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( २५० ) तेण कालेण तेण समएण कमलादेवी कमलाए रायहाणीए कमलवर्डे सिए भवणे कमलसि सीहासणंसिसेसं जहा कालीए. तहेच ॥४॥
-नाया० श्रु २/व ५/अ १
उस काल उस समय में राजगृह नगर के गुणशील चैत्य में महावीर स्वामी का पदार्पण हुआ । परिषद् आकर सेवा करने लगी।
उस काल उस समय में कमलादेवी कमला नाम की राजधानी में कलावतंसक भवन में कमल नामक सिंहासन पर बैठी थी। कालीदेवी की तरह भगवान महावीर को वंदनार्थ आयी।
.२१ सूरप्रभादेवी ( सूर्य की देवी )
तेणं कालेणां तेणं समएण' रायगिहे समोसरण जाव परिसा पज्जुवासइ ॥४॥
तेणां कालेणां तेणं समएण सूरप्पभा देवी सूरंसि विमाण सि सूरप्पभंसि सीहासण सि । सेसंजहा कालीए तहा॥xxx॥५॥
-नाया० श्रु २/व ७/अ १
उस काल उस समय में राजगृह नामक नगर में भगवान महावीर का पदार्पण हुआ।
उस काल उस समय में सूरप्रभा देवी सूरप्रभ नामक सिंहासन पर बैठी थी। कालीदेवी की तरह भगवान को वंदनार्थ आयी। '२२ चंद्रप्रभा देवी (चंद्र की देवी)
तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुषासह ॥४॥
तेणं कालेणं तेणं समएणं चंदप्पभा देवी चंदप्पभंसि विमाणंसि संदप्पभंसि सीहासणंसि। सेसंजहा कालीए ।xxx।५७
-नाया० श्रु २/८/१ उस काल उस समय में राजगृह नगर में भगवान महावीर का पदार्पण हुआ। उस काल उस समय में चंद्रप्रभा नाम की देवी चंद्रप्रभ नामक सिंहासन पर बैठी थी। यह चंद्र देवेन्द्र की अग्रमहिषी थी। कालीदेवी की तरह भगवान के समवसरण में आयी। भगवान महावीर को वंदन-नमस्कार कर नाट्यविधि दिखाकर वापस गयी।
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