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( 64 ) स्वर्गवासी हो गये, किन्तु श्रीचन्द चोरड़िया ने अत्यन्त परिश्रम करके तैयार किया है। इसमें भगवान महावीर के च्यवन से परिनिर्वाण आदि का विवेचन है।।
५-वर्धमान जीवन कोश-द्वितीय खण्ड-पंचम पुष्प-इसमें भगवान महावीर के श्वेताम्बर मतानुसार २७ भव तथा दिगम्बर मतानुसार ३३ भवों का आगम तथा सिद्धांत ग्रंथों के आधार पर विवेचन है। इसमें भगवान महावीर के इन्द्रभूति आदि ग्यारह गणधर तथा आर्यांचंदना के जीवन पर भी प्रकाश डाला गया है ।
६-वर्धमान जीवन कोश --तृतीय खण्ड-षष्ठम पुष्प-जो आपके हाथों में है। इसमें भगवान महावीर के चतुर्विध संघ, पार्श्वपत्यीय अणगार, सर्वज्ञ अवस्था के विहार स्थल आदि-२ का विवेचन है।
इस प्रकार जैन दर्शन समिति के द्वारा सैकड़ों विषय पर कोश संकलन कार्य हुआ है। कोशों के संबंध में भारत के उच्चकोटि के विद्वानों ने मुक्तकण्ठ से सराहना की है। इनमें मुख्य रूप से
१-स्व. प्रज्ञाचक्षु पंडित सुखलाल जी संघवी । २-स्व० आदिनाथ नेमीनाथ उपाध्याय । ३-डा. सागरमल जैन। ४- युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी । ५-डा. राजाराम जैन। ६-मुनिश्री जयंतिलाल जी महाराज । ७-प्रो० दलसुख भाई मालवणिया । ८-प्रो० डा. Alsdraf, Hamburg. आदि के नाम उल्लेखनीय है ।
इस प्रकार दशमलव प्रणाली के आधार पर करीब १००० बिषयों पर आगम तथा प्राचीन भारतीय ग्रन्थों का तलस्पर्शी अध्ययन करके स्व. मोहनलालजी बांठिया व श्रीचंद चोरड़िया ने पांडुलिपि तैयार की। जिसको हमने सुरक्षित रखा है।
इस समिति में भारतीय दर्शन में रुचि लेने वाले सभी सजन सदस्य हो सकते है। संस्था में दो सदस्य श्रेणी है
१-आजीवन संरक्षक सदस्य-जिसकी सदस्यता फीस १०००) है । उन्हें संस्था द्वारा प्रकाशित साहित्य बिना मूल्य सप्रेम भेंट किया जाता है।
२-आजीवन साधारण सदस्य-जिसकी सदस्यता फीस १०१) है। सदस्य व्यक्तिगत रूप में ही लिए जाते हैं ।
__ माननीय जोधपुर निवासी श्री जबरमलजी भंडारी इस संस्था के सहयोगी और शुभचिंतक है । उनके समय-समय पर अभूतपूर्व सुझाव मिलते रहे हैं। कोशों के प्रकाशन में उनका आर्थिक सहयोग भरपूर रहा है ।
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