिफलात्रिपलाचापिरुशराकिशरापिच॥ll भनेष्टिस्तथाविष्टिःप्रियालास्यात्यियालवत॥२१॥कलाटी| नाकराटीनोवलिशोबडिशोऽपिचासेकराशंकरोऽपिस्यान्मगलो मुगलोऽपिच॥२२॥मगरोमुहरश्वापिमकुटोमुकुटिविहासुकृत सूकृतंचापिचुलुकंचूलुकतथा॥२३॥करजःकरजोपिस्यात्परेतः प्रितउच्यते॥कीरोऽपिचकीर्मिरोहायनंहयनं स्मृतम्॥२४॥शी टीर्यमपिशौण्डीरन्येष्ठेन्यष्टोऽपिदृश्यते।सौदाम्नीचसुदाम्नी॥ चसौदामन्यपिदृश्यते॥२॥जठरोजटरोऽपिस्यानिमेषोऽनिमियोपिच बुकोजकश्वकुसुमेमदनीमलयाद्रुमेार६॥आरग्वधाग्यो / चखुरकसरकावपिरामिपस्मिवसरासरयश्वनिगद्यते॥७॥॥ नीलंगरपिनीलांगुरीश्वरीचेश्वरापिच॥तपिंचमपितांचित्र षंत्रिपुष्तथागरपाहिडिरोऽपिचव्हिडीरस्परशुंपशुनासहावाला कालालिकाचापिदोर्दोषोऽपिभुजाभुजःलाबाह हातपात ष्णासंध्यास्यात्संधिनासहाभगिनीमपिभग्नीचझलरीझिल्ली|| रोविदः॥३०॥वेत्रंचवेतसासाईमेधमादस्तथैन्यसासम्बलनं सम्बरणंतलुनीतरुणीतिच॥शाप्रमदावचनंप्रमदवचनंपरि कीर्तितावहलिकासरलीकावज़वज्ञोशनिस्तथा॥३२॥शिलं मुचशिलींचंचभवेन्मुशिलंतथागवासुदेवोऽपिवासुःस्याह सुदेवोऽपिवासवः॥३॥आशीभाश्या हिदंष्ट्रायांलस्मिलस्मी हरे:प्रियागरुचकौरुषकोप्रोक्तीपरुचूकश्चतादृशः॥३४॥कु मुदंकमुदश्यापियोषितायोषिदिस्यपि॥शरनवेच्छरदयाघार ट्प्रारषयोसह॥३॥नगस्तुनगसासातपत्रतपसासदास हस्तुसहसासाईमहस्तुमहसासह धातमस्ततमसाप्रोक्ता - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हिरूपकोश:५ - los जसापिरजःसम।गानिस्तुजलोकाभिःकथितोअंजलौकसः॥३०॥ दिवंचापिदिवाप्रोक्तंपर्षस्यात्पर्षदासहवर्षा स्युर्वरिषाभिस्तुह || विषहविषस्तथा॥३८॥सर्षपस्यात्सरिषत्कर्षस्याकरिषेण च॥मारियोमार्षइत्युक्तःपरशःपर्शएक्च॥३॥एवमन्येऽपिचाऱ्या| द्यक वर्णाःप्रयोगतः।दक्षिणास्यामवाच्येवप्रायंत्वनशनेविदुः| |॥४॥छेदावभिप्रायवशौकज्जलस्यात्कवातववादस्वादिकर्तिपी डायोधन कोट्यामपीष्यते॥४ाएतीमध्यतवर्गीयौवैदर्यामणि शाइलो।तालव्यमध्योविशदईशब्दोरकारवान्॥४॥यवानीष्य हमध्येश्रावणेमासिमध्यतःशफेखुरंचवर्गीयंपारवसुरपके | ॥४३॥नापितस्योपकरणेकपसंयोगइष्यते॥अन्यधानन्ययरात्रौदो|| पाशब्दप्रचक्षते॥४४॥प्रायोभवेद्यःप्रचुरप्रयोगप्रमाणिकोदाहरे प्रतीतःरूपादिभेदेषुविचारणेषुविचक्षणोनिश्चयतामुपैति In४५॥कचिन्मात्रारुतोभेद क्वचिकतोत्रच॥ क्वचिदर्थान्तरो ल्लेखाच्छब्दानांरुढिताक्कचित्॥४६॥जागर्तियस्यैषमनःसरो जैसएवशब्दार्थविवर्तनेशः॥निजप्रयोगार्पितकामचारपाठप्रयो |गाप्रणशर्गलश्वाहारितोहरितोपिस्यान्मनिपासिविशेषयोः तुवरस्तूबरोऽपिस्याकुबर:कूवरस्तथा॥४८॥उत्तमोनतमो पिस्यादाहतस्यादनाहतम्॥उदारवानदार स्यादुद्ग्रेचानुद ग्रवत्॥४लामहिलायोमहेलापिमहलास्यान्महेलिका॥छेकरः छेकछेकालोविदग्थेलेकिलोपिच॥५॥गुगुलौगग्गुलोपिस्याटिंगलो चापिहिंगुलम्॥मंदिरेमदिरापिस्याङ्कीर्यवीर्यापिकथ्यते॥१॥शु | केप्यकालेचाबालमुदकेस्याइतथा।दुष्टभेदेशतरुषीशताह || निगरते 52 ट्रेकडेकाणाहक्यणाभवन्त्यपिड कॉणवत्॥पत्रंगमपिपत्रा| ड्रेकुदालकुदालबत्॥५३॥मारुषमारिषंशाकेप्रीहालीहागदेषि|| चाफिणाणिस्तथौद्विलकरिण्यांकारिणीतिच॥५४॥धरित्रीश्च तरखीचतरिषातारिषीतथा॥कन्याकुब्नंकान्यकुब्जकोशलोतर कोशला॥५॥वाराणसीरमपित्रोक्तावाणारसौतिचतथागताम||| लितादामलिप्तातुगोप्योतुंगइत्यपि 56 अन्तस्थीयवकारस्त - - - maunescaca - a - ORI For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्विरूपकोश:ई पवनस्यतुकथ्यते तत्रवायस्यवायेपितत्रादित्वंचदश्यते॥५॥ इतिपुरुषोतमदेवकृतःशब्दभेदात्रकाश:सम्पूर्णः ॥शुभमस्तु || answe - ॥श्रीगणेशायनमः॥ अथापरोद्विरूपकोश धारभ्यते भवेदाषाढआसाढोविषुर्वविशुवंतथा।मातुरूस्वसामातष्वसाकषायोक थिताकशा १शवलंसबलेप्रोक्तंकुशलंकुसलंतथागवाशरोवासरोपि!!! स्यावशिष्ठोपिवशिष्ठकः॥२॥मुषलोमुसलाप्रोक्त सूकरोपिचभू|| करः॥भृगालोपिसगालस्स्याच्छावःसावोपिकीर्तितः॥३॥कोषः। कोशाश्शुगदितमस्तुचापिसताम्मतमाशण्टुम्षपदस्तथारख्यात रशाण्डापित्रिविधीमतः॥४॥भूर स्वरेपिचानित्येविष्वाविश्वात्म ताबुधैः॥किशलयं किसलयंचूलुकंचुलुकंतथा॥५॥अलीस्या दलिरप्येववाल्हीकोनाल्हिकोमतःगण्डीवंगाण्डिवंचवपाण्डू रंपाण्डरस्तथा॥ई।पारावतःपारवतःकवाटचकपाटकम।।अन्य। श्चान्तस्सुखेसौष्भनरवंचनखरंतथा॥ब्राह्मीकोब्राझिकश्चैव वालुकावालिकातथागमथुरामधुराप्रोक्ताकफोणि कफणिस्त // था॥॥हारिमपिचप्रोक्तंसर्षिपोपिचसर्षपः॥धूस्तूरोधूस्तुर बमन्तीकापितथान्तिकागजमदग्निर्जामदग्नि कीलिंजश्वकि लिजकाप्रतिकारस्प्रतीकारोविहारादेखिरूपता॥१॥रजन्यवान भूम्यादै रुप्यमपिदृश्यते।अयोगण्डस्तुयोगण्टोऽप्यपिधानंपि धानकम्॥११॥अवतंसोक्तंसोप्यवहितंबदितंतथाआर्ण्याज्य स्तथाप्रोक्तखएनश्वसुरग्रकः॥१२॥यामातापिचजामाताया यामायापिकीर्तितायोपाजोधातथारख्यातास्ववासन्यांववासि नी॥१३॥कङ्गाकगूर्यबागुश्वद्यागुशिहरुदाहृतासुत्रामापि|| - - SAL - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हिरूपकोश:७. M - AD - चसूत्रामाकीलिनीकीलिणीतथा॥१४॥यातीफलंजातिफलंयष्टीमधु | मततथागतनुस्तनूहनश्चैवपरीषत्यरिषत्तथा॥१५॥अभ्रमभ्रमपिः // ख्यातंधवित्रस्थापित्रकम्॥धान्याकमपिधन्याकखड़खड़ायः॥ सम्मतः॥१६॥विरंचिश्वविरंचोपिपरशु-परशूरपिापृषदश्य पृषद श्वोवेष्यावेश्यापिकीर्तिता॥१७॥सुरापाणंसुरापानभुजङ्गोभुजगोम तःतुरस्तुरगवेवकवन्धंचकबन्धकम्॥१८॥अग्रमण्यमपि ख्यातशारःसारोपिकथ्यते॥वन्धुकेवन्धुरंचापिककुदंककुदप्यथा शालुद्याननपुरूद्यानंपुरीपुरमपिस्मृतम्॥जम्बीरोऽपिचजम्मीरों वरुणोवरुणोमतः॥२०॥रात्रिचरोरात्रिचरस्सततंसततंतथानि व्हाजिव्हश्वकथितोजिन्दलोयेनगीयते॥२१॥उक्यमुक्यमपित्रो क्लेमीएंमिष्टमपिस्मृतम्॥विश्रामोविश्रमोवापिपुरुष-पूरुषस्तथा। ॥२२॥उदमुदकंप्रोक्तंकटिस्कटकटीरकोलज्जालज्यापुनप्रो ताप्रततिततिस्तथा॥२३नयनतंचकथितंशय्यायांकथ्यते || शयः॥फलितंफालितंचैवविद्भिःपरिकीर्तितम्॥२४॥गभीरंचा। पिगम्भीरंप्रकाण-प्रवणस्तथाप्रादेशोपिप्रदेशस्स्यात्करजोपि करञ्जक २५ालकुचोलिकुचोवापिहज्जलोदिज्जलोमतः॥अग स्तिस्यादगस्त्योऽपियमदोयमजोमतः॥२६॥वातिलोवातुलोऽपि स्यागतूलम्प्रमतस्तथा।अमिक्षास्यादमीक्षा पितेमस्तेमइतिस्मर तारकाचेटीचंडीलक्षणतोरजल्यातरजेमतामहाख्यानमही मादुश्चिन्त चिन्तनीतथा॥२६॥मासिज्येष्ठतथाजेष्ठःपौष पुष्ये। पिसम्मतः॥अस्लिवानाऽस्लिवानेवाग्वाचादिग्दिशादयः॥ ना|| रिकेलादिपुढेधमाकेलादिवर्जनात्॥डिम्भोडिम्बश्वविख्यातःका वरकूवरस्तथा॥३॥अर्द्रमा धुतंधोतंकटकंकनकंतथा|नारका निरकंचापिकुटीरंकुटिरतथा॥३॥ननन्दाचननान्दाचजदीलोनटि लस्तथानिशीतनिशितंचापिविर द्विपरिकीर्तितम्॥३२॥घ्राणे घातपुनःप्रोक्तंगूदगुप्तंमतंतथाक्रीतकीणेचकथितंयुडूंचयु॥ |षितेतथा॥३॥दान्तंचदमितंप्रोक्तशान्तशमितमेक्च॥पूर्णचपूं|| - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्विरुपकोश: - m - - - - - - AN - Pa - 3 रितंचैवक्लिष्टचकिलिततथा॥३४॥पिष्टंचपिषितंचैवविदि-परिकी// र्तितम्।।शुष्कंचशुषितंचैवभिन्नंचभेदितंतथा॥३॥तप्तंचतपितंचैव धूपितंचतथामतम्॥धूपायितमानितेचमृगितंचोच्यतेपुन:॥३६॥ वातंत्राणमतिख्यातेगुप्तंगोपायितंतथा|बुझ्चबुधितोक्तपणिते|| चतथामतम्॥३७॥पणायितंचपनितंयणायितमपिस्मृतम्॥छ्न्न| चलादितं चैवपुष्टंप्सष्टमपिस्मृतम्॥३६॥अपतीर्थपतीर्थचपर्घः॥ स्यात्पर्धणीतथागगुरगुलुर्गुग्गुलश्चैवकिकिदीविकिकीदिविः॥३९॥ जीजीलोजीवजीवस्तडागस्तडगस्तशा॥४॥अपूपश्चैवपूपः||| वअघमर्षोघमर्षणम्॥अपमानोऽवमानश्चबिम्बोष्ठादेईिराना|| ॥४॥हलीषाचहलेशाचलांगलेशातथामताकाव्येषुगीयतेहरे || हरी पिचगीयते॥५२॥निमेषनिमिषौचैवभीरुरत्यागीलुकापु मानामेधिसिधीशरव्यंचलसंलक्ष्यंतथामतम्॥४३॥संरल्याल यंचलनाचकरभोपिकरम्भकःमृदुहीगुरुगुरिजरजनेता था।सेवनंसीवनंतन्द्रीतन्द्राचमार्जनजामसंध्यासंधापतिज्ञायामा रताभारतीनटी॥४॥स्मृतोदासेनदासेयोपिटकपटकस्तथापरी सतापरिसतास्यादालस्यालसोपिचे॥४६॥कमलकमलोवापिग||| धर्ग नइत्यपिणभूमविष्णुर्विकलविकलौचनवन्नला॥७॥ दुलेमृदुर्लिपाहुहलेवहलेवढाथलेपृथुचेत्येवंमन्जुलेमन्जुचे ध्यते॥४ानंदननाटनंचैवकदिर्धकुटिस्तथागवविंश्योवविशोll भिज्ञोष्टोधष्णुर्विशाणकः॥४॥विषाणोवाहवाहीचाररीकृतमरी|| रुतम्।बंगापिपठ्यतेकै वितथावंद्रे पिचेष्यते॥५॥स्फुरणस्पू रणंख्यातस्तम्बघ्नस्तम्बधनोपिचाकालनेमिःकालनेमादैत्य || नामहिधामतम्॥५१॥ तुल्येमडल्यमाङ्गल्येविविधोवीविधी मतः॥भृङ्गाराजोभृङ्गारजोमुकटमकुटतथा॥५२॥ मकुरोमक॥ रोपिस्यात्फलंचालितमतम्॥मृष्टंम्लिष्टन्नसानासाकर्षक: रुषिकोपिच॥ ५३॥खलिनंन्चरेवलीनंचगर्नेगापिचेष्यतेभि / होआहोतथाप्राय:प्रायस्यात्तुतथामतम्॥५४॥मणावपिमणी|| चैवरोधसीरोधसिस्तादम्पतीजेपतीचैवप्रगाढ गहस्मृतः) // 55 // अरेआरेइतिख्यातद्विरूपंचतथामतम। // 7 // "| ॥तिद्विस्रुपकाश:समाप्तः।। mamm - may chainamaina momrammar For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वर्गवर्ग:१ - - - - % 3D %3 श्रीगणेशायनमः॥ अथत्रिकांडशेषकोश:प्रारभ्यते॥जयंनिसंतः कुशलंप्रजानांनमोमुनींद्रायसुरा-स्मृता-स्थास्ततासिवाग्देविदय स्वमातर्विधेहि विनाधिपमंगलानि॥॥अलौकिकत्वादमरस्वको शेनयानिनामानिसमुल्लिलेखाविलोक्यतैरप्यधुनाघ्रचारमर्यप्रयः॥ नपुरुषोत्तमस्य॥२॥वर्गक्रमस्तथानामलिंगयोस्तूपदेशता।परिमा पादिकसर्वमत्राप्यमरकोशवत्॥३॥स्पर्लोकोदेवलोक स्यादवरोहः॥ फलोदयः॥मंदर सैरिभ शकभवनवंदिवंनभः॥४॥स्वाहाभुजस्त, वसलापूजितावचिरायुषः शौभानिलिंपाद्यपदास्वर्गिणश्चनभः सदः॥५॥ऋनामात्वदितिर्देवमातास्यादथपूर्वजाः पितरश्चंद्रगोलस्था न्यस्तशस्त्राःस्वधाभुजाकव्यबालादयस्लेचदैत्यास्तुप्रपसारव | रागकतुहिषश्चेष्टिमुषोदैत्यमातादितिर्दनः।।बुद्धोकनिष्ठगमहान ॥निधर्मचक्ररागाशनित्रिशरणा:खस मोदशाहतापीगुणाकरमहा सुखवज्रिणश्चमैत्रीवलासमजितारिसमंतभद्राः॥॥महाबोधिर्धी धातुःश्वेतकेतुर्जिनारवनितात्रिमूर्तिर्दशभूमीश:पंचज्ञानोबहुक्षमः सेबुडकरुणाकूर्चसर्वद महाबलाविश्वबोधोधर्मकायसंग मोहन्सुनिश्चित:॥१०॥न्योमाभोगदशाख्यश्ववीतरागःसुमाषितः |सर्वार्थसिद्धस्तुमहाश्रमणः कुलिशासनः॥१॥गोपेशनाथास्ययर शोधरेयोबाटुले सुतः॥देवदत्तानुजोयस्युःश्रावका शिष्यसजिन:१२ प्रत्येकबुद्धरा खड़ास्युःसुदांताकचारिणः॥स्वयंभुवोथमारीचीत्रि मुरखावत्रकालिका॥१॥विकावत्रवाराहीगौरीपोत्रिरथाचसालोका गाथस्तुलोकेशसरोजीगुणसागरः॥४ालोकेश्वरम्हपाद्वैतःसुधावर्षीह लाहल सुखावतीश्वर-कन्यारामोऽसिताभ्रशेखरः॥१५॥चिंतामणि-प वर्लोकादिदशस्वर्गस्पस्वाहाभुगादिनपदेवानां 5 अनामादित्रीणिअदित्या:पूर्वनादि] पंचपितांदकव्यबालेसेकंपितभेदस्पदैत्यादिपंचदैसमानादित्रीणि बुद्दादिसप्तविं शत सवार्थसिद्धाचत्वारिशाक्यमुनेप शेधरेयादिशाक्षसुतस्पएका स्यभ्रातुःशिष्याणामेकामारीचादिसप्तमायादेव्याः१३ लोकनाधादित्रयोविंशतिर्नु - --. -men - dl For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वर्गवर्गः२ - 3D - - - - - - - - 3 दापाणिर्बहुरूप रखसर्पणः॥अनीचदर्शीकारंडव्यूहःपोतलकप्रियः१६| जटायरोमहावीर्योवजसूर्योःवलोकितः तारामहाप्रीरोंकारास्वाहा श्रीश्चमनोरमागतारिणीचजयानंताशिवालोकेश्वरात्मजाखदू वासिनीभट्रावैश्यानीलसरस्वती॥शंखिनीचमहातारावसुधारा धनंददात्रिलोचनालोचनास्मान्मणिभद्रस्तुजभलः॥१९॥पूर्वपक्षोन लेंद्रोथमंजुश्रीनिदर्पणः।मंजुभट्रोमंजुघोष कुमारोशरचक्रवानगlll ||॥२०॥स्थिरचक्रोवनधर-प्रज्ञाकायश्ववादिरादानीलोसलीमहारा जोनीलःशाल वाहनः॥२॥धियांपति-पूजिन खड़ीदंडीविभूषण बालवतःपंचवीरःसिंहकेलि:शिरवापरः॥२२॥वागीश्वरोथहेरेबो| देरुकश्वसंवरः।देवोचत्रकालीचनिशंभोशशिशेखरः॥२३॥ || वजारीकोस्यमैत्रेयोयुवराज्ञोजितसंगचीवरीश्रमणोभिक्षवल्या श्वेत्रोथचेलुकः॥२४॥श्रामणेरप्रवनितोमहापासकगोमिनोग ॥थहंसरधोब्रह्माविरिंचोवश्रवाःसनत॥२५॥कंजःप्राणश्ववेदीशवे || गर्भपुराणगा: अजनोविश्वरेनावकमलप्रपितामहः॥२६॥ नाभिजन्माशतधृतिब्राह्मीतुब्रह्मकन्यकागवाग्देवीशारदाशलाम | हाश्वतासरस्वती॥२७॥अथहरिशतबिंदुश्रीकर श्रीवराहाजितपर|| पुरुषश्रीगर्भषडिनंताः॥नरकजिहतधामाकेशवोजन्यकील: ऋतुपुरुषनृसिंहनन्थजन्दच्चदेवा ॥२६॥कोकापुराणपुरुषो नलिनेशयगासनरायणपुनर्वस विश्वरूपाः॥श्रीनिवासपरणी घरवामनैकगाष्णितषशत्रुदशावतारा॥२९॥सोमगदिदे || वादिवराहस्वर्णबिंदवःगदाग्रजोमुंजकेशीसदायोगीसनातनः३०॥ रंतिदेवशिवकीर्तनौत्रिपालामसिंधुरपिराहमूर्धभित्ाकालनेमियव भेदस्या४।१।१६ तारादीन्येकविंशतिः१५ मणिभद्रादिचत्वारिपूर्वयक्षस्य १९भनुश्रीत्यादिपंचविंशति:पूर्वजिनस्प२०॥२१॥२॥हेरंबाद्यशेषत्रटीकस्यमै यादित्रीणिभाविबुद्धस्वचीवर्यादिपंचकुनिकस्यवेलुकादिपेचमिशिष्यस्य हसरथादिसप्तशब्रह्मणः२५२८ ब्राहयादिसप्तसरस्वत्या:२७हयादीनिषट्षष्टि - - - - - - - - विष्णा:२९२६३०३१३२॥ - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वर्गवर्ग:३ me um 3D नारिपांडवाभील सिंधुषरुष्णकेशिनः॥शामशेरवःशतावतीम| नुसात्वतवारिशारर्धमानःशतानंदोजगन्नाथःसुयामुनः॥३२॥ तनाधेनुकारिष्टकेशिचाणूरसूदन भूकश्यपस्त्वस्यपितादंदेक्षि त्यदिति-प्रमः॥३३॥स्यरनस्कशतानंदे सारथिश्वास्यदारुकात रंगा:शेब्यसयोवमेघपुष्पवलाहका॥३४॥ध्वजोभुजंगहामंत्रीपर नव्याधिरुत्वाशेने यस्तशिनेनतायुयुधानश्यसात्यकिः॥शाबूल भद्रस्तहाल स्यात्सोनंदीहलतालभृतासवर्तकेयप्तचरोरुक्मिदार्यका कुंडलः॥३६मधुप्रियोथप्रद्युम्नोजराभीरुश्शमातक प्रसूनासमपंचे। कजनोमधुसारथिः॥३॥रागरज्जु कलाकेलिमधुदीपुरवीषवाई केतुर्मकरांक संकल्पभवोंगजवरूपास्त्रः॥ रणरणकोरतिरमण-III संसारगुरुमनोजन्मा॥३८॥कौनिश्वास्यप्रियारागलताकेलिकम बतीसे केनतीचास्यबाणामोहनोन्मादनैस्तथा॥३॥संतापन शो षणश्चनिश्चेष्टाकरणोऽपिचासुतोऽनिरुद्ध स्याहिपुर केतुःप्रीतितमः सुतः॥४॥श्रीवलस्मीचलासामारमाजलधिजेंदिरोमणि स्यमत काहस्तेविष्णोरुरसिकौस्तुभातार्य शिलोका कामायुररुणाव | रजविरात्ापक्षिसिंहउन्नती शोवत्रतुंड-सुधाहरः॥४॥स्वर्णपसः सुमुखमूःशाल्मलीभुजगोशनः॥शंभुर्भगालीकपिशाजनकहीरः कटवर्भरेरिहाणीपुरारिपंचाननभैरवाहासत्रहासाश्वरबकेतल ४॥के ठेकालजयेतगाएरवोजोटिंगगोपालकौपिंगास कमर्द || बिनजदाटकाव्ययाकतकत॥चंद्रापीडमहानदीचशमिरोहःशैल|| धन्वाजराचीरो थर्पणन दिवईनगुडाकेशोयकालंजराः॥४४॥मिर हिराणोजगमोनिष्टकटीको जवाहनः॥रुष्करोवरवड्मसुत्र सादोद्धतश्वनः॥४५॥उम्स्थाण शिपिविष्टश्चमःकिलोधर्मवाहनः॥ देविष्णाःपितुःएक विष्णो:मातु-३३रथस्यैकंसारथेरेकशैब्यादिचत्वारिस्थतुरगाणार थगेकै कस्य३४ध्वजस्यैकंपवनन्याध्यादि मंत्रिणःशैनेयादिचत्वारिसात्यकेश्वलभ द्रादिदशबलदेवस्य३६प्रयुनादेविंशतिःकामदेवस्य३७३८रागलतादिचत्वारिते मोहनादिपेचकामयाणानाध्यमुकेकस्यसकै अनिरुत्यादिनीणिकामसुतस्ययाया लम्यारणाहलमणेरेकउरोमणेरेकातादिचतुर्दश४२४३शमादिचतुःषष्टिशि वस्प४४४५४ाशिवलवांगस्पै शिवधनुषारवादिदेशिववृषभस्य गरीटादीनिषा गिण:४८महाकालारीनिचत्वारिनधादिचत्वारिशिवहारस्थस्यभार्यादीनिसप्तत्रिंशवपा| - %3 - - त्याभार॥ - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वर्गवर्ग:४ चमारीश्वरानाभावीबाभ्रवालककानशा विरूपविषमत्र्यक्षःसंध्यानाटीवृषांचनः ४६एकपातिकोभद्रोवरेतः पांसुचन्दना अस्थिमालीशिवश्चास्यरवद्वांगस्तुसुरवधुणः४ अनी गोजगावचषो गीरिदिवसोग गरीशिलो गीमाडीदेहोस्थि|| विग्रहःपमहाँकालोमहाभीमोमहाकायोराणावा स्थास्तुनंदीशालं कायनस्तांडवता लिकः॥४ास्यान्नंदिकेश्वरोथार्या हिंडीशि|| खेरवासिनी॥शक्ति सिंहस्थागोलासिनीवालीषर्ती॥५॥|| सो कृष्णपिंगलालेबाशैलेयोगणनायिका॥वारालिकैकांनंशा चशिवतीयमला॥५१॥कोदवीबाभ्रवीकैटभीकेटभायादवी कर्बुरीचेश्वरीश्वराभ्रामरीदक्षकन्याचवर्दिध्वनीनंदपुत्री || चमारीचकालंजरी॥५३॥गौतमीतामसीषष्ठीजयंतीभूलक सती। सिंहस्तस्यामनास्तालसरल्यौचविजयोजये॥५४ात्र तुंडकारमुख पृश्निशंगोगणायणी:त्रिधातुरेकदंतश्वहिदेहो| मूषिकांचनः॥५५॥ विघ्नहोरीकुमारस्तुखामीहादशलोचनःबा लचर्यःसिड्सेनःरुकवाकुध्वजश्वसः 56 // देवराजस्तुलः कौशिकोसन्महाबादेतेयदाल्मीवराणोद्रिभित्॥वत्रपाणि महेंद्र सुरग्रामणीर्यामनेमिषानाकनाथोहरिः॥५॥प्राची नवर्हिःखदिर-कपिलावोवरक्रतुः॥प्राचीपतिस्तपःस्तक पुलो मारिश्चमाहिरः॥५५॥पृतनापोनियात्वस्यचारधाराशताव शचीसुतादेवसेनामातलिस्तुहयंकषः॥५६॥उच्चैःश्रवाः। श्वेतहयोरपणश्वोमरावती॥रषभासासुरपुरीवनमै वृषण्व|| सुदानंद कंदसारस्यामिश्रकावणमित्यपिाहस्तिमल्ल - - - - पार्वतीसिंहस्यैकंपार्वतीसरव्योः पृथकदेविजयादीनि 54 वत्रतुंडादीनि नवगणेशस्य ५५कुमारादीनिषट्कार्तिकेयस्य॥५६॥देवराजादीनिषट्वि शतिरिंद्रस्य ५७॥५५॥चासधरादित्रीणिइंद्रस्त्रिया:एकंकन्यापाःसार ॥यरेकं उच्चैःश्रवसादित्रीण्यश्वस्यअमरावस्यादित्रीणिपुर्याःषण्वस्वादिच - % - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - mum - स्वर्गवर्गः५ श्वतोभद्ररेणुर्मदांवरः॥६१॥श्वेतहीयःसुदामाथवजो स्त्री गिरिकंटकावन्त्राशनिर्भिदुर्भिट्रोजुभारिस्त्रिदशायुधम्॥६॥ तधारंशतारंचानोत्यंभिदिरमंबुर्ज।मार्जारकीचामुंडाक र्णमोटिश्वचर्चिको॥३॥विद्याधरस्कामरूपीखेचरस्थरयौवनया स्पर्शानंदारतिमदासरसःसुमदात्मजदेवोद्यानानिवैधान मिश्रकंसिध्रकारणम्॥चैत्ररथचनासिक्यौयुजौदस्त्रौगदाग दौं॥६५॥शुभघासिसधयोचतिर्जुदूबाणईपिरतुषग्रहाशियः॥ गछागवाहनसुदाकुबर्हिषःस्वर्णससंघृतमंत्रदीधितिः॥६॥ पर्परीकहसनीमणिपीथाःसप्तजिन्दसमिधावसितार्चिना, चिकेतभुजिभारतविश्वशाःशुचिपचिसमंतभुजौचदेशाव डवाग्नोतुसलिलेधनःस्याडवामुखम्॥काक ध्वजोवाणि जस्केधाग्निस्तृणकाष्ठधकामालागणस्तुकरीषाग्नि स्तुणाग्निःस्यात्तुवत्सलेःतुषानल कुकूल स्योन्मुर्मुरोधागि कुक्कटे॥संकिलोदहनोल्कोस्यादंगारेकोकिलाइसौ // धूममंभमरुवाहखतमालशिखिध्वजाः॥७॥अग्निवादस्तरी स्वाहात्वग्नापीदहनप्रियोगजीवितेशोमय शीर्णपादश्वमहिष ध्वजः।।७१॥मंदोस्यकांताधूमोर्णाचित्रगुप्तस्तुलेखकःभृत्यो चंदुमहाचंडौकालीचीतुविचारभूः॥७२॥पंजिकात्वग्रसंधानी || नृचक्षास्तुखसात्मजः॥कीलालपा:पलाशीचक्षपाटोनरविष्षणः D / त्यारिवनस्य हस्तिमल्लादिषट्गजस्यवन्नादिहादशमारिका दिचत्वारिचामुंडापाः।६।विद्याधरादिवत्वारिस्पर्शानंदादिचलार्थिभरसः६६) वैधाजेतिचत्वारिदेवोद्यानानामेकैकनासिस्यादिवत्वारिस्ववैद्ययोःशुभा दिपचविंशतिर:६६६७ववाग्न्याद्यष्टौ छागणादिद्वेकरीधाग्नेःणा || ग्यादिनुपानलग्न्यादिअग्निकुक्कुरादिनीपग्निकणायाः अंगारादित्री |णिधूमादिसप्त स्वाहादिनीण्याग्निस्त्रियःजीवितेशादिपंचयमस्य 71|| - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वर्गवर्गः - ENT % 3D संध्याबलोरात्रिमटोड्नूषःशमनीषट्सापलाशोविखुरशंकु कापिशे यस्तपिंडकः॥४॥पिशाचोमेघनादस्तवरुणावःपरंजयःगदैत्यदेव वातस्तनभःप्राणोजगदूलः॥भोगिकांत कंपलस्मापश्वधाराव निश्चसः॥वश्वासाक्षिपणधूलिध्वजःसरयुरकतिः। यातलोवा तगुल्मस्याञ्चरवायुर्निदापजाझंझानिल पातषिजोपासतोमलया निलः॥७॥श्रीदधनकेलिमनुराश्वेतोदररत्नगर्भनिधिनायाः॥ तनकुहेच्छावस:पिशाचकीसत्यसंगरस्त्रिशिरा:अस्त्रीप योमहापयःशरवोमकरंकछेपोमुकंदकंदनीलाश्वचर्चास्फनिधयो। नव॥७॥सतोस्यमायुराजःस्यात्तथावणेकविर्निधौआसंगिनी चवातालीस्याद्वात्यावांतमंडली०॥॥इति स्वर्गवर्गः॥ // कुना भिःस्याविहायस्तरखमरुन्मेपवर्त्यच अक्षरचायपाथोदःवतमा, लोगदांवरः॥॥मदयित्नुर्वायदासामधूमोनभोगजः।गाडय के धरोवातरथोवारिमसिस्त्रियाम्॥२॥करकोस्यादनककोबीजो॥ दकमिराचरमामेघास्थिवर्षणतुस्याङ्गोघृतंचपरामृतम्।।८३॥सो| दाम्नीत्वशनिर्विद्यदणुभावाचिरकतिः॥४॥तिथिप्रणीदर्शविप निशामणिलिनेत्रचूडामणिरत्रिनेत्रभूः॥सधांगमौडीमृगपिष्ट पक्षजोदशाश्वसिप्रग्रहणेमिचंदिराः॥४॥छायामगधरोराजार मा:परिक्षाबलक्षगुः॥द्विजदाक्षायणीतुंगीरोहिणीयज्वनापतिः। उडुपःपर्वधि:केदुर्जयंतस्तपसोहरिः॥८॥नारोपीड-खचमसोवि| कसैसिंधुनंदनाचद्रिकाचंद्रशालोस्यानीहारवनिशानलम६७॥शी| तंतुशीतलपत्रहिमतुहिन दुर्दिनमाकुन्झटिधूममहिषीरतांबीचकुहे! एकंयमपल्या एकंयमलेश्वकस्ययमभृत्ययोःप्रत्येकडे विचारभुवएक०२॥ पंजिकादिनक्षादित्रयोदशयमदूतस्य॥७३॥कापिशेयादित्रीणि पिशाच स्य॥४॥मेघनादादिपंचवरुणस्यवोतादीनित्रयोदशवायोः॥७॥७६॥ वातुलादिदेवातगुल्मस्यनिदापवायोरेक॥७॥श्रीदादिद्वादशकुबेरस्थाsnil पद्मादिनवप्रत्येकमेकैनिधीनाseuमायुराजादित्रीणिकुबेरसूनो आस गिन्यादिचत्वारिवातनमः॥८॥कनाभ्यादिषडाकाशस्यपायोदाद्ये कार शमेघस्य॥८॥२॥करकादिसप्ता५३॥सौदाम्यादिषविद्यतःपतिथिमर) ण्यादिचतुस्त्रिंशचंद्रस्य५५५८चद्रिकादिद्धनीहारादिवशीतादिद्वेपत्रहिमादिदेखि -- For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वर्गवर्ग: - / % E लिका॥८॥धूमिकाचनभोरेणरथागस्त्याग्निमारुतीगसत्या ग्निारुणिर्विध्यकूटोवातापिसूदनःगदादीप्ताग्निरोर्वशयवस मुद्रचुलकोस्यताप्रियाकोषीतकीलोपामुद्राख्याचविदर्भजी॥९॥ प्राकफाल्गुनेयस्तुतण्यानुजापासष्यगोरौ।दिदिविदशकर श्वसाःसुरगुरुप्रुः॥१॥शुक्रोमःशतपर्वेशोमघाभूभंगुरास्फ जित्॥षोडशाचिर्नवार्चिस्तुमंगल खोल्मुक कुंजः॥३॥बुधोदे। माराजपुत्रएकदेहप्रहर्षणः॥स्यात्सेचार्चि:प्रविष्टाजःश्यामागे कांधरोधनाः॥४॥शैनश्वरोनीलवासामंदलायात्मजःशनिःग रावस्तुग्रहकल्लोलोभ्रपिशाचौप्यथादिकः॥४॥केतुन्योतीरथा। स्तुस्याहाधारोध्रुवश्वसः।तत्मणेसूर्यमुक्तादिग्धैरंगारि। णीस्मृता॥॥आसन्नास्तमयाधीरैरुच्यतेचोपधूपितासुनी तिर्धवमातास्यान्मातादक्षस्यमारिषागालायायथोदेवप थ-सोमधारानभःसरितादिनप्रणीस्त्वव्यधिषोभानेमिरवरन त:॥७॥गभस्तिहस्तों शुधरस्वरांशुभारविभंगावेदादयात्र तिदिवामातुःपितुस्तमोपहारदिनमणिहरिहेलिबनभाकोपभाभा राश्रिखगपतंगेनाद्रयःसप्तसप्तिः॥मिहरमणिरपीथाकालरुत्पन॥ पाणिरखमणिररुणशरावंशुमानंशुमालीदर खायास्पातपतीमंदजन नीभूमयीवीसतातुयमकालिंदीरवंतमनदस्त्रसूत्रसरेणुमहा। वीर्यास्त्रातिसूर्यासुवर्चला स्वरेणुर्युमेहीलाट्रीप्रियतेविवस्वतः१ अश्मनोरमा गोनूरुर्जरायुस्त्वरुणात्मजः॥तिदिग्वर्गः॥कालस्वपटर्जहकोभसतो। भसदिस्यपिापीयापीयुस्तियश्वाथवास्त्रोव्युशंशकैदिनम्।उषा ||मदुर्दिनस्पकुन्झल्यादिषकहेलिकायाअगस्त्यादिनवपत्कौशीतक्यादित्री| व्यगलिपत्न्याः प्रामालानेयादिनवरहस्पते।शुक्रादिसप्तनर्विरादिचला रिमंगलस्यस्खुधादिदशरयशनैश्चरादिपचराव्हादित्रीणिअहिकादिहेहेतो-रो। तीरथादित्रीणिध्वस्यसूर्यस्यक्तदिशएकल्पनिकरसूर्यास्लदिशएकएकधुवमातुःएका दिसमातुरडायाफ्यादिवत्यस्तिपथस्पादिनमण्याद्यष्टत्रिंशद्रवोदरपाडापा। दिपंचशनिमातु:संशादिचतुर्दशयममातुः१अश्मनादिवीण्यरुणस्यजटाय्यानि - - - - % E- - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालवर्ग: - %3 % 3D - - प्रभातगोसर्ग:सायोस्तवोविकालकेयरात्रीरक्षोजननीशत्परी| चक्रभेदिनीघोरा॥श्यामायाम्यादोषातुंगीभौतीशताक्षीचmemil वास्तुदोषानिशारख्याचवासतेयीतमानिशौ।यस्यांमत्तानिशि // श्वान:श्वनिशंश्वनिशाचसा॥५॥निःसंपातोर्धर्मरातःस्मात्सर्विस रस्त्यपि उचंद्रापररात्रौडौदोमामावसीचसाक्षाभूतःकृष्ण चतुर्दश्यांपौर्णम्योधर्मवासरः शक्रोत्सवोध्वजोत्यानंशा || रदीद्यूतपूर्णिमाr७॥कोजागरुशरपर्वकौमुदीचामरेस्त्रियाम यक्षरात्रिस्तुदीपोलीचैत्रावस्यांमधूत्सवः॥८॥सुवसंत काममः॥ होवासंतीकर्दमीलियौ।प्रामस्तुमासोवर्षाशोवत्सरस्तुयुगांश काऋतुतिर्मासमानःस्याकालग्रंथिरुवनकालप्रभात शरदोप्रारषातुजलार्णव॥१०॥कौमुद-कार्तिकोमास:फालाना। लस्तुफाल्गुनः॥ज्येष्ठामूलीयमिछतिमासमाषाहपूर्वनम्॥१९॥ कृतंसत्ययुगंत्रेताग्नायीहापरयनियोगकलिझझेरकाकर्मयुग। पातुपातकम्॥१२॥शल्यंतूरसंचकल्कोस्थभद्रंमलंशिवंतथा शशुभंचाल्ययेथोत्माजीवःपुरुषमुगलो॥१३॥अंतर्यामीश्वरी वातःकरणतुमनोनिगुः॥तिकालवर्गः॥ ॥बुद्धि-पंडागि दाचा:विचारेतर्कनिर्णयौ॥१४॥गुजाचर्चाथसिद्धांतोत्तरपर क्षसमाधयः॥रुतांत:पूर्वपसस्तुचौधेगीभणितिर्गिरा॥१५॥॥ हेकालावष्ट ॥२॥वास्त्रादिचत्वारिटीनस्यउषादिप्रभातस्पगोसर्गादि। त्रीणिविकालस्या३॥राव्यादिसप्तदशश्वनिशादिद्वेनिःसंपातादिनी ॥ण्यर्धरात्रस्याचंद्रादिपररात्रस्यदर्शादित्रीगिएकंहष्णचतुर्दश्या पाणे|| म्यादिहे शक्रोत्सवादिदेशारद्यादिपंचकोजागरायाः७ यक्षरान्यादिहे| दीपावल्या चैत्रावल्यादिषट् ॥८॥श्रामादित्रीणिमासस्य वत्सरादिष। इवर्षस्यहकालप्रभातादिहेशरहतोःप्रावधादिदेवर्षर्तोः१० कौमुदादि| डोकार्तिकस्यफाल्गुनादिद्वाफाल्गुनस्पजेष्ठस्यैकं 11 कृतादित्रेतादिद्वेग परादिकल्यादित्रीणिपापादिपंच॥२॥भद्रादिपंचशुभस्यआत्मादिमा |१३॥अंतःकरणादित्रीणिमनसम्बयादिचत्वारिविचारादिपंच॥१४॥॥ - - AHENGAnwsewas a - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धीवर्गः ma -- चांलांछंदस्तुनिगम-साम्न्यूक्थंस्वरपत्तनम् ब्रह्माक्षरस्यादों कास्पश्नदतीप्रदेलिका॥६॥संज्ञाधिवचनंसद्यःकृतंलक्षण नामनीव्यपदेशःप्रसिद्धिस्तुटंकारोथेनवस्त।१७ शब्दाभि लापोत्वभिधाभिधानेवाचकोध्वनिःहासःकुहरितंचोथमन्मनोग दध्वनी॥१८॥तूरंतुतूर्यस्यात्ताड्यमानासुपटहादयः॥कर॥ धिकरतालीस्याध्वनिनादातुकाहलोमड्डुकोमनोमेंद्रौ। ढिक्काविजयमर्दलः द्रगड-प्रतिपत्तूर्येडमरुःसूत्रकोणकः॥२०॥ नालीघटीयामनालीदंडढक्कायमेरुकायामघोषोथताम्रीस्यान मानरंध्राविकालिका॥२॥भवरुवेतपटहोमृत्युभंगुरकेश्वसः॥ रणतूर्येतुसंग्रामपटहोभयर्डिडिम:॥२२॥भक्ततूर्यनृपाभोरंमल्ल तूर्येमहास्वनः।मुखवाद्यवक्रनालंवेणौविवरनालिको॥२॥॥ वारवाणिःप्रणेतास्याः कथकैकनटौसमौ॥सर्ववेशीलयारंभः॥ स्यात्तालावचरोनः।।२४ालयपुत्रीनटीनखड्धारादिनर्त केपुवक केलकश्वाथभंडवादब समो॥२५॥गायनेगाथक स्त्रीणांदल्लीसहनर्तन वात्सल्यशातौतुरसौरंगारकौशिक स्मृतः॥२६॥ संभोगोविश्लभश्चत दीवर्णिकामसोमसिनो ज्यामनंतुस्यायामोवज्ञातुपासन॥२॥डमरुस्तुचमत्कार। प्रौढिस्तुकियदेहिको स्वेदश्रवणस्विपोहयोीडोनटांधिको 28 // सिातादिचत्वारिपूर्वपक्षादिद्वेषश्नस्यगीरादिचत्वारिवचसः१५ छंदसा दिदैनिगमस्यसामादित्रीणिब्रह्माक्षरादिओंकारस्यद्वीप्रहेलिकाया १६संज्ञादिषटनाम्नःप्रसिद्धादिद्वेनवादिहेतवस्य॥१॥शन्दाद्यष्टध्व नेःमन्मनादिद्वेगद्गदध्वनेः।।१६॥तूरादिदेवाडितपटहा देःकरदिहे। करताल्या:ध्वनिनालादिहकाहलाया:रमहकादित्रीणिमृदंगस्यढ कादि| देविजयढकाया ट्रगडादिडम दिहे 20 नॉल्याद्विषटेंडढकाया-त म्रीत्यादित्रीणिमानरंध्रायाः१भवरुदादित्रीणितपटहस्परणतू, - - pac anak For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - -- - o 4 - नाट्यवर्ग:१० भाम-क्रोधोनिःसमस्तुशोकेवीर्यशुटीरतागलंमिपंचबैदग्धी | भगिश्वेभनिमीलिको स्याञ्चिताचितयोथोराद रणरणेच तत्॥परिहास केलिमुख केलिवननर्मणी३॥रामोद्भेदस्तुप लकस्लकूपुष्यंचलगंकुरःशस्वदोषगूहनंम्रक्षोगगसंगौतुग्रभु ता३॥ काय्यकाररसयचितेपापमाधायसंशनाकौहत्यविप्रती सारोविबाधातुविहेटनम्॥३२॥दखेलोकोभवश्वसंसार:कष्टा कारकः॥निर्वाणमस्तुकोमोक्षःसीतीभावःशमोमृतम्॥३३॥इति || नास्यवर्गः॥अथोऽव्ययस्यास्पातालेविरोकंश्वभ्रमस्त्रियोगतम संतुनिशाचर्मनीलपंकरजोबलम्॥३४॥दिनांतकोवियनतिरवलु खत्राथनागभृतास्त्रीस्यादलूताजगरोवथदलादेल:३५ ब्रह्मसोश्वलालाच हिमुखादिरहीरणिःराजोदिरलगाईस्तुकाल |मोमहाविषः॥३६॥भांडयुष्यस्तुभुजगोभवेत्कोटिकंदलगो नासगोनसोहालाहलंहालहलेवि॥३७॥अथाभक्षोतिरसनः समकोलभेकमुक्ाकुंभीनसोमंडलीचगरलजंगमंविष।।३८॥|| योदिनीणिभक्तनूदिदमल्लतूर्यादिमुखवाद्यादिदेवेण्यादिहे२३वेशीचा दकस्यैकंकथकादिद्वेसर्ववैश्यादिचत्वारिनटस्य॥२४ालयपुत्र्यादित्रीणिन स्या:पुनकादिहेनतको दस्यभाडादिटेर गायनादिवेहल्लोषादिद्वेस्त्रीसह नर्तनस्यवात्सल्यादिवेरसभेट्योःपृथगेकैकस्पटंगारादि संभोगादिहे || शंगारभेट्योरेकैवर्णिकादित्रीणिमस्या:व्यामनादिद्वेअवज्ञादिदेणाडमर्या दिद्वेचमत्कारस्यप्रौढ्यादिदेवेदादित्रीणिबीडादिदेलज्जाया२८भामादिदेको) धस्यनिःशमादिदेशोकस्यवीर्यादिदेललादिद्वेवैदग्ध्यादिनीणिभंग्या:।। चिंतादिदेउवाहनादि विवादस्यपरिहासादिदेकेल्यादिवीणि रोमोझेदादि / चत्वारिपुलकस्यस्वदोषगूहनादिद्वेरागादित्रीणिग्रनतायाःसपापकथन स्यैकंकीकृत्यादिदेशसत्यस्यबिवाधादिदे॥३२॥दुबलोकादिचलारिसंसा रस्यनिर्वाणादिषटमोक्षस्यमयसादिदेपातालस्पविरोकादिदेशभ्रस्यतम || - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पातालभोगिनरकवी 11 अनंतोवासुकि पद्मोमहापद्मोपितक्षकः। कोट कुलिक शेख इत्यशेनागनायकाः॥३॥पुरीभोगवतीचैषांभोगिन्योनागकन्य||| कागतिपातालभोगिवर्ग:॥अकंदःखमघंसेंद्रीवलक्ष्मी काल कर्णिका ॥४॥इतिनरकवर्ग:पाथोधिसिंथुमकरालयवारिरा| शीगंगाधरेंदुजनकास्तिमिरुर्मिमालीवार्धिर्मितदुतिमिकोषम| हाशयालीबंचशैलशिविरंधरणीपूवश्व॥४१॥पुमान्कचंग // लोवांकाकूलंकषपरांगवोगतरंतोदारदःपेरुमहीप्राचीरमइयो। ॥४२॥नदीननाथकमलंनीरनाराःस्त्रियामिरा कंदकंजलम |स्थायमगाधेयामसोश्रमः॥४३॥तानुरोवायुगुल्मश्नकणलाभः कलंकरः॥पुरोटिःपत्रझंकारेवदाल-कूलहडकः॥४ालुकोष नजेबालेंदलाढयेपंककर्वोतरणोभेलकेवारिरथोनौरतरिका वाहोडस्तरांधुर्वनैवहिवार पुमानापाटारकास्यास्पो लिंदपत्रबालेतुलाधः॥४॥समुद्रकफडिंडीरजलदासास्तु॥ फेनके।कैवतेजालिकाछोटीकुपिनीस्यादथपक॥४७॥पलवप | जराखेद करंडीतुनलेशय आत्माशीशंबरोमूकोनिमेषोल्कवानपि। - सायष्ठींधकारस्य॥३४॥नागभृदादिउलूतादिद्वेजगरस्यहलादलादित्री | गिब्रह्मसर्पस्य३ दिमुखाह्यादित्रीणिअलगर्धादित्रीणिकालसर्पस्या भोडपुष्यादिदेहालाहलादित्रीणिविषयस्य॥३७अभक्षादिषट्सप्स्यजी|| गलविषस्यैकं३०अनंताद्यपनागराजानांपृथगेकैकस्यएकैशी नागl पर्याएकंभोगिन्यादिनागकन्यानां अकादित्रीणिदुःखस्यसद्यानित्री गिअलक्षमा४०पायोध्यायेकविंशनिःसमुद्रस्य४१४२ कमलादिसमज लस्यअस्थायादिअगाधस्यभसांभ्रमादि४३४४चुलुकादिद्वेपन वालस्यदलाढ्यादिपंकटस्यतरणा दिउभेलकस्यवारिरथादिचला | रिनोकायाः॥४५॥होडादित्रीणिवाहिनादिदेपाटारकादिपत्रवालादि |पई समुद्रककादिवत्तारिसमुद्रफेनस्पकैवर्तादिचत्वारिपुतादित्रीणिपनराखेट % 3D - - - -- - - - -- - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir F वारिवर्ग:१२॥ मीनेवदालापाठीनोमत्स्यराजस्तुरोहितः।भालांकना ॥शकुलिशंकटकाष्टीलइत्यपिशाफलकीस्याञ्चित्रफलीराज ग्रीवोमदार्मदः कवयीकरपृष्टीकेकत्रोटोजलव्यधा५॥ शफरश्वेतकोलोस्यातवशेटस्तुखलेशयाइल्लिशेवारिक रगांगेयशफराधिपाः॥१॥जलतालोयथचलपूर्णिमाचंद्रचंच लोजलटिकच्चाकेगंगाटेयोगलानिल २॥शाल-शकु मालगंडेःस्यादधाहिःकृचिकादयोः ब्राह्मीतुपंकगडकोलघुगर्ग स्त्रिकंटक॥५३॥तिर्यग्यानःकुलीररस्यान्मुरखास्योहरिलोचनः बहि-कुटीचरपोताधानंतुस्याजलांडेकं॥५४॥जलरूपस्तुमक रोमरोलिरसिटेष्टकमामीनरस्तुतुनागस्तुनकवाडवहारकः॥५५॥ नकस्तवार्भस्यांदबुकिराटोंबकेटकगजलभूकरमायादझपा शनद्रग्रहाः॥५६॥जलकर्मरत्वंबुकीशोवसादयःशिशुकश्व साउद्रस्तुजलमार्जारजलाखुनकुलपूवातामुन्तिरापुर्प| रिवारिकमिस्तुजलमक्षिका॥५॥पटालुकाजलोकांबुसर्पिण वणिवेधिनी व्यंगस्तुनंदकोभेकोगूढवा-हतालयःगरेकोनि। AAR omsaA a kuindiKummy - - करंड्यादिपचनलेशयस्य अनिमेषादित्रीणिमत्स्यस्य ४८वदादिद्वेमत्स्यरा जादित्रीणिरोहितस्पकुलिशादिफलक्यादिद्वेराजग्रीवादिद्वेमत्स्य भेदस्यकवय्यादिहेककारादिमित्स्यविशेषस्य॥५०॥शफरादिदेखे कादिदेखलेशयस्य इलिशादिपच॥५॥चलमूर्णिमादिद्वेमत्स्यभेदस्या! जलनिकादिवेदनाकस्यगंगाटैयादिद्वेशालादिधात्स्यादिद्वे ब्राहयादिद्वे पंकगंडस्थलघुगगादिहेत्रिकंटकस्प५३तिर्यग्यानादिपंच | कुलीरस्यपोताधानादिहेजहांड कस्य॥५४॥जलरूपादिपेचमकरस्यतंत नागादिवाणिग्राहस्य५५नकादिचत्वारिजलरकरादिचत्वारि॥४६जल कुर्मादिचत्वारिशिशुमारस्यउद्रादिपंच 57 मृत्किरादिपर्या:वारिक म्यादिदेपालकादिवत्वारिजलोकाया:॥५८॥ व्यगादिसप्तभेकस्यपं M For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - - nama - वारिवर्गः१३ हाथपंचांगगुप्तेकोडांत्रिकच्छपौ।५९॥गडुकिंचुलुकोयाधु विकिरश्रकश्वसः॥चुाचुंटीचचूडायाधुकूपःकर्करांधुकर पल्वलंदीर्घिकावापीयष्टिकामीनगोधिको अवघट्टापटीतुल्यो तल्लं विल्लंतलंचतत्॥६॥ द्विजप्रपालवालस्याकेदार-पांशुमर्द ननिटीनिर्झरिणीरोधोवकासागरगामिनी॥३॥तलोदाचापि लासिंधर्भषिकुल्यावहाचसागअध्वगागांधिनीगंगाहैमवत्यु ग्रशेखराधर्मनीसिसिंधुस्तापातुयमुनायमीरेवातुपूर्वग गास्यान्मुरलातुमुरंदला॥६॥स्यादर्थगंगाकावेरीवासिष्टीगौ|| तमीसमेअथगोदावरीगोलोकुवलंतूत्पलंकुवें॥६५॥रवं गंधसोमंस्यात्कंदोदश्वनिशाहसः॥श्रीकर कृष्णकंदचरक्तोत्य लमलिप्रियं॥६६॥ लक्ष्मीगृहकमुच्चायशालूकायंकसूरणः। श्रीतुकभिकावारिमूलीपोरवमूलिकाास्यागरिचत्वरो॥ याबुतालासलिलकुंतलः॥शेवलोहठपस्त्रिीकावारंवारि चामरम्॥६६॥पोकवारंपजिविसनाभिस्तुपद्मिनी।पुटकिर न्येवमेवान्या कुंटिन्यम्लानिनीमुखाः॥६॥बिसंतुतंतुलविस। शंगादोवारिकुन्जकः॥७॥ ॥तिवारिवर्गः॥ तित्रिकांडशे पःप्रथमाकांड-समाप्तः॥भूर्भूतधात्रीगिरिकर्णिकाब्धिद्वीपासमा A AAAINA m -- - - pune mu गडवादिद्वेकिंचुलुकस्यध्वादिषद्कूपस्यअंधकूपादिद्वे६० पल्वलाll दिपंचवाप्या अवघट्टादिद्वेगर्तस्यतल्लादिपेचालबालस्याकेदार दिद्वेक्षेत्रस्यनद्यादिनव॥२॥अध्वगादिसप्तगंगायाः॥३॥ ताप्यादित्री ॥णियमुनायाःरेवादिदेमुरलादिनदीभेदस्य॥६॥अर्धगंगादि कावेोः। वासिष्ट्यादिद्वेगोमत्याः गोदावर्यादिटेकुवलादित्रीण्पुत्पलस्य 65 कैरवा दिपकुमुदस्परतोत्पलादिचत्वारि।शालूकादि।पृश्न्या दिषट्कभि कायाः॥अंबुनालादिचत्वारिशैवालस्यपादित्रीणिविसनाभ्या दित्रीणिपुटकिन्या कुंदिन्यारिद्वेपुटकिनीभेट्योःपृथगेकैकस्य॥६॥ - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूमिवर्ग:१४ % E - - द्रांबरमेखलाकूःक्षमाद्रिकीलाचजगह हाचपुंसिस्थितीमध्य मलोकमो॥१॥महाकांतागंधवतीरत्नगर्भाचमेदिनीगखस्तनी भारतारव्यं तवर्षहैमवतंविदुः॥भारननरभू किंपूरुषहरिवर्षे तत:॥भद्राश्वमुत्तरकरुहिरण्मयमिलारताकेतुमालम निस्यु वोवर्षाणिवैनवाजवलोकशकौंचशाकशाल्मलिपुष्का रैः॥४॥हीपा सप्ताथसप्तरसमुद्राअपिकीर्तिताःलणेसुसुरास पिर्दधिदुग्धजलांतकाः॥ऊपरंतूषषानूषोब्रह्मावर्तस्तपोवटः कुरुक्षेत्रप्रयागंचहिमाद्रिविंध्यमंतरागामध्यदेशोपड़ा स्युर्वरेंद्रीगौडनीवृतिप्रभास सोमनीर्थस्पादतर्वेदीकशस्थली| प्राग्ज्योतिषकामरूपेतीरभुक्तिस्तुनिच्छवि गरिरेहानाथ काश्मीरेकीराःस्युःशास्तशिल्लिनः॥८॥तुरुकासशयस्थता बाल्हीकोप्रविगतकागदाशेरकामरुभुगोमालवा स्युरवंतः। ॥डाहलादयश्चैद्या कारुपास्तुरहहहां परस्तुदशाहों स्युःसात्वता:कुक्कराते॥१॥ोडाउत्कलनामानोमगधा की कटामतावेलाकूलंतामलिप्ततामलिप्तीतमालिफो॥एकता हरिगहंशंभपुर्यथैवर्तनिः॥पूर्वदेशोथसाकेतमयोध्योत्तरको शलां१॥शस्थलंकान्यकुब्जेनागाव्हंहस्तिनापुरंगगनाव्हंहा लिनचाथ श्रावंतीधर्मपत्तनम्॥१३॥कुरुक्षेत्रविनशनकौशांबीर सपतनी प्राजापत्यःप्रयागःस्यावहारकावनमालिनी॥१४॥ विसादित्रीणिशंगाटकादीनि ७०॥इतिवारिवर्गः:षोडशपृथिव्याः॥ull देहिमवतवेडस्य॥२॥नवभुवोनववर्षाणां३सप्तमप्तहीपानो सप्तसमुद्रा ५॥त्रीण्यमरस्यवेब्रह्मावर्तस्यमध्यदेशस्यैकंत्रीणिगोडदेशस्य प्रभासस्या नर्वेद्याः॥ ॥कामरूपस्यत्रीणितीरभुक्ते त्रीणिकाश्मीरस्या नवदेशभेदानामेकैकात्रीणिचैद्यदेशस्यदेकारूषस्यचत्वारिदशाह। स्याओंऽस्यदेमगधस्यचत्वारितामलिप्तस्य॥१॥शुभपुर्यास्त्री For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % 3DD % - - - - गरवत्यधिनगरीविदेहामिथिलेशमोमथुरातुमधूपनजित्व रीतुतपस्थली॥१५॥वाराणसीतीर्थराज्ञीविशालोज्नायिनीसमें गचंपातुमालिनीपुष्याःपुरंपाटलिपुत्रकादेवीकोठोबाणपुर कोटीवर्षमुषावनम्स्याच्छोणितपुरचाययोजनेमार्गधेनुको म्॥१०॥किमिशैलस्तुवल्मीकाशकमूर्धायसंचरमसाधरणापडि ल.सेतुःपथास्तुखलमोवहः८वास्पथश्चमार्गश्चरव पुरंतूर गंपुरम्हरिश्चंद्रपुरंशोभेमुद्रंगःप्रतिमार्गकः॥राजेगात्रं गोंनिर्मुटस्तुपण्याजीवकरंगलें।पंसिहइक्रपारोहौजन्यंग्राम मुरपंचतत्॥२०॥तिभूमिवर्ग:॥