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( १६ )
(ख) निर्ग्रन्थों का तप
अप्पेगइया कणगावलिं तवोकम्मं पडिवण्णा । एवं एकावलिं । खुड्डाग - सीह निक्कीलियं तवोकम्मं पडिवण्णा । अप्पेगइया महालयं सीह-निक्कीलियं तवोकम्मं पडिवण्णा । भद्दपडिमं महाभद्दपडिमं सव्वओभद्दपडिमं आयंबिलवद्धमाणं
कम्मं पडिवण्णा । मासिअं भिक्खुपडिमं, एवं दोमासिअं पडिमं, तिमासिअं भिक्खुपडिमं, जावसत्तमासिअं भिक्खपडिमं पडिवण्णा । अप्पेगइया पढमं सत्त
दि भिक्खुपडिमं पडिवण्णा, जाव तच्चं सत्त-राइदिअं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा । राई दिअं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा, एगराइयं भिक्खुपडिमं पडिपडिवण्णा | सत्त- सत्तमिअं भिक्खुपडिमं, अट्ट-अट्टमिअं भिक्खुपडिमं, दस-दसमिअं भिक्खुपडिमं । खुड्डियं मोअ-पडिमं पडिवण्णा । महल्लियं मोअपडिमं पडिवण्णा । जवमज्यं चंदपडिमं पडिवण्णा । वइर वज्ज) मज्झं चंदप डिमं पडिवण्णा । संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरति ।
कई कनकावली तपः कर्म और इसी प्रकार एकावली तप करने वाले थे ।
कई लघुसिंहनिष्क्रीडित तपः कर्म के करनेवाले और कई महासिंहनिष्क्रीडित तपःकर्म करनेवाले थे ।
कई भद्रप्रतिमा, सर्वतोभद्रप्रतिमा, और आयम्बिल वर्द्धमान तपः कर्म करने वाले थे ।
ओव० सू २४
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कई निर्ग्रन्थ मासिकी भिक्षु प्रतिमा ( एक महिने की साधु की प्रतिज्ञा विशेष ), इसी प्रकार द्विमासिकी, त्रिमासिकी यावत् सप्तमासिकी भिक्षु प्रतिमा के धारक थे ।
कई निर्ग्रन्थ प्रथम सप्तरात्रन्दिवा भिक्षुप्रतिमा के धारक थे यावत् तीसरी सप्त रात्रिद्रव भिक्षुप्रतिमा के धारक थे ।
कई निर्ग्रन्थ एक रात और एक दिन की भिक्षु प्रतिभा के धारक थे । और कई एक रात की भिक्षु प्रतिमा के धारक थे ।
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कई निर्ग्रन्थ सप्त सप्तमिका भिक्षुप्रतिमा ( सात-सात दिन के सात दिन समूहों की प्रतिज्ञा ), अष्ट- अष्टमिका ( आठ-आठ दिन के आठ दिन समूहों की ) भिक्षुप्रतिमा, नवनमिका भिक्षुप्रतिमा, दशदशभिका भिक्षुप्रतिमा, क्षुल्लक मोक प्रतिमा के धारक, महामोक प्रतिमा के धारक, यवमध्यचंद्रप्रतिमा के धारक और वज्र- मध्य चंद्रिप्रतिमा के धारक थे ।
इस प्रकार वे निर्ग्रन्थ संयम और तप से आत्मा को भावितं करते हुए विचरते थे ।
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