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( ५६ ) सो चितेइ-चोरत्ति, तेण ते गलए गहिया, ते निरुस्सासा कया, न य झाणातो कंपिया, तेसिं केवलनाणं उप्पण्णं, आउं च निद्वियं सिद्धो, तत्थ अहासंनिहिए हिं वाणमंतरेहि महिमा कया, ताहे गोसालो बाहिं ठितो पेच्छइ देवे उप्पयनिवयंते, सो जाणइएस सो पडिस्सतो डाइ, सो सामिस्स साहेइ-भयवं! तेर्सि पडिणीयाणं घरं डझइ, सिद्धत्थो भणइ-न तेसि पडिस्संतो डाइ, तेसि आयरियल्स केवलनाणमुप्पन्नं, सो य सिद्धिं गतो।xxx।
-आव० निगा ४७६!मलय टीका (ख) मुणिचंद कुमाराए कूवणय चंपरमणिजउजाणे । खोरा चारिअ अगडे सोम जयंती उवसमंति॥
-आव० निगा ४७७ मलय टीका-कुमारा नाम सन्निवेशः, तत्र चंपरमणीये उद्याने भगवान् प्रतिमा प्रतिपन्न, इतश्च मुनिचंद्रो नाम पार्श्वनाथसंतानवी आचार्यः, तं कूपनको नाम कंमकारो मारितवान् , तदनन्तरं भगवान् चोराके सन्निवेशे, वारिकावेताविति गृहीत्वा अवटे-जलरहिते कृपे दवरिकया बद्धौ लम्बमानौ प्रक्षिप्येते, उत्तार्येते च, तत्र सोमाजयन्त्यौ राजपुरुषान् उपशमयतः। ..
जब भगवान महावीर छद्मस्थ अवस्था में कुमारसंनिवेश पधारे तब वहाँ चंपकरमणीय उद्यान में प्रतिमा में स्थित हो गये। उस ग्राम में धन-धान्य की समृद्धि वाला कूपन नामक एक कुंमकार रहता था। मदिरा की क्रीड़ा की तरह उसे मदिरा से अत्यधिक प्रीति थी। उस समय उसकी शाला में मुनिचंद्राचार्य नामक एक पार्श्वनाथ प्रभु के बहुश्रुत शिष्यवर्ग के साथ रहता था। वह स्वयं के शिष्य वर्द्धन नामक सूरि को गच्छ में मुख्य रूप से स्थापित कर जिनकल्प का अति दुष्कर प्रतिक्रम करता था। तप, सत्व, श्रुत, एकत्व और बल-पांच प्रकार की तुलना करने के लिए समाधिपूर्वक उपस्थित हुआ था।
__ यहाँ गोशालक ने भगवान को कहा-हे नाथ ! इस समय मध्याह्न का समय हैइसलिये ग्राम में भिक्षा के लिए चलना चाहिए। प्रत्युत्तर में भगवान के शरीर में स्थित सिद्धार्थ देव ने कहा-आज हमारे उपवास है । तत्पश्चात क्षुधा से व्याकूल गोशालक भिक्षा के लिए ग्राम में गया ।
वहाँ चित्र-विचित्र वस्त्र को धारण करने वाले और वस्त्रादि को रखने वाले श्री पार्श्वनाथ के पूर्वोक्त शिष्यों को देखा। उन्हें पूछा-तुम कौन हो ? प्रत्युत्तर में उन्होंने कहा-हम पार्श्वनाथ तीर्थंकर के निर्ग्रन्थ शिष्य हैं। गोशालक ने हंसते-हंसते कहामिथ्या भाषण करने वालों को धिक्कार है, तुम वस्त्रादि ग्रन्थि को धारण करने वाले हो । उसके होते हुए. तुम निम्रन्थ कैसे हो सकते हो ! केवल आजीविका के लिए इस पाखंड मत की कल्पना कर रखी हो ।
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