Book Title: Tattvartha Sara
Author(s): Amitsagar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 398
________________ 340:: तत्त्वार्थसार श्री शान्तिसागरजी महाराज के तृतीय पट्टाधीशाचार्य शिरोमणि श्री धर्मसागरजी महाराज एवं उन्हीं के गुरुभ्राता मम शिक्षागुरु आचार्यकल्प, बहुश्रुतगामी श्रुतसागरजी की ही कृपा है। गुणभद्राचार्य ने कहा ही है कि जो कुछ दिया है, गुरु ने दिया है गुरूणामेव माहात्म्यं यदपि स्वादु मद्वचः। तरूणां हि स्वभावोऽयं यत्फलं स्वादु जायते ॥ "इति श्रीमदमृतचन्द्रसूरीणां कृतिः तत्त्वार्थसारो नाम मोक्षशास्त्रं समाप्तम्।" ॥ इति ॥ इति श्री अमृतचन्द्राचार्य रचित तत्त्वार्थसार नामक मोक्षशास्त्र ग्रन्थ उपसंहार तत्त्व का कथन करनेवाला ग्रन्थ धर्मश्रुतज्ञान नामक हिन्दी टीका में नौवें अध्याय सहित सम्पूर्ण हुआ। 000 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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