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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir a nd -o - - - -- aana - - - - धनजयकोश६ स्तिपके सने सिंहस्य - लिानिषाद्योपानागारिकंठीरवामृगेन्द्र केसरीहरिः॥१८॥ व्याघ्रश्वशुरःशार्दल शरभोटापटो पातक्रिोडौवहारोद राष्ट्रीचंवृष्टि-पोत्रीचशूकरः। कोलकिरि:किटिचोंणीभूदारक दमप्रियःस्तिोउष्ट्रोमयःशृंखलाकरमाशीघ्रगामिकः॥ कोले यकःसारमेयोमंडल:श्वापुरोगतिः॥०॥जिव्हापोग्राम शाईल कुक्कऐरात्रि जागरः॥ हेमचाष्टापदेस्वर्णकनकार्जु नकोचनम्रपासवर्णहिरण्यभर्मजातरूपचहाटकमात तपनीयकलधौतंच कार्नवरशिलोद्भव९ि२॥रुप्यरजतगाला कातिजमौक्तिकतोगक्तिवस्तवरूद्रव्यस्वार्थराइविण|| धनम्॥३॥कवरत त्पतिहिकुबेरंचैकैपिंगलमावैश्रवण राजराजमनराशापतितथा॥४॥अलकानिलयश्रीदेधनपा यदायकाराष्ट्रजनपदोनयोजनान्तीविषय:स्मृतः॥ 5 // रीपू:पुरनगरी पत्तनं पुटभेटुनौविलपनर्मास्यच बदलिना दनमुखम् आनन श्रवणश्रोत्रंश्रवकणेति विदः॥॥ गहिचानयनदृष्टिनेत्र विलोचनमस्क रीक्षा विभ्रमस्तस्यवहतमदिन्तावासोधियोसवर्णितोदशी नछदाराशरोध गलागीवकिटमधमनीयमादिदोष चभुजाबाद-पाणिर्दस्त करस्तथालाप्राहा हशिशेसच। हस्तशाखाकरांगुलि नासाप्रोणमुरोद कुक्षिस्यज्जिठरे|| दिरैम। १०॥स्तनं पयोधरकचौक्लोजॉइनिवर्णितीणकटिनि तम्बोणीचजघनंजानुजन्हच॥॥चलनंचरणंपादक। मोनिश्चपेटविदुः शिरोमतिमोगकारपोरेतरितम् // ॥२॥वाग्नचौवचन वाणीभारतीगीरसरस्वती सिंहदिपधने गजेहिषांश्चैवृहितगजे३॥स्फीततधेनकलभेस्तान जलदेतथा। स्यन्दनेचीतखेतमभटेधुष्टौचहतमा सीत्रुतमाणितकामेखतखलायुमंजीरक लोका 3pm 7 करा 3 - - 25E0 3D - - For Private and Personal Use Only
SR No.020323
Book TitleDwadash Koshanam Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages301
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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