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३-अव्यक्तिक ४-सामुच्छेदिक . ५-द्वक्रिय ६-त्रैराशिक ७-अबद्धिक इन सात प्रवचन-निह्नवों के सात धर्माचार्य थे१-जमाली २-तिघ्यगुप्त ३-आषाढ़ ४-अश्वमित्र ५-गंग ६-षडुलुक ७-गोष्ठामाहिल इन सात प्रवचन निह्नवों के उत्पत्ति-नगर सात है१-श्रावस्ती २-ऋषभपुर ३-श्वेत विका ४-मिथिला ५-उल्लुकातीर ६-अंतरंजिका ७-दशपुर
नोट-आमूलचूल विचार परिवर्तन होने पर कुछ साधुओं ने अन्य धर्भ को स्वीकार किया, उनका यहाँ उल्लेख नहीं है। यहाँ उन साधुओं का उल्लेख है जिनका किसी एक विषय में, चालू परंपरा के साथ, मत-भेद हो गया और वे वर्तमान शासन से पृथक् हो गए किन्तु किसी अन्य धर्म को स्वीकार नहीं किया । इसलिए उन्हें अन्य धर्मी नहीं कहा गया, किन्तु जेन शासन के निह्नव ( किसी एक विषय का अपलाप करने वाले ) कहा गया है। इस प्रकार के निह्नव सात हुए है ।
इनमें से दो भगवान महावीर से कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति के बाद हुए है और शेष पाँच निर्वाण के बाद ।' इनका अस्तित्व काल भगवान महावीर के कैवल्य प्राप्ति के चौदह वर्ष के निर्वाण बाद ५८४ वर्ष तक का है । २
१ णाणुप्पतीय दुवे, उप्पण्णा णिव्वुए सेसा । आव निगा ७८४ २ चोदस सोलहसवासा, चोइस वीसुत्तरा य दोपिणसया ।
अट्ठावीसा य दुवे, पंचेवसयाउ वोयाला || पंचसया चुलसीया
आव० निगा ५८३, ५८४
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