Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 1
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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पृष्ठ ।
विषय
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पृष्ठ क्यों नहीं देखती?
६२६ । सांव्यवहारिकप्रत्यक्षका लक्षण ६३३ चक्षुः अप्रातार्थ प्रकाशकं, प्रत्यासन्नार्थ इन्द्रियके दो भेद-द्रव्येन्द्रिय, भावेन्द्रिय ६३४ अप्रकाशकत्वात्
६२७ भावेन्द्रियके दो भेद-लब्धि और प्रत्यासन्नार्थ प्रप्रकाशकत्व हेतु प्रसिद्धा.
उपयोग दि दोषसे रहित है १२८-६२६ नैयायिकादि का स्पर्शनादि इन्द्रियोंको चक्षु सन्निकर्षवाद के खंडनका सारांश
अलग अलग पृथिवी आदिसे
६३०-६३२ निर्मित मानना गलत है ६३६-६३६ सांव्यवहारिकप्रत्यक्ष ६३३-६४० । उपसंहार
६३९-६४.
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