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गाथा
आश्रव तत्त्व के ४२ भेद
गाथा इंदिय-कसाय-अव्वय-जोगा-पंच-चउ-पंच-तिन्नि-कमा । किरियाओ पणवीसं, इमा उ ताओ अणुक्कमसो ॥२१॥
अन्वय इंदिय, कसाय, अव्वय, जोगा, कमा, पंच, चउ, पंच, तिन्नि, किरियाओ पणवीसं, उ ताओ अणुक्कमसो इमा ॥२१॥
संस्कृत पदानुवाद इन्द्रिय कषायाव्रत योगा, पंच चत्वारि पंच त्रीणि क्रमात् । क्रियाः पंचविंशतिः इमास्तुता अनुक्रमशः ॥२१॥
शब्दार्थ इंदिय - इंद्रिय
कमा - अनुक्रम से क़साय - कषाय
किरियाओ - क्रियाएँ अव्वय - अव्रत
पणवीसं - पच्चीस जोगा - योग
इमा - ये पंच - पाँच
उ - तथा चउ - चार
ताओ - वे पंच - पांच
अणुक्कमसो - अनुक्रम से तिन्नि - तीन
भावार्थ इंद्रिय, कषाय, अव्रत और योग अनुक्रम से पाँच, चार, पाँच और तीन है । क्रियाएँ २५ हैं और वे अनुक्रम से इस प्रकार हैं ॥२१॥
विशेष विवेचन पूर्व की २० गाथाओं में जीव-अजीव-पुण्य तथा पाप, इन चार तत्त्वों का भेद सहित स्वरूप विश्लेषण हुआ। प्रस्तुत. गाथा में आश्रव तत्त्व के ४२ भेदों का कथन है। १७ भेदों का कथन इसी गाथा में है व २५ क्रियाओं का
श्री नवतत्त्व प्रकरण