स्यादभिस्यंदिरमणशापान, गरमित्यपिशासनधर्मकील स्यान्म कुतिःशूद्रशासनम्। शापट्टोलिकाकृप्तकीलोपांशुकूलनकस्यचिताषद्धियः। स्यादंगष्ठएतै दशभिर्भवेत्॥२२॥वितरित स्यादतोहाभ्यांह स्तःस्यात्तचतुष्टयम्॥दंडोधन्वन्तरतस्यसहस्त्रहितयेनतु॥२३) शस्ताभ्योतुगन्यूतिस्तस्यंयोजनमताचतुरष्टशतग्रामांतों णमुखकटौ॥२४॥गर्भागारापवरके वास्तस्यानहोनाओ||| कोहंपिटंचालोवेडभीचंद्रशालिका॥२५॥कूटागारंचाथकपिशी ईखोडकशीर्षकंक्रमशीर्षचाथरसरटीनापितशालका२६॥ - - - णिपूर्वदेशस्यत्रीण्पयोध्यायाः॥२॥ कान्यकुञ्जस्यचत्वारिहस्त नापुरस्यद्वेधर्मपुर्याः॥१३॥टेकुरुक्षेत्रस्यहेकौशांच्या प्रयागस्पचवा] रिहारकायाः॥१४॥मिथिलाराजशन्या-मथुरायाचत्वारिकाश्या-१५|| हिउन्नयिन्याःत्रीणिकर्णपुर्यादेपाटलिपुत्रस्यावशोणितपुरस्यस्यों जनस्यात्रीणिवल्मीकस्यचत्वारिसेतोषमार्गस्य॥१८॥अर्धगपुरस्यै। कंडेशोभपुरस्पचत्वारिप्रतिमार्गस्य॥१९॥त्रीणिपण्याजीवस्पचत्वारि हट्टस्य॥२०॥देशारवानगरस्यराजशासनस्यदेमूदशासनस्पmil व्यवस्थापत्रस्यअमामपट्टोलिकायाएकअंगुरास्यकवितस्तेरेक॥२२॥ - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शैलवर्गः१६ - - - कुलाधिकापक्षिशालाकारावेश्म बधोगकायमानंतणकु, टीदर्भटेनिभृतंगह॥२॥कु,कोहाटपिठराइंद्रकोषस्तुमचकः वासागारंभोगगृहकन्याफ्ल्याटनिष्कुदा॥२८॥शिवस्पषमी डप्यांबुधैर्गोपुटिकस्मृतावातायनंगहासःस्याधूटशयनंतर था॥२०॥ उपशल्योपकंठेकपाटोद्वारकंटकः॥कबाटश्चाररं कथावाटप्राकारस्यपि ॥३॥इतिपुरतर्गः॥शैलस्थावरधा! तुभृकुकीलोव्यंगकासानुमानजीमूतः पृथुशेवरवकटकी, दंतीनगोनिर्झरीगट्टारो यहिमालयोनगपतिर्मेनार्धवोमागुरु कैलासोगणपर्वतश्चरजतप्रस्थ कुवेराचलः॥३॥हिरण्यनामा मैनाक सनाभाहिमवत्सुते॥शैलाग्रेशिरवरशेंगदंताक्मा रइत्यपि 32 // पूर्वाद्रिर्दिनमूर्दास्यादस्ताद्रिश्वरमाचलचंदना द्रिस्तुमालय कौंचक्रौंचवमाल्यवान्॥३३॥महेंद्रोमलयःस || शक्तिमानगंधमादनः॥विंध्यपारिया श्वसप्तैतेचकुलाचर ला:॥३४॥अश्मापवारुकाकाठपारटीटश्चमन्मघर्षणाला शिलापुत्रीगृहाश्मागृहकछपः॥३५॥गैरिकंतुवनालक्तरक्ता गयेरुकम्॥प्रत्यश्मागिरिमच्चायशिलाधातुःसितोपल:॥३६॥ - हस्तस्यैकंडेहस्तचतुष्टयस्यकोशस्यै॥२३॥गन्यूतेरेकंयोजनस्पेक यामभेदयोरेकैकं ॥३४॥गर्भगृहस्यदेवास्तुनहगृहस्यहचालस्यत्रीणि वडभ्याः॥२५॥ त्रीणिकपिशीर्षस्यहेनापितगृहस्य॥२६॥हेपक्षिशाला| या कारागहस्यद्वेतणछन्नगृहस्यनिभृतगृहस्यैका गृहभेदस्यत्रीणि मंच प्यावंचवासगृहस्य॥२८॥एकंशिवरषरहस्यत्रीणिगवाक्षस्य हयामासस्यचत्वारिकपाटस्यप्रावरणस्य॥३०॥ चतुर्दशशैलस्यचत्वारि) हिमालयस्वचत्वारिकैलासस्प॥३॥त्रीणिमेनाकस्यपंचशिखरस्य॥३२ ॥डेडदया जस्तारे हेमलयस्पत्रीणिमाल्यवतः३३ सप्तकुलाचलानामे|| कैकं 34 पडाश्मनादेशिलापुत्रस्यदेशिलापट्टस्य३५ाषगरिकस्यत्रीणि॥ -- For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वनौषधिवर्ग:१७ % 3ESED Armaan - - - - - - मकोलोवर्णलेरवाचकटिनीककरवटीरक्टीभाइतिशेलवर्ग:॥ वार्शवनंतलंतल्कंगुहिनंसगजेत्रसालीलोद्यानंदेव स्थाहिनो लीपंक्तिरावली॥३॥क्षःकारस्करोगसापलाशीविष्टरस्थिरः।। चैत्योदेवतरुवावासेकरिभकंजरौ॥३८॥छायातसस्थिरलायो विदाकाकरुहास्मृता। वनस्पतिनिर्मुदःस्यात्कुलोन्निद्रविकस्वः रा॥३॥स्मिनोन्मुद्रोंकलिंजस्तुसूक्ष्मदोर्वथपल्लवः॥किसलंकिस लंचा थोत्कलिकागारितेसमोराछोगलुछ क्षेपास्याचमरी मेजरंनना मजिशकंटकेपासूचिदुनखर्वकिला:शापिप्पः लावादरंगास्याचैत्यदु-केशवालयः॥ यसोडुवरकत्वस्यफलेय ग्रदनाशनः॥४२॥ देवसोदलेगंधिःसप्तपर्ण:शिरोरुजागर्दतही प्रणबीरौकतकोंबुप्रसादन॥४३॥वरुणस्वश्मरीनोथाध्वग/ भोग्योमधुमः॥कपिचूतो म्रातकोस्यफलेपशुहीतकी॥४४ || पिक बंधुरतचूतःस्यात्स्त्रीप्रियःषट्पदातिभिःशमधुदूतोवसंत दुर्महाकालोसकालको॥४५॥शोभांजनुस्तस्त्रीचित्तहारीविद्र धिनाशनः॥प्रभाजनोथषाचीनपनसांगोहरीतकी॥४॥महाका पित्योबिल्वश्चकोलिशृध्रनवीस्मृताम्या पिछलदलास्वाद फलायोनागरंगके ॥४७॥चकाधिवासीनारगःकि मीरत्वकस गंधकः॥स्यादर्मण पिछिलत्वधवस्तमधरत्वचः॥४८॥ // ull - - - % 3D चत्वारिखटिकाया:३७॥ सप्तवनस्यबेलीलोद्यानस्य त्रीणिपेत्ते.॥३७॥५|| सस्य पंचचैत्यस्य॥३८॥छायातरो:द्वेवंदायाः अपुष्यवृक्षस्यपेचा फलस्य॥३॥टेसूक्ष्मदरारो:त्रीणि पल्लवस्यउत्कलिकायाः॥४०॥त्रीणि||l सच्छस्यत्रीणिमंजर्याःचत्रारिकंटकस्य॥४॥पंचपिप्पलस्थतफल स्यैकंपंचसप्तपर्णस्य॥४॥चत्वारिजबीरस्य॥४३॥देवरुणस्यचत्वार्य नातकस्यहेत सुरुषस्थ ॥४४ापहाम्रस्य हेमहाकालस्य चत्वारिशोभा जनस्पचत्तारिबिल्वस्य चत्वारिबर्या:सहनागरंगस्य४७चत्वारिधवस्यका - SARAmmon For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - pam - -- - - - वनौषधिवर्ग:१८ पिशाच-पीतफल शाकोट-कर्कशछदः अशोहितस्तुरखोनो भल्लातक्पथशाल्मली॥४२॥दुरारोहास्मतापिंडीतगर:कफवध| नाकाकञ्चिीतुलाबीजरेवदिरोबालपत्रकः॥५॥ यूपद्रकुष्ठ हतूचाथकरंजोघृतपूर्णकः॥रसायनफलापथ्याशकसृष्टीसुधो भवाँ॥५॥सरलोधूपक्षःस्यातशोणकोन्यंकमूरुहेगाचंपको ल्वस्तुमुरजफल स्यात्पनसनसः॥५२॥डहासुद्रांवुपनसोनिः चलोरक्तमंजरः॥निबोर्क पादपःपुण्यगंधस्तुकुसुमाधिराट् // 53 ||| चंप को वरलव्धश्चंबकलासिंदकेशरः।।शीधुगंधोथकेकेलिर्नटी कोतांघ्रिोहदः॥५४॥ अशोकःपिंडपुष्पस्तुदाडिमःफलशाडवः गदाडिंबापर्वरुटचस्यात्स्वादम्लःशुकवल्लभः॥५५॥पिंडीरोथस पर्णेभनागारव्योनागकेशरःस्यात्पुष्परोचनश्यापिचूर्णतस्यहार||| द्रवः॥५६॥निशिपुष्यातुशेफालीकुरजःपांडरद्रमःोलताशंकु | तरुःसालोनीपोधाराकरंबकः॥५॥कटकटेरीहरिद्रोशिशपा, गुरुपत्रिका पटोलेस्थाद्राजफलं तस्यमूलेतुरम्यकं॥५॥ सूत्रपुष्पस्तुकासजीर्णपर्णकदंबकम्॥प्रहसंतानियू थीस्या, इमन:पुष्पचामरः॥५॥मालतीपुष्पकलिकांसोमनस्यायनी चि दुः॥ कुंदेस्याहोरटः पुंसिये भीतुनवमालिकारक्तपिंडस्वोपथ्य स्यादम्लान करंटकः॥६॥कंदलशिलीधपुष्पेश्लेभघ्नात्रिपुरम |ल्लिकोप्रोक्तागएरंडहस्तिकत्रिीचीनामलकवारिबरे॥६॥ - देशाकोटस्यत्रीणिभल्लातक्या देशाल्मल्या राट्रेपिडीतगरस्यहेका करिंच्या चत्वारिख दिरस्य देकरंजस्यचत्वारिहरीतक्याशदेसरल ॥स्यद्देशोणकस्यत्रीणिपनमस्य 52 टेलकुरस्यचत्वारिनिंबस्पचत्वारिचय कस्य५३त्रीणिबकुलस्यचत्वार्यशेकस्य५४अदाडिमस्य५५ पंचनागके सरस्यतचूर्णस्यैकदेशेफाल्या रेकुरजस्यदेसालस्यदेधाराकदंबस्य 27 देहरिद्रायाःदेशिशपाया हेपटोलस्यतन्मूलस्पैकंकासिस्यहेका - - NT - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वनौषधीवर्ग:१९ 33 - - - रहत्पाटलिधूस्तूशैकदलीत्वायतछरा॥३॥स्यातंतुविग्रहामजि फलावारणवल्लभावातिंगणस्तुवार्ताकुर्वाताकःशाकबिंदकः || ६३॥क्कीबेवेगंचवार्ताकीस्यान्महाबहतीत्यपिाकुटंगदाव्यमूल त्वस्यपुष्करमूलकम्॥६४॥ वेकसेनःस्त्वगस्तिदुःशुकनासोमुनि द्रुमः॥अनलि कुनलीपुत्रजीवस्तुश्लीपदापदः॥६५॥ छत्रकोमलित पत्रस्यात्कुलकोवारिकंटकः॥वास्तू कष्टक्कदेशीयःशाकवीरोध| नामलः॥६६॥शोथजिगरहाकालशाकोप्यथमहोषधीमहीविष| घ्रीचक्रोगीमत्स्याक्षीदिलमोचिका॥६॥जलब्रह्मीचशालिंचपन रोलोहमारकः।केचुकंपेचुलीपेचुर्नाडीचौविश्वरोचनः॥केश | राजोनागमार:वपरु गसोदरः।सुनिषण्णंचुचःपुसिछत्रपत्रंतमा लकम्॥६॥ स्थलपद्ममयोदेवपल्लीमध्वालुकेविटुगफलपुलो! वरंडालु स्याद्गेष्टालुकंतुयत्॥७॥श्रीमस्तकास्वस्तिक स्यादाही छिटोरसोनकः।कुमाउसुपूणावासस्ति मिषोग्राम्यकर्कटी // 1 // वालुकीकर्कटीसिद्बलारोमशाचसास्याञ्चेलालचित्रफल सुरवाशोराजतेमिषः॥७२॥लतापनसनाटाम्रोसेढुंरूनीसितस्ता यः॥पवास कारवेल्लोमौगोडुवागजचिर्भटे ॥३॥मृत्युबीजस्तु वंश-स्यात् केतकःऋकरछक्कटोवहुमूल स्यातकरीरेवेणु देबस्यहेयूथ्या:हेदमनस्य५नमालतीकलिकायाएकंडेकंदस्यद्धेनवमालि कायाले ओड्पुष्पम्यहेकुरटकस्य॥६० देशिलीध्रपुष्पस्य त्रिपुरमल्लिका याःदेएरंडस्यप्राचीनामलकस्यक्षवेधूस्तूरस्यपेचकदल्या:॥६॥स सवार्नाको 63 टेकुष्ठस्यपुष्करमूलस्यैकं६४ षडगस्ति दो पुत्रंजीवस्या दिलवाया टेकुब्जकस्यद्वेवास्तूकस्यत्रीणिपुनर्नवायाः६६हेकालशाकस्य पिचकटुरोहिण्या त्रीणिजलब्रह्मयात्रीणिशालिंचाया:पंचपेचुकस्यम चत्वारिकेशराजस्यदेसुनिषंडस्यत्रीणिस्थलपद्मस्यदल ट्रेमध्वालो देवर डालो त्रीणिलंगेष्टालोः॥७॥दूरसोनस्यनत्वारिकभोडस्य१पंचकर्कट्या % - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वनौषधीवर्ग:२० % 3D कर्करः।।७४॥ काशोश्ववाल काकेसुर्वनहाराजैतुला गुडदा | रुमधुतणस्यादिक्षुरसिपत्रकः।।७५॥खानोदकोनारिकेलःकरका भाःशिरफलः।सुरंजनोगोपदलोराजतालछराफलः॥७॥करम|| इस्तंतुसारोगुवाकोकोरड्यपि रामपूगस्तुकामीनोमुनिपूगःस्तु रिवरः॥७॥पूगोटस्तुहिंसालक्लीबंकिरिदितत्फलम्॥धनामय स्यात्रव»रोहतकाचिमभेज॥७॥तरौदेवकुलोद्भतेर्षातुह रितालिका इतिवनौषधिवर्गः॥ सिंहाकेटीखोभीमविका तःकरिमाचलः॥पंचशिरवश्वशैलातःपारीदःश्वेतपिंगलः॥८॥| मरुत्पवश्वनादोस्य चुकारहवेडितंचतत् उत्पादकस्तुशरभः॥ शार्दूलोशापदश्वस॥८॥अहिंस्त्रपशुश्विापदःशिवि रित्यपिावाधीनसस्त्वेकचरोगणोत्साहनगंडकः॥५२॥हिसारु, श्वापदोव्याघ्रोमहिषस्करजस्वलादेशभीर्जरतश्चनालिकोय| मवाहनः। ८३॥अथशूकरेवनाहिरदंतायुधचक्रवत्रदीर्घरदाः ॥सूचीरोमाबहुसुरारबनिकस्थूलनासिकोभूक्षिताच्याएणः॥ - - सप्तसुखाशस्य॥७२॥पंचकारवेलस्यगोडुवायाः७३॥ देवंशस्यकेतका स्यदेवहुमूल्यस्य॥गद्वेकरीरस्य॥७॥पंचकाशस्यचत्वारीक्षोः०५ चत्वारिनारिकेलस्यपूगवृक्षस्याहौ।।७६॥चलारिरामपूगस्य७७॥द्दे हितालस्यतत्फलस्यैकंडेखरस्यदेवकुलोद्भुत द्रोदे हेदूर्वाया। नवसिंहस्थ रेसिंहनादस्यचत्वारिशरभस्य८१चत्वारिहिंस्त्रपशोःचत्वारि गेडकस्यत्रीणिव्याघ्रस्यषमहिषस्य३ दशशूकरस्यप्४पंचकरंगस्यपेच वानरस्यप्प्ष गालस्यपंचशृगालिकाया:८६पंचविडालस्या८७॥ द्वेश | शस्य देख हास्या द्वेगवयस्पवीण्येडकस्य। 88 // नीणिखट्टाशस्यत्री) एयरो इमूषिकायाः॥९॥चत्वारिछछंदर्या-पंचककलाशस्य 20 त्रीणिपल्या कर्णजलोकसठूलपणादिलाया:९१ अष्टपादाचवा रिपारावतस्य // 2 // दशोलूकस्य // 3 // अष्टरखंजनस्य॥९॥॥ mar For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिंहादिवर्ग:२१ - - - - %3 - - कुरंगमोरिश्यःसादृश्यश्वारुलोचन: गोलांगुलेकपित्यास्यधि शोणनगाटनाः॥८५किविश्वदूरवस्तुस्यातगालोघोररासा नःआलोपाकोमृतमत्त नवनवाथरसूगालिकागालोमालिका|| दीप्तजिव्हाकिरिखरुल्कामुखीचसागविडालकुंदमोनकचारीही ताशाजाहको॥शशकस्तुवनासुःस्पातखट्टाशीपूतिशारिजा [गवयस्तुगवालूकेण्डक शिशुवाह्यकः॥८॥ वनछागो थगं धौतुखट्टाशोवनवासनः। उंदुरुस्तटुमोरंधबधुदीनातुपूषिको ॥९॥स्याच्चिकोवेश्मनकुल संषोधमूषिकःस्याटेदार-क्रक चपाहकलाशस्तृणांजनः॥०॥प्रतिसूयोप्यांजनस्तुचित्रकोलो हलाहलाकारस्कराटिकाकर्णजलौकास्यादथोवतिः॥९१५उपा दिकोदेहिकास्यांदपादस्तुकिंतनुःप्रसादकुक्कुटोझिल्लीकंठोर हकपोतकः॥२॥पारावतोयशकारल्यादिवधिोकानासिकाहार नेत्रीदिवासीतोनखाशीपीयुषर्घरौ॥३॥काकभीरुनक्तवारी के णाटीनस्तखंजनः॥काकछदिवंजखेलस्तातनोमुनिपुत्रकः। भद्रनामारतनिधि काष्ठकुट्टःशतछोदीर्घपादस्तुकंक। स्यागलेगंडसमर्कटाराचानकेबवापीहपनतोलत्रिशंक विवर्षपियोयमेधावीचिरिस्कीस्पलाशनः॥६॥कुक्कुटस्तवि वृत्ताक्षोरात्रिवेदीकलाविक उपाकले थताम्रास काकपुष्ट का दूमुखामधुकंठोपोषयित्नुःकामताल सुतनः। काकोरत ज्वेस्सूत्रीश्रावकोगूढमैथुनः॥८॥कारवःपरमृत्युश्चलुटाको मौगलिईिकः॥शकजेःसत्यवाकाणोपरुष्णेनगरीवकः // द्रिश्नाडीजंघोगप्रस्याहरदर्शिनि शितिकंठस्तुदात्यूहर काकमगुकचादरः॥१०॥चिरैभणस्तुचिलु-स्यात्वभाति केठनी বৰাঙ্কিক্কক্কক্যাশি:ৎপইহুবকহৰাহিকা स्यतपंचकुकुरस्यसप्तकोकिलस्य सप्तदशकाकस्य देशप्रस्पचत्वारि - - %3- - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिंहादिवर्ग:२२ - - - - - - - - - - - डकःसूक्तामरनशलाकाचित्राक्षीशारिकावचंडाशकुनता तुज्येष्ठागृहोलिकादहनीमूलीआदीर्घघोनिशैतःस्थाहको| शुलुकवायसः॥२॥ कंकेरुद्वारवलिमुशिरखीचंद्रविहंगमः॥ गवसकावला कास्यातकुररोमत्स्यनाशनः॥३॥इंचारीचक|| बाकसारसस्तकलाकुरः॥गोमर्दश्वित्रपसस्ततित्तिरि-स्पाक जिलघुभांसोमयूरस्तचंद्रकीचित्रमेखलः॥प्रचलाकी सितापांगशिरवारलगलबताः॥५॥मारिकश्वाथतिलमयूरः स्थालेका मत्स्याशनोमीनरंकोनासा छिन्नीतुपूर्णिका पिपीलिकानुहोगस्याद्यम की रस्तुघुपुरमा स्यान्मर्कटस्कशलक। आशाबंधो स्थजालकै॥७॥फालवलागरुयोधीभारतीव्योम) नासिकाचतिमूधिस्तुसुग्रह पीततुंडौथसर्षपीगाहापुत्रि कारजनिकानुलिकारकोरि के समकोटव्याधनस्यात्त रुकूलिस्तवाग्गालावर्तिकाविष्णुलिंगीस्यालापकौलपुने गले सरकाकस्तुहंसःस्माज्जालपास्युरुदेशकागोभेडी। र-पंककीर कोयष्टिलककमा जीपंजीयोविषमृत्यु वजाये। यमसिका॥११॥माचिकाभमरालोचदंशस्यादमरालिकाभं कारीचर्मचट्यातुजतुनीगृहमाचिका॥१॥विषसककाभंगरी // लोवरोलस्नगाषट्पदः चरटीनुवरालीस्या ब्राह्मण्यथत्तमोमणिः 3533ESemaram // चत्वारिहिलस्य पंचशारिकाया पंचगृहगोधायाः॥१॥अष्टबकस्य 2 हेवा लाकामा नरस्य हेचकलाकस्यत्रीणिसारसस्परत्वाइनितिरे:१४ || मरस्याटो हेतिलमपूरस्य देनी नरकस्य हेपूर्णिकायाः 64 हेपिपीलि]] काया परस्पदेशलकम्यनज्जालस्य सत्यारिभारत्या त्रीणिकारंड| स्पंद्रहापुत्रिकायाः देपलेलो हेवामगुदम्यरवर्तिकाया हेलानकस्या, चत्वारिहंसस्य 1 देनलकुलमस्यत्रीयाजीपंजीवस्यनीणिमसिकाया:mil वाणिदंशस्यत्रीणिचर्मवस्याश्चत्वारि गलोलस्यत्रीणिवरट्या संचरवयो। manomen Homwwmnuarunaara -Ramananearesamaya - Reemaramananew mommyamuseuwsI p urimoniamwimm mmmm - imarwanama A ama m m mmmmware m mamirroreiraimaamanand o mmemora snesed For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिंहादिवर्ग:२३ - - -- - -- - ॥१३॥ध्यांतोन्मेषारखद्योतोज्योति/जनिमेषरुकोभ्रमरवं चरीक स्याद्रोलंबोमधुसूदनः॥१४॥इंदिदिरम्पुष्पकीटोमधुनो मधुकेशव-रेणुवासोऽर्थमशकोघोषोरणरणग्रसः॥१५॥पसी|| तुनाडीचरण:स्पाचंचुभूटनेकजः स्युरवगोत्यतवारंक कंठानि व्योमचारिणः॥१६॥ युगलईडयुग्मानियुगंयमल यामले। इति सिंहवर्गः॥ स्त्रीवधूोषितारामामंडयंतीवधूजनः।कन्यकाला कनंदासाभूषिताधर्मकारिणी१७॥सस्वेदोचायतरुणीदिकरी धनिकाचसामरूंडोचललाटास्यात्मश्भनरमानिनी॥१८ स्नुषावधूटीमेधुरनिस्वनाहंसगहोगकोधनाभामिनीचंडीदा रुस्त्रीशालभंजिकालाविरक्तादुर्भगासप्तपुत्रस्वःसतवस्करा पतिव्रतैकपत्नीस्याद्विधवाजालिकामता॥राविश्वस्तांवांछित नीतुस्याल्लंजिकाकलतूलिका वेश्याशूलावारवाणिर्झर्झरा|| प्यथकुट्टिनी॥२१॥ज्यास्याद्रततालीचघटदासीगणेरुकाम लिष्टासरजाः पाण्मातुरबैमातुरोसमौ २२॥सम हितोपत्रो द्वितीय कुलधारकापिताजनयिताव तोशिशुक सारक ठकः॥२३॥ बालोमुरिंधयःश्वाथश्यालिकाकेलि कुचिकानागरोदेवर श्यालोवारकीरोथसानुधीः॥२४॥श्वश्रू-शतानीकोजरं) तस्यादथांशक- सगंधज्ञातिदायादामातुलोमात केशंटः॥२५) - mance नवनमरस्य॥१४॥भीणिमशकस्य॥१५॥पक्षिणोष्ट॥षट्युगस्यपद। स्त्रियादेकन्याया देअदूषितायः॥१७॥त्रीणितरुण्या हेउचललारायाः देसश्मोपदेनषायांद्रेमधुरस्वनाया त्रीणिक्रोधनाया दारुत्रि यदेभंगाया: हेसहपुत्राया पतिव्रताया त्रीणिविधवाया:२० श्रीणियाछिन्यः चत्वारिवेश्यापा-पंचकुट्टिन्याःम्लानांग्या द्वैमातुर स्य२२ हेदुहितुःनीणिपुत्रस्य त्रीणि पितुःचत्वारिवालस्य२३द्वेशालिकाया दिदेवरस्यहेश्यालस्यद्वेश्रवा-२४त्रीणिद्धस्वचत्वारिजात मातुलस्य२५ / m ail- E m - in-arma menterna t emarama - - -- - ma maamier Crea For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मनुष्यवर्ग:२४ - - - - - भर्ताभरुनमकील-प्राणनाथ सुखोत्सवःहृदयेशोरतगुरु | रि-पापति समौ॥२६॥कमारभृत्यास्याहालतंत्रंगर्भिण्यवे क्षणगर्भाष्टमोदेवमासोनाभिनालामलोस्मृता॥२७॥आधा निक सवनसीमुंतोन्नयनचतताखल्लीढःखलिनि कल्लोब धिर खोरवेजकोदोन्डुर्वाहुकुंठ स्यैदौषधंतुभिषग्नि तमत्वक पुष्पिकाकिलासंस्यात्श्लीपरंपादगेडिरेः॥॥यो न्यर्शकंदसैज्ञस्याकिणःशकवणोपिचाअजीणेवायुगडीत वभिश्चपलताशयः॥३॥पापरोगोरक्तवटीमसूर्यथतमोवणः वल्मीकोथातिसारोन्नगंधिःस्यादुदरामयः॥३१॥करंडरद्वौम्सि पाणशेटौस्कंदनरेचना गर्भेडोनाभिगुडकौभिमथोलोचनाम्। ये॥३२॥युवगंडावगंड स्यात्पित्तंमायुपलंकरं लेभावलाशो मास्तुजरूयमेथशोणितम्॥३३॥पलसारोममस्तिस्कोमस्त लगोप्यथस्नसागवस्नसोथोधरमधुकीवेकासवःपुभान३४ जिव्हामलंतुकलुकंपिप्पिकादेतजेमला पिंडोस्त्रियाकुल क्षेत्र शरीरस्कंदपनरो॥३५॥ शस्तंवपापुद्गलस्यादोगमगंतुकोम लंपायुस्तनुद्दोमार्गउच्चारस्तुपुरीषणः॥३६॥भगेगुह्यवरांग चकलजन्मवर्मचास्मरागारतिगृहमधोवस्थादिहाव्यये 37 - - सप्तभर्तुम्हेजारस्यरत्रीणिगर्भिणीचर्याया देगर्भाष्टमस्यद्वेनाभिनाला|| या:२७त्रीणिसंस्काराणामेकैकंरेखल्लीढस्यबधिरस्यदेखंजस्यरस हे वाहकुंठस्यदूऔषधस्यकीलासस्यश्रीपदस्य चत्वारियोन्यस्यि|| चत्वार्यजीर्णस्य त्रीणिवसंतवणस्यदेवल्मीकस्यत्रीण्यतिसारस्य३१॥ श्रीणिकुरेडस्य हेरेवनस्यनाभिगुडस्यहुनेत्रामयस्य३॥ अवगंडस्य त्रीणिपित्तस्यहेश्लेषण मांसस्यरत स्यमस्तिकस्यदेवलसाया दे। अधरमधुनः३४ जिव्हामलस्यदंतमलस्यैकंत्रीणिशरीरस्यशस्लप पएककोमलांगस्यैकंत्रीणिपायोइविशिष्टायाः३६सप्तदशनगस्य॥३७) - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मनुष्यवर्ग:२५ - नासेधिरधरोवाच्यदेशवस्मरकूपकः॥संसारमागेश्वरतिकु हरंपरुतिःस्त्रियाम्॥३॥पुष्पापत्यपथौचायनितंब.स्याक टीरकः॥लिंगंतुलांगलंशेफसाधनमदनांकुश॥३॥स्मरस्तं // भश्चकंदर्पमुसलोध्वजइत्यपि।स्त्रियांनागलतोचोडकोषस्तु फलकोषकः॥४॥नाभिईयोस्तुंदकूपीतुंदस्तुंदिकरःपुमान्॥ अधोमर्मश रुहारमुरुशक्थिरजाघनी४॥भुजावाहाचवा हौस्यात्कुलिईस्तोभुजादल कुचोवक्षोरुहोपोक्तीहस्तपुछंतु, कल्मष॥४३॥ नरवःपुनर्भवकामांकुश स्यात्करकंटकः॥करे। दुःकरशूकश्यपुछत्यगुलिमोटनम्४३॥स्यात्काकलंकेटमणि नसानस्याचनासिका॥गंधनालीचनासिक्यवादलेदतवास || सि॥४४॥देतरखरूर्वखुरोजभोहानु िजस्तथागराजदेतास्तु) चत्वारोदशनानापुरस्थिताः॥४५॥गोधिभालोमहाशेरवंदैवदी।। पस्तुलोचन।अबकैचाथनेत्रांबुवाष्योनालेतैमस्त्रियोगक टासकाौकाकुस्तजिव्हास्यात्प्रतिजिव्हिका॥४६॥सुधाश्रया चकर्णस्तोतलीबेध्वनिग्रहः॥स्याछब्दाधिष्ठानमथकबस्के। शगर्भकः॥४७॥ कबरीङ्कटक श्वाथकोटिर:स्याज्जटासटाणकरा|| रोटोगुलीटस्यानाडकर्णदर्पण:॥४॥अंक पादकटकोन भिषेकास्नानमित्यपिपिटचरंजीर्णवस्त्रोमिचयपोथशाटका H३८॥टेनितंबस्यनवलिंगस्य॥३॥अंडकोषस्य४. चत्वारिनाभ्या:४१mil णिभुजाणत्रीणिभुजादलस्पहेस्तनस्यहेहस्तपस्य४२पड्मुखाना अंगुलि मोरनस्य॥४३॥देकंठमपंचनासिकाया: ओष्ठस्य॥४॥षदेतानill श्रीणिभालस्यत्रीणिनेत्रस्य॥४॥त्रीणिनेत्रांबुनः ऐकटाक्षस्वचत्वारि जिव्हायाः॥४६॥चत्वारिकर्णयो:चत्वारिकबर्याः॥४७॥ त्रीणिजटायाः|| अंगुलीयकस्य देताटेकस्य॥४८॥ पादकटकस्य द्वेस्नानस्य ट्रेजी वस्त्रस्य त्रीणिशाटकस्यापंचवस्त्ररहस्यदेवरग्रहम्य हे सुः // - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मनुष्यवर्ग: 26 Baramawasnases - - - amme परवाप-पदमयंदूष्यवस्त्रमहंस्थलोवरग्रहावरग्रहकवातुस्था। लशादकः॥५०॥ चोलोडकाशिरोवेष्टविरिंगिन्याठिकापाठीय वनिकासूर्यरक्तसंज्ञतुकुंकम॥५१॥जागुडीपनपत्रंसौरभंधु सूर्णचततास्याद्रंगमात कालासागंधकाष्टं तुजोगक ५२॥कपि चचलतैलारेव्यःसिल्हो असरलद्रवःधिसीरपृतान्हस्यानधून कोवन्हिवल्लभः॥५३॥शालवेटःसर्जमणि कस्तूरीगंधचेलिकाम सव्हंश्चायसवारीधूपोगेधपिशाचिका ॥५४॥रेणुसारस्तु कपूरन भस्महिमाव्हयःविधकोमालयस्तस्यालीखंडोरोहिणसं. ॥५५॥विछितिस्तकषाय स्यात्समालभनमित्यपिाललाटिकाश रक्चरीविष्टरपीठमस्त्रियां॥५६॥निषद्याखट्टिकासंदीचातुरस्तुम सूरकप्रतियत्नस्तरचनाकर कोलापतहः॥७॥पूगपीठेचदरी पस्तुस्नेहाश:कज्जलध्वजः।दशेधनोगृहमणिर्दोषातिलकइत्या पि॥शिरवातरुर्दीपडसेज्योत्स्नासो थलोचकाकज्जले॥ स्यादिरिपकेकंदुकयोदनागुडः॥५॥निश्वकणंट्तशाणपिष्टा तोधूलिगछकः॥६॥इतिमनुष्यवर्गः॥ वंश्य-कुल्यचबीज्यस्या ब्रह्मचारीबदासमौ॥स्याद्दूकरणंतूपनय गृहमैधिनि॥६॥ ज्येशश्रमीगृहीयानप्रस्थोवैवानसोऽग्रहावक्रजस्वनमोविप्रोव ज्येष्ठकठोहिजः॥२॥मैत्र:पुनरुतजन्मास्यादथब्राह्मणायनः। - / - गहनाहने ५॥देशिरोवेष्टस्यचत्वारितिरस्करिण्या:सप्तककुमस्य५३ इलामाया अगरुकाटस्य५॥त्रीणिसिल्हस्यचत्वारिसरलद्रवस्यहे। धूनकस्य॥५३॥देसालवेष्टस्यत्रीणिकस्तूर्याात्रीणिधूपस्या४ापंचक पूरस्य॥५५॥त्रीणिश्रीखंडस्यत्रीणिकाषायस्य ललाटिकायाःद्वेपीठः॥ स्य॥५६॥त्रीणिरखवाया हेउपवणस्यहेरचनायाः त्रीणिपतहस्य५७षद | दीपस्य५पत्रीणिदीपस्सस्यद्वेकज्जलस्यत्रीणिकदुकस्याहेरंतशाणस्य हेपटवासस्य॥६॥त्रीणिवंश्यस्य ब्रह्मचारिणदेउपनयनस्य॥६॥ - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ब्रह्मवर्ग:२७ Seemaan % 3A - - शुद्धसंतानजोविप्र श्रोत्र श्रोत्रियतावितु॥३॥स्यारक्षरमुखका लासरिकाशिसिताक्षरः॥काव्यस्यकर्ताभविनीगुणनीशीलनस्म| ताकियाकारोनवछात्र कार्पटिकसमर्मवितापार्षस रिषदो | गोष्टीरोजसूयोनपाध्वरः॥६॥ऋतूतमश्वाथचांद्रायणमिदुबतें|| स्मृता हरनीहोमकुंडस्यान्महावीरोमरवानलः॥६६॥ होमधूमस्तु / निगोहोमभस्मतवैष्भीआर कपिडपात्रादिपित कार्यमयोहा वि॥६॥होत्रेहविष्यसान्नाय्यंपाठकोधर्मभाणकः॥सभ्यास्तुघill निकोदेवद्रोणीयात्रादिवौकसांग६॥ इशापूर्ततदेकोक्त्यायाग|| खातादिकर्मयतायजद्रव्यं तुपाबीयाधुणस्त्वतिथिईयोः६२ // कौशलीकुशलपन समीचीवंदनामतो।उपोषणेतूपवासोरोगा। | चैलेपनंचतत्॥७॥यंतरेत्यंतरेभुक्तमाह षठालुकालकंगरा इंसिड्मयोचारुबतामासोपवासिनी ७१॥स्यागायत्रीतुसावि|| त्रीब्रह्मारण्यं तुपाठभूः॥पवित्रंयज्ञोपवीतंब्रह्मसूत्रंदिजायनीग ७२॥कछाकछटिकाकसाधटीकौपीनमित्पपिडिालबतिक सर्वाभिसंधीउग्रतापसः॥७३॥कमंडलुचैत्यमुखोजोन्टिास्तम हाव्रतीउरस्कटापंचवदोबालयज्ञोपवीतको भालेतिखो। भस्मरेरवास्पिडकमथर्षयः शापास्त्राःसत्यरचसोन्यासाद्या स्तमहर्षयः॥७॥परमर्षयस्तुभेलाद्यादेवर्षय कणादयः। ब्रह्मा - - - - / त्रीणिगृहिण त्रीणिवानप्रस्थस्यअष्टवित्रस्यशुद्धकुलोत्पन्नविषस्यैक, শ্রীমনবাহিহিহিমীবিনিমযমটুলন্তান || स्यहकार्यटिकस्यत्रीणिपरिपदस्यत्रीणिराजसूयस्य६५देचोंद्रायणस्यह होमकुंडस्यरेमरवाने:६६हेहोमधूमस्यहोमभस्मनोपितृकार्यस्यैकंच लारिहविष:शाहपाठकस्यहेसभ्यानांदेवयात्रायाएक-यागरखानादि कर्मणएकंटेयज्ञद्रव्यस्यअतिथे दर हेकुशलप्रश्नस्यदेवंदनायारे॥ पवासस्य रोगोपवासस्यैवं त्रीणियतरत्यंतरभुक्तस्यहमासोपवासि mam mu - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ब्रह्मवर्ग:२० - - - - maram. a प्रयोवसिष्ठायाःसुश्रुताद्या श्रुतर्षयातर्पणादयोराजर्ष यकोडर्षयस्त्वमी मिन्याद्यानारदस्तुकपिरोविधातभूः In७७॥देवब्रह्मादेवलेश्वरर्वासारतकुशारणिपातसस्तवा ल्मीकिः कविज्येष्ठ कुशीवंशः॥१८॥अपिवल्मीकवाल्मीको तकोटिस्तुकाश्यपः। कृष्णद्वैपायनोवेळ्यासःस्यात्सत्यभारत, ॥७९॥पाराशरिःसात्यवतोमाठरोबादरायणःगवसिहोरुंधती नाथोविश्वामित्रस्तुगाधिजगागौतमस्तुशतानंद कणादः काश्यप समोगधन्वंतरिर्दियोदासकाशिराज सुधोङ्गवः॥पा लकारख्यागणवतीकरेणुरुचिरासुतः विष्णुगुप्तस्तुकौडिन्य श्वाणक्योद्रोमिणोंशुलः॥२॥वात्स्यायनोमेदनाग-पक्षिल स्वामिनावपि उपवर्षाहलभृतिःहतकोटिरयावितः 83 पाणि निस्त्वाहिकेदा सीपुत्रःशालंकिपाणिनौशाणोत्तरीयोयच्या डिविध्यस्थोनेदिनीसुतः।।४ामेधावीचाथमेधाजिकात्याका स्यायनश्चसः॥पुनर्वसुर्वररुचिर्गोनर्दीय पतंजलि- चूर्णि नाष्यकारबहरीतर स्मृतारपुकार कालिदासोमपा रुद्राकोटिनिता दाभाविशतपुष्पैःस्याद्भवभूतिस्तविस्म तः॥भूगर्भीप्यथय प्रातःस्मयतेशुभकाम्ययाास्वस्वगृही, A % 3D . दूगायत्र्या वेदपाठभुवचत्वारियज्ञोपवीतस्य॥७२॥पंचकौपीनस्य त्रीणिछन्यतपस्विनः॥ईकमंडलो.पंचोरस्कटस्य॥४॥भस्मलेख त्रयस्यैकत्रीणिऋषीणां७५७६त्रीणिनारदस्यादेवलस्यहेतुषों ससःपटवाल्मीकेटेकाश्यपस्यसप्तव्यासस्यास्वसिशस्यो। विश्वामित्रस्यगणगौतमस्यटेकणादस्यअश्धन्वंतर्यादीनांप्रत्ये|| कंड्यद्वयंानवचाणक्यस्याशचत्वार्यपवर्षस्यषट्पाणिनेः चत्वारिव्याडेः८४ पंचकात्यायनस्यचत्वारिपतंजलेः८॥भर्तृहरेः चत्वारिकालिदासस्यभारवे त्रीणिभवभूते प्रातःस्मर्यस्यैकंग८७) mosareewanapmandara For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ब्रह्मवर्ग:२९ mum - %253D % D S - - - तनामास्याडिन्यभैलजीविकोपाषंडकौलिकोखननरतंय / / तिमैथुनौअिभावादंगनात्यागस्तुरगब्रह्मचर्यको मुखघंटाहला दलीनागवीटस्तरोकरः॥८लाखटकस्यक्षरनाथदारकर्मकर ग्रहः॥वाधुक्यंचविवाहेस्याकुहलि-भूगपुष्पिकालनांदीकोर तोरणस्तंभोसुरतत्वभिभानित॥धर्पितसंप्रयोगोनारतंचाब्रह्मच ॥र्यगाउपसएंत्रिभद्रंचक्रीडारनंमहासुख इतिब्रह्मवर्ग:। द्विजलिंगीनृपसत्र क्षत्रियोथपजेश्वरः॥राजाधिपोमंडलेशएक जन्माभयापहः॥२॥स्कंधावारस्यात्कटकःशिविरंतुबलस्थितिः|| आदिराजःपृथुर्वैग्यकाकुत्स्थस्तपुरंजयः॥३॥यौवनावस्तुमा धानोरखइंगस्तुरिलीपरादोरामोदाशरथिःकौशल्याजनिर्दशा उजितारामैथिलीजानकासीतावैदेहीभूमिजोचसागरामपुत्रौ कुशेलोवेकयोक्त्याकशीलवोरासौमित्रिलक्ष्मणामेघनाद || जिज्ञाथरावण:राक्षसेंद्रोरशमुखोलकेशोधनदानुजलाम| दोदरीश-पौलस्त्योमेघनादस्तशऋजित्मेहनूमान्दनुमानाजन|| योयोगचरानिलीसाहिडिंबारमणोरामदनगर्जुनध्वनः। सेंद्रिस्तवालीवालिश्नसुग्रीवोरविनंदनलालःपुरुरवा बौधि रुपेशीवल्लभश्चसः॥ययाति हर्षि शाकुंतले योभरत स्मृतः॥ भैक्षजीविकायाःपाखंडस्यटेयतिगोप्यरतः॥१८॥अभागल्नीत्याग स्यैबेमुखघंटाया:चत्वारिनागवीटस्यालाचत्वारिविवाहस्यदेविचा दष्पादेः॥०॥ मंगलस्तंभस्यदशसुरतस्य॥१॥चत्वारिक्षत्रियस्य त्रीणिराजःत्रीणिमंडलेशस्यासेनाया ऐसेनास्थानस्यत्रीणि|| थोडेकाकुस्थस्य॥३॥हेमांधात दिलीपस्यचत्वारिरामस्या४॥ पंचसीताया रामपुत्रयोरेकैकएकोक्तौ॥५॥त्रीणिलक्ष्मणस्यसप्त रावणस्यासमेघनादस्पष्टहनूमतारात्रीणिवाले सुग्रीवस्य noचत्वारिपुरूरवस द्वेययातचत्वारिभरतस्य॥॥चत्वारिका Karanwe e n- woman - -wammer For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - D - क्षत्रियवर्ग:३० शिष्यति सर्वदमनौ जुनीबासहस्त्रभृना हैहय कार्तवीर्य वषु ण्यश्लोकस्तुबाहकः॥२०॥नलोऽश्वविन्नैषधश्चमहाभीष्मस्तु शांतनुप्रतीपौंस्यप्रियाकालीरासेयीचझपोदरी॥२॥विचि वीचित्रांगदसूर्योजनगंधिका-यासमतासत्यवतीगांगेयो गोदिनीसुतः॥२॥देवव्रतःशांतनवोगांगोंगांगायनिसमाभीर भकोणपदंतवस्वेच्छामृत्युपुरावसुः धृतराष्ट्रस्त्वांबिके यः पांडुर्माद्रीपृशापतिः। दुर्योधनस्तकुरुरागांधारेय सुयोधनध| मपुत्रो जमीढस्यात्कर्गानुजयुधिष्ठिरोगअजातशत्रुःकांकोथभी| मसेन कटवणः॥५॥वीररेणुनागवलोगुणकारोवृकोदरः॥बककी चककिरिजरासंधहिडिंबजिना६॥ पार्थ किरीटीगांडीवीगुडाके, शोहनल-अर्जुनःफाल्गुनोनिष्णुर्विजयश्चधनंजयः। ॥सा व्यसाचीसुभद्रेशःशब्दभेदीकपिध्वजः॥वार्चप्रश्वापिबीभत्सु // पदीपोडशर्मिला पोचालीपार्षतीहष्णावेदिजानिस्सयोर ना याज्ञसैन्यर्थराधेयोवरूपेणोर्कनंदनः ॥णघटोत्कचातक पेशःसूतपुत्रक-ट्रोणस्तुगुरुराचार्योश्वस्थामातुरूपीसुत ॥१०॥ीणायनौथराजर्षिर्जनमेजयसंज्ञकः॥पारीक्षितोप्यथन रत्कारुर्यायावरोमतः॥प्रियास्यमनसादेवीजरत्कारुरथैत योः॥आस्तीकनामावनयोविरोचनसतोबलिबागोवि ॥ध्यावलीपुत्रस्याष्ट्रोरत्रोष्यदिवसादमपोषसुतश्चैयचेदिरा शिशपालः॥१३॥चाथिर्जरासंध कसास्मादयसेनजः॥ / - नवीर्यस्यपंचनलस्य॥२०॥त्रीणिशांतनो:अटसत्यवत्या॥१॥दशमीम स्य॥२॥धृतराष्ट्रस्यत्रीणिपाडोःचत्वारिसुयोधनस्य॥४॥षट्युधिष्टिरस्या एकादशभीमसेनस्य॥षोडशार्जुनस्याअष्टद्रौपद्याः॥८सप्तकर्ण|| स्यारात्रीणिट्रोणस्यत्रीण्पश्वत्थाम्नः॥१॥त्रीणिजनमेजयस्यहजरत्का|| से: तनि याया तत्पुत्रस्यैकदेवले 12 देवाणस्यत्रीणिरत्रस्यचत्वारिश - - -- - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्षत्रियवर्ग:३१ - - कर्णीसुतोमूलदेवोमूलभद्र-कलांकुरः॥१४॥मंत्रीयथिहरोमात्योग स्थितोत्रधारकासाधिकोवर्तरूकोगाटोदंडवासिनिः५स हपांशुकिलस्नेहीवयसोप्यथवार्तिकः।वार्तायनःप्रत्तुज्ञोमोहतों दैवलेखकः॥१६॥चित्तोक्तिःपुष्पशकटीदैवप्रश्नउपश्रुतिः लेखको मसिपण्यःस्याहोरक किरिकौपिसः॥१७॥मामीधानीमसिमणिर्मः। लाधुर्वर्णकूपिकामसीनलंतुमेलास्यात्परांजनमसिहयोग लेखनीवर्णतूलीस्याखेरचोवाचिकहारकःवर्णदूतास्वस्तिमुखक/ चेलंतन्निबंधनम्गालेखस्थानग्रंथकूटीमुद्राप्रत्ययकारिणी यातुर्गेतुश्चपथिकोहारि-पथिकसंनतिः॥२०॥संदेश प्राभतंकौश ल्युत्कोचस्तूपदानकैगजनीतिकप्रकाशोलडीस्याल्यायसार णी॥तांबुलरोबाग्गुलिकोसवाहकोगमकाचामरंरोमगुः॥ संचकेशरंचारचूलक२२॥कुठेरुमथस प्रोतोत्सादनंवरहि माछत्रपुरोटजेरोजशृंगंकनक दंडके२३॥ हस्तीमहामृगः पीलुसिंधुरोदीर्घमारुतः॥राजीवोजलकांक्षश्चनि.करेटीक || टी॥२४॥विलोमजिव्हांतःस्वेदपिंडपादलतालकावरांग-पुष्परों शूर्पकर्णसामजपेचिला॥२५॥ करिणीवासितागंभीरवेद्यकुशद धरः॥चालकव्यालकौराजबायोविजयकुंजरः॥२६॥ईशादंतोमर हादतःकर्णास्फालेझलझलो मदप्रयोगोव्यस्तारविकस्तुकरि॥ शाबकः७॥आरसाकंभसंधिस्यात्संदानौष्ठीवतोपराना, - - देनरासंपस्यषट्कं सस्यत्रीण्यमात्यस्यपद्गस्थितस्याप्रीणिषयस्यस्य त्रीणिप्रवृत्तितस्यद्वेगणकस्याचित्वाकाशवाण्या चत्वारिलेखकस्य ll चत्वारिमसिध्यान्या हेमसीजलस्यदेकज्जल्याः॥१॥टेकलमस्पचरकारिले|| खस्यपत्रीनिधनस्यैकंरटेलेव्यस्ठानस्यमुद्राया-त्रीणिपधिकस्यद्देपर ॥थि कसंघस्य 20 प्रीणिसंदेशस्यहेजकोचस्य अप्रकाशस्यहेन्या यसारिण्या:|| सहेतांबूलदस्यअंगमर्दकस्यचत्वारिचामरस्पर चामरवातस्यचत्वारि // - कारमा - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - % emmmmm - 3 - क्षत्रियवर्ग:३२ सापूर्वस्थूलहस्तदनमूलेकरीरिकाराशेखकटौतमध्यप्रवेष्ट घटतल्सन आयस्कार-प्रजधामोहवरणपर्वणिमाननागात्रा वरेनीलीकराकर्णवेधनी आलानशंकरशोभाधारब्धिगनबंध नी॥३०॥पारीतुश्रृंखलाहिंजीरो स्वीस्थाकुशवसः॥पित्तज्वर-पा कलोस्यकूतपूर्व स्त्रिदोषजः॥३॥अश्वकिल्कीहरिकांतःशालिहो) ऋश्चमुगभुताश्रीपुत्रश्वामरीहेषीराजस्कंधोमरुद्रथः॥३२॥वाता| पनौकशोरस्तुपंचांगपुष्पितः। सपंचभद्रसूर्याश्चातारह रितोसमो॥३॥ यायावरोश्वमेधीय पारसीक परादनः आवहन बचोस्क स्तसिंधुबारोहयोनमः॥३४॥वाताश्चजात्या जानेयाने || शरोचतरखर श्रीवृक्षकोहदावोरोचमानोगलोद्भवः॥३५॥ऊ ध्वस्थितिःपुरुपिकविक्रांतिस्तुपलायित पुलासन्नाइप्रस्वरौंक वियंकरकोच्यते॥३६॥ग्रीवाटापपरास्याद्रश्मिःप्रक्यणचतता प्रतोदेथखुरोविलापुटोलुंठनवेल्लन३७॥वलादतालिकाप ल्ययनंपर्याणमस्यतुगवंकायभाग:स्थादश्वचारोवल्लभपालकः // ॥॥३॥नंदिघोषोर्जुनरथोनीतिघोषस्तगीष्यतेः॥चंकरपोरणेया % ance - - छत्रस्यद्वेस्वर्णदंडछत्रस्य२३ हार्विशतिर्हस्तिनः२५२५॥ देकरिण्याचलार्यकुशा || बेतु दूविजयगजस्य२६गजदंतस्पकर्णाम्फालस्यदेप्रमदप्रयोगस्यहेकर, शावकस्य 27 हेकुंभसंधेःसंदानस्यैकनासापूर्वस्यैकदंतमूलस्यास्त्रीणिद, नमध्यस्यपृष्ठतल्पनस्यहेप्रजघायस्यद्वेचरणपर्वणः द्वेगात्रावरगोरे कैकंपंचकर्णदेधिन्या त्रीणिगजबंधनस्तंभस्य३ त्रीणिशृंखलाया-त्रीणिभं|| कुशस्यदेहस्तिपालकस्य 31 हादशाश्वस्य३२त्रीणिपंचभट्रस्यदेसूर्याश्यस्य 23 अपमेधीयस्यत्रीणियारसीकाम्यस्यदेसिंधुदेशाश्वस्यटेकुलीनाश्वस्य) त्रीण्यश्वतरस्यद्वेभवहदावर्तस्यअश्वगलावर्तस्यकं ३५उर्धावर्तस्यैकद्वेष श्वगते त्रीणिसन्मादस्यहेक विकाया ॥३६॥टेग्रीवाटायाःत्रीणिप्रतोदस्य त्रिीणिखुरस्यलुंठनस्य३७॥त्रीणिवलाया पर्याणस्यअश्वपालस्य॥३८॥ - mamein % 3 - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - क्षत्रियवर्ग:३३ नमात्रेचक्रवरिस्मृतं॥३॥ लचीलाष्ट्रीरथीकालवलनत्वकवर्म|| णोमेठोमेंडोहस्तिपकैजपागाणंतुमखुण॥४॥स्थान्नायकाये सरिौनासीरंदर्पऊष्मणिशस्त्रमायुधमुहातःस्थावरंतुधन सुणी॥४॥शरावापोधन स्त्रीस्यात्तणतात्रिणतापिचगव्यध्यस्तु|| प्रतिकायःस्याज्जीवास्याभारवंगुणः॥४२॥शस्त्राभ्यासवरखुर लीबाणःस्थादस्वकेटकः॥स्थूलखेडोविपाठवचित्र पुरसःशरः॥ सरः॥४३॥पत्रवाहो विकषोऽथतीरंनिज्जलशायकलोहनालख नाराचःप्रसरकोडगोचरः॥४४॥ऋषिःवडास्तरवारि-शस्त्रोभ द्रात्मजश्वसः॥धारा विषाविशसनोन्युजखंड कटीतलः॥४॥ स्यादनञ्चकालपर्युपरशुरित्यपिादीर्घायुधशलकुंतश ल्याशेकर्वियांकरमा४६॥श्रीलोऽस्त्रीसीसकलग्नाःपातेयास्त तिव्रता भोगावलीबंदिपाठौनसकीटस्तगाचित वातके तःक्षितिकणःस्यात्यांशुमंदिनीव सभार सर्वपूर्णवपनाकाव्यो। |ममंजरंग४८॥कदली केदलीचीनमध्याठस्तमलभूभीरुस्तभे| लोहरिणहदयास्यात्पलकटः॥४॥विद्रावस्तशृगालीस्यादाघा| नस्तुवधस्थलीगकरनंमारणमथ सौप्तिकं रात्रिमारण॥५०॥ निपातोभूमिलाभश्चमृत्करप्यथमारकःआमरणोमारिरुत्पातः - अर्जुनरथस्यैकरहस्यतिरयस्यैकहेयानमात्रस्य चक्रस्पाइतात्रीणिll लघुरथस्यत्रीणिवर्मणात्रीणिहस्तिपस्यहेजेघात्राणस्यामानाय | कस्यत्रीणिदर्पस्यत्रीणिशस्त्रस्यसप्तधनुषः॥४१॥षधनरणस्प॥२॥ देशस्त्राभ्यासस्य नववाणस्य॥४३॥ त्रीणिसायकस्यचत्तारिनाराचस्य 44 सप्तरखडस्यरेन्युजरवङ्गस्य॥शादचक्रफलस्यद्दे परशोःषट्ङ्गतस्य ४६हेशूलस्यत्रीणिस्ततिव्रतस्यरेस्ततिग्रंथस्य याचकस्य ४७चत्वारि पशिसंभारस्थपंचपनाकाया॥४२मल्लभुवाचत्वारिभीरोः॥४लाई अपयानस्यदेवधस्थल्या त्रीणिमारणस्यरात्रिमारणस्य५५ त्रीणिमृत्य - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्षत्रियवर्गः३४ - शवस्कक्षितिवर्धनः॥५१॥पंचावस्थ कटःस्थागश्मशानंतुशता नकरुद्राक्रीडोदाहसरसंस्त्रियासक्रियोसमे॥५२॥चिताकाष्ठ मठीत्यचिताचूडकमिष्यतेचितंचायतशय्यायांरवट्टिारुठड स्यपि // 3 // उपग्रहस्तगाहास्याहंदीकरमरीत्यपी॥२५४॥ // इति क्षत्रियवर्ग ॥ष्णाधनपिशाचीस्याहाधुष्यंधान्यवर्धनीhil मीत्यमृणमर्थानोपयोग:स्यात्कलांबिका॥५॥ऋणमुक्तिर्विग॥ गने दोत्रेवारतेमच्यतेदलिदलमुद्दोहरिनामाबनारयुकः illnावासंतवाथमसरोमसूरोबीहिकाचनः सर्षपस्यात्सरिया पकटुस्नेहाचतंतुमः॥५०॥प्रवेशितशूकम्स्यागोधूमोम्छ भोजन ताम्रवृत्त कलत्यस्यन्निवेहवेडिकातसी॥८॥मू / ख:पुरीषमोमाधोराजमाखस्तवर्वटः।फुल्लफाल शूर्पवातेनस्त्री || तितपालनोलिकिडन्युखलेंप्रस्थापालिःसूस्पचेलुकः।। कुरसूलोधीहागारस्यात्कंदुनिष्टरच्यते॥॥आलिंजरोनानं दास्त्रीमुत्नाभाडकमुष्टिकोबारासनंवाःसदनकणनोहंडि कासुता कलसीगर्गरीतुल्यात्स्याछरावस्तमार्तिकः॥शा॥ लाजिस्पार्थिवश्वमृकांस्य मथलोहिका॥२॥खरसोदःखर पात्रशिक्षणकाचभाजनौकाठलोहीतुवातीिरकोदीप्यकः | स्मृतः॥६॥ कटभंगस्तशेठीस्याकांजितुतुषोदक।गृहा||| - चत्वारिमारकस्यपंचशवस्य॥१चत्वारिश्मशानस्यसंस्कारस्य५२पंचचि |ताया त्रीणिशवरथस्य५३चतारिवंद्या-५४देतृष्णाया-छेवा(ष्यस्यदेवर ॥णस्यअर्थप्रयोगस्यैकं५५२ऋणमुक्ते हे क्षेत्रस्य देबहालस्यचत्वारिम इस्य५६चत्वारिमसुरस्यचत्वारिसर्षपस्य५७ देयवस्यद्वेगोधूमस्यदेकुल स्थस्यत्रीण्यतस्याः५५त्रीणिमाषस्य राजमाषस्यदेशूर्पवातस्य देचा लन्याःत ज्दूरखलस्यचत्वारिपाल्या.टेकुमूलस्यहेकंदा देवद ज्जलाधारस्यद्वैभाडभेदस्यद्देजलाधारस्यदेहिडिकासतस्य॥६॥रे। - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - -- वैश्यवर्ग:३५ मुसिइसलिलरक्षोनंधातुनाशनगृहिणीमधुराहिंगभूल | महात्सूपधूपनौपर्षणीहेमरागिण्योहरिदापीतवालुकाँ६५॥ गं || डोलेस्थाहुड-स्वादुपिप्यटागुडशर्करा महाशेतातुमधुजोप्रय स्तस्यात्मासंस्कृते॥६६॥विपिटोधान्याधिवत्रापश्वरुवणः / Pालिपनातर्पणोदीपनगडोदरचतता६॥ वदकःपिटपूरे // स्याहतोपायनवायने प्रदेशकलाययोलापूपालीचर्पटीचसा सक्तवर्णक आपूष्योभत्तंकरप्रसादन। मेडोज्येषाबुस्खदिका / लाजा पोरीतुरोहनी॥६॥निपानंस्त्रीगवीतुंबानिलिंपारोहिणी नागव्यं श्रेष्ठंपुंसवनस्याहोहापनयापुमान्॥१०॥ अवरोहप यसोरंशवाटचाघनंदधिकहरंतुदधिस्नेदोजग्धिोजनभम || णे॥७॥देदयात्राविष्षण भुक्तं प्रत्यक्सानवत् // कल्पवतेप्राता रापानभोजनमित्यापि॥७२॥ अनदानशाको धुनःश कारईपः।