Book Title: Vardhaman Jivan kosha Part 3
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 524
________________ ( ४१) मुनिश्री लाभचन्द (श्रमण संघीय ), कलकत्ता। 'श्री वर्धमान जीवन कोश' प्रथम खण्ड देखने को मिला। यह पुस्तक सर्वप्रथम पुस्तक है जिसमें भगवान महावीर की जीवनी यथार्थ रूप से लिखने में आई है। श्री कन्हैयालाल सेठिया, कलकत्ता। सम्पादक द्वय का गहन अध्ययन और अधक भम इस ग्रन्थ में प्रतिम्बित हुआ है। शोधार्थियों के लिए यह ग्रन्थ अत्यन्त उपयोगी है। अखिल भारतीय प्राच्यविद्या सम्मेलन, ३१वां अधिवेशन में। जैन दर्शन समिति (-१६ सी डोवर लेन, कलकत्ता २६ ) द्वारा श्रीचन्द चोरडिया के सम्पादन में 'वर्षमान जीवन कोश' कृति का प्रकाशन हुआ है। प्रारम्भ में स्वनामधन्य आदरणीय जेनरत्न श्री मोहनलालजी बांठिया इस योजना के प्रवर्तक थे। श्री चोरडियाजी के सहयोग से यह ग्रन्थ तैयार हुआ था। भगवान महावीर की जीवनी से सम्बन्धित सामग्री को प्रस्तुत करने वाला यह ग्रन्थरन अत्यन्त उपयोगी एवं संग्रहणीय है। प्राकृत एवं जेन विद्या विभाग अध्यक्षीय भाषण २६ से ३१-१०-८२ डा० भागचन्द्र जैन, नागपुर। प्रस्तुत समीक्ष्य ग्रन्थ 'वर्धमान जीवन कोश' का प्रकाशन जैन विषय कोष योजना के अन्तर्गत हुआ। सम्पादक द्वय ने इस ग्रन्थ की सामग्री साम्प्रदायिकता के दायरे से हटकर उपलब्ध समस्त वाङ्मय से एकत्रित की है। प्रस्तुत प्रकाशित प्रथम खण्ड में तीर्थकर महावीर के जीवन विषयक, च्यवन से परिनिर्वाण तक का विषय संयोजित हुआ है। सामग्री को प्रस्तुति में सम्पादन कला का निर्दोष उपयोग हुआ है। यशपाल जैन, दिल्ली। भगवान महावीर के जीवन से सम्बन्धित यह 'विश्वकोश है। भगवान महावीर के जीवन और सिद्धान्तों के विषय में विपुल साहित्य की रचना हुई है, किन्तु वह इतना फैला हुआ है कि शोधकर्ताओं को इसकी पूरी जानकारी प्राप्त करने में बड़ी कठिनाई होती है। बालोच्य कोश ने उस कठिनाई को बहुत कुछ अंशों में दूर कर दिया। भंवरखाल नाहटा, कलकत्ता। भगवान महावीर की जीवनी सम्बन्धी समस्त पहलुओं के अवतरणों का संग्रह करने में विद्वान सम्पादकों ने बड़े ही धैर्यपूर्वक अतसमुद्र का अवगाहन कर बहुत ही महत्वपूर्ण भागीरथ प्रयत्न किया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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