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52 :: तत्त्वार्थसार
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मोह-क्षय के बाद किन कर्मों का क्षय होता है मोह-क्षय से होनेवाला परिणाम : दृष्टान्त स्नातक अवस्था की प्राप्ति परमैश्वर्य के चिह्न निर्वाण-प्राप्ति एवं दृष्टान्त पूर्वप्रयोग हेतु का स्वरूप और दृष्टान्त असंगता हेतु का स्वरूप और दृष्टान्त बन्धनच्छेद हेतु का स्वरूप और दृष्टान्त ऊर्ध्वगौरव हेतु का स्वरूप और दृष्टान्त जीव, पुद्गलों के गति - भेद का हेतु जीव की नाना गतियों का हेतु किस कर्म के नाश से कौन-सा गण प्रकट हुआ सिद्धों में भेद-साधक कारणों के नाम कालादिकों के विनियोग का नियम गुण-स्वभावों की अपेक्षा सिद्धों की समानता अलोक में गमन न होने का कारण सिद्धों का सुख सिद्ध-सुख का हेतु सुख शब्द के अर्थ विषय का दृष्टान्त वेदना अभाव का दृष्टान्त पुण्य कर्म के उदय से होनेवाले सुख का दृष्टान्त निर्दोष मोक्षसुख
अन्य मत में निर्वाण का स्वरूप एवं उसका निराकरण मोक्षसुख की निरुपमता युक्ति से मोक्षसुख की निरुपमता मोक्षसुख की वचनबद्धता मोक्षतत्त्व के श्रद्धान का फल
नौवाँ अधिकार
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सात तत्त्वों को जानने के उपाय मोक्षमार्ग का क्रम निश्चय मोक्षमार्ग का स्वरूप व्यवहार मोक्षमार्ग का स्वरूप व्यवहारावलम्बी की प्रवृत्ति
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