कहान्यंगचायकंटोलाजालगोणिका आदा | ग्धाशकृत्करिर्वत्सलेषामाटीकनंक्रमः॥गयादिकजीवधनंप लिनीवालगर्भिणी॥७४॥करकंगोमयोगशिःशुषगोम योकरिषभळगपोहंभारेभणरगवांनी॥७॥ नैरिगोशि रोदेशोवंदनीयातुरोचनामेथानमंयतकाटा:स्गाष्ट्रकै उकाशनः०६// कलम्या पंचशरावस्यत्रीणिलोहपात्रस्य६२ हेकाचपात्रस्यहेकाष्ठलोह्याः हे जीरकस्य६३ वेमुंठ्याअटकांजिकस्य ६४त्रीणिदिगुनःचत्वारिदरिद्रायाः श्रीणिगुडस्यहेशर्कराया-द्वेसिताया तैलसंस्कृतस्य है चिपिटस्यहे पूपविशेषस्यहेतप्तेदूमंडोदकस्य 67 देवटकस्यत्रीणिवायनस्यत्रीणिपो ल्या 68 द्वेसतोःचत्वारिभक्तस्य भंडस्यटेलाजानांसप्तदोहन्याः६९च त्वारिगव्यस्य त्रीणिदुग्धस्यएकअघनदनदेधिस्नेहस्यसप्तभोजन स्य७१त्रीणिप्रास जनस्य १२सप्तहषस्यहेकंठालाया:७३/त्रीणिवत्सस्य वत्सगतेरेकंगवादिधनस्यैकदेबालगर्भिण्या:४॥गोमयछत्रस्परेशुष्क % 3D For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir %3D - - - - -- - - mmmami PraNMKAnswers m mm - - वैश्यवर्ग:३६ लंबोष्ठाध्वगवासंतकलनाशमरुदिपाःभोलिबढकरोक्कयी|| // वोमेषस्तरोमशः॥७॥सेस्फालभेडानमेषीस्याज्जालकि, न्यािवकरस्तुलंबकर्णजागोबस्त शिवाधियः॥७॥अल्पाय पालघुकायश्वमेनादापर्णभोजनः॥परिक्रमसहोबुक्कोदेवानापियडे त्यपि॥७॥छागीसेजाचुलंपास्याच्छेकुकर्णस्तगर्दभः स्मरस्मर्य श्विरमेहीग्राम्याश्वोरेणुरूषितापमुश्वरी भुजपोरनंचा रुशिलामणिः स्वाध्यायीपत्तनवणिग्घेडाबुकोपविक्री सर्वमूल्यंयूतबीजहिरण्यंचकपर्दकेशवराटकपणास्थिस्याजा सरस्फाटिकोपलः॥२॥शालिपिश्चौतशिलंगल्बर्कश्चममा रवत् अश्मसास्त्विंट्रनीलो वैदूर्यबालवायज॥३॥बालसूर्य मथोरक्तकंदलोविटुमसलतामणिप्रवाल स्याद्राजपट्टोवि राजः॥४॥कुरुविलपरागोदधीच्यस्थितुदीरकोस्वर्ण लोहवरंचाग्निबीजचांपेयमित्यपि॥८॥रूप्येश्वेतरंगबीजमि एकातेमणीचको ताम्रकंतुलोहितायस्सूर्याव्हंमुनिपित्तलोद६ किसेतुकास्येकंसास्थिताम्रार्थमंथमौक्तिकारसोपलंशुक्तिबीन सिंदूररक्तवालकंग ॥पारदःसिधातुस्याइरबीचस्तक रिंगसरे मृदंगैकुसंभंग्राम्यककमा हरितालेतुकबूंरंगोद तोनटसंज्ञकः दारदतुहिंगल स्याद्धिंगलंरक्तपारदंगा - Ama mms // गोमयस्यबेकरीषस्य गोधनेः॥७५गो:शिरोदेशस्यैकंदरोचनाया त्रीणि मथानस्यदशोष्ट्रस्य पंचमेषस्य त्रीणिमेष्याःगदशलामस्य७॥२॥ त्रीणिछाग्या:अष्टगर्दभस्य॥९० त्रीणिरत्नस्यद्वेपत्तनवणिनः अश्वरिक गिणः॥८॥ षट्कपर्दकस्याचत्वारिस्मादिकस्य देइंद्रनीलस्यत्रीणि||| दूर्यस्य३चत्वारिविद्रुमस्यदेविराटजस्यपद्मरागस्य हीरकस्य | रसारिस्वर्णस्यपत्रीणिस्यस्यद्धेचंद्रवर्णरूप्यस्सरसारितामस्वचलामिकास्मर श्रीणिमौक्तिकस्य रेसिंदूरस्य-चलारिपारदस्यत्रीणिरंगस्पदेउसुभस्यप्त - mamma - eemaanaman - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir monam -aa. - शूद्रवर्ग:३० रसगंधोगंधरसोगोधारमसिवन सारंतुस्याद्यवक्षारोयब कचरेचकः॥२०॥शिलाजतुशिलान्याधिस्तफलात्रिफलापिच॥ इतिवैश्यवर्गः ॥शूद्र-स्यात्पाजोदरासोग्रामकोमहत्तर मालि कपुष्पलावस्यातुंभ कारस्तमत्करः॥१॥उत्पलगंडस्तुस) धाजीबीचलेपका कायस्थेकूटकत्यंजीकरौचित्रकरेहणुग 2 चर्मरुस्कुरट पादुककलादस्तगीजिकानाधिमावर्णकारौं वात्सीपुत्रस्त नापितः॥३॥चंद्रिलोनखकईश्वरजककर्मकी | लककन्यपाल पालवणिग्देवलस्त्वमहिजार ४॥अजांजी वस्तजाबालानिष्कश्यांडालउच्यते॥कुक्करेदीर्घसरतवांतदर सनालिहरारतव्रणोयाममृगस्तथेट्रमहकामकापिलो विक्रपश्चशयालुररतत्रपार६॥शुन्पांशुन्यंभुनीरस्याचारः शकितवर्णकः स्यालंभिलश्चप्रचुरपुरुषोथकुभिः // 7 // रुंगाहिवधचोरबंदीकालस्तमाचलप्रसाचौरविल्लाभः। स्त्रीचोरोरतहिंडकारकाव्यचौरश्चंद्ररेण कुड्यछेद्यतुरवा || निकोसंधिःसुरंगोतऽदा श्रीवत्सगोमुखांदयः॥रताकपाल! नालिकातर्कस्तईशानस्तसामगवर्तनीतर्कपीठीस्यात्मिज नंतूलकार्मुकं ३००॥तूलापिःपिचुतूलपिंजिकातूलनासिका --- --- - ------- - - - - - -- - %3 - - - - - हेहरितालस्य गोतस्यचत्तारिहिंगलोरचत्वारिरसगंधस्पचत्वारिया क्षारस्य देशिलाजतुन ऐत्रिफलायात्रीणिशूद्रस्यटेमहत्तरस्यहमालि कस्यत्रीणिकुंभकारस्यारात्रीणिलेपकस्यत्रीणिकायस्थस्य चित्रकार स्त्रीणिचर्मकारस्यरत्यारिस्वर्णकारस्पचत्वारिनापितस्यत्र हेरजकस्य देकन्यापालस्य हेदेवलस्य अजाजीवस्य ट्रेनोंडालस्यएकादशकक रस्यर॥६॥त्रीणिशुनीसंघस्यचत्तारिचौस्यत्रीणिवधचौरस्य चत्वास साचौरस्परेलीपोरदकाव्यचौरस्पदेसंधोसंधिभेदगोरेकै रगतको "रेतर्कुशाणस्यहेतर्कुपीयादेतूलधनुः॥३०॥ त्रीणितूलस्यपिनिकारक - - PARA - - PRANAMAPARNama - anewspamaapta n - r am For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir FREEEEEE E - - Docomenex शूद्रवर्ग:३८ संत्रकार तुरीस्त्रीस्यात्वीमाहासेंद्रचूलके पन्ध्रीपादुकापा णिहितापरथीत्यपि।कावारीनंगमुकुटीभ्रमकुंख्यथरवर्परः॥२॥ यारित्रामूर्धरवोलवसैवपत्रपिशाचिकावासीतुतक्षणीनस्त्री किचःपत्रदारकोशमद्यत्वरिष्ठंमैरेयंकतोयंकापिशायनंगमाध्वी चमधुमाध्वीकंकुपिशीकाचमालिका॥४ावीरादैत्याप्रसन्नाचमा धनीगंधमादनी गोडीचवाल्कली मध्वासक्यक्षरसौनरि॥५॥ नलिनी नारिकेयस्यसुरातालस्यतालतीगुस्मगसवोमुखसुरं पारिस्यात्सानभाजन मुंडापानंमदस्थानंद्यूतकत्वष्णकोहले दिवसभ्यस्तुसभिकोलग्नकस्तणमत्कणः॥॥चंचरीतितिडी द्यतेपंचालीशारिशृंखला अष्टकांगनयपीठी नयस्तजतुपुत्रका IAS इतिशूद्रवर्ग:॥ तित्रिकांडशेषेद्वितीयःकोड:समाप्तः श्रीगणेशायनमः॥ ॥क्षेमंकरोरिटताति-स्यान्मंद्रकरशंकरौआ मध्यामणविज्ञातौपुत्रान्नादःकुटीचकः॥१॥स्थपुर विषमसंचा रजीवीशरणार्यकः॥अभिपन्नःशरणार्थीपांडपृष्ठरवलक्षणः उडटोडामरोतालमाविष्टप्रेतवाहितःखिोलितस्तरलि निस्तषितस्तर्षितःसन्म लस्योर्वदमौतुल्यौग्राम्पोया मेयकस्मृतः॥पराचीनंप्रतीपस्यात्समीचीनसमंजसम्॥४॥ % RAM - - - - - - - - ETARIANEESHA - - - - opanamaASCARRIERA -- - -.--.AAINo.manasara m तुर्यान्हेइंद्रवलस्य चत्वाविवादकामा:त्रीणितणादिछत्रस्यचत्वा रिजलनाधार हेतम्भपया देकरस्य३ पंचदशमद्यस्य४गोड्या हे। मद्यस्यानारिकेरकराया एकंत्रीणितालसरायादेपानभाज स्यमदस्थानस्य हरकत देवसभ्यस्यत्रीणिलग्नक स्या श्रीणिद्यूतस्यद्देशारिश्रृंखलाया:इनएपीला ट्रेनयस्य॥३०॥ 2ril चत्वारिक्षेमंकरस्यविज्ञातस्यद्वीपुत्रान्नादस्यविषमसंचारजीविनःएका |त्रीणिशर गार्थिन मलमपास्य बीण्युटस्यद्धेप्रेतवाहितस्यरेतरलित स्यत्रीणितषितस्परहेजस्थस्य ग्राम्यस्यद्धेप्रतीपस्य समीचीनस्यः॥ Descenmas- msQueenememR o manm For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशेष्यनिघ्नवर्ग:३१ m a THANE mran- Lion - - ouawerewone - - mp - - REarwwwcmPresemamaAN - - 3D स्वस्थानस्थ-परान्देष्ठियःसगोष्ठश्चउच्यतेपदातातुदारुर्मुचिः स्थाहिदग्धस्तनागर॥५॥षिद्रोव्यलीकानदप्रज्ञाकामकेलिविंद षकः॥पीउकेलिपीठम भविलविदरोविराजधविच्छ स्त्रगेडोमेधावीमेधिरुसमौ॥युक्तंपरिमितेभीमताभोलेपरला थालथः॥७॥शिथिलोवोदआई-स्याचिरस्थोनायकस्मतः॥ स्यादाय भूलिकंतीक्ष्णकर्माशोचोनहरुतिः कुसत्याविभवा! न्वेषीपार्श्वकरसंधिजीवकः॥वाक्याभिधायीपुरुष:पृष्टमासाद च्यते॥भार्याट स्वस्त्रियोदातान्नार्थदृषकपांसनौरोधष्णुर्थ || ष्णग्दधृष्टोदशेसप्तघातकः॥१०॥देशक शासिताशास्ता शिक्करल्यवसायवान्।।चकितःशंकितोभीत प्रतियत्नःप्रयत्नवान ||११|आधार्मिकोधार्मिक स्यात्प्रस्तांतरितोसमोरूपणोहमill टि-स्थादेवयुर्धार्मिकन्सुलत्॥२॥मनआपोमनोजःस्यातच ध्यात्रियदर्शनः॥नरखंडभद्रकेन्युखेलडहंचारुबंधुरः॥१३॥भरा दारोभगवान्पूज्य शक्तप्रतिबलौसमौ पटुःपादविकोधूर्त स्थ|| गस्तीएणस्तराजघासंबंधीगुणवान्सयुभित्रयुमित्र वत्सलः धर्मार्थकाममोक्षेषुलोकतत्त्वार्थयोरपि ॥१५॥षस प| नास्तियस्योषज्ञ तिस-स्मृतः॥मध्यस्थस्तनिष्टस्या - nama: HTRA .o % 3D गोष्ठस्यकत्रीणिदातु विदग्धस्यदशषिस्यपदेशास्त्रगंडस्यदेमेधा विनायुक्तस्यभीमस्यदेशिथिलस्यदेभाईस्यनायकस्यहे तीर स्णकर्मण अनहंकते संधिजीवनस्यैकंवाक्याभिधायिनएकर न्नार्चस्व स्त्रीरातुरेक दूषकस्य चत्वारिधृष्टस्पसुप्तपातस्य त्रीणि शासितु हेमज्यवसायिन त्रीणिभीतस्यप्रयत्न वतः॥१॥ अधार्मि कस्यअंतरितस्यद्वेतपणस्यत्रीणिधार्मिकस्या॥ नवप्रियदर्शनः || स्थाभट्टारस्य हेप्रतिवलस्यचत्वारिधूर्तस्यरेतीक्ष्णस्य१४॥ त्रीणि संबंधिनः(मित्रवत्सलस्यधर्मादिषुपजायत:॥१५॥ मधास्थस्य | ewanaanemi e Ramcwwx ana aanemama Jamm - ma A RememwanamanwRa E a- - m Amummerost ameranasamaanee RMANAN For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - - - - - - - - - - - - - earnpannamasoommaan -- - - विशेष्यनिघ्नवर्ग:४० इमपृष्ठस्कसंमुखः॥१६॥स्यात्कथंकथिकःप्रष्टोविचक्षर्विमनास्म तः प्रतारितोव्यंसितःस्यात्रोथस्तप्रथितोमतः॥१॥माश ब्दिकः। प्रतिषेडाजेडमात्सरबौसमोरोप्रीणंपुरोणभिन्नतुव्यवछिन्नविशे षिताविनारुतविरहितत्यक्तेनियूँदेउच्यते॥तिक्तःकषायःसुरभि करवटोनिर्वहोदृढः॥१॥निःसंधिवनिवातश्चसमूढंशोधितंसमे|| स्यादागंतुकमाहार्यसेमेपंक्तिमपाकिमे॥२०॥कोमलपेलवपापे लधमापसद्धवांगरोमांचितोहृष्टरोमोअजानेयास्तनिर्भया // 2 // अन्यासाधारणत्वावेशिकंघातिष्ठितंचतत्॥भिन्नकासपणोहीको॥ बोडोवैनायिकस्मृतः॥२२॥औद्मश्रोतसिक-शेव कौलआन्वयि किस्मृतः पोचार्थिक पाशुपतश्चिद्रूपःस्फूर्तिमान्मतेःषाज्ञा उद्घाटितज्ञा स्योच्छयुशबशभंयवः।गौरवितास्त्वार्य मिश्रा श्लाघ्यास्तत्रभवन्मुरबा रास्याद्देवानांधियोपेहतकोबंद ग्धवत भणःकनीयानल्पिपिडितंगुणितंहितो२५॥खद् || वासूढो विनीतस्योन्मरालमसूणेसमोप्रांजल-प्रणाजिात्रा ॥णाय्य:साध्वनिंदितैः२६वत्वनिलेवान्यतरंदपष्ठलपमञ्चोकरवित। चरखचिरुपितंगुरुगुडित ॥२७॥सपात्रसमितोन्यत्रभोजनान्मि||| लितोनयः ॥तिविशेष्यनिप्रवर्गः॥ विधिविधानकर्मास्त्रीक्रि। Insura RE R ATOR - - m mam दिसमुखस्यादेपृष्ट हेविमनस पतारितस्यद्देषयितस्यादेप्रतिषे||| बन्देजडस्य द्वेपुराणस्य पंचविरहितस्यपदत्यत्तस्यत्रीणिसुगंधे पंच दृढस्यार देशोधितस्यदेआगंतुकस्य हेपक्रिमस्य 20 रेकोमलस्यता ॥रिपापिष्टस्पबेरोमांचितस्पत्रीणिनिर्भयस्य त्रीणिसाधारणस्य पंच बोहस्य 22 देशैवस्य देकौलस्यचत्वारिपाशपतस्प२३ हेप्रज्ञायाःत्रीणि|| |शुभयो गौरवितस्यश्लाघ्यस्यैक 24 सेपोक्तरेकडेबंधदग्यस्यत्रीण्यण श्रीणिगुणितस्य२५ अघिनीतस्यदेमसणस्यत्रीणिनिह्मस्थानीणिसा धो२६॥चत्वारिभिन्नस्य अपडलस्य चत्वारिखचितस्य२७ पात्रसमि - peopamine - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संकीर्णवर्ग: mamme m or mera manammaademanawmummeroin a n-manonmamare मारूत्याविधारुतिः न्याप्यंतसाधनकर्मयुताजय्येतुसंगतमगर अंगारितंपलाशनांकलिकोगमनेरमताजलयंत्रगृहंधारःसमुद्रष्ट हमुच्यतेरिगजलहंतुविदुःस्वल्पेसमालीकुसमाकरेगेस्तनाभोगत नभरपरभागस्तसंपदि॥३०॥आलिंगनंत्वंगपालिमिषारबहिस्वर। सहः स्यादधोनेहसन्धि-सहभोजनमित्यपिशाधार्मिकाणां संभूयभोजनेगणचक्रकंक्रीडाकीडकयोस्थि सेवायांसेवक। चसः३२॥रानंदायोथेदर्जातंदुःसमंचासमंजसंकलंजोतीविषा स्त्रणहतीयौमृगपक्षिणी॥३३छेदोक्तिर्वभणितंगोमुरवंतूपलेप नावायनाप्तं यत्सूर्णपावंपूर्णलकंचतत्॥३४गदंद्रज्यस्लौषि कस्योत्सत्वंद्रव्यंचवस्तचालेशंस्तूपपदंगधोनुबंधेवत्करावापा ॥३५॥छेदखेडोस्त्रियोगालिःशपनशमनेशमः वपस्तधूलिके दारःसा वीतिर्भक्षणचस३६॥मैत्रेयिकामित्रयुपर्यकस्तव सक्थिको अथहेतुरुपादाने प्रत्ययाःसहकारिणः॥३७॥अनुमा त्वनुमानंस्थाह्याप्यलिंगचसाधन प्रत्यक्षोपासमध्यसन्धिंधा ध्यमपाठव॥३८॥बोधोबोधिसमंतात्तुज्ञानस्यात्समुदागमः॥ ऋषिशास्त्रसदाचार्य शास्त्रंतस्मृतिरागमः॥३॥सारख्यसमीक्षं स्योहिन्यदोहदंतूपयाचितो कारिणोरुपमितिकोस्मालझल sampawate A mpma तस्यैकं षट्कर्मणःसाधनस्यसंगतस्येकर पलाशकलिकोगमस्यैकहेज लयंत्रगृहस्यास्वल्पजलयंत्रस्यैकंटेकुसुमाकरस्य देस्तनभस्यहेसुस पदः३०त्रीण्यालिंगनस्यहेअसद्हस्य अंधस देसहभोजनस्याराधा मिकसहभोजनस्यैकंक्रीडाक्रीडकसेवासेवकानामेकं // 32 // वेदानस्यत्री मणिसमंजस कलेजस्यैकं३३ देवक्रमणितस्यहेलेपनस्यटेवार्धायमाप्तस्य||| ३॥हेबुद्रव्यस्यत्रीणिद्रव्यस्यपंचलेशस्य देखंडस्वदेगाले देश / मनस्यद्वेक्षेत्रस्यत्रीणिभक्षणस्य३६ मित्रसदस्यदूपर्यकस्यदेहेतो-हे. सहकारिणां३७ अनुमानस्यत्रीणिज्याप्यस्यत्रीणिप्रत्यक्षस्यत्रीणिधंधाय - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सकीर्णवर्ग:४२ m einmammeomamremon ज्झला४०॥रामेणरावणवधोरामायणमथोच्चयः॥वस्त्रयधिश्च नीवीस्योन्मुणितरतकूजित ४॥श्वभ्रोवपातोहल्लेखलःश्वी र्णतुशीलितगएकीयाएकपक्षास्युःसहायाःसहभाविनः॥४२॥कु लीरात्स्येगविर्जानपदाराष्ट्रनिवासिनः॥प्रत्यक्षीव्यक्तहशेर्थशा थकर्तनतटे॥४३॥चिरकालंदीर्घरात्रेमामिक्षामस्नवाजिनीता दात्वंप्रमुखरोजमल्लउसिक्तउषतः॥४४॥ द्वैधविवादेआरंभा दराडंबरार्थकः॥रभसोगमकारित्वैकौमुदीकार्तिकोत्सव 45 // आवेशाटोपसरंभा:प्रियावाकंचटुचादनी प्रतिरूपंतिछेदैसं वेशनरतिक्रिय४६॥अभ्यासःखुरलीयोग्यानिवर्णन निभालने ॥शालिनीकरणेन्यम्भावनं गंधनसूचन॥४७॥भावपदार्थोध म:स्यात्सत्त्वंतत्वंचवस्तचा संदर्भस्तप्रबंधास्यौद्रंथोरात्रिंश दक्षास्वर्गबंधोमहाकाव्यमेहारुपकनाटके॥अथवा मयभेदास्फेपूःखंडकथाकथालाआख्यायिकापरि|| कथाकलापकविशेषको संदानमनिरूईचत्रकीर्णगुत्सकार। दिच॥५॥सर्गोवर्गपरिछेदोहाताध्यायांकसंग्रहा।उच्छासः|| देबोधस्य समंताज्ज्ञानस्यैकंत्रीणिऋषेत्रीणिशास्त्रस्य॥३॥देसारख्या स्य दूउपयाचितस्यगजकर्णास्फालस्यैकं॥४०॥रामायणस्यैकंत्रीणि | नील्या देरतकूजितस्य॥४॥टेगर्तस्यतर्कस्य देशीलितस्य॥चत्वारि सहायाना४२॥ देकर्कटशिशो देराष्ट्रनिवासिनांदेसाक्षिण देतर्कुटस्य ४३॥ट्रेचिरकालस्यत्रीण्यामिक्षायाः तदात्वस्यत्रीण्युइतस्य॥४४॥ विवादस्यत्रीण्यारंभस्य रेरभसस्य कार्तिकोत्सवस्य॥५॥त्रीणिसेरे मस्य:त्रियवाच प्रतिछेदस्य हेरतिक्रियायाःH४ात्रीणिशास्त्राभ्या सस्य हेदर्शनस्यरेन्यम्भावनस्यद्देसूचनस्य॥४७॥षट्वस्तन देसं दर्भस्यग्रंथस्य॥४॥टेमहाकाव्यस्यनाटकस्यपंचवाड्मयभेदा नामेकै॥४॥तिलकस्यद्वेदान्न चामरस्य॥५०॥ नवकथापरिच्छे - %3 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - - - - संकीर्णवर्गः४३ परिवर्तश्वपटल कोडमस्त्रियोगशास्थानप्रकरणपन्हिकंचय॥ यसंधयः॥५२॥प्रज्ञप्ति:परिभाषाशैलीसंकेतसमयकारावाप्रति वाणिप्रतिवचनसमुदाचारास्वभिप्रायाः॥५३॥ अप्रतिरूपकथा स्यात्संगणिकाछोरणंपरित्यागः॥स्योदवर्धनमंतहासस्त्रि पिंडमाहारः॥५४॥अवसर्ग:प्राकाम्यस्वालंद्यानुमननमित्यपि चाआकल्पकउत्कंठाचिंताकर्मण्यथास्पान॥५५॥ आक्षेपोर। त्याकारःस्वाध्याय:स्यानिरंतराभ्यासः॥हर्षस्वनःकिलकिला| सशस्पंदनंतुनिस्पंदः॥५६॥अवसानंतुविरामोमध्यमथोम डलंचस्यादारंभ प्रस्तावनातदामुवमपिज्ञेयं॥५॥ // in ॥इतिसंकीर्णवर्गः॥ // ॥अथनानार्थः॥ // // | स्वरकाद्यादिकायतकमान्नानार्थसंग्रह।विहायामरकोशोक्त मकात्सुरुषोत्तमः॥५॥शकार्कपर्णयोश्वार्कोभीकस्त्वमा "यकामिनोरुपकांतिकयोश्वांकोलिमकोभेककोकिलो अंतिकनिकचुलिर्नाट्योत्तौचाग्रजांतिका॥अनीकोस्त्री रणेसैन्येगौर्योमातरिचीबिका॥६॥स्यादश्मंतक मुद्धानेमर) लिकालनेपिच॥आन्हिकंदिननिर्वयैतत् क्लीबंनित्यकर्मणि| ॥६॥स्यादारितकंहासविशेषेचनखसाउदर्कएष्यत्का) लीयफलेमदनकंटके॥६॥स्त्रियामुत्कलिकाहेलोत्कंठासलि लवीचिषु॥कोशांगेकौशिकोविश्वामित्रगोर्योचकौशिकी 63|| लष्णलेचहिमान्यांचगौरीकाल्योश्चकालिकावर्षापलेस्त्री करकाकरके करकोस्त्रियां॥६॥कसभेदाडिमेपसिभेदेच - - - - दानामेकैकेषट्यंथसंधीनामेकैकं॥५२पंचसंकेतस्य द्वेप्रतिवचनस्य अभिप्रायस्य३॥अप्रतिरूपकथायाएकटेपरित्यागस्यअंतहासस्यहे | आहारस्य५४त्रीणिप्राकाम्यस्यत्रीणिचिंताकर्मणःत्रीणिआक्षेपस्य५५४|| स्वाध्यायस्य हर्षवनस्यटेनिःस्पदनस्यत्रीण्यवसानस्यचक्रस्यत्रीण - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः४ - - - - - - - करकापमानाकरमध्यांगलौचस्यात्कर्णिकायदुमांतरे॥६५॥ दिकेष्टेचकाकःस्यात्कौतुकमंगलेछयो।भोग्यप्यथस्या कलकंश्लोकैकार्थपटोलयोः॥६६॥कलकोनाककाकेंद्रका आत्माचसुखंचकं॥पेचकस्त्रीजितौकाकसकोकोलेयक शुनि| ॥६॥कुलीनेचाथकनकपुस्तूरेनागकेसरेगचपकेकिंशुकेहेनि) कषकौफालकर्षकौमारोमोचेक्षुद्रशत्रौचटुमागेकटको स्त्रियागराजधान्यांनितबेद्रेवलयेकटकोस्त्रियोदयेणोनार कार्मुकंचापेगुणरक्षेपिकपकाकल्कोविभीतकेतैलादिशेष|| चाथिकंचुकः॥३०॥निमोकोलकेवारबाणेऽयकुशिकोमुनोग शालेकिष्काप्रकोरेपिव्याख्यामलोकेपिकारिका खगेय | मछद्मविप्रेकंकासच्याचकर्चिका॥कमुकोभद्रमस्तेपिकोका श्वक्रेहके पिच॥७२॥पुनर्नवीकारवेल्लपोशेषुकठिल्लक कवाकर्मयूरेपिवंशेदैत्येचकीचकः॥नीचेपिक्षलकोमूत्रा गिनाकोचरखोलकःचौरोंदरूचरखनकौगोलकोमणिजारजौ In७४॥खगेलग्नेचगोरंकुसंख्याभेटेपिगंडकःग्यांचयामय|| देचग्राममगरिकास्त्रियां॥७॥गोधिकोलेसकेपिस्याहा॥ कान्छे कनियोःवेश्यायूथ्योगणिकाचषकंसरके पिचा|| ग्रंथिकोपार्थदैवज्ञौग्रंथिपणेचनयोः॥ठालेकारखद्योतविद्यु|| त्सुचिलिमीलिका॥७॥चारकोभोजकेबंधेनाटकांगेपिचूलि काचित्रकंचित्रकेकीबंव्याघेरंडीचचित्रको॥७९गृहासक्तेप क्षिमृगेछेको नागरिकैत्रिषु॥केबीजलकरंकःस्यान्नारिकेला| फलेपिच॥जैवात्रकाकशेचंद्रदीर्घायुषिचसत्रिषुराजालि कावस्त्रभिकूटरुकैवौचजालिको॥८॥जंपायामद्रिभित्तो खनित्रेयावदारणे॥कपिस्थेचास्त्रियांटेकष्टंटकावल्पशोण कोतिलकंचित्रककोम्निनातरौतिलकालके।ग्रहदारी तंडकोस्त्रीसमासपायवाचिच॥२॥तुरुष्कसिल्हकेदेशेषा mand An i - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - नानार्थः॥४॥ ण्यगेत्रित्तयेत्रिक कूपांगेस्त्रीतिक्तशाकरवदिरेवरुणटुमे।८३गदै पनाकर्णधारेचतारकंदशिभेननागरिकोकाकचक्रवाकौश्श्यो। कैदेदलाढकः४ानरकोनिरयेदैत्येनौवाहेस्यान्नियामकः | सभ्येगुरौचनवफलिकानवस्जस्यपिमानालीकौपद्मनारा चौहेरेपिपेटकौस्त्रियां सौभाग्येपिपताकास्यास्पंकोस्त्रीकर्दी माहसोः॥८६॥पंचालिकावस्वरुतपुत्रिकागीतभेदयोः मणि || दोषेशिलाभेदेपत्रकोलोमहर्षणे॥७॥पर्यस्त्यामपिपल्यंकः प्रियकोमृगनीपयोः।पुष्पकंकंकणेपिस्यात्पराकोब्रतखड़योः चामरेग्रंथभेदेचविस्तारेपिप्रकीर्णकासितलत्रालयोण्डरी के पुसितुदिग्गजगतल्याप्रेचकोशकारेचपाकौपचनशावको। कलकौगंधमृगेकीलकेक्षपणेपिच॥०॥कपदरज्ञराजीववी जकोशेवराटकः॥दारकोसुरश्रेष्ठगिरिमेघौबलाहको पिंजेनासिकताकर्णभूषाकन्याचवालिकाशिवमल्याबकक|| देराजिभट्टारकासरे॥२॥भूमिकारचनायांचमूर्येतरपरियोll मधुकावॉल्लभेदेचवर्हिचंद्रेचमेचकः॥३॥हारभेदेमाणव कोवालेकुपुरुषेवटीएमयूरकोपामार्गेचहंसभेदेपिमल्लिकः॥ ieerयूतकंवस्त्रभेदेचयौतुकेसंशयेपिचायमसंयमेशन्दा|| लकारेयमजेत्रिषु॥रायाज्ञिकोयाजकेदर्भेनिलेरोकरुचौप|| मान्गराकाएरजःकन्याकछपूर्णेदपूर्णिमागलधानीलवस्त्रे सितारायांलोचकोनिर्मितौत्रिषु॥नगरीशारखयोर्लेकाकारण्या मपिबंधकी॥७॥गुरावनागरुडेजिनेविघ्नविनायकगषा कौशिवभल्लातौवंचकौधूर्तफेरवोरावैदहकोवाणिजकेचे श्यायामपिशूजेवैलस्याकार्ययोःलीबंच्यलीकंत्रिषुनागरे। पल्लाबाल्दीकंबाल्दिकंधीरहिंगुनोनीश्वदेशयोगविपाकाप रिणामपितिलकोपिविशेषकः॥१०॥शंकु कीलकसरल्यास्त्रज लजंतुषुरश्यते॥शिशुक-शिशुमारेपिशुवंथिशिरीषयोः॥१॥ - - / Panama - % 3333 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः॥४६ ame - - - - - D - - कीबेरावणपात्रेनावचापिशतपर्विकाशल्कचूर्णेपिशूकस्तुर स्यादनक्रोशशुंगयोः॥२॥शिलारकोविलेपेद्रेशुल्कोयौतुकदा नयोःश्याविहसौचशल्लक्योमणोरखडेचसस्पक:॥३॥शीधीच शीधुपानेसरकोरुल्यथजन्मनि।सूतकंपारदेव्यस्त्रीसूचको। खलकुकरौ॥४॥ युग्मेसंघाटिकाकुदिन्याचगोपिहारक वाद्य भेदे हुडकस्याहात्यूहेचमदोत्कटे॥॥ इतिकाताः॥इंदुले वागुडच्याचपूःसरवस्वन भश्वरवंगगोमुखलेपनवायभा डेसर्पपिदुर्मुखः॥६॥त्रिशिरवस्यात्रिभूलेपिन्मुखःसानिमनो रमेानवशुक्तीकररुदेकर्मे पंचनखोगजे॥॥आदोषधानेप्र मुखवैशाखोमेथमासयो।कानाविशिखारथ्याविशारयोभी गहेपुमान्॥८॥लेखोदेवपिपत्तौस्त्रीशिक्षाचूडाग्रयोरपि। शाखावेदविभागेपिसरवामित्रसहाययोःलासुमुरवस्तास्य। पुत्र॥इतिरवाताः॥चायवर्गस्यागमोक्षयोः।शरीरोपाय || धानेचंगंभूत्रिनीति॥संबोधनेगाव्ययंस्यादयोगो विधुरेपिचाशपथेव्यभिषेगास्यादनंगाखेस्मरेपुमान्॥११॥ill त्वयत्नावाभोगाचायोगोज्यापूतावपि॥जंगमेंगितयोरिंगो नाट्यईहामृगोटके॥१२॥फलेपूगस्यचोरेगमुत्सर्गोन्यायदा नयाः॥सामान्येप्युपरागतयस्तादोश्चर्नये॥१३॥हस्तछे देतुसस्यानांकटभंगोपात्यये।कथाप्रसंगोपातूलेविषवैद्य पिवाच्यवत्॥१॥देशेकलिंगोधूम्याटेकलिंगकौटजेफले॥ त्रिषुरक्षेविदग्धेचखड़ौनिस्त्रिंशगंडको॥१॥स्वर्गेवजेचरश्माचा बलीवनगौपुमानास्त्रीवाणरोहिणीदग्दिग्वाम्भूमिष्वसभू| निच॥१६॥वैधव्येनपनाशेचछत्रभगःप्रकीर्तितः॥अश्वगंधा पितुरगीतुंगोपुन्नागसोच्छयौ॥१७॥दीर्घावगस्यादष्टेपिर निषग:संगतूणयोः॥ नागःश्रेष्टेभसर्पषुक्तीबसीसकरेंगयोः ॥१८॥रक्षेस्यात्रंसिपुन्नाग:पतंगःशलभेरचौकाकोदेवरि। For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः४७॥ - - - - - - Tenn e - %3 - कायास्त्रीफलास्त्रिषुनिरर्थके॥रापालनेभ्यवहारेचनिर्वशेषण्य|| योषिता॥भोगःसखेधनेचाहे-शरीरफणयोरपि॥२०॥भगवरा || ग्ययोनीच्छाज्ञानेश्वर्येषुचेष्यते॥तरंगभेट्योभंगोभेगासस्ये / / शणाव्हये।॥२१॥एकदेशाशयोर्भागोभुंगोधूम्याटकेपिच॥भु॥ जगोभुजगेषिढ़ेजामदग्न्यतदोभृगू॥२२॥मृगोन्विष्टीचमा|| गस्तमासान्वेषणवत्मसायोगश्चारैपूर्वलाभेसुविधा तिनि॥२३॥उपायेसंगतौध्यानौषधसन्मादयुक्तिषुगन्येरणे) खलेरागेरंगकीवेत्रपुण्यपि॥४॥रागकेशादिकेरक्तेमात्सया लोहितादिषु॥चक्ररथांगंकोकेनारक्तांगो मंगलेपिच॥२५॥व्य|| तेसारज्योदितेलिंगंस्थाणोशेफशिलक्षणेगपुंस्त्वादौवरांगत। गडत्वचिगजेपुमान्॥२६॥वलाश्यागेपिवेगस्तुमहाकालफ। लेपिच॥जलोत्सेपेसमुत्सर्गेशगमकर्षचिन्हयो:॥२७॥शाई धनुर्विष्णुधनुःसंभोगोरतभोगयोः॥तिगांता॥ोपाः // स्यातद्रुतनृत्येचकाचिौकांचनोंदुरु॥२८॥निदाघोस्वेदता पोचप्रतिघोरोषघातयोः॥परिघोयोगभेरेपिमेघागरिदम् // स्तयोः महापस्तुमहामूल्यमिलावपक्षिणि एका यास्त्रीलपाक्कीबंशीप्रेकृष्णागुरुण्यपि॥३॥इतिपाता प्रतिमापूजयोर क्रौंच पक्ष्याद्रिभेदयोः॥र्चमस्त्रीवोम ध्येश्मश्रुकैतवयोरपि॥३१॥झ्यास्त्रीगुरुपुत्रेनाकेशेशुष्कवणे कचः॥देशभेदेपिकांचीस्यादथस्थासकतर्कयोः॥३२॥चर्चि || कायाचचर्चास्यात्त्वकलीचर्मगडत्वचो वामनेपामरेनीचो नमुचिर्दितिजेस्मरे॥३३॥मरीचिर्मनिभेदेपिचौरवन्दीमलिम्ल|| चौककोलेपिचमारीचोमोचाशाल्मरिरंभयोः॥३४ाकुकरें। रतनारीचःशीत्कारेवर योषितांतिग्रताविकचोवीचिस॥ खतरंगयोः॥३॥स्वल्पेपिसारिकायोरवचाग्रीष्मानलोसुची। सूचीनृत्यप्रभेदेचव्यधनीशिखयोरपि॥३६॥ इतिचाताः॥ -- -- 33333333 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः॥४ - MARATHI - - % - E - ---- - - वाराहीचीरकाकछाकछो नूपेडमांतरे।पिछास्त्रीभक्तमंडे पिलोगूलेपिलमस्त्रियां॥३॥इतिछांताः॥पद्मधन्वंतरीचा ब्जावंडजःखगमीनयोः॥निचुलेप्यंबुजोरजस्तब्रह्मविष्णुषा स्मरेष्वपि॥३॥स्यादंगजःस्मरेकेशेपुरतेनपुंसकंगउत्सा। हकार्तिकावू केबोजोदेशशेखयोः॥३०॥ नखेकरंजेकरजः। कुलोन्युन्जादुमांतरेगखनीसुरागृहेगंजागुंजेपटहकृष्णले ॥४०॥जघन्यजोनुजेशूद्रेजलजशखेपद्मयोः॥चिन्हंशेफः / / पताकासुरवहांगेपिध्वजोस्त्रियां॥४॥नीरजंकमलेकष्टेपिंजा हिंसाहरिद्रयोः॥भरद्वाजोगुरोःपुत्रेव्याघ्राटारव्येचपक्षिणि॥४२|| बुधैरख्यातो भरद्वाजोद्रोणाचार्यमुनावपि॥भृगराजःरवगै| षध्योल्पनेमनिभेषनं॥४॥अगस्येचहरीतक्यांसजास्या द्रोगभंगयो:।गुल्मेपिवनजोबीजरेतस्तत्वार्थहेतुषु॥४४॥९॥ व्याजःशाठ्येपदेशेचस्वेदरक्तात्मजा:स्वजाः॥निसर्गसहज सिसहोत्थेवाच्यलिंगकः॥४॥सन्नसंभृतौसज्जौहिमना पार्वतीशची इतिजोताः॥अज्ञस्त्रिषुजडेमुर्वेरुतज्ञःकु करेपिच॥४६॥संज्ञासूर्यप्रियायोचसर्वज्ञःशंकरेजिनेति नाताः। अरिष्ट्रसूतिकागारेतक्रेपिचपुमांस्त्वयं॥४॥काके निबेचलभुनेगतेकूपेखले वट: अत्यर्थक्षौमयोरङ्गकतावि प्रियेत्रिषु॥४॥केशनःशेणके विष्णोरूपीटमुरेजलेाश्च लेकंडकीटास्याज्जाराञ्चबाह्मणीसुते॥लासपथेचक्रियाका रिकिलिंजशरयोःकटः॥कोदिःसंरख्यापिकरटोवाद्यभांडकुवि प्रयोः॥५०॥कुलिरेकर्कटोराशीकृष्टिःकर्षेबुधेपुमान्॥अधियो पिकटाकुंभेकटोनाभवनेयोः॥१॥सुरायोस्त्रीकीकरस्तुनि खेदेशमितंपचेमरखेटःसिंघाणकेहीनेगृष्टिर्धेन्वौषधीभिदोः // 52 // सूकरेसिवृष्टिःस्यास्पपिर्षणयोस्त्रियांगपोटात बरेपूगेदेहाशेवर्णनेचदुः॥५३॥निश्वासोदशनोछिष्टश्च - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir I durani D - - 1 नानार्थ:॥४॥ बदतलिदेपिचापरिमाणमुदोदिष्टिर्दिएःकालोपदिश्योःnen धाराटोचातकहयोकपाटेपिचनिष्कटःकोटरेप्यथपास्याता फलकेनृपशासने॥५५॥प्रत्यारख्यातेप्रेषितेचप्रतिशिष्टविलिंग काकर्पटीपुक्षवृक्षेचपूगादेवनवेफलेगावटीत्रिषुगुणे। सिन्यग्रोधेचकपर्दकवियोव्रीहिभिरेष्योनटौभरतकामुः॥ को॥७॥मोरटंगोनवेसी कोटपुष्णेशमूलयो गम्लिष्टंम्ला निकवचनमर्कटीशूकशिन्यपि॥५८लाटोभूकेचदेशेचव्यष्टं कल्पेत्रिषषितेपथिवास्तुनिवादास्याहिकटविरुतंबृहत्॥ ॥५॥वर्कराटःकटाक्षेचस्त्रीणांस्तननखसते।भद्रप्रेखणयो विष्ठिवर्णादौकामिगायनौ॥६॥विटो द्रोलपणेषिद्धेमूषिके खदिरेपिचापांचल्लोहेश्रुतिकटे प्रायश्चित्तभुजंगयो॥ टिःस्फोटेचकर्कट्यांहष्ट-प्रतिहतेपिच॥ इतिटोंता:वैश्या हिजन्मजेंबष्ठःपाठायूथिकयो स्त्रियां।।२॥काष्ठाकालेपि कोष्ठरक्तस्वकीयेप्यथसुध्वनी॥ग्रीवादेशोपिकंठस्यात्कुष्टः॥ रोगोषधीभिदोः॥३॥दात्यूहेकालकंठस्थाच्छिवरखेजनयोर पिज्येष्ठोमासिचदेचज्येष्ठाचगृहगोधिका॥६४॥अम्लर) लोण्यादंतशठानाजबीरकपिस्थयोः॥प्रकोष्ठोबाहगेहासौ वरिष्मारिचेपिच॥६॥तानेचारुतरेचाथमध्यस्थरवलयो शाशोठोलसेचमूरचसूत्रकंठोदिजन्मनि॥६६॥क॥ पोतविहगेपिस्यात्पृश्यांचप्रसभेहठमाइतिठांताः॥प्राण्यंग कोशयोरंडष्माडीफलभिगणो॥६॥कुंडखातोखयोरि जेनाडीकमंडलो॥सिंहोकौस्त्रीविषेश्वेड:पशैक्रोडरोनना |रसिमखेडो स्त्रीशकलेनेझुविकारमणिदोषयोः गडः कपालेपिटकेश्रेष्ठगंडकयोःपुमान॥६चंडौषधिरवरवंडो दिंडौसैन्यापार्शमोगव्यथामारपीडेटेपाडु:कुंतीपतौसित •॥पिड सारेगहाशेंगेपेड-पडेमतौलियास्तिबेशतेष - wwwseemaramanamanur For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः॥५०॥ - - more LED - - - कांडोस्त्रीबरंडोबदनामये॥७॥समूहेचांतरावेद्योमंड स्यात्सा रिपिछयोः॥रंडेमस्कनिकीबेमार्तडौखगदेष्ट्रिणो॥७२॥ वादौदै। त्यांतरेमुंडोमुर्बिस्त्रीमुडिनेत्रिषुगरंडास्याद्विधवोषध्योर्वितंडा शाकभिद्यपि॥७३॥शिरवेडौतुशिवाब डाकरिकरःसुरा॥ इतिडांता॥आषाढोबतिनांदेडेमासेमलयपर्वत॥४॥विचेष्ट वालिशौमूढौरादास्पाहीनिदेशयोःपंडकंचुकिनौषेढौसमूढः जितेनवे॥७॥भुग्नेनुपप्लुतेप्येषवाच्यलिंगेउदीर्यतातिढोतोः|| अरुणोभास्करेऽनूरीमजिष्टारतिविषारुणा॥७॥त्रिवारते // व्याकलेल्थसूक्ष्मेवीहांतरेप्यणुः॥कीलमायाधिसीमासुस्या दाणिवदणिईयोः ॥अभीक्ष्णतुभशेनित्येस्यादिंद्राणीद्रयो पितिस्त्रीबंधेसिंधुगरेचचक्षुर्दर्शनमीक्षण।७८॥उन्मूलनेप्यु दरणमुष्णंदोपिना तपस्यात्साधनेगीतनृत्यभेदेकायस्थ कर्मणि॥७॥करणसिसंकीर्णकल्याणकांचनेशुभारुष्णो वर्गहरोल्यासेकृष्णमरिचलोहयोः।८०॥पिप्पलीद्रौपदीकृष्णा हस्तसूत्रपिकेकणं॥श्रुतिराधेययोःकर्ण:पिप्पल्यांजीरकेक णाकोणोश्रीवाद्येलगडेवधेहेतौचकारणंगग्रहणं स्वीरुतौहस्तेगुणःस्याद्रज्नुसूदयोः॥६॥अंगुष्टानामिकामा नेगोका हौमृगेपिचानासिका प्रातयोर्घाणंचूर्णगंधयुता। वपिशावेशेवहचादोचन पादेपिचालियोंगचरणर वीर्णपर्णस्तरखर पिचुमंदयोः॥राजेनरीद्रेर्जुनेजिष्ण ॥णि कठिनपूगयो: तरुण कुजपुष्येपित्राणंरक्षितरक्षयोः Inादर्वर्णरजतेपिस्यातद्रोणोलिकलपीणीपयुमणी तरणि सिकुमारीनौकरी स्त्रियो॥६॥काष्ठागारेबुवाहिन्यां शैलसंधौचयोषितिगट्रोणीनस्त्रीमानभेदेद्रोण:काकेरुपीपती दक्षिणादिशितानेचदक्षिणःसरलेपिच असतीस्या दुर्वणीचधर्षणानिरुतौरते॥॥वरमंत्रनाडिकायांधार / - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः॥५१॥ D -- - lini ज्यथचमजने निर्वाणनिस्तौमोक्षेप्रचणो स्त्रयहाशयोः।। लाबोलेबातेक्लेप्राण-पूर्णे'भूम्निचासुषुपर्णपक्षेचपत्रे // चप्रोसणसेचनेबधेमलगाग्रंथेकार्षापणेचास्त्रीपराणमनवे त्रिषुापार्णि:पादेव्यूहपृष्ठेवाणीज्यूनिवभारवी सामंत्राल्या बेदेवित्रौषेकीबंनाब्राह्मणोरिजालिंगाग्रेडलिंजरेमौक्तिकादौ / स्त्रीपुंसयोमणिः॥२॥अजागलस्तनेचापिमरणीमहकर्कश निश्मश्रुपुरुषोद्देशौमत्कुणावथरोहिणी॥२३॥ नक्षत्रेरोहिता यांचरणःकणनयुद्धयोगलक्ष्मणासारसीदाशरथि श्रीमांश्चा लक्ष्मणारालागेपिलंबकर्णःस्याद्वेणुशेनपांतरेवा णाझिंट्यांशरेखावृष्णिर्यादवमेषयोर॥कर्णेश्रतोचश्रया गंशरणंमारणेपिचाणि पत्तोसकपात्रेनक्कीबैकारुसहती॥६ कषेमारवचतुष्केनशाणःशोणोनदेऽरुणपकेश्राणंयवाग्वा | |स्त्रीश्रीपर्णेगणिकारिकामापाचश्रमणाभिक्षुक्यांमंडी चिदृश्यतासवर्णमानभेदेपिस्थूणाशूर्मीचदारुचारदास्था। णुशंकुशिवौविष्णोसुषेण करमर्दकोकपिवैद्येचाथहतौहरण! योतकेपिचारला इतिणोताःमोक्षसधायज्ञशेषोऽयाचि तवारिचामृत अमृतातुगड्च्यांस्याहरीतक्यामलयपपिull ॥२०॥शेषविष्णावनंतीनागुडुचीर्वयोःस्त्रियांकीबरवेत्रिव नवधावश्मंतंमरणेमुचुल्याचपूर्णिमाभेदेऽनुमति सेम |तावपिस्वरूपेतंविनाशेनानस्त्रीशेतिकेत्रिषागतेज्ञाते प्यवसितमर्वतावश्वकुत्सितीअर्वतीकुंभदास्यांचाथार्दितंत्रा र्थितेहते॥३॥क्षिप्ताद्रिभेद्रयोरस्तःस्याल्लाजेष्वपिचाक्ष कृषा वसत्येप्यन्तमाकृति तिरुपयोः॥४॥आप्तौलब्धहितोदैर्ये भाविकालेपिचायतिः॥आचितःशाकटोन्मेयेप्यावर्तयितने|| पिच॥॥आयस्तस्तेजितेक्षिप्ते यारल्यातंतिडिभाषितगभ्रंश तदात्वेचापातआहतंगुणितेहते॥६॥ मृषोक्तेचाथदग्धेस्यार m ama -orientamanimuansmine- she - - -.-mmmmmmon S, - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir maaommenommmmmmmmmmmms - - - - - -- - - - नानार्थः॥५२॥ दुषितस्थितवत्यपियन्यसनातंचोपरत्तु उदितप्रोक्तउद्गते। भास्यास्तूरेपिचोन्मतःक्षिप्तेमष्टेपिचोडता उत्तप्तंशुष्कमोस। पिषन्ह्यत्पातेप्युपाहितः॥८॥उदास्थितबरेहास्थेस्यादतिः|| स्मतिरक्षयोःगतमुशिलेसत्येएतावागतकषुरोगरा बतोनागरंव्ययकोतिर्युतीछयोःशकिरातोम्लेंबभूनिवौका तस्तप्रियरम्ययोः॥१॥केतुर्ग्रहोसातचिन्दकलितविदिताः॥ त्मयोः कपोतःपक्षिमाञपिगुप्तरक्षितगूढयोः॥१॥गतिर्यात्रा रोपापाशेढःसूर्यश्चगोपतिः।गृहीसत्रीगृहपतितिंशब्दि|| तगानयोः॥३॥गर्जिस्तिनितेनेभेग्रस्तंबाग्भेदभुक्तयोःचर्मर| प्पत्यानदीरभेजातंव्यत्तीपजन्मस॥१३॥सूर्यावर्तपिजामार तानावानेपिष्टपेजगत्।जातिछंदसिमालत्यांचुल्यांजातीफ// लेकले॥४॥ज्याप्तविस्तृतवायेषुततंतिक्तंसगेध्यपिचापे तृणवेतृणतातात-पित्रनुकंपयोः॥१५॥दुर्गतिर्नरकेनेच्या दतिंव्यसनापिचादिवाभीतउलूकेस्याकुंमिलेकुमुदाकरे |॥१६॥विसृष्टेरक्षितेदत्तंद्रतंशीघ्रविलीनयोगदशनेशेलशृंगेच दंतःस्यादौषधौस्त्रिया॥७॥दितीखंडनदैत्योवैधृतिस्तुशै| कतावपिराशौचधातुनिर्वाणेसस्थितत्वेचनितिः॥१८॥॥ अस्वाध्यायेकुरूपेचप्रत्यकौस्त्रीनिराशतिः॥जयास्त्रीनान| दीकांतःसिधुवारेजलाधिषुणानिमित्तहेतुचिन्हांगतेदवा) देशपर्वसाप्रसृतःकृजितेपाणोजपायांतीगतेविषु॥२०॥ प्रकृतिषुणसाम्पस्यात्स्वभावामात्ययोरपि।प्रतीकारेप्रतिक ति-प्रतिबिंबेथपतिः॥शापंक्तीमार्गेपिपूर्ततुपवित्रेबहली|| रुताश्रेणिर्दशचपेक्तिःस्पात्रसूतिर्जन्मतोकयोः॥२२॥प्रति पतिश्चित्तवृत्ति प्राप्ति-पागलपगौरवपारावतीगोपगीति लवलीफलयोरपिपलितंकर्दमेपिस्याहिधौभूपेमा जापतिः॥शक्तनिवारणेदप्तोपर्यातस्याययेशिते॥२४॥ % 3 - - - -- Aammer For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - नानार्थः५३॥ पितोमतेप्राणिभेदेपित्मन्यातेछुपक्षिणोक्तीबंबिदौपृषन्नेणे प्रषतोप्यनयोनरि॥२५॥रवातादौ परितेपूर्तेपातोभ्रशेचरक्षिते प्रेषितेपिप्रतिक्षिप्तंप्रतीतःसारेपिच॥२६॥पूतःस्वरेचाभियुक्त हेतोचप्रार्थितौसमौ द्विष्टेपिचप्रतिहतःपिडितंगुणितेधने२७॥ प्रासेज्ञातेपरिगतंप्रपातौभृगुनिझरोगालोकायतेकछपेचपेच गुप्तःस्मृतोबुधैः॥२८॥लब्धेसमंजसेप्राप्तंपक्तिौरवपाकयोः पारिजातादेवतरीमंदारेपारिजातके।सात्तिवाधिवाहेषु प्रत्तिस्थयोटके।पानेचपीति-सिक्तेतुप्रोक्षितनिहतैपिच३० रामानुजेनाट्यशास्त्रेदौःष्यतौभारतोनगजिनेपूज्येचभग वान्भोगवान्नात्यनागयोः॥३॥सेवाविभागयोभक्तिर्भवा न्युभत्सदर्थयो।पक्षिण्यांवाचिवृत्तीचभारतीभारतेपुनः३२ जंबुद्दीपेन्यासकृतौभृतिभरणमूल्ययोः।कुड्यभेदनयोभिः॥ तिर्भास्वतौसूर्यभास्वरौ॥३॥पृथिवीजननीगावोब्रह्मण्याद्या) श्चमातरमूभिषिक्तोम्मात्येपिमुक्तीनिस्तमोचितौ॥३४॥॥ मूर्तस्यात्रिषुमूललेिकठिनेमूर्तिमत्यपिएमतिरिछाऽप्यथय ति-पाठलेदेमुनीपुमान्॥३॥न्याययोजनयोर्मुक्ति पाश्यधि यादसांप्रतीरेक्तीदलिपल्याभेस्मरपल्यांचरेवतिः॥३६॥l रिक्तवनेपिरीतिस्तलोहकिट्टारकूटयोः।रोहितमृजशका खरतेनामगमीनयोः॥३॥शैल देसुवर्णालौ शंकरेपिचरैवा त:॥स्वर्णाभ्यक्तेपिरसितंकस्तरीपक्कयोलता॥३॥वर्तुला धीतयोईवातेकशलनीरुजोः॥वासे पिवसतिवृक्षमा।पिच वनस्पतिः॥३॥वर्तनेविट तौत्तिर्वर्तिपदशास्वपिालन भसंबंधयो यातिर्विश्वस्ताविधवापिच॥४॥छेदेविनाशेर विछितिर्विगतीवीतनिप्रभौअसारापेभयोतिंबीतम कुशकमणि॥४॥अभ्युपतेविकसितेचेष्टितेचविजृमितपरि कितौरोगिवीभत्सोषित्तरव्यातेधनेपिचाइटेपिच्यायत - marAmummmmmmmmmmmmmmmmmmmmmeenaw wanmegemarammarwam m am - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः॥५४ - शुक्तिमुक्तास्फोटाश्वलस्मणोः॥अस्त्रभेदेपिशक्तिःस्याछोतिः। स्यान्मंगलेशमे॥४३॥वतसेपिचशीतोनाशुक्तंपूताम्लनिष्ट ॥शितिर्भूर्जे सितकृष्णेश्रीमतौतिलकेश्वरौ॥४४॥ब्रह्मशक्ती शतकृतीवातीयांश्रवणेअतिः॥दुर्बलेनिशितेस्यातांशितशा तावथोवचः॥४५॥सरस्वतीसरिङ्गौश्चसूतोचंदिनिपारदे॥॥ स्मृति:स्याधर्मशास्त्रेपिप्रवाहेपिचसंस्मृतिः॥४६॥रणेसभा यांसमितिस्तिमितौकिन्न निश्चलौस्थपतिःकंचुकीकारभे|| देगीष्यतिजागरुत्॥४७॥संबंधेपिचसंवित्तिर्मयोदायामपि स्थितिःसीतालोगलरेखास्यायोमगंगाचजानकी॥४८॥ सूनतंकशलेसत्येसुदोहागौनसुव्रताशर्करापिसितायो| धैसलातिनेपिचस्थितः॥४तासतीकात्यायनीसाध्यो-संघा तोनरकेचयहिरीतकीहैमवती गौरीशुक्लबचावपि॥५॥स्त्री| हरिशिशिवर्णनादापिहरितामता॥इतितांता॥आतिः थि कुशपुत्रपिहरीतक्यपिचाव्यथा॥१॥अपेक्षा लेबनचा| स्थास्यादर्थोविषयेपिचभदेपुंस्यप्रतिरथयात्रामंगलसा निज॥५२॥उन्माथ कूटयंत्रपिकथःकंबलवर्हि पोः।काशे शुतचक्षवथुपैथोत्रिंशदक्षरी॥५३॥धनंचयनाचापिती थतूपाययोगयोः॥कट्यशपोणयोःप्रोथोवीथीपंक्तीगृहाश। के॥५४॥वानप्रस्थोमधूकेपिस्यातृतीयेपिचाश्रमे।काकोल्या मलकीब्राह्मीवयस्थातरुणेत्रिषु॥सूर्यमथानयोमैथःसा तरेप्यथमन्मथाकपित्थेकामदेवेपिरथ पौरुषदेहयोः५६ पुसिस्चियोचषथःकरंजवरयोःक्रमात्॥सिद्धार्थ-सर्षपे॥ रदेसंस्थास्थितिविनाशयोः॥५॥संस्थासमामिकतुषुवरु थोनिजराष्ट्रका सिक्योभक्तपलाकेनामधूछिष्टेनपुंसकं५॥ इतिथांताअष्टापदंशारिफलेसुवर्णेस्त्रीपशोपुमानाया। मनभ्यास्त्रियांकीबकेयूरेनांगदःकपी॥५॥अर्बदोरुनिसरज्या - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः५५ - - - - यामामोदोगेधहर्षयोःरहस्येस्यादुपनिषत्समीपेसदनैपिच याकंदोस्त्रीभरणेमूलेराजलिंगनिषाणयोः॥स्त्रीककुक दुकंदलगवररसोनयोः॥६॥स्त्रीगंभार्योक्लीबमन्जेदिका गिकुमुदःकपी।पुष्पेकीवंचमीकंदासोदोरजसिपेषणे शिव| जूदेवराटेपिकपीथामयेगदः॥विष्णोर्भातरिचास्त्रस्त्रीपला| शेगरुतिछदः॥६॥देशेजनेजनपटोनिषादीश्वरस्वरोवाl क्येशब्देःप्रदेशपिपदंपादस्तनयोः॥६४ामूलैप्रत्यंतशैलेचा सादरवनुरोधनास्वछेकाव्यगुणेचाथप्रतिपत्तिथिसंविदोः६॥ विज्ञाताचबिंदुस्यान्मंदौस्वैरशनैश्चरौगहस्तिभेदश्चाथम स्याकस्तूरीभदानयोः॥६६॥