Book Title: Vardhaman Jivan kosha Part 3
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 516
________________ ( ४३३ ) कल्पसूत्र सुबोधिका - विनयविजय उपाध्याय, १७वीं सदी । कहारयण कोश - देवप्रभसूरि, ११५८ वि.सं. कथानक कोश - जिनेश्वरीसूरि । कथाकोश - मरतेश्वरसूरि बाहुबलि, वृत्ति - शुभशील गणि । कल्पसूत्र कल्पलता व्याख्या, प्रकाशक- वेलजी शीवजी कम्पनी, दाणानगर, बम्बई, सन् १९१८ । ज्ञाता सूत्रवृत्ति - अभयदेव सुरि, १२वीं सदी । चपन्न महापुरिसचरियं शीलांगाचार्य (वि० सं० १२५ ) । प्रकाशक - प्राकृत ग्रंथपरिषद, वाराणसी - सन् १९६१ । चतुर्विंशतिस्त्वन- भीमजयाचार्य प्र० ओसवाल प्रेस, कलकत्ता । चंदन मलयागिरिदास - भाणविजय, १८१२ । तिलोयपण्णत्ती - रचयिता - आचार्य यतिवृषभ, प्रकाशक- जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर - १९५१ दशवेकालिक नियुक्ति - आचार्य भद्रबाहु, छठी सदी । धन्यशालिभद्रचरित्र - भद्रगुप्त, १४वीं सदी । धर्मरत प्रकरण (वृत्ति ) - आचार्य शांतिसूरि । धर्मोपदेशमत्ला - जयसिंह सूरि, वि० सं० ६१५, प्रकाशक - सिंधी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्याभवन, बम्बई - १६४६ नदीवृत्ति - मलयगिरि - १२वीं सदी । निशीथचूर्णी - जिनभद्रगणिमहत्तर, छठी सदी । पाण्डव पुराण - महारक शुभचंद्र, १३वीं सदी । पाश्वनाथ चरित्र - उदयवीरगणि, १६वीं सदी । पृहषीचंद चरित्र ( पृथ्वीचंद्र चरित ) - सत्याचार्य, वि० १६वीं सदी । बृहत्कथा कोष – आचार्य हरिषेण, वि० सं० १५५ । นท Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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