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.८ नागकुमार द्यवत् स्तनितकुमारों का
तेण कालेन तेणं समए णं समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे असुरिंदवज्जिया भवणवासी देवा अंतियं पाउन्भवित्था - नागपइगो सुवण्णा, विज्जू अग्गीया दीवा उदही दिसाकुमारा य पवणेथणिया य भवणवासी । णागफडा-गरुल - वयर - पण्णकलस - सीह - हय-गय-मगर मउड- वद्धमाण- गणितविवित्त-विधगया सुरूवा महिड्डिया सेंस तं चैव जाव पज्जुवासंति ।
-- ओव० सू ४८
( २२८ )
उस काल उस समय में श्रमण भगवान् महावीर के समी असुरेन्द्रों को छोड़कर अन्य बहुत से नाग कुमार, सुवर्ण कुमार, विद्यत्कुमार, अग्निकुमार, द्वीपकुमार, उदधि कुमार, दिशा कुमार, पवन कुमार और स्वनित कुमार जाति के भवन वासीदेव प्रकट हुए ।
उनके यथा स्थान से विचित्र ( विविध ) चिन्ह नियुक्त थे - यथा -
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- नागफण, २ - गरुड़, ३ - वज्र, ४ - पुण्य कलश, ५--सिंह, ६ - अश्व, ७हाथी, ८- मगर और ६ वर्द्धमानक (शराब) चिन्ह से अंकित मुकुट थे । वे सुरूप महर्द्धिक आदि असुर कुमार देवों के वर्णन के समान थे । यहाँ तक पर्युपासना कर रहे थे
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. ९ वाणव्यंतर देवों का -
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे वाणमंतरा देवा अंतियं पाउ भवित्था । पिसाया १, भूयाय २, जक्ख ३, रक्सस ४, किंनर ५, किंपुरिस ६, भुयगवइणोय महाकाया ७, गंधव्वणिकायगणा णिउणगंधव्वगीयरइणो ८, अणपणिय ९, पणपण्णिय १०, इसिचाईय ११ भूयवाईय १२, कंद्रिय १३, महाकंदियाय १४, कुहंड १५, पयएय १६, देवा । बंचल - खवल चित्त - कीलण दव - पिया गंभीर - हसिय- भणिय-पीय-गीय णश्चण-रई वणमाला मेल- मउड - कुंडल - सच्छंद - विउब्विया भरण- खारू - रु-विभूसण-धरा सव्वोउयसुरभि - कुसुम- सुरइय- पलंब सोहंत- कंत-वियसंत-वित्त-वणमाल रइय वच्छा कामगमी कामरूधारी णाणाविह-वण्ण-राग- वर-वत्थ-वित्त-विल्लिय नियंसणा विविह- देसी - वत्थ-ग्गहिय वेसा पमुइय कंदप्प-कलह-केलि कोलाहल-प्पियाहास-बोल - बहुला अणेगमणि - रयण- विविह-निणुत्त-विवित्त-विधगया सुरुवा महिडिआ जाव पज्जुवासंति ।
प्रकट हुए ।
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ओव सू० ४६
उस काल उस समय में श्रमण भगवान् महावीर के समीप, बहुत से वाणव्यंतर देव
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