गर्वेशुक्रथमाकंद्यामलक्यांना म्रपादपैमर्यादाधारणासीम्नोमहानादोगजेपिचामेनादास्तु त्रयण्डागमाजोरकशिखंडिनःविशपांडरेव्यक्तशारदो जलदेपिच॥६॥स्त्रियांचशारदीतोयपिप्पलीसप्तपर्णयोः। ॥संवित्संकेतकेपिस्यात्समर्यादतिकेस्थिरेलान्यजनेसूप कारेचसूदःसूपवदिष्यते॥धर्मस्वेदनयोःखेदःसंपल्लम्यांस मुच्चये॥७॥इतिदाताः॥खेडेनासमभागार्धमवधिःसीमकाला यो॥आविप्रहतेवकमानद्धवाद्यबस्योः॥७॥ अलंकारोपि चाबहःप्रत्याशाप्याधिरुच्यते॥कुटुंबव्याप्तेधर्मचिंतायांचा विशेषणे॥७२॥उपाधिरुयगंधेतुवचासत्रयमानि उपलब्धि|| मतिप्रायोति-संपदिचौषधे॥७॥रादौशिरःशून्यकायेक बंध कीबमबुनि गोधातलेनिहाकायांगयोगवलेपिच॥ ७४॥दोग्धागोपेकनोवत्सेदुग्धंसीरेपपूरिते॥दिग्धंलिप्तेविषा|| क्तेचदुर्विधौरवलदुर्गतीरोधोनिरोधेनाशेचबडोनाते जिने बुधेगनिषेधबुड्यो धोरोहिणेयकवौबुधः। धादित्य चेत्रवसंतेषमभेदेचनामधुःसिद्धेषिताभिसंक्षेपेनिद्रायांचा एमागधी॥ॐापिप्पल्यांयूथिकायांनालग्नेमगधजेत्रिषा - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः५६ FEARED - %3 - %3 -- लग्नेतिविषायांचझुंठ्यामपिमहौषधा॥सीतायोजनग धास्यात्कस्तूरीन्याससूरपि।विधिब्रह्मणिकालेचप्रकारेवेध नविधा॥७॥पृक्कामहिलाचवधर्विश्वस्तोतुझंटश्चविश्रब्धः विश्रब्धंगाढार्थभुखंत्रिषुपूतकैवलयोः॥॥श्रानिवापे| अभालोत्रिषुसाधुनिन्यपि।स्कधःसंघेपिसिद्धस्तुनित्य निष्पंदनादिषु॥८॥संधिःयुमान्सरुंगायाभेदेसंघटनेभगे। इतिधांता॥कुलेख्यातेचाभिजन स्यादध्वाकालवमनो| ॥२॥इतिवृत्तीवदानस्यात्कर्मरखेडनयोरपि।अग्रजन्माः ग्रजेविप्रेस्यादन्नंभक्तमुक्तयोः।।३॥विनीतेविप्रभेदेचानूचा नोर्थीविवाद्यपिाअंतावसायीचांडालेमुनिभेदेचनापिते८४॥ अश्वकुत्सितयोरविज्ञविद्युतिचाशनिःवर्णमात्रेविसर्गेचा |भिनिष्ठानोथहैहयाम्॥पार्थद्रुमेमयूरेनाअर्जुनस्त्रिापार डरे॥अर्जुनीगन्युषायांच गंवृश्चिकयोरली॥५॥भात्माम नोष्याकलनंविबंधपरिसरन्ययोः॥आवेशनशिल्पगेहेभूता| वेशेऽथगेंदुके॥५विशेषेचोपधानस्यातचुल्यांमुडानमना मेराअगंभीरेपिचोत्तानःशराभ्यासेप्युपासनापास्याका त्यायन्यर्धडागौर्योवररुचौनरिणशिरीषास्रातकावस्यग दभाडेकपीतनःारताचीरेपिकौपीनमश्वेपुन्नागेपिचकेसरी॥ कुलीनत्त्वेचगुहोचकोलीनमथकंचुकी स्थापत्यवर्मि| तेसर्पकप्तौछेदेचकल्यनंगकामिनीस्त्रैणचक्रौचकृतिनौर योग्यपंडितोग९१॥कांचनंतुम्निनागकेसरेकांचनीनिर शा॥धातुवादरतेकोस्वकारेकारंधमीनरिणचर्चिकाचिर लदयितेवकामिन्यौप्रकीर्यताविषदिक्षपशोसिगूननं नारसोनगढनंगव्हरेसवेवनेथांबुदमुस्तयोगधन पुसियनवायंचर्मस्याकलकत्वचो:४ाचीनोवस्त्रबीहि भेदेचिन्दलस्मपताकयोः॥चकिणोविष्णुभुजगलालया नाष्याका क यास शरीषामानविकरणमा - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः 57 - womammeerNam - - - % 33 Ram ग्रामयाजिनः॥५॥कंनाचलनकपेचलनीवस्त्रपरीभूनें। फलकपाणौचचhथालेबुषेपुमान्॥६॥निवेपिछर्दनवातेज वनोदेशवेगिनोः॥बुद्धेजिनोजित्वरेचजीवनंवर्तनाभसोशल शूरेदातरिचत्यागीव्रतिशोच्यौतपसिनौगतपनोनरकेभानौति रिलोल्पे कशेतनुः॥८॥क्रीडादौदेवनंना क्षेद्विजन्मातविष योगदानंगजमदेत्यागेरखंडनेरक्षणेपिचारादर्शनवर्णमकरण चक्षाशास्त्रोफ्लब्धिषास्त्रीदीधकोष्यांदु मार्शसियुम्नबलेध न॥३०॥धन्वामरौधन्वचापेधावनंगतिशौचयोःनिर्भत्सनर खलीकारालक्तयोरथनंदन॥१॥देवोद्यानेसतेसिनग्नौक्षपण वंदिनी।तोदृष्ट्यानिशमनखगंगापिनलिन्यथा ग्रंथि प्रस्तावयोःपर्वविषुववभूतिष्वपि प्रतिमानप्रतिकायागज गं तांतरालयो॥३॥पाकस्थानेकुलालस्यवातेवपवनःपुमा नाहरीतकीराससीचपूतनाथवरालके ॥४॥पाठीनोरागु लद्रीवरक्षारसोपलाशिनौ फाल्गुनोमासिपार्थचस्त्रीविदग्धाचवाणि नी॥५॥वर्धमानःप्रश्नभेदशरावैरंडविष्णुषुसेनानदीचवा दिन्योछेदेोचकाईना। भुवनविष्टपतोयेभिन्नंदीवि शेषिते जन्माश्रयश्वभवनंभाजनंपात्र योग्ययोः ॥७॥भतिः कोचनयोर्भर्ममलिनंभूषिते सितामानंप्रमाणेतौल्येचमी नोराश्यंतरेझ॥॥मदनाःसिक्थधूस्तूरतरुभेदमनोभवाः। गमुनिर्वाचंयमेबुलंदश्वपाचमालिनीरामातुलानीतुभंगा यांमातभ्वातखियामपिाराशौयुग्मेचमिथुनविष्णवलीमधरना ट्नौ यापनंस्पान्निरसनेकालोपेचवर्तनाचतुःकोश्यांच योगेचयोजनस्यातुवाहने॥११॥गतौचयानयोनिस्तूत्यतिर स्थानेभगेप्रिचारसनंतधनौस्वादेरसज्ञारास्नयो:स्त्रियाग ॥१२यक्षेचंद्रेचराजास्यातरक्तःकामोचरागिणीगोपितरो चनाकूटशाल्मलौरोचनःपुमान्॥ 13 // निशाहारदारजनी / BRE For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः५८ - || छेदेभूर्जेचलेखनाराशीनामुदयोलग्नसक्तलज्जितयोस्त्रि |॥१४॥योषि जिव्हाचललनालक्षणंनामचिह्न योारित्तेवि तानमुल्लोचेविलमध्यलग्नयोः॥१॥रैवानिष्टफलेसक्तोरण व्यसननिष्पलाद्यमे स्वतंत्रताचव्युत्थानवामनोविष्णुदिग्ग जौ॥१६॥रवर्वनाथफलेशुष्केवानस्यूतेकटेगतौषपशि विदैत्येवेष्टनमुकटेगतौ॥१७॥वेशकारेपिविषयीकामिनिकीब मिंद्रियारक्षादनीस्याईदायांस्त्रियांकठारकेपुमान्॥१८॥॥ |समालब्धेविभक्तच विछिन्नवाच्यलिंगकंगलल्येज्ञानेस्थिते विनंवेदनाज्ञानपीडयो: वर्तनीतर्कपीठेपिस्त्रियांवर्तन बमनोगवनवानंदकेन्याविपन्नोहिौविपगते॥णादैव शसिनिमितेचशकुनसिपक्षिणिचूडावान्कुक्कुट नापिशिर रवीशंगारिणौविमो॥२॥क्रमुकश्वसुरेशश्चपार्थेगःश्वेतवा हनामयूरेभीभशीच शिखंड्यथविहेठनं॥२२॥विदिसा। योविंडंबेचयमेनाशमनंवधेश्येनःशुपक्षिभेदेशकुनिः सौबलेखगे॥२३॥धान्यभेदेपुमान्षष्टिहायन: कुंजरेपिच। नासाधौसज्जनं कृप्तीसाधनंसिस्मेंद्रयोः२४गसमानोदेव वायौरसंस्थानमृत्युरूपयोः॥संतान:संततीदेवरक्षेचापत्य / गोत्रयोः॥२५॥कतौस्त्रानेसवनमरणेपिसमापनाम्यदनं // खपणेनातुरथेतिनिशपाटपे॥२६॥सतज्ञानेचशयनेस्वोर यस्पर्शदानयोःस्पर्शनंम्पर्शनोवातःसूनंपुष्षेफलेपिच॥२७॥॥ सेवनंसीवनोपारयोःशापताजीसदातनौ।पुरवौचमूनुः॥ स्पातभातपिकनीयसि ॥८॥सीमावाटेस्थितीक्षेत्रेस्वामीभ तरिषण्मुसेधूमवंशशरामा:सुपर्वाण:प्रकीर्तिताः॥राहा मुर्दविलासिन्योकपोलावयवेपिचादतिनांताः॥सजलेमदि बनूपोऽवलेपःसंगवर्गयोः॥३०॥आक्षेपोभर्सनासध्याग करपौवेशकल्पनेतणभिहाल्मिन्यलुपंचट्रेनारूयुडपावे॥३१|| - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थ:५९ - - - कल्सःशास्त्रविधीन्यायसंवतेब्रह्मणोदिनाधान्येकशेएमांशेर न्दःकतपश्छागदेबले॥३२॥राणरक्षेपिकूपोविट्सास्त्रिीकु णपशवेजिव्हापःशुनिमार्जारेपु सीसकरंगयोः॥३३॥पा दुकायोस्त्रियारक्षेपादपीठेचपादपः॥ पिंडपुष्यौजवाशेकौषु प्पकसमआर्तवे॥३४गग्रंथात्तीपशौशब्देस्वभावेनाटकादिष सूपमाकारसौंदर्यमानकेष्वपिदृश्यते॥३५॥शररोपणयोरोपोll लेपोलेपनजेमनेविटपःपल्लवेस्तंबषि मेदोवलंबपा॥३६ आक्रोशेशपथेशापरवापःशयननिद्रयोःगतियांतात्रिषु स्यात्कुत्सितेरेफोरवणेतुपुमानयं॥३॥तिफांतागजग्री वाबिलेकंबाकलेबशरनालयोः॥देकदंबौनीपेनाकादेवी शरपक्षिणी॥३॥पीहाविप्लवयोर्डिवःप्रलंबोदैत्पशाखयोः।बि। बंबिंबफलेस्पेसंबस्तमुसलानने॥३६॥ कल्याणवतिक्त्रेचहरे|| बोमहिषेपिचादतिबांता:स्वारभाववष्टंभौवाणीछेदोप्य नष्टभौ॥आरंभउद्यमेकामेब्रह्मणिचात्मभूः॥ऋषभौश्रे ठरपभोकरभोधकरोष्ट्रयोः॥४१॥कुंभोवारस्त्रियाःकांतेरझो। राशिप्रभेदयोः।वीणाप्रसेवेकुभोनगभेदेर्जुनद्रुमे॥४२॥गर्द|| भःभुककमदेखरेपेस्पथदानवराजबीरेव्यवहारेचजभोदंतेपि चेष्यते॥३॥दंदभिदैत्यभेदेपिदंभ कैतवकल्कयोः दुर्लभःक|| खुरेकाम्येसदृशन्याजयोर्निभः॥४४॥मुख्यरादक्षत्रयो पसिना भिषा ण्यंगकेहयोःचक्रमध्येप्रधानेचस्त्रियोकस्तूरिकामदे॥ ॥४॥भूर्भू मौस्थानमात्रेचभमूक्षेभृगुजेपुमान्॥रंभाकदल्या सरसोर्विभुःस्यात्स्वामिभृत्ययोः॥४६॥पुनर्नवायर्यावर्षाभूःस्त्रीना किंचुलुकेपवेविसंभ केलिकलहेविश्वासेप्रणयेपिच॥४७॥सु रभिःस्याइसंतेपिसभायूतालयेपिच॥तिभाता|अभ्याग मोविरोधेचशास्त्रमायातमागमः॥४॥मठादीब्रह्मचर्यादिच तुकेचाश्रमोस्त्रियांअंगीकृतावपगम:समीपगमनेपिचा४|| - - -- - - - muram For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः. - - उमादुर्गातसीचाथपीडायांवीचिवेगयोः॥ वस्त्रसूक्ष्मेचरेरणा यांचोर्मि-स्त्रीसयोमतः॥५०॥कुसुमंस्त्रीरजःपुष्पंक्षेमकर ल्याणरक्षयोः।क्षेमाचंडा थकलमालेखनी चौरशालयः॥५१ रतोनिकामकाम्येषकामंसिस्मरेठयोः।सोममद्देदकूलेच ग्रामःसंवसथेवरे॥२॥गुल्मस्तंबेघभेदेधर्म-स्वेदातपो) मसजिह्मस्याकुटिलेमैदेतलिमंतल्पकुट्टिमे॥५३॥तोक्म कर्णमलेपुसिहरितेचहरियोगद्धमोरक्षेश्वरैरक्षेदमोदमथुर्द डयो॥५४॥धहिंसोपमायोगोपनियधनुष्यपि कटेखें डांचनिगमोनियमोनिश्चयेबता५५॥यंत्राणाबंधयोनाथ पंचम स्वरसंख्ययोःपद्मोस्त्रीविंदुजालेब्जेिन्यूहेसंख्यांतरे // निधी॥५६॥गजानांदतबंधेपिप्रतिमानुरूतावपिणभूमिःस्थाने पिकंदांबुनिर्गमभ्रांतिषुभ्रमः॥५७॥गांगेयभीषणोभीभौभीमः॥ शंभौरपोडनरकेमंगलेभौम स्वरेमध्येचमध्यमः॥५६॥य मःसैंयमकीनाशयुग्मजेष्वथरापरामःपशोभार्गवेचरुक्म|| लोहसुवर्णयोः॥५॥संपत्कमलयोलेश्मीर्विभ्रमोश्रमहार यो।श्यामारांद्राकोकिलाचामोमेडपकालयोः॥सार्व। भौमोगरानिसंभ्रमौसाध्वसादगादतिमांताःभिन्नास मानयोरन्यःस्यादभिरल्यायशस्थपिआत्रेयीपुष्पवत्यांस्या॥ नदीभेदेवनामुनौआश्रयःस्कंधआधारेआदित्योभास्करेस रे॥६॥वेदोपदेशावनायौहषीकेरेउसी द्रियाइज्यास्यात्स गमेदानेयागे यांगुरोपुमान॥६३॥उदयो दाबुनतोचकपाय सुरभौरसेगकाय:स्वभावेलक्षेचसंघेमूर्तीकदैवते॥शाकोस त्यमनुतापेस्यादयुक्तकरणेपिदाकश्यकशामधेचकाद्र वेयोरहिरंगयोः॥६॥काव्यंप्रबंधेशुक्रेनाकुलायःस्लाननी॥ डयोः॥गव्यंगोहितदुग्धादोज्यायांगन्यातुगोकुलेगाभी नाहेनिगांगेयंगोप्योगोतव्यचेटकोगगातव्यगायनोगेयोगृहा mommpan %E3%E3BE - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Pun - // नानार्थः६१ मस्वैरिपक्षयोःहाचैत्यमायतनेबुद्धविप्रोद्देशकरक्षयो।च सुष्यंसभगेचसुर्हितेस्त्रीकेतकेपिच॥६॥युरेहढेरजन्य स्याज्यास्यान्मोििक्षतावपि।कूटायुसुग्गुलुद्रीचत्रिवेद्या त्रितयेत्रयीनिंधेवरूनरहेदूप्यं दस्यूतस्करवैरिणामे पजेद्रविकारेचद्रव्यभव्येचपित्तले॥७॥हितीयातिथिभित्य। ल्पो पार्थगौचधनंजयः॥निकायोसंपनिलयौनित्येसतत शाश्वते॥७॥पर्यायःस्यात्प्रकारेपिप्रायोनाभूमतुल्ययोः। पथ्यंहितेभयापथ्यापानीयंपेयनारयोः॥७॥पौलस्यौरावा णश्रीदौस्वर्गलाभौफलोदयौ।ब्राह्मण्यंब्रह्मसंघेपिबालयौ गर्दभौ॥७३॥वीर्यप्रधानधातीचभयंभीकुब्जपुष्ययोजन पीनेसहायेचभुजिष्योहस्तसूत्रयोः॥७४ास्यान्मायाशाबरीब योर्दैसशिल्प्युष्ट्रयोर्मयःगमयुरश्वक्रतुहयेरूप्यंत्रिषुसुरूपके ||७॥आहत स्वर्णरजतेरजतचनपुंसकंवत्सेवलेबुधेरोहि ॥णयोथश्लेषवाययोः॥७६ालयोयुक्तेचलभ्यस्याविषयोदेश गोचरौगवर्गप्रस्थानयोर्बज्यावदान्यस्त्यागवान्तवाक्॥७॥ स्त्रीमल्यांनिर्जनेशून्यंशोर्येचारभटीबलंगशांडिल्योमुनि मालूरौसौरभ्यंचारुतापिच॥७॥साध्यादेवा:फलंसाध्यस्थे यौनेतारोहितानाशैलेसह्यमारोग्येसामर्थ्यशक्तियोग्यते |॥७॥एकत्त्वादौविचारेचसंख्याकीबेचसंयुगेाहिरण्यरेतसि स्वर्णेमानभेदवारयोः॥उरस्पपिचवकायो हृदयमान सिपियादतियांताः॥अंकरोरोम्णिरुधिरेवारिण्यभिनोनि दि॥१॥अमरानाभिनालायांगुडच्यामप्याबरं नागभिः इंधट्रव्यंचस्यादरुधिराश्रणोः॥१२॥प्रस्तावेवसरोवर्षेचो हिनीचेपिचाधरः॥श्रेष्ठेप्यग्रोवतारस्ततीर्थेवतरणेपिच॥१३॥ गलहस्तेप्यर्धचंद्रोपारसकमबुधौगअलातास्त्रीजेगा र श्रेष्ठावाच्यारतनानीरेचाबहारस्स्यारधव्योम || D - - - - - - ema 3 - % - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - Hima - %3D % 3D नानार्थ:५२ मेघयोः॥हविर्वन्हीचाग्निहोत्रीरसेलघुनिचागुरुः॥८६॥शक्तो || पिपंडवाडीरावंधिःस्यात्पादमूलयोः॥आसारस्वसरणेस्याहे। गवृष्टीतहले॥५॥आरःशनैश्चरेभौमेइंद्रआत्मनिवासवे, गौरीश्वरीशिवास्वामिकंदपीश्वरस्पुमान्॥८॥ उदारोद | क्षिणस्थूलोइमेमेद्रेप्युदंबरः॥ उग्रोत्यजेशिवेत्कच्चे उस्रोदी तोगवि स्त्रियांगासिंहसदासुपुन्नागेवकुलेनागकेसरे॥के सरःसिकिंजल्केनरूत्रीहिंगुनिनयोः॥०॥मक्षिकायामपि सुद्राक्षःस्यात्तपणेत्रिषु॥कद्भुस्तिषकडारेस्यात्कदुःस्त्री नागमातरिश१॥नापितस्योपकरणे कोकिलाक्षेपिचरुरः भस्म काचरसाक्षारा:कारुःकारकशिल्पिनाकर्षरोराक्षसेपपे कर्बुरंशबलेजने॥कारापीडाबंधशालेरौकठिनभीषणोर३ जबहीपसहाकन्याःकुमार्योथाश्ववारके।बालकेकार्तिकेये| चकुंमारोभर्तृवारकेराकलिकारस्तधूम्याटेकरंजेपीतम स्तकेगसिस्थानपिचक्षेत्रकर्करोढदर्पणोर५॥शिशपा||| यांरुष्णसारास्नुह्यांचोथोत्सलेपिच॥कर्णपूर कुबेरस्तुनंदी। वृक्षकपिंगयोः॥१६॥कुशरीरेचशव्यांचकछरापामरेत्रिषु कंदरःस्पातगृहामण्योःकोट्टारीकूपनागरौ॥राकपोलेच कटाहेचशस्त्रभेदेचकर्पर भिक्षापात्रेकपालेचरखपरःस्तरका रिपिचारादेवताडेखरास्त्रीस्यात्वरोगर्दभतीक्ष्णयोः॥भ मुस्तेगुवाकेचरखपुरोथद्रुमेपुमान्ाारूप्येवलेचखर्जी रंखुरस्कोलदलेशफेरखरुरखेहरेदर्पदंतेश्वेतेतुवाच्यवत्॥ ||n४०॥गुरुस्त्रिलिंग्यांमहतिदुर्जरालधुनोरपि।गायत्रीख दि) रिस्त्रीस्याछेदस्यपिषडक्षरे॥१॥गंद्रस्तेजनकेगुंद्रात्रिलिंग्यां भद्रमुस्तके गहरेगुहागुंजेपूरिहारिगोपरं॥२॥नमक न्योमयोगौरीगौरः स्यादुज्वलेपिचागोत्रनाम्निकले पुंसिशैले भूगज्ययोस्त्रियो॥३॥वरेरणेचगोधारोगभ्रःस्याल्लोभिपक्षिणोः।। % D - - - - - - % 3D For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir amnamas - - - - - - - - नानार्यः६३ क रेतिलकेचित्रसुभद्रातारयोःस्त्रियांचंद्र-शशिनिक रेचारोबंधापसर्पयोःमृतेदेवकुलैचैत्रंनाभूभन्मासभेदयोः॥ |॥५॥सर्पविष्णोचऋपरनिकरोतक्षभित्कचौरीचक्राकोकेबजे|| पंसिकीबेसैन्यरथांगयोः॥६॥ग्रामजालेकुंभकारभांडेराष्ट्रेचद। श्यतनिदप्रभेदेवायेचझझरोथगुणध्वनौ७॥प्रसिद्धगवपिद कारस्तारोत्युच्चस्तरेत्रिषुतारिण्यंगदमात्रोःस्त्रीननाऋक्षा क्षिमध्ययोः॥८॥ताधेतिमिरंध्वीतेतोप्राजनवैणुके॥ध न्याकेतुंबरीशुन्यांतानंशल्वेरुणेत्रिषु॥॥पेटकेनाविचत रीतुषारःशीकरेहिमे तिकर्तव्यतातंत्रमुपायश्वद्विसाध कः॥१०॥तीव्रकटनितातंच दर्दशेलभुग्नयोः॥उपायेनिगे। मेवारंदारुस्याटेवदारुचणादासीसुतोष्ट्रौदासेरोदेहयात्रा। शनेमृतोगदिगंबरोधकारेचवाद्यमेघौचदर्दरी॥धात्री॥ भव्यामलक्यौचहरिशैलौधराधरौधाराहरिद्राश्वगतिनि शांबुसूतिराजिषु॥धराधरीखड्गमेघौधीरस्परितमंद योः॥धीरंचकुंकुममथोधरापृथ्वीधेरोगिरित॥१४॥ नेत्रोनेता रिनेत्रंचगुणेमूलेविलोचन नारंशंठ्यांनरौघेचनरोजेमान वर्जुने॥१॥नरेंद्रोराजिकेराशिविषवैद्यपिदृश्यतेधान्योसे। पेनिकार:स्यागडच्यामपिनिय॥१६॥नभश्वरीपक्षि देवीपोशलाचनिशाचरी॥बलीकबनयोनीबंपूरःरवाद्येप यश्चये॥णासमारंभौपरिकारीखड़फलेपिपुष्दन। नई तरालेपात्रस्यानाडेचाथनिशापती॥१॥पृथक्करोगजेयूथ भ्रष्पक्षचरसस्मृतः॥स्थाल्योमंथेपिपिठरंपवित्रकशमे ॥ध्ययोः॥देहोपाटलिपुत्रेचपरस्यात्गुग्गुलीपुरः॥वरोर जामातरिवृतेकंकुचनपंसकं॥२०॥वक्रःशनैश्चरेरेपुटभेदे। तथानजोगकुबजरसेहरेवारोबंधुरंरम्यनत्रयोः॥२१॥भी मरःकामकेभृगेभरोतिशयभारयोः॥विषेस्वादौसमधमलि - Ram / - % 3D% 3D% 3D - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः६४ mer कायंचमाधुरं॥२२॥मरखाग्नीचमहावीरोमक्षिकायोचमत्सरः महेंद्रोभूधरेशकेवचक्रेवमंथरः॥२३॥विघ्नमन्मथयोारो मकरोराशियारसोगमनोत्सवयोर्यात्रारुधिरकुमेपिच॥ ||॥२४॥रक्षभित्यापयोरोधोदैत्यभेदेमगेरुरुः लेबोदरःस्याद|| दुग्नेगणानामधिपेपिच॥२॥ लक्ष्मीपुत्रौरमरहयौविस्तारौ|| स्तंभविस्ततीविप्रस्तातेस्त्रियाक्षेत्रेचयेरेणीचरोधसि॥२६ull स्यादुश्वरेचनक्षत्रेवल्लरंगहनेपिचवल्लरात्रिषुसेशुष्कमोस|| भूकरमासयोः॥२७॥वैकल्पेपिचविश्लेषेविधरंविकलेत्रिषु // विकारोविरुतेरोगेविश्वकद्रुश्चभित्खलोगस्वरोगेकुंकुमे वरंवेठरःशठमंदयोः॥अथव्यतिकरःपुसिव्यसनव्यतिषंगा॥ योः॥२॥पर्याणे:क्षोपकरणेशारि-शकुनिकोतरेश्रील। क्ष्मीवेशसंप सुभारतीशोभयोरपि॥३॥शिखरंशैलर क्षायकक्षापुलककाटिषु॥पक्कदाडिमवीनाभमाणिक्पशक लेपिच॥॥शुक्ररेतीक्षिरुकशुकोनाकाव्यज्येश्वन्हिषु। गजभूषाचशृंगार-शुषिरंगर्तवोययोः॥२॥कुटजेपासवेशको वरीशच्योःशतावरी॥शकरीमेखलाछंदःशवरासलिलेशि वे॥३३॥स्थिरामहीशालपण्या शंबरंसंयमेजलाशंबरोदै|| पहरिणौशवस्याकैतवेबलेशास्त्रोतोजनेचसोवीरको जिकैवदरेपिचादलतिग्मकरोसीन्सांद्रमृदोघनेवने॥३॥|| तत्वाद्यग्रंथयोःसूत्रकारणेपिचदृश्यते॥तिरांताः।शैले चलो चलाभूमावरालासर्जक्कयो ॥३६॥अलिम्सुराप। व्यलिहो कल्लोलेप्याकुलंत्रिषु॥आलुर्गलतिकायर्यास्त्रीकीब मूलेचमेलके॥३७॥आलिसेतुःसरखीयज्याशौडिकवासु तीबलः॥आभीलंभीषपोशालाभूवाग्वधांगनाः॥३॥ आईवरण योरोलकालस्यान्मृत्यरुष्णयोः॥अंशेराव पिकलाकदलीध्वजरंभयोलाकफोणिपातेवालेच॥ - - rammapanasamm aan-man----- For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः६५ mier - - - - - - - - - - - कीलावत्कीलदृष्यते॥शिरसोस्निकपालोवीघटादेशका लेबजे॥४॥काकोविषंचकाकोलोसारनायामपिकंबला|| नकेपिकलकलाकामल:कामुकेयधी॥४॥कुलंगोत्रगणेदे देननानानेचकेवलंगकपिलाशिंशपाकोत्यो कपिलोग्नौमुने|| शुनि॥४॥कोलोकपालावुत्संगेवरान्हेभेलकेपिचापिप्पल्य पिचकोलास्यात्कोलंचवदरीफले॥४३॥ मृगेजलेचकमलं कुवलेबदरोत्पलकल्लोलौशात्रवोल्लालोपर्क ट्यांचकमंडलु |॥४४॥कर्मरंगतरौकर्मफलंसखेसुखेपिचाकरालोधूर्णतैले पिदेशेकेशेलकेतलः॥४५॥कौतूहलंघशस्तेपिरवल्लवमणि चातकेगवस्त्रेनिम्नेचाथखलंशस्यस्थानेशठेत्रिषु॥४६॥मंड ॥लेमणिकेगोलंगोलागोदावरीसखीगोपोभूपश्चगोपालोच पलपारदेपिच॥४॥चपलापिप्पलालक्ष्मीपुश्वलीविद्युतः ॥स्मृताचछछद्मवलितयोर्जबालीपेकशैवलौ॥४॥ गिलोनिर्जनेदेशत्रिलिंग:पिशितेत्रियांगजालंदभेपिजबीरेदेव भेदेपिजेभल:४ाझलातयोभिदैहितातलंमूलचपेटयोः॥ तालोगीतकियामानेहरितालेगुमौतरेगालोदेहारमणो सियवादातरलास्त्रियांब्रह्मदा पिचौतूलतलासाद श्ययोस्तुला॥५॥तमालोक्रुणेरबद्रेतापिळेतिलकेपिच।। एवाकेपिचतांबूलं चिटुंगेपिचतंडलः॥२॥दुकूलं ठरणवस्त्रे पिचार्थेपत्रेलदेदलगधवलागविनाशशुक्लसुदरयास्त्रिषु॥५३॥ परमायोचपीलु स्याहेहेचात्मनिपुगलःशस्ताकारण्यथतरोपिया लपिप्पलंजले॥५४॥शाल्मलीशिशपाचैवपोतिकाचापिपिर छलासश्मश्रुयुक्तीपालि:पंक्तिःकर्णलतापिच॥५५॥वीणा, डेप्रवालोस्त्रीविद्रुमेनवपल्वेगनलेकाशेपोटगल-पित्तयुक्त चपित्तलः॥५६॥पिंगलास्यात्मपावनाबाशुव्रीहि पारलः फलंजातीफलेलाभेवाणाग्रेफलकेपिच॥५॥फेनिलेवदरे। | - - Le - 3e wala % 3D mama For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः६६ mmisammatinidine maareefpmeliminamaanindianmomenesian HomommommyNAITAa a maARA OMINDIANSHURI D A MINAMIRIZamaa RASATARIANRAININD na IA nemaro-Asaneleonanesamunana p oanapayment - रिटेबालो द्रोबेरकेशयोगबलिरालयलेस्त्रीरहदासुरौब ली॥५६॥बलंगंधरसेपेकीबंगामालके स्त्रियांगबहलक्षण| पक्षेपिमेलानंदापिवादलः॥५॥दुर्दिनथ्यथवेत्तास्यासिंघोर कुलेच भोजनऋषिभेदैपवेसिभैलभीरुहदित्रिषुधामेख लोद्रिनितंबेपिग्रहे नामंगलशुभे॥निकरेपिचमूलं स्यारस्तूरे।। पिचमातुलः॥६॥मौलिकके लिपि मल्लपात्रकालिनि | गबलीयसिचमत्स्येचमंडलंपरिधोगबिदेशेनाच // शुनिरसालस्विशुचूतयोः॥जिव्हाकमल योञ्जलाशालास्या इहशारखयोः॥६॥ तेरुजातीमत्स्यनेदेशालोहान्लेनषेपिच निगडेपंस्कटीबद्धवस्त्रेचरवलंत्रिषु॥६॥शालिगंधम्गेधा न्येशयालु:कुकरेलसे॥शकलंबस्कलेखेशीतलाशिशिरे| निले॥६॥पंडालोतैलमानस्यात्मारतीस्त्रीचकामुकी सिमी लापुष्कमीनेस्त्रीविलियांतुकिलासिनि॥६६॥ रजौरक्षेत्र स॥ रिल:सालोवरणसर्जयोहास्तिमलोगजास्येचहेलावजाविला! सयोः॥६॥॥इतिलाताः॥ यागेचमधसंधानेस्त्रानेचाभिष। व:पुमान्न।मृतावसले चाभावःस्याद्रजःपुष्यमात।६।। आश्रवों गीहतोलश्येआहवीयागसंगरोग उपप्वौराहत्याती। कितचौमत्तचको॥ ॥वलीनेस्त्रीकवि सिकाव्यच्छ / कसूरिषु॥कैतवंतुललेतेराजिकायांक्षतिसवः॥७॥ केश वकेशवीन्दिष्ार्गालवोमुनिलोप्रयोग जीवोस्त्रीजीविते | सिगुरुजेलोस्त्रियोगुणसातत्वं विलंबिलेनृत्येस्वरसेपर। मात्मनिरामेपेरासिसुरेदेवोदिजिन्होपाडसूरको॥७२॥भूयो। वटेस्मरारौचगीतिसुकनेदपोर्धनासधयोधूर्तप्यथनवीनू // तनेवाससेस्तुतीमा सोनिषादमस्याभे केभेलेगतोकपो||| पल्लवोविस्तरेषिगेकिसलेविटपेबने।ापटादीपार्थिकाराहि il वल्लव सूदगोपयोगजेधान्तिनिशुक्रेतपर्शरामेचमार्गक॥७॥ || N - Ho m emamimoona m amaANADA For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः६७ - - - - - - Ammmm - - E - -meena - - - % AN - - दूर्वागौरीचभार्गव्यासत्तासंसारयोर्भवाभावोगौरवितेजेतौ|| पदार्थेभिनयांतरे।।३६॥माधवौहरिवैशाखोराजीवोमगमी|| नयोः गैरवीपोरनरकौलवश्छेदनलेशयोः॥७॥करंजामित्या लेलद्वाविद्यपक्षिप्रभेट्योः॥ विशंठ्यांसमस्तेर निर्वाणेविभाग वोधन।७॥अश्वोधेवाडवनस्वीपातालेनाहिजौनयोःवरवा भ्वाकुंभदास्योर्योगेकीलेहरेशियः॥७॥सरोक्षेमंशिनाथमा मालकीचाभयाशिवापाडवस्तरसेरागसेंधबोलवणाइव // यो। पाम्बोस्त्रियाज्ञानिधन योः स्वमात्मनिनपुंसक आधेय॥ धारणसत्वेमेलकेपिचसंभवः॥॥तिवाना अपभ्रंशो॥ दष्यतनेभाषाभेदापशब्दयोटिीकादर्पणावादशावाशास्ष्णा|| दिशोस्त्रियांस॥प्रभुशंकरयोरीश स्त्रियांलांग लदंडकेदि | गंबरेकपोकीश के शोवालपचतसा जीविनेशोगमेना थेदेश:संहनने पिचासतेथज्ञानेचलोचनदर्शनेचर नाश:यलायनेमृत्यौनिस्त्रिंशोख निर्दयौनिशारा निहरिद्राचमगादौप्रथमेपशुः॥५॥पुरोडाशोहविर्भदेचम // स्यापिएकसाचारसेसोमलतायावहतशेष चकीरी। पाश:कचार्थसंघार्थःकर्णातेशोभनार्थक छाद्यतेचनिंदा / र्थ पाश:पक्ष्यादिबंधन।।७॥वार्ताहरपुरोगेचमहायप्रति / स्यशःपलोमोमेद केपिस्यादिवशीवशविव्हलोपावंशी वर्गेनष्ठांशेवेश वेश्यागृहैपिच आयत्तताप्रभुत्ववश:पर। वशेत्रिपादानेरोगेपिचस्पर्श-सदृशंतूचितेसमे।। इति || शांता:॥भ्राष्ट्रेयुस्थ्यबरीषनाकिशोरहरिशंभुषु॥अभिला नुतर्षःस्थापानेछाचाप्यथामिषासमोमोत्कीचमासेषु // ॥षाबाणात्मजानिशा॥१॥भल्लकेशोणकेरोनक्षपुनमग नषिदपिकक्षस्तुदोर्मूलेशुष्ककानन कक्षावरत्राप्रकोष्ट | स्पोङहणिकामुचाकल्माषकोजिकेनानु यक्के स्थादशाविना Heaamabakavedumla - - Ramanane - RE - - - Dr .c o mmameran For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थ:॥६॥ कमा - - पापेचकलुषंघोषःशब्दाभीरनिवासयोः॥शुचौदक्षेचनोसस्या तिलिशापिपासयोःोलादक्षःप्रजापतौताम्रचूडेहरषेप टीपौरुषमानभेदेचपुन्नागेपुरुषोनरे॥५॥पसीमासार्धपा श्वौचमहिषीराजपद्यपिगमूर्खेमानेफलेमाषोमेषौराश्यतरो रणी॥६॥संख्यायांतुननालॉलीबव्याजशरल्ययोगहरता स्यविशालाक्षौशेषोनानंतसीरिणोः॥७॥ उपयुक्तरेवस्त्री|| शिलूषोनटबिल्वयोः॥शुश्रूषापरिचर्याचसहर्षःस्पर्धनेमुदिर इतिषांता॥योग्यायामंतिकेभ्यासोऽधिवासस्थानस्क्रिये॥ भाख्यायिकापरिछेदेवाश्वासोनिस्तावपिलाउदर्चिरुत्वमेव न्हावेनःपापापराधयोः॥कनीयाननुजेपेचकंसोमाने सुरांतरेम |॥५०॥तैजसेतस्यपानेचकुत्सास्तवकहारयोः॥छंदःपद्यश्रुती लासुतरोवेगेवलेपिचपातमाशोकेप्यथदिमौनाधर्मव्रतेतपः पप्रेस्वर्णतामरसंनिशादुर्गाचतामसीमशमणिदोषेदरेप्रासादा सीवितार्थटयोगझिंट्यांचदासीदीयुर्व पिकाकशाल्मलि आयोक्रवक्सराख्यानेस्वांतेसरसिमानामाचंद्रमासयो। सिखरेश्वोर्महारसः॥राजहंसोत्पाग्रेचजिव्हाभूशल्लक रसा॥जलेशरीरधातीचपारदस्वादयोरसः॥५॥भाषाशृंखलफे || रासक्रीडायामपिगोदहांगरहारतेनगुहोचरभसोहर्षवेगयोः // |६॥विहायाःशकुनेसिविहायरवेनसपुत्रादौत्तर्णकेमा वत्स क्लीबंतुवासि॥७॥रसेकरेचविकतो बीभत्सस्त्रिपुनार्जु नेव्यासोमुनौचविस्तारेबर्दिनौकुशशुष्मणोअग्रेप्रधान चशिम्श्रीवासोविष्णुधूपयोः॥सुमना पुष्पमालत्यो स्त्रिया नांदेवधीरयोःरावीणाभेदेसर्जरसोधूणकेप्यथसारसंगपो| नापक्षिणींदौचसरोनीरतडागयोः॥१०॥हविसर्पिषितव्येच // सस्तरवगसूर्ययोः॥निलोनृपतीविष्णावंतरात्मनिरष्यते॥११॥ इतिसांताः॥अवग्रहःस्पात्यकृतिभावष्टिविबंधो॥९|| mmeii - - - - - - - baram For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थ६५ - - अवरोहोवतरणेत्रिदिवेचलनोहमे॥१२॥आरोहस्तनितंबर स्याहीर्घत्वेचसमुच्छ्रये।शक्तीस्वेहेचायहास्यादीहातूयमा लयोः॥१३॥सूपेच पाकपात्रेचकटाहोमहिषीशिशौखद्रकोष चकलहोदात्यूहश्वासकेपिच॥१४समारंभेपिपटदोब्रह्मण्या पिपितामहः॥प्रवाहोव्यवहारेचबहर्विपुलसंरख्ययोः॥१५॥॥ महासूकरेमेषेमुस्तकेप्पथमूर्छने अविद्यायोचमोहःस्याइ पस्क निलेवह- १६॥देहनिर्माणसैन्येषमूदास्पादयविग्रहः। ॥संग्रामेप्रविभागेचदेहविस्तारयोरपिशवैदेहीपिप्पलीसीताव णिकत्रीरोचनास्वपि संक्षेपेपिसंग्रहःस्या सिंधौवार्ताकुर॥ वासको॥१८॥राशिभेदेहरौसिंह श्रेष्ठार्थेचोत्तरेस्थितःसोहदे। घृततैलादौस्यात्नेहो प्यव्ययाःपरेरगतिहांताः॥अथा व्ययाःपरेवाच्यानजभावेनिगद्यतेतद्विरुहेतदन्येचनिषेधेपि / चदश्यते॥२०॥सारश्येचेषदर्थेचहिरुग्मध्यविलासयोः॥पुनर थैगभोऽथेचसुष्ट त्यर्थप्रशंसयोः॥२१॥चपादपूरणेपक्षातरेहे। तौविनिश्चियोहाविस्मयेप्रमोदेवओमेपणवार्थयोः॥२२॥ युक्तार्थसाधनार्थवसांप्रतंतद्विदोविदः॥वितर्कचानुमतीया यामरुचौकिल॥२३॥प्रातदिनरपूर्वत्रत्यर्थपूर्वयुरिष्यते॥॥ पतिनानार्थवर्ग:आनंदेलशभंदिट्याकटवेकरचाहते गभूर्भुवःस्वत्रिभुवनमनागदरंस्मृत॥२४॥आमंडमभ्युप गमेनवरंकेवलार्थकमाघातरीनपयतिक्षणमात्रेक्षणक्ष ॥२५॥समपुण्यस्वस्लिनास्यादरपोट्रकीर्तितम्गवारंवार / विश्वदर्थवारंवारेणवेष्यते॥२६॥उताहोगदिवायहाकिंवानेति। - - - - अथाल्ययानित्रीण्यानंदार्थस्यदेभद्धनार्थस्थत्रिभुवनस्यैकंईपदर्थस्यै ॥॥॥अभ्युपगमार्थस्यैकंकेवलार्थस्यैकंप्रातरर्थस्पैकंक्षणमात्र स्पैकंपदेपुण्यार्थस्यउरर्थस्पदेशश्वदर्थस्थानापतिका For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः७० - - -- momm - - mammeep- - - - main समाइमेकित्वर्थेपितुपद्यर्थसचेस्रोक्तादिवाच॥२७॥अल्याlil ॥हकालसामान्येतिङन्तप्रतिरूपकंसन्नःसहार्थेनेत्याहनिषे ॥धेयदिशेषगीः॥२८॥विभाषान्यतरस्यावाविकल्पार्थाःप्रकी ॥र्तिताः।तेत्तिस्यात्तयेत्यर्थेमयेत्यर्थेचमेतिगत॥ ॥दत्य व्ययवर्गः॥ ॥लिंगादिसंग्रहेनुत्तममरेणाभिदध्मास्त्रिया माजिदरज्जातिपुरुवाषा:समाःशरत्॥३॥सिकताधाबहला पिविंशत्याधेकवागपिस्त्वेहाहाहुप्रैथि-पाणिः कलिहति || मौलिः॥३॥अंजलिरंघिःकुक्षिारकलोकोत्तरासंगाः।यवक वातसंकेतपोतकर्तगरुछदाः॥३२॥श्लेषोभपापयक्ष्मास्या न्मोनोवातायनस्तनः।फेनाभिजनकलापनिकाल्पाहारो॥ हारोपलकल्लोलाः॥३३॥फालचषालकीतंडुलशैवलरखेलानि भवप्रसवा:आनापजननाडीभ्योयुगमेगंपदेवणं॥३४॥ आनंदेहंदुभिरथबहुत्येप्यसवोग्रहाः॥सक्तवोवल्लजालाजा दाराःयाणादशाति॥३५॥ कीबेकलत्रविषवीजकटस्वरत्न तल्योक्तकुंकुमप्रवीडतणाक्षराणिशृंगाटपीठगुदभेषजष्ट किण्वदैवाशुभाशुचिबुकोडपसाहसानिग३६॥ यछत्कुहकलि ध्यानितीरंकालश्वजानुचराधर्मार्धमारमित्राण्यंगदनन्याय्य बंधुषु॥३७॥नपुंसकयो रुजीवातुस्थाणुसीधवः स्वाहा स्तहिंगुतितउसानुकंबुकमंडलु॥३८॥गोमयकुमुदबिब) बिबशंखाश्रमसणसुवर्णतोरणाः॥नूपुरशिरखरतूशिया हांकुशचर्हिपल्लवाः॥३॥व्रतदिनमासवर्षादलबल्लको टरखंडवासवाचंदनपप्रधर्मकोलाहलकिसलयदेहदोहँदा - - - - ion 3D -m ल्पार्थस्यहरेकिंत्वर्थस्यहेपद्यर्थस्प॥२७॥ कालसामान्यस्यैक म हार्थस्यैक निषेधार्थस्यैकं // 2 // त्रीणिविकल्पार्थस्य त्वयेत्या र्थस्पकमयेत्यर्यस्यैकम्॥३९॥ Pi P r eparmanawwar- we- in -man -man--- -- -.. .-...- man- Aama For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नानार्थः७१ h - कुलिशध्वजकापणनिधानमुलाकरिशंगवलयासापट लपवालचषकोपवासकासारकटकसंतानाः॥४॥आकाशकुं॥ जकुतपोदनवारवाणपुस्तावतंसनरवमंडपकछपुलाकीता रकंकणतडागकिरीटराएतीर्थत्रणस्तवकसंक्रमपीठकानि ॥४२॥समरसरकरणविटपौगनागैरिकदैवतकुटागारागो || थमुहर्त्तदिवसफलानिमासनिदाघमुसलतिलकानि॥४| बल्मीकबाल्हीकषणद्रोणगांडीवनिगडानिचमुकलादिच वितेयंशिष्टसंदर्भतोप।४४॥अथलीनपुंसकयोकेलिम॥ णिोनिमसिर्मनिःमरीचिशाल्मलिःस्वाति श्रेणिर्मुष्टिस्तिथिः सृणिः॥१५॥ऊर्मिर्गभस्तिरशनिवैपार्णीषुधिराशयः॥वस्तिश्च// किस्कु कंदुचवेश्वतन्निबनाइवधा४६॥गंडूषगर्जनागरभुज कीलज्वालवर्तकबीडाउत्कंठसटवराटकरमसाःस्त्रीत्वेतु टाबंता:॥४७॥शल्लकोविक कीर-शारस्तूगोपटाकरः॥श फरोवेतसश्वामीबियाडांताप्रकीर्तिताः॥४॥स्वीकीबयो रुडीमार्दिन्योतिःसदोषिः॥सखेलक्षवाणिज्यंचवडिशको डपाटलातारकरसननीतमेतेटीबतका:स्त्रियामड्यंतात नारास्थानस्थलानिपुरपाटलं॥५०॥त्रिलिंग्यातुप्रतिसरर) स्फुलिंगनखरालाकंदरंशृंखलेनालंवल्लरफलमुस्तकाः ॥१॥जंभवटाबंताएतेलियामथविभीतकमोहरीतकाटक तटकबाटाश्वगुणेक्टः॥५॥मंडलंशलभभल्लातकंकलशकेदलौ| मृणालामलको दादिमश्वरयंता:लियामिमाकरणेल्पुत्रिषु, यथातस्यव्याख्यानमित्यदः॥सूत्रकायनशावनुमानइतीछ ति॥५४॥॥इतिलिंगादिसंग्रहवर्गः॥ ॥दृश्प्रयोगायेशब्दाः प्रायस्तइहकीर्तिताः॥अप्रयुक्तास्तपाणिन्यादिषदृष्ट्याप्युपेक्षिा ता:॥५५॥तितीयकाण्डःसमाप्तातिश्रीपुरुषोत्तमदेवरचित स्त्रिकादशेषाभिधानकोश:समासः॥ 7 // 7 // // ll -- / mor - e -- - - - - . For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनेकार्थध्वनि mmmmmmmmmam me CE / श्रीगणेशायनमः॥शुवर्णमनेकार्थशब्दमौक्तिक मुनमम्॥ | ठेकर्वतुविदास प्रधानादिवानिशं॥॥शब्दाम्भोधिर्यतोनेतो| कतोव्यारल्याप्रवर्ततास्वानुबोधैकमानायतस्मैवागात्मनेनमः॥ | ॥२॥सरस्वत्या प्रसादेनकविर्बभ्रातियत्सदम्॥प्रसिद्धमप्रसि। वातत्रमाणंचसापुच॥३॥शिवशर्वशिक्ःशुल्क शिवःकाल: शिवपशुशाशिवागौरीशिवाकोष्ट्रीशिवश्रेयाशिवाभयाmemil गौरीशिवप्रियाप्रोक्तागोरीगोरोचनामता॥गौरीस्यादप्रसूतार) स्त्रीगौरीशुदोभयान्तया॥हरिरिंद्रोदर्भािनहरिविष्णुहरि! मरुत्ाहरि सिंहोहरिर्भकोहरिजीहरिस्कपिशवाहरिरंशु दीर रुईरिस्सोमोहरमहरिस्शुक्रोहरिःसर्पा:स्वर्णव हिरि-स्मृतः॥७॥दिग्दशिदिधीतिस्वर्गावजवाग्वाणवारिषु॥॥ भूमीपशौचगोशब्दोविनिर्दशसुस्मृतः।रामधुमयमधुसौ मधुपुष्परसंविदुः मधुस्योग चैत्रोमधूफोपिमधुर्मतः र सदावेश्यानटीरुद्राक्षादास्थान्मधुमक्षिकामसहिष्णुर्नरः। द्रासद्रास्यात्कंटकारिका॥१०॥वाहोयुग्मंघनेवा प्रवाहो वाहाच्यते। वाहोमाया विशेषश्ववाहोवाहरितिस्मृतम्॥११ इष्टकादिचयोहारोहारोमुक्तागण:स्मृतःहारोमणिविशेषश्य हारोरजतउच्यते॥१२॥आत्माभावोमनोभावोभावःसत्ताभयो पिचाभावःपूज्यात्मकोलोको पदार्थोभाव उच्यते॥१३॥दया कन्यासमारख्याताकुथःस्पात्कारकम्बलः।कुथ कुश कुथः / कीट-पातश्नायीहिजःथः॥१४॥कशेकालेतिलेच्छागेकम्बल सलिलेम्बरे दौहित्रखडपावेग्नौकुतुपारख्यापवर्ततेवाणे वाचिपशोभूमौदिशिरश्मौजलेक्षिणियस्वर्गेमातरिवनेग्नोसु.॥ खेसत्येचगोध्यनिः॥१६॥स्वर्गरसेचक्नेरवलीवईचगौतमा॥ नास्त्रियांनयन दिग्भागमातृवाग्भूजलेषुवमाश्रियायशसिसौर) भाग्येयोनीकांतीमहिनिचासूसेताविशेषेचशशांकेवभगम्युतिः 40 Anemamreme - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनेकार्थध्वनि 2 मला DEMAN DISHA पर्यन्येरानिगीर्वाणेन्यवहरिभर्तरिमूर्खेवालेजिगीषौचदे। नोक्तिनरिकष्टिनीसामूििवत्तेजलेकायेसुखेब्रह्मणिमारुतेगा कामेकालेसवर्णेचकशब्दोद्रविणेध्वनौ॥२०॥तूर्यास्येश्रीफले पदोकुंज्नरागकरेरिनिराद्वीपेतीर्थनिमित्तेचविशिष्टपुष्कर ध्वनि |सारसोजलंरसोहोरस:शृद्धारपूर्वकारसःसालनिर्यासः॥ पारदोपिरसोविष॥२२॥क्षीरेपुष्परसेतोयेमद्यमण्डपतेसजि!! सप्तस्वर्थषकीलालंप्रवदंतिमनीषिणः॥२३॥तिलपिष्टेमलेमोसे। जम्बालेकोमलेश्मनि॥शवेक्षीरेवलेपाक्षाःपललंपरिचक्षते॥२४॥ जोवेराज्ञिविधौधर्ममतपस्तिनितुरंगमे।शीतेपक्षिविशेषेचहेस शब्दोहरेपिचा२५॥हयपुच्छध्वपुण्डेशैलेसिगुणाधिकाविषे| धामनिभूषायांललामेतिबुधैर्मत॥२६॥वसुसूर्योवसुर्देवोवसुवा दिवसहीवसरत्नंवरूद्रव्यवसवोटोध्रवादयः॥२७॥अक्ष राणिस्मतावर्णावर्णाश्वेतादपोगुणा:॥वोवाद्यगुणोगाथावर्णा गेयाहिजादयः॥२८॥वर्णोगुणाक्षरजस मुलादिब्राह्मणादिषुाव पुस्ततोकथायांचवर्णःस्याद्रूपभेट्योः॥२॥शुकोवर्णोतुनो नामपाडवोप्यर्जुनोमतः॥अर्जुनस्राणजातिस्यादर्जुन: ककभो| द्रमः॥३०॥वलिस्त्रिमध्यभागोभिर्वलिवर्भजराकृतिभावलिःपूजो॥ पहारःस्माइलिनवसत्तमः॥३॥ब्रणस्यावरणेपट्टापट्टोभूहि ताक्षरमवीरदीक्षास्मृतःपट्टापट्टःस्पादपिचासनम्॥३॥रंधेव| स्त्रेविनामध्येव्यवधानेन्तरात्मनिरावहिोगेवकाशेचविशेषेव // सरेन्तरम्॥३॥अरिष्टगृहमित्युक्तमरितोषभासुरः॥काकनिर म्वावरिशेअरिष्टंक्षेममीरित॥३४॥मंडलंभूमिभागमंडलंश परमासुतः॥मंडलंच लंप्रोक्तंसंघातोमंडलंमतं॥३॥देट्रियंकेब लंपोलेकम्बलोरोमजःपटकम्बलंतुगवांसास्नाकंबलेकेबल विदुः॥३६॥कुंतलोदेशपर्याय:कुंतल केशवाचकः॥कुंतलसूत्रधार चक्तहस्तोपितल ॥३ामणिलिंगाग्रिमोभागोमणि-त्रोक्तोभग| - - - - womance - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनेकार्थध्वनि 3 Ane m amaeemappamummaamanand -- - - - - - dantara - ध्वजामणि कूपसुखंज्ञेयंपारागादिकोमणिः॥८ातंत्रशाला स्त्रकलेतंत्रतंत्रसिट्रौषधीक्रियागतंत्रसुखंबलंतत्रंतप वनसाधन॥३॥नेत्रवस्त्रविशेषचनेत्रंचक्षुरुदाहृतापरिवर्त राणोनेत्रोने-कस्तूरिकामृगः॥४०॥वातादिप्रकृतिर्धातु तुद्दे हरसादिकमा क्रियाभावःस्मृतोधातुर्धातुःशैलोपलोद्भवः॥४१॥ सुधाप्रासादभाग्द्रन्यसुधाविद्युत्सवामृतम्।सुधैक भोजनंज्ञेयंस धाधात्रीसुधास्तुही॥४२॥कोडोवाणस्तुलाकाण्डःकाण्डःसंघात दृष्यताकोडकालोवलंकोडकोडमूलंत रोरपि॥४ावेलाकाल विशेष:स्पाइलासिंधुजलागतिःविलासेवाडुलीच्छेदेवलाद्रोण्या न्तरेध्वनिः॥४४॥उत्सवेचप्रकोष्ठेचमुहर्तनियमेतथाकालश ब्दोव्यवस्थायांसमयेपिनिगद्यते॥४ाचूगोभीरुईिजोभ्रूणोनी जोगर्भाशय स्त्रियाः॥भ्रूणोरुजःशिशत्रूणोणोविकलउच्य || ते॥४॥अहित्यविशे षस्यात्सूर्योप्यहिरहिध्वजाभुजङ्गोहिः। समारल्यातःसिंहिकासूनरप्यहिः॥४॥व्यालोहि स्वापदोव्याः लोव्यालास्यात्कुटिलस्करी॥प्रमोदवानरोज्यालोव्यालोबालउ राहतः॥४॥शब्दादिविषयाःपेचप्रसिडाइन्द्रसंज्ञयागश्रेष्टइन्द्रः॥ समाख्यातोदेवरादइन्द्रउच्यते॥४ापयखिन्य निधेनुर्धेनुः | कुंजरकामिनी॥असिपुत्रोमताधेनुर्धेनुत्तिःशिवकरी॥५॥ // धर्मोपोरष श्रेष्ठरोगौर्महिषोरषः॥रपोवलंषःकामोरव जोवृषउच्यते॥१॥योगोयुक्तिविशेष:स्यासंयोगोयोगउच्यते।। योगवागामिकोलाभासमाधिोगप्यते॥५२॥शलिमखःश लिगशलिर्भूड शालिनदः॥शलिःसर्पविशेषश्वशलि कलिरु दाहृतः॥३॥सीतालक्ष्मीरुमासीतासीतासस्याधिदेवता॥सीतार शीरध्वजापत्यंसीतामन्दाकिनीमता॥५४॥सीताचालकनंदान चसर्भद्राच्युता कमाताप्रयागादीनांप्रवाहानांगयानामप्रकी र्तितम्॥५५॥भादिश्यात्रियोनाभिर्नाभिश्चकस्यपिण्डिका / - - - - - - - % - - -- - - % D - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir mmas - u muraruram%ES सातथाा H ममता ET अनेकार्थध्वनि४ कुटुंबस्याग्रणीनाभिननिलिम्बोदरीतथागपागोत्रनामाना योगोत्रीगोत्रवधरणी॥गोत्रावसुंधराज्ञेयागोत्रंचप्रवर। स्मृतम्॥५॥शुक्रंदेहातांबीजेशुक्रमतिरुनविदः ज्येष्टमा सस्मृतःशकःशुक्रोदैत्यपुरोहितः॥५॥धनोमेघोपनसान्द्रका स्यतालादिकंघनघनमंघोपनं नित्यंघनस्याल्लोगलः॥ रामास्त्रीजामदग्न्यश्वरामोरामोशिताशितोगरामा विशेष रामोदशरथात्मजः॥६॥द्रोणस्यात्कौरवाचार्योद्रोणःकाकदतीशि तः॥द्रोणोगिरिविशेषश्चद्रोण स्याच्चतुराढकना॥णीद्रोणाढा कंप्रस्थात्कुडवश्वपलविदुः॥६॥शाणकोमाषक वैवस्थापूर्वच तर्गणाः।वीतरागीनिन प्रोक्तोजिनीनारायणस्मृतः॥शकन्द योपिजिन चैवजिनःसामान्यकेवली॥६॥जयंतीनगरमोक्ता जयंतीचटकानुजाःजयंत्योषधिभेदेस्याज्जयतीशकसंभवा || रोहितंशककोदण्डोरोहितोमत्स्यपुड़वगरोहितोलोहितोवर्णम् गराजस्करोहितः॥६॥धातकीप्रोच्यतेधात्रीधात्रीचामलको। तथाधात्रीवसंघराज्ञेयाधात्रीस्यास्तनदायिनी॥ ६वीणा॥ दण्डमवालस्यालवालःपल्लवस्मृतभाप्रवालोविद्धमःप्रोक्तान वाल-सबलोगजः॥६६॥तालकालःक्रियामानंताल पाताल मिष्यतेवरक्षभेदःस्मृतस्तालस्तालःकरतलध्वनिः॥६॥का ष्ठानिशाककुपकाष्ठाकाष्ठापोक्तावसुंधराकाष्ठाकालविशेष-स्या तकाईदारूनिगद्यते॥७॥रक्षपपलाश:स्यात्सलाशोराक्षसः स्मृतःगपलाशोहरिणीवर्णपलाशःपाशउच्यते॥७॥सत्रंगृह धनंसत्रेसनंसच्चरितमतम्॥सत्रनामायुधंप्रोक्तंसत्रंदासमी रित॥७॥कलासकुशलःकल्पःकल्पोनेयोनिरामयः कल्पः|| कालविशेषवकल्पमयंचकीर्तित॥७३॥ विष्टरोबर्दिषोमुष्टिर्वि रोज्ञेयमासनम्॥