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| गोम्मटसार कर्मकाण्ड सम्बन्धी प्रकरण लगावने की अपेक्षा गुण्य, गुणकार, क्षेप आदि विधान से जेते-जेते प्रत्येक स्वसंयोगी परसंयोगी, द्विसंयोगी आदि भंग संभ तिनका, अर तहां गुण्य, गुणकार, क्षेप का प्रमाण कहि सर्व मंगनि के प्रमाण का वर्णन है ।
बहुरि पिडपद, प्रत्येकपद भेदकरि सर्वपद भंग दोय प्रकार है । तिनके स्वरूप का, अर गुणस्थान वि ए जेतै जैसे संभवे ताका, अर तहां परस्पर लगाबने ते प्रत्येक द्विसंयोगी आदि भंग कीए जे भंग होहि तिनका, तहां मिथ्यादृष्टि का पन्द्रहवां प्रत्येक पद लिए भंग ल्याउने का, प्रसंग पाइ गणितशास्त्र के अनुसार एकवार, दोयवार
आदि संकलन धन के विधान का, पर गुरणस्थाननि विषं प्रत्येकपद, पिंडपदनि की रचना के विधान का, पर प्रत्येकपदनि के प्रमाण का, अर तहां जेते सर्वपद भंग भए तिनका वर्णन है । बहुरि यहाँ तीनस तिरेसठि कुवाद के भेदनि का पर तिन विर्षे जैसे प्ररूपण है ताका, अर एकान्तरूप मिथ्यावचन, स्याद्वादरूप सम्यग्वचन का वर्णन है।
बहुरि पाठवां त्रिकरण चूलिका नामा अधिकार है । तहां मंगलाचरण करि करणनि का प्रयोजन कहि अधःकरण का वर्णन विर्षे ताके काल का अर तहां संभवते सर्व परिणाम, प्रथम समय संबंधी परिणाम, अर समय-समय प्रति वृद्धिरूप परिणाम, वा द्वितीयादि समय संबन्धी परिणाम, वा समय-समय सम्बन्धी परिणामनि विर्षे खंड रचनाकरि अनुकृष्टि विधान, तहां खंडनि विर्षे प्रथम खंड विष वा खंड-खंड प्रति वृद्धिरूप वा द्वितीयादि खंडनि विर्षे परिणाम तिनका अंकसंदृष्टि वा अर्थ अपेक्षा वर्णन है। तहां श्रेणीव्यवहार नामा गणित के सूत्रनि के अनुसार ऊर्ध्वरूप गच्छ, चय, उत्तर धन, आदि धन, सर्व धनादिक का, अर अनुकृष्टि विर्षे तिर्यग्रूप गच्छादिक के प्रमाण ल्यावने का विधान वर्णन है । पर तिन खंडनि विर्षे विशुद्धता का अल्पबहुत्व का वर्णन है । बहुरि अपूर्वकरण का वर्णन विर्षे अनुकृष्टि विधान नाही, ऊर्ध्वरूप गच्छादिक का प्रमारण ल्यावने का विधान पूर्वक ताके काल का वा सर्व परिणाम, प्रथम समयसंबन्धी परिणाम, समय-समय प्रति वृद्धिरूप परिणाम, द्वितीयादि समय संबन्धी परिणाम, तिनका अंकसंदृष्टि वा अर्थ अपेक्षा वर्णन है । बहुरि अनिवृत्ति करण विर्षे भेद नाहीं, तात तहां कालादिक का वर्णन है।
बहुरि नवमा कर्मस्थिति अधिकार है । तहां नमस्कारपूर्वक प्रतिज्ञाकरि भाबाधा के लक्षण का वा स्थिति अनुसार ताके काल का, वा उदी अपेक्षा
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