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प्रेमिकी क्रिया है ।
७१९) द्वैषिकी क्रिया किसे कहते है ?
उत्तर : स्वयं द्वेष करना तथा दूसरे को द्वेष पैदा हो ऐसी क्रिया करना, द्वैषिकी क्रिया है ।
७२० ) ईर्यापथिकी क्रिया किसे कहते है ?
उत्तर : कर्मबंध के ५ हेतुओं में से केवल योग रूप एक ही हेतु द्वारा बन्ध होता है, वह ईर्यापथिकी क्रिया है। यह ११ वें १२वें, १३ वें गुणस्थानक में रहे हुए वीतरागी आत्मा की ही होती है ।
७२१ ) कौन-सी क्रिया कौन-से गुणस्थानक तक होती है ?
उत्तर : (१) कायिकी क्रिया
२८२
(२) अधिकरणिकी क्रिया
(३) प्राद्वैषिकी क्रिया
(४) पारितापनिकी क्रिया
(५) प्राणातिपातिकी क्रिया
(६) आरंभिकी क्रिया
(७) पारिग्रहिकी क्रिया
(८) माया प्रत्ययिकी क्रिया
(९) मिथ्यादर्शन प्रत्ययिकी क्रिया
(१०) अप्रत्याख्यानिकी क्रिया
(११) दृष्टिकी क्रिया
(१२) स्पृष्टिकी क्रिया
(१३) प्रातित्यकी क्रिया
(१४) सामन्तोपनिपातकी क्रिया
(१५) नैशस्त्रिकी क्रिया
(१६) स्वहस्तिकी क्रिया (१७) आज्ञापनिकी क्रिया
१
६ गुणस्थान तक
१ से ९ गुणस्थान तक
१ से ९ गुणस्थान तक
१ से ९ गुणस्थान तक
से
१
१
१
१.
१
से
१
से
१
१ और ३ रें गुणस्थान में
१
से ५ गुणस्थान तक
५ गुणस्थान तक
से ७ गुणस्थान तक
से
६ गुणस्थान तक
से
से
४ गुणस्थान तक
१० गुणस्थान तक
१ से ५ गुणस्थान तक
१० गुणस्थान तक
१ से ५ गुणस्थान तक (तत्त्वार्थ वृत्ति में ६ गुण तक)
से ६ गुणस्थान तक
१ से ५ गुणस्थान तक
१ से ५ गुणस्थान तक
श्री नवतत्त्व प्रकरण