विष्टरोद्रमविशेषलाविष्टर ऋतुरेवच॥७४ साभासमितिरित्युक्तासमिति संयुगावनी।समितिसमयोज्ञे - - % 2 - / - RUARIA - -- 11 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनेकार्यध्वो 5 ma a manamam - - - mpawanawane - - - - यासंग्रामसमितिमतः॥७॥शितोहाशितःशुक्काशितरजतमु च्यते।शायकोपिशितोज्ञेयःशितोदैवपुरोहितः।७६॥चित्रकर तिलकंघोक्तचित्रकास्वापदोमतः॥चित्रकोपूर्वनिचित्रकोप्याll न्तरोगरः।।७७॥वलोहलीवलंसैन्यंबरसत्वंवलौषधी॥रत्नज्योll तिर्बलोदैलोवलालस्मीर्वलामही॥परिप्रटोरिजग्राहःसै| न्येपृष्ठेपरियह परिग्रहोनुबंधास्यात्पतहा परियहः॥७॥कुमा हकःकदवःस्यात्कदम्बःसर्षपःस्मृतः कदम्बोरतभेदश्चकदेव निर्गुणाएमान्॥८॥प्रियकोबीजसारश्चप्रियकोहीपचित्रको। प्रियकप्रियकोपिस्यात्रियकोमुक्तिकोव्रती॥१॥अझोबिभी तकोस्क्षःपाशकोक्षोसमिन्द्रियम्॥अशोरायणि रित्फताहत्य मक्षतुनिनगम्॥२॥चकापक्षिविशेषश्वरथाईकमायुधगा |चत्रराज्यंचसंघंचचक्रव्यावर्तनमतम्॥३॥सत्यसंधःखरोजे। यवरोपिपुरुषोमतः॥खरोरासभत्कतोव्यवहारेखापटः८४ || ऋषिर्गावविशेषःस्यारुषिःकालकषिःकपिः।कृषिराढाइत्युक्त रुषिवैवानसोमुनिः॥८॥अपत्येचपृथिव्यादौकालेतीतेचराक्षसl प्राप्तप्राणिनिकीनाशेभूतशब्दोनिगद्यते॥५६॥शरभोष्टापदोजे|| // यःस्वर्णमष्टापदंस्मृतम्।अष्टापदंशारिफलेकृमिनातिरुदाill हतः॥८॥वाल-केशेजलंवालंबालंकाशतणंस्मृतम्बार लोमूढःशिशु लोवालोवेगउदाहृतः॥१८॥बालकखेचरो व्याग्रोवालक:पृथुक स्मृतःगवालकेगंधद्रव्यंचजटाजूट. श्ववालकमाल जातिःस्पासहजाख्यानमालतीजातिरुच्या तागोत्रादिजन्मजातिःस्थाजातिवल्लीतिकथ्यते॥रागोवि पाणेफणाज्ञेयाभुजङमशिरःकमाफणाजटाफणाकृष्णाक णामंथानकुण्डली॥तिलकोरक्षभेट्स्वतिलकंचित्रकषि|| दुः॥तिलकलोमसंज्ञास्यात्वधानविलकमतम्॥२॥गंध || दिवजातिःस्याहंधळ हिजरंगमःगंधर्वश्वस्मृतोगानोगन्ध / - सम% 3D % ELE - -- - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनेकार्थध्वनि - - -- - comme - - 3 - 3- - maav - मृगपंगवः॥३॥शृङ्गप्रधानमिच्छतिशृंगश्वशिखरंविदुरी शृंगंविषाणमित्याहःशब्दकोशविचक्षणाराकांतारंकाननं प्रोक्तंकांतारःपाकशासनःदिक्षभेदश्वकांतार कांतारोदर्भरो || दरः॥५॥करणकारणं विद्यातछत्रकरण मिष्यते॥करणोजार निभेदनस्यात्करणानीन्द्रियाणिचावास्यामारात्रिषितस्यामा स्यामास्त्रीमुग्धयौवनागस्यामाप्रियंगारव्यातास्यामास्वाह दारिकागरासारंगश्वातकारल्यातःसारंग:कुंजरोमतगसारे।। गोभ्रमरोज्ञेयःसारंगोहरिणामतः॥८॥सारंग:पातकोशेय:सा रंगोवैष्णवंधत्तुः॥सारंगःपर्वतश्चापिसारंगोदीपउच्यते॥ शुभासुधाशुभासत्यानुदीक्षीरंशुभामत।शुभश्रेयःशुभाशोभा शुभारख्याताहरीतकी॥१०॥गुरुपितागुरुज्येष्ठोगुरुःसुरपुरो|| हितःादुर्भरोपिगुरु-प्रोक्तोगुरु-शिष्याभिषेचकः॥१॥वाल्हीका हिंगुराख्यातंवाल्हीकंदुकुममतम्॥वाल्हीकंस्याज्जनपदोवा दीकाश्चाश्वजातयः॥२॥वर्जूरःफलभेदःस्थातवरंरजतंमत मगरवरसुद्रजाति:स्यालरोग्रहणाधिपः॥१०३॥पुण्डरीकः स्मृतोव्याघ्रःपुण्डरीकाकमण्डलुः॥पुण्डरीकःमितोवर्णः पुण्डरी कंसरोरुहम्हाति श्रीकाश्मीराम्नायेमहासपणकविरचितेने कार्थध्वनिमंजर्याश्लोकाधिकारस्समाप्तः॥अटेदारेषशय्या|| यांतल्पशब्दोविधीयतेगतारास्वग्नौगृहेस्थानेधिष्म्यमातुर्मति षिणः॥५॥तटोवप्रःपितारोवर केदारइत्यपिशव्याल सोवि व्यालोज्यालोतेयश्चतुःपथः॥दामोचाशाल्मलिरारख्यातामो तुकदलीमवागकक्षातुभवनान्तर्भूमेखलागजरज्जासे क्षेपेभक्तशिक्थेचतुच्छधानेपुलाकवाक्॥पसेगुरुतिमासा पक्षशब्दोनिगद्यतेगमास्थापादेविभुग्नाशुल्केनुपदते शुचिःशक्रेपिवर्षकमेपेमत्तनामेघनापन: अभिरल्यति॥ समारल्यावाकीर्तीकांतौचनामनिरम्भादेवाइन्नाप्रोक्तारंभा|| antan 1 H omen - R emmmmmmmmmmm mammelan - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनेकार्थध्वनि॥७॥ - . - .-.. - - - - % 3D - - - तुकदलीमता॥१०॥रक्षभेदेकरीरस्यात्घटेबंशांकुरेपिचा देहे|| दारेषुकेदारेक्षेत्रोचकीर्त्यते॥१॥नि'हो निर्गतापीड़ानि यासहगरभूमि अविशब्दोरवीमेषेपर्वतेपिनिगद्यते॥१२॥ गपर्वतदैत्येषुनिकरेपिचसम्बरसाधनोधनेचदर्भचगव्हरेगह नेपिच॥१३॥न्यायेतुल्येविधीकालेवित्तेदण्डेचकल्पवाक्॥आ त्मेतिब्रह्मवाग्देहेमनोयत्नतिष्वपि॥१४॥पर्याप्तौशिक्षितेपुर ण्येक्षेमेचकुशलध्वनिः।प्रत्ययःशपथेछिद्रविश्वासेसत्यहेतु खु॥१॥पटापश्मपरित्राणेक्रयवस्तुप्रतिष्ठयोः।दोषेचापगमे दण्डेस्यादत्ययतितिः॥१६॥प्रभावतेजसिस्थानधामशब्दों निगद्यते॥ज्ञातावात्मनिचात्मीयेधनेस्वाख्याप्रवर्तते॥ चूडारख्यामृतयंत्रायोच्चानामायोत्कटारिषुपरिच्छेदेप्रमाणे चमात्रारल्यापरिकीर्तितापपाडाव'चपानीयेभूमौवाकप सरेमता।साधुसत्वाप्रसस्येषुश्रेष्ठेसदितिचध्वनिः॥१॥प्रधा|| नेराजलिंगेचककुदारल्याप्रकीर्तितापमंडनयोनिष्कोनिकोदीना ररुक्मयोः॥२०॥युयुत्मोत्सद्धयोरंकःस्यादंकेलेख्यलक्ष्म ॥विशिरस्केनरेनीरेकवंधारेवचरेपिच॥२१॥मेरौक्षविशे षेचवंशशब्दस्तुकार्मुके|अक्षिरोमस्मृतंवर्मवममार्ग: कीर्तितः॥२२॥वर्षदेहप्रमाणेस्यावर्भदेहश्वकथ्यते।दाया दोवान्धव-प्रोक्तोदायोदस्तनयोमतः।।शविग्रहःसमरेभेटे विग्रहोवपुरुच्यते॥प्रकोष्ठ कूपरस्याधःप्रकोष्ठोद्वारकोछके, प्रोक्तवितानमुलोचवितानाशून्यउच्यतेगसतीदाक्षायिणी देवीसुचरित्रावलासती॥२५॥वधू रीवधू र्यावधू-पुत्रव धूरपिारक्षःकशिपुराख्यातःपावार-कशिपमतः॥२६॥आड म्वरोगनारावस्तूर्यनादनकथ्यतेकपोहरजटाजूट स्यात्क पर्दस्तुकामिनीतूवरोनिविषाणोमोर्निस्त्रीशस्तूवरस्पुमा|| न्॥पापीयांसोनिशंसा:स्युर्निशंसाबन्दिनस्मृताः॥२८॥ NON sam - - o - --- - - - - - - ------ PawaamaanamamerammmummenterstomewomanamamiNAmarwarmeramawaa - n wa -- - - e nmani - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनेकार्थध्वनि॥८॥ -- - शारदस्तशरत्काल स्यादप्रष्टस्तशारदः।।उपन्हरंरहस्यानंस मीपस्यादुपहरम्॥२॥प्रस्वेदोपिनिदाघस्यान्निदाघोग्रीष्मत च्यते।कश्मलेःस्मात्पिशाचेपिकश्मलोमोहउच्यते॥३०केतु फेहविशेषश्वध्वजेचैवउदाहृतः॥अवज्ञाकथ्यतेरीदारीढागति | पीष्यते॥३१॥वईनंछेदनप्रोक्तंवर्द्धनंवृद्धिरुच्यते॥कशेसः॥ कन्जलेकन्देपृष्ठस्यास्तिकशेरुका॥३२॥निवातमाश्रयविर न्यादभिन्नकवचंतथाकीनाशश्वकपईस्याकीनाशौयम वर्षको॥३३॥नागोरक्षविशेष-स्यान्नागौवारणपन्नगौदलं संघकुलंगोत्रंशरीरंकुलमुच्यते॥पूग:पूगीफलंमोक्तंतथापूगः कदंबकम्॥ज्ञेयासमनसोदेवाःकसमानिसज्जना:॥३४॥ कसमपुष्यमित्याःकुसुमरजउच्यते॥धवःपतिर्धवोमोर क्षजातिर्धवोमतः॥३॥त्र्यम्बकस्ताम्रधातुस्यान्यंबकश्चम|| हेश्वरः॥शिफाशेफालिकातेयाशिफाशशरवाशिफाजटा॥३६॥ पुण्यंसुविहितंकर्मयवित्रपुण्यमेवचखलोनीचःखलोराशिः रखलःपिण्याकरवच॥३॥शालाश्लाघाशिलाशालाशालाशा || खाचवेश्मनिरामाल्पमालाशिरोमाल्यंमाल्यमालउदाहतः॥३॥ राढादेशविशेषश्वराढाशोभाविधीयतेापलंमासंपल्मानंपलो मूर्ख-पलंतुला॥३॥आलिसहचरीनेयापंक्तिरालिरुदाहृतः ॥दलमईन्दलंपत्रंदलंहस्सादिसाधनम्॥४०॥आजिःस्यात्म मभूभाग:संग्रामोप्याजिरुच्यतेमप्रतिज्ञासंगरोनेयःसंग्रामः संगरोमतः॥४१॥उलूकःपुरुहतःस्यात्रुहूतःपुरन्दरः॥मा|| तकेगजरेकुन्तेमृत्यस्पान्मरणपिच॥४॥शेषाविद्यत्यविश पाशंपाशंखध्वनिर्मतःउपर्यभोधरेवणेविदुरविपश्चितः॥ ४३॥निस्तात्रभिधेयेोधनेप्रोक्तःप्रयोजनाकतोक्रोधेतथा दैन्येमन्युशब्दंप्रचक्षते॥४॥बहलाकृत्तिकायागावश्व बहलामताप्रावबंधनमित्युक्तंप्राध्ध पकेचरिभिः॥४५॥ - - - - - - - - -- ma For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनेकार्यध्वनि r - mananee हरिण पांडुरौवर्णःशारंगोहरिणामतः॥करटःकानरोज्ञेय कर, टोध्यांक्षउच्यते॥४६॥कर्करैदुःस्मृतीगृधःकर्करेटुरमर्षणः। | सौधावयवविज्ञानगमनेषकलामना॥४॥तुपारःसुद्रपाषा णस्तुषारःशीत उच्यते।अमृतवारिविजयंदेवभोज्यतथा // मृतम्॥४ाकुन्त्याभूमिसमारख्याताकुन्त्यान्तकदम्बकंगा पणेक्षेकितवेनेटुरोरतिस्मृतः॥पादीतोदृष्टीचतारा||| सुज्योति-शब्दोविधीयतारोगातोभाग्यमूढाल्पामंदात्रोकार विचक्षणः॥५॥शास्त्रेप्रमाणमिच्छंतिस्थितौदेतोचकोविदाः॥ मणिकलंक्षरोतेयोमणिकोमणिरुच्यते॥५१॥विषपानीयमि त्युक्तविषमप्यंतरोरगावाजमन्नंगरुद्वाजोवानपीयूषमिष्य ते॥२॥जोगोठंब्रजोमा!ब्रजसंघोब्रजोगणम्॥वीर्यशुक्र बलेवीर्यवीर्यवीजमुदाहृतम्॥५॥नक्षत्रस्यमघानामकुन्द स्यकलिकामधाराद्विजिन्ह-सूचको योडिजिव्हस्तभुजंगमः। ५४॥विज्ञेयंशयनंशय्याशय्यापुस्तकसंचयः।तरसमासमारल्या तंतरसंबलमुच्यते॥५॥वारुणीमदिरानेयापविमादिकवा रुणी।मन्दुरावानिशालास्यादावासोपिचमंदुरः॥५६॥सुन्तःशि क्षितोमत्येसुनृसत्यवचः॥कीकसोवानरोभियु-कार्ति वंचा स्थिकीकसम्॥५॥रोमंथः स्यात्यशूगारेरोमन्याकीटवर्तनम्। हरिद्रारजनीप्रोक्तारजनीचविभावरी॥५॥परिघ-परिघातःस्या सरिघोदंडउच्यते॥धरापृथिवीधराधाराधरःशैलोधराकृतिः॥ मूलेकन्दःकिलेकन्दम्कंदोगारिदउच्यतेमकरोहस्तःकरोरश्मिः करस्कर्षकवेतनम्॥५॥ईहेदुंदुभिरक्षेचदुन्दुभि स्यात्तयानकः॥ प्रोक्तविपिनमुद्यानमुद्यानंगमनस्मृतम्॥६॥वईनीचधरीज्ञेया। वईनीतणकर्चिकागवंकमरुधिरंशयंरुधिरक्षतजेरमतमा नंदन:सज्जन पुत्रोनंदनंसर्गवाटिकामानसचित्तमित्युक्तंमान सत्रैदसंसरः॥६शाधावनंशोधनंत्रोक्तंभावनंशीप्रवर्तनम्। - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भनेकार्थध्वनि - - स्यंदनारल्याद्रुमेशावस्यन्दनोरथउच्यते॥६॥तुरायणःसमस झोक्रियाहीनस्तुरायणः॥परायणरिपोस्थानंतत्परश्चपरायणः॥ ॥६४ाकरिपृष्ठेकुलेवेणौवंशारख्याकविभिःस्मृतागजटाजूटेशिरवं डोक्ति-कलापेपिशिखंडिनः॥६॥शिष्टभाजनदेहेषुपात्रशब्दात्र वर्तते।पादत्राणेदलेपसेसेव्यवस्कनिपक्षवाक्॥६६॥द्रव्येपिप रिवारेपिकपणेपिचकोशवाहाहंसेग्नौगरुडेचन्द्रद्विजराजति ध्वनिः॥६कैवतैपिचकैवर्त कैवर्तशलिलेचरेपिप्पलाल्याज|| लाश्वत्थवस्त्रेकैवर्तवस्तषु॥६॥करवीरोश्वमारस्स्यादराखंकर|| वीरकः॥करीणाबंधनस्थानंवारिवारिजलंमतम्॥६॥प्रचुरंभू|| रिवितेयंभूरिकांचनमेवचारसूर स्यात्सूपकारवसूदोतेयाकु दंबिकः॥७०॥भषकोदर्जनोयोभषकःशरमासुतः॥सूतो|| भास्करइत्यतःसूतःसारथिसच्यते॥१॥प्रतिरोधकस्तुसोधः स्याहर्जनःप्रतिरोधकः॥सौवीरश्वविरोधःस्यात्सोवीरंकंजिकं|| मतम्॥७२॥दौर्मनस्यंघणाप्रोक्ताघृणाचकरुणामता॥भंगः पलायनंवीचिर्भगःसस्यंचभंजनम्॥७॥तीक्ष्णंतीव्रसमार) ल्यातंतीक्ष्णंलोदमुशंतिचामार्गणःपावकोयोमार्गणोषि शिलीमुखः॥७॥भूकुरीसुकरप्रोक्तोभूकटीचरुषीवलामृणा लंविशिनीमूलम्मृणालंचजलाकुलं॥५॥काव्यातुपूतनाज्ञे॥ याकाव्यग्रंथनिबंधनादस्वंदीर्घपुतंयनुतपित्तव्यथाशतिः ७धारुक्मंदमविजानीयाद्रुक्मरजतमुच्यते उत्सलंनलिनंत्रो क्तंउत्सलंकुष्ठमुत्तमम्॥७७॥वसुराचालनीप्रोक्तावसुरापलभा स्मृतागरजतेकलधौतस्यातकलधौतंचकांचने।७॥प्रधानंत्र कृति स्थानंप्रधानविदुस्तमम्॥चक्रमप्यरबिंदःस्यादरविदास रोरुहम्॥७सामुगालोजंबुकोभीरुःशृगालोदानवोमतः॥विद शामरुतःप्रोक्तामरुतोपिसमीरणाः॥०॥कुंडलंमंडलंज्ञेयंकं डलंकर्णभूषणापतिबंधःकुलापारम्पतिबंधोवलक्रिया - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -- % 3D 33 - - - - D measure अनेकार्थध्वनि बर्तिीपशिरवासूत्रवर्तितेत्रांजनोचितम्॥धुम्याटश्चकलिंगः स्यात्कलिंगोदेशउच्यते॥२॥शैलेतणविशेषेत्रिषुगर्मुदि मिध्वनिः।वाल्मीकस्तुसमीकस्याहाल्मीकोवाग्विसारदः॥३॥ सामजःकुंजरोज्ञेयःसमाजःसामजोमतः।वाजिकापक्षिजाति स्याहानिकानीलमक्षिकाशासारसोलक्ष्मण प्रोक्तोलस्मणो राघवानुजालस्मास्यात्कंदजातिस्यानचिन्हलस्माचलस्मण|| ॥५॥शंकरेषभेछन्दोविशेषेशांकरम्मतम् कैजाकेशेनिधौ | कंजं.कंपीयूषपद्मयोगादतिश्रीकाश्मीराम्नायेमहास पणकविरचितेनेकार्थध्वनिमजयोमर्धश्लोकाधिकारस्समाप्तः अथपादाधिकारमाहाराजाचंद्रोनृपोराजापय सीरंपयोजलं मित्रोभानुःसुहन्मित्रंदरंछिद्रंदरोभयं॥१॥श्रीकंठःस्थावरंस्था हरच्छागाच्यताग्रजांगाविदोहरिगोसंरल्याशिवकृष्णाषाक पिशरीरोत्सेधयोःकाय:संख्यावधिप्रतिज्ञयोःगतेजःपुरीष योर्व:सौव भक्तरक्तमोः॥३॥सरित्समुद्रयोःसिन्धुशालःप्रा काररक्षयोः।वातकात्यल्पयोःस्तोकंपापव्यसनयोरघमneull पिपाशालोभयोस्तृष्णाभुवनलोकताय॥कारोवधेनिश्वयेच वाडवोवन्हिविषयोः॥५॥शष्पंवालतगंप्रोक्तंदासकाईनिगद्य |mशेशवंदारकेवाल्यंकिंकिनीक्षुद्रघंटिकावासंध्यावमद्ययोः कस्यंधरोधूर्तेचपर्वतेनिस्त्रिशोखङ्गापिष्टी,गनाणौशिला मुरबौ॥ ॥सुरमीनाव निमिषौकाय उण्यातयात्रुवाओघा रोथवेगवनंकाननमवच॥॥दलाभूमिर्मतागौश्नसंज्ञाचि तंचनामचाशैलोट्रिरंशुमानिंद्रोभानुर्भानुरहस्करलाभषको दर्जनःप्रोक्तोभ षकःसरमासुतःवृक्षजातिगजेपीलूप्रदौरोगमा|| गणो॥१॥भुककोष्टोचकरभौहावीकंदनविभ्रमोगवनारणया नलौदाबाजीमूतौमेघपर्वतोपावल्ललोसूदगोपालाचिकरो। किशचंचलौगमय उष्श्वगंधर्वोलक्ष्मीर्माचनिगद्यते॥१ moamamanim - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनेकार्थध्वनि 12 % - main D - / D - कंपानीयंशिस्त्रोक्तंनिहारमिहशीतलअरिथपिष्टकोकल्कोव त्रौदानववैरिणी॥१॥पंगूपक्षारुणोशोणौअम्बरेव्योमवाशशी उदानारल्यौमरुदौन्यग्रोधौवटकामुकौ॥१४॥ध्वांक्षकाकोव || कोवाक्ष-नगाशैलोनगोदुमःखलोदस्व-खल करुक्षितिगयी क्षितिःक्षयः॥क्षयंगेहक्षयोहासःश्रमःखेदःअमःकिया मठोध्वनिर्गलाकण्ठ प्रहिस्कूपनदि सरः॥१॥दरेचश्करेकोला कलि कलहकालयोः।कार्डःशरोजलंकांडंपोरस्पादिभिसारकः आशशांक स्वर्णयोश्चंद्र करिःशूकरलोहयोः॥ वर्टिभोजलंब हिलाङ्गलंदलमिष्यते॥१८॥निमित्तहदयोर्हेतुर्हरौवचमहेश्व|| रोकश्मीरप्रशुकौकीरौवीरौविक्रमवान्धवी कौशिकौवा सबोलूकोसायकोवानमार्गयोगध्वान्ताचलोमतीविन्ध्यौशिखि नौबर्हिपावकौ॥२०॥धीरोसालिकधीमन्तोवरौश्रेष्हताशनोull उत्संगसुकरौकोरीवत्सौतर्णकपुत्रकोगशाकान्तानातपयोः॥ छापादयाहिंसानुकंपयोगट्ठमोतक्षेषशैलेषुध्रुवौनक्षत्रनिश्च यौ॥२॥संघातपूरणोपूर-सूरौसूर्यनरेश्वरीमकरस्कोमलेका व्येसमरोयुसंघयो॥२॥पतंगोसलभानंतानौस्फटिकमा| स्करौकार्यशुद्धतथाकृत्येबभ्रूनकुलपिंगलौग२४॥स्पष्टप झौस्मृतौव्यक्तौदीप्तिश्वेच्छातथारूचिःगुह्येकार्यचकौपीन|| संज्ञाख्येनामचेतने॥२५॥मधुरोचप्रियस्वादोशम्भूब्रह्ममहे श्वरोगनित्यस्वेचनिजंघोक्तंवलदीप्तीतथौजसी॥२६॥हायर्नवा मोजश्चहेतीशस्त्रार्चिषीमतेगासासंझेककुप्पोक्तास्तनमे|| घोपयोधरौ॥२७॥अभिरूपेबुधेकान्तिामिश्वस्कुलरिषयो। ॥उदयाधिगमोप्राप्तीवसुसूििवभावरूपराजिनं मलिने पापेप्रज्ञासंबुद्धिचिन्दयो।समर्थधिकतेऽध्यक्षोलीर्योद्योगी पराक्रमोरला वराहोमूखकेभीरोपवंग:कपिभेकयोः॥यन-पू जाचदाननदृष्टिरक्षितथामतौ॥३॥चीवरंवल्कलेवस्त्रेरकंक - anemas aaa aaaaaa - % 3D% 3D For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - अनेकार्थध्वनि॥१३ तयोरेपाथसिश्रवणेकर्णसूतःपुत्रेतथानज॥३शाकुस्या नसमरेमत्स्येरूपमूर्तचटुम्बरे।अवटारल्यौकूपगौदन्तवित्री तथाहिजौ॥३॥असंत्यप्रियौव्यलीकौचनचोवाक्यंचगीमता अंतेवासीतिशिष्येचनापितेपितथास्मृतः॥३३॥अंतेवासीग णानांचनानाशब्दार्थसारणेउपान्यस्यतसौभाप्पंपठतांशु ण्वतामपि॥३४॥ तिश्रीकाश्मीरामनायेमहाक्षपणकविरचिते नेकार्थध्वनिमंजर्योपादाधिकार-समाप्तः॥॥श्रीरामचंद्रायनमः| ॥अथहारावलीलिख्यते॥ श्रीगणेशायनमः श्रीवजयोगिन्यैनमः॥भुजगपतिनिमुक्तस्वनिर्मोकवल्ली // विलासितमनुकुर्वन्यस्यगंगाप्रवाहाशिरसिसरसभास्वन्या लतीदामलक्ष्मीलपयतिदिमगौर सोस्तावःसाध्यसिहो कल्पावसानसमयेस्थितयेकवीनांदेहांतरंकिमपियासजति प्रसन्नाशयस्याःप्रसादपरमाणुरपिप्रतिष्ठामभ्येतिकामपिन|| मामिसरस्वतीताम्॥२॥निर्मत्सराःसुरुतिनरवलये विविच्या कर्णगुणस्यकणमप्यवतंसयंतिायेषांमनोनरमतेपरदोषवा देतेकेचिदेवविरलाभुविसंचरंतिमुक्तामयातिमधुरामट णावदातलायाधिरागतरलामलसगुणश्री साध्वीसवांभ जतुकंठमसौषियवहारावलीविरचितापुरुषोत्तमेन॥४॥कि लैवसंतिमुधियामभिधानकोशा-किंतुप्रसिविषयव्यवहा रभाजः गोठीषुवादपरमोहफलासकेषांहारोवलीनविधी तिविदन्धिमानं॥५॥सकंतमेवगणयंतिपरं विदग्धावाजविद धिमनिमज्जतियस्यलोकगोष्ठीषुयःपरमशाब्दिकदुर्गमासु दोधशब्दगतसंशयमुन्छिनतिजामान्याधशब्दतःलो - - - d - anamasumaanm R m munanamaramananmumemamimanpra m mar For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हारावली।।१४ - % 3D - - - - - - - - - किरथैरातलिनात्ततः॥शब्दापादेविबोद्धव्या:प्रागनेकार्थत स्ततः॥७॥ ॥विषमनयनशंकूचंद्रमौलिर्भगालीरषभगति गणेशोरेरिहाणोवृषांकः॥त्रिपुरदहनशूलिस्थाणुखदागिद्रिी डिप्रियतमशितिकंठाभर्यकल्माषकठौ॥१६॥८॥शतधामा चतुष्पाणिःपृश्निगोगदाग्रजःगदीकौस्तभवसापांचज न्यधरोच्यतःपासावैनतेय पक्षिसिंहःशाल्मलीहरिवाहनः ॥अमृताहरणस्तायोनागाशनखगेश्वरी॥८॥१०॥वेगपतंग वियन्मणिभानवोहरिभगेननिदापकरायःकिरणमालिविl रोचनहेलयोदिनमणिस्तरणिश्वदिनप्रणी॥१५॥१॥श्रतश्र|| वोनुजःक्रोडोमंदश्छायासुतःशनिःसप्ताचिनीलवसनःपाता गिःकूरलोचनः॥८॥३॥दाक्षायणीपतिवलक्षगुपक्षजन्मतुं गीशरात्रिमणिदर्शविपत्सुधोगः॥राजासमुदनवनीततमो नदौमाग्लौरिंदुरेणतिलकोहरिरोहिणीशी॥१६॥शामहामृ ग:पुष्करदीर्घमारुतौ विलोमजिन्होजलकांक्षिसिंधुरोगद्विर पायिसूर्यश्रुतिकुंभिसामजामहामद पेचकिपद्मिपीलव |॥१४॥दीकरोविषधर श्वसनाशनोदिश्चक्रीफणाभरविषायु धदीर्घपृष्ठाः॥कंभीनमदिरसनौसमकोलदंष्ट्रिगोकर्णकंड लि|| लतारसनाविषास्य१॥मयास्योपकतं पूर्वमयंचौपक रिष्यतिदितियःक्रियतेसंधिःप्रतीहारःसउज्यते॥१॥ षमक्षरमादायप्रतिश्लोककमेणयत्॥अन्योन्यंपठ्यतेश्लो काप्रतिमालेतिसामता॥१॥१७॥नभश्वरोवायुदारुर्वनदोग गनध्वजःन्योमधूमोजलमसि रखतमालःपयोधरः॥१८॥ हर्षादत्सवकालेयदलंकारांवरादिकम्॥आशष्यगृह्यतेपू पात्रपूर्णानकंचात् ॥सामुरते कर्णदेशेषुयञ्चदेशीयभा - E % शिवस्य१६८ विष्णोः गरुडस्य८१०सूर्यस्थ११९११ शनैश्व For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir %3D% - 3D - - - हारावली५ क्यागदपत्योर्जल्पितमंदमन्मनंतहिदुधाः॥२०॥पदीय तेतुदेवेभ्योमनोराज्यस्यसिद्धय।उपयाचितकंदिन्यदोहदन हिदुर्बुधाः२॥२१॥नतंनिर्गत्ययत्किंचिभाशुभकरंवच यतेतद्विदुर्धारादैवप्रश्नमुपश्रुति॥२२॥ वृदसूत्रकमित्यादुरिं| दूतूलमनीषिणःग्रीमहासर्वशकर्फबाततूलेमरुध्वजंद॥२३|| दशेधनोगृहमणिस्नेहाशःकज्जलध्वजः।जटाज्वालोदशाक कथितोबश्वभिः॥२४॥गोमयछत्रिकामाहुर्दिलीरंच शिलीध्रकाउगंचवशारोहंगोलासमपरेविदः॥२५॥हिमवा|| नाहेमकूटश्वनिषधोपमेरुपरेवच चैत्रःकर्णीचाऐगी चसप्ततेवर्षपर्वताः॥२६॥इतिश्लोका वधिः।व्याधीमृगवधा जीवोनिषादःपुल्कसःपूवः५बालवायजमिच्छेतिनैदूर्यमणि मुत्तमाः॥२७॥कालयथिःसमाःसंवन्मासमानोयगांसकः५ मासोवर्षाशक-श्रामोवोगःस्यादहर्गणः॥रामदयोगवि|| धानंतु व्यस्तारंगकरिणांविदः॥पृष्ठवंशस्ययन्मांसं|| तल्पनीतत्वचक्षते॥॥कर्णवेधनिकाप्रोक्तानालिकेति || विषाणिनांगप्रवेष्टमंतःस्खेदानांदंतमोसंविदुर्बुधाः३०॥कुमा रभृत्या'गर्भिण्याःपरिचर्याभिधीयते॥नवोढावस्त्रमानंदप || टरमिछंतिसूरयः॥३॥कर्णीसुतोमूलदेवोमूलभद्र-कुलांकुरः॥ रस्परा१चंद्रमसः१६५१३१ गजस्य१४४ासर्पस्य१६८१५२ प्रत्युप॥ कारार्थकतसमंजसः१९१६। अंत्याक्षरक्रमेणश्लोकपाठस्यामे पस्याहर्षवस्त्रायाकर्षणस्यालादेपत्योःशनैःकथनस्यार है। शर्थदेवेभ्योदीयमानद्रव्यस्याआकाशवाण्याः२॥भाकाशे डीयमानसूत्रस्प६॥२३॥प्रदीपस्या गोमयत्रिकायाः६२५॥सप्त वर्षपर्वतानांप्रत्येकमेकैक।२६।व्याधस्य वैदूर्यस्य॥२०॥संवत्सरस्य ५मासस्या॥२ाकारणांमदयोगविधानस्यागजपृष्ठमोसस्य 12 // - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir maonete mamme - -- - हारावली१६ अर्थश्लो ज्येष्ठामूलीयमितिमासमाषाढपूर्व १॥३२॥नित्यकर्मय समाचारनिएरवेककतावीणानुबंधोधीमद्भिरूपनाहो॥ २४भिधीयते॥हास्यासालिकाकुंतलिकारदध्यादिछेदनीतु या।वैशाखोदधिचारहस्यात्तकाट-करघर्षण:४॥३४॥स्यादाषा ढभवोभौमानवार्चिर्गगनोल्मुकशापंचार्चिश्वश्रविष्टाजोज्ञ एकांगवहर्षण:५॥३॥दीदिविदिशार्चि-स्पान्जीव प्राक्क लगुनीभवः॥४ाकाग्योदैत्यपुरोधाःस्यात्लोडशाचिर्मघाभवः४ ||३६॥उपप्लबोकच केतुराश्लेषाभवाहिकाज्योतीरथोग्रहा। धारोधवउत्तानपादजः॥३॥स्वर्भानुग्रहकल्लोलंविदुरनपि शाचर्कावनीयकोयाचनकोवसकीटोमरवंपचः४॥३॥जा। यमानविषाणाकटाहोपमहिषीशिशौछेदोहस्तेनसस्यानो कटभंग १उदाहृतः॥३॥जलनाजंगमकुटीकावारीमूर्द्धकर्प री॥ उष्णवारणमुकूरवकांगंचपुटोटजं४॥४०॥मुनीनी चचिताकुल्यांपर्णाटजसहोदजी॥२॥कारोत्तरश्ववीनाहीत हिरंधूजेलाविका४॥४१॥जलपीजलाठीलीतलकंपुष्कर ण्यपिठासन्नारसमयःकश्चिदुपधूपितष्यते॥४॥तत् क्षणादित्यमुक्तांनुवदत्संगारिणी पदिशाअगारित पलाश नांकलिकानिर्गमोभवेत्॥४३॥गांधाररक्तचूर्णेतसिंदररक्त वालुकंशाकुसत्याविभवान्वेषीपार्श्विक संधिनीवकना - Homemaare गजकर्णवेधिन्याःगजदेतमासस्या३गर्भिणीपरिचर्यायानवो टावास्या ग्रामप्रधानदेवतायाः४ज्येष्मासस्य॥३२॥नित्यक // शक्ततायाः१वैरानुबंधस्य॥३॥ध्यादिवेदिन्याः२दधिमंथन। डस्य४।३४ामंगलस्यबुधस्य॥३॥बहस्पते:४शुक्रस्या३६केतो ५६वस्प४३ाराहो:३याचकस्याइदाजातशृंगस्यमद्विषीशिशो! पहस्तेनसस्यछेदस्य १३जलबायाः छत्रस्पासामुनिचिताकु / - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % 4 - हारावली॥१७॥ -अश्लोन अधवरोभवेच्चौरःकुसुमाल-कुजभलः४॥प्रोक्तःकरिकुसुभ स्तनागकेसरचूर्णके२॥४५॥बर्बरंबर्बरीकंचवर्वरीत्यपिचेर व्यतेअभावास्त्रीपरित्यागस्तरगब्रह्मचर्यकं॥४६॥यमि नांयन्तंगोप्यंततवंजनतरंविदास्यादाचामनकन्नोंठ कटा कोलःपतहहः४॥४७॥मेलामदामसिमणिर्मसिधानीमसित्र| सूः॥बालोपरीतंतुविदुःपंचावटमुरस्कटं॥४॥नारीणाम | डलीनत्यबुधाहलीष विदुः॥मारीचोयानकगजोरानहर स्तीमदोत्कटः॥४॥अलंकारसुवर्णयत्तच्छंगीकनकंमत। रितिलक्षंनिधुवनंसंयोजन३मितिस्मतं॥५०॥जीमूतकुटकु टीरकडाराःकंदराक४ाउद्देशोगंडकपरलपर्वतस्याभिधी यते॥७॥वासिताधेनुकाचवेवशाचकरिणीमता॥ब्रह्मा ग्रभू:क्रतुपशुःसिंहविक्रांतवाजिनौ ४॥५२॥समुद्रगानिस् रिणीतलोदाजवालिनीशैवलिनितरेगिणी॥विपाठकादं वकपत्रवाहा:पत्रीखगोवीरतरोत्रकंटकः॥५३॥वर्णदतः स्वस्तिमुखोलेखोवाचिकहारकः लेखोनिबध्यतेयेनतंत्र काचनकाभिधा॥५४॥क्षाराछमाणिमंथंचविदुःसिंधूपलंबुधात ३॥पिशितंपललंमांसंक्रव्यमामिपमुहसं॥५॥पारावारम हाकच्छोमदीपाचीरदारदौसाजिहादरस्कीकशास्यश्चंचुम॥ - - ट्याकूपस्यहासापुष्करिण्याः आसन्नास्तमयस्य॥४२॥ तत्क्षणादि। त्यमुक्तदिशः१पलाशकलिकायाः॥४३सिंदूरस्य ४पिशुनस्यादि, वाचौरस्यरनागकेसरचूर्णस्य५४ाबर्बरस्य३॥अभावात्स्त्रीपरि त्यागस्या४ायतीनांगोप्यमैथुनस्यापतहस्य४४७मसिधा न्या.५बालकपरिधानवस्त्रस्यपस्त्रीनत्यस्य१राजहम्तिनः। अलंकारसुवर्णस्यामैथुनस्य॥५॥पर्वतस्य४पर्वतेचस्थल || स्पशाहस्तिन्याः४अश्वस्पाशनद्याः६शरस्य७५३लिखनपत्रा - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हारावली nandiniama m omasarakamananesamm almanasamundamanam - Ammamerano - तरुशायिनौगया|इंद्रक्रीडासरःप्रातैदीसलपतिस्म त॥५॥धूमोणोपतिरुद्दिशेयमोमहिषवादनः॥३॥५॥५|| योधनोमेधकफोघनोपलोमेघास्थिबीजोदकतोगडिभाः६|| शंपाचिराभाचपलाटाभावादिन्यधीराधनबल्लिकाच॥७ ॥५॥पादालिंदीतरंडानौस्तरणिस्तारणिस्तरिः॥किलाटः शोषितक्षीरपिंडारसूरिभिरिष्यते॥५॥कालायसमयस्तीक्ष्ण गिरिसारंचशस्तकं॥॥हय्यंगवीनंरसमंथजचकलंबट ॥६॥एकशफाधिकंबंधमार्दामांचलबुधारावेत्तास्त्रीय सोचिन्हंसामुद्रिकाउदाहृतः॥६॥तितिलीका स्थिभि घेतक्रीडायांचंचलिरर्भवेत्॥वकाललाटगास्तिस्त्रोभस्मरे खास्त्रिपुंडकं॥६॥हालाकामालिकामंडाधीरास्थात्मद नीचमाध्वीचाआहश्वपकंतुपानपात्रंपारीमय्यनुवर्षणक वीद्राः॥६॥कुशुंभ-करकश्चैत्यमुख-कमंडलुः४स्मृतःil सहायोनर्तकश्वतालावचरमष्यते॥६४ाकथित कौमुदी क्षोदीपवृक्षःशिखातरुः३॥कोजागरेतथासद्भिःकौमुदीचारे इष्यते॥६॥समुद्रगृहमित्याहर्जलयंत्रनिकेतन॥प्रेतादिमि रहीतोयःसआविष्टभ्रमन्वहिः॥६६॥हिममिद्राग्निधूमश्वा खवाष्योरजनीजलायेशिवायतनोत्सष्टास्तेसंध्याबलयो रक्षाः॥६॥विषाक्तास्त्रहतस्याहुःपशोसिंतुराननं१॥धूमि - स्यपत्रीबंधनस्याहासैंधवलवणस्यमासस्यधासमुद्रस्य पक्षिणः४५६दंद्रक्रीडम्सरसःयमस्य३३५शमेघपस्तरस्यविद्युतः अथानौकायादशोधितक्षीरपिंडस्य२५रालोहस्य५नवनीतस्य / एकरखुरयुक्तवरणबंधनस्यश्स्त्रीपुरुषचिन्हवेतुः अस्थि भि नक्रीडायाःरललारस्थभस्मरेरवाया।३।६॥सुराया:शानपात्रस्य | पाकमंडलो असहायनर्तकस्याहादीपरसस्य३कोजागराया। A m mmmmunmummmms - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % D -- हारावली अर्धसोला - काधूममहिषीहिममेंटिःकुहेलिकामापोताछादनमाहु॥ स्तवरकमथवस्त्रकुट्टिमकवयः॥तंत्रविमुक्तंवासोनिष्प्रवणि | निप्रवाणिश्चमहाघोषयारोहंह,पण्याजिरं विदः गबदमानुषसंकीर्णेनिघंटंचकरांगण॥२॥७॥शालभंजीदा। रुगर्भाकुरंटीदारुपुत्रिकाकादंबिनीनवोमेधःकालीस्याका लिकाऽपिच॥१॥क्रोशध्वनि-कोशतालोढक्काविजयमर्दलः / शास्यास्पतिपत्तिःपटहोलंपापह३त्यपि॥कुकूलकाय, बलनंतनुदेशनं विदुः॥शिरवेशीर्षरांचशीर्षण्यंशीर्षक: चतत्॥७३॥स्याजालिकालोहमयीजालपायांगरक्षिणी 2 // पन्ध्रीपादविरजा-कोशीपारथी४भवेत्॥७४ारुचकंलवणं क्षारतीक्ष्णजलरसंविदुः ज्योति/जंचखद्योतंध्यांतोन्मेष / तमोमणिः ॥७॥जलशूकरजलजिव्होजलकंटकवारी all यानक्रेजलनकुलजलवितालौनीराखुजलवावुद्रे॥७६ // शिशमारोजलकपिश्चपलांगोऽसिपुच्छकायाहोजलकिराट| श्चनराजोजलांटकः४॥७॥मृतकांतकश्वभौरीकधूर्तश। यालुवचकाभरुजः॥शालामृगोस्थिभक्षाग्राममृगोमंडल का पिलः॥८॥उल्कामुखीशृगालीयादीप्तजिन्हे तिसामता || स्केधवादानुशेकश्वशृंगीगौरक्षाधूर्तिलः॥७॥ हेरंबकासरगे। जलयंत्रार्थगृहस्थरप्रेतादिगृहीतस्या६६। हिमस्याशवालयोत्सृष्ट वषस्या विषाक्तास्त्रादतपभुमासस्याकुहेलिकाया:४ापोता। दनस्य३तंत्रावमुक्तवाससः १६ाहहस्याबदुनरसंकीर्णहस्य 2070 काठपुत्तलिकायाः४नूतनमेएनालस्य ३७॥ढकापा-४पटहस्य३७२|| वस्त्रांगरक्षिणयाः शिरस्त्राणस्य४।७३ लौहनर्मण:२उपानहः४।७५० // क्षारलवणस्य खद्योतस्प४॥७॥नकस्यउद्रस्य।०६शिशुमारस्य ग्राहस्य४ा शृगालस्य शुनःउल्कामुखीशृगाल्याश - ana - - - - rammammomd For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - 3 3 .. : - .. ... - % 3D हारावली२० वरताय सैरिभस्न थारोमशोबहरोमास्यादुरणश्चपृथूदरः।। ४॥८॥डिकस्तुबालवाद्यावनलागोतिरोमश:४ावरणोधूम्र शुकास्यादृष्ट्रःभृरवलकास्तथा।चक्रमुखःसूचिरोमाव राहस्थूलनामिकः४केटीरवस्तपारीद्र केसरीगजमाचलः // ४॥६॥नेत्रपिंडोषाहारोमेनाद:कंदमात्मृतः॥गंधार्वर्गध|| नकलश्रृंच षटउच्यते॥३॥द्रोणारिटोनालिजंघआत्म घोषस्तुमौद्गलिः॥गोभंडीर:पंककीरोहापुत्रीराजभट्टिका४|| ॥४॥गंगाचिल्लीतदेवटी विश्वकाजलकुक्कुटीलाविट्मारिका। तुकणपीगोराटीगोकिरीटिकामा८५॥ मृगेंद्रचटकोघातिपक्षी ग्राहकमारको गालालंकुक्कटंप्राहाकुक्कभंकुहकस्वरं४॥॥ कर्कराक्ष कलादीन खजलेवस्तखेजनः॥प्रासादकक टोझलकंठोगृहकपोतकः॥८॥ध्यांशपुष्ट-कल कठोमधुक उ:कुदमुखः४॥झंपाशीमत्स्यरंकःम्यानलमद्र्मणीचकः॥ ४ापाकलविकश्चित्रपृष्ठोगृहनीडोलमायण: ॥वरंडाचित्र पादाच चित्रनेत्राचसारिकाखापतामयूरचटकोदक्षः रुकवाकु गर्नेशाकर:४॥शतपत्रःसितापांग-प्रचला कोषचंद्रकी४॥०॥|| किसलयमपितरुरागंविदुर्लतायावकंववालेच॥४॥कंटकसता तसनरवसिताग्रदलसूचिरांकिल मरा:६॥॥ट्रोण दलःस् चिपुष्योजंबूल-क्रकेचछदः४॥मडॉलिष्यफलाधात्रीवल्या - - - - - कटादिवाहकषभस्य५७सामहिषस्य मेषस्य४८॥हद्वानरस्य / 5 उष्ट्रस्याहाशवराहस्य४सिंहस्पहाविदालस्य लुसुदर्याः४ // दग्धकाकस्परहापुत्र्याख्यपक्षिण:४१८४ागंगाचिल्याः विटा निकाया:शाये नस्यश्वनकुकुटस्यमा८६रवेजीटस्य रूपोत, कोकिलस्याहामत्स्यरंगस्य४ापाकलविकस्य सारिका ४ाताग्रामकुछटस्यामपूरस्प४ास्कानूतनपल्लवस्य रक्षकेट - - - - ... For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Pururammmum - - m - - one - ---- दारावली -अर्धश्लो चरसाशिवा॥२॥सहरबीर्याविरजाभार्गवीमंडलीसहा५] प्रहर्षिणीनिशाहाचलसागंधपलाशिका४॥३॥मृदषयः भूकतरुःशिरीषोविषनाशन:४॥वराहकालोकथित सूयो। वर्तरस्तुशाब्दिकैः॥रावजवल्यास्थिसंहारोहस्तिशृंडीव नालिकाावनतिक्तस्त्रियांग्रीष्मातिरीट:पक्षसेटरः॥५॥ मधुपुष्यामधूकश्चगडपुष्पोमधुमः ॥वृत्तपुष्य प्रावषेण्यो हास्ट्रिक्तहलिप्रियः४॥हासलात्वचिसुगंधाचपुटिकाचर्म। संभवा ४ाकृष्भांडकापुषाफलोधनवासश्ववेष्टकः४॥७॥वे|| षण कासमवपत्रोपस्कर३इत्यपिओकोदशालीप्राचीर। मोघोलिरबहालिका॥५॥॥कल्पवर्तःप्रातराश प्रातर्भोज! निमिष्यते॥शृगालिकाचडिंबंचडमविद्रयो पिचारका धपालामतुंगश्वनारिकेलःपुटोदकः॥गुडदारुमधुरण मसिपत्रोमहारसः४॥१०॥राजालुकोमहाकंदोमूलकोहस्ति। दंतकःशदरसातिक्तगुंजासरघाविपर्कटी४॥॥क्षुद्रप। चचांगेरौक्षुद्राम्लाचाम्ललोणिका प्राचीनामलकरतंबद || रामलकं३तथा॥२॥पिष्टसौरभमेकांगंश्रीरवंटुमालय विदुः / मृगनाभिर्मंगमदोगंधशेखर३मित्यपि॥३॥सिता_तरूसा चवरकरसकेसरं॥४ाकालेयंवंशकंजोगकालीयवरवंदना हातणसारामृत्सुफलारंभाचकदली भवेतामध्वासितः - - r --- - -- a - - कस्याकेतकस्प४धात्र्या:६।।दूर्वाया:गंधपलासिकायाः / 103 शिरीषस्य सूर्यावर्तस्यराशाअस्थिसंहारस्य लोध्रस्य३।५।। मधूकरसस्यहमदंबस्यहारएलाया: कूभाडस्पछाकाशमई / स्यभितेलापात जनस्य३भीत्या पलायनस्यशाला नारिकेल || स्यहो.४।१०।मूलस्यहकरंजस्य आम्ललोणिका या पानी नामलकस्य३२॥ श्रीखंडस्य४३कस्तूर्याः॥३॥कर्पूरस्य अरुति / anaamaan - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Fu- - - ma massage %3D emi - cho 3 % STI marnamaARMANIPRIMARWAR INAwesomwamaNarenemia o हारावली 22 अर्थश्लोका. परारुस्यात्तथाराजपटोलकः॥५॥कुमंपीतकाबेरंघुसणंकु सुमात्मक अरकोजलकेशवकावारंशैवले 4 विदः॥६॥उन्म त:काहलापुष्पौरपाटलिघांटिको किंशककरक पर्णी लाक्षारक्षःसुभीरव ४॥७॥अमंडपंचागुलबर्धमानागेश्वहस्ता स्त्रिपुटीफलपश्यारेणुमतीलस्तणकेतुमत्कवीलोकिलाटी| चततःसुपा६॥॥कलमालोमरुदाहोधूमोमभःशिविध्वजः // शारवानगरमाहुस्नयदभ्यर्णपुरातराभादुर्जलकारका जलजसूचिकामुख उपनिद्धिकोत्पादिकारवटिरुदेहि कादेिवी॥१०॥शुल्बमौदंबरंरक्तंम्लल्लास्यताम्रकं विदुः॥ दामादीर्घकोषीस्मात्यक मुक्ति सितालिका॥१॥आकाश मूलीकतणकुंभिकाजलवल्कलं४॥शंबूको जलदिनः स्थाई ॥श्वर-पकमंडकः४॥१२॥आदीलकेतर्णकाना स्थली सुकीडनill मतं।यष्टिःशब्दवतीधीरैःखेखीरका तिरमता॥१३ालेखात्री यांकितंभालंत्रिपतार्कीविदर्बधाःअर्धचंद्रंकर्करेट बिदरंगु लितोरणं॥१४॥सिद्धजलंचगृहाम्लमबंतिसोमंतुषोदकशु॥ पानग्नाटकनिथकभदंतदिगंबरकानग्ने 5 // 1 // कर पात्रंजलक्रीडाल्यात्युक्षीकरपत्रिका॥शराणां पत्रचनाप // त्रणापरिकीर्तिता॥१ापंचभद्राहयास्तेयंपेचसंगे पुष्पिताः यश्वरकोमुगभुजांसस्या हल्लभपालकः॥१॥निगालस्थो % s wwwoma meteamasoomumORMAHARMARRANDROINDhanumammaNPUNICIRBENERARTHANAININDRAawwae 3nsamaARATARImmam M INISMENERAL anomy -awaima tewadanRUNNIBaareBORAawaniawoonewsairaamananatwwe - e aseimanam - - - - - ल्यातस्याहाकदल्या४पटोलस्याकंकमस्य शैवलस्य४।६।। धूस्तूरस्य पलाशस्या एरंडस्यवंश स्यधधूमस्य५नगरा तिक पुरस्याराशेखस्य३उपजिव्हिकाया: ताम्रपकशा क्तेः ४११कुभिकायाः 4 शेलूकस्या१२३तर्णकक्रीडनस्मशादव तीराष्ट्या ११३लेरखात्रयांकितभालस्यगलेदस्ताधानस्य 314 का जिकस्य५दिगंबरयोगिनः॥१५॥जलक्रीडायाः५शरपचरचनाया।६ AND % 3D SRe For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हारावली।२३। - Romanamay - - - - - - - - - AMIN-- - - यभावतःसहिदेवमणिस्मृतः।तथावक्षसिवाहस्पनीरक्ष काउदादतः॥१८॥बंधःपलाशपत्राणांशीर्षेपत्रपिशाचिका || सुवसंतकीशब्देन उच्यतेमदनोत्सवः॥१॥कर्वद्विशतया ममध्येग्राममनोदतथाचतुःशतग्राममध्येद्रोणमुरववि दुः॥२०॥ यद्यावामंगलंसामतदप्रतिरथशविदः॥शालाघासाद| शिरवरेचंद्रशालेतिकीर्तिता॥२१॥ ॥दत्यश्लोकावधिः॥॥ तलिनंतुछ मिस्याहर्गहाश्मागृहकल्पः॥खसंचारिपुरेसी!! धीरथ्यापांशुकलीभवेत्॥२२॥सकनटःस्यात्कथकोभेडा ध्वादपटुःस्मृतः॥मक्षिकाभरमरालीरस्पापांशुरोदेशकः स्मृक्तः॥२३॥देवोद्यानंतुवैभ्रानदीपाली दीपशृंखला २॥मुक्का |मारेपिसोमालेर विषमेस्थपुटंविदुः॥२४॥द्रणहःखनपिधा निरसारिणीचषणालिका॥यज्ञस्थानयज्ञवाटरस्तृष्णाधन पिशाचिकार॥२५॥स्मृताबाल्वंगिरिवर्वारुःस्फुदिरिवारुशु॥ क्तिका॥नादाम्रस्तिमिषःसेट ३कोमासिकातुजालिका॥२६॥ पंजातुकालेलाकुरस्तुणताधनुरिष्यते।कैरातोदोगहः॥ क्षामा:३सिंघाणंकाचभाजन॥२७॥ट्वटोदंडवादीरस्पात् || स्तन-शकितवर्णकः॥धारब्धिःकरिवंधरसयात्कष्टस्थानता पवारखं..॥२६॥भोगावलीवंदिपाठःसेतपूरणपिंडलो // 2 // - - - SMA - - / %3D A चकल्याणघोटकस्याअश्वचारकस्य १११अश्वगलादेशस्थावर्त / / स्थाअभवक्षःस्थावतस्यायापलाशपात्राणाशीर्षबंधस्य१मदना त्सवस्य१रा द्विशतग्राममध्यग्रामस्य चतुःशतग्राममध्यमानस्य | 1 // 20 // यात्राकालेसामवेदपाठस्य १प्रासादशिरवर स्थशालायाः 1:21 तुच्छ स्परपेषणशिलाप मौधस्य राजमार्गस्यै सकशकस्य भंडस्यमक्षिकायो दंशस्य३) देवोटानस्पतीपावल्या सुकमारस्य विषमस्प२४खगपिधानस्यजस निर्गममा मार्गस्य यजस्थानस्थलोभस्य५ दागःस्फुटेनाटाम्रस्यजालिकायाः जीवन %25ENDEU - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - . - - Lemoneymameen- RNHIMeme on . - - - Romania - हारावली२४ दावधिःदिवाणीदेवयात्रा शूनाधोजिव्हिकारमतारालापालि.समुर। स्थितन्मश्रुमेरुडोच्चललाटिकारा कादिष्टरजा-कन्यापो| टास्त्रीपंसलक्षणा॥३०॥महत्तरोग्रामकटोरमर्मरो१७व्यक्तनिः॥ स्वनः ॥शिवालयापितवनचिनाकाष्ठमठीचितिः३॥३१॥कर्ण वंशोभवेन्मनः२श्रीग्रहःशकुनि पालोबूलदोवागुलिकः२सु॥ रभि फालानानुजः॥३२॥तांबूलरागोमसुरेस्तरुवारिस्कपा) णक स्वागतंकुशलप्रश्नः२सामीचीवंदनोमता॥३३॥समुहः॥ संपुटीरजेपोहयस्कंधोहयटार॥पिडारोमहिषीपालेरमसूरे चगभोलिक:२॥३४॥कादलीतरूणीरत्रोक्ताछरातुकथितासुभा ॥२॥कापिल्लिकारोचनिकारकालिकावस्कराटिका२॥३५॥कालि काझीरकीट स्यातवंड्यालस्तखाडिकापांशुरःपीठसपी स्यादल्ललोरोमश:स्मृतः३६॥पूगपात्रफरुवकरकबंधोरुं डरमुच्यते॥तूलिकास्यान्नवतिकारस्त्यानमालस्यरमुच्यते॥ |॥३७॥भाजनेकमत्रोक्तंपुण्यश्लोकोनलोरमतः॥ोरखेप्रतिपll तिरत्यारारि-पथिकसेदतिः॥३॥यामकिन्यपियामिस्त्री हाफिकाचोपपुष्पिकाशनातपुत्रेविटधरो३निर्माल्यनिर्मलं२|| - - - RAImme -- anp - mummyam- - - क्षस्यरधनुषःरबलवत्पुरुषस्य३काचभाजनस्य५२७/दंदवादिनः। // 2 चौरस्परगजबंधनस्तंभस्यरकष्टस्थानस्य।राबंदिपारस्यरसेतो।। ॥३देवगात्रायाः२उलूखलादिपेचशूनाया:२२सासश्मश्रुत्रियाः२उच्च|| भूस्लिायाः२दृष्टरजःकन्यायाः१पुसलायाया: 1130 महत्तरस्य२॥ अन्यक्तशब्दस्यास्मशानस्य 2 चितायाः३३ामंचस्यरपक्षिण:पा नीयशालायाः 2 वसंतकालस्थरतांबूलदातु-२६३शतोबूलरागस्य रखडस्य कुशलप्रश्नस्य रस्तुते:२॥३३॥ संपुटस्यरहयस्कंधस्य रमहि॥ पीपालस्यररहन्मसूरस्य २॥३४तरुण्यारलेपनद्रव्यस्य रोचनिका यावृश्चिकायाः२॥३५॥क्षीरकीटस्यरमोदकस्यरखंजनघोटकस्य॥ - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - HRE - - - -- - - -.. . - -angel Channe . . . - % 3D3E हारावली 25 पादावधिःमतंसदद्रासनेमतागुंजारगुलचोगनकोमतः॥भोगावार / सोवासगृहर मेनोदस्तिपकारस्मतः॥४०॥मायुःपलानिय ललं ज्वरस्थादजीर्णमधमिरामघाप्तिश्चमोहित्य मुटनिकायस्यात्सत्मारिकाभोगपिशाचिकाच॥४१॥भागो जलवरेट:रस्यातणाकुंभीरमक्षिकार॥वहलंबाबंट-पोत३. स्तरालुयादिपुत्रक:२॥४२॥कादलस्तमहानादोरमागपत्ता नरविदः स्यादमित्रतरिरथः२पात्रपालस्नुलाघटः॥४॥का किनीपणतुर्योशेषज्वलदंगारउल्मकं ॥१॥अयानंचस्वभाव:२ स्यान्मोजकावारसंदरी॥४४ानीलमणिर्मसार: स्याईजापा माहिकाश्मता भार्यापाणिगृहीती चदकूलं सौम मुच्य ने ग्रंथस्यनिर्मितौशय्यावधूठीवधुटीजनी॥वैदिचौरोगाचा ल:२स्थाकुंभिल-संधिहारकः॥४॥अभ्रमुपस्त्वचनागस्य कुमुदस्यतुपिंगला॥अंगना वामनस्यस्यादजनस्यांजनार|| ती॥४॥कपिलापुंडरीकस्यानुपमासुपतीकस्याशेषस्य ताम्रकर्णीचशुभ्रदतीसार्वभौमस्य॥४८॥ सेवाचाटूक्तिरा sada-em- - - - Ramansamuaveenamoermanemuaamsunatemeomampraunaraanemama n rameraramaraparimanorypurnamentavanmerasai - - memocrewarmarwao -rwainarane- e A MRATonsummaNDIA m - aira बदरोम युक्तस्य२॥३६॥पूगपत्रस्यरकबंधस्यरचित्रले खिन्याः२आ लस्यस्य२१३१पात्रस्परनलराज्ञ गौरवम्म 2 पथिकोण्या:॥३॥ या ! | मिकस्त्रियाःजभायाः२महाधूर्तस्प३ निर्माल्यस्य २६३तागोजेनिसि। स्यर राखंचम्य वासगृहस्य हस्तिषकस्य२५४०॥ पितस्य३ त्रस्य / तप्ते:३क्षुधाया:३४१ जलवसतारख्यव्रणस्य 2 कुंभीरमक्षिकायाः२पो || तस्य३नौकाजलोत्सारकस्य॥२४ारहत ढकाया: रमदंगस्यरित्रस्य। ॥र तुलाधनस्य २४३॥पणचतुर्थोशस्याज्वलदंगारस्य? स्वभावस्सरचे | ॥श्यायाः २.४मानीलमणे: 2 गुंजाया:२भार्यायाः॥४५परस्त्रस्य 205 // ग्रंथनिर्माणस्या नवीनस्नुषायाः२वदिचौरस्यरसंधिदारकस्य २०४६श्या |वतदिग्गजपत्त्यालकुमुददिग्गजपत्न्याः वामन दिग्गजस्त्रियःअंजन E APRIL For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir amme cess CD हारावली 26 पादावधिःलोकोरमठोगंत्रीरथस्मृतः॥चिपिटोधान्यचमसःखानिको॥ लाज उत्तुष:३॥४॥अभ्यासोगुणनीयःरस्यान्मादिःपत्रशिरार मताभीतीदेवलकारख्यातःरखेटकंवसुनंदके२॥५०॥पुरंदरा| तुसुरलारकावेरीचार्धजान्हवीशकौमुदःकार्तिकोमासरसो | भिकस्विद्रजालिकः२॥॥हेलकवाचनकरवीक्षापन्नःसर विस्मयः॥कुटलंपटलंनीवश्लीथीगृहतटीरमता॥५२॥सर्व | वशीनटःोक्तोरमंदाक्षेतुनटांतिका॥मृकलीकुठिकःरप्रोक्त शालूरोतृष्टिभू-पुवः॥५३॥स्वेदःसिप्रस्तनुरसस्त्वक्युष्येतुत्व गंकुरः॥२॥नवोढानववरिकारदिकरीनवयौवना॥५४॥सौवर्चला चरुतकरहिंगुलेरक्तपारदमूरतोपलंगैरिकेचरपारदस्तक विदुः॥५५॥साशक कंबलःरख्यातईमात्वकंडरोवण:३॥॥ कपट पारिहार्यःस्मारदालु कुहनःस्मृतः॥५६॥वरणमो क्षेविगणनरलग्नकेऋणमार्गणः॥भिक्षाशित्वंतुपैशून्यंरमंड पिछांधसस्तथा।शावायुकेतुःक्षितिकणःस्यादास्कालेझ लाला॥१३॥नष्टाप्तिन्नेलो स्याद्याप्ययानंशिबीरयो r mense man- - - - - दिमाजस्त्रियः४अपुंडरीक दिग्गज स्त्रियः१ सुप्रतीकदिग्गजस्त्रिय:१३/ दंतदिग्गजपत्न्या १सार्वभौमदिग्गजपत्न्याः१४८सेवनस्य३शकदा |स्यचिपिरस्पर लाजानां३।४।अभ्यासस्यशत्रभंगस्य भूतसेवा स्परधनद्धिजीवकस्य २५॥गंगायाः२कावाः२ कार्तिकमासस्यना इंद्रजालिकस्य॥५॥प्रहेलिकाया:विस्मितस्य समूहस्य ३षिथ्या| // 2 // 52 // नटस्यर लज्जायाः२ कुष्टाव्योषधस्य २भेकम्य३:५३सेदस्य३ रोमांचस्परनवोढाया: नवयौवनायाः३॥५४॥ सौवर्चललवणस्यर हिंगुलस्यरमैरिकस्यपारदस्य५५केबलस्यव्रणस्य३कटकस्या ॥२ईर्ष्या युक्तस्य२॥५६॥णमोक्षस्यर लग्नकस्यपैशून्यस्परमेडस्या || // 57 धूलेभास्कालस्यर चौरनीतद्रव्यस्यकिंचित्यात शिवीरथस्याला mentarimanmame ----....- - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Summarwadima n tumwari munmamarME - - दारावली 27 पादावधिःमल्लयात्रामालनीस्यारनिर्भर्सनमलतकः॥कोशलिकात्रा मृतकरमकलासकरविदुः॥पतालदोषालादनमक्षरश्नु लीस्यान्मल कारिकागावाताचोभूमिपक्षःस्याहारुर्विज। यकुंजरस॥६॥प्रभातेगोसगोसगोश्वजनीलेपकामिनी। उत्कठोगंडकुसमंसिरसौमेधिकोमतः॥६॥ वृषाकपिः शिरनी शुभाभस्मप्रार्घटमर्पदं॥उष्ट्रवाहीमीरयोध्युष्टोगं श्रीलध्वीद्विवेशरा॥६॥ सकणःशामिरुद्दिष्टःशक्तत्कीदे न्यकारुकाआभारवाहोभारिक स्यारतकंधचापोनिगिका|| // 2 // 63 // नुन्नतोजगरःघोक्तोद्विमुखाहिरहीरणिः२॥पुरोटिना पुरसंस्कारेश्हट्टीपरतदीरमता॥४॥मृणालिनीपुटकिनीर॥ स्थासकोब्रह्मदोरभवेत्॥कलाचीतुप्रकोष्ठःस्यारस्तपछस्त कन्युषं॥६॥ उत्साहःसूत्रतंतुःस्यातिडीरोनीरसःरस्मृतः॥ हरिणहृदयोभीरुःसंदेशोक्तिस्तवाचकं२॥६६॥शालाजिरो॥ वर्धमानंरकुसीदंतुकलांबिकाशचर्यातलपहारस्थाकी, मुद्गरे विदुः॥६॥गोष्ठागारेऽपिगंजःरस्याचितावेश्मनि // दार्च // 2 // म जधिर्भवेन्मतुनिष्कटोगृहवाटिका२॥६॥ webruR - ASA मल्लयात्रायाःनिर्भर्त्सनस्याभूतकस्य अट्टालिकायाः॥लास्व|| दोषासादनस्यरचुल्याःरवाताश्वस्य विजयकंजरस्य ।भात स्पश्लेप्पकामिन्याः२संजातमदस्यहस्तिन:सिद्धस्यमग्नः। भस्मनः३उष्ट्रयुक्तरथस्यलपुरथस्य३६॥ समेःविष्ठायाःभार वाहस्य रवंशादिनिर्मित शिक्यापानस्या६३॥ अजगरसर्पस्येटिमुखसर्वस्य / / रसंस्कारस्य २क्षुद्रहट्टस्य राधापुटकिन्याःबहुदस्य विन्ततक रस्यर हस्तपुच्छस्य॥६५॥उत्साहस्यरसशून्यस्यरभयशीलस्यरसं देशवाक्यस्य॥६६॥शरावस्यरसीदस्यरतलपहारस्परसगरस्य॥ दशगोडागारस्यरमंत्रणाराहस्यअपराधस्यगृहवादिकाया:६॥ SRO - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - -- --manamamalini हारावली पादावधिः शैलस्यकटकेतरस्तदिनप्रतिवासरे। सूत्रमेवसूत्रतंतुः२|| शराऽपितिलौदने२॥६॥स्यादासवोपिकुरसः सरदमय। भाजने२॥निश्चक्षणदंतशाणार गो ग्रंथिःशुष्कगोमये॥१०॥ अशापदंनयपीठीरन यस्तुजतुपुत्रका विदुर जोमवेदना पांचालीशालिशंखला।।७१॥स्तारस्तालिनंशा प्रकीर्णकाशिवालोपाशिकारयामाबरी शुनो। ३॥७॥पादोगदीहंसकारस्पास्त्रतिकर्मप्रसाधनकाय लीतकर्णादररंगुलीयकमूर्मिकार॥७॥खातभूःप्रतिकूपः। सारस्याल्लंभास्याहाट शृंखला कंधरातोरणं कठीनालीगी लमेररला॥७॥शासनधर्मकोलारस्थात्महत्या नि॥पट्टोलिकाकुसकीला सिंदुरतशामने 23 1961 साली शास्तागोदहा क्रीडारगीतिःपारावतीस्तथा॥णनफलोदी शो३ नवीनेनवकालिका॥६॥मुवघंटाहुलदलीरतला। चीनलपट्टिकार॥नीपोधराकदंबारस्याहीरभद्रररू.वीर | 11.खटस्तवृहत्कारिकोशांक मित्कटं 2 चितः॥मेडी।। रस्तसगठः२स्याद्रीवेरेवारिवालकाशितोत्येलंगंधा % 3D mro शेन्जनितंबस्पतिवासरस्परसूत्रस्यसतिलौदनस्य 2662, 343 स्य रमद्यभाजनस्य दंतशाणस्यशुष्कगोमयस्य शारिफलस्म | साटिकाया:पाशकस्यरशारिशृंखलाया-२५७११शय्यायाः३चामरस्य // 2 शृगाल्याः२ कुकरस्त्रियः३नूपुरस्य५७॥ वेषस्यताकम्प 2 अंगुली यकस्य२।७३।परिवाया:२ वाटशृंखलायाः२कंठ्या ३गलमूत्रस्य राज शासनस्य७४॥शूद्रशासनस्यपट्टाव्यपत्रस्य रक्तशासनत्यो७५|| गोपक्रीडायाःगोपशिशुगीतस्पर वंशविशेषस्य३ नवीनस्य 176 / / मुखवाद्यस्य रनलिपट्टिकायाः २धराकदंबस्यरवीरणस्य२७ ॥रद काशस्य२ कोशोगस्परगंडीरस्य दीवेरस्य २७॥सीतोत्पलस्व२/1 - - BR For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पादावधिः meen - -- - % MA E HILDIER हारावली 28 | सोमरहरिमंयोतिमुक्तकः॥कारकस्त कालिंग:२शृंगाटोज लकंटकः॥७॥हिलमोचीजलब्रह्मीरवायसीकाकमाविकार, पुन्नागकेसरवरचांपेयोनागकेमरः॥८॥स्याहोलिकाचहिता दोलारल्यावर्णलवणंरमत।सुखाशीराजतिमिषःर केटुकोराज सर्षपः॥८॥सितमाधोराजमाषोरमसूरोव्रीहिकाचनः२॥म धुक्षीरस्तरवर्जूर-२शालःशंकुतरुरर्मतः॥८॥मुस्तोराजक शेरुः२स्याद्रौहिणश्चंदनद्रुमः॥काकमहर्जलरकारकोयष्टि लकवभः॥९॥वर्तिकाविष्णुलिंगीरस्याइनाखुःशशकः स्मतः ताम्रकृमिरिंद्रगीपोरगृहगोधागृहालिका२॥दि| बांधोहरिनेत्रः स्याद्रोनंदीलक्ष्मणामता॥कुरकुरःपुष्करान्हों। २वातुलिस्तरुतूलिका२॥६५॥कोलपुलस्त केकस्याहर्गादोयो गनाविकः२॥ग्राम्यमद्गरिकाशृंगीराजशृंगस्तमगरः२॥८६ पिंकग्राहस्तमकर:शफःखेतकोलक:२॥चिंगटम्नुमन्हाश ल्क-पोताधार्नजलोडकाफलकीतुचित्रफली समस्या राजस्तुरोहितः२॥काकोचिकस्तुकाकोचीवकाचीत्रकचिंचिका Ince|कवयीक्रकचपृष्टीरवलेशस्तुरखलेशयः॥इलिशोराजशफर॥ दचाकोजलवृश्चिकः॥२॥रगदंडपालोर्धशफरः२ कंकनोटो जलन्यथाशालघुगर्गस्त्रिकंटास्यात्सितांकोवालुकागडे मना - अनिमुक्तस्यरकरिकस्परशृंगाटस्य पाहिलमोच्याः२ काकमाच्यापुन्नागस्यर नागकेसरस्याहिंदोलिकायाः२सौंदर्यस्यरसुरवाशकस्प राजसर्षपस्यासितमाषस्यरक्षुद्रमसूरस्वरखर्जरस्यरसाल यक्षः मस्य॥१२॥ मुस्तस्यरक्तचंदनस्य२ जलरंकस्यर कारंडवपक्षिणः२५३३|| तिकायाः२शशस्थरताम्रकमेः॥८॥मुशल्या:पेचकस्यरसारसयोखिनः सारसस्पश्चाटुले।८५ केकपक्षिणःगईटमत्स्यस्य ऋग्याः२मदुरस्य। ॥शमकरस्यशफरस्यरचिंगरस्यरोहितादिशिशोः॥९७ाफलक्याः | न For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दारावली m arwarel RRERNETARMANEName%BISon NAGAR कनकपल:कुरुबिस्तःरकारकवानोतिधारस्यातू॥ब्राहीत पिंकगडकःशकलोदेडपालकः॥पनिचोलकलिवुलका मदामणिरलिजरः॥ वैदिस्य डिलसितकंपन्याटोनिकुठः। स्मितारणलोपासिकाखिखिरीस्यात्पल्याटोनिकुटामा ल-अंकेष्वेवांकमंगानिरस्मतमुत्ता नमुत्कटास्मान्या र्जितारसालारचबकारससिंहनादकःकर्णयकर्णमलेशा सिंहाणंनासिकामलं॥हादतमलंपुटिकारस्यास्कुलका रसनामलंकारंधमीधातुवादी रदरिद्रोदर्विधःस्मृता स्यान्मत्रगेड कोविद्यारपक्षगरखडकिका॥आटेवस्त्रंजली दम्पादोषश्वाटीनवोमतः६॥ योजलमार्गधेनुःरस्पान्नः॥ ल्व किष्वेचतुःशतम्॥चोलकोवाणबारः२स्याकुसिस्व धवोलकः॥२॥नागोदरमरस्त्राणरजंघात्रागंतुक्षण२|| स्यात्वासादोदेवकुलरतत्तुचैत्यरविनामुखातिणपू॥ गलीतुचंचारस्यायथार्थतुयथातथं॥आपातनंवधस्थानी रकाराबंधनबेश्मनिर॥॥स्कंधाग्नि-स्थूलकाष्टाग्निरत गणागिस्तभवेत्समः॥दंगलस्तकरीषाऽग्निरज्जेराग्निस्त्वा विदितस्परकाकोचिकस्यश्वकविंचिकायाः कवयीमत्स्यस्या // 2 रखलेयशस्पर इल्लिशस्यरजलरश्विकरयाअर्धशफरस्पर जलव्यथस्यविकटकस्यरवालुकागढस्याकनकपलस्य२॥ करिकवलस्यरपेकगडकस्यशकुलस्यानिचोलस्यरसलिंग जरत्यरवेद्याः२३पबनस्यारिवरिवरिकायाः२पल्याटस्य 2 गस्त्र उत्तानशयनस्पतनक्रस्यरसिंहनादस्य कर्णमलस्य नासिकामलस्याादनमलस्यनिव्हामलस्यै स्वर्णकारस्य दरिद्रस्य 2 // 15 || विद्यायाःपसहमस्यआश्वस्त्रस्यरदोषस्यलायोजनस्यना ल्वस्यर कवचस्य कूर्मासस्य॥१७ उरस्त्राणस्यरजंघात्राणस्य 2 // / - - - -- For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir mo % m % 33 mammam % - - हारावली 35 पादावधि: धिमन्यवः॥२०॥श्वशुरस्वामिजनकःरसाधुधीर्वरक्रमा लाभगसार्थस्तथाविद्धोरहेलाकुकोऽश्वविक्रयी२॥१॥गृहा | वित्तीगृहपतिरस्तंबीयुर्णलताबुजशलोहिकारवरसोनिः || स्यालिलिपस्त्रिदशःस्मृतः॥२॥गडपदीभूलतारस्यान्मंड|| रीघरीरमता॥स्वछटय गुलिसंदेशोरलंघनचापतर्पण ||गजढक्कामदानातःशृंगारोगजमंडनं॥प्रतिमोरणरंकः२ स्यालेटककदरःशृणिः॥३॥४ावीचीनललता डिः३फेणा ग्रबुद्धदेविदुः॥जंबालोजलकल्कारस्यादारणि कुलदंडकः॥ ॥२॥॥विनाकृतविरहितगडूपोमुरवपूरणे॥काष्ठमल्लःश | यानंरकपायास्तूवरोरसः॥६॥पर्वावधिःपरग्रंथिःपिजो मलापत्रकाढला|गोहल्लंगलंगोविद परिघोहारकंटक-२ करंचूर्णसंडेरस्यातकर्कसारंकरंभकास्पायामर) सिंहर्षः२कठोरंकर्करर विदः॥८॥बंदीकवरकीरमाहुरास टीलएरवद्विकारंघदराजःस्मृतःकुंभोरगर्गरीकलशिमता। विदुरजन्यमुत्पातर निर्यातव्योममदरशापयतिकारण नशोरगागेष्टीकटशर्करा२॥१॥उकाकुलुकगंजारस्यात॥ man A damom देवप्रासादस्य यज्ञस्थानभेदस्याणपूल्या रयथार्थस्यस्य धस्थानस्थरबंधनवेश्मनाराकाष्ठाग्नेःरतणाग्नेः२करीपाग्रेः ज्वराग्ने २२०॥श्वरस्यरश्वश्वाः२कुटिलस्यअश्वविक्रयिण:२॥ गृहपतरतुवीपुष्पस्यश्लोदपुष्पस्परत्रिदशस्यराधूिलतायाः२) पुर्यःअंगुलीधने:२लंघनस्य॥३॥गजढकायाः२ गजशृंगारस्य २रणकातरस्य।४॥अंकुशस्य३४ातरंगस्य३ फेनाग्रस्यरजलकर ल्कस्थरारणे:विरहितस्पर गंडषस्य:शवयानस्पर कषायस्या ॥२६॥अंगुलीपर्वणःपिजोलायाःगमयस्यद्वारलगुडस्य। कर्क रस्यरदधिसत्कोरम्पर्धायाःरकठोरस्याकवर्याःरलपुरवतायाः२, - Ans -wirememomenorma m m For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % 3D A - - - - - - - हारावली 32 पादावधि, लकूस्तालमर्दलः॥सूक्कोणेडमरुकंरसूत्रवीणाचलावुर॥ की॥१॥मेलानंदोमसिमणिरलेखनीवर्णतूलिकारधातूपल कठिनिकारमेलापत्रांजनमसिः॥१२॥तकैटीसूत्रलात३|| झल्लोलस्तर्कलासकः॥वर्तुलातर्वापाटीस्यार संजिकाठूला नालिका२॥१३॥निर्वेष्टननादिचीरंदग्धेटकास्याझ्झामकम् // दोलाप्रेवापुमान्प्रेखोवारासनंबास्सदन॥१४॥पिटवर्ति स्तचमसरनियापूपश्चरुव्रणः॥म्लेछितपरभाषायांलुटि कान्यायसारिणी॥१५॥शूकापूस्तृणमणिरछात्रगंडप दाद्यवित्॥कोशकार-काष्ठतेतुर्गुणःस्याकाष्ठलेखकः॥ ॥१६॥विषशृंगीभंगरोलोस्वरोलस्तणषट्पदः॥तुदुमोरंध्रब वारस्याहीनालिंगालिकारस्मृता॥१७॥विदारुकतंचपादो। २गुणश्वालिश्वश्चिकः३॥पद्मासंपद्मवीनरचकर्णिका बीजमातका॥१८॥रंगमाताभवेल्लासारधीलटिहिता२॥ मतचाटलोलश्वदलोलोरजेंगटोदोहदःस्मृतःगयी| तांजलीधौतबलीश्वनकंदुग्धपाचन२॥चित्रोक्तिःपुष्यशका टीश्चासेचनमतृप्तिरुता॥२०॥कालरात्रिर्भीमरथी - - / / कुंभस्यरकलश्या:शराउत्सातस्परनिर्घातस्यगुणभ्रंशस्यरकट शर्करा याः।उल्कामे करताल्म डमरुकस्यै सूत्रवीणायाः२११ामसि | मणेःश्कलमस्परथातूपलस्यरमसेः३।१२॥ तईट्याः३ तर्कलासक) स्यरतईपीठ्याः२तूलनलिकायाः॥१३॥निर्वेष्टनस्परदग्धेष्टकाया ॥२दोलायाःरजलस्थापितमंचस्या यज्ञपात्रविशेषस्य रचित्रपि टकस्यरअपशब्दस्परलुटिकायाः२॥१५॥तणमणे:२पादायवेत्तुः२को शलमेरघुणस्य॥१६॥विषशृंगिनःश्तणषट्पदस्यरंधबोः२ / / दीनायाः१शकचपादस्पर रश्चिकस्यपद्मवीजस्यसन कोशस्यशालाक्षायाःरदुहितुः२सुचंचलस्सरगर्भिण्यभिलाषस्यो % 3D - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हारावली३३ JALA - nema - HEL a Mame स्वाध्यायोनिराकृति:॥ ब्रह्मवादःश्रुतादानंर विश्वकद्ररखेति / २॥२१॥हिंसालुकःरवादुकःश्वायोगितोलर्क र इष्यतााट्री गडस्तूर्यगड-रस्थादादोमुकुर:स्मृतः॥२२॥राहत्स्टोर / |सोन: स्याद्वंगरीकोलनासिकारमयट-स्तृणहर्म्यः स्यात् गोमेचमेडयः॥२॥स्त्रवद्रंग-पणग्रथिः श्चितिकाटिश खिलाविशारदाप्रसिद्धेस्यात्श्रीलक्ष्मीरिदिरा३मता२४|| in तिपादावधिः॥ ॥प्राकशालाहकशब्दाद(पादैरतः। परंशब्दाः। नानार्थाअपिशब्दैगजशब्दालभृतिविज्ञेया:२२५) i - -- ma n oNORITUTERRIBE R Em R IA|धीतांजल्या:२टुग्धपादनम्यरक्षशंकरस्य अमिरुनः॥२०॥ कालराज्या: अस्वाध्यायस्य ब्रहावादस्परमृगयाकुशलशुनः 9215 हिंसालकशनः२उन्मतशुनः सूर्पविशेषस्य आदर्शस्यालसुन स्य कोलनासिकायाः२ तायुक्तहर्म्यस्य २शस्यरक्षार्थकुटीरस्प४२३|| पणग्रंथेः२ कटिशृंखलायाः२प्रसिद्धम्य र लक्ष्म्याः 2 // 225 // // ॥अथनानार्थः॥ क्षीरदारोगुडक्षोदेगुहेमधनिष्यतारूपीदपानमिळंतिकेनिपा| तेचवारिधौरहारसालारमनायास्यान्मथितेदनिपाणिनागा पांचलोदेश्रुतिकतःप्रावि तेसरीपेक्षाविदोद्रौलवणेपि || विभूषिकेरवदिपिचवितंडाकरवीर्याचदर्विवादप्रभेट्योः॥२८॥ कारंडवकरंडःस्थाप्रकोपेदलादले खटाले पाण्यधरूपे || प्रहारांतस्कयोः // 39 // पे छापूगछा कोषेचोलिकामणिलाला योपिछलोस्फोटिकावालारामावातानुपाशवः३०॥ धरो कुरो। वायुफलेनासीराशो करेपिचकोट्टारीनागरे पेयष्कारेण्याच पाटके॥३१॥ नागोजनानागयष्टिकारसुंदरिकाकृचित्"पूल्य डापूतिकीटेचगंधकीटेचरश्यते३३॥ कटुकायां कंचटकेकाथ॥ lomaasee -m.ve-i- ram meme -man- n amenat a mmne-... For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - mmmmmmmmmsand - - हागवली 34 ताशकुलादनी को चाटनस्तघेचुल्यांचिचोटकमृणालयोः। ॥३३॥सतानिकाक्षीरसरेतथामर्कटजालकेाखडधेनुफलेफेने|| परांजस्तैलपत्रके ३॥भालांकोलोहितेदृष्ट-करपत्रेचकलयेगा। संकरोग्निचरकारेसंमार्जन्यपसारिते॥३५॥ गोधाकलंबिका। दंतिवधूषुचकटभरागपंकारशैबलेसेतौसोपानेजलकुजके // 36 // पृष्ठशृंगीतिशब्दोयंदेशभीरौपृथूदरेगमेघपुष्पंतुनादेय पिंडाभ्रेसलिलेविदः॥३७॥ पित्तज्वरेकुलालस्यपवनेकूटपाल|| कः॥स्तनरंतेपिप्पलकंतथासीवनसूत्रके॥३८॥पाटलिको. न्यमर्मज्ञेछानेस्यात्कालदेशिनिगजिन्दापोरषदशेचस्यादि द्रमहकर्मणि।तालाभेकामगुणेरुपेआमिषारख्यातुभोजने गछायापथेचवायाहरितालीध्वनिर्मतिः॥४०॥मालुधानभित्र सर्पमहापद्मपिदृश्यते।उन्मतेक्षपणेनर्थकरेकार्यपुटध्व // निः॥४१॥सांघाटिकांविदुर्युग्मेकुहन्यांजलकेटके।शराहतेचा सर्पचपचलाकंप्रचक्षते॥४॥चंद्रिकायामजधूलोरक्कोगेहरि।। चंदनास्त्रीरत्नेचहरिद्रायांलाक्षायांवरवर्णिनी॥४॥रुकलासे चित्रकोलेतृणगोधाजनिविदःगडिंबंभयेचकललेफुप्फुसेचन चलते४४॥धुंधुमारःशक्रगोपेगृहधूमेगहालिकेतिक्तपर्वाहि लमोचीगडूचीमधुयष्ठिषु॥४५॥जलबिल्व-कर्कटकेपंचांगेज लवल्कले।चौलकीनागरंगेचकरीरेकिष्कपर्वणि॥४६॥कुला लचकेवाहनेदंडार:शरयंत्रकेगदिग्जयेवरयात्रायादेडयात्रां विद बंधा:॥४७॥उष्टेदासीसुतेचैवदासेरकतिस्मृतः जलगुल्मों जलावतेकछपेजलचत्वरे॥४ाकाहलावेणुवीणादिध्वनि नानाध्वनिविदुः॥ ॥घोंघेकारुंडिकायांचजाहकध्वनिरिष्य // ते॥४॥विद्यादुत्कलिकाशब्दमुत्कंगवीचिवाचकंदशिवि सूचकेच हिजिव्हःपरिकीर्तितः॥५०॥मदमत्ताविदग्धस्त्रीन तकीचवाणिनीरोमावलीमेघमालाकरटीषुचकालिका॥५१|| - - - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Panemandsomeonem a - - - - - one +T dipomanduaamana हारावली 35 मंजुलोमधुरेकलेजलरकेजलांचले|अनुकंपस्तरस्सीस्या। तपस्वीचधतव्रतः५२॥ // इतिनार्थाश्लोकावधिः॥ // शाल्पवृकौकपिशा नौनिष्परःकठिनेत्रपे॥छर्दनोलेवनिबे न्युटकल्पेतथोषिते॥शाइसौकरीरेकोषांगेवणचिन्हे धुणे ॥किणनिर्मठंचंकेपिगेछेकापडधिवक्रयोः॥५४॥धारा श्वातकेवाहेलेजःस्यात्यंगकछयो।नर्मटःखपरेसूर्यगोकी|| लोमशलेहले 5 डिरीर्वारुकूष्मांडौफाणिगुंडकलेबयोःगतमा जनेफेनेलदाशिन्याखगांतरे५६ गजेपिनागमातंगौविशेषस्ति। लकेपिच॥निष्पारःसूर्पनातेपिसूत्रकेठोदिजेपिच५७ विटुप्यपि स्मिनोवेधाःपरदेहेपिदश्यतास्वरेपिकेठारख्यातःशरत्संवत्सरेपिच ||गलासापिजतुकाप्रोक्तालग्नारापिहिंडिकः नौसेचने / पिवारुंडापादालिंदेपिपकिलः॥५॥कचोगीष्यनिपुनेपिदेवि भ्रमरोबटौभांडेभूषणमात्रेपिरुधिरंकुंकुमेपिच॥६॥ गोमेदकेपिगंगोलःकदाहोनिरयेपिच॥मरीचेपिभवेत्कृष्ण शूनांगेराणिकाभवेत्॥६॥शल्यामपिरखड्धेनुर्निस्त्रिंशो! करुणेपिचारकंधाबारे पिकटकोविंदस्तुविदुरेपिच॥६|| जलसूचिर्जलौकापिवेश्यायामपिपिंगला अहिरप्युदरा वितेविशारवापिखनित्रकः॥॥भ्रमर कामुकेपिस्यादंगी|| कारेपिचाथकिंगमहालयेपितीर्थस्यातभोजनेपितथान्दिा कं॥४॥बलिश्वामरदंडेपिपादपीठेपिपादपःगोदंतोहरिर) तालेपिवानीरश्वित्रकेपिच॥६५॥आधारेप्याश्रयःप्रोक्तोग जसंघेण्यवग्रहः।कथिताप्ताजटायांचमार्गणेपिमृगःकरा चित्॥॥मूषिकापिभवेदीनाजटाटेकोहरेपिच॥अश्रम कतपिफोटंमृद्भाडेप्युष्टिकाभवेत्॥६॥अंगसादेपिसद! नवनदावेपियिझिमःदंतमासेपिवेलास्याबुल्कंनारीधने || पिचगानिवेपिहिंगनिर्यासोमेलानंदेपिवादलालेखन्यो। - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - हारावली 36 कर्णिकापिस्याकटिन्यामपिवर्णिका॥६॥पटलेपिकासम|| मोदिष्टंदैवेपिकीर्तितंगदाडिमेपिचदिंडीरंवंशोवेणोकुलेपि च॥७॥ ॥तिनानार्थः॥ // काव्यादीनामनंतत्त्वाच्छन्दादीनांविशेषतः॥वकदाकेनकि॥ दशमितिकोवेदितुंक्षमः॥७॥अतःशब्दःक्कदृष्टोयमर्थत वापिकीरशः॥तिकाव्यमलीकंस्यान्मात्सर्यमलिनात्म माना॥७२॥शब्दार्णव उत्पलिनीसंसारावर्तइत्यपिाकोषावाची स्पतिव्याडिविक्रमादित्यनिर्मिताः॥आदायसारमेते मन्येषांचविशेषतःहारावलीनिर्मितेयेमयाहादशवत्सरे In७४॥उपास्यसर्वज्ञमर्मतमीशंभूत्वातिथि श्रीतिसिंह। वाचाहारावलीगदशमासमानैर्विनिर्मितेयं पुरुषोतमेना। Insuनानाकाव्यपुराणनाटककथाकोषेतिहासस्मृतिज्योती तिः शास्त्रगजाश्वमानवभिषकोषान्प्रयत्नादियादृष्टान्या/ निचशाब्दिकैःसहकृताहारावलीयत्ततःकर्तव्योत्रनेसंश // यःसुमनसशब्दार्थेलिंगेवपि॥७६।सुधियाजनमेजयेन यत्वात् धुतिसिंहेनसमंनिरुपितेय।विदितोबहरवभिः कवींद्र विकोषानुमतःश्रमामदीयः॥७॥हित्वामहाशा ब्दिकताभिमानमात्सर्यमन्यत्रमुहर्निधायाहारावलीयः॥ प्रकरोतिकंठेविदग्धगोष्ठीषपरंसभाति॥७॥॥तिश्री। महामहोपाध्यायपुरुषोत्तमदेवप्रणीताहारावलीपर्यवसिता ॥तिहारावलीसमाप्ता mmm mmmmmm------ - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धनंजयकोश - गिणोशायनम: यामन्मीलमायापातुभ्यो गाणीवीं | ADDR. 100 श्रीगणेशायनमः॥तन्नमामिपरंज्योतिरवाड्यनसगोचरमानु। मीलयत्यविद्यायद्विद्यामुन्मीलपत्यपिाहूयातयमभयंय मलयुगलैयुगायुग्मेद्वंयमधपादयोपातुजैनयोगऋषि येनिमुनर्भिसंस्तायसंस्मयतोव्रतीतपस्वीसंयमीयोगीवी साधुश्चपानवाशदीक्षितमाण्डशिष्यचतमतेवासिनविदुः। हितान्तागमसिंडाला ग्रन्यश्शास्त्रमतःपरमभूमिभूपृथि वीपृथ्वीगरीमेदिनीमही धरीवसुमतीधात्रीक्षमाविश्वना राबनिःपावसाधरणीक्षोणीमाधरित्रीक्षितिश्चकु.॥ कुंभिनीलीवरीचौ:जगतीगीर्वसंधदातत्पर्यायधर शिलस्त पर्यायपतिपः॥ तत्सर्यायसहोवृक्षशब्दमन्यच योजयेतोगादरीमदचलःशृंगीपर्वतस्मानमानगिरिः॥नगा शिलोचयो दिश्वशिरवरीत्रिककुनमरता प्रस्थपाचे तसानुमरखोपत्यकाती॥नितंबीतोदतश्चतदानपिगि। रिस्मृतः।गाराजाधिनापतिःस्वामीनाथ परिव-प्रभुः॥ श्वरोविभीशनोभर्नेन्द्रद्नईशितारिगानीकहस्तमः शारखीविल्पीफलिनौनगः।ट्रमोडापिफलेग्राहीपादपो गौवनस्पतिः॥११॥ तत्पर्यायचरोतेयो हरिवलिमुख कपिः नर-पूवर्गवैक्गोलांगूलो मर्कटः॥विपिनंगहनं कसम र पर्यकाननंकनमाकान्तारमंटवीदुर्गतच्चरस्स्याटेनेचरः। ||१३॥पुलिन्दशबरोदस्यनिषादोव्याधलुब्धको॥धानकोय // किरातश्वसरण्यानीच स्मनःशवयात्राारिकंपयो भो॥ पाथोर्णसलिलंजलम्॥शरवनकशनीरतोयजीवनमा विषमातत्पर्यायचरोमत्स्यस्त पर्यायप्रदोधनः। तत्पर्याः॥ योपयतत्पर्याय धरोम्वधिःपथरोमाषडक्षीणो या दोवैसारिणोझषः॥ विशारीशफरीमीन-पाठीनो निमिषस्ति मिकालोचनाघनोधनौमेघोजीमूतो धवलाहकापर्ज C // 15 // - - - - - - - - Rames - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - ama ४.शम्यान me - एकादश . धनंजयकोश 2 न्योमुदिरोनभ्रातडित्सोदामनीपविशक्षिकालिकीस चिनियुनत्यतिरंबदनिर्घातमशनिवच मल्काशब्दच योजयेत्। पिरिषत्कर्टम करतज्जतामरसविदुः कमलेन लिनपदासरोजसरसीरुहम्॥२०॥खरदण्डकोकनदंपुंडरीक महोत्पलाइंदीवरचारविंदंशतपत्रंचपुष्करं॥१॥सोगंधिकंतु कल्हारेहल्लकंरतसम्यकम्गस्याडेल्पलै कुवलयमथनीला। बजन्म // दन्दीवरचनीलैंस्मिनसितकुमुदकैरव मिताली विसिनानेयावततीवल्लुरीलीवल्लीनामानियोज्यानिवारिधि|| वर्ण्यतेधुना॥२३॥ स्त्रोतस्विनीधुनीसिंधुःलवंतिनिम्नौपगा: नदीनदौहिरेफेश्वसरिन्नाम्नीतरंगिणी॥२४॥तत्पतिश्वभवस्य। ब्धि पारावारो:मृतोद्भवाअपारवारो'कूपारोरत्न मीनाभिधा करः॥२५॥समुद्रौवारिराशिश्चसरस्वान्सागरोरर्णवः सीमाप कण्ठतारचपाररोधोऽवधिस्तटम॥२६॥भगेस्तरंगःकल्लोलो' वीचिसत्कलिकावलिः॥पालीवेलातो च्छासीविनमोयम दन्वतः॥शामनुष्योमानुषोमोमिनुजोमानवोनरानाप मान्पुरुषोगोधोध स्यातत्पतिर्नुपमाभत्याभूतका पत्तिःपदाति:पदगोऽनुग:भटोऽनुजील्यनुचर-शस्त्रजीबीच किकरारास्त्रीनारीवनितामुग्धाभामिनी भीरुरंगनाल लनाकामिनीयोषितयोषोसीमंतिनीवधूः॥३०॥नितविन्यवा लाबालाकामुकीवामलोचना।भामातनूदरीरामासुंदरीय वतीचलाशाभार्याजायोजनि कुल्याकलनेगेदिनीगृहंग महिलामानिनीपत्नीतादारा-पुर,यशा॥वल्लभाय || सीप्रेष्ठारमणीदापितांप्रियागदष्टाचप्रमदोकांताचंडीप्रणाय नतिय नसतीपतिव्रतासाध्वीपतिवत्यैकपत्यपि।म| नलिनीभवत्यार्याविपरीतानिरुप्यते इसवन्धकीकुलदोम तापुन पुश्चलीखेलास्याभिसारिकादूतीखरिणीसफ A munana 9 C - 2 - . ना - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir women 10 % 3D M 16 - सरप धनंजयकोश 3 लीतयो॥३॥गणिकाल निकां वेश्या स्पानीवाविलासिनीपप्प स्नादारिका दासीकामुकीसर्ववल्लभाकान्तष्टोदपितःप्री त:प्रिया कामांचकामुक वल्लभोरुपतिःप्रेयानविटेश्वरमण वरासावित्री जननीमाताजनक सवितापितादि होपा |पनकायोडावपुःसंहननतनु:३८॥ कलेवरंशरीरेच मूर्तिरस्मि सिवन्मतः॥ पुत्रस्सूनपत्यचतकतोक चात्मजनना३ / | उमाना जातादीकोनन्दनौकानंधयोत्तानशेयोती। ले दुहितरनिट मध्यगालीसहचरीमधीचीसवमा सरली आली विवलितमित्रसम्बन्धोमित्र सुक्मुहतासानन्ती सदकारीसहाय सामन्यायिक सनाभिसँगानौबन्ध मोटयो / बरसीनुल 4 // कनीयानग्रजोज्येष्ठौभ्राजानीस्वमाननी। भिलुरवसाननान्दास्यान्मातलानोतियाम्बिकापड वेरियण, तिर मिरिहिट्सपत्नोद्विद्रिपुः मातन्यौदर्जनशत्रुर्दष्टोडे / पीखलोहितः। ४ादीधितिभानुरुस्त्रोभुर्गभस्तिःकरण कर। पादोरुचिर्मरीनिर्भास्तेजॉर्चिौधतिप्रभा॥४५॥दीतिज्येतिमी, हो धाराश्मिा विभावसुशीनोहमप्रायपूर्ववेतद्नाबिंदुभा स्करौशशीविधुम्मधारश्मि को मुदीक मुदप्रियः।कलाभ चन्द्रमाश्वद्रकांतिमानाषधीश्वर नाइनिभानितरिक्षन | शत्रतत्पतिनिशीक्षिणदारजनी नक्तं दोषांश्योमोक्षपाकरता मातरणिस्तपनोभानुयूषार्ममारनितिग्मपतंगोधुम जित्तिडौकोनहाधिपः॥४॥इनःसूर्यस्नमोध्वान्तस्तिमरारि॥ विरोईनः॥दिनदिवा दिवसोवासेरम्लत्करञ्चमः॥५॥ नाकाबपर्यायवन्धुःकमविधियः। यमुनायमकानीनजन कासवितामतःसावाहोबस्तुरगौबाजीहयोधर्यस्तुरं गमः।सतिराहरीरथ्य-सप्तारवमयूरवानाशारवि हायोवियद्योमगगनाकाशमम्बरं द्यौर्नभोभ्रान्तरिक्षचमेघ % 3333332 - - - - - - -- - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धनजयकाश 4 श:वापस ORERARMmaaamaAR . पडदेवस्य %3 टिपा: / - - स्यापि वायुपयेथ॥५३॥ तच्चरखेचरस्तंग:पक्षीप त्रीपतन्यपि॥श॥ कन्तःशकुनिर्विश्वपतंगोविष्करावयाापूजाइलैपिशितमा संपलं पेशीचतस्त्रिया यातुधानेस्तयारसोरान्याट्चिदृष्यते। पासतोऽदितस्तहि हुन्वासेन्ट्रौदेवासुरोमारवाः स्वगाथा नाकश्चतहास स्त्रिदिवामनः॥५६॥ तत्पतिश्शदन्द्रभ्सुनामी शासक्रतुः॥प्राचीनबहिःसुत्रामाबजीचाखण्डलो हरिः।।५।। शत्रुर्बलस्यगोत्रम्यपाकस्पनमुरेपिनिहाचसहस्त्राप्योंगी। शिव पुरन्दरः॥५॥विडोजाबासरोनायावासबोहारिवा|| दन।मरुतं मरुत्वाश्रावणाधिपः॥५९ शतमन्यः / / स्तुगाईपुरुदतश्यकौशिकासकेंदनौरथमघवान्युलोमा || रिमसत्सख-काशककुट्टिगोशाचदाकल्यातमाहरिता निस्पोयात्परंयोज्यशाःपालगजाऽम्बरम१६॥ पवन पवमानना वायुर्वतोऽनिलोमरुतासमीरणोगन्यवाह श्वसनश्वसदागतिः || ||१६३॥नभस्वान्मातरिश्वाचचरर्जवनेश्नल प्रभजनोस्यप र्यायपुत्रोभीमांजनात्मजोराक्षसातत्सखोरग्निशिशशी वदिपा वश्वाशुशुक्षणिः॥हिरण्यरेता:सतार्जाितवेदालनूनमान स्वाहापतिर्हताशश्चज्वलनौदहनोऽनलः॥वैश्वानरःहशानश्च लोहिताश्वौविभावसु॥६५॥ इषाकपि-शमीगौहत्य वाहीह ताशेनः ॥धनंजयोवीनिहोत्र:ष्णवमायुषर्बुधः। तदादिसून सेनानी स्कंदस्तशिखिवाहन:॥६६॥कार्तिकेयौविशणवश्वकमा -षण्मुखोगुहः॥शक्तिमानकोचभेदीचस्मीशरवणोद्भवः | इजन्माब्रह्मचारीचमहौजादैत्यघातकः तपितोशंकरश्शंभः // शिवस्स्थाणुमहेश्वरः॥६॥त्र्यंबकोधूर्जटिश पिनाकीप्रमा याधिपः॥त्रिपुरारिर्विशालाक्षौगिरिशोनीललोहितः॥६॥रुद मौलीयज्ञास्त्रिनेत्रोषभध्वनः।उग्रःशूलीकपालीचं शिपिचि / / टोभवोहरः॥६॥ उमापतिविरुपाक्षोविश्वरूप-कपीषिभिागी - NA २मंगायात For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धनजयकोश 5 - - - - - - % व्रतःत्रमरोमधपीपष्पलिकमलासनः अलिर्मधुरूत्सरचरोशेलंवञ्चशिलीमुखःषट्पदोतैहिरेफश्चने पश्चैवमधु D राव रथी-त्रिपथगाजान्हवी हिमवत्सुता मन्दाकिनीधुपर्यायधुनी || गंगानदीवरी विधिर्वधाविधाताचदहिणोजश्चतुर्मुरवः॥३०॥ पद्मपर्याययोनिश्चपितामहविरचिनौगहिरण्यगर्भ स्रष्टाचा जापति सहस्रपात॥१॥ब्रह्मात्मभूरनन्तात्माकस्तत्युत्रो महिनारदलिष्णादामोदरी विष्णुरुपेन्द्रःपुरुषोत्तमः॥७२॥के शवबहषीकेशःशाङ्गीनारायणो हरिः। के शीमधुर्ननिर्माण हिरण्यकशिपुर्मुरः॥७३॥ तदादिसूदन शौरि पद्मनाभोप्या धोक्षजः॥गोविन्दोवासुदेवश्चलस्मी श्रीगीमितीन्दिरा॥४॥ तत्पतिःशैलभूम्यादिधरश्चक्रधरस्तौतित्पुत्रीमन्मथ कामः सूपकारिरनन्यजः॥७॥कायपर्यायरहितोमदनोमकरध्वजार शिलीमुखःशरोबाणोमार्गणोरोपण-कणः॥७॥षुकांडैक्षुर प्रचनागचंतोमर'खग:कामुक धन्वचापंचधुर्मकोदंडके धनुः ||॥७॥शिलीमुखादेरसनतकोटिमनी विदीपुष्पसुमनस फु ल्लेलतान्तंप्रसवोइमो॥७॥षसूनकुसुमयतदायस्त्र-शरः || स्मरास्वान्तमास्वनिचित्तंचेतौन्तःकरणमनः॥७॥ हृदयविशि वाकूतमारस्तत्रभवोमतः॥ौवीजीवाणुणोगल्याज्योलिभुः / शिलीमुखः॥५०॥भ्रमरःषट्पदोज्ञेयोहिरेफश्चमधुव्रतः।मौल्यों दिप्रान्तमल्यादिकन्दास्यभवानुसाहतिरस्त्रायुधंश / स्वपुष्यावस्त्रःस्मरोमतः जपताकाकेतुश्चचिन्तजये त्यपिपरतत्तदंतोझपाद्यादिशेमोर्विघ्रकरःस्मर कोसयकौसिनिस्त्रिी श:पाण करवालकः३तरवारिमंडला खड़नामावलिबिद अक्षाहि। जीवलीनीकंवाहिनीसाधनेचमूधिनिनीसनातनीसैन्यदंडावरुथिनीष माकदनसमरैयुद्धसंयुगकलहरणम्॥५॥संग्रामःसम्परायाजी। संयटौहार्महादव। गजामतंगज़ी हस्तीवारणो नेकपःकरी॥ ॥॥दन्तीस्तम्बरम कुंभौदिर भी मतंगमः।शुण्डाल:साम| जोनागौ मातंग:पुष्करौंदिपःकरेणु:सिन्धुरस्तषुगन्तान मौर्वाज्याशिजिनीवावागव्याचैवगुणस्तथा / N mmammee- name - meaniwoman % 35 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir a nd -o - - - -- aana - - - - धनजयकोश६ स्तिपके सने सिंहस्य - लिानिषाद्योपानागारिकंठीरवामृगेन्द्र केसरीहरिः॥१८॥ व्याघ्रश्वशुरःशार्दल शरभोटापटो पातक्रिोडौवहारोद राष्ट्रीचंवृष्टि-पोत्रीचशूकरः। कोलकिरि:किटिचोंणीभूदारक दमप्रियःस्तिोउष्ट्रोमयःशृंखलाकरमाशीघ्रगामिकः॥ कोले यकःसारमेयोमंडल:श्वापुरोगतिः॥०॥जिव्हापोग्राम शाईल कुक्कऐरात्रि जागरः॥ हेमचाष्टापदेस्वर्णकनकार्जु नकोचनम्रपासवर्णहिरण्यभर्मजातरूपचहाटकमात तपनीयकलधौतंच कार्नवरशिलोद्भव९ि२॥रुप्यरजतगाला कातिजमौक्तिकतोगक्तिवस्तवरूद्रव्यस्वार्थराइविण|| धनम्॥३॥कवरत त्पतिहिकुबेरंचैकैपिंगलमावैश्रवण राजराजमनराशापतितथा॥४॥अलकानिलयश्रीदेधनपा यदायकाराष्ट्रजनपदोनयोजनान्तीविषय:स्मृतः॥ 5 // रीपू:पुरनगरी पत्तनं पुटभेटुनौविलपनर्मास्यच बदलिना दनमुखम् आनन श्रवणश्रोत्रंश्रवकणेति विदः॥॥ गहिचानयनदृष्टिनेत्र विलोचनमस्क रीक्षा विभ्रमस्तस्यवहतमदिन्तावासोधियोसवर्णितोदशी नछदाराशरोध गलागीवकिटमधमनीयमादिदोष चभुजाबाद-पाणिर्दस्त करस्तथालाप्राहा हशिशेसच। हस्तशाखाकरांगुलि नासाप्रोणमुरोद कुक्षिस्यज्जिठरे|| दिरैम। १०॥स्तनं पयोधरकचौक्लोजॉइनिवर्णितीणकटिनि तम्बोणीचजघनंजानुजन्हच॥॥चलनंचरणंपादक। मोनिश्चपेटविदुः शिरोमतिमोगकारपोरेतरितम् // ॥२॥वाग्नचौवचन वाणीभारतीगीरसरस्वती सिंहदिपधने गजेहिषांश्चैवृहितगजे३॥स्फीततधेनकलभेस्तान जलदेतथा। स्यन्दनेचीतखेतमभटेधुष्टौचहतमा सीत्रुतमाणितकामेखतखलायुमंजीरक लोका 3pm 7 करा 3 - - 25E0 3D - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - K e -- - --- - - mom S DHANEL - m - धनंजयकोश निरंतत्रता कोकमरुतिौचहसयोश्वे कृतमत प्रितीतसरतलब्दष्टपरिचितस्मता सेस्थित दशमीस्यों चपरासुचमृतविदुविदोषाध्यमषश्चरद्वोपक्रोधमन्यवा आहर्ष प्रमोद-प्रमदोमुत्तोषानन्दमत्सर्वपिनुकम्पानको शोहितोक्ति करुणादयोदशेमुषोधिषणांप्रजामनीषाधी स्ताशयवानोमेधादिमान्विानभिरूपौविचक्षणाप |ण्डितस्तूरिराचार्योवा ग्मीनैयायिकस्मृत पारिषद्योवृधः सभ्य सदस्यों संसभोचितः ॥आस्थानाधिपतीराजारात लनिवसनवासश्चीरमम्बरम का वस्त्रायन्तदिगाद्यादिसजि तोषभेश्वरः॥१२॥विष्टपेभुवनलोकोजगतस्यपतिर्जिनास बजोवीतरागोनिकेवलोधर्मचक्रभृत्॥१३॥तीर्थंकरस्तीर्थकर स्तीर्थ दिल्यवाक्पतिवर्षीयान्तरमोन्यायान्पुरुषायःजा, पतिः॥१४॥स्वाद काश्यपोब्रह्मागोतमोनाभिजो ग्रजास न्मतिर्महतिवीरोमहावीरोयकोश्यनाथोरवयोव ईमानीय तीर्थमिहसप्रितम्।कुकुमरुधिररक्तकस्तूरी मृग नोभिजा॥१६॥कपूरघनसारचहिमसेवेतपुण्यवानासमाल भगिरावप्रसाधनविलेपनम्॥भूषणाभरणसेच्यमाल्पा म मालागुणस्लूजमा मेखलीरशना:कांचीहमपर्यायसूत्रक।१० कुरीमा श्रोणीविकटीसूत्रमान सूत्रमिवाहित मदिरोमद्यमैरेयसी नगा धुकादम्बरी मिराम्॥१॥प्रसन्लावारुणीहालांमधुवारांसुरी विदुः॥शुडासर्वक व्यषःशैण्डागर्वितमयोग२०॥सक्तोः॥ क्षयूतपाने विचित्राशब्दपद्धतिसिपियंगवीनाज्यदुग्ध सीरामृतपयशादचिन्मथिततकालसैयपिवेहरू प्रायोवयोदशनेहपूर्णयौबनविदुः॥२२॥लारुप्ययोवनी | त्योवान स्थविरोमतःविशॉन्वयोरेन्ववाय:स्यादन्नाय संततिः!!! RADE a MMARomdown mmarwanapadaanaamanaPape नीविमानमत्रा डा मना-एकम - - w oan NIRMA awoolewan - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - D13D न - सपथाट्विाहातो - % 3 धनंजयकोश कुल॥२३॥उद्योवर्गवसंतान काव्यमेवक स्थिति हसो || मरालेश्चक्रांगोद साह सनातने समयूरीबाई केकी शिवीपार्टिकस्तथा।नीलकंठकलापीशिखंडीतत्वैतरी|| होरिडाधिएटावारलीदेसीकाका गोचक हरिणो मृगः पतस्तदंकशर्वरीकर-६॥पनगहिर्विषधरोलेलिहानोंभुजे गमनागोरेगी सप्यस्लीवनितीमजा पांग गरुडस्ताक्ष्योगरुत्मानुशकुनीश्वरः॥इन्द्रजिनमंत्रपूतात्मविन यौविषसयापारिवमिन्द्रियहषीकं चस्रोतो.संकरणाविदुः॥ तिल. // पुण्यभाग्यंचसुरुतंभागधेयंचसत्कृतमा अपमहश्चरित राशि पाभापापंचकिल्बिषम्गजिनकलिलमेनौदष्यतैतन्जीदमा जाता ॥३०॥सदनंसद्मभवन धिम्यवेश्मरथमंदिरम्॥गेहेनिकेतना // ग्रारंनिशांत निवृतैगृहम्॥३१॥वसत्यविसावा संस्थान धामी स्पदपदम्॥निकायनिलयेरुसंशर एय विरालयमाशी खेया। खातंचपरिवावस्याडूलिकट्यममा प्राकार परिधि शाल वा प्रतालागेपुरीतिशासादसोधहपाणिनिव्यूहोमनवारणी वातायनमनालम्बमालव्यमुखमासनम्सासम सवर्ण सlll जातित्सदक्षःसहशसस्वातुल्य सधर्मसरूपस्तलाको पमाभिधा॥३॥विन्मन्योवर्धमानश्चगुरुस्थानौम्चुनिनः॥ सिंहनादौतिपर्यायमुपमानेषुयोजयेतव्यपदेशनि भव्याजेपदैन्युतिकरेललम्॥प्रस्तान्तमुत्प्रेक्षाशब्दमन्या ञ्चनिर्णयता नीतः पुज्ज-समानवसमूहःसन्तति बनी व्यूहोनिकायोनिकरोनिकरच कदंबकम्॥३॥ उघि समुदयः / संघसंघात समितिस्ततिनियःकर पैति ना समजा! बना३॥समीपाभ्यासमासनमःभ्यर्गसनिधिविदः॥अवि // दूरच निकटमवलग्नमनन्तरमोटगयोहलिहलेसीलोंगा लतत्केरोवलरिवतीयितौनीलवसन के शवाग्रजे:18 | apooomnpineamwoman यातस्यप्रकारात यारथ्यामतोलीविशिस्खानगाभ्यन रायनमतिकेशव ताप मिल 1300 T apm बलभरस्य Inda im-dan- sammam For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - - - - - - - - - - - -- - - / ८कालातिरब्याक धनंजयकोश ॥अर्जुनःफाल्गुनौजिष्णुःश्वनवाजी कपिध्वजः।गांडीवकाम || कीसव्यसाचीमध्यमपांडवः॥४॥वृषसेनासुनि कोदैत्यादि। शक्रनंदनः।।कर्णधूलि किरीटीचशब्दभेदीधनंजयः॥४३॥ समवत्तीयम-काल कृतान्तौमृत्युरन्तकः कुरुकीचकयोःश जुर्वायुपुत्रौतृकोदरा मेजोजातरिपु कोंतेयोभरता न्वयः॥ कौख्यौराजलक्ष्माचसोमवंशोयुधिष्ठिरमा पाक | णनीलासितकालेधूमधूधमलिप्रभातमोऽधकारस्तिमिरंध्या ण्डरम्॥शुक्लावदाधवलंपाण्डशुभ्रंशशिभालोहि तरतमाताम्रपौटनेविषदारुणमा गौरी तंद रिट्राभपलीश हरितंदरित पदाहिरिणीलोहिणीशाणीगौरीश्यनशिप पिसिरिडीशवरीकालीकल्माषीनीलपिजीपुरागम) धुकिंजल्कमकरन्दचकोसमम्। उपचाराद्रजःपासुरगंधूली, चियोजयेत्॥५॥ कलंकीवद्यमलिनंकिंजल्कलालांछन निधिमंधमैपंकैमलीमर्समपित्यनेत्॥५॥जनौदाहरणकी अतिसाधुवादयशोविदुः॥वर्णगुणावलि व्यातिमवधान तुसाह समाशाप्रेष्यादेशानदेशाज्ञानियोगःशासनतथागसन्देशः प्रिययावीतप्रिवृत्ति किम्बदैत्यपि॥३॥ठारकठिनंस्तव्य कर्क शंपरुषमा अश्लील कहिलकलोकोमलमपेशलैम्।। Silmanप्रत्ययसाम्प्रतंनन्यननूतनमनिमम्॥पुराणजेरठंजी जप्राकृतसचिरंतन 55 // भोरदहापंचामन्त्रकश्चिकिचन| संशयाद्रिाक्क्षणे दायसपदिनिषेधैमनसल्बलाउने |सच्चावचेतुइँमञ्चमुनतमुच्छ्रितमानीचन्यगातुनकब्जनीनै।। ईस्वनयेत्परमामासहसमसार्कसाईसलसजू समाः // सर्वदसिततनित्यंशदात्यंतिकंसदोष श्रृंगीतिहरिना|| यहरिस्नियनपोगण गनतव्या स्तन महिपीनामदाहको विधेसितंश्वतश्वेतंवलसंगौरपांडुरं साहसंतुबलात्कारकतकार्य नदेपिच॥ LD - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - -- - धनंजयकोश 10 वियोगस्पसमा स्नेहस्य बना वियागमदनावस्थाविरहपल्लविदुः॥प्रेमाभिलाषमालम्बरा। गरिनेहमतःपरमानासहित सहितंयुक्तं संपृक्तसंभृतंयुत संस्कृतंसमवेतच प्राहरन्वीतमन्वितम्शायावास रणि पन्थामार्गप्रवरसञ्चऎत्रिमार्गकानामगाँघोषागा मण्डलंबजेःशकतीनदीमोनिमात कुशलोनिपुण:पद्धः / प्रोहिणः पक्षण प्रवीण:प्रागल्भकोविदेश्वविशारदः॥६॥विदग्धश्चत रौधूर्तश्चाटुककितवःशठकापिनागरिकोजेयोगात्रसेज कनामतता६४ामुग्धौमूढोजडोनेडोमूकोमूचनकदः॥ संदेवानांत्रियाँप्राज्ञोमन्दोधीनामवर्जितः॥६॥षाष्टिकक॥ लम शालिग्राहि तेवकारस्तथाविम शरुत्करिति षोड: दशेनस्मृतः॥६६॥शौएंडोरीगर्वितःस्तब्धोमानीचाहद इतः॥उद्दीउद्रोहप्तौनीचश्चपिशुनौधमः॥६७ चौरेका गारिकस्तेनतस्कर प्रतिरोधका निशाचरोगूढचरोहरिकत्र गिधीपाई॥