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उत्तर : अपंगादि दुःखी जीवों को अन्नादिक का दान देने से उन्हें सुख और
___शांति मिलती है, अतः उससे भी पुण्य का उपार्जन होता है। ४७८) अपात्र को दान देने से क्या पुण्य बंधता है ? उत्तर : जो जीव सुपात्र, पात्र या अनुकंपा पात्र नहीं है, अगर वह हमारे घर
आंगन में आ जाय कुछ मांगने के लिये तो उसे तिरस्कृत या अपमानित नहीं करना चाहिए। उस अपात्र को यदि हम दुत्कार कर निकाल देते हैं तो हमारे धर्म की निंदा होती है, इस विचार से यदि हम दान करते है तो पुण्योपार्जन होता है अथवा लक्ष्मी की निस्सारता और निर्मोहता से प्रत्येक जीव को दान दिया जाय तब भी पुण्य का ही बंध होता
४७९) नौ प्रकार का पुण्य करने से कितने प्रकार का पुण्य बंध होता है ? उत्तर : नौ प्रकार का पुण्य करने से ४२ प्रकार का पुण्य बंध होता है। ४८०) कर्म कितने प्रकार के हैं ? उत्तर : कर्म दो प्रकार के है - १. घाती कर्म, २. अघाती कर्म । ४८१) घाती कर्म के कितने भेद हैं ? उत्तर : घाती कर्म के चार भेद हैं - १. ज्ञानावरणीय, २. दर्शनावरणीय, ३.
____ मोहनीय, ४. अंतराय। ४८२ ) अघाती कर्म के कितने भेद हैं ? उत्तर : अघाती कर्म के चार भेद हैं - १. वेदनीय, २. आयुष्य, ३. नाम, ४.
गोत्र ।
४८३) घाती कर्म किसे कहते है ? उत्तर : जो आत्मा के अनुजीवी (मूल) गुणों का घात करें, वे घाती कर्म
कहलाते हैं। ४८४) अघाती कर्म किसे कहते है ? उत्तर : जो आत्मा के प्रतिजीवी गुणों का घात करें, वे अघाती कर्म कहलाते
४८५) घाती-अघाती कर्मों में से पुण्य के भेद किसमें हैं ?
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श्री नवतत्त्व प्रकरण