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हमारी संस्था अब तक विद्वद् योग्य सामग्री तैयार करती रही है । अतः संस्था को जनप्रिय बनाने के लिए सरल भाषा में छोटी-छोटी पुस्तकें तैयार कराकर प्रकाशित कराने की योजना है । और संभव हो तो निःशुल्क वितरण किया जाये ।
अस्तु स्व० मोहनलाल जी बांठिया इस संस्था के संस्थापक ही नहीं थे, वे इतने कोशों की रूपरेखा तैयार करके छोड़ गये है कि कई विद्वान वर्षों तक तो समाप्त न हो। ऐसे मनीषी की स्मृति में ठोस कार्य होना ही चाहिए ।
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मेरे अनन्य साथी जैन दर्शन समिति के अध्यक्ष- - श्री अभयसिंहजी सुराना का हम हार्दिक अभिनन्दन करते हैं जो हमें हर प्रकार से सहयोग दिया है।
इस संस्था का पावन उद्देश्य जैन दर्शन व भारतीय दर्शन को उजागर करना है। जिससे मानव ज्ञान रश्मियों से अपने अज्ञान अंधकार को मिटा सकें ।
इस संस्था द्वारा प्रकाशित साहित्य सस्ते दामों में वितरण कर अधिक से अधिक प्रचार हो यही इसका पावन उद्देश्य है । इस पुनीत कार्य में सबका अपेक्षित है।
सहयोग
कलकत्ता १-१२-१०
प्राण थे । कार्य करे
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भवदीय :
- नवरतनमल सुराणा भूतपूर्व अध्यक्ष जैन दर्शन समिति
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