प्रस्तरोपलपीपादृषधातशिलापना। ताजातर्मयोलोहेशातकं नयेत्परमाइलासाधीयौत्यर्थम स्पतनितांतसुष्टवैशमा तटसाधुखलुस्पष्टविशद कलाः मलम गचित्राचाडतंचोविस्मय कौतको प्यहाँ। अभियोगौद्यमाद्योगाउत्साहौविक्रमामतः विनासा मशान्ते / / रुशंसाणेदीनंजीर्ण पुरातनम्॥शीर्णावसानेन्यूनचधेयर जोयेचपी रुषम्। शरिहा रहसोपानरहस्यवाभिनत्तिके कीनाशपणोलुब्योमुग्धोदीनोमिलापकः क्षित्री | श्वमवरंशीप्रेसहसाझटितिद्रुतमातूजव स्यूदोरहौरयो वेगस्तरोलपु७४ापोशनीतःसितोक्स्सन्धानीतोनियंत्रि|| तानियामित शृङखलितोनिबद्धःपाशितौरिः। शकिरा! न्तंचकमनककमनीयमनोहरमाअभिरामरमणीपरम्प लिम्पच संदर।७४ाचारुश्लरणंचरुचिरप्रशस्तंहृद्यवसरमा PLA manaww - --- --- - - - a nmaamanawwamreya - -- - -- - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir HAMA -. धनंजयकोश 11 तषारस्य दर्शनीयमनोशंचचित्तपर्यायहारिचा७७॥अवश्यायस्तषा रचपालेयतुहिनहिममानीहारतत्करविदिमृगांकरोहिणी || पतिम्॥१८॥पुन्नागेसन्नरंपादस्लिलकेचविशेषकमाल लाटिकाललांमापिपूर्णवादतथाटुमालीअन्दनकजले नागंगपाटलमासूमोशालपरिधिरक्षचकल्यास्त्रीसारिण|| विदुः॥२०॥ चारोवसर्फ गोधनिगूढपुरुषश्चरः। तदानुक्तः सहस्त्रासःसत्याथैखनृतामृतम्गाअत्यन्तायचिरायति हॅकरमाइलोदिति॥प्रयेणेनिकृतश्चेतिविभक्तिप्रतिरूपक हारम्भस्त्रिीकदलीचिन्हमाचासारतसञ्चसा कीचको ध्वनिमदेणेस्तालागेयक्रमोड ३॥पुष्करमुरजेपर्लाह / स्तिहस्तायनायकमानिस्तलवलिस्तस्यपुटविषमोन्नत In84 प्रांशुविशालचबटुलपथूलपृथउल्वर्णदारुण तिग्मंघोरतीवोमुत्कटमौरिया शीतकातमिरैयाप्यमन्द। बुद्धि विदिविलंविनम्॥सोहाईसौहृदंहासोहृतसरव्य सौरभ ६॥मैत्रीमैत्रेयिकाजसहाय्यसंगतमतम। स्वभावःप्रह तिःशीलंनिसग्गविश्वसोनिजी // योगोगुणान कारभ्या सम्यादभीक्ष्णपुनर्मुः।भूषालीक मुधोमोपवितयंविफल स्था॥८॥विधुरन्यसनंकरकच्छंगहन मडरेतासमस्त || सकलसर्वेरुत्स्नविश्वतधारिवलमा शार्शकलेविकलेख) देशकलेशकर्णलवा वमकोशचकलहपरिवाछलनयेत RSP शोणितेलोहितरक्तरुधिरक्षतजासजम्नासताना करतोऽजस्तारवंदंकन्यापतिबगारमाही परिणय विर॥ वाहनधिवेशनम्॥ युधिरवितररन्धछिद्रगर्तचगव्हरम।। // 2 // सरस्पचपाताल नरकयात्यमेधसाजिद भूरि भूयिषुवहिवदुलंवदुरप्रचुरंनैकर्मानंत्यप्राप्रभू तपुष्कले भावोभवश्वसंसार संसरणचसंविदा m aniaR - - - - टेखङ्गादिपिधानस्य - - - - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - %3D अडीक गार्पणमतवावस्य - धनंजयकोश१२ तत्वज्ञश्चतुरोधीरस्त्यजेन्जनमाजवजवी ऊर्जस्यूजस्वी तरस्वीतेजस्वीचमनस्य पि॥५॥भास्करोभासुर शूरत्र की णःसुभोमतः उरीझतमप्यूरीकृतमङ्गीकृततथागर यणम्तनुत्वम्माल कवचमावृत्तिर्वाणवारणम्॥ ॥कूासकंचुकछन्नमतिपत्रों मवारेणमाकेशशिरोरुहवालेकचंचिकरमाहयेत्॥८॥ चूडापाशचम्मिल्लेकवरीकेशवंधन क्षेमकल्याणमे भयंश्रेयोभद्र्चमंगलम्॥॥भावुकभक्किभव्यकशलक्ष ममस्त्रिया॥१०॥वक्तावाचस्पतियंत्रश्रोताशकस्लथाः || पिती॥शब्दपारायणस्यान्तंनगतीतत्रकेवयम्॥॥तथापि किंचित्कस्मैचित्यतिबोधायसूचितम्॥बोधयेन्कियक्तिज्ञ मार्गज्ञःसहयातिकिम्॥२॥प्रमाणमकलंकस्यपूज्यपादस्य लक्षणम्॥हिस्सन्धानेकवेःकाव्यरत्नत्रयमपश्चिम॥३॥ कवर्धनंजयस्येयंसत्कवीनाशिरोमणे प्रमाणनाममालेति || श्लोकानांचशतद्वयम्॥४॥ब्रह्माणसमुपेत्यबेदनिनदल्या l जातुषाराचलस्थानस्थावरमीश्वरंसुरनदीव्याजासथाकेर शवम्॥अप्यम्भोनिधिशायिनंजलनिधिध्वानापदेशादहो| फित्कर्वन्तिधनंजयस्यचभियाशन्दा-समुत्पीडिताः॥१०॥| ॥इतिश्रीधनंजयरुतौनिघण्टः॥समाप्तः॥ - ra RRAREERanamaina-e--- -nohar-wesom - e ma - duinate - i -- Rames - remeone Linemamathemamaeemmmmmmmmmmmmmmmmmmmm m mmmmmmmsenterna - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश 1 - E श्रीगणेशायनमः॥पाशांकुशप्रभृतिभूषणभूषितांगीसोंगर म्यरमणीयविचित्रवेषां ब्रह्मादिसेवितपदांकमनीयरूपांडगा भजामिसततंत्रिपुरारिसेन्यांपाशन्दाबढविधालोकेसंतिय द्यपिविस्तरात्तथापिकेचिह्नयंतेछात्राभावकहेतवे॥२॥ जातिशब्दा:क्रियाशब्दागुणशब्दास्तथापरे।सेक्षाभेदाभवंत्य त्रसंक्षेपादुच्यतेविधिः॥३॥गौरश्वःपुरुषोहस्तीशकुनिब्राह्मण|| मतितिाराधतेधयतेतेभवतीत्येवमादयः॥४ारक्तःश्वेतो। बूंद-कृष्णाएवंडित्यकपित्थवत्॥पुंसिकेचित्रियामन्येकी॥ बेकेचिदीरिताः॥५॥स्तनकेशवतीस्त्रीस्यालोमशःपुरुषम तः॥अनयोरंतरंयच्चतद्वैप्रोक्तंनपंसकंगाराजैमिनिकोश सूत्ररचनांकात्यायनीयंमतंव्यासीयंक विशेकरप्रभृतिभिय॥ ब्राषितंनिश्चयात्॥यच्चानंदकविप्रवीररचितंबद्धंचयटुंडिना यद्वात्स्यायनशाश्वतादिकथितंकःभिधानानते॥७॥माकर्वे तुभयंकरालकलितःप्राय:श्रुते शनात्सर्वभ्रातजनादनेकका विता हीनप्रगल्भाश्रयात्॥उद्दारंभवतांविधायहृदयेभोभ्रात रोयंमयाकर्तव्यःपरमोद्यम श्रमविध शब्दात्कुत-सीदथा किंपद्यभाररचनाभिरनेकवारंकिंवलगनै किमिहदपपरीतवा क्यैःयलभ्यतेकिलसमाधिविधेर्विधानाकिंतत्रविस्तरविवे।। चनवाभिरर्थः॥कोवेदशब्दजलधेरखिलस्यपारंसारंविधा यविधिनामनसोविचारात्॥शंबूकमर्कटझपादिभिरेवसंगः। प्रायोभवेदिहनरत्नमिलिःकदापि॥१०॥यावान्कश्चित्रांतःशब्दो नपुंसकेहियोद्धव्यःवर्जहिपत्रमंत्रश्चित्रानेवंगरित्रंच॥१॥ यावानितिसमुच्चयोकविद्ययातःशब्दःसनपुंसकेवोल्यः॥॥ पुत्रमंत्रश्चित्रशब्दान्वर्जयित्वेत्यर्थःपथासूत्रंशस्त्रशास्त्र मित्रपत्रंपवित्रंच॥गात्रंपोनंपात्रंदात्रसत्रंपरिनचेत्यादि। पुत्रःसुतःअयंमंत्रोहोमवाच्योवेदश्च हिशब्दोमुक्तसमुर - - % For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दररुचिकोश 2 - - चयार्थातेनछत्रछात्रविष्णुमित्रादीनापुंस्त्वप्राप्तेःसिद्धिाय छन्त्रोनर्तकःभातपवारणवाचकस्यछत्रशब्दस्यनपुंसकतैवा इदंछत्रवर्षातपवारणाअयंत्रोध्येताभयंविष्णुमित्रःकश्चि सुरुषायात्रामात्राभस्त्रादंष्ट्राविद्या स्त्रियांवरत्राच॥ईदूदंतया चैकाचूशरदरदृषवारपौव॥१२॥यात्रामात्रादिकानशब्दा॥ न स्त्रियोस्त्रीलिंगविद्याज्जानीयादित्यर्थः॥ट्ययात्रातीर्थादि| |गमनाढ्यमात्राक्षरावपवस्तोकंचाट्यभस्त्रालोहधमनीull यंदंष्ट्रादशनविशेषः।।यंवरात्रिगुणीरुतारज्नुःबिरबादी नामपित्रांतत्वान्त्रपुंसकत्वप्राप्तब्रूमः॥प्रत्ययाभावातद्यरस्का भावादिति।भावांतंत्रच॥भाववाचकादातोत्रप्रत्ययःस्यात्ull ईच्चउच्चईदूतोतावतेयस्यतदिदंशब्दस्पेमीदतअंतःशब्दः || प्रत्येकमभिसबभ्यते॥ददातेश्रूयमाणेपदंप्रत्येकमभिसंबध्य तेयुक्तत्वात्।एकोच्यस्यताएकाचूएकस्वरमित्यर्थः॥ई। दंतंयच्चैकास्त्रियांतच्छब्दरूपंभवति॥दयंस्त्रीयोषिताद ये श्रीदेवता विशेषःप्रभुशक्तिश्वायंभूरदणोरुपरिरेखासिका जितिकि।सेनानीः॥ग्रामणी: शरदायोपिस्त्रियांइयंशरत ऋतुविशेषः।यंदरग्रीवास्थानांद्यषताशलान्या रट्जलधरसमयः॥चकार:समुच्चयार्थः॥एवकारोवधारणे।।स्छ। णोणेस्त्रीयोगेस्तोगृहशशपूर्वकयोनपुंसकता।सर्वस्याक्षिनानो जलनामबैरम वापः॥१३॥स्लूगोदिति।स्छूणाचोर्णाचस्कूण णेस्त्रीयोगेस्तःस्त्रीलिंगेभवतइत्यादयंस्थूणाकाष्ठमपीहिकर्णि काट्यमूमेषलोमागतयोरेवस्ळूणर्णयोर्यथासंरव्यगृहशश पूर्वकयोर्नपुंसकत्वंददंगृहस्छणाददंशशोर्णगहशशपूर्वक योरितिकिहिमाभूयेशालास्छणाद्यमेषोर्णा सर्वशब्दोनि विशेषवाची सर्वमक्षिनामजलनामचनपुंसकेभवति॥अक्षिना मतावत॥दमाक्षिलोचनानेत्रनयनंचाईगंबकमीक्षणादि। I N - - - - - -- p For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश 3 - - - - - - - जलपर्यायदजलतोयंसलिलमंबुनीरंवार्वारिकाननमुरकचन मित्येवमादि जलशब्दत्वादपशब्दस्यापिनपुंसकत्वंप्रानोतीत्या हमुक्कापःअपशब्दबीयत्वेत्यर्थः॥अस्याहरूयधिकारास्त्री त्वामाभाप-बदवचनांतःसदैवाजलकुसुमनामसर्वनपुंसक स्यात्पग्रस्तुविभाषया|अभ्रारतेंबुदारल्याहिकेशनखदंतसंज्ञा श्व॥१४॥जलकुसुमनामसनिर्विशेषनपुंसकलिंगभवति तद्यथा दकमलपंकजकोकनदंकल्हारंकुशेशयमित्यादि।जलकुस|| महारेणनपुंसकलेषाप्नेयास्यविभाषाक्रियते॥दपयाअयप प्रतिउक्तंचविसंतेशीतभीतेनकोकिलेनवनेरुताअंतर्जल गता:पद्माश्रोतुकामावोलिताः॥ऋतेशब्दोवर्जनार्थेवर्त्तते| ||अनशब्दमेकवर्जयित्वाअंबुदामेघास्तेषामारल्यासंज्ञापर्याया| इत्यर्थःतबुदारख्या:शब्दाः पुंसिभवंतितद्यथा।मेअंबुदामेघा पयोधराधनजीमूताजलधरावलाहकाःकंधराद्रव्येवमादयः।। मेकेशः॥ दंताः॥ नरवाः॥कंठस्तनवादनांसंज्ञा पुंसिलि। यांभवेद्रीवा।पृष्ठललादांशोदरजणिनपुंसकानिस्युः॥शको ठसंज्ञा स्तनसंज्ञाःबाहुसंज्ञानपुंसिभवति।अयंकंठःगलदा त्यादिःस्तिनसंज्ञाश्व॥अयंस्तनःकुचःपयोधरदत्यादिः॥बाहु|| सिताश्वभुजस्तरणःधरणःचालनत्यादिः॥कंठसंज्ञकत्वाद्रीवा शब्दस्यापिपुंसिप्रयोगःप्रामोतीत्याहास्त्रियोभवेद्रीवासग्रीवाश ब्दस्यस्त्रीलिंगताभवतिट्यंग्रीवाशिरोधराकंधराट्त्येवमादयः। पृष्ठादयःशब्दानपुंसकेस्यतयथाददंपुष्टुपाचपोर्यष्टि दललाटभ्रुवोरुपरिस्ठानमंशस्तनयोरुपरिस्लानामुद रंजठरः॥जत्रुस्कंधसंबंधिापेवमादयः॥अभिध्वन्यंजल य: स्योष्ठकोलगुल्फसंज्ञानाचबरचऋदोरवस्याइहुलमंध कारश्व॥१६॥अर्मिश्वध्वनिवअंजलिम्भिध्वन्यंजलयः॥ एतेशब्दा:पंसिभवंति।अयमूभिस्तरंगः॥अयंध्वनिःशब्दः - - Hom yama . - - - magaman a news For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश - - - पमंजलि-करपुट-ओष्ठकपोलगुल्फसेतावसंताशब्दःप्रत्येक मभिसंबध्यतेओष्ठश्वकपोलश्वगुल्फश्वओठकपोलगुल्फ एतेषांसंज्ञाःपर्यायास्तेसिभवति।अपमोष्ठःअधरदेतल।। दःअयंकपोल-गंडत्येवमादयः॥अयंगल्फःपादप्रथिः ठः॥ घूठइत्येवमादयःपञ्चपरचक्दोरचपदरुजवेगस्पृशोपत्र येवमादिनाप्रकरणेघनोविहिततिायेनविधिस्तदंतस्पतिधी प्रत्यपाताःशब्दा:पुंसिभ तितिद्यथा॥पादरोगःवेगःस्पर्श पाक-त्यागःयोगःप्रसादःभेदाछेद-दाह-दोषःप्रकारविकारsill त्येवमादयः॥एरजितिाएरजईवर्णोतादचंप्रत्ययःस्यात्॥॥ अयंजयःनय-तथा-दोरप्॥ऋवर्णातादुवर्णोताञ्चधातोरप|| प्रत्ययःस्पात्।तत्रवर्णातात॥अयंकर-वराभराशरः// नरः॥इत्येवमाट्याउवोताताअयंलवःोपवाभिवः इत्येव / मादयः॥धनंतादंधकारशब्दस्यापिनित्यपुंस्त्वंस्थादित्माह बहलमंधकारश्वाअंधकारोबहुलंपुंलिंगेभवति।विभाषाभ वतीत्यर्थः।देअंधकारं॥अयंअंधकारातथाचोक्तं नेहाग मोतिशलभस्यनमारुतस्यस्नेहक्षयोपिनभवप्रथमेप्रदोषे ॥अव्यक्तवस्तुपुरुषप्रतिबोषितेनपारावतेनपततारुतमंधका रंगप्राण्यंगमिदतंवस्तिकक्षिपाणीन्विमुच्यसर्वस्त्रीजंघाशि || रास्तुषानासिकाचूडावसाचैव।।१७॥प्राणोनामवायुःसोस्याला तिप्राणीतस्यांगंप्राय गंदकार:अंतेयस्यतदिदंतातत्सर्वेस्त्री लिंगभवति तद्ययादवकटि श्रोणि अंगुलि-पंक्तिरित्यादिव| स्तिकुक्षिपाणीनामपीदंतत्वाच्चस्त्रीत्वेप्राप्तेबाधःक्रियताम नान्विमुच्यवर्जयित्त्वेत्यर्थःगपुसीत्पधिकारात्लेषापुंस्त्वमेवभव तिअयंवस्ति:नाभेरधः॥अयंकुक्षिरुदरस्छानाभयंपाणि हस्ततिाजघाट्यःशब्दाःस्त्रियांभवेतिाइयंजेघाजानुनोर धस्तात्॥पादस्योपरिस्टाचादयंशिरादेहधारिणीयस्नुषा - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir memommon - %3 - - वररुचिकोश 5 पुत्रवधूयनासिकागंधहारिणी॥यचूडाशिवायंत्रसा शोणितविकारस्नेहश्वास्त्रक्लकस्मिकत्वगवाग्योषितो दिविद्यालित्रयांद्यनावौचादीधितिमेकामुत्काररम्यभिधानं तुपुस्येवपालंगादयःशब्दाः स्त्रियांभवति तद्यथापयंत्र कमालायंसुक्यज्ञोपकरणभोडंट्यस्फिटिप्रदेशः दयंत्वकबहिश्वमादयवाक्वाणी दययोषितबाला॥द्यौश्वा नीश्वयुनावौचस्त्रियांभवतःट्यद्यौः स्वर्गः॥ट्येनौगाजलतरणि हिशब्दःपादपूरणेदीधितिमेकांवर्जयित्वारश्मिवाचकाःशब्दा पर्यायाश्वयेतेपुसिभवंतिगतद्यथामेरश्मयःप्रग्रहा:किरणा: अंशन पादा:मयूरवाः॥अभीषवःगभस्तयः॥णयइत्सेवा मादयःदीधितिशब्दल्यधिकारात स्त्रियाभवति।यदी। धितिः॥तुशब्दःपादपूरणे॥मूक्षितक्षमज्जालेमात्माश्म|| यूवपूधराजभीरहित॥सर्वद्यानातनपंसके सिवाभवेद्र मा॥१॥ मूईनउक्षन्तक्षनमज्जनश्लेभनआत्मन अश्म न्युजन् पूषन्इसेतैःशब्दैरहितंवर्जितंयदन्यताकेहि। श्वरंचनांतंप्रातिपदिकंतत्सर्वनपुंसकंभवति।यथाइदंच। मधर्मशर्मभस्मसालोमदत्येवमादयः।।मूदियोपिनीत वातहाकाअतस्तेषामपिनपुंसकतापामोतिगतदर्थमिति प्रतिषेधारुतःमूक्षितक्षेत्यादि पुलिंगाधिकारात्युसिभ बंतिाययाभयंमू शिरः॥उक्षावृषभः।मज्जासारः।तक्षा बर्द्धकिःश्लेयाधातुविकारः॥आत्माशरीरस्थः। अश्मानी|| लः॥युवातरुणः॥पूषादित्यःसिवाभवेद्रह्मेतिगद्यकता मांतत्वाचब्रह्मशब्दस्यनपुंसकत्वेप्राप्तेपुंस्त्वैवाविधीयते| ब्रह्मशब्दोवानपुंसकलिंगोभवति।देब्रह्माबेदाध्ययन मीश्वर श्वाअयंब्रह्माप्रजापतिः।यद्येवंयताछनांततन्न सकारावंसतिराजन् शब्दस्यापिनपुंसकतास्यात्स्य - - - - - - RED For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मा - वररुचिकोश 6 तर्भावोद्रष्टव्यः॥१॥त्रुटिसीमसंध्यारात्रयःस्त्रियांधूलिवेणि|| खार्यश्वासिनिशीथोज्योत्स्नादयाशलाकास्त्रियोनित्य॥२०॥ एतेशब्दा:स्त्रियांभवंतिइयंत्रुटि-स्वल्पायसीमायाममा दादयंसंध्यादिनावसानंगड्यरात्रिःशर्वरीयधूलिःपासुः॥६॥ यवेणी केशरचनादियखारीपरिमाण विशेषःनिशीथशब्दाप सिभवति।अयंनिशीथोर्धरात्रःज्योत्स्नादयाशलाका स्त्रिया| भवंतिाइयंन्योत्स्नाचंद्रप्रभायंदयाकरुणाट्यशलाकालो हधमनी॥नित्यग्रहणेदिभाषानिरत्यायोगेक गहनून। सकेश्मश्रुजानुगुदशब्दाःएकाभिधानतास्थानाश्रुणोनित्यो। ॥२॥सोयोगायोग:तस्मिनकर्णदनूभवतपथाअयंकर्ण:ो कुंतीपुत्रश्चनुकपोलप्रदेशाश्मश्रुजानुगट शब्दानपुंसकेभवं|| ॥तिपदंश्मश्रुमुवैकदेशरोमरानिःइदैजानुजंघामध्यस्थान।। इदंगुदमपान अभिधीयतेनेनेत्यभिधानेएकंचनदभिधान| चतस्यभावःएकाभिधानतास्यात्भवेदित्यर्थः॥अस्त्राश्रुणो|| नित्यं नपुंसकताभवतिदमनाइदमश्रुनयनजलामिति। एकएवार्थनित्यवचनपूर्ववत्॥२॥घुसकिरुपसर्गपूर्वःपुंस्यः|| न्योपपदेवेषपूर्व-स्त्रीयेभ्योनजूतान्युस्युक्तान्याच्याविनावि द्वि॥२२॥घुति दाधाघ्वदावितिषणांधातूनांघुसंज्ञाविहिता सहकिनावर्तत तिसकि-उपसर्गेधो किरित्यादिनाविहितःकि प्रत्ययोगृह्यतेउपसर्गाप्रादयः उपसर्गाःक्रियायोगति।उप|| सर्ग:पूर्वोपस्यसएवलिंगोभवति॥यथाअयमादिनिधिताप्रणि धि:भाधिःसन्निधिताइत्येवमादयः। अन्योपपदकर्मण्यधि। करणेचेतिकिप्रत्ययः।भयमंभोधिजलधि उदधि-तोयधिः शरविद्येवमादयः॥दूखुशब्दोपपदेवास्त्रीयमिषुधिः।।। अयमिषुधितातूणीरयेभ्योधातुभ्योनञ्प्रत्ययः॥तान्युस्युक्ता विद्विजानीहिायांचशब्दंवर्जयित्वायज याच यत क्छि / - inden m -- masomeonewomedy J N AGARGAREEN For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश - - - प्रकारक्षोनडितिनप्रत्ययाअययज्ञःयत्नःविष्णुमात्र ष्णरणःएवंतर्हियांचशब्दस्यापिनडंतलान्नपुंस्त्वंस्यात इत्यतआह॥यांचोविनेति॥रूल्यधिकारास्त्रीयोचार्थना तनुकायशरीराणिस्त्रीपुन्नपुंसकेषजानीहिाधिसक्थ्य स्लीनिस्युनपुंसकेस्त्रीतुकसास्यात॥२३॥एतानशब्दानपया संरल्यस्त्रीपुन्नपुंसकेषुविद्धिायंतनुः॥अयंकायदेशरी| दधिसक्थ्यस्थिशब्दानपुंसकेस्युः॥यथाइदंदधिक्षीरविका राइदंसक्थिउर्मिध्यांइदमस्थिकीकसंगकक्षाशब्दास्त्रियो भवेत् यथाइकक्षाबाहुमूलअन्यच्च॥जघनाभरणेस्त्रीणां|| करीणांमध्यबन्धनअवस्छासुचहम्योणानित्यं कक्षाव्यव स्छिता॥२३॥सुमनोसरोविरहितमद्यकमसंतंतुपुंसिस्यात्॥ बहंपुनर्नपंसककृतादन्यत्रजरसः॥४॥सुमनस्असरस दत्येताभ्योविरहितमुझितमित्यर्थः॥असतेयस्यतदिदमस तसिभवेदित्यर्थः॥अयमेगिरा:चंद्रमा:स्कूलशिराः॥पुरुरवाः || उच्चैश्रवाः।दुर्वासाः॥पृथुयशाद्यादयः। सुमनसोसरसश्च | ल्यधिकारास्त्रियांप्रवृत्तिमाःसुमनसः कुसुमानिादमा|| मशरसोदेवस्त्रियः॥धकामसेनपुंसकंभरतिदिभोजःतेजः। वर्चशिस्यश:छंदप्रोताचेतःपयातपःअंभःजरसशब्दस्या पिनपुंसकतास्पादित्यतादान्यत्रबैजरसःानपुंसकारुता चपुलिंगादन्यस्मिन्जरसशब्दोभवतिरास्त्रियोदयंजराल || भावः॥२शासिसुरखुरबिंदिसपायुमणिकालकेलिवलरानि घसंघोघोपनौपविघ्नधर्मार्घवर्णाश्चाएतेशब्दापुसिभव। तिगतद्यथा। अयंसुरः॥नापितोपकरणः भयखुरपशुपादः॥ अयंबिंद-विसर्जनीयावयव अन्यच्चाभियमिक्षस स्यजातिः अयंपायःअपानाभयंमणिरत्नेकीलःशंकःप्रहरणविशेषा अयकेलि हासःभियंकलिःकलहः॥ अयंवलियारा|| - com For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश eSmSESSMENT maaranasammaa जगृह्यदेवतोपहारौचानिधादयःशब्दाःमुसिभवति अनिय पर्वतः॥अयंसंघःसमूहःअयमुहःप्रशस्तः। अयमुपप्राय यः॥पर्वतवाअगमोधोनदीवेगापुरुषारंभश्वाविप्रःकर्मनी घाताधर्मोनिदाघः॥अर्घःपूजामूल्यविशेषावर्णाहरितपीता दिः॥ब्राह्मणादिः।।अकारादीनिचाक्षराणिा२५१ पणगुणगण कणशोणा:किणफणधुणशाणवाणचूर्णाश्वानियहिसि। यावाष्योभाध्वानश्वविज्ञेयाः॥२६॥पणादेयाशब्दाःसिभयंति अयपणोविंशतिगंडकः॥भयंगुणःसंख्याव्यःसुकादिपाटलाll दिश्वभरोगणःसेपाताअयकण परमाणुः॥शोणोनदःकिणोनि कषःफणोभुजंगफण:घुणकीटविशेषः॥शाण पाषाणविकारll वाणःशरःअसुर-घृष्टिकाच॥अयंचूर्ण:शकल-रखंडइत्यर्थः। यपंथामार्गः अयंबाष्योरगअयम्मूषणधर्मअयमध्वामार्ग:|| नित्यग्रहणं विभाषानित्य॥२६॥ ॥नसकेश्वभ्रतणरणाण। निावीणातूणाघोणाघृणास्तनियतस्त्रियांविद्यात॥२॥रते|| नपुंसकलिंगभवति॥इश्वत्रंगतः। इतणंग्रहलादनद्रव्यवि शेषरणयुद्धं।ऋणमुड्गरः॥अधमर्णश्चातानशब्दानस्त्रिा यांनियतनिश्विविद्यातायबीणावाद्यविशेषः॥तूणादा। विदयघोणानासिकागदयंपूणादयाबुद्धिःतुशब्दः॥पादपूरी पो॥२७॥ यदनातमकतरिनन्नपुंसकेवियनि त्रिपामेवा। या भावेऽणापोतीपुंस्फक्तोमन्युमृत्यूचार॥ अनन्यस्यतदि। दमनांतंअकर्तरि अन्प्रत्ययातंयत्प्रातिपदिकंतन्नसकेवि द्विजानीहिानपुंसकाडावेत इत्यत्र वर्तमानेल्युद्धेतिल्युट्यु बोरनामित्यनादेशःचनभिजनंभाजनापानीआसनाप्रयाण णाशासन अधिकरणमित्यादि।अकर्तरीतिकिनिंद्यादिभ्यो ल्युदानंदनगमरण:मदनः॥कुलनः शतनः दमनः।संकर्ष Mण:मधुसूदनःजनार्दन इत्यादि अनिःस्त्रियामेवाएवका - sapaninepalestini HERON a nce Conni e manama s omammommarwadi D murranamamalepaka wwweswaalawwareaam o . For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश - - A mamimamaline - nt - रोवधारणार्थःआक्रोशेनज्यनिः यथायमभोजनि:अकारणा अहरणि:अ खादनिःअशरणिरित्येवमादिः।अणच अवधी णापायौतीपुंस्युक्तौ॥णोअणचेत्यणप्रत्ययः।स्सागः।उपदेश उपसर्ग:इत्यणप्रत्ययः॥निघःपर्वतः॥किंचान्योमन्युमृत्यू सिभवतः॥अयंमन्युर्दयाशोकश्चमृत्फ शः॥२॥ पट||| पटकरघटचंटवाटजूटवटाहिपुस्यक्ताः॥अवटखटपट्टका राट कीटाश्वकटतटयोश्चनपुंसकता॥२॥ एतेपटादयःश || ब्दा:पंसिभवंति।अयंपट प्रावरणः॥पुटःपत्रस्याकटस्तण स्याकटोगजकुंभश्वघटकलशाचंट-फलनिबंधन वाट मार्ग जूट केशबंधनावटोवृक्षविशेषः।।अबट-कूपः।।खटःशिरसिपहा रः॥पट्टःराजपसादः॥किराटोवणिकाकीट:शामिः कूटतदशब्दी नपुंसकेभवतः॥इदंकूटंद्रव्यस्छानोदंतरंनदीकूरंग॥२८॥ घंटान) रासरानांप्रथमाप्रकृतिर्वसाशिफानांचवर्नाम्नां योगस्त्रिविष्ट ॥पस्यादभयहीनं॥२लाएतेघंटादयःशब्दास्त्रियांभवंति।प्रथमा|| जति रुंजीलिंगमित्यर्थःदियघंटावाद्यविशेषः।यंजराकेशविन्या सायंसटाकेशरयंवसामेदाइयंशिफाकेंदः॥अयस्वर्ग: नाकः॥अयंत्रिदिवास्वर्गादिनामत्वात्संस्त्वंत्रिविष्टपस्यपापोती|| त्यतआह॥त्रिविष्टपस्यादुभयहीना नरुत्रीनपुमानित्यर्थः॥इदं || त्रिविष्टपं स्वर्ग:॥२८॥संवत्सरगिरिमासार्णवत्तुदेवासुराभिधानाना गनित्यं योगःस्याच्छरा सिपंकारिनाम्नांच॥३०॥अभिधानशब्द प्रत्येकमभिसंबध्यते॥संवत्सराभिधायिनांशब्दानांसंवत्मरपयों याणांच॥गिर्यादिपर्यायाणांच॥योगःस्यादित्यर्थः। तद्यथा यसेवत्सराहायनोब्दइत्यादि।अयंगिरिःपर्वतःधरशैलइन्मदिरामा |साभिधायिनाअयंमासहिपक्षः॥मासविशेषोपिसिभयत्र। विशाख:ज्येष्ठःआषाढइत्यादि।अर्णवाचिनाअयमर्गासम। सागरपारावार:सरित्यतिरित्यादि।अयमृतु-वसंतः।ग्रीभः || - - minsonam MA - .. namasum m mmmm For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश - - - treamRSHAYA Basneventmasamrani - mewww mon- HanummeetuRANA S देववाचिनादेिवासुरः॥असुरवादिनां।असुर दैत्याशराभिधार यिनांशरकोडः॥अयमसिःखङ्गामंडलायः॥अयपंकःकर्दमः॥ जेबालः॥अयमरि-शत्रु वैरी।रिपुःविपक्षइत्यादि का भाष्क लकशारविष्टकाश्चनित्यंस्त्रीयामीधिकारविद्युदिग्भूम्यभि धानंवल्लीसरितांचविज्ञेयं॥३१॥ एतेशब्दा: नित्यस्त्रियोभवति। यंभा:दीनिःकछुपामाकशादनीरजःकुशमयीष्टका पकमृत्तिका क्षिकावीरणशलाका काकाचविधुदादीना मभिधानंस्त्रियांभवति यथायंविद्यत्तडित्॥चंचलाशतहर दाक्षणप्रभासौदामिनी॥ऐरावतीत्यादि।दिगभिधानाआशाull काठाककुप।विदिगित्यादयःभूम्यभिधानाट्यभूमिः॥धरार सा।पृथ्वीक्षमामाइत्यादिः॥वल्यभिधानादयंवल्लीबतति प्रतानिनीइत्यादयः॥सस्ट्रिभिधानागंसरित्॥नदीकुल्यास्त्र वितीनिम्नगातदिनीत्यादयः॥३॥ छारासुरानिशावालुका स्कि यास्युश्वमूकंथेरान॥आपत्संपद्विपत्प्रतिपत्समिहिनुषश्चैव।। 32 // छायादयःशब्दाःस्त्रियांस्युर्भवेयुरित्यर्थः। यथालायार॥ सादेःप्रतिबिंबः॥सुरामदिरा निशारात्रिः।वालुकासिकताचमूः सेना॥कंथाप्रसिद्धाद्राजलभूमिः।एतेशदाास्त्रीलिंगेभवं॥ तिायघाइयमापत्न्यसन। संपद्धनाविपत दुःखंप्रतिपत्तिथि विशेषः॥समित्काष्ठावि बिंदः॥३२॥ कुशकूबरकुंजांकुरकु॥ ठगरकुंदकुतुपाहिस्फक्ताः॥कुलकूलकुंकुमानितुनपुंसकान्ये वजानीयात्॥३३॥एतेशब्दा:पुल्लिंगेउक्ताः॥यथायंकुशादर्भ ||अयंकूबरोरथस्कंधःकुंजोगहनाअंकुरोबीनप्रादुर्भावः।कु॥ अरःपरशुराकुंदपुष्पजाति:कुतुपश्चर्मपात्राएतानिनपुंसका निजानीयात्सवकारोवधारणाकुलंब्राह्मणानांकुलंन दीतटकमंकाश्मीरं॥३॥लोहमुरवपर्णवनधनसंज्ञाश्चन सकेप्रोक्ताः॥शीराथघुिस्युक्ताक्टवीतूक्तास्त्रियामेव॥३४॥ / / - - - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश११ - - SA सिंज्ञाशब्दःप्रत्येकमभिसेबध्यतेलोहादिसंतानपुंसकेभव|| निादेलोदमायसामुखलपनंतुंडमाननमित्यादिगादेपर्णप|| लाशमिस्मादिावनंविपिनंकाननमित्यादिादंधनंद्रविणंवस्त्रि त्यवमादि।शीराशिब्दोपुंसिभवतःअयंशीरोलंकारः॥अर्थो द्रव्यंगअटवीतूक्तास्त्रियामेवपश्यमटबीवन॥३४॥राशिपलां|| डकमंडलुगडुतूलमुहूर्तपरसुशंकूना॥हतिसीधुकंकटानापुसि |चगदितःप्रयोगोहि॥३५॥ एषांप्रयोग:पुंसिगदितःकथितः।राll शिन्मिादीनांगपलाडलसुनजातिः॥कमंडलु काष्ठमयंजन पात्रागड-कुब्जातूल कार्पासादेः॥मुहहादशात्मकः॥पर|| शसभेदीः॥शंक:चिन्हंकिलश्चादृतिश्चमअयसीधुःसुरा मायककटोहस्तिकवच॥३५॥शालामालादोलावेलाफेलाशिला तुलालीला।सेनापालिबलिबागुराश्वस्त्रियामुदिताः॥३६॥रात स्त्रीलिंगेउदिता कथिताः॥येशालाग्रहविशेषः।।मालास्त्रक दोलाक्रीडासाधनावेलाकूलंसमुद्रस्याफेलाभक्तोलिष्टंधा नाश्वशिलाअश्मा।तुलापलेशतानुमानालीलामतिरसकोविदा सेनादस्त्यश्वपदातिसमुदायः॥पालि-पंक्तिप्रदेशः॥बलिःकll रउपहारः॥दुःकृष्टविशेषःवारारामृगबंधनीरज्जुः॥३६॥पाill तालजालमलखलकपालशैवालशीलनालानिचीरचीवरवियं| तिचविहिततीयाप्रकृतिकानि॥३॥स्तेषांततीयाप्रकृतिःतृती| यास्छानेनपुंसकस्यरष्टत्वात्पातालादी नित्तीयाप्रतीनिवि || द्विजानीहियथाददंपातालंरसातलंजालमत्स्यबंधनंगवासी, मलंगपापाखलंमर्दनस्लानंत्रीहीणांकपालंमस्तकास्छिाखंडच शेवालंजलसंभवशीलंबिनयनालंपद्मादीनांचीरंजीर्णवस्त्रं चीवरंभिक्षाप्रावरणावियदाकाशं॥शामुंडनितंबसपगुल्म|| सान्वंकवंशपूगशंखरथाश्चसिस्युः॥जपनांवरफलमूलांगा| नितुविमुच्यााएतेशब्दासिस्युः॥अयंमंडोमुंडितशिरा - - - MPen AA - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश१२ - - - - momentimenParmanan नितंबःपश्चानागःस्त्रीकन्याः॥इस्वशाखामूलकोरस:सपः। गुल्मःशारवापत्रप्रावरण:सानुःपर्वतैकदेशः॥अंकश्चिन्दावेशो लियः॥पूग क्रमुकः॥शरवःकंबरथःस्पंदनः।।नपुंसकाधिकारात जघनादयोनपुंसकेस्युःजपनंकदिप्रदेशः॥भंवरमाकाशंव चंच॥फलरक्षादीनांगमूलंशिफाअंगमवयवः॥३८॥क्षीरोद || स्विन्नवनीतवर्षकंडांडपृतभगगगनानिाविद्यान्नसकान्यो / दनश्वसिस्त्रियोज्याच॥३९॥सतानिनपुंसकानिस्युः॥यथा|| दिक्षीरंदुग्धाददमुस्विनविशेषःनवनीतंदधिविकारः॥॥ संवत्सरः॥कुंडपेयादिपात्राअंडवीजादिप्रादुर्भावः॥धृतमा॥ ज्यभिगेयोनिः गगनमाकाशाओदनस्तासिभवति।अया मोदनः॥भक्तास्त्रियांज्याच॥धनुषोगुणः॥३०॥विषसंज्ञाः॥ सिविषतुनपुंसकस्यात्रियांतिथियक्तिाभितिथिस्तपुसिशक। नीतशोणितानीतरप्रसतो॥४॥विषसंता-पुसिभर्वतिराहाल हलकालकूटम्ब्रह्मपत्रः॥विषंनपुंसकाइदंविषंसर्पशरीरज चातिथिशल्दोवाविभाषयास्त्रीलिंगभवतिपुंलिंगश्यायथाइयो तिथिः।अयंतिथिःअतिथिशब्दःसिभवति।अयमतिथिरभ्या गत:॥शरुदित्यादीनीतरप्रहतौनपुंसकेभवंतिादेशरुत्तरी पानीपतंगशोणितंरुधि४॥मुत्तादिनानीदिवसनामा / निपुंसिलियोलिड्ड्तारा:पाणियुगःस्फक्त स्त्रियांसमावै। ववर्षाव॥४१॥दिनाहनीमुत्काअन्ये दिवसपर्याया:पुंसिभवंति। भयेदिवसोलासर-पत्रःसूर्यकरदत्यादिनादिनाहनीनपुंसके | भवतःदंदिनमहास्त्रियोलिडड़तारा:विडादयःशब्दाःस्त्रि यांभवंतियंत्विट्कोतिः॥दयमुनक्षत्रामास्तारा:नक्षत्रा णापाणिग्नगःपुसिभवति।अयंपाणियगः॥पाणियुगग्रहणम न्ययुगनिरत्यर्थ॥४१॥ भवतिनपुंसकयोग:संरव्यापूर्वस्यरात्रि शब्दस्याससमासस्यतुतस्यैव पुंसियोगनजानीयात्॥४२॥९॥ ma main - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश१३ - D - / - - संख्यापूर्वोयदिरात्रिशब्दस्तदानपुंसकेबोद्धव्यगायथामेक || रात्रंदिरात्रंत्रिरात्रमित्येवमादयः॥सहसमासेनवर्ततइतिसस मासःससमासस्यतुरात्रिशब्दस्यपुंसियोगविजानीयात्॥य यापूर्वरात्र अत्रि -वर्षारात्रः॥४२॥पुरमधुनगतिविद्यान्न सकेवास्त्रियांभवेदचिःमत्वतलौनपुंसकस्त्रीविधावहःपुसिस|| ल्यादिः॥४३॥ पुरादीनिनपुंसकेविजानीयातादेपुरनगरमा धुक्षौद्र जगदिश्वभर्चिःशब्दःस्त्रियांभवतिनादियमर्चिः॥इ दमर्चिदप्तिःलतलोप्रत्ययौयथासंख्यंन्पुसकस्त्रीविधौद्रष्ट व्यो।ब्राह्मणस्यभानोब्राह्मणत्वब्राह्मणता॥एवमिदंशूद्रव इयंभूद्रता॥अहःशब्दस्यदासरन्यादिःतदापलिंगोभवति भय मेकाहाहाव्यहः।सरल्यादेरितिकिं॥पुन्यादा प्रत्यहं॥४३॥// रुत्वंता पुंसिकशेरुदारुजतुवस्तमस्तभिरत्यक्ताः॥स्युःसग्रंथि स्लाइसुसूघ्यजेतानांनपुंसकता॥४॥ रुशब्दांतारतशब्दा|| तास्त कशेरुदारुजतुवस्तुमस्तुभिस्यक्तारहिताः सथिपस्या पुसिभवेयुरित्यर्थः॥यथायत्सरुःखमुष्टिःभस तोमरुर्निजी| लोदेशः॥चरूर्मत्रतप्तपाकः॥शरिपुःतक्षः ॥मरुमंग-गमेरुनी पर्वतइत्यादिःअर्यकेतुरुत्यातः॥सेतुबंध हेतुकारणातंतुः। षप्ररुतिः॥धातुःश्लेष्मादिः कशेरुप्रभृतयोनपुंसकेभनेति। दकशेरुभूसंभवाददंदासकागजतुलाक्षागवस्तुवाक्य / प्रबंधहेतुः॥मस्तदधिसंभवाग्रथिनस्लोच पुसिभवतः॥अयं ग्रंथिः।गोठिरितिप्रसिद्धः॥प्रस्छःपरिमाणंदसलानामुसता मानांचध्यत्रंतानोचनपुंसकतास्यातादर्दसर्पिःतहानिर्देवान्ने / बर्हिःपवित्रमित्यादिादेवपुःशरीरंआयुःजीवितपरिमाणधनुः। शस्त्रमित्यादिाध्ययहणेनवर्णदृढादिभ्यः व्यनितिगृह्यताना ब्राह्मणादिभ्यासौकुमायोशौक्या कागदास्यमित्यादि। सिस्त्रियांचपाटलिगोमुख्यशनिबादसिधुमणयः॥आशीषूपूछ। For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश 14 - - - - - - - हिर स्त्रियांमुद्रषोच॥४६॥ एतेशब्दाःपुंसिस्त्रियांगभवति।अय पाटलिइयंपाटलिरसविशेषः।अयंगौः॥ट्यगौः।।अर्यमुष्टिरिय मुष्टिः।अयमशनिरियमशनिः॥अयंबाहुरियंबाहुः॥अयंसिधुरि यसिंधः।अर्यमणिरियमणिः। एतेशन्दा स्त्रियांभवंतिायमा शी: इष्टासंसायंधू भारस्कीलश्वयंपू:पुरीइयंभुसा॥ यंपिपासायंगीर्वाणीयंमुतहर्षगड्यंरुदूरोषः॥४६ शीकरतुषारतुषबहुदफेनौसतुंडलपूपाःसिस्युः॥आलिमुक्ता जिदर्विसिकता स्त्रियांमुदिताः॥४६॥सतेशन्दा पुंसिस्युर्भवेयुरित्या त्यर्थःशीकरोंबुकणः॥तुषारोहिमसंततिः।तुषीधान्यवृष:कडंगll रिश्वाबदोजलकंकरः॥फेनोजलस्यासमुद्रस्यओसोवश्यायः॥ निडलोधान्यविशेषः। अपूपापिष्टकस्यामतेशदा स्त्रियामुदिताः// कथिताः॥दयमालेिपंक्तिमुक्तारत्नाआजिर्यवंदर्भिक्तसाधनी, सिकतावालुका अजिनाजिरशैवालनलमृणालतुहिनोडपाज्य|| सस्यानिशहारास्पदकाष्ठानिचनपुंसकान्येवपटलंच॥४७॥ एतेर शब्दानपुंसकेभवंतिाइदम जिनमृगत्वकादमजिरमंगाशेचा लिंजलसंभवानलंसवर्णभाजन।मृणालेपद्ममूलंतुहिनंतुषा राउडुपंतवः॥आज्यंघृतासस्यव्रीहिः गरगहस्याआस्यदंग ज्ञाकामिंधनापटलगृहस्यातिमिरेवाएवकारोवधारणे४७ त्रिष्षप्यक्षेष्विद्रियसंज्ञकास्तानपंसके विद्धिराशेषा:पंसिप्रोक्ताः ॥श्रीयिष्ठापाश्चनिर्यासा॥४८॥विष्वप्यक्षेषुमध्येदेद्रियनिकम संनपुंसकेविद्विादमामिंट्रियंशेषास्त्वसाःपुंसिप्रोक्ताः।अयदे वानामसःकटाक्षः श्रीपिष्टाधानिर्यासाश्वसिभवंति।।अयश्रीपि टःसर्जरसः।गुगुलदत्येवमादयः॥४८॥विशतिरानवतेःस्त्रीन सकेतालुहृदयकुमानिापार्यककुंदरविण्यतलधानलवण राष्ट्राणिचावैदि॥४ाविंशतिप्रभृतयोनवतिपर्यताःस्त्रियांभवति इविंशति:त्रिशताचत्वारिंशतापंचाशताषष्ठिः।सप्ततिः॥ A anson - - - - - - - --- maanemop en punema For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश१५ - mmoditiemamanpromosoppeamine o siness man mins अशीतिःनवतिःगाएतानिनपुंसकेभवंति देतालुवदनैकदेशमा हदयंजीवनस्लान।कुडंभित्तिःगएतानिनपुंसकान्यवैहिभव मछेत्यर्थः पार्यशरीरस्याकुकुंदरंनितंबकूपयाविण्यंद्रा ल्यातलमधः॥धनंट्रविणीलवर्णरसविशेषगराष्ट्रजनपदस्थानी Inाकोडाघारा जिन्दाशिरोघराशाकुलीस्पृहामायास्त्रियोवि हिाशाखाशिरखाकलामेखलारेखाराजिपंक्तीच॥पाएतास्त्रि यांविदिपंक्रोडाकपाटाग्रीवा शिरोधराग्रीवा जिम्हारा सनाशिष्कुलीखेडस्यभक्ष्यद्रव्यास्सहावांछारामाशजनवेचना छादयंशारवारसस्याशिवाचूडाकलाविज्ञानमेखलाकांची परेखाराजिघनस्यपंक्तिर्दताना॥५१॥स्नायुश्रद्धोकाश्चस्त्रियांना खट्दाभवेत्रेताताणावाणाप्राणाविश्याणासंऋणाविकोणाच! एनेशन्दास्त्रियांभवंतिस्निायुःशरीरस्याश्रद्धाआदरः।उल्कामा काशोसातः।।ज्वालाचाखदाशयनीयात्रेतायुगंगताणासूत्र चनावाणावाणी प्राणाश्रद्धाविश्वाणालीलासंकुणानासिका विकोणानेत्रविलुब्धिः॥५२॥भयनीजसिध्यपदवई शुक्रतक्रस| रखदुःख शिखराणांविद्यान्नपुंसकत्वमसगित्यस्यसदैव॥५३॥ एतेशब्दाःनसकेभवंति॥ इदभयंत्रासः॥वीजमंकुरोत्पत्तिकार गासिकुष्ठविशेषापदंस्लानाबर्हमयूरपिछशुक्ररेतः॥त| कमथितासुखंभोगः॥दुःखपीडा।शिखरंशृंगालिसकतं सदैवेतिवचनाद्भयादीनांव्यभिचाराअभयः॥५३॥पाषाणो पलभंगारप्रस्छ गारमलकस्तबका:रूपमुताशब्दरसस्प। गिं धादयश्चोक्ताः सदासि॥५४ाएतेशब्दाःसदापुसिभवंति, ॥यथायंपाषाण:प्रस्तरः॥ उपल:शिलापाषाणएवाशृंगारो विil दग्धताप्रस्थःपरिमाणंगभंगार-सुवर्णमयः कलशामस्तकः शिरः॥लबकापुष्योत्कराशब्दोध्वनिः॥र सोमाधुर्यादिः॥स्प मृदुकर्कशदिः।गधोनासिकाग्राह्यःकुसुमादेः॥रूपमुक्का - - LEEEEEEED 4 - 3 - ना For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश 16 - - - - - 4 . B रुपविहायारूपनपुंसकेभवति इदरूपंचक्षुर्याा॥५॥शरवा रयूपपुरोडाशकूपसूपलवशष्याः॥धर्मम यवासोदशादारा:पill सिबहत्त्वंचैषां॥५५॥एनेशब्दाःपुंसिभवंति।अयंशेखरःपुष्य संपातः।उत्तुंगोवा।यूपोयज्ञभांडंपरोडाशोयज्ञपिंडकिला कपोवटः॥सूपोव्यंजनंगलबोलेशः॥शष्योवालतणधर्म उपवासादिः॥मयोवेश्मावासासिवस्त्राणितेषांदशावादारा स्त्रि यश्नपुसिभवंतिबलत्वंचैषांसदाभवति। वासोदशा वस्त्रांll तसूत्रोमेदारा:स्त्रियः॥वासतिक्किादशा अवस्वा॥५५॥मा सविवराभिधानंनपुंसकेविद्वितीर्थतुंडेचायवमाषाद्यावीदय पंसिप्रियंगवश्वस्त्रियामेवा५६॥मांसाभिधानविवराभिषा नचतीर्थतुंडेचनपुंसकेविदिजानीहियथामांसंपलंपललंबा कव्यमित्यादिददंविवरंबिलंछिद्रंध्रकुदरंसुषिरमित्यादिulll इदंतीर्थपुण्यस्ठानातुंडवयवमाषायाब्रीहयःसिायथा इमेमाषा:।मुगाःकुलत्लाःसोष्टा गोधूमाःतिलाकलापा:मस्र - - - - RDA - वउक्तःपुंसितुनसकेकिसलयस्त्रियांलाक्षा॥ऋयो चनापि डकाकंडाक्षपाचैव॥५॥पल्लवशब्दःपुसिभवति॥अयेपल्लव ॥दंकिशलयंप्रवालंलाक्षास्त्रियांस्यात्॥यलाक्षाजतु गादयःशब्दा:स्त्रियांभवंतिणयमृवेदावमवःगरोचना गोपितंापिडेकाशरायगंगकंडरवर्जूः॥सपारात्रिः॥५॥कल || लकफपूयकल्माषकल्ककल्पगेहमरवलौहित्याः।झर्झर विचषालाबपुंसिकटाहमत्स्यौच॥५॥एतेशब्दाः पुंसिभवा) तिअयंकललोगर्भाशयः॥कफलेमापूयःशोणितविकार, कल्माषःसस्यजाति कल्कःसर्षपादीनांचूर्ण कल्पःकालप रिमाणागेहंगमखोयज्ञालोदित्योनदविशेषः।झर्झरोया दिनविशेषः खःशरस्याचषालोयूपाकटाहोलोहभाज - - - -- - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश.१७ - - - an - npur Rame - - - - - - नामत्स्योमीनः॥५॥शवपलकतल्पसद्मवलिशामिशनिमित्त पित्तचित्तानिकिल्बिष रजिनानितथानपुंसके पीठपापेच॥ 59 // तेशब्दानपुंसकेभवंति।यथादेशमृतशरीरंगपलकनेत्ररोमा विशेषःातल्शयनीयंगसानिवासः॥बलिशंमत्स्यबंधना मिशंगृहहारं निमित्तंकारण।पित्तधातुविकारः॥चित्तंनमः॥कि ल्विषंपापंजिनंकुटिलापीठमासनापापंपातक॥५॥बल्व जलाजासूनापुंयोगःस्थाद्वहुत्वंचाललशाहलशिबिराणांनी सकत्त्वस्त्रियांपृतनाग॥वल्बजादयःशब्दा-पंसिभर्वति॥बहला चैषासदैवादमेबल्वजाःशष्याः॥मेलाजाःभ्रष्टधान्यानिमि|| सव-प्राणाः॥एतेशब्दाः नसकेभवंति।दस्छलमरण्यप्रदेशः|| शार्लंहरितरणशिबिरंशकटस्लानापृतनाशब्दःस्त्रियांभव ति।व्यंपृतनासेना॥६॥ईर्ष्यारुविःस्फुलिंगाःशय्यानिःश्रेणी कोदिःकटीवाणी॥पेशीवरूथिनीचस्त्रियांकथानाडिकाकंथा। ॥६॥एवेशब्दाः॥स्त्रियांभवंतिाद्यमीनियारुचितिः ॥अभिलाषोवा।स्फुलिंगाअग्निकणाः॥शय्याशयनीयंनिः श्रेणीअधिरोहणी कोदिःसंख्या।कुटीगृहं।।वाणीवाक्॥पेशी||| मांसपिंडीवरुथिनीसेनाकुथार्णाकृतानाडिकाकालपरि|| माणोकथाजीर्णवास प्रावरण॥६॥ नाड्युपपदंबणंसिर क्षजनपांसकंदुककलशाश्वपिंजरपलितहगक्षराणि विद्याlll दितरजाती॥६॥नाडीपूर्वत्रणंसिभवति अयंनाडीव्रणःनाill ड्युपपदतिकिंगदुष्टव्रणरक्षादयः॥पुसिभवंति॥अयंरक्षस्त रुः॥जनोलोकः॥पासुःश्वर्णेकेदारखेट्नीकलशोपटपंजरा दीनिद्तरजातौनपुंसकेजानीयातादंपेजरंशकुनिबंधनाप लितंजरा देवैरंगअक्षरंवर्णः॥६॥मेधारसनानिद्रातंद्रात त्र्यःस्त्रियांसमंजि-मदिरामंदरारुशरेस्यातांवासदंदुभिः श्व॥३॥सतेस्त्रियांभवंति॥द्यमेधाधारणाशक्ति रसनाशर - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश 18 - - - - - - - तिर्मेखलाचानिद्रासुप्निातंद्राआलस्यातंत्रीचायविशेषः॥मजि छारागद्रव्यास्पातांभवेतामित्यर्थः॥यमदिरासुरामंदुरावानि शालारुशरातिलयवागू:अझैभव्यतेअक्षयहणंवादित्रसंबंध नित्यर्थावायंदुभिरित्यर्थः॥३॥धान्यहिदलांशुकवितानवल यरत्नमिथुनश्मशानानि।बिसतिमिराण्यपिविद्यान्नसकेगरने चैव॥६४ाएतेशब्दानपुंसकेभवति।इधान्यंसस्पंदिलंमुह दीनांअंशुकंवस्त्रंगवितानंवस्त्रमयमावरणावलयंसुवर्णादी || नोगरत्नमणिः॥मिथुनंस्त्रीपुंसहगश्मशानमृतस्थान॥क्सिंप मूला तिमिरंतमः॥अग्रंशिखरंश्रेष्ठेवावमाकाश६४ाजा। ट्रिकोणकरीषकवायतरत्नपिण्याकगर्भदर्भिकश्चसिस्युपतन शुल्वतायचापनाम्नानपुंसकता॥५॥रतेशब्दाः पुंसिस्युः यंपुनःसंघातः॥अद्रिःपर्वतः॥कोणागृहादीनांकरीषोगोमयदि कारः॥गर्भऔदर्यदर्भ: कुशः॥अ वालः।पत्तनादीनांयेपयो| या:शब्दास्तेषांनपुंसकतादेपत्तननगरंपरमित्यादि।शुल्वर) म्लेकमुखाताम्रमुदंबरमित्यादि।चापंधनुःकार्मुकमित्यादि। ॥६५॥बिट्वस्त्रिीज्ञेयासस्त्रावीथ्यचनीविभेचमजूषागड पामूषापरिषदहाचैव॥६६॥ विशन्योयदाअवर्णस्तदास्त्रियांना वति॥पथाट्यविदिष्ठा अवर्णतिकिअविश्वस्तर तीयोवर्णःसास्नादयस्त्रियांभवंति।सास्नागलकंबलः।वीथी। ग्रहावयवः।नीवीमूलबंधन।भेरीवाद्यविशेषःमंजूषापेटाप स्तकादीनां गंडपाहस्तजलामूषासुवर्णधमनिकापरिषत्सभारी Inगुहापर्वतस्योपातमाशपापताकारथ्याकषिकाकिणी|| चैवाएतेस्त्रियांभवंतिप्रतिशीराधाराचनेमिश्न॥६॥ सतेतृष्ण दयःशब्दा:स्त्रियांभवंति।यंतृष्णापिपासा रुपादयापताका चिन्हारथ्यामार्गः॥रुषिवैश्यतिः काकिणीपणचतुभगिन तिशीरातिरस्करिणी॥धाराप्रपतन।ऊर्णामयीपर्वतस्यरेखाचा - mamma For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोशाई kuwa it - e - - me- on - - - - निमिश्यक्रपिंडिका।शाचतुःपथयुगलछलचेलरवोलधिषाया|| लशफानविद्धिनपुंसकभावंपण्यस्यचपिछपलयोश्वाई॥ चतुष्पयादीनांनसत्वविद्विजानी हिइदंचपुष्यथा युगलंयुग्म गलंच्याजःचिलवस्त्रजातिः॥रवोलभग्नभाडंधिवायंगृहं॥ अर्गलंद्वारपिधानंशफंखुरः॥