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( १८१ ) '२७ सौगंधिका नगरी में
सौगंधिया नयरी । नीलासोगं उज्जाणं। सुकालोजक्खो। अप्पडिहओ राया। सुकण्णा देवी । महवंदे कुमारे। तस्स अरहदत्ता भारिया। जिणदासो पुत्तो । तित्थयरागमणं ।
-विवा० श्रु २/अ ५ सौगंधिका नामक नगरी थी। नीलाशोक नामक उद्यान था। जहाँ सुकाल नामक यक्ष का स्थान था। अप्रतिहत राजा था । सुकृष्णा देवी थी। महाचंद्र कुमार था। वहाँ तीर्थकर भगवान महावीर का आगमन हुआ । '२८ विजयपुर नगर में . विजयपुरं नयरं। नंदणवणंउजाणं । असोगो जक्खो। वासवदत्ते राया कण्हादेवी । सुवासवे कुमारे | x x x (सामीसमोसरणं। )xxx
-विवा० श्रु० २/४ विजयपुर नामका एक नगर था । वहाँ नन्दन वन नामका उद्यान था। वहाँ अशोक नामक यक्ष का यक्षायतन था। वहाँ के राजा का नाम वासवदत्त था। वहाँ तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी पधारे। '२९ वीरपुर नगर में
वीरपुरं नयरं । मणोरमं उज्जाणं । वीरकण्हमित्ते राया। सिरी देवी । सुजाए कुमारे | xxx सामीसमोसरणं ।xxx।
-विवा० श्र २/३ वीरपुर नामक एक नगर था, वहाँ मनोरम उद्यान था, वीरकृष्णमित्र वहाँ का राजा, श्री देवी रानी और सुजात कुमार था। भमण भगवान महावीर पधारे । '३० वीतभय नगर में पदार्पण
(क) उदायन की दीक्षा के लिए चंपानगरी से पीतभय नगर की ओर विहार
रात्रिजागरणे तस्य शुभध्यानेन तस्थुषः। ईगध्ययवसायोऽभूद्विवेकस्य सहोदरः ॥ ६१३ ॥ धन्यास्ते नगरपामा ये श्रीवीरेण ,पाविताः। राजादयोऽपि ते धन्या यैर्धर्मोऽश्रावि तन्मुखात् ॥ ६१४ ॥
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