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( २६१ ) नोट :-'रथमुसल'-मुशल युक्त रथ को 'रथमुशल' कहते है। अर्थात रथ से निकलकर
मुसल बहुत वेग से दौड़ कर शत्रुपक्ष का विनाश (संहार) करता है-उस संग्राम को 'रथमुसल कहते है। चमरेन्द्र ने रथमुसल संग्राम को विकुर्वित किया। '२ नायमेयं अरहया, सुयमेयं अरहया, विण्णायमेयं अरहया-रहमुसले संगामे रहमुसलेणं भंते ! संगामे वट्टमाणे के जइत्था ? के पराजइत्था ? गोयमा! वजी, विदेहपुत्ते, चमरे असुरिंदे असुरकुमारराजा जइत्था, नष मलई, नव लेच्छई पराजइत्था ॥१८२॥
तएणं से कूणिए राया रहमुसलं संगाम उचट्ठियं, सेसं जहा महासिलाकंटए णवरं भूयाणंदे हस्थिराया जाव रहमुसलं संगाम आयावाए । पुरओ य से सक्के, देविदेदेवराया एवं तहेव जाप चिट्ठति, मग्गाओय से चमरे असुरे असुरिंदे असुरकुमार राया एगं महं आयसं किढिणपडिरुवर्ग विउवित्ता णं चिट्ठइ । एवं खलु तओईदा संगाम संगामेंति तं जहा देविंदेय मणुईदेय, असुरिंदे य । एगं हथिणापि णं पभू कूणिए राया जइत्तए, तहेव जाव दिसोदिसिं पडिसेहित्था ।
से केणणं भंते ! एवं वुश्चइ-रहमुसले संगामे ?
गोयमा! रहमुसलेणं संगामे वहमाणे एगे रहे अणासए, असारहिए, अणारोहए, समुसले महया अणक्खयं, जणवह, जणप्पमई, जणसंवट्टकप्पं रुहिरकहमं करेमाणे सव्वओ समंता परिधावित्था, से तेणणx x x रहमुसले संगामे।
रहमुसलेणं भंते ! संगामे वट्टमाणे कति जणसय साहस्सीओ वहियाओ? गोयमा । छण्णउति जणसयसाहस्सीओ पहियाओ।
तेणं भंते ! मणुयानिस्सीला x x x उववन्ना।
गोयमा ! तत्थ णं दससाहस्सीओ एगाएमच्छियाए कुच्छिसि उवषन्नाओ। एगे देवलोगेसु उववन्ने । एगेसुकुले पच्चायाए। अवसेसा उस्लणं नरग-तिरिपखजोणिएसु उपवन्ना।।
-भग० श• ७।उ ६ सू० १८२ से १६० अरिहंत ने जाना है, अरिहंत ने प्रत्यक्ष किया है, अरिहंत ने विशेष प्रकार जाना है
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