पण्यंविक्रेतव्यंपिळूमयूरस्याप लंचतुःपलिपरिमाणं॥कारयमंडपनरककपालगुडमणिमे दर्दरकुरनूलाः॥युग्माकाशव्रतशृंगवर्जिताःमंचासदापुंसि॥ दिलाएतेशब्दाःपुंसिभवंति।अयंग्योवेगः॥मंडपोजनाश्रयान रकोदुर्गतिः।।अवीचिरित्यादि।असुरश्वाकपालःसिरोवयवः / / |भिक्षाभाजनंच।।गुड विकारःमणिरत्नामेदःशिश्ना? रोभेकः॥कुसूलोधान्यादिस्छित्याधारः॥युग्माकाशब्रतशृंगव र्जिताइति॥युग्मादयश्चनपुसकेभवंतिाइदंयुग्मंयुगलं॥आकाill शंनभःनितंनियमः।शृंगविषाणपर्वतस्यचामंच:काष्ठकृतः॥ ६९॥स्छूलालतककाससूर्यकूर्पाससारथितरंगाः॥अलक समुडावरोटकतूपुरकंकणा:पुसि॥७॥एतेशब्दाःपुसिभवति। अयस्कूलोराशिः॥अलक्तकापादादिरागद्रव्याकर्पासःसूत्रद्र व्यंसूर्योरविः॥कूर्पासाकंचुक सारथिःसूतः।।तरंग:कल्लोलः। अलका केशरचना समुडा संपुटकःविराटःकपर्दकं // 7 // सिन्यायुधर्मगलनगररत्तफलमूलहरितालबिंबमुकुटकुड्म। लतस्ततीयाप्रकृतिः॥पुंस्यवसभ्यस्तयोद्गीथ संबीथःकाल गीथ श्व॥७॥सैन्यादीनितृतीयाप्रतीजानीहिादसैन्यबल आयुधमत्र।मंगलं प्रशस्तानगरंपुरातन्तप्रसवबन्धनं।फ। लमूलेदारितालंप्रसिद्धबिंबंप्रतिरूपमुकुटशिरोभूषणं॥कडनी लंकलिकाअवसथोगीयोपुंसिभवतः॥अयमवसंथ परिव्राज कः॥अयमुद्गीथःसामासंलीयोपटि कात्रयंकालगीथोपितदेवा दर्पणमृदंगजठरा:पुस्युक्ताःकतकृतपधूमाश्च ॥बात हृदडा - - - wali usammarANAINSTISEMENROLAN N ews ML.. For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश - H e - uae - Emaiman amaraamareew Painamaina a na ww w seenesemamavaanee mammmmms NR कुशकटाक्षासंग्रामविरपाठव॥७२॥एतेशदा पुंस्युक्ताभयंपा। ||ण'आदर्श मृदंगो मुरज जठर-कुक्षियाकुंत-प्रासः कुतपःशस्त्र कालबिशेषश्वधूमोवान्हि संभकारतेपुंसिमवेति भयंगातःसा घसरूआज्ञालकुदश्वाअंकुशःशृणिःकराक्ष-अपांगहाए संग्रामायुइंगविटपोलतागुलमः॥७२॥पामास्त्रियांनिगदिनासि विमाणपकूचिाकंदरयूथपोथाश्ववंशरेणुध्वजाबा३॥॥ पामाशब्दस्त्रियांकथितः॥यंपामाविचर्चिकाकलू बेमादयः। पुसिभवति।अगंवेमातंतुवायस्पकुणपामृतशरीरंग कूर्चश्मश्रुम अयंकंदपर्वतस्यैकदेशः॥युथःसंघातः॥प्रोथोऽश्वस्यनासिका विवरसोरुपरिदेशः॥वंशोवेणुरेणुःपांसुः॥ध्वजाकेतुः॥३॥ किदाररवंडप्रशमाश्वसिनित्यंकपाटाश्चाहेलाकोचीलालासुधा पुधा स्युःस्त्रीयांप्रवेणीच७४ाएतेयुसिभवति अयंकदारः। नावंहसुविकारःशिमोधान्यछेदनःकपाटोहाः पिधाना तेस्त्रियांभवेतिपहेलाअनादर-कोचीमेखलालालाश्लेभावि कारः।।सुधारमृतंगधायुद्धप्रवेणीकेशरचना॥७॥ हानिग्ला|| निर्वापीविपणीसार्थश्ववैतथास्वाहालक्ष्मीमनःशिलोपानदः| स्त्रियांस्छाण्वणुज्वराःपुंसि७५॥ एतेस्त्रियाभवाताहानिरपे चयःमग्लानिरशक्तिः॥वापीपुष्करिणी॥विपणीपण्यविधिकाjl सारीपटोलिकास्वाहामंत्रावसानालक्ष्म्यादयःस्त्रियोभवति इयंलक्ष्मी श्री मनःशिलाधातुट्रन्याइयमुपानत्पन्नधी॥ रखा एवादयःसिभवतिअयंस्छाणु:शिवाकीलाअणुःसूक्ष्म ज्वरोरोगः॥७॥पुंसिस्थात्माग्वंशस्त्रिलिंगेषुशृंखलं विद्भिावमा सस्तंभनिदाघःपशुश्रूकविटकानपुंस्युक्ताः॥७॥प्राग्वंशशब्द पंसिभवति।अयंप्राग्वंशोयज्ञकटी॥शृंखलंत्रिषलिंगेषुजानीदि।। Imअयंखलः दयंशृंखलादेशृंखलंगाएतैऍसिकथिताः यंचमसःसोमपात्र अयस्तंभःनिदाघोधर्मः।पशुवादिःशूको| RussVORSHANTIHARIDWARENE RELAnne - HERODEScameraHUDGueIncommasummaNamuna Moremonymsan. Varunnamedama d . I SAN REDIES ORIESB opeRAed For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश 1 momeman - - - - - d - - . .. mammnamane manmadhannews - धान्यादीनां विटकःपिंडकतपरिमाणद्रव्यशैडोवा७६॥वल्का लवंडलहिमचिन्हवलीनककुदगुह्यशुल्कशकलानिातीरोल स्खलकवचानिचविद्यादितरजाती वल्कलादीनिनसके|| जानीयात्ादंवल्कलंरक्षणका कुंडलंकर्णभूषणा हिमंतु हिनचिन्हमंकःखलीनकिंडिकाककुदंरषभस्यागुांगो प्यस्लान।शुल्कंशून्पस्छानशिकलेखंडातीरंलदीकूलाउला खलंधान्यादिक्षोदनाकवचंसन्नाहः॥७॥मंडल केसरेभांडी तरीयसोपानकल्मषानि॥प्रादेरंतंनसकेसहकदंबपुलिनाभ्यो In७८॥सतेनपुंसकेभवंति।इदेमंडलंसूर्यस्याकेशरंकिंजल्कः॥ भांडमुपकरणद्रव्यं उत्तरीयंत्रावरणासोपानरखंडखंडिका कल्मषेपापंअपंपापंचाप्रशब्दादेरंतरंशब्दंनपुंसकेविडि॥ दंघांतमतएवानुपसर्गस्तुपुंस्येवांतशब्दः कुटुंबपुलिनशब्दll भ्यांसहनपुंसके।दकुटुंबंगोत्रवर्ग:पुलिनंहीयं॥७॥ स्लालीसभाजराणांस्त्रीत्वस्कल्याश्ववीच्याश्वालविकल्यो / जयविल्याबविजानीयात्॥७९॥स्छाल्यादीनांस्त्रीत्वंभव तिदयंस्कालीरेधनभासभागोष्ठी॥जरारत्वंस्छलीउ चनिर्जलोदेश:।वीचीतरंगः॥छविलावण्याकटि-श्रोणी॥मंजरी वसस्यावल्लीलता॥९॥शिल्पछईिस्वन्नशमलमरकतपला लरुद्राणिमंदिररिक्थेचनपुंसकेमदुरोतुस्त्रियांविद्विा०॥ एतेनपुंसकेभवंतिादंशिल्पकलाटिकंकार्दिवतिजाअन्न भक्ष्याशमलममेध्यमरकरित्नापलालंधानादीनां रुळंक मंदिरंगृहरिक्थंद्रन्यंमंदराशन्दं स्त्रियांजानीयात्दयम दुरावा जिला॥०॥कल्करुमिमन्यंगारखण्ग्रहहोमर्षियःमरेफो. |मंडकरडवरंडाश्वसिशपथावरीषौचासतेपुसिभवति भयंकल्कःपापंगदंभश्वाकृमि कीटमुनिस्तपस्वी।अंगारः काष्ठस्यवप्रःप्राकारः॥ग्रहउपरागः॥होमोमंत्राहतिः॥ऋषि | / % ER - --- - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश 22 OMANORARY - - - ALS - . / % 3D स्तापसः॥यक्ष्मारोगःरेफोवर्णविशेषः॥अधमश्व मंडोन्नविका) राकरंडाकशभांडावरंडःकाष्ठविशेषः॥शपथःप्रत्ययकर |अंबरीषोभ्राष्ट्रः॥८॥मथुरातनुस्तनूर्वर्तिनीसूचियवागू वर्णिनिकाशाशर्कराःस्त्रियांपुसितर्कश्व॥२॥एतेस्त्रियांभवी ति॥द्यमथुरानगरी।तनुःशरीरंगातनूरतदेवावर्तिनीकानव शब्दसाधनासूचीमूलंपापस्यायबागू:अन्नविकारः॥वर्णिम र्णिः॥निकाशाकर्षविकारः॥शर्करागुडविकारः॥तर्कासिमना ति।अयंतर्कउदः॥चशब्दःपादपूरणे॥२॥बंधुरविषाणयोनि कंभवेल्यल्वलंतृतीयंस्पाताशकटीशीरकुतूहलशरावरदा निजानीहिमपत्रिकमितिलिंगत्रितयाअयंबंधराट्यंबंधुर। बंधुरंउत्तप्तमांसं अयंविषाण: इयंविषाणाशृंगंपल्वल|| ततीर्यनपुंसकमित्यर्थः॥पल्वलं॥अल्पसरः॥स्तानिनlll सकानिजानीहिादंशकटंयानामुशीरंबीरणमूलं कुतू दलं कुतुकंगशरावंमृन्मयभाजनारंदसमूहः॥५३॥ यूकोल्का शुत्पोषधिवर्तिभृकुटयःस्त्रियांमुदिताः।वाल्मीक्यध्वरनि!ह व्यूहमुस्तकाःपुंसिकुंभश्चा५४ारतस्त्रियामुदिताः॥इयंयूका। मस्तकरुमिः।उल्कासंघातस्यदिग्धकाठंचाशुक्तिर्जलसैभ|| वाओषधिःफलपाकांतोरक्ष विशेषः॥वर्तिपस्याभ्रकटिभी ग:पुष्परचनावावाल्मीक्यादयःपुसिभवंतियथावाल्मीकिः // ऋषिः॥मृत्कूटश्चअध्वरोपागःनिर्मूहश्चंद्रपाणि:व्यूहःसमूह प्रभूतःपुस्तकोगंधद्रव्यंचकुंभोघटः॥४॥केयूरतरलतूर्योग दानिनित्यनपुंसकेविद्धिापुंसिंगवाझविद्यात्रिया श्यामाभु | // शुंडीभांडीच॥५॥केयूरादीनिनपुंसकेजानीहिदकेयूरंबा हभूषणंगटेतरलमलंकारः॥तूर्यवादिवंगअंगदवाहभूषणं!! गवाशशब्दंपुसिवियाज्जानीयातायथाअयंगवाक्षावातायनः॥ एतेशब्दा:स्त्रियांभवंतिपयंश्यामात्रीभुशुंडीआयुधंभोडीनिया meema a - - rparanth ama - - Aam -- - - -- - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश२३ - - - - T 3D डिपालाराभवतोऽपजनोपपदावंगपदो सिनित्पमिमनिच्चय परिक्षणकोष्ठभेषाश्चसहनिपातोपसर्गाभ्यां 6 // अपोपपदेभंगशा दःजनोपपदे पदशब्दश्च पुसिभवतः॥यथाअयमपोगोनेत्रोतः अयंजनपदोलोकपृथ्वादिभ्यमनिचू॥अनइत्यनुवर्तते टिरितिटिलोपः।स्वरितोहलादिलघोरितिरेफादेशः॥मनिच्चा स्सियोता-पुसिभवंति।अयंप्रथिमा।गरिमालघिमारढिमा इत्येवमादयः॥ एतेपुंसिभवंति।अपरसणस्तरुस्लाना अयकों छोहरिशाला।अयंभ्रषोन्यायःनिपातश्वादिः॥उपसर्ग:प्रादिः ||८स्छावराणययाठग्यकूवुनस्तापदिलाभावेकर्मणि स्युस्तदैवानियतानपुंसकता॥७॥अण॥अन्यायत्॥युठ कायकावुचाएतेप्रत्ययाःभावेकर्मणिवायदिस्युस्तदातदेता नामेतेषांनपुंसकत्वंजानिहायथाहायनांतपुरोहितादिभ्योष्णा हिन्हायनस्यभावः॥कर्मवादैहायन।यूनोभावःकर्मवायौवना। नततिनलोपेप्राप्तेदत्यणपठ्यत इतिप्रकृतिभावःस्कावर यजमानोद्गंतत्वेनलघूपधइत्यामदोर्भाव-कर्मवामार्दवं पाटवःलाघव आर्जवाअन्नप्राणिजातिभिर्जातिवयोवचनो गोत्रादिभ्योऽ॥अश्वस्यभावः कर्मवाआश्वा गार्दभाव यांव चनात्कोमारंगशैशवं। उदात्रादेः॥दमौगानासख्युर्यत्तियः॥ सख्युर्भावःकर्मवासख्यास्तयन्मलोपत्रेतियत्प्रत्ययः॥स्तेय स्वभावकर्मवास्तन्याहोत्रादिभ्योयुःहोतुर्भावःकर्मवाहोत्रीय पोत्रीयाअंगात्रीयांदुहित्रीयठकाकर्भावःकर्मवाकाप या रोहितादिभ्योयकारहस्पतेर्भावःकर्मवाबार्हस्पत्यासैन्याप त्यंबुनायोपधागुरूपोत्तमाहुभारमणीयस्यभावः॥कर्भवाग मणीयक॥अहोरूपमित्यादिकेद्रष्टव्यारावनभूलोसिन सकेचमुधाकंबलतोमरमुकुलकंदकाःपुंसिभास्त्रास्त्री॥cil ब्रजभूलशब्दोपुंसिभवतःअयंब्रजःअयंभूलः॥मृधनपुंसके NERAREN - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वररुचिकोश 24 ARMANPRE ल swar - - - विद्धिामधंयुद्धगएतेशब्दा:पुसिभवंति।अयंकंबलःऊणो। वस्त्राअयंतोमरः शरपहरणमुकुलःकुडालः।।कुंटुको पान।भास्त्राशब्दःस्त्रियांभवति इयंभास्त्राकमलपत्री॥८॥ ||आकारेकारांस्लावरंजंगमंस्त्रियांभवेन्नित्या क्वचिदूकारोतस|| पित्रोक्तंबापुंसियोनिःस्यात्॥८॥ आकारांतमीकारतेयस्ला। विरंजंगमंतत्सर्वस्त्रीलिंगभवति।आकारांतस्छावरंयथाय|| गंगायमुना नर्मदा॥ईकारांतंशरावतीसरस्वतीत्यादि।आका|| पतंजंगमंयथायंदेवदत्ता॥ यतदत्तावलाकाअंबिकत्यारा दिकारांताकुमारीगौरी॥ब्राह्मणी हस्तिनीश्वश्रूविधूः॥॥ क्वचिदितिकि।कटपू॥धान्यलूः॥अयंयोनिःट्येयोनिः॥८eull वाग्विषयस्यचमहतःसंक्षेपतएपविधिरुक्ताः॥यन्नोक्तमत्रस ॥भिस्तल्लोकतएवबोद्धव्यः।।९०॥ ॥तिश्रीमदखिलवाग्वि लासमैडितसरस्वतीकैठाभरणानेककविशरण श्रीनरपतिसे| वितविक्रमादित्यकिरीस्कोदिनिश्चरणारविंदाचार्यवररु॥ विविरचितोलिंगविशेषविधिः समाप्तः॥श्रीरामचंद्रार्पणमस्ती in - // इतिवररुचिकोश:समाप्तः। maaRH - -- - Ans - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाममाला 1 and amannaam श्रीगणेशायनमः॥गणितस्पनाममालोवगुरुप्रसादतः।वार लानादिसुबोधायहरिदत्तोद्विजायणीः॥१॥अथनक्षत्रनामानिull अश्विनीदरभदालनासत्यंतुरगंहयमाभरणीयमभंयाम्पंप्रोक्त मंतकमीतक॥२॥कृत्तिकाग्निभमाग्नेयेरुशानंहव्यवाहना नलंदहनःचवन्हिभंचहुताशन॥३॥रोहिणरोहिणीब्राह्माजाll मापत्यंचधातभामृगशीर्षमृगशिरंसोम्यंमृगशोभनं।४ाएँ दिवंचंद्रशशिभभिंदचंद्रभमुच्यते॥आर्द्राशिवंशिवक्षेचशिवभ रोट्रमीश्वरं॥५॥ईशंचाकरंशर्वशंकरंशशिशेख पुनर्वसुपुनः प्रोक्तमादित्यंचतथा दिति॥६॥पुष्यतिष्यगुरुभचअश्लेषासर्पदै| वतंगसार्यभंसर्पभसापेमघाचपित्तदैवत॥७॥पितभंपितरंपि, पूर्वाफाल्गुनिभाग्यभंगभगंभाग्यंतथाप्रोक्तोत्तराफाल्गुनिचा) र्यभाग उग्रार्यमास्ततोहस्तभचैवतथार्कभोकरंसवित्त || यचित्रावा;चत्वष्टभार॥सुखाईकिसंखंचतथास्वातिंचमा रुताअनिलवायुनक्षत्रंविशाखेद्राग्निदैवतं॥१०॥शक्रानिभद्धि दैवंचमैत्रमित्रानुराधकंगज्येष्ठाशाकंचंशकर्सपोरुहूतंतथेंद्र माभा१॥तथैववासवर्षीचमूलनैष्कृतिनिति।पूर्वाषाढातथा पात्तोयभंचतांबुभं॥१२॥ऊषाचैवोत्तराषाढाविश्वेचविश्वदेवता ||श्रवर्णवैष्णवं विष्णुगोविंदेहरिभंश्रुतिः॥१३॥वासुदेवंधनिष्ठाचा नविष्ठावासवंबसुगशतभिषावरुणचैववारुणेशततारका॥१४ अजमार्जपदंपूर्भतथाजचरणमतोतयोत्तराभाद्रपदमादिर्बधी चिभस्मृतंगरेवतीपूषभपोष्णंपूषमांत्यंचपोष्णभेपूषचैवात्या |संतुकथितंशास्त्रकोविदैः॥१६॥इतिनक्षत्रनामानिअथनक्ष त्रसंज्ञााधिण्यभमर्सनक्षत्रंतारकातिगद्यतातिनक्षत्रसं ज्ञाअथेकायकानांसंज्ञा॥स्केंदुरजनीनाथकुभुचंद्रचमेदिनी॥ || धरारुपनिशानाथरजनीशनिशाकरा॥१७॥वसुधाशर्वरीकोतश शाकाबनयस्तथा यत्रभूमीदनामानिपोक्तातत्रैकसंज्ञका॥१८ S on - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाममाला 2 3 FramewanA - - - R A - द्विनेत्रलोचनःपक्षादस्त्राक्षियमवाहवः। यमलाश्चिभुजापाणिक | रयुग्मादयोमताः॥२०॥रुशानुगुणरामाग्निपाबकानलवन्हयाम्॥ हताशनास्त्रयस्तिस्त्राप्रोक्ताश्चशिरिखनाबुधैः॥२१॥चतस्त्रवत रोवेदासागराब्धिरुताश्चतुः॥समुद्रोभोनिधिपुगाश्रुतिनीररगी| श्वराः॥२२॥शरमार्गणवाणेषुसायकानिलमारुतः।।समीरणाम पवना-पंचवातास्तथाशुगाः॥२॥षष्ठसंज्ञापत्वंगरसाप्रोक्तान नीषिभिः।मुनिपर्वतशैलादिसप्ताचलनगास्मृताः॥२४॥संज्ञादया। श्वनुरगासप्तागमुनयोपिच॥अष्टानीवसुनागभहस्तीदेसरकुं जराः॥२५॥गोनंदांकनवानांचग्रहखेटारखगास्तथा।शून्याभ्रगग नंव्योमखमंवरनभोवियत्॥२६॥आकाशनामयत्रैवतन्त्रशून्य मुदाहृतककुपदिक्काष्ठाचदशसंज्ञासदैवहि॥२७॥शिबैका || दशरुद्राश्चसर्वेशाभवशंकराायत्रेश्वरस्यनामानितवैकादशकी। तितावा|भास्करादित्यसूर्याहादशंचदिवाकरः॥रवि-सहा स्त्रकिरणदिनकदमानवोध्रुवारसावधैर्गदशविज्ञेयायत्रनामभ विद्रविः॥विश्वेत्रयोदशःप्रोक्त इंद्रशश्वतुर्दशः॥७॥आखंडल सुरपनिःसुरेशमनुवासवाः॥तिथिःपंचदशःप्रोक्तानृपभूपति षोडशः॥१॥ज्ञेयाषोडशसंज्ञानामस्याधत्रभूपतेः॥अथस || दशात्यष्टितत्रैवाष्टदशाधृतेः॥३२॥द्वाविंशतेरारुतिश्चनखसे वास्तुविंशतिः॥सिद्धराजिनाश्चतुर्विशत्तत्वंचपंचविंशतिः॥३३॥ सप्तविंशतिनसतंधिष्ण्यडिश्चकथ्यतेदतारदाबहाशित संज्ञोक्तामुनिसंमतं॥३४॥त्रिदशादेवतादेवास्त्रयस्त्रिंशत्सुराबु धाः॥त्रिविष्टपाश्चविबुधाज्ञाकानांसदास्फरा॥३५॥त्यंकस ज्ञा अजक्रियोमेषसंज्ञाप्रोक्तावधैश्चगोरष।मिथुनोवैणिकोयुग्मो प्रोक्तोकर्कश्चकीटकः॥३६॥मृगारिमृगरासिंहोमृगेंद्र केसरीहरी नारीलीयुक्तीयोषिकन्याचप्रमदोगना॥३॥वणिक्तुलावाणिजश्च रश्चिकोलिसरीसृपाचापोधनुनधनषोकोदंडकार्मुकोपिच॥३०॥ - - - - - - -- - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाममाला३ - -- 1 mm - - - - - / - - %3 तथैवविबुधैःप्रोक्तोनाबमकरोमृगः॥घटकुंभश्चकलशोमर स्योमीनोझपोमतः॥३९॥ तिराशिसंज्ञ॥प्रथमंतनुश्वमूर्तिराचंदे|| हशरीरक॥द्रविणंधनंहितीयेचद्रव्यंचसमर्थविधिः॥४०॥करवं स्वातंचमुखंविभवाश्चैववैभव।सहजंसहस्तृतीयंचपराक्रमंस होरं॥४१॥विक्रमंत्रिश्वदुश्विक्यचतुर्थहिबुकंजले|जननीमा| तपातालंबंधुतूर्यसुरवंसुहन्॥४२॥रसातलांबुवेश्मोक्तं पंचम सुतमात्मजासंतानंबुद्धिसंज्ञाचविद्याधीश्वैवनेनं।४३॥अरिः|| षष्ठविपक्षेचद्वेष्यःशत्रुश्वहिषाविरोधीवैरिसंचषट्कोणेचैव सप्तक॥४४॥ कलत्रंसप्तमंचाथघूनंचस्मरमन्मथाजामित्रंमदना ब्दानंकामततोएममृति॥४५॥निमीलनचनिधनरंध्रमृत्युर्विना|| शनम्॥छिद्रंवसुततोभाग्यधर्मचनवमंतपः॥४६॥त्रिकोणंचतil थाकाशव्यापारंदशमविपताकर्मविराज्यव्योमंचगगनंपुष्कर नमः॥४७॥एकादशंभवलाभप्राप्तिमापमुदाहताअंत्यव्ययंद्वाद शमरिष्यंघाहर्मुनीश्वराः॥४॥इतिद्वादशभावानांसंताभन्यच्च चतुर्थमष्टमप्रोक्तंचतुरस्त्रंसदैवदिदशैकादशषस्त्रिसंज्ञाश्चो पचपानिच॥४॥अन्याह्यपचयानिस्युर्गाद्यैर्गदितानिकट कंकेंद्रमित्युक्तंतथाबुधैश्चतुष्टयं॥५०॥यूनांबुदशमैकानित तःपणफरंस्मृताद्विपंचाटमलाभानांततश्वापोकिमभवेत् 55 व्ययारिसहधर्माणांत्रिकोणनवपंचमाइतिकेंद्रत्रिकोणपणा फरापोक्किमसंज्ञा आलयंभुवनंगेहंगृहक्षेत्रंचमंदिरं॥५२ स्थानेचसदनंवेश्मतथावासविनिर्दिशेतातिभुवनसंज्ञा।आदि| त्यासवितासूर्यस्तिग्मांशुर्दिनरुद्रविः॥५३॥सहस्रकिरणः पूषा|| प्रद्योतनोदिवाकरः॥पतंगास्तपनोमिनोमाले डस्तरणिर्भगः॥४॥ विकर्तनःसप्तसप्तिःसप्ताश्वमणिःखगः॥विरोचनोदिनकरो // दिनमणिस्तुरहपतिः॥५५॥दिवांपतिर्दिनेशश्वदशसतोशुरर्यमा विवस्वानिनःशुमालिःप्रभाकरश्वभास्करः॥५६॥अर्कस्त्रगीत - - - . For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाममाला - - - - नुर्भानुस्तिग्मांशुमिहिरोहरिः॥५॥तिसूर्यनामानि।चंद्रमार जनीनाथोरोहिणीवल्लभोविभुः॥दोषाकरोनिशानाथोपालेयां / शुनिशापतिः॥५॥अब्जोराजाशशिश्चंद्रोमृगांकरजनीकरः रजनीशोयामिनीशःशपाकरोनिशाकरः॥९॥ टुर्निशीथिनी नाथक्षपेशोशर्वरीपतिः॥शशांकाशीतरश्मीश्वसोमास्त्रिनयनो मतः॥६०॥ शीतकिरणोहिमरश्मि शीतद्युतिर्हिमद्यनिवसाराजा श्वतरश्मिशीतांशुर्यामिनीपतिः॥६॥भेशोदिमरश्मिमालिधिष्णे ||शस्तारकाप्रभुः॥उड़पोरोहिणीकांतोद्विजेंद्रोरोहिणीषियः॥२॥ // इतिचंट्रनामानि मंगलोमुक्भूमिसुतोलोहितोभूमिनंदनः सो|| |णिजोमेदिनीसूनुभूमिजोधरणीसुतः॥६॥क्षितिजःपृथिवीर नुर्मेदिनीनंदन:कुजःधरासुतोधरणिजोवक्रोभूमिजभूमिभूःull ॥६४॥धरात्मजोधरासूनुररक्षोणीसुतःकभुः।उवीसूतोप्पवं निजौभूसुतःक्षितिनंदनः॥६५॥ इति भीमनामानिारोहिणीनंदनः सौम्यश्वाट्रिश्चंद्रसुतोवुधः॥दजोतश्वशशिजोरोहिणीजोश शांकजः॥६६॥सोमजो वितशशीजश्चंद्रजोहिमरश्मिजः॥शशक श्चंद्रमासूनुःकोविदोगदितोवुधैः॥६॥ तिबुधनामानिासूरी हस्पतिर्जीवोधिषणोदेवेंद्रपूजितः॥द्रमंत्रीदेवगुरु कनापक चर्चितः॥६६॥त्रिदशेज्योवासवेज्योदेवेज्यःसचिवोगावाचस्प तिवांगिरसोलापतिश्वांगिरासुतः॥६॥तिगुरुनामानिएक विदैत्यगुरुःशुकोभार्गबोभृगुनंदनः॥असुरज्योदानवेन्योउशनो दैत्यपूजितः॥७॥सितःप्रथमदेवेज्योपूर्वदेवगुरु गुः॥आर || स्फजित्रिदशारीज्योस्मृतोदेवारिपूज्यच॥१॥तिशुक्रनामानि शनैश्चरोयमःशोरीशोराकतनयोर्कजः॥रविजोभास्करिश्वा॥ किंछायासूवोरवेःसुतः॥७२॥ पंगुर्मदोरवेःसूनुर्तिडस्तनयोश निः॥सूर्यजोसूर्यतनयःछायातनयसैज्ञकः॥७३मार्तडजोसूर्यस |तोभानुभुर्भानुजःशनिता सूर्यपुत्रोभानुसतोदिनेशोनंदनोऽसिता७४) - - - - - - ma For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाममाला.५ - - - - -- - - शायरीशनिनामानिराहुबिधुतुदोजारि:सिहिकेयस्तथातमः॥स्व र्भानुश्चंद्रमाशत्रुकेतवः शिविनोमतः॥७॥ तिराहुकेतुना मानिारखेचरोद्युचरोखेटोयुचरोखेचरोग्रहः।व्योमवर्भाव्योमचा रीव्योमगश्वरवगोद्यगः॥७॥ विपद्रोगगनश्वारीगगनगोनभश्च तथागगनवाचागामीचमरुत्पथी।७७॥तिग्रहनामानि | चैत्रादिनाममासानांबधैःसंताप्रकीर्तिता।मधुश्चमाधवःशुक्र पुचिर्नभोनभस्याईपूर्जीसहःसहस्यौतथातपतपस्या को|भाद्रपदंौष्ठपदःप्रोक्तवाद्यैर्मुनीश्वरैः॥७९॥तिमासना |भानिामासोदर्शावधिश्वांद्रसौरोकराशिचारतः॥सावनोदिन || |विशद्भिक्षित्रश्चंद्रभाक्रमात्॥५०॥तिचक्षुर्विधमाससंज्ञा || असरैःषष्ठिभिदी(पलमेकंबुधैःस्मतम्॥पलैश्वरवरसैर्ना || || डीप्रमाणंभवतिस्फुर्द॥५१॥नाडीघटीचघटिकाविनाडीप लमीरितमादिनस्यरात्रेस्तूर्योशोसोयामःप्रहरोच्यते॥२॥ तिपटीपलमहरसंज्ञा॥वासरोदिवसोपस्त्रस्तथाहोयुर्दिन स्मृतातिदिनसैज्ञानिशीथिनीसपारात्रिःप्रोक्तानक्तंचशर्व ॥३॥दोषानिशास्त्रियामाचरजनीयामिनीतमीपतिरात्रि संज्ञामदिनाहितमध्यान्हंरात्यचिमहानिशा॥८॥निशीथो मध्यरात्रिप्रवरात्रिशेषस्ततःपरं॥तथेवरात्रेपूर्वाईसूर्यास्ताच, ||गतानिशा॥५॥सूर्योदयाच्चमध्यान्हंयावत्पूर्वान्हसंज्ञकं। त थामध्यान्हतःपश्वाहिनशेषेपरान्हको५६॥इतिपूर्वान्हपरान्ह संज्ञा दिनरानेरहोरात्रंत्रोच्यतेषष्ठिनाडिकादिनःपंचदशमि | तिःपसैकोपिनिगद्यताप्॥पक्षशुकःसितःश्वेतोवलझोवह / लोत्तरः॥असित्तोबदलःहष्णोशुक्कैतरसितेतरः॥५॥तिप|| ससंज्ञापसहयनमासस्यातऋतुर्मासस्येनचतुत्रयेणाय नःस्यादयनस्येनवत्सरः॥८॥वर्षाव्दहायनशरःसंवत्सरः समास्मृतः॥तित्वयनवर्षसंज्ञा ऊचुस्तिथीनोनामानि| - - -- - - - D T For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाममाला % E RA - धाःप्रतिपदादितः॥३०॥र्दिसुमंगलपदातुबलाखलाततःपरल क्ष्मीवतीयशामित्रावलासुमहतीतथा॥१॥उयकर्माधर्मिणीच यशोवत्तिजयाततः उग्रात्ततःपंचदशीसौम्याचपौर्णिमासिका। ९२॥चतुर्दशीदिवाभूताचैकादशीहरेर्दिनं अमावास्यानटकला दशौनरेंदरुच्यते॥३॥एकादशी तिथिर्नदाषष्ठीचप्रतिपत्तथा द्वितीयासप्तमीभद्रागदितादादशीबुधैः॥९॥अष्टमीततीयात तिथित्रयोदशीजयारिक्ताचतुर्थीनवमीतथाप्रोक्ताचतुर्दशी ०५॥पंचमीदशमीपूर्णापूर्णमासीतथैवच प्रोक्ताचपूर्णिमाराका! प्रतिपत्संयुतायदा॥९॥पूर्णिमानुमतिस्तद्यदाचतुर्दशीयुता अमाचतुर्दशीयुक्तासिनीवालीबुधैःस्मृता॥९॥तथैवप्रतिपः मिश्रासामावास्याकुहूःस्मृता नक्षत्रमूक्ष प्रोक्तंप्रस्तावादाशि संयुतं॥९॥अंशोभागोलव-प्रोक्तोलिप्ताचकलिकाकला वि लिप्तिकाचविकलासदाबुधैर्निगद्य ते॥९९॥षष्ठिभिर्विकला भिस्तुकलिकैकाचकथ्यते।कला भिषष्टिभिर्भागोराशिरशेश्वरवागि भिः॥१०॥राशिभिईिरसै श्चक्रतथैवभगणंमतातिराश्यशक लासंज्ञापडिश्वराशिभिर्भाईचक्राईप्रवदेतिच॥राशेर भने डोगद्रेष्काणलितियांशकःतथैवाशिकोराशिहादशाशामु|| दाहताः॥२॥राशस्त्रिंशन्मितोभागस्त्रिंशंशोविबुधैस्मृतः॥पूर्वा प्राचीत्तथैवेंद्रीसुरेशदिशिरुच्यताशाग्नेयीवन्हिकोणाचतथा वानलदिग्मतः॥यमदिग्दक्षिणायाम्यारक्षोदिग्नैतिस्तथाum पश्चिमावारुणीप्रोक्ताप्रतीचीस्यादिशाजलवायव्यानिलामारु ताचसोम्यादीचीतथोत्तरा॥५॥र्दशनीशिवदियौदीशांभवीशेक|| रस्यदिकातिदिग्नामानिराशयरसंज्ञोक्तामृगाजतुलक करा॥॥कुंभालिपसिंहाश्चकीर्तितास्थिरराशयः॥चापयु |ग्मझपात्रोक्ताकन्याचद्विस्वभावका (७॥तिचरस्थिरहिवभा बसंज्ञा॥कर्कादिराशिपदस्थेभास्करदक्षिणायनं रवीमृगादिष - / me e nawani - . - - - momen - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाममाला 7 - - meme % D - डाशस्थितेचैवोत्तरायणरातिदक्षिणोत्तरायणसंज्ञा।सूर्ये स्यादुतरेगालोमेषादिषडसंस्थितायामगोलोभवेदकस्थिते पडिस्तुलादिभिः॥तिउत्तरदक्षिणगोलसंज्ञा स्थिरराणे चसंक्रांतीभानोर्विष्णुपदातिसा॥तथैवद्विस्वभावाचखडशी तिमुखीभवेत्॥१९॥भानोर्मकरसंज्ञाचप्रोक्कोतरभिधायनं॥ क्रियस्तुलाविषुवतीसंक्रांतिर्गदितारवेः॥११॥इतिसंक्रांतिसं ज्ञापमीनाजसस्थितेभानौवसंतौउदाहृतः।ग्रीभश्वरषयु| ग्मस्येवर्षाकर्कहरौस्थिते॥१२॥कन्यातुलस्थेतपनेज्ञेयःशा रहतुःसदाहेिमंतश्वालिचापस्थेशिशिरोमृगकंभयोः॥१३॥ इतिऋतुसंज्ञा।तुलामिथुनसंताश्वकोदंडाद्यदलंनराः॥नक स्पांत्यदलंमीनोघरश्वजलराशयः॥१गोसिंहाजमगाद्य ईधनरंत्यंचतुष्पदाकीटस्क्तकर्कटोराशि श्विकोपिसरी॥ सपः॥१५॥ तिनृचतुष्पदजलकीटसरीसृपसंतागषाज|| चापिमिथुननक्रककानिशावला।तथापिमिथुनाजश्वपृष्ठो॥ दयाश्चराशपः॥१६॥पक्षांतरे॥पृष्ठोदयाकर्किधन्वीनकाजर षभस्मृतं अन्येशीर्षोदयालेयामीनस्यादुभयोदयः॥१७॥ |क्तःस्वोच्चस्थितोदीप्तस्वस्थश्वस्वगहोग्रहः।उदितोमित्रगेला स्थोशांतश्वशुभवर्गगः॥१८॥शक्तस्फुटमयूखश्व विकलोस्त|| गतोग्रहः॥पीडितःपापसंयुक्ताखलःपापगणेस्थितः॥१९॥ तथैवनीचोदीनस्पग्रहोनवप्रकारका तिनवप्रकारकसंज्ञा भौमशुक्रबुधेहर्कसौम्यत्रकारसूरयः॥२णामंदार्किजीवास्त रहेकमान्मेषादिसंस्थितः॥तिस्वगृहसंज्ञा।अजरपमृगा वालाकमीनतुलाधिपाः॥२०॥स्थितासूपदियस्तुंगेप्रोक्ताश परमोच्चकैःइतिसूर्यादीनामुवसंतातुलालिकर्कमीनेषमा गकन्याक्रियेषुचाप्रोक्तांश:परमानीचस्थितासल्यादयः। क्रमातू॥इतिसूर्यादीनांनीचसंज्ञा आसागुणाविंशतिति।। - - - -- - mporammarmananews - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाममाला AAR / थिभूतऋक्षमितेनख॥२२॥भागेषुपरमोच्चस्थानीयसूर्यादयो पिच॥तिसूर्यादीनांपरमनीचसंज्ञा कमान्मूलत्रिकोणस्था नेयासूर्यादयोग्रहा॥२३॥ सिंहोषोमेषकन्याचापतौलिपटे बपि।तिसूर्यादीनांमूलत्रिकोणसंतापसिंहेनखांशा:सूर्यस्य॥ त्रिकोणःस्वगृहस्ततः॥२४॥रषभागास्त्रयास्वोच्चंविधो परं त्रिकोणकंगमेषेकौशास्त्रिकोणंचधरा-सूनोस्ततःस्वतः॥२५॥ कन्यायांतिथयोभागाःस्वोच्चंपंचततःपरं त्रिकोणसंज्ञासौम्य स्यततःस्वगृहमुच्यते॥२६॥ चापस्त्रिकोणपंचांशाःस्वक्षेत्रंचा। परंगरोः॥शुक्रस्त्रिकोणतिथ्यशास्तलागांस्वालयंततः॥२७॥|| नवांशश्वत्रिकोणोक्तंततःवभक्नेपटाइतिखगहोच्चमूल त्रिकोणसंज्ञाणकेडोलतातिविप्रेणहरतेनधीमतोनाम मालाकृताश्रेष्ठागुरोःप्रासादतोमया॥२८॥तिश्रीदरिदताचा|| र्येणविरचितंगणितस्यनाममालासमाप्ता॥ 7 // श्री - - -- ------ - - - - - - -- - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मातृकाकोश - - - - श्रीगणेशायनमः॥श्रीगणेशमदेशानम्भारतीमीश्वरंशिवम्॥न | त्वावक्ष्यमात्रिकाणान्निपण्टंवालबुड्ये॥१॥जोंध्रुवस्तारस्त्रिर ब्रह्मवेदादिस्तारकोव्ययः॥प्रणवश्चत्रिमात्रोपिओंकारोज्योतिरा |दित:॥२॥अश्रीकण्ठम्केशवश्वापिनिवृत्तिश्वस्वरादिकः॥अका |रोमात्रिकाद्यश्चवातद्यभिधीयते॥३॥आनारायणस्तथानन्तोमु रत्तोगुरुस्तथा॥विष्णुशय्यातथाशेषोदीर्घआकारणवच॥४॥ माधवस्तस्मसंतश्वविद्यादक्षिणलोचनम्॥गन्धर्व:पांचजन्य श्वेदकारश्वमुकोकुरः॥५॥गोबिन्दश्वत्रिमूर्तीशःशातिरस्या गमलोचनम्॥नृसिहास्त्रन्तथामायाकारोपिसुरेश्वरः॥६॥॥ उ.अमरेशस्तथाविष्णुरिन्धिकाचगजांकुश:॥दक्षकर्णश्ववि| जयीउकारोमन्मथाधिपः॥७॥ऊ अहोशोदीपिकावामश्रवण म्मधुसूदनः।।इंद्रचापधण्मुखश्वऊकारोरक्षणाधिपः॥८॥ // देविकादानासाचभारभूतिस्त्रिविक्रमः॥देवमातारिपुघ्र श्वकारस्तपनस्तथालाऋअतिथीशोनामनवमोचिका वामनासिकाादैसमाताचदैवज्ञऋकारस्त्रिपुरान्तकः।।१०।। || लश्रीधरश्वपरास्थाणुर्दक्षगण्टु स्त्रिवेदकः॥एकांघ्रिर्वजदण्ड श्वव्योमर्डिले स्वररस्मृतः॥१॥लहृषीकेशोहरस्सूक्ष्मोवाम||| गण्डकुबेरहकाभईनिीलचरणोलकारमचत्रिकूटकः॥१२॥ए| झिं टीशःपद्मनाभश्वशक्तिरसूक्ष्मामृताभगः।अष्टगः कामरूपएकारश्वत्रिकोणकः॥१३॥ऐज्ञानामृतोभौतिकश्वाध रोदामोदरस्तथा।वागीशोवर्मभयद कारस्त्रिपुरस्तथा॥१४ ओसघोजातोवासुदेव दंन्तस्त्रिमात्र कः॥आप्यायनीम|| बनाथओकारोनागसेज्ञकः॥१५॥औसंकर्षणीनुग्रहेशम रारियापिनीतथा॥अथोदंतगतोमायीनृसिंहांगस्तथोरसः || |॥१६॥अंअंक्ररोज्योमरूपवषयम्नश्चन्द्रसंशकः॥अनुस्वारस्त [थाविन्दरंकारेश्वशिरोव्ययः॥१७॥अ-अनन्तश्वमहासेनोऽ e -meme- - -- Rampawanamurmameramananews -- For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मातृकाकोश 2 3 - - - - - निरुद्धोरसवर्णकः॥कन्यास्तननिभस्मोविसर्गश्वांतिमस्स्वरः। ॥१८॥काकोधीशोधातृसंतश्चक्रीसृष्टिश्वकरादिगः॥वर्गादिगण दवेषःककारस्कामगरस्मृतःलाखक्रुधाईगदिचण्डीशा रखेटो। दक्षिणकूपर कैटभारिश्वमातंगःसंहार-खार्णकःस्मृतः॥२०॥ गस्मृतिःपंचातकश्शाड्रीगणेशोमणिबन्धगः॥गोमुरखोगजक भश्चगकारःसिंहसंज्ञकः॥२१॥धखड़ीशिवोत्तमोमेधादक्षिणा लिमूलगः॥धनोघनस्वरश्वधकारोडादिमरस्मृतः॥२२॥ संज्ञाकोरुद्रकान्तिश्चदशांगुल्यग्रसंस्थितः॥कीववश्वभद्रेश डकारानुनासिकः॥२३॥चहलीकूर्मेश्चरोलक्ष्मीवीमवाहादि गस्तथा।चित्रधारीचंचलश्वरकाररसंस्मृतोबुधैः॥२४॥छएक नेत्रश्वमुशलीनामकूपरंगोद्युतिः॥त्रिषिन्दुकस्तथाचारीलकार श्लेभकाभिधः॥२५॥जस्थिराजपन्नौजपजशूलीचचतुराननः॥ मणिबन्धगतोबामेजकारांजनकोत्तमः॥२६॥झस्थितिः पाशीत थाजेशोवामांगलितलस्थितः॥स्वस्तिकरस्थाणुसंज्ञश्चझकारों, जान्तसंज्ञकः॥२७॥जवामाडाल्यग्रतःसिद्धिस्कुशीसर्वसंज्ञकः। मातंगोद्यनुगासनश्वनकारवनिरंजनः॥२८॥टजरामुकुंदरमो मेशोरक्षपादादिगोमुखः॥गजांक्शश्ववालेंदुरमृताधष्टकरम, तः॥२९॥ठलागलीशोनन्दजश्वपालिनीचकमण्डलुः॥दक्षजाना गतस्स्थायीउकारस्थ विरस्स्मृतः॥३०॥डनंदीक्षांतिदारकश्च डामरोदक्षगुल्फगः।व्याघ्रपादश्शुभांप्रिवडकारस्तोमरोमतः॥ ||॥३१॥ढऐश्वरीचा नारीशोनरश्शाखोतराततिः।।दक्षपादांगुलीभू लोढलोढकोढकारकः॥३२॥णउमाकांतोनरकजितिदक्षपदाग्रगः निर्वाणस्त्रिगुणाकारस्रेिखोणस्समीरितः॥३२॥ तवामोरूमूल|| निलयआषाढीकामिकादरिः।तीवश्चतरलोनीलस्तकार-कीर्ति तोबुधैः॥३४॥थदण्डीशोवराकृष्णोवामजानुगतस्मराशी रिचापिविशालाक्षस्थकारःपरिकीर्तितः॥३५॥दसत्योत्रीशो॥ - - - - - - - -- - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मातकाकोश m - o - me - ल्हादिनीचवामगुल्फगतस्तथा।शूलीकुबेरोदाताचदकारोधादिम स्मृतः॥३६॥धमीनेशस्सात्वतप्रीतिर्वामपादांगुलीगत:॥धनेशोध रणीशश्वधकारोदांतिमस्स्मृतः॥३॥नशारीमेश्वरीदीवामपा|| दाग्रसंस्थितःनिरोनदीनोनादीचनकारश्वानुनासिकः॥३८॥पती एणाचलोहितश्शूरोट्क्षपार्श्वश्वपार्थिवः।पोशोनान्तिमःफादिप कारोपिप्रकीर्तितः॥३॥फजनार्दनीशिरवीरौद्रीवामपार्थसतालयः| फटकार:स्रोच्यतेसभिपकार-पांतिमस्स्मृतः॥४॥बडलगण्डोभू धरश्चभयापृष्ठगतस्तथा।सुरसोवन्त्रमुष्टिश्चबकारोभादिमोमतः ४ाभविश्वमूर्तिहिरण्डेशोनिद्रानाभिगतोपिचाभ्रकुटीचभरद्वाजो|| भकारबजयापहः॥४२॥मवैकुण्ठश्वमहाकालस्तन्द्रीजठरसंस्थि तः॥मन्त्रेशोमण्डलोमानीविषस्सूर्योमकारकः॥४३॥यसुधावाला चवायुस्त्वग्धृतश्वपुरुषोत्तमः॥यमुनोयामुनेयश्वयकारोयांन्ति| मरस्मृतः॥४४ास्क्रोधिनीचभुजेगेशीन्चालीरुधिरपावकारोचि प्यान्दक्षिणांशश्वसचिरोरेफरतः॥४ालक्रियाककुदतोमांसंपि नाकीभूर्वलानुजगालंपट शक्रसंज्ञश्ववाद्योरांतोलकारकः॥४६॥ ववालोवामांसनिलयोमेदोवारिट्वारुणौ।उत्कारीजलसंज्ञश्च खनीशोपिवकारकः॥४७॥शमृत्कर्वकोषघ्नश्चहृदोदक्षकरस्थिी ताशंकुकर्णोस्थिसंतश्वशकागविगिरीरितः॥४ाषषःश्तेश्व स्पीतामज्जा हामबाहुगः॥षडाननष्पकारश्वकीर्तितववll धेरखरः॥४९॥सभृगश्वेतस्तथासोहदोदक्षिणयादगासम यस्सामगशुक्ररसंगतिस्साकशशीगाहनभोवराहोनकु लोहदोवामपदस्थितःासदाशिवोरुणप्राणाहकारम्बदयाननः।) पालुंहृदयान्नाभिसंस्थानशिवेशोविमलोसितःलघुप्रयत्नश्चों पान्योलुंकारस्त्रोच्यतेबुधैः॥२॥क्षसंवर्तकोनृसिंहवहृद पान्मुरवसंस्थितःभनन्तःपरमात्माचवनकायोन्तिमाक्ष // 53 // ॥तिहादिमतेमाहकाकोश:समाप्त:॥ ॥श्री // - Meam - - - - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir amme - अव्ययकोश IN गणेशायनमः॥अथव्ययकोशप्रारम्भ गजानननमस्तेस्त। विप्रहरैनमःविश्वस्यांकहरेहारेसर्वलोकशिवकरं॥१॥श्री|| मपरमानंदेवदेवानंदविग्रह।यस्यसान्निध्यमात्रेणचिदान यतैवपुः॥२॥अव्ययार्थप्रकाशश्रीमहादेवकृतीसुधीसिद्धों तकौमुदीतत्वबोधिनीसुमनोरमांशपुराणकाव्यकोशादीनस | गलोच्यगुसूक्तितः विपित्सूनापतनुतेबालानांबोधसिद्धयन चमत्सरशोमेदः क ति रखता। गंगाधरपटांभोज रुप योरुतयैविभावस्व परलोकस्पाच्चैमहतिसूरिभिः नामनाकिंचिदीषदेतान्यल्पेमनीषिभिः॥६॥धक्सत्येवि यागच शीघ्रसामीप्ययोरपिालापनार्थसमारख्यातनानानक सपनाजोषमौनसुखेचस्यात् आराहरसमीपयोगते मायाकीमतरेणहिरुकविना॥अंतराच पृथक्वजे॥ ॥'धतातु कस्मृतीचिरेणचिरैरान्नायचिरस्यचचिरायंचलाl रिचिराद्दी कालेप्रोक्तंकवारिमूर्धनिपौवधारणेधीरैर्व षाप्रथमाथे 'योः॥१॥अबोबदिवबाह्यर्थेप्रागैतीताथेका / तामध्येस मीपेसमांतल्याथै विप्रवत्स्मतं॥१॥थामुर पथाव्यथाना शभर्तनयोश्चधिकानक्तंरात्रविषादोषानिशि! (तानिसूरिभिः नानानननासंबंधेनिषेधार्थ मनीषिभिः। गदरिद्धाविरेतानि काशनाम्निमूरिभिः॥१३॥अधैजुगुशित) मिप्रेत्यांमुत्रभवांत. देवधारणेतवैचाप्रोक्तमनीषिभिः | निषेधाशंकयो जमिननेतकै थनिश्वासनोत्सनसनो नित्य कदथै कुत्सि तैकु. १५॥शीप्रार्थकालभूयस्त्वाधुनाथे| प्रश्नके ज्योक्॥अकस्मि के विमर्शसहसक्तिंमनीषिभिः१६ अवार्यद्राक्थुमसुमति तिझागितिद्वत आसयःसपा क्तिविशेष विकर्तयो:॥१७. मौनतमीतूस्मीकैप्रोक्तंसाय निशमुखाअलभूषणपति पशक्तिवारणवाच॥१६॥ mom mages earr me - EDS 3DDED - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir maa m ananeepatite - -- Sure new - अव्ययकोश 2 उपोभुचांप्रकाशेवाउच्चारणरहस्ययोः प्रोक्तमिथोमियोन्योन्ये सहाथैचरहस्यपि॥१९॥असिमकालेचप्रबाहकैप्रवाहिका ॥अनुकैईवितर्कचत्वेजसशिप्रलत्वयोः॥२०॥ख्यातानेकार्थकेस तासाकैसाईसमंसह अतिकैनिकषाधीरैस्कूपवानप्रशंसयोः ॥शावाविकल्पोपमापादपूरणपिसमुच्चय।अन्धाचयेसमाहा' रइतरेतरयोग ।।२२।।सारश्यानवयोश्चत्वैवधारणसाम्यये. शश्वन्नित्सेसहाथैपित्ताधिक्यचविधारणे॥२॥विशेषेषथर थपिन्रैदानेवनागरवावधारणेसाम्यान्वक्लप्त्योर्मनी // 20 // यावत्ताबच्चसाकल्यैवधौमानेवधारणेदवैत्यमर्थयो धारणमतैपिच॥२॥अमंगीकारउक्तैरंगीकारेतुच ताप्रतिषविचारैपि नेत्समुच्चयशेकयोः॥३६॥ मंगलानतरारंभ प्रश्नकात्स्नोधिकारके समुच्चयेप्रतिक्षायामयाँथोकीर्तिता 27 // हुकुमनायोवार्तायामलोकपिकिलस्मृताभनवकूत। चगहोंयो यत्रकीर्तितारपादपूर्तावतीतेस्मथ पिाहतहर्षेनुकंपायौवाक्यारंभविनादयोः॥निषेधवाक्या लेकारजितासानुनयेखलँउपक्रमैच हिंसायाकुत्सनेलादहस्मृत 3 // प्रातःप्रभाउपधाभेदेप्रोक्तानतौनमः॥गोमाताला अहोआमंत्रणेते॥३॥अंतनेिसनुत कियामांवेशनैस्मृतं रातत्रोक्तंप्रातिलोम्येपादपूरणहिसयोमानत औषडौषषट्स्वधाअन्याथैन्यसमातोशंबविताभिमु| ख्ययोग्लानोप्रतासमानार्थेषशालिस्तारकेप्रशनावला कारेचार्यहलविहसाविपदर्थके॥३४॥ सूयायांमुपगमेस्वछंदे काममारिता विशेषेप्रथमार्थवावधारणसहार्थयोः॥३५॥मुहनपुनःशश्वदेभीक्ष्णमसरसमा सकपकामबलवाहिकल्स तिशयैसमाः॥३६॥नित्यजस्वमनिशंसंततनित्पदासमाः।सा तत्यर्थ पृथिव्यांभूरैतरिक्षेभुवसतीगरोदसीयोपथिव्यथै| - - मचानुन येव 33 / - %D -- - - - - - - - -- - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अव्ययकोश३ tyMADA -- - - - - - - नेदायाँदष्टकीर्तितअंगीकारेब्रह्मणीचमतमोतप्रकीर्तित॥३८॥ प्रशंसायोविकल्पेचसष्टप्रोक्तमनीषिभिान्याय्ये देसाप्रतस्थाने पशैलमतिनिर्भरे॥३॥ पूजनैपिसुचत्रोक्तंसाक्षात्प्रत्यक्षतुल्य साचित्रोक्ततिर्यगर्थउत्कर्षवरषस्मृतम्॥४॥विततार्थम् || मायथाथैतुयथातथा हौद्धतार्थकंपोक्तसादृश्यवस्मृत / बुधैः॥४॥संवैवरेत्वयिथावतपथातयनिष्यमदुष्य गोत्ववप्रयनिश्चयेस्मत॥४॥आनुषक्त्वनुमानार्थशुपा सुदिमतसष्णपक्षेत्रदिप्रोक्तं प्रत्यारंभेनहस्मृत॥४३॥पादपू प्रसिद्धगैहकचित्तामप्रवेदनप्रितीच्यांचरमपश्वानिर्देशा। तथाहितु॥४॥अवदत्तप्रदानेस्वात्सम्यगर्थेपर्युस्मृताहेतौर परत्युद्य दिपक्षातरनिमित्तयो॥४५॥परिप्रभवितकैचभम नेह प्रकीतिताचटचाटेपियवाक्यसादृश्यार्थदवस्मृतं॥४३ill डोषद? भिल्याप्तौसीमाधात्वर्थयोगयो।मर्यादागास्मृतसद्धि रातुस्मरणवाययोगासंबोधननिषेधाधिक्षेपेषुमनी / षिभिः।।आस्तुको पैचपीडायमिति विस्मयजुगुभयोः॥४८॥ओ || प्याटपाडेगहभोईऔरतजभगोः॥अयेपोस्वितिसंबुद्धी लेधनतीवनिर्भरे।।४॥प्रकर्षाथै पिप्रजायामितिस्विस्त्रश्नतर्क योःचाचाचपोसमाहारट्तरेतरयोग॥५०॥समुच्चयैपादपूतो। वानंदेविस्मयैस्मृती अर्धागीकारकेसत्यमसासहसमीपयोः / ५ाकुत्सषेदर्थपापैक किलायोजगुप्मने। मंगलाशी-क्षेपपुण्या स्वस्तिशक्त मनीषिभिः॥२॥भेदेवधारणेपादपूरणेतुमनीषिभिः॥ खेदानुकंपासंतोषविस्मपामंत्रणेवता॥५३॥प्रश्नावधारणानुज्ञा ननयामंत्रणेष्वपिविरोधो कौननुप्रोक्त वितर्कपश्भयो च॥el इतिहेतुप्रकरणावधारणसमाप्तिपापकर्षे आनंदआर्यावधे।। मनीषिभिः॥५५॥स्याप्रबंधगिरातातैविकटाँगामिकेपुराअत्व रितेसमारख्यात विशेषाप्रथमायो॥५६॥ इथंभूतारल्यानकेच // -nam - / me - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अव्ययकोश 4 - - %3D बीमालक्षणभागकै अभिप्रोक्तंचविडिवर्जनत्वपकीर्तित ५॥इथंभूतारल्यानकैचवीशालक्षणभागकेवर्जनपरिनो तमुपहिनधिकैबुधैः॥५॥प्रथमैत्वरितेल्यातैनिकटागामि केग्रतः। इत्थंभूताख्यानकैचवीसालक्षणभागके।५९॥प्रादे दानप्रतिनिधौत्रतिप्रोक्तमनीषिभिः॥ इत्यंभूतारज्यान केच सालसणभागकेशाप्रतीच्यांचरमेहीनेसारशैनुमनीषिभिः॥ गर्दासमुच्चयेप्रश्नेशंकासंभावनास्वपि॥६॥गर्दासमुच्चयेप्रश्ने शंकासंभावनेसच॥विकल्प उतरल्यातमेवव्यछमर्थयो। ६२॥साम्यवधारणेप्रोक्तमत्तएवमनीषिभिः॥ नामप्रकाशसभा व्यकोधोपगमकत्मने॥३॥उरंगरीचौररीच विस्तारेगलती। पासमीपोभवतःशीघ्रसाकल्पाभिमुखैभितः॥तिशतधौनि यंगनिनिश्चयनिषेधयोः।यहायातासाम्ये धीरेही हीच विस्मयादिट्याशमुपजोषवाआनंदैमास्मेवारणेसका है। कवारेस्यौदहहाअतखेदयोः॥६६॥अवधारणहत्वाश्चपसूती, कोविदःस्मृतम्।। पत्तद्यतस्ततेहितावसकल्पैकिंचन॥६॥ कदाचिन्जातुचैकार्थहा विषादशुगार्तिषु अनुकूल्यार्थकता ध्वंप्रसानुप्रगृह्यतु६॥हदार्थचसमारज्यात विशेषाप्रथ। मार्थयोअंगावधारणेप्रोक्त विकल्पैकि किमयुचअहो तो होकिमुतप्रोक्तान्येतानिमूरिभिः॥समंत परिभिसर्वतोचि | बगिध्वपि॥७॥तदातदानौयुगपंदेकदासर्वदातदार तर्हि.. संप्रतीदानीमधुनासोपतता७१॥उभयद्यश्चभियपरत्वाई परेद्यविहोतातैनागतेन्हि व परश्वस्तपरहनि ॥२॥दिदेश कालेपूर्वास पागुदप्रत्ययादयः अर बायर्यपूर्वन्हित्सादौ पूर्वी न्नरापरा॥७३॥श्रीमदव्ययकोशसितासतोषकारकम्।।पठता मपिमंदानीज्ञानभवतिनिश्विने७४ अबत्वत्पदपंकजयोस्त्वकारितो पितीय ग्रंथोतावित्पित्स्नाभजतांडानभूयासाद तिम०को सन - For Private and Personal Use Only
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